परशुरामपुरी समाचार

परशुरामपुरी समाचार समाचार

29/09/2023

2 करोड 50 लाख के अवैध मादक पदार्थ समेत 7 तस्कर गिरफ्तार
शाहजहांपुर पुलिस ने अंतरराज्यि स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले 7 तस्करों को गिरफ्तार किया है । इनके पास से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में दो करोड़ 50 लाख के अवैध मादक पदार्थ बरामद किए गए हैं । पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है । जलालाबाद पुलिस टीम व एसओजी टीम की संयुक्त कार्रवाई के अंतर्गत जलालाबाद क्षेत्र से पुलिस ने 7 तस्करों को गिरफ्तार किया है जो मादक पदार्थों की तस्करी करते थे। उनके पास से(700 ग्राम स्मैक , 700 ग्राम अफीम) 02 अदद मो0सा0 व 08 अदद मोबाईल बरामद हुए हैं । कच्चे पदार्थ से स्मैक बनाने वाला अपराधी भी इसमें शामिल है । पुलिस को तस्करों ने बताया कि अक्षय अफीम से स्मैक बनाने का काम जानता है l हम सब लोग फसल के समय किसानो से सस्ते दामो मे अफीम खरीद लेते है और अक्षय उसकी स्मैक बना लेता है । पंजाब मे अफीम व स्मैक की अधिक माँग है वहाँ पर होटल ढावो पर स्मैक व अफीम अच्छे दामो मे बिक जाती है । हमने कुछ अफीम की स्मैक बना ली औऱ बाकी कुछ स्मैक रख ली जिसकी 100-100 ग्राम के पैकेट बनाकर अलग अलग अपने पास छिपाकर मोटरसाइकिल कही खडी कर रोडवेज बस मे अलग अलग बैठकर पंजाब चले जाते है । अलग अलग पाऊच मे अफीम रखने व अलग अलग बैठने से एक पकडा जाये तो बाकी सब भाग जाते इसलिये हमने 100-100 ग्राम के पाउच बनाकर अपने पास छिपाये थे फिर भी आज हम सब इकठ्ठे ही पकडे गये । पंजाब मे स्मैक व अफीम महँगे दामो पर बिक जाती है ।
Byte--संजीव कुमार अपर पुलिस अधीक्षक शाहजहांपुर

परशुरामपुरी समाचार राष्ट्रीय समाचार पत्र को जिला एवं तहसील लेवल पर न्यूज़ रिपोर्टर की आवश्यकता है केवल पत्रकारिता मे रूचि...
17/07/2023

परशुरामपुरी समाचार राष्ट्रीय समाचार पत्र को जिला एवं तहसील लेवल पर न्यूज़ रिपोर्टर की आवश्यकता है केवल पत्रकारिता मे रूचि रखने वाले ही संपर्क करे 072757 71278

टोल फ्री रसीद की कीमत को समझें और उसका उपयोग करें  "टोल बूथ पर मिली इस रसीद में क्या छिपा है और इसे सुरक्षित क्यों रखा ज...
08/06/2023

टोल फ्री रसीद की कीमत को समझें और उसका उपयोग करें
"टोल बूथ पर मिली इस रसीद में क्या छिपा है और इसे सुरक्षित क्यों रखा जाए?
इसके अतिरिक्त लाभ क्या हैं?" आईए आज जानते हैं।
1. यदि टोल रोड पर यात्रा करते समय आपकी कार अचानक रुक जाती है तो आपकी कार को टो करने के लिए टोल कंपनी जिम्मेदार होती है।
2. अगर एक्सप्रेस हाईवे पर आपकी कार का पेट्रोल या बैटरी खत्म हो जाती है तो आपकी कार को बदलने और पेट्रोल और बाहरी चार्जिंग प्रदान करने के लिए टोल संग्रह कंपनी जिम्मेदार है। आपको फोन करना चाहिए। दस मिनट में मदद मिलेगी और 5 से 10 लीटर पेट्रोल फ्री मिलेगा। अगर कार पंचर हो जाए तो भी आप इस नंबर पर संपर्क कर मदद ले सकते हैं।
3. यहां तक कि अगर आपकी कार दुर्घटना में शामिल है तो आपको या आपके साथ आने वाले किसी व्यक्ति को पहले टोल रसीद पर दिए गए फोन नंबर पर संपर्क करना चाहिए।
4. यदि कार में यात्रा करते समय अचानक किसी की तबीयत खराब हो जाती है तो उस व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाने की आवश्यकता हो सकती है। से समय में यह टोल कंपनियों की जिम्मेदारी है कि आप तक एंबुलेंस पहुंचाएं।
जिन लोगों को यह जानकारी मिली है, वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।

सत्य का समर्थन करें🙏 "भारत में गरीब एक गिनी पिग की तरह"भारतीय ट्रेन विश्व के सबसे बड़े चुनिंदा रेल नेटवर्क में से एक है।...
08/06/2023

सत्य का समर्थन करें🙏
"भारत में गरीब एक गिनी पिग की तरह"
भारतीय ट्रेन विश्व के सबसे बड़े चुनिंदा रेल नेटवर्क में से एक है।
भारतीय सवारी ट्रेनों का स्ट्रक्चर लगभग एक जैसा सा होता है, यानी इंजन के बाद में या फिर सबसे लास्ट में जनरल डिब्बे और बीच में AC-3, AC-2 AC–1 और फिर स्लीपर कोच लगे होते हैं. लेकिन, क्या कभी आपने ये सोचा है कि आखिर किस वजह से सिटिंग एरेंजमेंट कॉमन होता है.

रेलवे की मानें तो वो कहते हैं की सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा किया जाता है ताकि आपात काल की स्थिति में लोगों को बचाया जा सके, क्राउड मैनेजमेंट किया जा सके।

लेकिन कहानी जस्ट उलट है, एक्सपर्ट का कहना है की बोगियों की पोजिशन में आगे और पीछे जनरल और ठीक बाद में स्लीपर रखे जाते हैं, बीच में AC के कोच होते हैं। इसका कारण टिकिट के मूल्य के आधार पर दी जाने वाली सुरक्षा महत्वपूर्ण कारक है।
जब भी ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त होती है चाहे आगे से हो या पीछे से तो मध्य में स्थिति AC कोच के यात्रियों को कम नुकसान पहुंचे।

देश में एकता समानता सब थोथी बातें तब लगती हैं जब सरकारी तंत्रों में भी दुराभाव पैसे और गरीबी के आधार पर किया जाता है यह विचारणीय है।
सिस्टम चेंज करने की बात सभी करते हैं लेकिन करता कोई नहीं और कुर्बानी जनता की ही ली जाती है यही सत्य है, क्योंकि गरीब जनता देश में गिनी पिग है जिसका रोज न रोज कहीं ट्रायल चलता रहता है।🙏🙏

अपनी बंद दुकान के आगे हम किसी को बैठने तक नही देते और उनको लगता हम कश्मीर दे देगें  😂
03/06/2023

अपनी बंद दुकान के आगे हम किसी को बैठने तक नही देते और उनको लगता हम कश्मीर दे देगें 😂

अत्यंत दुखद समाचार उड़ीसा के बालासोर में हुई हृदयविदारक रेल दुर्घटना से मन अत्यंत द्रवित है,इस भीषण दुर्घटना में अब तक क...
03/06/2023

अत्यंत दुखद समाचार
उड़ीसा के बालासोर में हुई हृदयविदारक रेल दुर्घटना से मन अत्यंत द्रवित है,
इस भीषण दुर्घटना में अब तक कई लोगों के हताहत होने की खबर मिली, मृतकों को ईश्वर के श्रीचरणों में स्थान मिले, प्रभु से ऐसी प्रार्थना है
साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से प्रथाकर्ता हू ।।
ॐ शांति

श्री हरिः🌸पापका फल भोगना ही पड़ता है🌸मनुष्यको ऐसी शंका नहीं करनी चाहिये कि मेरा पाप तो कम था पर दण्ड अधिक भोगना पड़ा अथव...
02/06/2023

श्री हरिः

🌸पापका फल भोगना ही पड़ता है🌸

मनुष्यको ऐसी शंका नहीं करनी चाहिये कि मेरा पाप तो कम था पर दण्ड अधिक भोगना पड़ा अथवा मैंने पाप तो किया नहीं पर दण्ड मुझे मिल गया! कारण कि यह सर्वज्ञ, सर्वसुहृद्, सर्वसमर्थ भगवान‍्का विधान है कि पापसे अधिक दण्ड कोई नहीं भोगता और जो दण्ड मिलता है, वह किसी-न-किसी पापका ही फल होता है। एक सुनी हुई घटना है।

किसी गाँवमें एक सज्जन रहते थे। उनके घरके सामने एक सुनारका घर था। सुनारके पास सोना आता रहता था और वह गढ़कर देता रहता था। ऐसे वह पैसे कमाता था। एक दिन उसके पास अधिक सोना जमा हो गया। रात्रिमें पहरा लगानेवाले सिपाहीको इस बातका पता लग गया। उस पहरेदारने रात्रिमें उस सुनारको मार दिया और जिस बक्सेमें सोना था, उसे उठाकर चल दिया।

इसी बीच सामने रहनेवाले सज्जन लघुशंकाके लिये उठकर बाहर आये। उन्होंने पहरेदारको पकड़ लिया कि तू इस बक्सेको कैसे ले जा रहा है? तो पहरेदारने कहा—‘तू चुप रह, हल्ला मत कर। इसमेंसे कुछ तू ले ले और कुछ मैं ले लूँ।’ सज्जन बोले—‘मैं कैसे ले लूँ? मैं चोर थोड़े ही हूँ!’ पहरेदारने कहा—‘देख, तू समझ जा, मेरी बात मान ले, नहीं तो दु:ख पायेगा।’

पर वे सज्जन माने नहीं। तब पहरेदारने बक्सा नीचे रख दिया और उस सज्जनको पकड़कर जोरसे सीटी बजा दी। सीटी सुनते ही और जगह पहरा लगानेवाले सिपाही दौड़कर वहाँ आ गये। उसने सबसे कहा कि ‘यह इस घरसे बक्सा लेकर आया है और मैंने इसको पकड़ लिया है।’ तब सिपाहियोंने घरमें घुसकर देखा कि सुनार मरा पड़ा है। उन्होंने उस सज्जनको पकड़ लिया और राजकीय आदमियोंके हवाले कर दिया। जजके सामने बहस हुई तो उस सज्जनने कहा कि ‘मैंने नहीं मारा है, उस पहरेदार सिपाहीने मारा है।’

सब सिपाही आपसमें मिले हुए थे, उन्होंने कहा कि ‘नहीं इसीने मारा है, हमने खुद रात्रिमें इसे पकड़ा है’, इत्यादि।
मुकदमा चला। चलते-चलते अन्तमें उस सज्जनके लिये फाँसीका हुक्म हुआ। फाँसीका हुक्म होते ही उस सज्जनके मुखसे निकला—‘देखो, सरासर अन्याय हो रहा है! भगवान‍्के दरबारमें कोई न्याय नहीं! मैंने मारा नहीं, मुझे दण्ड हो और जिसने मारा है, वह बेदाग छूट जाय, जुर्माना भी नहीं; यह अन्याय है!’

जजपर उसके वचनोंका असर पड़ा कि वास्तवमें यह सच्चा बोल रहा है, इसकी किसी तरहसे जाँच होनी चाहिये। ऐसा विचार करके उस जजने एक षड्यन्त्र रचा।
सुबह होते ही एक आदमी रोता-चिल्लाता हुआ आया और बोला—‘हमारे भाईकी हत्या हो गयी, सरकार! इसकी जाँच होनी चाहिये।’ तब जजने उसी सिपाहीको और कैदी सज्जनको मरे व्यक्तिकी लाश उठाकर लानेके लिये भेजा।

दोनों उस आदमीके साथ वहाँ गये, जहाँ लाश पड़ी थी। खाटपर लाशके ऊपर कपड़ा बिछा था। खून बिखरा पड़ा था। दोनोंने उस खाटको उठाया और उठाकर ले चले। साथका दूसरा आदमी खबर देनेके बहाने दौड़कर आगे चला गया। तब चलते-चलते सिपाहीने कैदीसे कहा—‘देख, उस दिन तू मेरी बात मान लेता तो सोना मिल जाता और फाँसी भी नहीं होती, अब देख लिया सच्चाईका फल?’ कैदीने कहा—‘मैंने तो अपना काम सच्चाईका ही किया था, फाँसी हो गयी तो हो गयी!

हत्या की तूने और दण्ड भोगना पड़ा मेरेको! भगवान‍्के यहाँ न्याय नहीं!’
खाटपर झूठमूठ मरे हुएके समान पड़ा हुआ आदमी उन दोनोंकी बातें सुन रहा था। जब जजके सामने खाट रखी गयी तो खूनभरे कपड़ेको हटाकर वह उठ खड़ा हुआ और उसने सारी बात जजको बता दी कि रास्तेमें सिपाही यह बोला और कैदी यह बोला। यह सुनकर जजको बड़ा आश्चर्य हुआ। सिपाही भी हक्‍का-बक्‍का रह गया। सिपाहीको पकड़कर कैद कर लिया गया।

परन्तु जजके मनमें सन्तोष नहीं हुआ। उसने कैदीको एकान्तमें बुलाकर कहा कि ‘इस मामलेमें तो मैं तुम्हें निर्दोष मानता हूँ, पर सच-सच बताओ कि इस जन्ममें तुमने कोई हत्या की है क्या?’ वह बोला—बहुत पहलेकी घटना है। एक दुष्ट था, जो छिपकर मेरे घर मेरी स्त्रीके पास आया करता था। मैंने अपनी स्त्रीको तथा उसको अलग-अलग खूब समझाया, पर वह माना नहीं। एक रात वह घरपर था और अचानक मैं आ गया। मेरेको गुस्सा आया हुआ था।

मैंने तलवारसे उसका गला काट दिया और घरके पीछे जो नदी है, उसमें फेंक दिया। इस घटनाका किसीको पता नहीं लगा। यह सुनकर जज बोला—‘तुम्हारेको इस समय फाँसी होगी ही; मैंने भी सोचा कि मैंने किसीसे घूस (रिश्वत) नहीं खायी, कभी बेईमानी नहीं की, फिर मेरे हाथसे इसके लिये फाँसीका हुक्म लिखा कैसे गया? अब सन्तोष हुआ। उसी पापका फल तुम्हें यह भोगना पड़ेगा। सिपाहीको अलग फाँसी होगी।’

[उस सज्जनने चोर सिपाहीको पकड़कर अपने कर्तव्यका पालन किया था। फिर उसको जो दण्ड मिला है, वह उसके कर्तव्य-पालनका फल नहीं है, प्रत्युत उसने बहुत पहले जो हत्या की थी, उस हत्याका फल है। कारण कि मनुष्यको अपनी रक्षा करनेका अधिकार है, मारनेका अधिकार नहीं। मारनेका अधिकार रक्षक क्षत्रियका, राजाका है। अत: कर्तव्यका पालन करनेके कारण उस पाप-(हत्या-) का फल उसको यहीं मिल गया और परलोकके भयंकर दण्डसे उसका छुटकारा हो गया।

कारण कि इस लोकमें जो दण्ड भोग लिया जाता है, उसका थोड़ेमें ही छुटकारा हो जाता है, थोड़ेमें ही शुद्धि हो जाती है, नहीं तो परलोकमें बड़ा भयंकर (ब्याजसहित) दण्ड भोगना पड़ता है।]
इस कहानीसे यह पता लगता है कि मनुष्यके कब किये हुए पापका फल कब मिलेगा—इसका कुछ पता नहीं। भगवान‍्का विधान विचित्र है। जबतक पुराने पुण्य प्रबल रहते हैं तबतक उग्र पापका फल भी तत्काल नहीं मिलता।

जब पुराने पुण्य खत्म होते हैं, तब उस पापकी बारी आती है। पापका फल (दण्ड) तो भोगना ही पड़ता है, चाहे इस जन्ममें भोगना पड़े या जन्मान्तरमें।

– स्वामी रामसुखदास जी महाराज

01/06/2023

*🌹ज्योतिष के 4 विचारणीय तथ्य🌹*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*1️⃣पहला सुख निरोगी काया, लग्नेश पीड़ित हो तो बीमार रहोगे हॉस्पिटल के चक्कर काटोगे तो काया का सुख तभी मिलेगा जब लग्नेश बलवान करो निरोगी काया हो जाएगी।*

*2️⃣दूजे सुख घर मे हो माया, अगर दूसरा भाव, चौथा भाव पीड़ित हो तो माया का संकट रहेगा तो माया का सुख कैसे हो, तो दोनों भावों को अर्थात दूसरे और चौथे भावों को बलवान करो तभी घर मे माया होगी।*

*3️⃣तीजे सुख पत्नी हो आज्ञाकारी, तो शादी मित्र राशि या सेम राशि मे करो तभी पत्नी आज्ञाकारी होगी अन्यथा शत्रु राशि से विवाह करोगे तो घर युद्ध का अखाड़ा ही रहेगा।*

*4️⃣चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी, इसके लिए पंचमेश पीड़ित हो तो उसको बलवान करो तभी पुत्र सही होगा अन्यथा कष्ट ही देगा।*

*🚩 #हरिऊँ🚩*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से अब यह सब भी बिकेगा, शासनादेश जारी
31/05/2023

सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से अब यह सब भी बिकेगा,
शासनादेश जारी

*⚛️यदि आप सप्ताह में कुछ खास कार्य करने जा रहे हैं तो निम्न उपायों के साथ अपने दिन की शुरूआत करें। इन उपायों के प्रभावों...
07/05/2023

*⚛️यदि आप सप्ताह में कुछ खास कार्य करने जा रहे हैं तो निम्न उपायों के साथ अपने दिन की शुरूआत करें। इन उपायों के प्रभावों से आपके कार्य की सफलता के योग और मजबूत होंगे।*

*🌹सोमवार-* सोमवार के दिन सफलता प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं। अगर यह संभव न हो तो कार्य के लिए घर से निकलने के पहले दूध या पानी पी लें। साथ ही *ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: सोमाय नम:* मंत्र बोल कर प्रस्थान करें। सफेद रूमाल साथ रखें। सफेद फूल शिव जी को चढ़ाएं।

*🌹मंगलवार-* मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाएं। साथ ही हनुमानजी को बना हुआ पान और लाल फूल चढ़ाएं। घर से निकलने से पहले शहद का सेवन करें और *ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:* मंत्र बोल कर प्रस्थान करें। लाल वस्त्र पहनें या लाल कपड़ा साथ रखें। लाल फूल हनुमानजी के मंदिर में रखें।

*🌹बुधवार-* गणेशजी को दूर्वा अर्पित करें। गणपतिजी को गुड़-धनिया का भोग लगाएं। घर से सौंफ खा कर निकलें। *ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:* मंत्र का जप करें। हरे रंग के वस्त्र पहनें या हरा रूमाल साथ रखें। तुलसी के नीचे गिरे पत्तों को उठाकर धोकर उनका सेवन करें।

*🌹गुरूवार-* भगवान विष्णु के मंदिर जाएं। श्रीहरि को पीले फूल अर्पित करें। साथ ही *ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरुवे नम:* मंत्र का जप करें। पीले रंग की कोई मिठाई खाकर घर से निकलें। पीले वस्त्र पहनें या पीला रूमाल साथ रखें। पीले फूल किसी भी मंदिर-दरगाह में चढ़ाएं।

*🌹शुक्रवार-* सफलता के लिए लक्ष्मीजी को लाल फूल अर्पित करें। *ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:* मंत्र का जप करें। घर से निकलने से पहले दही का सेवन करें। सफेद रंग की ड्रेस पहनें या सफेद रूमाल साथ रखें। सफेद फूल देवी मंदिर में चढ़ाएं।

*🌹शनिवार-* हनुमान मंदिर जाएं। हनुमानजी को बना हुआ पान और लाल फूल चढ़ाएं। *ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:* मंत्र जप कर घर से निकलें। तिल का सेवन करें। नीले वस्त्र पहनें या नीला रूमाल साथ रखकर प्रस्थान करें। नीले या जामुनी फूल शनि मंदिर में चढ़ाएं।

*🌹रविवार-* आज सूर्य देव को जल चढ़ाएं फिर लाल फूल चढ़ाएं। आज *ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौ स: सूर्याय नम:* मंत्र जप करें। गुड़ का सेवन करें। लाल रंग की ड्रेस पहनें या लाल रूमाल रखें। लाल या गुलाबी फूल सूर्यदेव को अर्पित करें।
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प्रयास करना हमारा काम है,,,,,,जैसे ही ट्रेन रवाना होने को हुई, (समय निकाल कर पढ़े🙏)एक औरत और उसका पति एक ट्रंक लिए डिब्ब...
02/05/2023

प्रयास करना हमारा काम है,,,,,,
जैसे ही ट्रेन रवाना होने को हुई, (समय निकाल कर पढ़े🙏)
एक औरत और उसका पति एक ट्रंक लिए डिब्बे में घुस पडे़।
दरवाजे के पास ही औरत तो बैठ गई पर आदमी चिंतातुर खड़ा था।
जानता था कि उसके पास जनरल टिकट है और ये रिज़र्वेशन डिब्बा है।
टीसी को टिकट दिखाते उसने हाथ जोड़ दिए।
" ये जनरल टिकट है।अगले स्टेशन पर जनरल डिब्बे में चले जाना।वरना आठ सौ की रसीद बनेगी।"
कह टीसी आगे चला गया।
पति-पत्नी दोनों बेटी को पहला बेटा होने पर उसे देखने जा रहे थे।
सेठ ने बड़ी मुश्किल से दो दिन की छुट्टी और सात सौ रुपये एडवांस दिए थे।
बीबी व लोहे की पेटी के साथ जनरल बोगी में बहुत कोशिश की पर घुस नहीं पाए थे।
लाचार हो स्लिपर क्लास में आ गए थे।
" साब, बीबी और सामान के साथ जनरल डिब्बे में चढ़ नहीं सकते।हम यहीं कोने में खड़े रहेंगे।बड़ी मेहरबानी होगी।"
टीसी की ओर सौ का नोट बढ़ाते हुए कहा।
" सौ में कुछ नहीं होता।आठ सौ निकालो वरना उतर जाओ।"
" आठ सौ तो गुड्डो की डिलिवरी में भी नहीं लगे साब।नाती को देखने जा रहे हैं।गरीब लोग हैं, जाने दो न साब।" अबकि बार पत्नी ने कहा।
" तो फिर ऐसा करो, चार सौ निकालो।एक की रसीद बना देता हूँ, दोनों बैठे रहो।"
" ये लो साब, रसीद रहने दो।दो सौ रुपये बढ़ाते हुए आदमी बोला।
" नहीं-नहीं रसीद दो बनानी ही पड़ेगी। ऊपर से आर्डर है।रसीद तो बनेगी ही।
चलो, जल्दी चार सौ निकालो।वरना स्टेशन आ रहा है, उतरकर जनरल बोगी में चले जाओ।"
इस बार कुछ डांटते हुए टीसी बोला।
आदमी ने चार सौ रुपए ऐसे दिए मानो अपना कलेजा निकालकर दे रहा हो।

दोनों पति-पत्नी उदास रुआंसे
ऐसे बैठे थे ,मानो नाती के पैदा होने पर नहीं उसके शोक में जा रहे हो।
कैसे एडजस्ट करेंगे ये चार सौ रुपए?
क्या वापसी की टिकट के लिए समधी से पैसे मांगना होगा?
नहीं-नहीं।
आखिर में पति बोला- " सौ- डेढ़ सौ तो मैं ज्यादा लाया ही था। गुड्डो के घर पैदल ही चलेंगे। शाम को खाना नहीं खायेंगे। दो सौ तो एडजस्ट हो गए। और हाँ, आते वक्त पैसिंजर से आयेंगे। सौ रूपए बचेंगे। एक दिन जरूर ज्यादा लगेगा। सेठ भी चिल्लायेगा। मगर मुन्ने के लिए सब सह लूंगा।मगर फिर भी ये तो तीन सौ ही हुए।"
" ऐसा करते हैं, नाना-नानी की तरफ से जो हम सौ-सौ देनेवाले थे न, अब दोनों मिलकर सौ देंगे। हम अलग थोड़े ही हैं। हो गए न चार सौ एडजस्ट।"
पत्नी के कहा।
" मगर मुन्ने के कम करना....""
और पति की आँख छलक पड़ी।
" मन क्यूँ भारी करते हो जी। गुड्डो जब मुन्ना को लेकर घर आयेंगी; तब दो सौ ज्यादा दे देंगे। "
कहते हुए उसकी आँख भी छलक उठी।
फिर आँख पोंछते हुए बोली-
" अगर मुझे कहीं मोदीजी मिले तो कहूंगी-"
इतने पैसों की बुलेट ट्रेन चलाने के बजाय, इतने पैसों से हर ट्रेन में चार-चार जनरल बोगी लगा दो, जिससे न तो हम जैसों को टिकट होते हुए भी जलील होना पड़े और ना ही हमारे मुन्ने के सौ रुपये कम हो।"
उसकी आँख फिर छलक पड़ी।
" अरी पगली, हम गरीब आदमी हैं, हमें वोट देने का तो अधिकार है, पर सलाह देने का नहीं। रो मत।

(विनम्र प्रार्थना है जो भी इस कहानी को पढ़ चूका है उसे इस घटना से शायद ही इत्तिफ़ाक़ हो पर अगर ये कहानी शेयर करे ,कॉपी पेस्ट करे ,पर रुकने न दे शायद रेल मंत्रालय जनरल बोगी की भी परिस्थितियों को समझ सके। उसमे सफर करने वाला एक गरीब तबका है जिसका शोषण चिर कालीन से होता आया है।
एक कोशिश परिवर्तनकीओर
.......एक मध्यम परिवार से,,,,,

Good afternoon friends 🙏गर्मी का मोसम है थोड़ा सावधान होना जरूरी हैऐसे करे गर्मी से बचाव 👇
30/04/2023

Good afternoon friends 🙏

गर्मी का मोसम है थोड़ा सावधान होना जरूरी है
ऐसे करे गर्मी से बचाव 👇

पंडित जी तो महिलाओं को तिलक भी स्वयं नहीं लगाते।पर शादी में अब साड़ी ब्लाउज इत्यादि पहनाने वालों को बुलाया जाने लगा है य...
30/04/2023

पंडित जी तो महिलाओं को तिलक भी स्वयं नहीं लगाते।

पर शादी में अब साड़ी ब्लाउज इत्यादि पहनाने वालों को बुलाया जाने लगा है या इन औरतों को ही सेंटरों पर बुलाया जाने लगा है ! अब किसी भी अवसर पर महिलाओं को साड़ी पहनाने से लेकर, मेहंदी, सैलून, टेलर, टैटू सब काम पुरुष कर रहे हैं, वे भी गैर हिन्दू।

ये कथित आधुनिकता हिन्दू समाज को कहाँ तक ले जाएगी……?

मेहंदी के बाद अब महिलाओं को साड़ी पहनना भी सेंटरों पर पुरुष सिखा रहे हैं! एक गैर पुरूष द्वारा साड़ी खींचने पर जिस देश में महाभारत हो गई थी उस भारत में स्त्री खुद साड़ी उतारने खड़ी है। हां आज औरतें स्वयं ही पुरुष से न केवल जिम में अपने निजी अंगों का स्पर्श सुख भोग रही है बल्कि साड़ी भी उतार पहन रही हैं।।

ये प्रगति नहीं है
संस्कारों का पतन ही हमारी मृ'त्यु है ??

सभी मित्रों को जय श्री राम 🙏🚩

पूजा के समय दीपक का बुझना शुभ या अशुभहिंदू धर्म में कई प्रकार की मान्यताओं को स्थान  दिया गया है सनातन धर्म में ऐसी कोई ...
30/04/2023

पूजा के समय दीपक का बुझना शुभ या अशुभ
हिंदू धर्म में कई प्रकार की मान्यताओं को स्थान दिया गया है सनातन धर्म में ऐसी कोई भी पूजा पाठ नहीं है, जिसमें दीपक न जलाया जाता हो. ऐसी मान्यता है कि पूजा के समय देवी-देवता की आरती करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, और हर आरती में दीपक जलाना अनिवार्य माना गया है. दीपक जलाकर आरती करने से जीवन का अंधकार दूर होता है और व्यक्ति की जिंदगी में रोशनी और ज्ञान का आगमन होता है.
दीपक अंधकार खत्म करता है और प्रकाश फैलाता है. मान्यता है देवी-देवताओं को दीपक की रोशनी विशेष प्रिय है, इसीलिए पूजा-पाठ में दीपक अनिवार्य रूप से जलाया जाता है. इसके अलावा रोज शाम के समय मुख्य द्वार के पास दीपक लगाना चाहिए. ये दीपक घर में नकारात्क ऊर्जा के प्रवेश को रोकता है.
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि बजरंग बली के सामने आटे का दीपक जलाने से कर्ज, आर्थिक संकट और शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. इसी तरह मां अन्नपूर्णा देवी से भी आटे के दीये जलाकर घर में आर्थिक संकट दूर करने की प्रार्थना की जाती है.
हम आपको बताएँगे यदि पूजा , आरती करते समय दीपक बुझ जाए तो क्या होता है?
-ऐसी मान्यता है कि यदि पूजा के दौरान दीपक बुझ जाए तो ऐसे में पूजा करने वाले की मनोकामनाओं की पूर्ति होने में बाधाएं आती हैं. पूजा में दीपक का बुझना देवी-देवता के नाराज होने का संकेत भी माना जाता है.
-एक अन्य मान्यता के अनुसार दीपक का बुझना संकेत है कि व्यक्ति सच्चे मन से भगवान की पूजा नहीं कर रहा है. हालांकि दीपक बुझने की और भी कई वजह हो सकती हैं. विद्वानों का मानना है कि यदि किसी पूजा के दौरान दीपक बुझ जाए तो आप हाथ जोड़कर भगवान से इसके लिए माफी मांग सकते हैं और फिर से दीपक को प्रज्वलित कर सकते हैं.
-दीपक का बुझना हर बार अशुभ हो यह जरूरी नहीं होता है। हालांकि आपको इसे प्रज्वलित करते समय पूर्ण सावधानी बरतना चाहिए। किसी कारणवश दीपक बुझ भी जाता है तो डरने की जरूरत नहीं है.
-पूजा पाठ में आरती के दौरान दीपक को लेकर कुछ विशेष सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है. कोई भी व्यक्ति पूजा करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखता है कि आरती के समय दीपक को नहीं बुझने देना है. इसलिए दीपक बनाते समय ही इस बात का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए कि दीए में तेल या घी पर्याप्त मात्रा में है.
अखंड ज्योति जलाने के बाद उसको अकेला नहीं छोड़ते, कहते हैं अगर यह ज्योति बुझ जाए तो बहुत बड़ा अपशगुन होता है. मान्यता है कि नवरात्र में अखंड ज्योति जलाने रखने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और सभी तरह के समस्याओं से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर होना शुभ होता है. इस दिशा में दीपक जलाने से जातक लंबी उम्र पाता है. वास्तु के हिसाब से पश्चिम दिशा में दीपक जलाना शुभ माना जाता है. दीपक की लौ इस ओर रखने से हर समस्या से छुटकारा मिल जाता है.
दीपक जलाते हुए हमें इस मंत्र का जाप करना चाहिए
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।। दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:। दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते।।

सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार जाने क्यों〰️〰️〰️🌼🌼〰️🌼🌼🌼〰️🌼🌼〰️〰️〰️गंगा सागर को तीर्थों का पिता कहा जाता है, कहने का ता...
29/04/2023

सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार जाने क्यों
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गंगा सागर को तीर्थों का पिता कहा जाता है, कहने का तात्पर्य है कि गंगा सागर का अन्य तीर्थों की अपेक्षा अत्यधिक महत्व है। शायद यही कारण है कि जन साधारण में यह कहावत बहुत प्रचलित है कि- ''सब तीरथ बार-बार, गंगा सागर एक बार।'

' गंगा जिस स्थान पर समुद्र में मिलती है, उसे गंगा सागर कहा गया है। गंगा सागर एक बहुत सुंदर वन द्वीप समूह है जो बंगाल की दक्षिण सीमा में बंगाल की खाड़ी पर स्थित है। प्राचीन समय में इसे पाताल लोक के नाम से भी जाना जाता था। कलकत्ते से यात्री प्रायः जहाज में गंगा सागर जाते हैं।

यहां मेले के दिनों में काफी भीड़-भाड़ व रौनक रहती है। लेकिन बाकी दिनों में शांति एवं एकाकीपन छाया रहता है। तीर्थ स्थान-सागर द्वीप में केवल थोड़े से साधु ही रहते हैं। यह अब वन से ढका और प्रायः जनहीन है। इस सागर द्वीप में जहां गंगा सागर मेला होता है, वहां से एक मील उत्तर में वामनखल स्थान पर एक प्राचीन मंदिर है।

इस समय जहां गंगा सागर पर मेला लगता है, पहले यहीं गंगाजी समुद्र में मिलती थी, किंतु अब गंगा का मुहाना पीछे हट गया है। अब गंगा सागर के पास गंगाजी की एक छोटी धारा समुद्र से मिलती है। आज यहां सपाट मैदान है और जहां तक नजर जाती है वहां केवल घना जंगल।

मेले के दिनों में गंगा के किनारे पर मेले के लिए स्थान बनाने के लिए इन जंगलों को कई मीलों तक काट दिया जाता है। गंगा सागर का मेला मकर संक्रांति को लगता है। खाने-पीने के लिए होटल, पूजा-पाठ की सामग्री व अन्य सामानों की भी बहुत-सी दुकानें खुल जाती हैं।

सारे तीर्थों का फल अकेले गंगा सागर में मिल जाता है। संक्रांति के दिन गंगा सागर में स्नान का महात्म्य सबसे बड़ा माना गया है। प्रातः और दोपहर स्नान और मुण्डन-कर्म होता है। यहां पर लोग श्राद्ध व पिण्डदान भी करते हैं।

कपिल मुनि के मंदिर में जाकर दर्शन करते हैं, इसके बाद लोग लौटते हैं ओर पांचवें दिन मेला समाप्त हो जाता है। गंगा सागर से कुछ दूरी पर कपिल ऋषि का सन् 1973 में बनाया गया नया मंदिर है जिसमें बीच में कपिल ऋषि की मूर्ति है।

उस मूर्ति के एक तरफ राजा भगीरथ को गोद में लिए हुए गंगाजी की मूर्ति है तथा दूसरी तरफ राजा सगर तथा हनुमान जी की मूर्ति है। इसके अलावा यहां सांखय योग के आचार्य कपिलानंद जी का आश्रम, महादेव मंदिर, योगेंद्र मठ, शिव शक्ति-महानिर्वाण आश्रम और भारत सेवाश्रम संघ का विशाल मंदिर भी हैं।

रामायण में एक कथा मिलती है जिसके अनुसार कपिल मुनि किसी अन्य स्थान पर तपस्या कर रहे थे। ऐसे ही समय में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा सगर एक अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान करने लगे। उनके अश्वमेध यज्ञ से डरकर इंद्र ने राक्षस रूप धारण कर यज्ञ के अश्व को चुरा लिया और पाताल लोक में ले जाकर कपिल के आश्रम में बांध दिया।

राजा सगर की दो पत्नियां थीं- केशिनी और सुमति। केशिनी के गर्भ से असमंजस पैदा हुआ और सुमति के गर्भ से साठ हजार पुत्र। असमंजस बड़ा ही उद्धत प्रकृति का था। वह प्रजा को बहुत पीड़ा देता था। अतः सगर ने उसे अपने राज्य से निकाल दिया था।

अश्वमेध का घोड़ा चुरा लिये जाने के कारण सगर बड़ी चिंता में पड़ गये। उन्होंने अपने साठ हजार पुत्रों को अश्व ढूंढने के लिए कहा। साठों हजार पुत्र अश्व ढूंढते ढूंढते-ढूंढते पाताल लोक में पहुंच गये।

वहां उन लोगों ने कपिल मुनि के आश्रम में यज्ञीय अश्व को बंधा देखा। उन लोगों ने मुनि कपिल को ही चोर समझकर उनका काफी अपमान कर दिया। अपमानित होकर ऋषि कपिल ने सभी को शाप दिया- 'तुम लोग भस्म हो जाओ।

' शाप मिलते ही सभी भस्म हो गये। पुत्रों के आने में विलंब देखकर राजा सगर ने अपने पौत्र अंशुमान, जो असमंजस का पुत्र था, को पता लगाने के लिए भेजा। अंशुमान खोजते-खोजते पाताल लोक पहुंचा। वहां अपने सभी चाचाओं को भस्म रूप में परिणत देखा तो सारी स्स्थिति समझ गया।

उन्होंने कपिल मुनि की स्तुति कर प्रसन्न किया। कपिल मुनि ने उसे घोड़ा ले जाने की अनुमति दे दी और यह भी कहा कि यदि राजा सगर का कोई वंशज गंगा को वहां तक ले आये तो सभी का उद्धार हो जाएगा। अंशुमान घोड़ा लेकर अयोध्या लौट आया। यज्ञ समाप्त करने के बाद राजा सगर ने 30 हजार वर्षों तक राज्य किया और अंत में अंशुमान को राजगद्दी देकर स्वर्ग सिधार गये। अंशुमान ने गंगा को पृथ्वी पर लाने का काफी प्रयत्न किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया। अंशुमान के पुत्र दिलीप ने दीर्घकाल तक तपस्या की।

लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाया। दिलीप के पुत्र भगीरथ ने घोर तपस्या की। गंगा ने आश्वासन दिया कि मैं जरूर पृथ्वी पर आऊंगी, लेकिन जिस समय मैं स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आऊंगी, उस समय मेरे प्रवाह को रोकने के लिए कोई उपस्थित होना चाहिए।

भगीरथ ने इसके लिए भगवान शिव को प्रसन्न किया। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटा में धारण कर लिया। भगीरथ ने उन्हें पुनः प्रसन्न किया तो शिवजी ने गंगा को छोड़ दिया।

गंगा शिवजी के मस्तक से सात स्रोतों में भूमि पर उतरी। ह्रानिदी, पावनी और नलिनी नामक तीन प्रवाह पूर्व की ओर चल गये, वड.क्ष, सीता तथा सिंधु नामक तीन प्रवाह पश्चिम की ओर चले गये और अंतिम एक प्रवाह भगीरथ के बताए हुए मार्ग से चलने लगा।

भगीरथ पैदल गंगा के साथ नहीं चल सकते थे, अतः उन्हें एक रथ दिया गया। भगीरथ गंगा को लेकर उसी जगह आये जहां उनके प्रपितामह आदि भस्म हुए थे। गंगा सबका उद्धार करती हुई सागर में मिल गयी। भगीरथ द्वारा लाये जाने के कारण गंगा का एक नाम भागीरथी भी पड़ा।

जहां भगीरथ के पितरों का उद्धार हुआ, वही स्थान सागर द्वीप या गंगासागर कहलाता है। गंगा सागर से कुछ दूरी पर कपिल ऋषि का सन् 1973 में बनाया गया नया मंदिर है जिसमें बीच में कपिल ऋषि की मूर्ति है। उस मूर्ति के एक तरफ राजा भगीरथ को गोद में लिए हुए गंगाजी की मूर्ति है तथा दूसरी तरफ राजा सगर तथा हनुमान जी की मूर्ति है।
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जलालाबाद निर्मल सिंह शिवम गुप्ता एवं अल्लाहगंज प्रियांशु शुक्ला बाइक रैली  नव मतदाता जनसंपर्क अभियान के निकाय चुनाव प्रभ...
27/04/2023

जलालाबाद निर्मल सिंह शिवम गुप्ता एवं अल्लाहगंज प्रियांशु शुक्ला बाइक रैली नव मतदाता जनसंपर्क अभियान के निकाय चुनाव प्रभारी मनोनीत

चली जाती है वो ब्यूटी पार्लर में यूं, कि उनका मकसद है मिसाल-ए-हूर हो जाना,कौन समझाये इन मोहतरमाओं को, मुमकिन नहीं किशमिश...
25/04/2023

चली जाती है वो ब्यूटी पार्लर में यूं, कि उनका मकसद है मिसाल-ए-हूर हो जाना,

कौन समझाये इन मोहतरमाओं को, मुमकिन नहीं किशमिश का फिर से अंगूर हो जाना.....

23/04/2023

सीएम योगी और अखिलेश यादव आपस में भिड़े!

आखिरी फर्नीचर इंसान ताउम्र कम्फर्ट के पीछे भागता है। वो बैठने व सोने के लिए बेहतरीन फर्नीचर,गद्दा,सोफा लेता है। कार में ...
20/04/2023

आखिरी फर्नीचर
इंसान ताउम्र कम्फर्ट के पीछे भागता है। वो बैठने व सोने के लिए बेहतरीन फर्नीचर,गद्दा,सोफा लेता है। कार में बेहतरीन गद्देदार सीट ढूंढता है।।
इच्छाएं अनंत है ...पर अंत मे उसे यही आखिरी फर्नीचर मिलता है।

यूं तो अपराध स्थल को पुलिस द्वारा चारो तरफ से पीले फीते से घेरने की परंपरा है जो की यहां भी निभाई गई है, लेकिन ये" कार्य...
18/04/2023

यूं तो अपराध स्थल को पुलिस द्वारा चारो तरफ से पीले फीते से घेरने की परंपरा है जो की यहां भी निभाई गई है, लेकिन ये
" कार्य प्रगति पर है " वाला किसने लगाया है?🤣🤣

आजकल इसी काम को करने वाले का बोलबाला है, वरना समर्पण और मेहनत करने वाले तो यूं ही रह जाते हैं और तलवे चाटने वाले मुकाम प...
17/04/2023

आजकल इसी काम को करने वाले का बोलबाला है, वरना समर्पण और मेहनत करने वाले तो यूं ही रह जाते हैं और तलवे चाटने वाले मुकाम पा जाते हैं …!!👇

.                         "भगवान की लीला"          संसार की सत्ता प्रतिक्षण मिटती है। जगत में दो ही चीजें हैं - लीला और ...
12/04/2023

. "भगवान की लीला"

संसार की सत्ता प्रतिक्षण मिटती है। जगत में दो ही चीजें हैं - लीला और लीलामय। जिस प्रकार एक ही स्वप्रद्रष्टा पुरुष स्वप्न की सृष्टि करता है और उसका अनुभव करता है। उसी प्रकार एक ही परमात्मा - एक ही लीलामय संसार में लीलारत है।
एक प्राचीन कथा है कि महाराज जनक अपने महल में सो रहे थे। सोते हुए उन्हें स्वप्न आया कि किसी दूसरे राजा ने उनपर आक्रमण कर दिया। उसने विजय प्राप्त कर ली और इनका सब कुछ छिन गया। उसने मुनादी करवा दी कि इन्हें कोई खाने-पीने को कुछ ना दे और इस राज्य की सीमा से बाहर कर दिया जाय। इन्हें ऐसा स्वप्न आ रहा था और उस स्वप्न में ही तीन दिन व्यतीत हो गये परन्तु राजा को कुछ खाने-पीने को नहीं मिला। भूख-प्यास से पीड़ित राजा को कोई आश्रय देने को तैयार नहीं। चौथे दिन वे उस राज्य की सीमा के बाहर उस स्थान पर पहुँचे जहाँ अन्न-सत्र चल रहा था। सबको भोजन दिया जा चुका था तब ये रोते हुए वहाँ पहुँचे और कुछ देने के लिये निवेदन किये। अन्न क्षेत्र के व्यक्ति ने कहा, "भाई ! और कुछ तो नहीं है, इस पात्र में जली हुई खिचड़ी की खुरचन लगी है, इसे ले लो।" भूख तो इन्हें लगी ही थी। इन्होंने खुरचन लेकर ज्योंही खाना प्रारम्भ करना चाहा त्यों ही एक चील ने झपट्टा मारा और खिचड़ी गिर गयी। खिचड़ी नीचे गिरते ही इन्होंने जोर से चीखा और चीख असली हो गयी। स्वप्न टूट गया, राजा भाग गये। राजा की यह चीख महल में लोगों ने सुनी। तुरन्त रानियाँ, नौकर-चाकर, दास-दासी, दीवान साहब दौड़े आये। डॉक्टर वैद्य बुलाये गये। सबने पूछा, "महाराज ! क्या हुआ ?" अब महाराज बड़े असमंजस में पड़ गये। बोले, क्या बताऊँ ?
राजा ने देखा कि मैं तो राजमहल में इस पलंग पर बिछे मखमली गद्दे पर लेटा हूँ परन्तु अभी-अभी तो मैं भूखा-प्यासा था, राज्य से निर्वासित था। मैं उसका अनुभव भी कर रहा था। अब यह सच्चा है या वह सच्चा ? राजा के मन में यह प्रश्न आ गया कि यह सच्चा या वह सच्चा। यह प्रश्न उनके जीवन में आ गया। जिसे भी देखें उससे यही प्रश्न करें। वैद्यों ने निदान किया कि राजा का मस्तिष्क किसी स्वप्न को देखकर भ्रमित हो गया है। वे पागल हो गये हैं। राजा महल में बैठे रहते। जो खाने को दिया जाता वह खा लेते और जो भी मिलता उससे यही पूछते यह सच्चा या वह सच्चा ?
एक दिन अष्टावक्र मुनि राजमहल में आये। वे बड़े तपस्वी, योगी, सिद्धपुरुष थे। मुनि को राजा के स्वप्न का पूरा वृत्तान्त बताया गया। अष्टावक्र जी बड़े मनौवैज्ञानिक, पंडित थे। उन्होंने समझ लिया कि स्वप्न ही राजा की इस स्थिति का मुख्य कारण है। वे राजा के पास बैठ गये और वार्ता शुरू की।
अष्टावक्र - राजन ! जिस समय तुम राज्य से निर्वासित किये गये और तुम्हारा सब कुछ छीन लिया गया उस समय तुम राजा थे क्या ?
जनक - मुनिवर ! उस समय मैं एकदम साधारण व्यक्ति था।
अष्टावक्र - जब तीन दिनों तक तुम्हें कोई आहार नहीं मिला तब तुम्हारी क्या हालत थी ?
जनक - मैं भूख से बेहाल था।
अष्टावक्र - जब तुम उस अन्नक्षेत्र में गये तब तुम्हारे पास यह महल नहीं था न ?
जनक - महाराज ! महल क्या था ? मैं तो राज्य से निर्वासित था।
अष्टावक्र - उस दिन तुम्हें खिचड़ी की खुरचन दी गयी तो तुमने ले ली ?
जनक - लेता कैसे नहीं ? मैं भूख से व्याकुल था।
अष्टावक्र - जब चील ने झपट्टा मारा तो बड़ा दुःख हुआ ?
जनक - हाँ मुनिवर ! दुःख हुआ लेकिन तुरन्त मैं जाग गया।
अष्टावक्र - राजन ! अब बताओ, जिस समय तुम निर्वासित होकर जा रहे थे उस समय यह महल, रानियाँ, दीवान, सिपाही, गहने-कपड़े थे क्या ?
जनक - नहीं थे।
अष्टावक्र - अब बताओ, तुम महल में हो ना ?
जनक - हाँ, महल में हूँ।
अष्टावक्र - अब वह अन्नक्षेत्र यहाँ है क्या ?
जनक - नहीं है।
अष्टावक्र - अब वैसी भूख-प्यास और परेशानी है क्या ?
जनक - नहीं, बिल्कुल नहीं है।
अष्टावक्र - राजन ! तुम्हारे प्रश्न का सीधा उत्तर हो गया कि 'जैसा यह वैसा वह' और जैसा वह वैसा यह। जाग्रत में स्वप्न नहीं और स्वप्न में जाग्रत नहीं। जाग्रत का संसार स्वप्न में नहीं और स्वप्न का जाग्रत में नहीं। जबतक तुम जागे नहीं तबतक यह संसार नहीं रहा और जब जाग गये तो वह नहीं रहा। इसलिये दोनों एक से हुए न।
जनक - कैसे ?
अष्टावक्र - स्वप्न में इस संसार की सत्ता थी क्या ?
जनक - नहीं।
अष्टावक्र - और अब संसार में स्वप्न की सत्ता है क्या ?
जनक - नहीं।
अष्टावक्र - ठीक, इसी प्रकार सत्ता ही नहीं है। तुम अपने आप जैसे स्वप्न में देख रहे थे वैसे ही जागरण में देख रहे हो। जागृत के जगत का जो अधिष्ठाता है वह जागरण के जगत को देखता है और स्वप्न जगत का जो अधिष्ठाता है वह स्वप्न के जगत को देखता है। तुम दोनों को देखने वाले हो। वास्तव में दोनों की सत्ता नहीं है।
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- श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार (श्रीभाईजी)

"जय जय श्री राधे'
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प्रिय अभिभावक बंधुयों पी टी वी एन मेमोरियल पब्लिक स्कूल में शिक्षण सत्र 2023- 024 के प्रवेश 1 अप्रेल 2023 दिन शनिवार से ...
11/04/2023

प्रिय अभिभावक बंधुयों पी टी वी एन मेमोरियल पब्लिक स्कूल में शिक्षण सत्र 2023- 024 के प्रवेश 1 अप्रेल 2023 दिन शनिवार से प्रारम्भ हो चुके हैं।

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कैसे हुई नागों की उत्तपत्ति ?〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️हमारे धर्म ग्रंथो में शेषनाग, वासुकि नाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग, धृतराष्ट्र ...
10/04/2023

कैसे हुई नागों की उत्तपत्ति ?
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हमारे धर्म ग्रंथो में शेषनाग, वासुकि नाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग, धृतराष्ट्र नाग, कालिया नाग आदि नागो का वर्णन मिलता है। आज हम आपको इस लेख में इन सभी नागो के बारे में विस्तार से बताएंगे। लेकिन सबसे पहले हम आपको इन पराकर्मी नागों के पृथ्वी पर जन्म लेने से सम्बंधित पौराणिक कहानी सुनाते है।

इन नागो से सम्बंधित यह कथा पृथ्वी के आदि काल से सम्बंधित है। इसका वर्णन वेदव्यास जी ने भी महाभारत के आदि पर्व में किया है। महाभारत के आदि पर्व में इसका वर्णन होने के कारण लोग इसे महाभारत काल की घटना समझते है, लेकिन ऐसा नहीं है। महाभारत के आदि काल में कई ऐसी घटनाओं का वर्णन है जो की महाभारत काल से बहुत पहले घटी थी लेकिन उन घटनाओ का संबंध किसी न किसी तरीके से महाभारत से जुड़ता है, इसलिए उनका वर्णन महाभारत के आदि पर्व में किया गया है।

नागो की उत्पत्ति कद्रू और विनता दक्ष प्रजापति की पुत्रियाँ थीं और दोनों कश्यप ऋषि को ब्याही थीं। एक बार कश्यप मुनि ने प्रसन्न होकर अपनी दोनों पत्नियों से वरदान माँगने को कहा। कद्रू ने एक सहस्र पराक्रमी सर्पों की माँ बनने की प्रार्थना की और विनता ने केवल दो पुत्रों की किन्तु दोनों पुत्र कद्रू के पुत्रों से अधिक शक्तिशाली पराक्रमी और सुन्दर हों। कद्रू ने 1000 अंडे दिए और विनता ने दो। समय आने पर कद्रू के अंडों से 1000 सर्पों का जन्म हुआ।

पुराणों में कई नागो खासकर वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, कार कोटक, नागेश्वर, धृतराष्ट्र, शंख पाल, कालाख्य, तक्षक, पिंगल, महा नाग आदि का काफी वर्णन मिलता है।

शेषनाग कद्रू के बेटों में सबसे पराक्रमी शेषनाग थे। इनका एक नाम अनन्त भी है। शेषनाग ने जब देखा कि उनकी माता व भाइयों ने मिलकर विनता के साथ छल किया है तो उन्होंने अपनी मां और भाइयों का साथ छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करनी आरंभ की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं होगी।

ब्रह्मा ने शेषनाग को यह भी कहा कि यह पृथ्वी निरंतर हिलती-डुलती रहती है, अत: तुम इसे अपने फन पर इस प्रकार धारण करो कि यह स्थिर हो जाए। इस प्रकार शेषनाग ने संपूर्ण पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लिया। क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग के आसन पर ही विराजित होते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण व श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के ही अवतार थे।

वासुकि नाग धर्म ग्रंथों में वासुकि को नागों का राजा बताया गया है। ये भी महर्षि कश्यप व कद्रू की संतान थे। इनकी पत्नी का नाम शतशीर्षा है। इनकी बुद्धि भी भगवान भक्ति में लगी रहती है। जब माता कद्रू ने नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब नाग जाति को बचाने के लिए वासुकि बहुत चिंतित हुए। तब एलापत्र नामक नाग ने इन्हें बताया कि आपकी बहन जरत्कारु से उत्पन्न पुत्र ही सर्प यज्ञ रोक पाएगा।

तब नागराज वासुकि ने अपनी बहन जरत्कारु का विवाह ऋषि जरत्कारु से करवा दिया। समय आने पर जरत्कारु ने आस्तीक नामक विद्वान पुत्र को जन्म दिया। आस्तीक ने ही प्रिय वचन कह कर राजा जनमेजय के सर्प यज्ञ को बंद करवाया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्रमंथन के समय नागराज वासुकी की नेती बनाई गई थी। त्रिपुरदाह के समय वासुकि शिव धनुष की डोर बने थे।

तक्षक नाग धर्म ग्रंथों के अनुसार तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया।

जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तीक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तीक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए। ग्रंथों के अनुसार तक्षक ही भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है।

कर्कोटक नाग कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।

ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके उपरांत कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रविष्ट हो गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।

धृतराष्ट्र नाग धर्म ग्रंथों के अनुसार धृतराष्ट्र नाग को वासुकि का पुत्र बताया गया है। महाभारत के युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया तब अर्जुन व उसके पुत्र ब्रभुवाहन (चित्रांगदा नामक पत्नी से उत्पन्न) के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में ब्रभुवाहन ने अर्जुन का वध कर दिया। ब्रभुवाहन को जब पता चला कि संजीवन मणि से उसके पिता पुन: जीवित हो जाएंगे तो वह उस मणि के खोज में निकला।

वह मणि शेषनाग के पास थी। उसकी रक्षा का भार उन्होंने धृतराष्ट्र नाग को सौंप था। ब्रभुवाहन ने जब धृतराष्ट्र से वह मणि मागी तो उसने देने से इंकार कर दिया। तब धृतराष्ट्र एवं ब्रभुवाहन के बीच भयंकर युद्ध हुआ और ब्रभुवाहन ने धृतराष्ट्र से वह मणि छीन ली। इस मणि के उपयोग से अर्जुन पुनर्जीवित हो गए।

कालिया नाग श्रीमद्भागवत के अनुसार कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ।

अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं ओर निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं ओर चला गया।

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