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21/07/2021

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18/07/2021

11/07/2021
*शेखतकी द्वारा परमात्मा कबीर साहेब को तलवार से कटवा कर मारने की व्यर्थ कोशिश*अपनी प्रभुता बनाने के लिए एक बार शेखतकी ने ...
14/06/2021

*शेखतकी द्वारा परमात्मा कबीर साहेब को तलवार से कटवा कर मारने की व्यर्थ कोशिश*

अपनी प्रभुता बनाने के लिए एक बार शेखतकी ने कबीर साहेब को तलवार से कटवा कर टुकड़े टुकड़े करने की ठानी। इसके लिए शेखतकी ने कुछ गुंडे तैयार किये। जब परमेश्वर कबीर साहेब जी रात्रि में सोने की लीला कर रहे थे उस समय शेखतकी उन गुंडों के साथ परमात्मा की कुटिया में आया और कबीर परमात्मा पर तलवारों से अंधाधुंध वार किये। जब कबीर साहेब को मृत जानकर सभी वहां से जाने लगे तभी कबीर परमेश्वर उठ खड़े हुए। उनको भूत समझकर सभी गुंडे और शेखतकी डर कर वहां से भाग गए।
इतना कुछ देखकर भी शेखतकी ने कबीर साहेब को भगवान नहीं माना।

साहेब कबीर को मारण चाला, वो शेखतकी जलील।
आर पार तलवार निकल गई, फिर भी समझा नही खलील।।
भाग गया ना लाई ढील, साहेब को हांसी आ जाती है।
सतगुरु अपना साथी है।।

*कबीर साहेब को गंगा में डुबोकर मारने की कोशिश*

कबीर साहेब जी को गंगा में डुबोकर मारने की कोशिश की गयी। उनके हाथ पांव बांध कर उन्हें गंगा में डाल दिया गया पर सर्व शक्तिमान कबीर परमेश्वर जल के ऊपर आराम से बैठे रहे। जब कबीर साहेब नहीं डूबे तो चार पहर तक उनके ऊपर गोलियां और तोपों की बारिश की गयी। सबने अपने परम पिता परमात्मा पर पत्थर बरसाए। पर परमेश्वर कबीर साहेब को कोई हानि नहीं पहुंची। तब कबीर साहेब वहां से अंतर्ध्यान हो गए और अपनी कुटिया में प्रकट हो गए।

इस प्रकार परमात्मा कबीर साहेब को 52 कसनी दी गयी अर्थात उन्हें 52 बार मरवाने की कोशिश की गयी पर परमात्मा को कोई हानि नहीं पहुंची क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब अजर अमर अविनाशी हैं।

वेद गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव(कबीर साहेब) राजा के समान दर्शनीय हैं। वे सतलोक में रहते हैं और अपनी अच्छी आत्माओं और दृढ़ भगतों को सत्यभक्ति का ज्ञान करवाने के लिए वो परमात्मा स्वयं ही पृथ्वी पर प्रकट होते हैं। उसी प्रकार परमात्मा कबीर साहेब 600 साल पहले सशरीर पृथ्वी पर आये थे और 120 साल तक पृथ्वी पर सतभक्ति का ज्ञान देकर सशरीर ही वापिस चले गए थे। मगहर में आज भी इस घटना की यादगार बनी हुई है।

वर्तमान में कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी हैं। उन्होंने कबीर साहेब द्वारा दिया गया दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान उजागर कर दिया इसलिए देर न करें जितना जल्दी हो सके संत रामपाल जी महाराज से नाम लेकर अपना और अपने परिवार वालों का कल्याण करवाएं।
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*कबीर साहेब को मारने के सभी प्रयास निष्फल।*कबीर परमेश्वर के आशीर्वाद तथा चमत्कारों से उनके 64 लाख शिष्य हो गये थे। उनकी ...
14/06/2021

*कबीर साहेब को मारने के सभी प्रयास निष्फल।*
कबीर परमेश्वर के आशीर्वाद तथा चमत्कारों से उनके 64 लाख शिष्य हो गये थे। उनकी परीक्षा के लिये परमात्मा ने अपनी शिष्या गणिका तथा रविदास जी हाथी पर बैठाकर, शीशी में गंगाजल शराब पीने का अभिनय किया। जनता तथा शिष्यों ने यह नजारा देख कबीर जी से मुंह मोड़ लिया तथा सिकन्दर लोधी को शिकायत की। (सिकन्दर लोधी भी कबीर परमात्मा का शिष्य था क्योंकि उसके जलन का रोग केवल कबीर साहेब के आशीर्वाद से ही ठीक हुआ था। तथा उसने कबीर साहेब अल्लाह मान लिया था।)

सिकंदर लोदी ने जनता को शांत करने के लिए अपने प्राण दाता का भी अनादर किया। अपने हाथों से कबीर जी के हाथों में हथकड़ी लगाई पैरों में बेड़ी तथा गले में तौक (लोहे की भारी बेल) डाली और आदेश दिया कि जनता की इच्छा अनुसार नौका में बैठाकर गंगा दरिया के मध्य में डालकर डुबोकर मार दो। राजा की आज्ञा मिलते ही सिपाही तथा जनता के कुछ व्यक्ति कबीर जी को नौका में बैठाकर गंगा दरिया के मध्य ले जाकर दरिया के जल में फेंक दिया। गंगा दरिया में अथाह जल था । कबीर परमेश्वर जी की हथकड़ी, बेड़ी तथा गले की तौक अपने आप टूट गई। कबीर परमेश्वर जी जल के ऊपर सुखासन लगाकर बैठे रहे, जल में डूबे नहीं।
यह अचरज देखकर भी उन मूर्खों ने परमेश्वर को नहीं समझा उनके साथ राजा सिकंदर का धार्मिक पीर शेखतकी भी था जिसने यह मोर्चा संभाल रखा था उसने कहा कि यह कबीर जंत्र मंत्र जानता है इसने जल को बांध दिया है इसलिए नहीं डूब रहा है। इसको नौका में बैठकर किनारे लाओ ऐसा ही किया गया शेख तकी ने कहा कि इसके शरीर के साथ भारी पत्थर बांधकर गंगा के मध्य ले जाकर जल में फेंक दो ऐसा ही किया गया। इस बार भी सब पत्थर बंधन मुक्त होकर जल में डूब गए परंतु परमेश्वर कबीर जी जल के ऊपर सुखासन लगाए बैठे रहे नीचे से गंगाजल की लहरें बह रही थी परमेश्वर आराम से जल के ऊपर बैठे थे।
शेख तकी ने वहाँ मौजूद सभी लोगों को कबीर जी पर पथराव करके मारने का आदेश दिया। वही किया गया लेकिन अल्लाह कबीर को कुछ नहीं हुआ।

तीरंदाजों को कबीर जी को मारने का आदेश दिया गया था, लेकिन कोई तीर उन्हें छू भी नहीं सकता था, बल्कि उनकी दिशा बदल गई।

लगातार 12 घंटे तक, सैनिकों ने मारने के लिए कबीर जी पर तोप के गोले दागे, लेकिन कोई भी उन्हें छू नहीं सका, बल्कि वे सभी अलग-अलग दिशाओं में गिर गए या सर्वशक्तिमान कबीर की शक्ति से घिर गए। लोगों के विवेक को धार्मिक नेताओं ने नष्ट कर दिया। फिर भी, कोई भी कबीर परमात्मा को पहचान नहीं सका।

"खूनी हाथी से मरवाने की व्यर्थ चेष्टा"

शेखतकी अपने प्रशंसकों के साथ संत रविदास जी की कुटिया पर पहुंचा तो देखा कबीर जी उपस्थित थे और एकतारे से शब्द गा रहे थे। शेख तकी की तो मां सी मर गई शर्म और क्रोध वश होकर सीधा सिकंदर लोदी राजा के पास विश्राम गृह में गया तथा बताया कि कबीर ना तो जल में डूबा ना तोप से मरा। अबकी बार इसको जनता के सामने खूनी हाथी से मरवाते हैं नगर में मुनादी कर दी कि कल सुबह 10:00 बजे कबीर को खूनी हाथी से कुचलवाकर मारा जाएगा सब देखने आना। शेख तकी पीर ने महावत से कहा कि हाथी को एक दो शीशी शराब की पिला दो ताकि शीघ्र कबीर को मार डाले ऐसा ही किया गया तीनों ओर दर्शकों की भीड़ थी हाथी को लेकर महावत कबीर जी की ओर चला तो हाथी मस्ती में भरकर कबीर परमेश्वर को मारने चला कबीर जी के हाथ पैर बांधकर पृथ्वी पर डाल रखा था जब हाथी परमेश्वर कबीर जी से 10 कदम दूर रह गया तो परमेश्वर कबीर के पास बब्बर शेर खड़ा दिखाई दिया। हाथी डर से चिल्लाकर दुम दबाकर वापस भागने लगा। परमेश्वर कबीर जी के सब रस से टूट गए और परमात्मा खड़े हुए तथा इतने लंबे बढ़ गए कि आसमान को लगे दिखाई दे रहे थे। शरीर से अजब प्रकाश निकल रहा था। उसे देखकर दिल्ली का सम्राट सिकंदर भयभीत होकर मचान से उतरकर परमेश्वर के चरणो में गिर गया और बोला कि सिर्फ अबकी बार मेरा गुनाह क्षमा कर दो यह दृश्य केवल सिकंदर राजा को ही नजर आ रहा था फिर कबीर जी ने अपना सामान्य स्वरूप बना लिया और राजा को समझा कर अपनी कुटिया पर चले गए।

सिकंदर राजा को तथा वीर सिंह बघेल राजा को कबीर जी के चरणों में गिरते देख शेखतकी ईर्ष्या से जल भुन गया तथा उपस्थित जनता से कहा कि कबीर जी ने जंत्र मंत्र करके हाथी को भगा दिया।

सूक्ष्म वेद में लिखा है:-

कबीर, राज तजना सहज है, सहज तरिया का नेह।
मान बढाई ईर्ष्या, दुर्लभ तजना येह।।

शेख तकी ने परमेश्वर कबीर जी के साथ 52 बदमाशी की लेकिन हर बार निष्फल रहा।

कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है, अल्लाहु अकबर हैं। सर्व सृष्टि रचनहार तथा अविनाशी परमात्मा है। जो अपनी आत्माओं को काल की कैद से निकालने के लिये स्वयं आते हैं।

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  24 June 2021कबीर साहेब को दी गयी बावन कसनी।"कबीर साहेब को मारने की निष्फल कुचेष्टा"कबीर साहेब को मारने के लिए एक दिन श...
14/06/2021

24 June 2021

कबीर साहेब को दी गयी बावन कसनी।

"कबीर साहेब को मारने की निष्फल कुचेष्टा"
कबीर साहेब को मारने के लिए एक दिन शेखतकी ने सूखी लकड़ियों को इकट्ठा करवाकर उस पर आसन लगाकर कबीर साहेब को बैठा दिया और नीचे से आग लगा दी। लेकिन वो कबीर साहेब का बाल भी बांका नहीं कर सका क्योंकि कबीर साहेब समर्थ परमात्मा हैं।

"कबीर साहेब को सरसों के
गर्म तेल के कड़ाहे में डालना"
कबीर परमेश्वर को शेखतकी ने उबलते हुए तेल में बिठाया लेकिन कबीर साहेब ऐसे बैठे थे जैसे कि तेल गर्म ही ना हो। सिकन्दर बादशाह ने तेल के परीक्षण के लिए अपनी उंगली डाली, तो उसकी उंगली जल गई।
लेकिन अविनाशी कबीर परमेश्वर जी को कुछ भी नहीं हुआ।

"शेखतकी द्वारा कबीर साहेब को गहरे कुएं में डालना"
शेखतकी ने कबीर साहेब को बांध कर गहरे कुए में डाल दिया, ऊपर से मिट्टी, ईंट और पत्थर से 150 फुट कुएं को पूरा भर दिया। फिर शेखतकी सिकन्दर राजा के पास गया वहां जाकर देखा तो कबीर परमेश्वर पहले से ही विराजमान थे।

दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेखतकी ने कहा कि अगर यह कबीर अल्लाह है तो इसकी परीक्षा ली जाए, कोई मुर्दा जीवित करे। तब सर्वशक्तिमान कबीर परमात्मा ने दरिया में बहते आ रहे एक लडके के शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया। उसका नाम कमाल रखा। कबीर परमेश्वर समर्थ भगवान हैं।
पूर्ण परमात्मा ही मृत व्यक्ति को जीवित कर सकता है।

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24 June



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कबीर परमेश्वर को मारने के लिए किए गए निरर्थक प्रयास।कबीर परमेश्वर जब सतलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुए और अपने सत्य ज्ञान का...
14/06/2021

कबीर परमेश्वर को मारने के लिए किए गए निरर्थक प्रयास।

कबीर परमेश्वर जब सतलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुए और अपने सत्य ज्ञान का प्रचार किया तो तत्कालीन मुस्लिम धर्मगुरु शेख तकी ने उनके ज्ञान का विरोध किया और उन को मारने के लिए 52 बार कुचेष्टाएँ की।

दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेखतकी ने कहा कि अगर यह कबीर अल्लाह है तो इसकी परीक्षा ली जाए कोई मुर्दा जीवित करे तब सर्वशक्तिमान कबीर परमात्मा ने दरिया में बहते आ रहे एक लड़के के शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया। उसका नाम कमाल रखा। कबीर परमेश्वर समर्थ भगवान हैं। पूर्ण परमात्मा ही मृत व्यक्ति को जीवित कर सकता है।

शेखतकी ने जुल्म गुजारे, बावन करी बदमाशी, खूनी हाथी के आगे डाले, बांध जूड अविनाशी, हाथी डर से भाग जासी, दुनिया गुण गाती है।

शेखतकी ने अविनाशी को मारने के लिए खूनी हाथी के आगे डाला। हाथी कबीर भगवान के पास जाते ही डर कर भाग गया। तब लोगों ने कबीर साहेब की जय-जय कार की कबीर भगवान अविनाशी है।

कबीर साहेब सिकंदर लोधी के दरबार में बैठकर सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि लोहे को गर्म करके पिघलाकर पानी की तरह बनाओ और कबीर साहेब पर डालो। ठीक ऐसा ही हुआ जब लोहा गर्म करके पिघलाकर कबीर साहेब पर डाला तब वह फूल बन गए जैसे कि मानो फूलों की वर्षा होने लगी। तब सभी ने कबीर साहेब की जय-जयकार लगाई।

कबीर साहेब को मारने के लिए शेखतकी ने तलवार से वार करवाये। लेकिन तलवार कबीर साहेब के आर-पार हो जाती क्योंकि कबीर साहेब का शरीर पाँच तत्व का नहीं बना था उनका नूरी शरीर था। फिर सभी लोगों ने कबीर साहेब की जय जयकार की।

साहेब कबीर को मारण चाल्या, शेखतकी जलील। आर-पार तलवार निकल ज्या, समझा नहीं खलील ।।

गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि उत्तम पुरूष अर्थात् पुरूषोत्तम तो कोई अन्य ही है, जिसे परमात्मा कहा गया है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है, वह वास्तव में अविनाशी है।

गीताजी अध्याय 2 श्लोक 17
“अविनाशि, तु, तत्, विद्धि, येन्, सर्वम्, इदम्, ततम्,
विनाशम्, अव्ययस्य, अस्य, न, कश्चित्, कर्तुम्, अर्हति ।।

भावार्थ: उसको अविनाशी/अमर जान, जिससे इस सम्पूर्ण दृष्टिगोचर विश्व की उत्पत्ति हुई है। कोई भी उस अविनाशी का विनाश करने में सक्षम नहीं है।”

कबीर परमेश्वर ही पूर्ण परमात्मा है वही संपूर्ण सृष्टि के जनक है उनका नाश नहीं होता वे ही अविनाशी हैं। अविनाशी को कोई मार नहीं सकता । परमात्मा को अजन्मा,अजर,अमर कहा जाता है। सभी देवी-देवताओं का जन्म और मृत्यु होती है, वे अविनाशी नहीं हैं।

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