Shiv goraksh yogi

Shiv goraksh  yogi shreenath rashya guru gorakhnath ji

19/07/2024

Shiv goraksh nath ji

05/04/2024
Jai shree ram
21/01/2024

Jai shree ram

आदेश आदेश पहली धारणा करो नाम की गुरु चरण में लिपटो।मान गुमान छोड सब मन का अभिमान को पटको।।।मान गुमान और अभिमान कोई कोई स...
29/10/2023

आदेश आदेश

पहली धारणा करो नाम की गुरु चरण में लिपटो।
मान गुमान छोड सब मन का अभिमान को पटको।।।

मान गुमान और अभिमान कोई कोई साधु परे रह पाता है
और हर किसी की बस की बात नहीं है
कहते हैं

गंगा जी नाहने से कौन कौन तिरीया।
वो मेंडक क्यो ना तिरीया जिसका गंगा जी में घर है

अब विचारणीय बात यह है कि गंगा एक नदी भी है और एक ज्ञान गंगा भी है

ज्ञान गंगा का साधु ज्ञान गंगा में डुबकी लगा रहा है परंतु अपने आचरण में वह दंभ मान गुमान अभिमान को झलकता है तो वह साधारण मनुष्य ही समझो क्योंकि जिस ज्ञान गंगा का वह बखान करता है वह खुद उस ज्ञान पर अमल नहीं करता है इससे जगत को कोई लाभ नहीं मिल पाता है क्योंकि वह मान अभिमान के बंधन से मुक्त नहीं है

सहजता अनुभव करणी यह साधु का सिंगार आभूषण है इससे ही साधु की दिव्यता एंव तेज आभास होता है

सभी ज्ञानी जन इस बात का सदैव ध्यान रखें कि पीर तो पग पग पर मिल जायेंगे इस कलयूग में परंतु ज्ञान गरीबी का सुमरण करने वाला फकीर मिलना दुर्लभ है

आदेश आदेश संतों हरि हर 🌺 🌺 🌿

🙏🏻मलमास में भगवान विष्णु की महाकृपा पाने के लिए इन बातों का ध्यान रख लें, जानें मलमास में क्या करें क्या न करें🌹18 जुलाई...
19/07/2023

🙏🏻मलमास में भगवान विष्णु की महाकृपा पाने के लिए इन बातों का ध्यान रख लें, जानें मलमास में क्या करें क्या न करें

🌹18 जुलाई दिन मंगलवार से अधिकमास या मलमास की शुरुआत हो रही है और 16 अगस्त दिन बुधवार को समाप्त हो रहा है। अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है क्योंकि इसके स्वामी स्वयं भगवान श्रीहरि हैं। पुरुषोत्तम मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस माह भगवान विष्णु की आराधना और भागवत कथा श्रवण करना बेहद पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि इस मास किए गए धार्मिक कार्यों और पूजा पाठ का फल अधिक मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में मलमास का महत्व बताते हुए, कुछ ऐसी चीजों के बारे में भी जानकारी दी गई है कि इस अवधि में भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए कौन सी चीजें करनी चाहिए और कौन सी नहीं...

1- धर्म कर्म के कार्यों के लिए अधिकमास बेहद उपयोगी माना गया है। इस मास में भगवान कृष्ण और नरसिंह भगवान की कथाओं को सुनना चाहिए। दान पुण्य के कार्य करने चाहिए। अधिकमास में श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, राम कथा और गीता का अध्याय करना चाहिए। सुबह शाम 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।

2- अधिकमास में जप तप के अलावा भोजन का भी ध्यान रखना चाहिए। इस पूरे मास में एक समय ही भोजन करना चाहिए। इस मास में चावल, जौ, तिल, केला, दूध, दही, जीरा, सेंधा नमक, ककड़ी, गेहूं, बथुआ, मटर, पान सुपारी, कटहल, मेथी आदि चीजों के
सेवन का विधान है। इस मास में ब्राह्मण, गरीब व जरूरतमंद को भोजन करना चाहिए और दान करना चाहिए।

3- अधिकमास में दीपदान करने का विशेष महत्व है। साथ ही इस माह एक बार ध्वजा दान भी अवश्य करना चाहिए। इस अवधि में दान पुण्य के कार्य करना, सामाजिक व धार्मिक कार्य, साझेदारी के कार्य, वृक्ष लगाना, सेवा कार्य, मुकदमा लगाना आदि कार्यों में कोई दोष नहीं होता है।

4- अधिकमास में विवाह तय कर सकते हैं और सगाई भी कर सकते हैं। भूमि व मकान खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट कर सकते हैं। साथ ही आप शुभ योग व मुहूर्त में खरीदारी भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप संतान के जन्म संबंधी कार्य कर सकते हैं, सीमांत, शल्य कार्य आदि कार्य भी कर सकते हैं।

🌹मलमास में क्या ना करें

1- अधिकमास या मलमास में मांस-मछली, शहद, मसूर दाल और उड़द दाल, मूली, प्याज-लहसुन, नश

Har har mahadev
20/06/2023

Har har mahadev

      #गुरु_गोरखनाथ_जी_की_आराधना     मेरा कर दे बेड़ा पार, बाबा गोरख जी     मैं आया हूँ तेरे द्वार, बाबा गोरख जी        ...
04/06/2023


#गुरु_गोरखनाथ_जी_की_आराधना
मेरा कर दे बेड़ा पार, बाबा गोरख जी
मैं आया हूँ तेरे द्वार, बाबा गोरख जी
गोरख दाता नाम तुम्हारा
पतित जनों के तारण हरा
मेरा भी कर उद्धार बाबा गोरख जी
जो जन तेरी शरण में आया
तुमने उसका कष्ट मिटाया
तुम हो शंकर के अवतार बाबा गोरख जी
द्वार तुम्हारा मोक्ष का द्वारा
दर्शन को आवे जग सारा
तेरा नाम जपे संसार, बाबा गुरु जी
फूल चढ़ाऊं ज्योत जगाउं
निशदिन तेरा ध्यान लगाऊं
दो दर्शन एक बार, बाबा गोरख जी

आदेश आदेश ॐ शिव गोरक्षनाथ जी महाराज
22/05/2023

आदेश आदेश ॐ शिव गोरक्षनाथ जी महाराज

02/05/2023

Jai baba guru gorakhnath ji

22/04/2023

ओम गुरुजी काली काली महाकाली
मशान काली दक्षिण काली भद्रकाली
दएं हाथ में खप्पर धारे बएं हाथ में खंडा धारे
गले में मुंडमाल साजे आकास पाताल वायु
चारों दिशा तेरी दहाड़ हुंकार गाजे
शिव को पैरों में दबाया परमेश्वरी रुप सजाया
मेरे दुश्मन की रेखा लांघ
भेजे भिजाए को
लगे लगाए को
किये कराए को
अपने तीसरे नेत्र से भस्म कर
मेरे बंधन को तोड़ती आ
पर वचनों को तोड़ती आ
दुसमन का कलेजा खाती आ
बरमा विषनू शंकर की शक्ती से
मेरी भक्ति से गुरु दत्त के आदेश से
नौ नाथों के आदेस से
एक लाख चौबीस हजार पीर पैगम्बर के हुक्म से
बावन भैरु को लाती आ
अस्सी दोष नब्बे मशान को खाती आ
80 लाख बंधन तोड़ती आ
मेरे कहने से ना आए मेरे गुरु के कहने से ना आए
मेरे बुलाने से ना आए मेरे गुरु के बुलाने से ना आए
तो ऐ काली शिव की आराध्या ना कहाए
मेरे वचन से ना आए तो सौगंध लगे
मयोंग की महारानी की
आसाम की कामाख्या की
नैना जोगनी की
श्री काल भैरव की
मेरी भक्ति गुरु दत्त की शक्ति
फुरे मंत्र दत्तात्रेय का वाचा
देखूं गिरनारी के अबधूत तेरी शक्ति का तमाशा
सिद्धौ गुरुवरो आदेश आदेश आदेश
हरि ॐ तत् सत् जय गुरु ,

ॐ जय शिव गोरक्ष योगी आदेश आदेेश
16/04/2023

ॐ जय शिव गोरक्ष योगी आदेश आदेेश

गुरुमुखी नादं गुरुमुखी वेद, गुरुमुखी रहिया समाई!गुरु गोरख गुरु इसरु, गुरु बरमा,गुरु पारबती माई !आदेश आदेश
12/04/2023

गुरुमुखी नादं गुरुमुखी वेद, गुरुमुखी रहिया समाई!
गुरु गोरख गुरु इसरु,
गुरु बरमा,गुरु पारबती माई !
आदेश आदेश

!! गुरु ज्ञान क्या करें !!जिसको नही है बोध ,तो  #गुरु ज्ञान क्या करे। निज रूप को जाना नहीं,तो पुराण क्या करे।घट घट में ब...
11/04/2023

!! गुरु ज्ञान क्या करें !!
जिसको नही है बोध ,तो #गुरु ज्ञान क्या करे।
निज रूप को जाना नहीं,तो पुराण क्या करे।

घट घट में ब्रह्मज्योत का,प्रकाश हो रहा।
मिटा न द्वैतभाव तो,फिर ध्यान क्या करे।
जिसको नही ….

रचना #प्रभू की देख के,ज्ञानी बड़े बड़े।
पावे ना कोई पार तो,नादान क्या करे।
जिसको नही ….

करके दया दयाल ने,मानुष जन्म दिया।
बंदा न करे #भजन तो, #भगवान क्या करे।
जिसको नही ….

सब जीव जंतुओं में ,जिसे है नहीं दया।
‘ब्रह्मानंद’ व्रत नेम,पुण्य दान क्या करे।

जिसको नही है बोध ,तो गुरु ज्ञान क्या करे।
निज रूप को जाना नहीं,तो पुराण क्या करे। Jai shivgoraksh

श्री हनुमान जनमोत्स्व की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाये प्रभु राम दूत हनुमान जी महाराज की कृपा हम सब पर बनी रहे। संकट कटे ...
06/04/2023

श्री हनुमान जनमोत्स्व की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाये प्रभु राम दूत हनुमान जी महाराज की कृपा हम सब पर बनी रहे।
संकट कटे मिटे सब पीरा ।
जो सुमरे हनुमत बल वीरा।।
।।जय श्री राम।।

नाथ सम्प्रदायनवनाथप्राचीन काल से चले आ रहे नाथ संप्रदाय को गुरु मच्छेंद्र नाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ ने पहली दफे व्यवस्था...
06/04/2023

नाथ सम्प्रदाय
नवनाथ
प्राचीन काल से चले आ रहे नाथ संप्रदाय को गुरु मच्छेंद्र नाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ ने पहली दफे व्यवस्था दी। गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया। गुरु और शिष्य को तिब्बती बौद्ध धर्म में महासिद्धों के रुप में जाना जाता है।

परिव्रराजक का अर्थ होता है घुमक्कड़। नाथ साधु-संत दुनिया भर में भ्रमण करने के बाद उम्र के अंतिम चरण में किसी एक स्थान पर रुककर अखंड धूनी रमाते हैं या फिर हिमालय में खो जाते हैं। हाथ में चिमटा, कमंडल, कान में कुंडल, कमर में कमरबंध, जटाधारी धूनी रमाकर ध्यान करने वाले नाथ योगियों को ही अवधूत या सिद्ध कहा जाता है। ये योगी अपने गले में काली ऊन का एक जनेऊ रखते हैं जिसे 'सिले' कहते हैं। गले में एक सींग की नादी रखते हैं। इन दोनों को 'सींगी सेली' कहते हैं।

इस पंथ के साधक लोग सात्विक भाव से शिव की भक्ति में लीन रहते हैं। नाथ लोग अलख (अलक्ष) शब्द से शिव का ध्यान करते हैं। परस्पर 'आदेश' या आदीश शब्द से अभिवादन करते हैं। अलख और आदेश शब्द का अर्थ प्रणव या परम पुरुष होता है। जो नागा (दिगम्बर) है वे भभूतीधारी भी उक्त सम्प्रदाय से ही है, इन्हें हिंदी प्रांत में बाबाजी या गोसाई समाज का माना जाता है। इन्हें उदासी या वनवासी आदि सम्प्रदाय का भी माना जाता है। नाथ साधु-संत हठयोग पर विशेष बल देते हैं।

इन्हीं से आगे चलकर चौरासी और नवनाथ माने गए जो निम्न हैं:-
प्रारम्भिक दस नाथ

आदिनाथ, आनंदिनाथ, करालानाथ, विकरालानाथ, महाकाल नाथ, काल भैरव नाथ, बटुक नाथ, भूतनाथ, वीरनाथ और श्रीकांथनाथ। इनके बारह शिष्य थे जो इस क्रम में है- नागार्जुन, जड़ भारत, हरिशचंद्र, सत्यनाथ, चर्पटनाथ, अवधनाथ, वैराग्यनाथ, कांताधारीनाथ, जालंधरनाथ और मालयार्जुन नाथ।
चौरासी और नौ नाथ परम्परा

आठवी सदी में 84 सिद्धों के साथ बौद्ध धर्म के महायान के वज्रयान की परम्परा का प्रचलन हुआ। ये सभी भी नाथ ही थे। सिद्ध धर्म की वज्रयान शाखा के अनुयायी सिद्ध कहलाते थे। उनमें से प्रमुख जो हुए उनकी संख्या चौरासी मानी गई है।

नौ नाथ गुरु :

1. मच्छेंद्रनाथ 2. गोरखनाथ 3.जालंधरनाथ 4.नागेश नाथ 5.भारती नाथ 6.चर्पटी नाथ 7.कनीफ नाथ 8.गेहनी नाथ 9.रेवन नाथ।

इसके अलावा ये भी हैं:

1. आदिनाथ 2. मीनानाथ 3. गोरखनाथ 4.खपरनाथ 5.सतनाथ 6.बालकनाथ 7.गोलक नाथ 8.बिरुपक

गुरु गोरखनाथ जी की माया सागर नाथ हरी ॐ तत् सत् सतगुरु सिद्ध रूआएरोम रोम चैतन्या शिवरूपी सद्गुरु महाराजयुग युग बाणी युगे ...
04/04/2023

गुरु गोरखनाथ जी की माया सागर नाथ

हरी ॐ तत् सत् सतगुरु सिद्ध रूआए
रोम रोम चैतन्या शिवरूपी सद्गुरु महाराज
युग युग बाणी युगे यूगे ज्ञान हरी ॐ मैं
जिसका वास नाथो के नाथ सिद्ध उपकारि
उजाया सोहम बीज का पाठ सागर नाथ सिमरिया
सदगुरु का जाप हरी ओम तत् सत् गुरु महाराज
आपकी मेह्मा अप्रम पार ॐ श्री गुरुवे नमः ।

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