09/01/2023
शीतलहर
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शीतलहर ने हमें डराया।
पौष मास ना हमको भाया।।
तन कांपे मन घबरा जाये।
सर्दी में कुछ समझ न आये।।
सुर्य देव ना दर्श दिखाते।
घने बादलों में छुप जाते।।
दिन भर रहता है सन्नाटा।
काम धाम सब ठप हो जाता।।
लम्बी रात नही कट पाती।
ठिठुरन होती नींद न आती।।
घर में ही सब दुपके रहते।
ठंडी-ठंडी आहे भरते।।
बच्चे बाहर खेल न पाते।
घर के अंदर धूम मचाते।।
शीतलहर जब कहर मचाती।
काल बुजुर्गो का बन जाती।।
अलाव जलाकर हो गुजारा।
निर्धन का बस यही सहारा।।
जीव जंतु मुश्किल से बचते।
शीतलहर में घुटकर मरते।।
सुर्य देव तुम दृश्य दिखाओ।
तिमिर कुहासा दूर भगाओ।।
हे ईश्वर अब कहर न ढाओ।
शीतलहर से हमें बचाओ।।
Pin2sondhiya
मौलिक स्वरचित