25/01/2024
25जनवरी 2024
राजधानी दिल्ली में 10 जनवरी की रात पुलिस को सूचना मिली कि फ्लाईओवर के नीचे एक लाश पड़ी हुई है. वारदात पर पुलिस की टीम पहुंचती है, लेकिन मरने वाले के बारे में कोई ज्यादा जानकारी मिल नहीं पाती. इसके बाद पुलिस ने उसकी तस्वीर खींची और पोस्टमार्टम से पहले भेजने से पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से उसकी तस्वीर बनाई जाती है. तस्वीर को ऐसा बनाया जाता है, जिसमें यह दिखे ही वह व्यक्ति अभी भी जिंदा है, क्योंकि मृत लोगों की तस्वीर पर लोग ध्यान नहीं देते हैं.
इसके बाद दिल्ली पुलिस इस शख्स की फोटो के साथ पोस्टर जारी करती है और कहा गया कि जिसको भी इसके बारे में जानकारी हो, वह तुरंत नजदीक के पुलिस स्टेशन में बताए. 10 जनवरी को पुलिस को लाश मिलती है और 11-12 जनवरी को एआई की मदद से उसकी तस्वीर बनाई जाती है.
एआई की मदद से खुलासा
यही नहीं 30 पुलिसवालों की टीम अलग-अलग जिलों और स्थानों में इस शख्स के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में लग जाते हैं. 48 घंटे के अंदर पुलिस का प्रयास रंग लाया और छावला पुलिस स्टेशन में एक फोन कॉल आता है. फोन करने वाला कहता है कि आपने तो तस्वीर लगाई है, वह मेरा है और उसका नाम हितेंद्र है. पुलिस उस शख्स को तुरंत बुलाती है.
दोस्तों ने ही किया काम तमाम
अब तक हितेंद्र की पोस्टमार्टम रिपोट आ चुकी थी, जिसमें पता चला था कि उसे गला घोंटकर मारा गया है. अब पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुट जाती है तो पता लगता है कि हितेंद्र की कुछ चार-पांच दोस्त हैं, जिनके नाम जेम्स, रॉकी, एनी और विपिन हैं. पुलिस ने शुरुआती जांच में पता लगाया कि हितेंद्र की महिला मित्र रूबी थी और वह शादीशुदा थी. इसके चार दोस्तों में से जेम्स चाहता था कि रूबी से उसकी दोस्ती हो, लेकिन वह उससे बातचीत नहीं कर रही थी. ऐसे में जेम्स चाहता था कि हितेंद्र रूबी से उसकी बातचीत करवा दे.
एक दिन जेम्स ने हितेंद्र से कहा कि मैंने अपने घर पर पार्टी रखी है और तुम भी आओ. हितेंद्र पार्टी करने के लिए जेम्स के घर पर जाता भी है और वहां पर शराब की पार्टी शुरू हो जाती है. तभी जेम्स रूबी के पति को फोन लगाकर एक सोफे के आसपास छुपा देता है, जिसके बाद दारू के नशे में हितेंद्र ने रूबी के लिए कुछ अपशब्द कहे.
दोस्तों ने की साजिश
यह बात रूबी के पति को सही नहीं लगी, क्योंकि उसको दोनों की दोस्ती के बारे में तो पता था, लेकिन हितेंद्र जो कुछ कह रहा था वह उसको अच्छी नहीं लगी. जेम्स ने यह सब करके हितेंद्र को रूबी के पति के सामने बदनाम कर दिया, लेकिन उसको यहां तक चैन नहीं आया और उसके दोस्तों ने महिला मित्र एनी के साथ मिलकर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी.
इसके बाद विपिन को हितेंद्र की लाश को ठिकाने लगाने का काम सौंपा जाता है. जेम्स कहता है कि उसके फोन को किसी सुनसान जगह पर फेंक दिया जाए और लाश को नदी या कहीं ऐसी जगह पर डाला जाए, जहां पर कोई आता नहीं हो. वहीं विपिन लाश को लेकर अपनी कैब में लेकर जाता है और फिर उसे फ्लाइओवर के नीचे फेंक देता है.
यह पूरा वाक्या 9 जनवरी 2024 का होता है और इसके 24 घंटे के बाद पुलिस को हितेंद्र की लाश मिल जाती है. दो दिन की मशक्कत के बाद एआई की मदद से उसकी आंखों को खोलकर पोस्टर रिलीज किए जाते हैं और फिर उसकी पहचान भी हो जाती है. हालांकि मामला यहीं खत्म नहीं हुआ, बल्कि कहानी यहां से शुरू होती है.
वाइफ स्वैपिंग के थे मास्टरमाइंड
पुलिस जब जांच कर रही थी तो पता लगा कि जेम्स, रॉकी, एनी और विपिन कोई आम क्रिमिनल नहीं है. दरअसल, यह वाइफ स्वैपिंग का गिरोह चलते हैं. वाइफ स्वैपिंग कराने के लिए यह देश के अलग-अलग कोनों में जाते रहते थे और सिर्फ फाइव स्टार होटल या किसी बड़े होटल में जाकर पत्नियों की अदला-बदली का खेल खेलते थे. इस पूरे गिरोह में जेम्स, रॉकी, एनी और विपिन अहम भूमिका निभाते हैं. इनका ग्रुप फेसबुक और इंस्टा पर लोगों को तमाम ऑफर देता है और अगर कोई इसमें इंटरेस्ट दिखाता तो यह लोग उससे कांटेक्ट करते थे. पुलिस को इनके पास से बहुत सारी लिस्ट मिली है, जो इनके ग्रुप में थे. हालांकि अभी बड़ी मछलियां पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं.
कई बड़े शहरों में चल रहा रैकेट
इनका ग्रुप दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई और पुणे में खासा एक्टिव है. जिन लोगों का इंटरेस्ट होता उनको अब फेसबुक और इंस्टा से हटाकर वॉट्सएप ग्रुप में जोड़ा जाता था. फिर इन लोगों से पूछा जाता था कि कौन, कहां और कैसे आने में कंफर्टेबल है. इसके बाद वह प्लेटफार्म की फीस चार्ज करते हैं, जिससे यह कमाई करते हैं. इसी सिलसिले में जेम्स हितेंद्र की बदौलत रूबी से दोस्ती करना चाहता था, लेकिन हितेंद्र दोस्ती नहीं करवाता है. शायद हितेंद्र को पता हो कि जेम्स का मकसद क्या है और इसलिए वह दोस्ती करने से बार-बार बच रहा था.