Abdul Alam

Abdul Alam Political Consultant & Strategist, Development Professional and Social Media Expert
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पोषक 'नन्हे किसान'
07/11/2024

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पोषक 'नन्हे किसान'

यूपी पुलिस के सिपाहियों को एक पार्टी में जाना था।दिक्कत थी कि ड्यूटी चल रही थी और इस बीच वो पार्टी में नहीं जा सकते थे।फ...
05/11/2024

यूपी पुलिस के सिपाहियों को एक पार्टी में जाना था।

दिक्कत थी कि ड्यूटी चल रही थी और इस बीच वो पार्टी में नहीं जा सकते थे।

फिर उन्हें सॉलिड आइडिया आया।

चारों सिपाही पुलिस की गाड़ी बैठे और वहां पहुंचे जहां पार्टी चल रही थी।

इसके बाद जो हुआ वो इतिहास में दर्ज होगा। पुलिस वालों ने एक राह चलते आदमी का फोन मांगा, ये कहते हुए कि उनके फोन में नेटवर्क नहीं है।

फिर उसी फोन से पुलिस कंट्रोल रूम कॉल किया और कहा- यहां बवाल हो गया है, पुलिस भेज दीजिए।

कंट्रोल रूम ने देखा कि चारों सिपाही और पुलिस की गाड़ी वहीं पास में है, उन्हें मौके पर पहुंचने को कहा गया।

इस तरह से पुलिस वाले पार्टी में पहुंच गए। पार्टी की और कंट्रोल रूम को बता दिया- छोटा बवाल था, समझाकर निपटा दिया है।

पोल तब खुली जब कंट्रोल रूम ने फीडबैक के लिए उस नंबर पर कॉल किया, जिससे शिकायत आई थी।

उस आदमी ने बताया कि उसने कोई कॉल नहीं की। रास्ते में कुछ पुलिस वाले मिले, उन्होंने एक कॉल करने के लिए फोन मांगा था।

अब पुलिस वाले सस्पेंड हो गए हैं, FIR भी हुई है।

कानपुर और झांसी रोड पर एक जिला बसा हुआ है कानपुर देहात। उसी के एक गांव में हाईवे के किनारे बना है एक साधारण-सा घर है, दी...
04/11/2024

कानपुर और झांसी रोड पर एक जिला बसा हुआ है कानपुर देहात। उसी के एक गांव में हाईवे के किनारे बना है एक साधारण-सा घर है, दीवाली की नई-नई रंगाई-पुताई से चमचमाता हुआ। इस घर की छत पर तिरंगा लहरा रहा है, मानो हर एक को एकता और स्वतंत्रता का संदेश दे रहा हो। घर के बाहर बने चबूतरे पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित है, उस मूर्ति के देखने के भाव से लग रहा है जैसे हाईवे से गुजरने हर यात्री का अभिवादन करते हुए कह रही हो, "अपनें अधिकारों को मत भूलो, समानता का आदर करो।"

चबूतरे के क्यारियों में लगे सुंदर फूलों के पौधे इस घर की सादगी और सजगता में भावुकता के रंग भर रहे हैं। इन फूलों को देखकर लगता है कि, जैसे हर पौधा इस परिवार के सपनों का प्रतीक है।

इस घर में रहने वाला परिवार किसान है, जिसने अपनी ज़िंदगी खेतों में मेहनत करते और अपने परिवार के लिए सुख-साधनों का इंतजाम करते हुए बिताई है। उत्तर प्रदेश में किसान का जीवन बहुत संघर्षपूर्ण होता है। हर साल सूखा, बारिश का अभाव, और फिर कर्ज का बोझ। कई बार तो फसलें भी चौपट हो जाती है, लेकिन किसान सृजनकर्ता होता है हर परिस्थिति में हार नहीं मानता। क्योंकि वो डॉ. अंबेडकर से प्रेरणा लेकर हर कठिनाई का सामना कर लेता है और नए भारत के संघर्ष भी सीख रहा है।

दीवाली के अवसर पर उसने घर को रंगवाया, तिरंगे को छत पर फहराया, और डॉ. अंबेडकर की मूर्ति का रंग रोगन कर, अपने जीवन के संघर्ष और सफलता की कहानी को इस प्रतीक के रूप में अमर कर दिया। ये मूर्ति उसके संघर्ष में प्रेरणा का प्रतीक है, जो उसे हर दिन साहस और उम्मीद देती है।

शायद! किसान को उम्मीद है कि उसके बच्चे इस घर और डॉ. अंबेडकर के विचारों से प्रेरणा लेंगे और समाज में समानता और न्याय की अलख जगाएंगे। इस दीवाली पर उसका घर रोशन है, लेकिन असली रोशनी उसके दिल में है—सपनों की रोशनी, उम्मीद की रोशनी, और समानता की रोशनी।

नोट:- आते जाते हुए इस मूर्ति को मैं एक दशक से देख रहा हूँ।

आजकल की नस्ल नही जानती कि उत्तर प्रदेश कि राजधानी कहाँ-कहाँ थी।उत्तर प्रदेश के इतिहास में अब तक तीन राजधानी रही हैं।1858...
13/10/2024

आजकल की नस्ल नही जानती कि उत्तर प्रदेश कि राजधानी कहाँ-कहाँ थी।

उत्तर प्रदेश के इतिहास में अब तक तीन राजधानी रही हैं।

1858 तक आगरा, उसके बाद 1858 - 1921 तक प्रयागराज (इलाहाबाद) और फिर 1921 से राज्य की राजधानी लखनऊ है।




03/09/2024

JDU से BJP में आए अजय आलोक ने बताया कि उनके दो बेटे अमरीका के नागरिक हैं, बेटी मेडिकल की पढ़ाई करने वहीं जा रही है। ट्विटर पर बवाल मच गया।

लेकिन वह कुछ नया नहीं कर रहे। आज भारत में जिस परिवार के पास भी थोड़ी सुविधा है वे बच्चों को विदेश भेज रहे हैं पढ़ने के लिए और चाहते हैं वहीं बस जायें। स्मृति ईरानी से लेकर रविशंकर प्रसाद और ऐसे कितने ही नेताओं के बच्चे विदेश में हैं।

बच्चों की चिंता सबको होती है। यहाँ की हिंसा और बेरोज़गारी से बचाना चाहते हैं बच्चों को।

सवाल उन 85% लोगों का है जो अपने बच्चों को बाहर नहीं भेज सकते। समस्या उनके लिए बड़ी है। दुर्भाग्य से वही धर्म के नाम पर नफ़रत के सबसे बड़े पैरोकार हैं, उन्हीं के बच्चे काँवर ढो रहे, वही मस्जिद के सामने नाच रहे।

सोचना उन्हें ही है…

Ashok Kumar Pandey - अशोक

‘राजीव के राहुल’📍वीर भूमि, नई दिल्ली
20/08/2024

‘राजीव के राहुल’

📍वीर भूमि, नई दिल्ली

अंग्रेज़ों की क़ैद में भारतीय किसान।
05/08/2024

अंग्रेज़ों की क़ैद में भारतीय किसान।

1857 की क्रांति के दौरान लखनऊ स्थित रेसिडेंसी की मस्जिद को काफ़ी नुक़सान पहुँचा था।
04/08/2024

1857 की क्रांति के दौरान लखनऊ स्थित रेसिडेंसी की मस्जिद को काफ़ी नुक़सान पहुँचा था।

ये वो पेन है, जिसे शहीद ए आजम सरदार भगतसिंह को फांसी की सजा सुनाते समय जज ने इस्तेमाल किया था ।आज की तारीख में यह पेन खट...
03/08/2024

ये वो पेन है, जिसे शहीद ए आजम सरदार भगतसिंह को फांसी की सजा सुनाते समय जज ने इस्तेमाल किया था ।आज की तारीख में यह पेन खटकड़ कलां म्यूजियम में मौजूद है।

इंजीनियर सुरेश होल्कर ने अटल सेतु मुंबई पर अपनी कार रोकी और समुद्र में कूदकर जान दे दी। सुरेश होल्कर की पत्नी और 4 साल क...
27/07/2024

इंजीनियर सुरेश होल्कर ने अटल सेतु मुंबई पर अपनी कार रोकी और समुद्र में कूदकर जान दे दी। सुरेश होल्कर की पत्नी और 4 साल की बेटी है। 38 साल का सुरेश होल्कर डोंबिवली में रहता था। सुरेश होल्कर ने खुद को समाप्त कर लिया, लेकिन अपनी पत्नी और बेटी के लिए कितनी मुसीबत खड़ी कर गया। सोचिए वह फ्लैट में रहता था, कार से चलता था, किंतु कर्ज के बोझ तले भी दबा हुआ था। एक इंजिनियर इतना तो कमा ही सकता था तीन लोगो का पेट पाल सके। लेकिन वह जीवन से हार मान गया।

शहर में रहने वाला मध्यमवर्गीय कथित शिक्षित युवा आज के दौर में सबसे अधिक मानसिक तनाव का शिकार है। दिखावे की जिंदगी जीने को लालायित युवा अति महत्वाकांक्षा का इतना शिकार है कि समाज में दिखावे की जिंदगी जीने के लिए, अपने दोस्तों के बीच अपनी झूठी शान दिखाने के लिए कर्ज के बोझ तले दबने लगता है। क्रेडिट कार्ड और ईएमआई का भ्रमजाल भौतिक सुख सुविधा का दिवा स्वप्न दिखा देते हैं। महानगरों में चंद साल व्यतीत करने पर 0 एडवांस पर महंगे फ्लैट उपलब्ध हैं। बिल्डर अपना पैसा लेकर किनारे हो जाते हैं और बैंक की ईएमआई शुरू हो जाती है। फ्लैट की सजावट सुख सुविधा के लिए सबकुछ ईएमआई पर उपलब्ध है। लेकिन जब किस्त भरने का सिलसिला शुरू हो जाता है तो न फ्लैट का सुख मिलता है और न ही सजावटी सामानों का।

बनावटी जीवन का दिवा स्वप्न सबसे अधिक इन्हीं युवाओं के जीवन को नर्क बनाया है। दिखावे की जिंदगी जीने की चाहत एक ऐसे जाल में फांस लेती है जो जिंदगी को ही खत्म करने के बारे में सोचती है। सुरेश होल्कर यदि अपने परिवार से, अपने मित्रों से चर्चा करता तो कोई रास्ता निकल सकता था। उसकी पत्नी और बेटी शायद बेसहारा नहीं होती। लेकिन अंदर ही अंदर घुट रहे सुरेश होल्करको जिंदगी को नकार कर मौत चुनना ही आसान लगा।

डिजिटल युग में हम समाज से अलग हो गए। परिवार से अलग हो गए। अपनो से विचार विमर्श करना छोड़ दिए। यह एकांकी जीवन आखिर हमें किस ओर ले जा रहा है।

राहुल गांधी सुल्तानपुर आए। चैतराम मोची से मिले। चैतराम कहते हैं- राहुल गांधी ने कोई सामान नहीं खरीदा। अपने लिए कुछ नहीं ...
26/07/2024

राहुल गांधी सुल्तानपुर आए। चैतराम मोची से मिले। चैतराम कहते हैं- राहुल गांधी ने कोई सामान नहीं खरीदा। अपने लिए कुछ नहीं बनवाया। जो जूते बना रहा था, उसे छूकर देखा। पूछा- कैसे बनाते हो। उन्होंने एक चप्पल की सिलाई की।

चैत के बेटे राघव ने बताया कि राहुल गांधी से मिलकर अच्छा लगा। पहले मैं भी यही काम करता था, लेकिन लोग रिस्पेक्ट नहीं करते थे। इसलिए अब मजदूरी करता हूं।

Rahul Gandhi

कोई आलीशान मकान भी किसान,के इस मचान के आगे फीका है। ❤️
25/07/2024

कोई आलीशान मकान भी किसान,
के इस मचान के आगे फीका है। ❤️

24/07/2024

जिंदगी में अच्छा इंसान बनने के लिए इतना ही काफी है के अगर खुद की कोई गलती हो तो मुआफी मांग ले और किसी दूसरे की गलती हो तो उसे मुआफ कर दे

زندگی میں اچھا انسان بننے کے لئے اتنا ہی کافی ھے کہ اگر خود کی کوئ غلطی ہو تو معافی مانگ لے اور کسی دوسرے کے غلطی یو تو اسے معاف کر دے

🎉 Just completed level 3 and am so excited to continue growing as a creator on Facebook!
24/07/2024

🎉 Just completed level 3 and am so excited to continue growing as a creator on Facebook!

24/07/2024

आशिक़ अली और कांवड़िये :

आशिक़ अली SDRF में हेड कॉन्स्टेबल हैं और इन दिनों हरिद्वार में तैनात हैं. 23 जुलाई को उन्होंने नदी में डूब रहे पांच कांवड़ियों की जान बचाई.

जिन्हें बचाया गया, उनका विवरण:

मोनु सिंह पुत्र विजेंद्र सिंह. निवासी - दिल्ली.
संदीप सिंह पुत्र जय राम. निवासी - उत्तर प्रदेश.
गोविंद सिंह पुत्र दुलाल सिंह. निवासी - उत्तराखंड
करण पुत्र सतवीर. निवासी - दिल्ली.
अंकित पुत्र संजीव. निवासी - हरियाणा.

इन सभी कांवड़ियों को बचाने के लिए जब आशिक़ अली ने कई-कई बार नदी में छलांग लगाई, तो सम्प्रदाय कहीं बीच में नहीं आया. न तो उन्होंने डूबते हुए व्यक्तियों का नाम जानना चाहा और न ही डूबते हुए ने उनसे उनका नाम पूछा.

बाक़ी जिन्हें 'थूका-पादा, थूका-पादा' ही खेलना है वो खेलते रहें.

आशिक़ भाई! आपकी जांबाज़ी, साहस और कर्तव्यनिष्ठा को हमारा सलाम.

आज तक ऐसी सरकार किसी ने नहीं देखी होगी, जो जाति पूछ के काम करती हो।
23/07/2024

आज तक ऐसी सरकार किसी ने नहीं देखी होगी, जो जाति पूछ के काम करती हो।

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