Meenakshi singh

Meenakshi singh Life is too short, enjoy it ��

01/02/2025
16/01/2025

भाभी नई नवेली थी हम-उम्र तीन ननदों से खूब दोस्ताना था,, भाभी के कपड़े ,गहने,सब पहनती भाई के आगमन से पहले खूब हंसी-धमाके भाभी के कमरे में मचे रहते,संग संग काम भी करवा देती।
ढेर सारे सगे-चचेरे ननदों- देवरों के बीच भाभी एक खिलौना थी, पर सगे देवर और ननद से हल्का सा अदब बना ही रहता।
वो सबकी एक-एक फरमाईश दौड़-दौड़ पूरी करती,, माता-पिता ने समझा कर जो भेजा था। परेशानी इसमें कोई थी भी नहीं उसे,,
मायके में भी जिम्मेदार बिटिया रही थी।
बस एक मलाल दिल में बना रहा था!
कभी कोई उसके दिल की बात ना पूछता ससुराल में!!
उसके मुस्कुराते-खिलखिलाते चेहरे को ही सब उसकी सहमति माने खुश हुए रहते।
आज ननदें ख़रीदारी को जा रही थी,उसका भी मन था बाहर निकलने का थोड़ी देर रिश्तों वाली बोझिल घुटन से बाहर ताज़ी हवा में जाने का,,
धीरे से ननद से पूछा ! मैं भी चलूँ!!
ननद ने माँ से पूछा भाभी को ले जाऊँ?
माँ ने जल्दी आने की ताक़ीद,और सिर से पल्ला ना गिरने का बहू को सांकेतिक फ़रमान। साथ ही आधे गृहकार्य को जल्दी निबटा के जाने की हिदायत दी,, आने पर हड़बड़ी ना मचे।
उसने सब किया उत्साह ढेरों था,,नदी किनारे बसा महिलाओं का प्रसिद्ध बाजार,, बहुत तारीफ़ सुनती थी रोज़।
चलते वक्त माँ ने कमर में खोंसा हुआ चांदी का वाला गुच्छा निकाला!अलमारी से नोटों की गड्डी निकाल बेटी के हाथ में थमा दिया,,
बहु ने सोचा शायद मुझे अब दें!अब दें!!
अलमारी बन्द हो गयी ,,कमर में चाभी का गुच्छा लटकाए सास पलँग पर लेट गयी।
बहु सारा बाज़ार पल्ला संभालते एक हाथ से पर्स थामे रही,,
घर लौटते वक्त ननदों ने हंसी की! भाभी ने कुछ नहीं खरीदा,, भाभी के पास तो सब भरा ही है नया कहाँ रखती!! भाभी मुस्कुरा दी।
बहु प्रत्येक वर्ष मायके आती,, जितने दिन रहती घर में रौनक बनी रहती।जाते समय माँ उसके और उसके ससुराल वालों के लिये ढेरों उपहार और उसकी रोजमर्रा की जरूरतों का भी बहुत कुछ दिला देती। वह कभी मना भी नहीं करती।
पिता माँ से हमेशा बस इतना ही पूछते….
सब दे दिया है ना !कोई कमी तो नहीं कि!!
जवाब में माँ मुस्कुरा देतीं।
पिता ने शुरू से ही खर्च सम्बंधित सारी जिम्मेदारियां माँ के ऊपर छोड़ रखी थी,, उन्हें माँ पर पूरा भरोसा था और माँ को अपने बच्चों की परवरिश पर।
मायके में हँसती- हँसाती बिटिया ससुराल पहुंचते ही बहू कैसे बन जाती है ये सवाल उसके मन में घूमते रहते।
बरसों बीत गए अब ननद-देवर सब गृहस्थ बन चुके थे,ख़ुद उसके भी दो-चार बालों में सफेदी झांक रही,,
आज मायके में पिता बाज़ार जा रहे थे, सबकी पसन्द की मिठाई पूछ रहे थे,, बिटिया ने कहा जो आप ले आएंगे खा लूँगी।
पिता ने ज़ोर दिया तो बेटी ने पसन्द बता दी,,
पिता हँसने लगे…. इतनी मामूली सी पसन्द बताने में इतना हिचक रही थी मेरी बेटी!
बेटी ने धीरे से कहा! यहां कभी मां को आपके सामने हाथ फैलाते या फरमाईश करते नहीं देखा था!!
हमें भी जो चाहिए होता! माँ से कहते,माँ तकिये के नीचे से निकाल अलमारी की चाभी पकड़ा देती,, हमें जितना चाहिए होता था, हम भी उतना ही निकालते होते!
उससे एक रुपये कभी ज्यादा निकालने की जरूरत नहीं समझी हमनें!!
मांगना आज भी नहीं आया पापा।

कुंभ में जो आईआईटीयन बाबा वायरल हुए हैं वो व्यक्ति यही है.....इनका नाम हैं अभय सिंह.….. ये मुंबई IIT 2008 बैच के एयरोस्प...
15/01/2025

कुंभ में जो आईआईटीयन बाबा वायरल हुए हैं वो व्यक्ति यही है.....इनका नाम हैं अभय सिंह.…..

ये मुंबई IIT 2008 बैच के एयरोस्पेस इंजीनियर थे.....सुख सुविधा और भविष्य में आगे बढ़ने और बेहतर करियर बनाने, विदेश जाने के सभी अवसर इनके पास थे.....
इन्होंने बोइंग कंपनी में कुछ वर्ष काम भी किया

फिर पता नहीं कैसे ये एक दिन सब कुछ त्याग कर साधु बन गए.…..

इनके सहपाठी आज पता नहीं किस किस फील्ड में पूरी दुनिया में कहां कहां होंगे.....

जिस उद्देश्य के लिए ये सन्यासी बने वह पूरा हुआ या नहीं.... ये तो यहीं जानते होंगे..... कुंभ मेले और नागा साधुओं को एक विदेशी पत्रकार ने दूसरी दुनिया के व्यक्ति बताया था.....अभी तो महाकुंभ की शुरुआत हुई है......अंत होते होते न जाने कितने और रहस्य प्रकट होंगे.....?????

14/01/2025

माँ बाप के पास बैठने के दो फायदे हैं,
पहला आप कभी बड़े नहीं होते और दूसरा माँ बाप कभी बूढ़े नहीं होते.. इसलिए माँ बाप के पास बैठने की आदत डालिये और हा माँ बाप के पास बच्चे बन कर ही बैठे बड़े बनकर माँ बाप के पास बैठने की मूर्खता न करे। माँ बाप को इससे कोई मतलब नही की तुम कितने बड़े आदमी हो ,माँ बाप को तो बस तुम में अपना बच्चा ही देखना अच्छा लगता है। इसलिए तुम भी माँ बाप के पास वही नटखट बच्चे बनकर ही बैठने की आदत डालो ,यकीन मानिए इस दुनिया के धक्के खाकर भी आपकी चमक कम नही होगी और आपके माता पिता भी बूढे नही होंगे बस प्यार से दो पल बैठने की बात है बैठ जाया करो अपने माँ बाप के पास।
घर मे बैठे माँ बाप के पास दुनिया के संघर्ष के अनुभव है जो संघर्ष तुम कर रहे हो वही संघर्ष करके तो आपको बड़ा किया है इन घर मे बैठे माँ बाप ने ,इसलिए इनके पास बैठिए इनके अनुभव आपको जीवन मे कभी हारने नही देंगे ।
बस कुछ पल माँ बाप के पास उनका बेटा बनकर बैठिए तो सही फिर देखिए न वो बूढ़े होंगे न तुम बड़े होंगे बस आनन्द ही आनन्द होगा जरा आजमा के तो देखिए।

08/01/2025

एक दिन जब उसके हाथों का स्वाद चखने को आतुर कोई न होगा..

एक दिन जब वो अपनी प्रतीक्षाओं के बदले उलाहने पाएगी...

एक दिन उसे अपने प्रश्न के बदले मौन प्रश्न मिलेंगें...

एक दिन जब उम्र की सूई में मोह के धागे पिरोते
उसकी नज़र धुंधला जाएगी..

एक दिन जब घर के सारे बेतरतीब कोने और दरारें
किसी और की निगहबानी पाएंगें...

उस दिन वो अपने भीतर बाकि बचे घर के किवाड़ बंद कर बेचैन की नींद सो जाएगी.

07/01/2025

Be positive 🧡
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एक दिन तुम थक जाओगे,
दुनिया भर के व्यंजनों से...
फिर तुम्हें मां के हाथ के खाने की,
याद आएगी .

एक दिन तुम थक जाओगे..
अपने चारों तरफ से घिरे चाटुकारों से,
उसे फिर तुम्हें पिता की याद आएगी.

एक दिन ढूंढेंगी तुम्हारी नजर..
तुम्हारा कोई भाई या बहन,
तुम्हारे थाली में से..
एक रोटी का टुकड़ा उठा उठा के,
शैतानी से झट से अपने मुंह में डाल ले.

तब तुम लौट आना चाहोगे घर में...
और शायद लौट भी आओ..
मगर पता नहीं वह लोग होंगे कि नहीं..
वह आंगन में बैठे हुए अकेले पिता,
और कमरे में कुछ ना कुछ करती हुई मां.
शायद विदा हो चुकी होगी बहन घर से.

पक्का तुम लौट आओगे...
घर तो वही होगा..
लोग होंगे कि??
नहीं सोचा है न कभी,
आना हो तो लौट आना घर वक्त पर,
घर के लिए नहीं ...लोगों के लिए.
क्योंकि घर तो रह जाता है,लोग नहीं होते।

03/01/2025

उन पुरुषों को दंडवत प्रणाम हैं,
जो अपने घर की औरतों को छोड़ दूसरे के घर की औरतों की
परवाह करतें हैं.....

जो इनबॉक्स में जा कर hi, hello से शुरू हो कर उनके खानें पीने, परिवार, बच्चें, पति सब की ख़बर लेते हैं। दोस्तों यदि इतनी ख़बर अगर बीवी की
ले ले तो घर में लोकी नहीं
56 पकवान बनें मिलें।

जो स्त्री सुबह से शाम तक आपके लिए समर्पित हैं उसके समर्पण की थोड़ी तो लाज़ रखों
यारो, थोड़ा उसके लिए भी
कुछ काम करें। परस्त्री आपके साथ नहीं रहेंगी ।

जो उनके सामने मीठी मीठी बातें
कर के वक़्त को यूँ जाया कर रहें। थोड़ा समय निकाल कर उनको भी फ़ोन या मैसेज करें
जिनके दिन / जीवन की शुरुआत और अंत आप ही हैं।

और ये भी ध्यान रखें कि जिस तरह आप दूसरों की स्त्री की
परवाह में लगें हैं
कोई आपकी स्त्री की परवाह में ना लगें......
इसीलिए बेवज़ह यहाँ वहाँ भटकने से अच्छा हैं उन्हें वक़्त
दे जो उस वक़्त के हक़दार हैं।

आपकी थोड़ी सी परवाह दोस्तों..

आपकी जिंदगी आसान और सुखमय बना देंगी।...This post is for married man 🙏🙏

28/12/2024

जो पढ़ना जानती थी,
वे प्रेमपत्रों से ठगी गई,
जो नहीं जानती थी
वे एक जोड़ी झुमकों से.
चटोरपन की मारी
एक प्लेट चाऊमिन से,
तेरे हाथों में स्वाद है '
सुनकर ठगी गई वे सारी
जो पढ़कर भी पकड़ नहीं पाई
इतिहास का सबसे बड़ा झूठ.
प्रेम में केवल ईश्वर को साक्षी मानने वाली
एक चुराई अलसाई दोपहरी में मिले
एक चुटकी सिंदूर से ठगी गई.
घर-बाहर दोनों संभालने वाली
चाभियों के एक अदद गुच्छे‌ से..

ठगी की मारी ये सारी की सारी
तबतक खिली रही जबतक
प्रेम का वृक्ष ठूंठ हो उनकी देह के साथ नहीं जला.

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