14/06/2021
कबीर परमेश्वर को मारने के लिए किए गए निरर्थक प्रयास।
कबीर परमेश्वर जब सतलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुए और अपने सत्य ज्ञान का प्रचार किया तो तत्कालीन मुस्लिम धर्मगुरु शेख तकी ने उनके ज्ञान का विरोध किया और उन को मारने के लिए 52 बार कुचेष्टाएँ की।
दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेखतकी ने कहा कि अगर यह कबीर अल्लाह है तो इसकी परीक्षा ली जाए कोई मुर्दा जीवित करे तब सर्वशक्तिमान कबीर परमात्मा ने दरिया में बहते आ रहे एक लड़के के शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया। उसका नाम कमाल रखा। कबीर परमेश्वर समर्थ भगवान हैं। पूर्ण परमात्मा ही मृत व्यक्ति को जीवित कर सकता है।
शेखतकी ने जुल्म गुजारे, बावन करी बदमाशी, खूनी हाथी के आगे डाले, बांध जूड अविनाशी, हाथी डर से भाग जासी, दुनिया गुण गाती है।
शेखतकी ने अविनाशी को मारने के लिए खूनी हाथी के आगे डाला। हाथी कबीर भगवान के पास जाते ही डर कर भाग गया। तब लोगों ने कबीर साहेब की जय-जय कार की कबीर भगवान अविनाशी है।
कबीर साहेब सिकंदर लोधी के दरबार में बैठकर सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि लोहे को गर्म करके पिघलाकर पानी की तरह बनाओ और कबीर साहेब पर डालो। ठीक ऐसा ही हुआ जब लोहा गर्म करके पिघलाकर कबीर साहेब पर डाला तब वह फूल बन गए जैसे कि मानो फूलों की वर्षा होने लगी। तब सभी ने कबीर साहेब की जय-जयकार लगाई।
कबीर साहेब को मारने के लिए शेखतकी ने तलवार से वार करवाये। लेकिन तलवार कबीर साहेब के आर-पार हो जाती क्योंकि कबीर साहेब का शरीर पाँच तत्व का नहीं बना था उनका नूरी शरीर था। फिर सभी लोगों ने कबीर साहेब की जय जयकार की।
साहेब कबीर को मारण चाल्या, शेखतकी जलील। आर-पार तलवार निकल ज्या, समझा नहीं खलील ।।
गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि उत्तम पुरूष अर्थात् पुरूषोत्तम तो कोई अन्य ही है, जिसे परमात्मा कहा गया है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है, वह वास्तव में अविनाशी है।
गीताजी अध्याय 2 श्लोक 17
“अविनाशि, तु, तत्, विद्धि, येन्, सर्वम्, इदम्, ततम्,
विनाशम्, अव्ययस्य, अस्य, न, कश्चित्, कर्तुम्, अर्हति ।।
भावार्थ: उसको अविनाशी/अमर जान, जिससे इस सम्पूर्ण दृष्टिगोचर विश्व की उत्पत्ति हुई है। कोई भी उस अविनाशी का विनाश करने में सक्षम नहीं है।”
कबीर परमेश्वर ही पूर्ण परमात्मा है वही संपूर्ण सृष्टि के जनक है उनका नाश नहीं होता वे ही अविनाशी हैं। अविनाशी को कोई मार नहीं सकता । परमात्मा को अजन्मा,अजर,अमर कहा जाता है। सभी देवी-देवताओं का जन्म और मृत्यु होती है, वे अविनाशी नहीं हैं।
#कबीरसाहेब_की_52_लीलाएं
24 June
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