Dimanding History

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14/11/2023

9 out of 9 देशवसियों के लिए दीपावली का धमाकेदार उपहार भारतीय क्रिकेट टीम की ओर से। सभी खिलाड़ियों को जीत की हार्दिक बधाई, जय हो ! वन्देमातरम् ! 🇮🇳

14/11/2023

जब मन पसंद शक्स सामने हो
तो कुछ भी असंभव नही होता ..🙌🙌

11/11/2023
17 अगस्त 1666 में शिवाजी महाराज ने  औरंगजेब की सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर आगरा की कैद से मुक्ति पा ली थी और 91 दिन की...
29/09/2023

17 अगस्त 1666 में शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर आगरा की कैद से मुक्ति पा ली थी और 91 दिन की यात्रा कर महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में पहुंच गए थे। विभिन्न इतिहासकारों के दिए विवरण से हमें पता चलता है कि कितना बड़ा काम था.

इतिहासकार जदुनाथ सरकार अपनी किताब 'शिवाजी एंड हिज़ टाइम्स' में लिखते हैं, ''जय सिंह ने शिवाजी को यह उम्मीद दिलाई कि हो सकता है कि औरंगज़ेब से मुलाकात के बाद कि वो दक्कन में उन्हें अपना वायसराय बना दें और बीजापुर और गोलकुंडापर कब्ज़ा करने के लिए उनके नेतृत्व में एक फौज भेजें."

शिवाजी अपनी माँ जीजाबाई को राज्य का संरक्षक बनाकर 5 मार्च, 1666 को औरंगज़ेब से मिलने आगरा के लिए निकल पड़े।

9 मई, 1666 को शिवाजी आगरा के बाहरी इलाके में पहुंच चुके थे, जहाँ उस समय औरंगज़ेब का दरबार लगा हुआ था.

तय हुआ कि 12 मई को उनकी औरंगज़ेब से मुलाकात कराई जाएगी। राम सिंह ने शिवाजी को उनके बेटे संभाजी और 10 अर्दलियों के साथ दीवाने आम में औरंगज़ेब के सामने पेश किया.

मराठा प्रमुख की तरफ़ से औरंगज़ेब को 2,000 सोने की मोहरें 'नज़र' और 6,000 रुपये 'निसार' के तौर पर पेश किए गए। शिवाजी ने औरंगज़ेब के सिंहासन के पास जाकर उन्हें तीन बार सलाम किया.

एक क्षण के लिए दरबार में सन्नाटा छा गया. औरंगज़ेब ने सिर हिलाकर शिवाजी के उपहार स्वीकार किए. फिर बादशाह ने अपने एक सहायक के कान में कुछ कहा. वो उन्हें उस जगह पर ले गया जो तीसरे दर्जे के मनसबदारों के लिए पहले से ही नियत थी। दरबार की कार्यवाही बदस्तूर चलने लगी. शिवाजी को इस तरह के रूखे स्वागत की उम्मीद नहीं थी.

जदुनाथ सरकार लिखते हैं कि शिवाजी को ये बात पसंद नहीं आई कि औरंगज़ेब ने आगरा के बाहर उनका स्वागत करने के लिए राम सिंह और मुख़लिस ख़ाँ जैसे मामूली अफ़सर भेजे.

दरबार में सिर झुकाने के बावजूद शिवाजी के लिए न तो कोई अच्छा शब्द कहा गया और न ही उन्हें कोई उपहार दिया गया। उन्हें साधारण मनसबदारों के बीच कई पंक्तियाँ पीछे खड़ा करवा दिया गया, जहाँ से उन्हें औरंगज़ेब दिखाई तक नहीं पड़ रहे थे.

तब तक शिवाजी का पारा सातवें आसमान तक पहुंच चुका था। उन्होंने राम सिंह से पूछा कि उन्हें किन लोगों के बीच खड़ा किया गया है?

जब राम सिंह ने बताया कि वो पाँच हज़ारी मनसबदारों के बीच खड़े हैं तो शिवाजी चिल्लाए, ''मेरा सात साल का लड़का और मेरा नौकर नेताजी तक पाँच हज़ारी है. बादशाह की इतनी सेवा करने और इतनी दूर से आगरा आने का बावजूद मुझे इस लायक समझा गया है?''

फिर शिवाजी ने पूछा, ''मेरे आगे कौन महानुभाव खड़े हैं?'' जब राम सिंह ने बताया कि वो राजा राय सिंह सिसोदिया हैं तो शिवाजी चिल्लाकर बोले, ''राय सिंह राजा जय सिंह के अदना मातहत हैं. क्या मुझे उनकी श्रेणी में रखा गया है?''

औरंगज़ेब के पहले 10 वर्षों के शासन पर लिखी किताब 'आलमगीरनामा' में मोहम्मद काज़िम लिखते हैं, ''अपने अपमान से नाराज़ होकर शिवाजी राम सिंह से ऊँचे स्वर में बात करने लगे. दरबार के क़ायदे क़ानून का पालन न हो पाने से परेशान राम सिंह ने शिवाजी को चुप कराने की कोशिश की लेकिन वो कामयाब नहीं हुए.''

शिवाजी की तेज़ आवाज़ सुन कर औरंगज़ेब ने पूछा कि यह शोर कैसा है? इस पर राम सिंह ने कूटनीतिक जवाब दिया, ''शेर जंगल का जानवर है. वो यहाँ की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है और बीमार पड़ गया है.''

उन्होंने औरंगज़ेब से माफ़ी माँगते हुए कहा कि दक्कन से आए इन महानुभाव को शाही दरबार के क़ायदे-कानून नहीं पता हैं.

इस पर औरंगज़ेब ने कहा कि शिवाजी को बगल के कमरे में ले जाकर उनके ऊपर गुलाब जल का छिड़काव किया जाए. जब वो ठीक हो जाएं तो उन्हें दरबार ख़त्म होने का इंतेज़ार किए बिना सीधे उनके निवास स्थान पर पहुंचा दिया जाए.

राम सिंह को हुक्म हुआ कि वो शिवाजी को आगरा शहर की चारदीवारी से बाहर जयपुर सराय में ठहराएं.

जैसे ही शिवाजी जयपुर निवास पहुंचे, घुड़सवारों की एक टुकड़ी ने निवास को चारों तरफ़ से घेर लिया. थोड़ी देर में कुछ पैदल सैनिक भी वहाँ पहुंच गए. उन्होंने अपनी तोप का मुँह भवन के हर दरवाज़े की तरफ़ मोड़ दिया.

जब कुछ दिन बीत गए और सैनिक चुपचाप शिवाजी की निगरानी करते रहे तो यह साफ़ हो गया कि औरंगज़ेब की मंशा शिवाजी को मारने की नहीं थी.

डेनिस किंकेड अपनी किताब 'शिवाजी द ग्रेट रेबेल' में लिखते हैं, ''हाँलाकि शिवाजी को वो भवन छोड़ने की मनाही थी ,जहाँ वो रह रहे थे लेकिन तब भी औरंगज़ेब उन्हें गाहेबगाहे विनम्र संदेश भेजते रहे.''

उन्होंने उनके लिए फलों की टोकरियाँ भी भिजवाईं गई. शिवाजी ने प्रधान वज़ीर उमदाउल मुल्क को संदेश भिजवाया कि बादशाह ने उन्हें सुरक्षित वापस भेजने का वादा किया था लेकिन उसका कुछ असर नहीं हुआ। धीरे-धीरे शिवाजी को ये एहसास होने लगा कि औरंगज़ेब उन्हें भड़काना चाह रहे हैं ताकि वो कुछ ऐसा काम करें जिससे उन्हें मारने का बहाना मिल जाए.

भवन की निगरानी कर रहे सैनिकों ने अचानक महसूस किया कि शिवाजी के व्यवहार में परिवर्तन आना शुरू हो गया. वो खुश दिखाई देने लगे.

वो उनकी सुरक्षा में लगे सैनिकों के साथ हँसी-मज़ाक करने लगे. उन्होंने सैनिक अफ़सरों को कई उपहार भिजवाए और उनको ये कहते सुना गया कि आगरा का मौसम उन्हें बहुत रास आ रहा है।

शिवाजी ने ये भी कहा कि वो बादशाह के बहुत एहसानमंद हैं कि वो उन के लिए फल और मिठाइयाँ भिजवा रहे हैं. शासन की आपाधापी से दूर उन्हें आगरा जैसे सुसंस्कृत शहर में रह कर बहुत मज़ा आ रहा है.

इस बीच औरंगज़ेब के जासूस उन पर दिन-रात नज़र रखे हुए थे. उन्होंने बादशाह तक ख़बर भिजवाई कि शिवाजी बहुत संतुष्ट नज़र आते हैं.

डेनिस किंकेड लिखते हैं, ''औरंगज़ेब के आश्वस्त करने के लिए शिवाजी ने उन तक संदेश भिजवा कर पूछा कि क्या उनकी पत्नी और माँ उनके पास आ कर रह सकते हैं? औरंगज़ेब इसके लिए राज़ी हो गए. उन्होंने सोचा कि कोई शख़्स अपनी महिलाओं को बंधक के रूप में रख कर निकल भागने का ख़याल तो अपने मन में नहीं ही लाएगा. यह सही है कि शाही अनुमति मिलने के बावजूद शिवाजी के परिवार की महिलाएं उनके पास नहीं पहुंची.''

कारण बताया गया कि शायद उस इलाके में बारिश की वजह से वो इतना लंबा सफ़र नहीं कर पा रही हैं.

कुछ दिन बाद शिवाजी ने यह पेशकश कर दी कि वो अपने साथ आए मराठा घुड़सवारों को वापस भेजना चाहते हैं. बादशाह ख़ुद उन सैनिकों से पीछा छुड़ाना चाह रहे थे. वो यह जान कर खुश हो गए कि शिवाजी ने ख़ुद यह इच्छा प्रकट की है.

शिवाजी ने बहाना किया कि वो बीमार हैं. मुगल पहरेदारों को उनकी कराहें सुनाई देने लगी. अपने को ठीक करने के प्रयास में वो अपने निवास के बाहर ब्राह्मणों और साधुओं को हर शाम मिठाइयाँ और फल भिजवाने लगे.

बाहर तैनात सैनिकों ने कुछ दिनों तक तो बाहर जाने वाले सामान की तलाशी ली लेकिन फिर उन्होंने उसकी तरफ़ ध्यान देना बंद कर दिया.

जदुनाथ सरकार अपनी किताब 'शिवाजी एंड हिज़ टाइम्स' में लिखते हैं, ''19 अगस्त 1666 को शिवाजी ने बाहर तैनात सैनिकों को कहला भेजा कि वो बहुत बीमार हैं और बिस्तर पर लेटे हुए हैं. उनके आराम में व्यवधान न डाला जाए और किसी को अंदर न भेजा जाए.''

दूसरी तरफ़ शिवाजी के सौतेले भाई हीरोजी फ़रजाँद जिनकी शक्ल उनसे मिलती जुलती थी, उनके कपड़े और उनका मोतियों का हार पहन कर उनकी पलंग पर लेट गए. उन्होंने कंबल से अपने सारे शरीर को ढ़क लिया. उनका सिर्फ़ एक हाथ दिखाई देता रहा, जिसमें उन्होंने शिवाजी के सोने के कड़े पहन रखे थे.

शिवाजी और उनके बेटे संभाजी फलों की एक टोकरी में बैठे, जिसे मज़दूर बाँस के सहारे कंधे पर उठाकर भवन से बाहर ले आए. निगरानी कर रहे सैनिकों ने उन टोकरियों की तलाशी लेने की ज़रूरत नहीं महसूस की.

इन टोकरियों को शहर के एकांत वाले इलाके में ले जाया गया. वहाँ से मज़दूरों को वापस भेज दिया गया. शिवाजी और उनके बेटे टोकरियों से निकलकर आगरा से छह मील दूर एक गाँव में पहुंचे जहाँ उनके मुख्य न्यायाधीथ नीरजी रावजी उनका इंतज़ार कर रहे थे.

एसएम पगाड़ी अपनी किताब छत्रपति शिवाजी में लिखते हैं, ''यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि शिवाजी टोकरी में बैठकर ही बाहर आए. वो इस तरह के व्यक्ति नहीं थे कि टोकरी में बैठकर पूरी तरह से असहाय बन जाएं. शिवाजी का नौ साल का बेटा संभाजी ज़रूर टोकरी के अंदर बैठा होगा लेकिन शिवाजी मज़दूर के वेश में खुद टोकरी लेकर बाहर आए होंगे.''

इस बीच हीरोजी रातभर और अगले दिन दोपहर तक उस पलंग पर लेटे रहे. सैनिकों ने जब शिवाजी के कमरे में झाँककर देखा तो वो यह देखकर संतुष्ट हो गए कि शिवाजी के सोने के कड़े बिस्तर पर लेटे व्यक्ति के हाथ में दिखाई दे रहे हैं और ज़मीन पर बैठा एक व्यक्ति उनके पैरों की मालिश कर रहा है। करीब तीन बजे हीरोजी चुपके से एक नौकर के साथ घर के बाहर निकल गए। इस बीच हीरोजी रातभर और अगले दिन दोपहर तक उस पलंग पर लेटे रहे. इतने समय मे छत्रपति शिवाजी औरंगजेब की पकड़ से बहुत दूर चले गए.

साभार

#इतिहासनामा

26/09/2023

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बच्चे इस आस में बैठे थे की पिता शाम कों खाना लाएंगे ओर् पिता बच्चों की नजरों से छिप कर बाहेर बैठा था बारिस में  भीगते हु...
26/09/2023

बच्चे इस आस में बैठे थे की पिता शाम कों खाना
लाएंगे ओर् पिता बच्चों की नजरों से छिप कर बाहेर बैठा था बारिस में भीगते हुय की बच्चो की आस ना टूटे सायेद कही से इंतजाम हो जाय् लेकिन पानी की वजह से कोई काम नहीं मिला काम नहीं मिला तो दाम नही मिला दाम नहीं मिला तो दाना कहा नसीब में था ओर् जिनको नसीब होता है तो कै लोग कहते ऐसा बना वैसा बना दोस देते है सादी पार्टी में प्लेटो में फेकते है इन बच्चों से पूछिए एक एक दाने की अहमियत 🙏

 #सोमनाथ का मन्दिर लूट कर महमूद गजनबी वापिस गजनी जा रहा था। उसके साथ एक लाख सेना थी।एक पड़ाव पर जैसे ही सेना पहुँची कि ड...
24/09/2023

#सोमनाथ का मन्दिर लूट कर महमूद गजनबी वापिस गजनी जा रहा था। उसके साथ एक लाख सेना थी।

एक पड़ाव पर जैसे ही सेना पहुँची कि डेढ़ सौ घुड़सवारों का एक जत्था लोहा लेने के लिये तीर की तरह बढ़ता आ रहा था ।
टुकड़ी का नेतृत्व एक सत्तर वर्ष का बूढ़ा #राजपूत कर रहा था ।

महमूद गजनबी समझ नहीं सका कि इतनी छोटी टुकड़ी आखिर क्यों एक लाख सेना से लड़ कर अपने को समाप्त करने आ रही है।
उसने दूत भेजा और इन लड़ाकुओं का मंतव्य पुछवाया।

बूढ़े नायक ने कहा— बादशाह से कहना कि संख्या और साधन बल में इतना अन्तर होने पर भी लड़ने का क्या परिणाम हो सकता है सो हम जानते हैं।
पर भूलें यह भी नहीं कि अनीति को जीवित रहते कभी सहन नहीं करना चाहिये।

घुड़सवारों की टुकड़ी जान हथेली पर रख कर इस तरह लड़ी कि डेढ़ सौ ने देखते−देखते डेढ़ हजार को धराशायी बना दिया।
भारी प्रतिरोध में वह दल मर खप कर समाप्त हो गया।

पर मरते दम तक वे कहते रहे कि यदि हम आज एक हजार भी होते तो इन एक लाख से निपटने के लिये पर्याप्त थे ।

इस बिजली झपट लड़ाई का महमूद पर भारी प्रभाव पड़ा।
वह राजपूतों की अद्भुत वीरता पर अवाक् रह गया।

भविष्य की नीति निर्धारित करते हुए उसने नया आधार ढूँढ़ा।
भारतीयों को बल से नहीं जीता जा सकता, उन पर विजय पाने के लिए छल का प्रयोग करना चाहिए।

क्योंकि इस देश के निवासी छल से परिचित ही नहीं है।।

और आज भी कुछ लोग हिन्दुओ में जाती, पाती, ऊच, नीच, दलित, स्वर्ण जेसे छल का प्रयोग करके उन्हें बाँट रहे है ।

यही हमारी कमजोरी है और यही हमारा पतन भी ।

अंग्रेजो ने शिक्षा व्यवस्था बदल दी, संस्कृति बदल दी।


हर हर महादेव

दिसंबर, 1232 ई. में सुल्तान इल्तूतमिश ने ग्वालियर दुर्ग को घेर लिया। इस समय दुर्ग पर प्रतिहार राजपूत शासक सारंगदेव जी का...
22/09/2023

दिसंबर, 1232 ई. में सुल्तान इल्तूतमिश ने ग्वालियर दुर्ग को घेर लिया। इस समय दुर्ग पर प्रतिहार राजपूत शासक सारंगदेव जी का अधिकार था।

करीब एक वर्ष तक इल्तूतमिश ने अपनी फौज समेत दुर्ग पर घेरा डाले रखा। नवम्बर, 1233 ई. में दुर्ग में रानी तोंवरी देवी के नेतृत्व में जौहर हुआ।

सारंगदेव जी ने अपने साथी राजपूतों समेत सुल्तान की फौज का जमकर मुकाबला किया। इस लड़ाई में सारंगदेव जी की तरफ से सभी वीर काम आए, जिनकी संख्या 1500 बताई जाती है।

इल्तूतमिश की तरफ से मरने वाले सैनिकों की संख्या 5360 बताई जाती है। ग्वालियर दुर्ग पर अधिकार करने वाले शासकों में सारंगदेव जी प्रतिहार वंश के अंतिम शासक थे।

05/08/2023

मौत के बदले में जब खुद की मौत दिखेगी तभी हिंसा रुकेगी।
इसका अन्य कोई उपाय नही है, कोई भी उपाय नही।
प्रतिकार नही होगा तो हिंसा नही रुकेगी।

50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है ...
04/08/2023

50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है : अब वो ज़माना नहीं रहा की पिछले जन्म का कर्जा अगले जन्म में चुकाना है आधुनिक युग में सब कुछ हाथों हाथ हैं l
** सु:खमय वृद्धावस्था **
---------------------------------
1:- अपने स्वंय के स्थायी आवास पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का
आनंद ले सकें !
2 :- अपना बैंक बैलेंस और भौतिक संपति अपने पास रखें, अति प्रेम में
पड़कर किसी के नाम करने की ना सोंचे !
3 :- अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में
आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता
भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर
पाते हैं !
4 :- उन लोगों को अपने मित्र समूह में शामिल करें जो आपके
जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हों, यानी सच्चे हितैषी हों ! ..
5 :- किसी के साथ अपनी तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई
उम्मीद रखें !
6 :- अपनी संतानों के जीवन में दखल अन्दाजी ना करे , उन्हें अपने
तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप अपने तरीके से जीवन
व्यतीत करें !
7 :- आप अपनी वृद्धावस्था का आधार बनाकर किसी से सेवा
करवाने तथा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें !
8 :- लोगों की बातें सुनें लेकिन अपने स्वतंत्र
विचारों के आधार पर निर्णय लें !
9 :- प्रार्थना करें लेकिन भीख ना मांगें, यहाँ तक कि भगवान से भी
नहीं, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफी एंव हिम्मत !
10 :- अपने स्वास्थ्य का स्वंय ध्यान रखें चिकित्सीय परीक्षण के
अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टीक भोजन खाएं
और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें ! छोटे कष्टों पर
ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरीक परेशानियां
चलती रहतीं हैं !
11 :- अपने जीवन को उल्हास पूर्वक जीने का प्रयत्न करें,
खुद प्रसन्न रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें !
12 :- प्रति वर्ष भ्रमण / छोटी - छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य
जाएं, इससे आपके जीने का नज़रिया भी बदलेगा !
13 :- किसी भी तरह के टकराव को टालें एंव तनाव रहित जीवन
को जिएं !
14 :- जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं रहता , चिंताएं भी नहीं,
इस बात का विश्वास करें !
15 :- अपने सामाजिक दायित्वों, जिम्मेदारियों को अपने रिटायरमेंट तक
पूरा कर लें, याद रखें .. !! जब तक आप अपने
लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं .. !!
🙏🥰🙏🥰🙏

्री_राम 🙏🌹
#राधेराधे 🙏🌹
#जयमातादी 🙏🌹

आजकल लड़के लड़कियां भाग कर शादी कर रहें हैं ना जाति देख रहें हैं ना ही खानदान देख रहें हैं जिसको जहां लग रहा वही भाग रहा...
31/07/2023

आजकल लड़के लड़कियां भाग कर शादी कर रहें हैं ना जाति देख रहें हैं ना ही खानदान देख रहें हैं जिसको जहां लग रहा वही भाग रहा है सर पर प्यार करने का भुत चढ़ गया है।

प्यार का मतलब तक जिसे नहीं पता वो भी का खेल खेल कर प्रेम नाम का तमाशा बना दिया है, प्रेम का मतलब जानना है तो उस माँ से जानों उस बाप से पुछो कैसे पैदा किया, कितना दुख झेला, कैसे जवान किया, कैसे पढ़ा लिखा कर विकसित बनाया, अपने औलाद की खुशी के लिए अपने एक कर्म बाकि नहीं रखते हैं माता पिता,

यह सब सोचना पता चल जायेगा प्यार क्या होता, दो दिन का प्यार माँ बाप से बड़ा नही होता है, माँ बाप का प्यार अनमोल है, हम कभी उस का मोल नही चुका सकते है। उस माँ से जरूर यह पूछना की 9 महीने तक कैसे पेट मे रखा क्या दर्द होता है, तुम लात मारते हो पर माँ कहती हैं हस कर देखो मेरा बेटा या बेटी लात मार रहे है पर फिर भी वह माँ लालन पालन में कोई कमी नही रखती है।

अच्छे से अच्छा आहार खायेगी, किसके लिए औलाद के लिए। और औलाद ही जवान होकर माँ बाप को लात मार कर भाग जाते है। एक झूठे रिश्ते कि खातिर।

मे नही मानता ऐसे प्यार को, जो किसी को दुख पहुंचा कर किया जाये। तुम तो भाग जाते हो पर उनके अरमानों को तुम एसी लात मारते हो की वह रोये या पछतावा करे। समझ मे नही आता है।

माता पिता आपके लिए अच्छा ही सोचते है बूरा नही उनकी पसंद को हमेशा। उपर रखो ओर गर्व करो।
माँ बाप को पैदा करने कि मशीन ना समझो। भगवान समझो उन को।

और हां एक बात और कह दूं जो कुलीच औलादें अपने मां बाप को दुख पहुंचा कर अपने लिए खुशियां ढूंढते है वह संसार के किसी भी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च कहीं पर भी माथा टेक लें पर उन्हें कभी भी खुशी नहीं मिलती है!
❤️धन्यवाद ❤️

पिछले 40-50 सालों में मर्दों की मर्दानगी 80% तक कम हो चुकी है। अब कुछ लोंगो को मर्दानगी का सिर्फ़ एक ही मतलब पता है, ख़ैर ...
30/07/2023

पिछले 40-50 सालों में मर्दों की मर्दानगी 80% तक कम हो चुकी है। अब कुछ लोंगो को मर्दानगी का सिर्फ़ एक ही मतलब पता है, ख़ैर वो उनकी सोच है ।

मर्दानगी का मतलब है पुरुषार्थ से, क्या हम एक पुरुष होने का पूरा हक़ अदा कर रहे हैं,
आज कल ज़्यादातर कमज़ोर मर्दों में कोई युद्ध की सोच नहीं, न जीत की, न ज़िम्मेदारी की, न भरोसा, न साथ , न प्यार, न परिवार, सब कुछ एकदम शून्य हो चुका है, उनके अंदर का पुरुष मर चुका है।
कुछ पुरुष महिलाओं की खूबसूरती के ग़ुलाम हैं, कुछ नशे के, कुछ मोटी थोन्द वाले खाने के,कुछ महिलाओं से भी ज़्यादा महिला बन चुके हैं।
बात आती है कि आज के मकड़जाल वाले समय में भी मर्दाना कैसे बना जाए-
उसके लिए अच्छी किताबें पढ़ो, वर्कआउट करो, पोर्न वीडियो मत देखो, कम से कम 8 घण्टे सोना, लड़कियों का पीछा छोड़ना, खुदपर काम करना, नेगेटिविटी से दूर रहना और सबसे जरूरी अपना मक़सद हमेशा याद रखें।
कठिनाई और संघर्ष का अनुभव करने से पुरुष ज़्यादा सुंदर हो जाते हैं।

Post अच्छी लगी हो तो follow कर लें 🙏 Adv Yogendra Mishra

और भारत के युवाओ को सही राह पर लाने में हमारा सहयोग करें 🙏🙏🙏

27/07/2023

कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है!

डॉ. गुप्ता कहते हैं, लापरवाही के अलावा कैंसर से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। (1). पहला कदम चीनी का सेवन बंद करना है। आपके शरीर में चीनी के बिना, कैंसर कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से मर जाती हैं।
(2). दूसरा कदम यह है कि एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाएं और इसे सुबह भोजन से पहले 1-3 महीने तक पिएं और कैंसर खत्म हो जाएगा। मैरीलैंड मेडिकल रिसर्च के अनुसार, गर्म नींबू पानी कीमोथेरेपी से 1000 गुना बेहतर, मजबूत और सुरक्षित है।
(3). तीसरा कदम है सुबह और रात को 3 बड़े चम्मच ऑर्गेनिक नारियल तेल पिएं, कैंसर गायब हो जाएगा, आप चीनी से परहेज सहित अन्य दो उपचारों में से कोई भी चुन सकते हैं।
अज्ञानता एक बहाना नहीं है। मैं यह जानकारी 5 वर्षों से अधिक समय से साझा कर रहा हूं। अपने आस-पास के सभी लोगों को बताएं, कैंसर से मरना किसी के लिए भी अपमान है; जीवन बचाने के लिए व्यापक रूप से साझा करें।

26/07/2023

कारगिल विजय दिवस पर सभी शहीद सैनिकों को शत-शत नमन।

 #अंतिम इच्छारात के करीब 3:30 बजे फोन की घंटी बजती है,महिला... हेलो....हां जी कौन...?एक बुजुर्ग की कपकपाती आवाज.....बेटा...
25/07/2023

#अंतिम इच्छा

रात के करीब 3:30 बजे फोन की घंटी बजती है,
महिला... हेलो....हां जी कौन...?
एक बुजुर्ग की कपकपाती आवाज.....
बेटा मैं बाबूजी.... तुम्हारी मां की तबीयत बहुत खराब है!
शायद तुम बिजली का बिल भरना भूल गए हो,
लाइट कट गई है,
पड़ोस वाले शर्मा जी की बेटी की शादी है, तो सभी पड़ोसी शादी में गए हैं।
तुम्हारी मां की तबीयत खराब होने के कारण हम लोग नहीं जा पाए।घर में राशन भी नहीं है।
तुम कहां हो जल्दी से घर आ जाओ।
महिला:-...हेलो.... कौन बाबू जी?....
लगता है आपने कोई गलत नंबर मिला दिया है?
बुजुर्ग:- बेटा माफ करना, हर बार मेरा बेटा ही मुझे फोन करता है, इसलिए मुझे अपने बेटे का नंबर नहीं पता,।
फोन डायरेक्टरी में से ढूंढ कर एक नंबर लगाया था,
जो गलती से तुम्हें लग गया,।
महिला:- बाबूजी आप परेशान ना हो,
मैं अभी एंबुलेंस को फोन कर देती हूं, आप अपने घर का पता लिखवाइए l
बुजुर्गों ने पता लिखवाया,
महिला :- बाबूजी मैं भी जल्द ही इस पते पर आती हूं!
महिला ने एंबुलेंस को फोन किया और घर से निकल गई।
थोड़ी देर बाद एंबुलेंस से डॉक्टर का फोन आया,
हेलो मैडम ....आपने जो पता लिखवाया था, वहां पर एक बुजुर्ग दंपत्ति की लाश मिली है!
महिला भावुक हो गई, डॉक्टर साहब आप थोड़ी देर रुकिए मैं जल्दी पहुंचती हूं।
महिला वहां पहुंची, बुजुर्ग महिला सोफे पर मृत पड़ी हुई थी।
वह बूढ़ा व्यक्ति एक हाथ में मोबाइल दूसरे हाथ में फोन डायरेक्टरी लिए हुए जमीन पर मृत पड़ा था।
महिला ने अपने मोबाइल से उन बुजुर्ग दंपत्ति की कुछ तस्वीरें ली। डॉक्टर के चेक करने के बाद यह पता चला कि, इन दोनों की मृत्यु 4,5 घंटे पहले हो चुकी है।
महिला:- यह कैसे हो सकता है?... अभी कुछ देर पहले ही तो मुझसे बात हुई है,
यह देखिए मेरा मोबाइल इसमें नंबर होगा,
महिला ने अपने मोबाइल को देखा उसमें कोई नंबर नहीं था।
महिला आश्चर्यचकित हुई....
पुलिस की मदद से उसके बेटे का पता लगाया,
सुबह पड़ोसी आए,पड़ोसियों ने बताया कि कई साल से बेटा घर नहीं आया है।
वह बस हर महीने खर्चे के लिए रुपए भेज देता है। उनकी हालत देख कर लग रहा था कि दो-तीन महीने से बेटे ने पैसे नहीं भेजे हैं।
घर में कुछ राशन भी नहीं था, अपने बेटे की इज्जत छुपाने के लिए पड़ोसियों से यह सब बातें नहीं बताई थी।
महिला ने बेटे को फोन किया और घटना की जानकारी दी।
बेटे ने कहा मेरी आज बहुत जरूरी मीटिंग है, मैं नही आ सकता।
आप अंतिम संस्कार कर दो।
मैं दो-चार दिन में आकर प्रॉपर्टी का काम देख लूंगा।
महिला ने गुस्से में कहा.....
मैं तुम्हें कुछ तस्वीरें भेज रही हूं,
जिस हाल में तुम्हारे पिता की मृत्यु हुई है, वह शायद उनकी अंतिम इच्छा थी , कि वो तुमसे बात कर सके,
इस फोटो को कभी डिलीट मत करना,
यही तुम्हारा भविष्य होगा।
यह सब जानकर बहुत दुख होता है, कि जो मां बाप अपने बेटे को खून पसीना बहा कर पढ़ाते लिखाते हैं, वही औलाद एक दिन अपने बुजुर्ग माता-पिता के अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं आती है।
अफसोस है ऐसी औलाद पर!
एक बुजुर्ग दंपत्ति की अंतिम इच्छा, अपने बेटे से बात करने की।....
अधूरी रह गई......... अन्तिम इच्छा.........

सुना है उसने खरीद लिया है करोड़ों का घर शहर मेंमगर आंगन दिखाने आज भी वो बच्चों को गांव लाता है..
24/07/2023

सुना है उसने खरीद लिया है करोड़ों का घर शहर में

मगर आंगन दिखाने आज भी वो बच्चों को गांव लाता है..

23/07/2023

याददास्त सिर्फ हादसे के बाद ही नहीं उधारी लेने के बाद भी चली जाती है🙂

"दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे....!"स्वतंत्रता संग्राम की यज्ञ वेदी में अपने प्र...
23/07/2023

"दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे....!"

स्वतंत्रता संग्राम की यज्ञ वेदी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले, माँ भारती के अमर सपूत, महान क्रांतिकारी वीर चंद्रशेखर आजाद जी की जयंती पर शत्-शत् नमन।

राष्ट्र के प्रति आपका अद्वितीय प्रेम एवं समर्पण अविस्मरणीय है।

आजकल शहरो में बाइक की सीट पर या कार के बोनट पर केक काटने की परंपरा शुरू हुई है। इसमें प्रमुख तौर पर आयोजक मंडली के सभी स...
18/07/2023

आजकल शहरो में बाइक की सीट पर या कार के बोनट पर केक काटने की परंपरा शुरू हुई है।
इसमें प्रमुख तौर पर आयोजक मंडली के सभी सदस्य अधिकांशता बेरोजगार होते हैं। 38-40 लोगों का ग्रुप होता है जो हर तीसरे दिन किसी न किसी बगिया या रोड़ के किनारे या बड़े बड़े हाइवे पर केक काटते मिल जाते है। इनमे हथियार दिखाने का नशा प्रमोट करने का नया चलन शुरू हुआ है।

कई जगह तो तलवार और तमंचे से केक काटने के रिवाज चले है। मां बाप भांग खाकर सो रहे है। औलाद जिंदगी मे बर्बादी का धनिया बो रही है।

और हाँ केक खाने के बजाय मुँह में लगा दिया जाता है ।
केक भी सोचता होगा मैं किसलिए बना हूं ।।

हद है बैंक वालों की
23/06/2023

हद है बैंक वालों की

27/04/2023

लग चुकी है तलब मंजिल की
खुद को आग में झोंक देंगे
ठोकरे कहती है मारा जाएगा
हौसले कहते हैं , देख लेंगे..!!
तुम बस एक चीज़ दिमाग़ से
निकाल दो..
हारने का डर

25/04/2023

मैंने संटू से पूछा : आदमी या जनता से पहले 'आम' शब्द क्यों लगाते हैं? जैसे आम आदमी,आम जनता?
तो संटू हंस पड़ा और बोला : ताकि उसे चूसा जा सके और काम निकल जाने पर गुठली की तरह उसे फेंका जा सके,🤣

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24/04/2023

I've just reached 16K followers! Thank you for continuing support. I could never have made it without each one of you. 🙏🤗🎉

07/04/2023

खेती बहुत बड़ा रिस्क है ... और ये रिस्क किसान हर साल मजबूरी में लेता है!s

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