जय भीम जय मूलनिवासी Jay Bhim Jay Moolniwasi

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जय भीम जय  मूलनिवासी Jay Bhim Jay Moolniwasi बहुजन विचारक

03-05-2023  👏  #रांची_चले_रांची_चले  #देश_के_भेरोजगरो_एक_हो_जाओ स्थल:- सरना भवन नागड़ा टोली रांची झारखंड। समय सुबह 11 बजे...
22/04/2023

03-05-2023 👏 #रांची_चले_रांची_चले #देश_के_भेरोजगरो_एक_हो_जाओ स्थल:- सरना भवन नागड़ा टोली रांची झारखंड। समय सुबह 11 बजे से #बेरोजगारों_की_संसद #रांची
#बेरोजगारों_का_मोर्चा #भारतीय_बेरोजगार_मोर्चा
#स्वागत #अभिनन्दन ाय_चलतो #जोहार

वर्तमान में हमारे समाज में हजारों समस्याएं हैं हजारों समस्याओं का मूल कारण गुलामी है और इसका समाधान आजादी है आजाद होने क...
31/08/2021

वर्तमान में हमारे समाज में हजारों समस्याएं हैं हजारों समस्याओं का मूल कारण गुलामी है और इसका समाधान आजादी है आजाद होने के लिए आंदोलन करना होगा जन आंदोलन करना होगा आजाद हो जाओ और समस्याओं से छुटकारा पाओ✒भारतीय विद्यार्थी मोर्चा ✒️ भारतीय युवा मोर्चा
✒️ भारतीय बेरोजगार मोर्चा ✒️ भारतीय विद्यार्थी छात्रा प्रकोष्ठ
✒️ राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ ✒️ इंडियन रिसर्च स्कॉलर असोसिएशन ✒ भारतीय विद्यार्थी छात्रावास संघ का संयुक्त 9 वा महाराष्ट्र राज्य अधिवेशन
24 सितंबर 2021.
Venue :- page :-
जोहार जय मूलनिवासी

20/08/2021
12/07/2021
लोकसभा व विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व×××××××××××××××××××××××××××भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 के तहत लोक सभा में तथा अनु...
24/05/2021

लोकसभा व विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 के तहत लोक सभा में तथा अनुच्छेद 332 के तहत विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जन जातियों के लिए प्रतिनिधित्व का प्रावधान है। किसी राज्य अथवा संघ शासित क्षेत्र में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जन जातियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या उस राज्य के लिए लोक सभा में आबंटित स्थानों की कुल संख्या और सम्बन्धित राज्य में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की कुल संख्या के अनुपात के बराबर होगी।
संविधान के अनुच्छेद 334 में प्रावधान है कि अनुसुचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों के लिए लोकसभा तथा विधान सभाओं में कितने वर्षों के लिए प्रतिनिधित्व दिया जायेगा। प्रतिनिधित्व सम्बन्धी प्रावधान अनुच्छेद 334 के अंतर्गत मूलत: 26जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही अगले 10 वर्षों के लिए अर्थात 25जनवरी 1960 तक किया गया था, जिसे 8वें संविधान (संशोधन) अधिनियम 1959, 23वें संविधान (संशोधन) अधिनियम1969, 45वें संविधान (संशोधन) अधिनियम1979, 62वें संविधान (संशोधन) अधिनियम 1989, 79वें संविधान (संशोधन) अधिनयम1999, 95वें संविधान (संशोधन) अधिनियम 2009 व 126वें संविधान (संशोधन) अधिनियम2019 के द्वारा अब तक 07 बार क्रमश: 10-10 वर्षों के लिए यह अवधि बढ़ायी गयी। 126वां संविधान (संशोधन) अधिनियम 2019 पारित होकर 26जनवरी 2020 से लागू हुआ जिससे लोकसभा में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों का यह प्रतिनिधित्व आगामी 10वर्षों अर्थात् ी_2030_तक उपलब्ध रहेगा। इस संशोधन के तहत अनुच्छेद 334 में 70 वर्षों के स्थान पर 80 वर्ष शामिल किया गया। परन्तु अनुच्छेद 334 की किसी बात से लोक सभा में या किसी राज्य की विधान सभा में किसी प्रतिनिधित्व पर तब तक कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जब तक, उस समय विद्यमान लोक सभा/ विधान सभा का विघटन नहीं हो जाता।
अब तक केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को एक नहीं बल्कि 7-7 बार मौका मिला कि लोक सभा एवं विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जन जातियों के प्रतिनिधित्व को आगे न बढ़ाते। जबकि इस प्रतिनिधित्व की अवधि बढ़ाने के लिए किसी राजनैतिक दल या सामाजिक संगठन ने कभी भी मांग ही नहीं की, फिर भी ध्वनिमत से सत्तापक्ष लगातार 10- 10 वर्षों के लिए आज तक बढ़ाता आ रहा है क्योंकि

3/10 को उतर प्रदेश में धरना प्रदर्शन8/10 को देश भर में धरना प्रदर्शन15/10 को देश भर में रैली22/10 को  #उत्तर_प्रदेश_बन्द...
03/10/2020

3/10 को उतर प्रदेश में धरना प्रदर्शन
8/10 को देश भर में धरना प्रदर्शन
15/10 को देश भर में रैली
22/10 को #उत्तर_प्रदेश_बन्द
30/10 को जेल भरो आंदोलन मा.वामन मेश्राम साहब ने एलान किया है।
बहुजन बेटियों पर हुवे अत्याचार के विरोध में
https://youtu.be/scbG_UmQL9o
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29/09/2020

Bamcef के वरिष्ठ कार्यकर्ता Dev Ji Bhai Maheshwari Ji जी की अंतिम यात्रा देखे ||MNUP||
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28/09/2020
 #23सितंबर : बाबासाहेब का संकल्प #×××××××××××××××××××××××××भारत के इतिहास में या यूं कहे कि बहुजन आंदोलन के इतिहास में 2...
23/09/2020

#23सितंबर : बाबासाहेब का संकल्प #
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भारत के इतिहास में या यूं कहे कि बहुजन आंदोलन के इतिहास में 23सितंबर1917 का दिन बेहद खास है। यह वही दिन है, जिस दिन 26 साल का एक युवक अपनी भीगी आंखों से एक संकल्प ले रहा था। युवक के उस एक संकल्प ने अनगिनत शोषितों की जिंदगी बदल दी, या यूं कहें कि भारत का इतिहास बदल दिया। वह युवक थे बाबासाहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर और वह जगह थी वडोदरा का कामठी बाग।
आधुनिक भारत के निर्माता डॉ0 भीमराव अम्बेडकर यहाँ वड़ोदरा नगरी के महाराजा श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड़ (तृतीय) द्वारा उच्च शिक्षा के लिये छात्रवृति ऋण स्वरूप अनुबंधनानुसार दी गई थी कि उच्च शिक्षा उपरांत कम से कम 10 वर्ष की अवधि तक उन्हें अपनी सेवा वड़ोदरा रियासत को देनी होगी, शिक्षा उपरांत सितम्बर1917 में अपना कर्तव्य निभाने हेतु वडोदरा नगरी में पधारे, उन्हें यहाँ सैनिक सचिव के उच्च पद पर आसीन किया गया था लेकिन यहाँ के अधिकतर अधिकारी क्षुब्ध हो गये क्योंकि हिन्दू परंपरा के अनुसार वे एक अछूत व्यक्ति थे और अछूत को इतना बड़ा ओहदा....? महाराजा के कृपापात्र व भारत के प्रथम दर्जे के विद्वान होने के बावजूद भी उन्हें यहाँ प्रतिदिन भीषण मनुवादी मानसिक रोगग्रस्त सहयोगियों द्वारा जातिसूचक व घृणित कटाक्षों की अति से अपमान की दुर्दशा का जहर पीना पड़ रहा था, उन्हें यहाँ रहने के लिए मकान तक नहीं मिला, एक पारसी की धर्मशाला में नाम बदल कर (एदल सोराबजी) रहना पड़ रहा था, लेकिन यह बात छुप नहीं सकी, मात्र 11वें दिन ही अर्थात 23सितम्बर 1917 रविवार के दिन तो अति ही हो गई कि उन पर पारसी की धर्मशाला निवास पर लाठी डंडों से लैस लगभग दर्जन भर पार्सिओं ने क्षुब्ध अधिकारियों की सह से अतिअभद्रता के साथ आक्रामक हमला बोल दिया ... आरोप लगाते हुए कि तूने धर्मशाला को अपवित्र कर दिया . . . घोर अपमानित करते हुए उनका सामान भी बाहर फेंक दिया और धर्मशाला को तुरंत ही खाली करने का फरमान भी सुना दिया। अब बाबासाहेब इतने व्यथित हो चुके थे कि इस भयावह वातावरण से निकलकर वापस मुंबई जाने के लिये निकले तो उस दिन मुंबई जाने वाली रेलगाड़ी, जो शाम नौ बजे रवाना होती थी, वह भी लगभग 4 घंटे लेट थी, अतः इस भयावह वातावरण को ध्यान में रखते हुए बाबासाहेब को इसी शहर की सीमा पर स्थित पावन भूमि "कामठी बाग" जो अब वर्तमान में “संकल्प भूमि सयाजी बाग” पर एक वट वृक्ष (संकल्प वृक्ष) के नीचे शरण लेनी पड़ी, इन्ही पलों को व्यतीत करते हुए बाबासाहेब असहनीय पीड़ा भरी सोच में डूब चुके थे कि मेरे ही देश में जब मेरे जैसे भारत के प्रथम नंबर के महाशिक्षित विद्वान की यह ऐसी दुर्दशा है तो शेष करोड़ों गुलामी भरा जीवन जीने वाले मानवों की दुर्दशा कितनी भयावह होगी . . . इस वक्त बाबासाहेब की आँखों से अश्रुओं का झरना रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था . . . क्या ये अश्रु साधारण हो सकते थे ? इन्हीं अश्रुओं से भारत भाग्य विधाता बाबासाहेब के ज्ञान भंडार में, मष्तिष्क में उन करोड़ों- करोड़ों शोषितों, वंचितों... के रोते बिलखते चित्र उभरकर उनके मस्तिष्क में प्रतिबिम्बित हुए, आज तो उनकी मानवीय संवेदनाएँ कराह उठी थी – इसी वक्त एक दृढ संकल्प की चिंगारी उनके मष्तिस्क से निकली कि -“आज से मेरा परिवार वो समस्त करोड़ों करोड़ों शोषित-गुलामी भरा जीवन जीने वाले मानव हैं, मैं आज से जीवन पर्यंत सिर्फ समता के महान आदर्श के स्थापत्य व मानवीय शोषण की भयंकर बीमारी के निर्मूलन के लिये अंतिम सांस तक संघर्ष करूँगा। केवल अपने दृढ संकल्प के लिये ही जीवनपर्यन्त संघर्ष व कार्य करूँगा, मेरा दृढ संकल्प ही देश की एकता - अखंडता की मुख्य कड़ी होगा। यदि जिस वर्ग में मैं पैदा हुआ हूं उसकी गुलामी की बेड़ियां न काट सका तो मैं पिस्तौल से गोली मारकर अपना जीवन समाप्त कर लूंगा।" ज्ञातव्य है कि उन दिनों देश के मानवों में असमानता की व्यापक भयंकर बीमारी के कारण ही देश में एकता व अखंडता की मुख्य कमी बनी हुई थी, परिणामतः देश गुलामी का जीवन जी रहा था। इस तरह असंख्य आदर्श मानवतावादी संघर्षों की क्रांति इसी पावन भूमि पर लिये गए बाबासाहेब के दृढ संकल्प से उद्गमित हुई, अनेको कष्ट भरी विषम परिस्थतियों को वे अपने दृढ संकल्प से कुचलते कुचलते, संविधान अंकुरण की इस प्रथमतः भूमि “संकल्प भूमि सयाजी बाग” से संविधान सभा के मुखिया बनकर पहुँचे और देश को दिया विश्व विख्यत राष्ट्रीय ग्रन्थ - “भारत का संविधान”, परिणामतः हमारा देश हुआ आधुनिक भारत। सच तो यह है कि न तो यह साधारण अश्रु थे न ही साधारण था संकल्प, जहाँ अश्रु संविधान की स्याही थी वहीँ संकल्प एक सामाजिक न्याय की मानवीय संवेदनाओं की कलम। इस दिन से वे अपने निजी परिवार तक सीमित नहीं रहे बल्कि भारत के समस्त शोषितों को अपना परिवार स्वीकारा।
भारत भाग्य विधाता डॉ0अम्बेडकर के 103 वर्ष पहले जिस स्थान पर अश्रू गिरे, वहीं पर बाबासाहेब ने उसी दिन एक ऐतिहासिक संकल्प लिया, वही संकल्प जो कि आज भारत के संविधान के रूप में राष्ट्रीय ग्रंथ है, इस पवित्र भूमि का विधिवत नामकरण 14अप्रैल 2006 को हुआ तदुपरांत अब विश्व भर में इस पवित्र स्थल को संकल्प भूमि सयाजी बाग, वड़ोदरा, गुजरात, भारत, के नाम से जाना जाता है। हर साल वहां देश भर से अम्बेडकरवादी इकट्ठा होते हैं। आज 23 सितंबर 2020 को इस घटना के 103 वर्ष पूरे हो गये हैं। बाबा साहब की तरह अब हमें भी संकल्प लेना है कि जबतक आधुनिक मनुस्मृति अर्थात ईवीएम नहीं हटती, तबतक हम भी चैन से नहीं बैठेंगे, इसे हटाने के लिए हम तन, मन, धन से भरपूर सहयोग करेंगे।

✅ तथागत गौतम बुद्ध OBC✅ भगवान महावीर OBC✅ सम्राट अशोक OBC ✅ संत कबीर साहेब OBC✅ संत बसवेश्वर OBC✅ संत नामदेव OBC✅ संत गो...
22/09/2020

✅ तथागत गौतम बुद्ध OBC
✅ भगवान महावीर OBC
✅ सम्राट अशोक OBC
✅ संत कबीर साहेब OBC
✅ संत बसवेश्वर OBC
✅ संत नामदेव OBC
✅ संत गोरा कुम्हार OBC
✅ संत सेना नाई OBC
✅ संत जगनाडे महाराज OBC
✅ संत सावता माली OBC
✅ संत नरहरी सोनार OBC
✅ संत तुकाराम महाराज OBC
✅ संत गाडगे महाराज OBC
✅ राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज OBC
✅ अवंतीबाई OBC
✅ अहिल्याबाई होलकर OBC
✅ कर्पूरी ठाकुर OBC
✅ ई.व्ही.पेरियार रामास्वामी नायकर OBC
✅ छत्रपति शिवाजी महाराज OBC
✅ छत्रपति शाहु महाराज OBC
✅ बडौदा नरेश सयाजीराव गायकवाड OBC
✅ महात्मा राष्ट्रपिता ज्योतीबा फुले OBC
✅ विद्या की देवी सावित्रीबाई फुले OBC
✅ पेरियार, एवं ललई सिंह यादव (सच्ची रामायण) कानपुर OBC
✅ कर्मवीर भाऊराव पाटील OBC

इन OBC लोगों के सहयोग व प्रेरणा से समतावादी आंदोलन को बाबासाहेब अपने कंधो पर लेकर निरन्तर आगे बढ़ा रहे थे।

यह वो सत्य है जो ओबीसी के लोगो से मात्र इसलिये छिपाया गया कि कही 52% ओबीसी यदि जाग गया और बाबा साहब की विचारधारा को जान गया तो भारत देश की सत्ता पर आसीन हो जायेगा।

मेरा सभी ओबीसी भाइयों से निवेदन है कि इस सत्य को ओबीसी तक पहुंचाये और गर्व से ये बताये कि बाबा साहब को डॉक्टर और वकील तथा विदेश मे पढाने का काम ओबीसी समाज के महापुरुषों ने ही किया।

बाबा साहब ने ही OBC की 3743 जातियों को एक समूह OBC में रखकर उन्हें संवैधानिक अधिकार दिया और अनुच्छेद 340 में प्रतिनिधित्व याने आरक्षण की व्यवस्था की, जिस दिन यह छिपाया गया सत्य OBC की 3743 जातियों को समझ में आएगा उसी दिन भारत देश मे OBC/SC/ST/MINORITY (जिसकी जितनी भागीदारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी) का कब्जा हो जायेगा और बाबा साहब का सपना पूर्ण हो जायेगा।

नोट- इतिहास में अपने महापुरुषों को पढ़ेंगे तो आप को ज्ञात हों जायेगा कि सच्चाई क्या हैं।

 #जयपुर हाईकोर्ट का ब्राह्मणीकरण # ×××××××××××××××××××××××राष्ट्र निर्माता डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने 25 दिसम्बर 19...
22/09/2020

#जयपुर हाईकोर्ट का ब्राह्मणीकरण # ×××××××××××××××××××××××
राष्ट्र निर्माता डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने 25 दिसम्बर 1927 के दिन महाराष्ट्र के महाड़ में मनुस्मृति नाम के तथाकथित धार्मिक ग्रंथ को पब्लिकली जलाया था। कारण यह घ्रणित किताब मनुस्मृति मूलनिवासियों के मानव अधिकारों के विरोध में लिखी गयी थी। जाहिर तौर पर इस किताब में पाखंड है। जाति के आधार पर छुआछूत, ऊँच-नीच, असमानता का कारण मनुस्मृति ही है। सदियों से सोशल डीग्रेडेशन का मुख्य कारण मनुस्मृति है। मानव समाज में जाति के आधार पर भेदभाव को जन्म मनुस्मृति ने दिया था। चार वर्णों की व्यवस्था का भी उद्गम मनुस्मृति से होता है। वर्ण व्यवस्था ने मानव समाज में ऊँच-नीच को जन्म दिया। हिन्दू समाज में मूलनिवासियों के मानव अधिकार मनुस्मृति की वजह से छीन लिए गये। इससे सम्बंधित तमाम प्रकार की बातें मनुस्मृति में लिखी हुई है। आज के आधुनिक युग में भी हम तमाम प्रकार की ख़बरों से रूबरू होते हैं जिसमे यह पढ़ने या देखने को मिलता है कि फलांना जगह बहुजनों के घर जला दिए गये। फलांना जगह एससी लड़कियों के साथ उच्च जाति के असामाजिक तत्वों ने बलात्कार किया या फलांना जगह एससी महिला को नंगा कर घुमाया इत्यादि।
इस प्रकार की तमाम प्रकार की दुखद ख़बरें हर रोज अख़बार, दूरदर्शन या फिर सोशल मीडिया पर देखने को मिलती है। कुल मिलाकर निष्कर्ष यह है कि मनुस्मृति मानव समाज के लिए खतरा है। यह मानवीय मूल्यों को ठेस पहुंचाती है। मनुस्मृति को मनु नाम के काल्पनिक व्यक्ति ने लिखा था। काल्पनिक इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मनु को किसी ने देखा नहीं था और न ही इतिहास में मनु की शक्ल के बारे में कोई जानकारी मिलती है। मनुस्मृति की वजह से मूलनिवासियों के साथ अन्याय होता आ रहा है। भारत में महिलाओं के विरोध में कई प्रकार की रुढ़िवादी परम्पराएँ चलती आ रही हैं। मिसाल के लिए दहेज़ प्रथा हो या घुंघट प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या हो या बाल विवाह या कन्या-दान शब्द।
मनुस्मृति दहन का मकसद मूलनिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार एवं अन्याय को खत्म करके समानता वाले समाज की स्थापना करना था। यानी कि छुआछूत, जाति आधारित भेदभाव, ऊँच-नीच, को ख़त्म करना तो था ही, इसके साथ-साथ चार वर्णों की व्यवस्था को भी ख़त्म करना था यानी कि ब्राह्मणवाद को ख़त्म करके समाजवाद, आम्बेडकरवाद स्थापित करना था। ब्राह्मणवाद क

बेटा ये “सावरकर” नहीं है जो तेरी पिस्तौल से डर कर माफ़ी माँग लेगा.....ये किसान है...अन्तिम साँस तक लड़ेगा....हिम्मत है त...
20/09/2020

बेटा ये “सावरकर” नहीं है जो तेरी पिस्तौल से डर कर माफ़ी माँग लेगा.....ये किसान है...अन्तिम साँस तक लड़ेगा....हिम्मत है तो...चला गोली...
जय भीम, जय भारत, जय किसान।

विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थाओं मे महामानव डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर इनके पुतले लगे है. लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स, यून...
19/09/2020

विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थाओं मे महामानव डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर इनके पुतले लगे है. लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट अमेरिका, ब्रांडिस यूनिवर्सिटी (बोस्टन) अमेरिका; साइमन फ़्रेज़र यूनिवर्सिटी (वैंकोवर, कनाडा),
यॉर्क यूनिवर्सिटी (कनाडा), वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया ), यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेलबोर्न, कोयासन यूनिवर्सिटी कैंपस जापान, आंबेडकर इंस्टिट्यूट (सजोकजा हंगरी) और कोलंबिया विद्यापीठ न्यूयॉर्क जहां मुझे भी जाने का सन्मान मिला है....
बाबासाहाब वो महान शख्शियत है जिन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान उनके विद्वत्ता का सन्मान करके अपने विद्यापिठों मे उनके पुतले लगा रहे है ताकी सबको को प्रेरणा मिले और आप कहते है बाबासाहाब का पुतला नही चाहिए.... क्या कहें

18/09/2020

आखिर क्या कारण है? बिहार चुनाव के समय में BJP/JDU जनता के लिए
लाखों करोड़ों की मात्र घोषणा कर रहे है, लगता है हार ने का डर लग रहा है!
" 2015 के चुनाव में भी नरेंद्र मोदी ने 1 लाख 25 हजार की घोषणा की थी 5 साल बीत गए उसका कोई अता-पता नहीं है "
V.L.Matang,National President, Bahujan Mukti Party

16/09/2020
हरामख़ोरी,चाटूकारिता,दलाली,भड़वेगिरी की सारी हदें पार करते हुए तथाकथित आंबेडकरवादी नेता रामदास आठवले नचनिया,नसेड़ी के दरबार...
11/09/2020

हरामख़ोरी,चाटूकारिता,दलाली,भड़वेगिरी की सारी हदें पार करते हुए तथाकथित आंबेडकरवादी नेता रामदास आठवले नचनिया,नसेड़ी के दरबार में गया था।

उसके जाने के बाद नचनिया ने अपने घर को गोमूत्र से साफ किया होंगा।

केवल मेरे नाम का जयजयकर करने के बजाय मेरा अधूरा रहा कार्य को पूरा करो उसी से आपका भला होगा।- डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ।बस कु...
11/09/2020

केवल मेरे नाम का जयजयकर करने के बजाय मेरा अधूरा रहा कार्य को पूरा करो उसी से आपका भला होगा।
- डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ।
बस कुछ लोगो की याददाश्त कमजोर है इसलिए याद दिलाना पड़ता है।

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