13/09/2023
मस्ताना जमाल शाह वारसी रे.अ.का लिखा हुआ शहादत नामा, जनाब शाह आबिद हुसैन कादरी साहब की आवाज मे..😭🥀💔
हुए जो इसरार मुझ पे जाहिर, जो नज्म कुदरत का देखता हूँ सुने खिरदमंद, गोशे दिल से, वह राजे मख्फी सुना रहा हूँ
हुसैन पर जब पड़ा दबाव, कि बैअते बातील कुबुलु कर ले,
नबी के रोजे पे जा के बोले, कि हुक्मे नाना मैं चाहता हूँ.
मिला जवाब के हुसैन जाओ, न बैयते बातिल कबूल करना,
के मेरी उम्मत के पासबाँ हो, तुम्ही को रहबर बना रहा हूँ,
छुटे न दामन सब्र हरगिज, गले पे फिर जाए चाहे खंज़र,
वह वक्त अब आ चुका है, जिस का मै जिक्र बचपन मे कर चुका हूँ,
तुम्ही से उम्मत की वजहे बखशिश, तुम्ही विलायत के खिज्र पैकर, हैं सिर्रे मखफी शहीद होना, यह बात तुम को बना रहा हूँ,
हुसैन लौटे यह सुन के खुश खुश, घर आके रख्ते सफर को बाँधा,जमाल क्या इस के आगे गुजरी, सुना चुका हूँ, सुना रहा हूँ
हुसैन बोले गवाह रहना, मदीने वालों में जा रहा हूँ,
नजर सही आशनाए, फितरत मगर मै राही-ए-कर्बला हूँ
न कोई खौफ -ओ- हिरास मुझ को, न कोई जंग ओ जदल से मतलब, न जौके इजहारे खुदनुमाई, के मै तो इक पैकरे रजा हूँ,
जो आने वाली है नस्ले समझे, हक ओ बातिल मे फर्क क्या है, उसूले व तन्जीमे अहमदी का, सबक जहाँ को पढ़ा रहा हूँ।,
है हमराह कुन्बे वाले है मेरे अहलो-ओ- अयाल सारे,
मिटाना बातिल है कस्द मेरा, दियारे नाना मे छोड़ता हूँ,
हुसैन ने अलविदा कही, फिर वह सूए- कुफा हुए रवाना,
पहुँच के इक दश्ते बेगियाह मे, कहा कि मे मंजिल पे आगया हूँ,
यही खैमे नस्ब किए जाएँ, यही पे हमराही मेरे ठहरे,
वही मुकाम आ गया है, जिस को एहदे-तिफली मे सुन रहा हूँ,
कहा यह फिर अहले काफिला से, मुहब्बत है आप की जो साथ आए, जो जाना चाहे वो जाए वापस, खुशी से कह रहा हूँ,
यह सुन कर हर एक गुलाम बोला,तुम्ही हो आका तुम्ही हो मौला, तुम्हारे कदमो पे जान दूंगा,तुम्हारी सूरत को दुखता हूँ,
खबर यह इब्ने जियाद सुनकर, के हुसैन तशरीफ़ ला चुके है,
ये हम नवाओ से आपने बोला, कि जाओ लश्कर मे भेजता हूँ,
कदम न आगे बड़ने पाये, कुछ इस इंतिजाम करना,
यजीद का है ये हुक्म नातिक,जो आज तुमको बता रहा हूँ,
यजीदियो ने घिराव चारो तरफ से डाला, हुसैन बोले,
कि मे तो मेहमान हूँ तुम्हारा, मे मिलने को आ गया हूँ,
लईन बोले कि सबसे पहले यजीद से बैअत कर ले,
हुसैन बोले यह गैर मुमकिन, मे हक निगार हू, मे हकनुमा हूँ
यजीदियो ने कहा बेहतर की काफिले को मिले ना पानी,
हुसैन आखिर कहेंगे खुद ही, कुबूल बैअत मे कर रहा हूँ
हुसैन आली विकार बोले,न खुश हो पानी को बंद कर के,
खुद आए पानी जो चाहू, लेकिन मे इम्तेहा से गुजर रहा हूँ
हुसैन से शाह जिन्न ने आकर कहाँ, इजाजत हो मुझ को शाहा,
नजर न आएगा एक नफ़स भी, जो आज मैदान मे देखता हूँ
हुसैन बोले है सब पे कुदरत है, कुल पर हर इख़्तियार मेरा,
पलट दु चाहू निजाम सारा, मगर मे वादा निभा रहा हूँ
यजीदियो ने किया जब ऐलाने जंग, था अशरा - ए - मुहर्रम,
हुसैन बोले यही वह दिन, इंतिजार जिसका मे कर रहा हूँ
इधर ब्यासी नफूस सारे, उधर था एक बेसुमार लश्कर,
हर एक हुसैनी की थी तमन्ना, कि लड़ना पहले मे चाहता हूँ
मुझे इजाजत अता हो शाहा, करु तहे तेग कुफ़ियों का,
जिन्होने धोका दिया बुलाकर, उन्हें मिटाना मे चाहता हूँ
हुसैन बोले कि कुफियों से मै, पहले हुज्जत तमाम मे कर लूँ,
न आख़िरत हो खराब इनकी, रहे सब हक पर, यह चाहता हूँ
सुनाया खुत्बा इमाम ने जब, तो हुर जो लड़ने को आ गए थे
हुसैन के पास अदब से आए, कहा मे सर को झुका रहा हूँ
खता हो शाहा मुआफ मेरी, न आख़िरत हो खराब मेरी,
मे आपके दर का इक गदा हूँ, गुलाम हू बंदा - ए - वफा हूँ
मुझे इजाजत हो सबसे पहले, मैं जान तुम पर निसार कर दूँ,
न देखूं यह दिलखराश मंजर, जो आज आंखों से देखता हूँ
हुसैन ने उसके सर पे हाथ रखकर, जो दी इजाजत तो हुर ने जाकर,
पचासो मरदुद कत्ल कर के कहा, फ़िदा शाह पे हो रहा हूँ
जो साथ अंसार - ओ - यार आया, इसी तरह एक एक कर के,
फिदा हुआ अहलेबैत पर वो, यह कह कर बन्दा में आप का हूँ
गनीम को कत्ल करके रन से, जो तिशना लौटा हुसैन बोले,
पियो शहादत का जाम जाकर, मैं तुमको कौसर पे देखता हूँ
जनाब अब्बास, कासिम, अकबर, दिखा के सब अपने-अपने जौहर, सिधारे सूए - बका ये कहकर, हुसैन पे मे मर रहा हूँ
इमाम आली मुकाम खेमों में सब की लाशों को रख कर के बोले, के लाओ जैनब लिबास लाओ, मैं खुद ही अब जाक के देखता हूँ
यह कह के पहुँचे हरम के अंदर, सरो पे हर एक के हाथ रख कर, कहा यह फिर मैं हूँ साथ सब के, जुदा तो बजाहिर हो रहा हूँ
बुलाके आबिद को पहले, तलकीन - ए-सब्र की फिर कहा ये उनसे, चलेगी नस्ले हुसैन तुम से, न खौफ करना बता रहा हूँ
तुम्ही हो चश्म औ चरागे ओ हाशिम, रहेगा ईमान तुम से रोशन,
रहोगे तुम ताजदारे इरफ़ा, ये हुक्मे नाना सुना रहा हूँ,
बनोगे तुम खुसरो-ए-वलायत, तुम्ही इमामत के बादशाह हो,
चलेगी रूहानियत तुम्ही से, से राजे पोशीदा बता रहा हूँ
हक और बातिल में फर्क रखना, पयामे हक पे ही जान देना, नज़र मे रखना हयात मेरी, मे जान हक पर लुटा रहा हूँ,
उठाई जब जुल्फिकारे -हैदर, नबी की आवाज आई ठहरो,
ये हैं शहादत का वक्त प्यारे, मे याद तुमको दिला रहा हूँ
उतर के घोड़े से नीचे आए, मियान में जुल्फिकार रख ली,
कयामे बरजुख का कर के बोले, हुजुर की मर्जी में चाहता हूँ
कमी तो नहीं है नाना, कबूल कर लो ये मेरा हदिया,
खुशी तुम्हारी जो हुक्मे आली, मे अपने सर को कटा रहा हूँ,
जो देखा शिमरे - लइन ने मौका, चलाए तीर और पास आकर,
कहा के हुक्मे यजीद से में, तुम्हारे सर को उतारता हूँ,
यह कह के जालिम ने तेगेर्बुर्री गुलू-ए-नाजुक मे रख के खींची जबान से आह तक न निकली, दिखा दिया मैं पैकरे-रजा हूँ
जमीन लरजी फलक भी कांपा, हर एक जिन्न ओ मलक पुकारा, यह कैसा अंधेर हो रहा है, यह कैसा मंजर में देखता हूँ
सवारे-दोशे नबी को करता, शहीद कोई मजाल किसकी, जमाल खामोश अदब की जा है, मे इस में इक राज पा रहा हूँ
हुसैन हसन है, हुसैन अली है, हुसैन जहरा, हुसैन अहमद,
ये पाँचों तन है जमाले यजदाँ, जमाले वारिस में देखता हूँ
सिलसिला - ए - आलिया कादरिया शुत्तारीया ( )
Khudi_ki_pehchaan🥀🖤❤️
Khudi_ki_pehchaan🥀🖤❤️
Khudi_ki_pehchaan
𝐒𝐢𝐥𝐬𝐢𝐥𝐚_𝐄_𝐌𝐚𝐝𝐧𝐢
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𝐒𝐢𝐥𝐬𝐢𝐥𝐚_𝐄_𝐌𝐚𝐝𝐧𝐢
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《💔🥀 حق اللّه ہو 💔🥀 》
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𝐒𝐢𝐥𝐬𝐢𝐥𝐚_𝐄_𝐌𝐚𝐝𝐧𝐢
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