Jai Shree Krishna

Jai Shree Krishna Self employed

रविवार का दिन भगवान सूर्य जी का होता है| इस दिन सूर्य देव जी की पूजा विधि पूर्वक की जाती है| आइये जानते है प्रभु सूर्य द...
05/01/2025

रविवार का दिन भगवान सूर्य जी का होता है| इस दिन सूर्य देव जी की पूजा विधि पूर्वक की जाती है| आइये जानते है प्रभु सूर्य देव की कथा और विधि|
रविवार अथवा सूर्य भगवान की कथा

प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी| वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती| रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती, उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए रविवार व्रत कथा सुन कर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती| सूर्य भगवान की अनुकम्पा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिन्ता व कष्ट नहीं था| धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था| उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी. बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी| अतः वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी| पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया. रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी| आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया| सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई| रात्रि में सूर्य भगवान ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और व्रत न करने तथा उन्हें भोग न लगाने का कारण पूछा| बुढ़िया ने बहुत ही करुण स्वर में पड़ोसन के द्वारा घर के अन्दर गाय बांधने और गोबर न मिल पाने की बात कही| सूर्य भगवान ने अपनी अनन्य भक्त बुढ़िया की परेशानी का कारण जानकर उसके सब दुःख दूर करते हुए कहा- हे माता, तुम प्रत्येक रविवार को मेरी पूजा और व्रत करती हो| मैं तुमसे अति प्रसन्न हूं और तुम्हें ऐसी गाय प्रदान करता हूं जो तुम्हारे घर-आंगन को धन-धान्य से भर देगी| तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी| रविवार का व्रत करनेवालों की मैं सभी इच्छाएं पूरी करता हूं| मेरा व्रत करने व कथा सुनने से बांझ स्त्रियों को पुत्र की प्राप्ति होती है| स्वप्न में उस बुढ़िया को ऐसा वरदान देकर सूर्य भगवान अन्तर्धान हो गए|

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उस बुढ़िया की आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन में सुन्दर गाय और बछड़े को देखकर हैरान हो गई| गाय को आंगन में बांधकर उसने जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया| पड़ोसन ने उस बुढ़िया के आंगन में बंधी सुन्दर गाय और बछड़े को देखा तो वह उससे और अधिक जलने लगी| तभी गाय ने सोने का गोबर किया| गोबर को देखते ही पड़ोसन की आंखें फट गईं| पड़ोसन ने उस बुढ़िया को आसपास न पाकर तुरन्त उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथा अपनी गाय का गोबर वहां रख आई| सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई| गाय प्रति दिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर किया करती थी और बुढ़िया के उठने के पहले पड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी| बहुत दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता ही नहीं चला| बुढ़िया पहले की तरह हर रविवार को भगवान सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही| लेकिन सूर्य भगवान को जब पड़ोसन की चालाकी का पता चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई| आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया| सुबह उठकर बुढ़िया ने सोने का गोबर देखा उसे बहुत आश्चर्य हुआ| उस दिन के बाद बुढ़िया गाय को घर के भीतर बांधने लगी| सोने के गोबर से बुढ़िया कुछ ही दिन में बहुत धनी हो गई| उस बुढ़िया के धनी होने से पड़ोसन बुरी तरह जल-भुनकर राख हो गई और उसने अपने पति को समझा-बुझाकर उस नगर के राजा के पास भेज दिया| राजा को जब बुढ़िया के पास सोने के गोबर देने वाली गाय के बारे में पता चला तो उसने अपने सैनिक भेजकर बुढ़िया की गाय लाने का आदेश दिया. सैनिक उस बुढ़िया के घर पहुंचे| उस समय बुढ़िया सूर्य भगवान को भोग लगाकर स्वयं भोजन ग्रहण करने वाली थी| राजा के सैनिकों ने गाय और बछड़े को खोला और अपने साथ महल की ओर ले चले| बुढ़िया ने सैनिकों से गाय और उसके बछड़े को न ले जाने की प्रार्थना की, बहुत रोई-चिल्लाई, लेकिन राजा के सैनिक नहीं माने. गाय व बछड़े के चले जाने से बुढ़िया को बहुत दुःख हुआ| उस दिन उसने कुछ नहीं खाया और सारी रात सूर्य भगवान से गाय व बछड़े को लौटाने के लिए प्रार्थना करती रही| सुन्दर गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ|
सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा| उधर सूर्य भगवान को भूखी-प्यासी बुढ़िया को इस तरह प्रार्थना करते देख उस पर बहुत करुणा आई| उसी रात सूर्य भगवान ने राजा को स्वप्न में कहा, राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरन्त लौटा दो, नहीं तो तुम पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा| तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा| सूर्य भगवान के स्वप्न से बुरी तरह भयभीत राजा ने प्रातः उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दिया| राजा ने बहुत-सा धन देकर बुढ़िया से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी| राजा ने पड़ोसन और और उसके पति को उनकी इस दुष्टता के लिए दण्ड दिया| फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सभी स्त्री-पुरुष रविवार का व्रत किया करें| रविवार का व्रत करने से सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए. चारों ओर खुशहाली छा गई| सभी लोगों के शारीरिक कष्ट दूर हो गए. राज्य में सभी स्त्री-पुरुष सुखी जीवन-यापन करने लगे|

ओम सूर्याय देवाय नमो नमः

🙏(( आज शनिवार है)🙏    🙏🙏(प्रभु कृपा से आपका दिन शुभ हो)🙏🙏🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋       🌺🔔🌺 ૐ श: शनैश्चराय नमः 🌺🔔🌺     🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕...
04/01/2025

🙏(( आज शनिवार है)🙏
🙏🙏(प्रभु कृपा से आपका दिन शुभ हो)🙏🙏
🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋
🌺🔔🌺 ૐ श: शनैश्चराय नमः 🌺🔔🌺
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"नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌ !"
"छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌ !!"
💮🌿"आज शनि देव जी महाराज को पूरी श्रद्धा
से जलाभिषेक करते हुए एक अच्छे दिन की
शुरुआत करें ताकि उनकी कृपा सबों पर
बरसती रहे।"🌿💮
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🙏🌿🌹 जय श्री शनिदेव 🌹🌿🙏

🙏💝🙏(( आज शुक्रबार है ))🙏💝🙏 🙏💝🙏((माँ संतोषी की कृपा बनी रहे ))🙏💝🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🔴🟡🔴🟡🔴🟡🔴🟡🔴🟡🔴🟡🔴🟡🔴🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤...
03/01/2025

🙏💝🙏(( आज शुक्रबार है ))🙏💝🙏
🙏💝🙏((माँ संतोषी की कृपा बनी रहे ))🙏💝🙏
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🌺🌺🌿" आइये आज पूरी श्रद्धा से माँ संतोषी
को श्रद्धा शुमन अर्पित करते हुए एक अच्छे दिन
का आगाज करें ताकी माँ की महिमा हमलोगों पर
पूर्ण रूप से बनी रहे l"🌿🌺🌺
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🪨🪨🪨🪨🪨((जय माँ संतोषी))🪨🪨🪨🪨🪨

ॐ महालक्ष्मै नमो नमः 🌷🙏आप के कल्याण के लिए विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना 👉 मैं सच्ची भावना के साथ सच्चे हृदय से माता ...
03/01/2025

ॐ महालक्ष्मै नमो नमः 🌷🙏
आप के कल्याण के लिए विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना 👉 मैं सच्ची भावना के साथ सच्चे हृदय से माता लक्ष्मी से यह प्रार्थना करता हूं कि माता लक्ष्मी की कृपा से आपका दिन शुभ हो आपके पास अपार धन दौलत हो आपका खजाना हमेशा भरा रहे आपका जीवन संपूर्ण स्वस्थ और सुखी हो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों और आप दीर्घायु हों ❤️

ॐ नमो नारायणाय 🌹🙏आप के कल्याण के लिए विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना 👉 मैं सच्ची भावना के साथ हृदय की गहराइयों से यह प्...
02/01/2025

ॐ नमो नारायणाय 🌹🙏
आप के कल्याण के लिए विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना 👉 मैं सच्ची भावना के साथ हृदय की गहराइयों से यह प्रार्थना करता हूं कि श्री विष्णु भगवान की कृपा से आपका दिन शुभ हो आपका जीवन संपूर्ण स्वस्थ और सुखी हो आपके सभी कार्य सिद्ध हों सभी कष्ट दूर हों सभी मनोकामनाएं पूरी हों और आप दीर्घायु हों ❤️

आप सभी को नये साल कि बहुत बहुत शुभकामनाएं           (((((( Jai shree Ganesh ji ))))))
01/01/2025

आप सभी को नये साल कि बहुत बहुत शुभकामनाएं

(((((( Jai shree Ganesh ji ))))))

जय श्री राम भक्त हनुमान की जय 🙏 शत् - शत् कोटि - कोटि प्रणाम 🙏🌷 संकट मोचन जय हनुमान 🌷को नहि जानत है जग मेंकपि संकट मोचन ...
31/12/2024

जय श्री राम भक्त हनुमान की जय
🙏 शत् - शत् कोटि - कोटि प्रणाम 🙏
🌷 संकट मोचन जय हनुमान 🌷
को नहि जानत है जग में
कपि संकट मोचन नाम तिहारो
🙏 जय श्री राम भक्त हनुमान की जय 🙏
🙏 शत् - शत् कोटि - कोटि प्रणाम 🙏

 ः_शिवाय_हर_हर_महादेव  ादेवसोमवारBlessings*🕉🌙🌞🦚ॐ नमः शिवाय 🌙🌞🕉**🕉ॐ नमः शिवाय,हरहर महादेव🕉*
30/12/2024

ः_शिवाय_हर_हर_महादेव
ादेवसोमवारBlessings
*🕉🌙🌞🦚ॐ नमः शिवाय 🌙🌞🕉*
*🕉ॐ नमः शिवाय,हरहर महादेव🕉*

।। ॐ परमात्मने नमः ।।👌💐ॐ सूर्याय नमः💐ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्चआदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।दीर्घमायुर्बल...
29/12/2024

।। ॐ परमात्मने नमः ।।
👌💐ॐ सूर्याय नमः💐

ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥
भगवान् सूर्य आप सबका मंगल करे!!
🌞प्रातः सूर्य देव को प्रणाम🌞

ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥

ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते!!
🔔ॐ🔔
॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
🌅🌿🍁🌻🔔🚩🎯

ऊं शं शनैश्चराय नमः ।भगवान श्री शनि देव जी की कृपा हमेशा सभी पर बनी रहे ।जय शनि देव भगवान🙏🙏🚩
28/12/2024

ऊं शं शनैश्चराय नमः ।
भगवान श्री शनि देव जी की कृपा हमेशा सभी पर बनी रहे ।
जय शनि देव भगवान🙏🙏🚩

👏🎪 ाता_दी🎪👏 🕉 ॐ जय लक्ष्मी माता ~🌹__      _🌹_शुभ शुक्रवार_🌹_    🙏गरीबों की गरीबी दूर कर दो माँ,      जरूरतमंदों की झोली ...
27/12/2024

👏🎪 ाता_दी🎪👏
🕉 ॐ जय लक्ष्मी माता ~🌹__
_🌹_शुभ शुक्रवार_🌹_
🙏गरीबों की गरीबी दूर कर दो माँ,
जरूरतमंदों की झोली भर दो माँ,
अपने ममतामयी हाथों को
भक्तों के सिर पर रख दो माँ....🙏
🌹卐! ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।। !卐🌹

भगवान विष्णु की महिमा अनंत है. वे जगत के पालनहार हैं और उनके बारे में कई बातें कही गई हैं: भगवान विष्णु को नारायण, वासुद...
26/12/2024

भगवान विष्णु की महिमा अनंत है. वे जगत के पालनहार हैं और उनके बारे में कई बातें कही गई हैं:
भगवान विष्णु को नारायण, वासुदेव, परमात्मा, अच्युत, कृष्ण, शाश्वत, शिव, ईश्वर, और हिरण्यगर्भ जैसे कई नामों से जाना जाता है.
भगवान विष्णु के चार हाथ हैं और उनमें शंख, चक्र, गदा, और पद्म धारण करते हैं.
भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी हैं.
भगवान विष्णु का निवास क्षीरसागर है और उनका शयन शेषनाग के ऊपर होता है.
भगवान विष्णु ने मनुष्यों के उद्धार और अधर्मियों के नाश के लिए अवतार लिए हैं.
भगवान विष्णु के 24 अवतार हुए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं - मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, और कल्कि.
भगवान विष्णु के प्रिय मंत्रों में ओम नमो नारायण नमः या ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः शामिल हैं.
भगवान विष्णु के बारे में वेदों में भी कई बातें कही गई हैं.

‼️जय श्री राम🙏🙏🙏🙏🙏जय हनुमान‼️🥰🥰🥰🥰🥰❤️❤️              🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹
24/12/2024

‼️जय श्री राम🙏🙏🙏🙏🙏जय हनुमान‼️🥰🥰🥰🥰🥰❤️❤️
🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹

!! शनि देव की कथा !!आज्ञा दे गुरु देव ने ,देना शीष झुकाय , कथा कहू शनि देव की ,भाषा सरल बनाय............एक बार सभी ग्रह ...
21/12/2024

!! शनि देव की कथा !!

आज्ञा दे गुरु देव ने ,देना शीष झुकाय , कथा कहू शनि देव की ,भाषा सरल बनाय............
एक बार सभी ग्रह एक साथ इकट्ठे हुए और आपस में बाते करने लगे | कुछ विषयों पर बात करते करते वो एक विषय पर आकर रुक गये कि “सबसे सम्मानित ग्रह कौनसा है ” | वो सब आपस में तर्क वितर्क करने लगे लेकिन कोई नतीजा नही निकला इसलिए उन्होंने इंद्र देव के पास जाने का विचार किया | तो सभी ग्रह इंद्र देव के पास गये और वो भी विस्मय में पड़ गये क्योंकि अगर वो किसी को उचा नीचा दिखायेंगे तो किसी भी ग्रह का कोप उन पर गिर सकता था | कुछ देर बाद विचार करने के बाद इंद्र देव ने कहा “मान्यवरो , मै इस प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ हु लेकिन उज्जैयनी नगर में विक्रमादित्य नाम का राजा है जो आपके प्रश्न का उत्तर दे सकता है ” | इस तरह इंद्र देव के कहने पर सभी ग्रह राजा विक्रम के दरबार में गये |

विक्रमादित्य उस समय का सबसे पसंदीदा राजा था क्योंकि वो अपने न्याय के लिए प्रसिद्ध था | जब उसने देखा कि सभी ग्रह उसके दरबार में आ रहे है तो वो तुंरत अपने सिंहासन से उठ गया और उन्हें अपने आसनों पर बैठने को कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया | उन्होंने कहा “हम यहा तब तक आसनों पर नही बैठेंगे जब तक तुम ये न्याय ना कर दो कि हम सब में से सबसे ऊचा ग्रह कौनसा है ” | विक्रमादित्य भी ऐसा प्रश्न सुनकर विस्मय में पड़ गया लेकिन फिर उसने एक योजना बनाई | उसने आसनों की एक कतार उसके सिंहासन से द्वार तक बनाई और उन्हें बैठने को कहा जब तक कि वो इसका निर्णय करते है |

विक्रम के सबसे निकट वाले आसन पर बृहस्पति जी दौड़ते हुए जाकर बैठ गये | अगले आसन पर सूर्य , उसके बाद चन्द्रमा ,उसके बाद मंगल , फिर राहू ओर फिर केतु बैठ गये | शुक्र देव आठवे आसन पर बैठ गये और अब अंतिम आसन बचा था और शनि देव बच गये थे | लेकिन वो आसन सबसे अंतिम था और द्वार के नजदीक था इसलिए शनि देव Shani Dev ने वहा बैठने से मना कर दिया | विक्रम ने सोचा कि जो भी उस अंतिम आसन पर बैठकर विनम्रता दर्शायेगा उसे ही वो सबसे महान घोषित करेंगे लेकिन शनि देव Shani Dev के वहा नही बैठने से सब गडबड हो गया |

Shani Dev शनि देव एक क्रोध वाले देवता है | जब वो वहा पर नही बैठे तो सभी ग्रह हसने लग गये | Shani Dev शनि देव ने इसे अपना अपमान मानते हुए बहुत क्रोधित हुए और विक्रम से कहा “तुमने इस तरह मेरा अपमान करके अच्छा नही किया , तुम मुझे क्या मानते हो ? तुम मुझे अंत में बिठाने के लिए बुलाया है ? एक बात ध्यान रखना कि किसी भी राशि में चन्द्रमा सवा दो दिन ; सूर्य , बुध और शुक्र केवल 15 दिन ; मंगल 2 महीने ; गुरु 13 महीने और राहू-केतु 18 महीने तक रहते है लेकिन मै साढ़े सात साल तक किसी भी राशि में रहता हु | इसलिए तुम अब अपना ध्यान रखो , तुम्हे भी मेरे अपमान का दंड सहना पड़ेगा | ”

राजा विक्रम कुछ दिनों तक बिना कीसी मुसीबत के दिन गुजारे लेकिन जल्द ही राजा के साढ़े साती शुरू हो गये | उन दिनों में एक अश्व व्यापारी वहा आया और वहा घोड़े बेचने के लिए रुका | राजा ने भी कुछ सुंदर घोड़े खुद के लिए खरीदे | उनमे से एक घोड़े का नाम भंवर था जिसे राजा बहुत पसंद करता था | राजा उस घोड़े पर सवार हो गया और इधर उधर घुमने लगा तभी कुछ देर बाद वो दौड़ता हुआ राजा को एक घने जंगल में छोडकर भाग गया | राजा को ये देखकर बहुत आश्चर्य हुआ और अब वो उस जंगल में भूखा-प्यासा भटकने लगा |

जब रात हुयी तो राजा को बड़ी जोरो की प्यास लगी जिससे वो जोर जोर से चिल्लाने लगा | एक दूधवाला उस रास्ते से गुजर रहा था उसने विक्रम को देख लिया | वो विक्रम को पास की नदी पर लेकर गया और उसे शीतल जल पिलाया | विक्रम बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उस दूधवाले को अपनी सोने की अंगूठी निकालकर दे दी और कहा “मै उज्जैन रहता हु और रास्ता भटक गया हु , क्या तुम मुझे रास्ता बता सकते हो ” | वो दूधवाला उसको गाँव में लेकर आया और उसको एक दुकानदार ने भोजन कराया | विक्रम ने दुकानदार को भी एक अंगूठी दी और उसको भी विक्रम ने रास्ता भटकने वाली बात बताई |


अब वो उस दुकानदार के साथ पुरे दिन बाते करता रहा और उस दिन दुकानदार को खूब आमदनी हुयी | उसने सोचा इस आदमी की वजह से उसकी आज अच्छी आमदनी हुयी इसलिए उसने विक्रम को उसके साथ शाम को घर चलने को कहा | विक्रम उसके साथ घर गया और दुकानदार ने उसकी खूब खातिरदारी की | अब खाना खाते वक़्त एक अजीब घटना हुयी , जब विक्रम खाना खा रहा था तो वहा पर दीवार पर रखा हुआ सोने का हार गायब हो गया | दुकानदार की नौकरानी ने उसकी पत्नी को गले का हार चोरी होने की खबर दी | जब दुकानदार ने ये बात सूनी तो उसने विक्रम से हार के बारे में पूछा तो विक्रम के हार के बारे में कुछ भी पता होने से इंकार कर दिया |

दुकानदार ने कहा “जब हार चोरी हुआ तक तुम्हारे अलावा यहा कोई बाहर का व्यक्ति नही था , तुम जल्दी बताओ कि वो हार कहा है ” | विक्रम ने कहा “मै हार के बारे में कुछ नही जानता हु और मैंने हार नही चुराया है “| दुकानदार विक्रम को राजा के पास लेकर गये | जब राजा ने विक्रम के भोले चेहरे को देखा तो उसने कहा “ये आदमी कुछ चोरी नही कर सकता है ” | इस तरह राजा ने विक्रम को आजाद कर दिया | अब विक्रम शहर में घूम रहा था तभी के तेली ने उसे देखा और उसको अपने यहाँ काम करने के लिए पुछा | उस तेली ने विक्रम को काम के बदले रहने खाने की व्यवस्था देने को कहा | विक्रम राजी हो गया और वो तेली विक्रम को घर लेकर आ गया |

अब विक्रम कोल्हू के बैल को चलाने का काम करने लगा और वो तेली तेल को बाजार में बेचने जाता था | जब बारिश का मौसम आया तब विक्रम तेज आवाज में गाना गाने लगा | उसकी आवाज पास ही राजा के महल तक पहुच गयी और राजकुमारी इस मधुर स्वर पर मोहित हो गयी | उसने अपनी दासी को भेजकर उस आदमी का पता लगाने को कहा | दासी वहा गयी और उसने राजकुमारी को बताया कि एक नौजवान अपनी आंखे बंद कर गा रहा था | राजकुमारी उसके प्यार में खाना पीना भूल गयी थी | उसकी माँ ने उससे अपनी इस दशा का कारण पूछा | राजकुमारी ने कहा कि वो अगर वो विवाह करेगी तो सिर्फ उस मधुर गाना गाने वाले तेली से विवाह करेगी |

जब राजा ने अपनी पुत्री की ये मांग सूनी तो वो बहुत क्रोधित हुआ | उसने विक्रम को बुलाया और उसके हाथ काटकर उसे जंगल में फेंक दिया | जब राजकुमारी को इस बात का पता चला तो उसने अपने मन को मजबूत करते हुए कहा कि अगर वो विवाह करेगी तो सिर्फ उसी तेली से चाहे उसके हाथ हो या ना हो | अपनी बेटी की जिद को देखते हुए राजा ने विक्रम को बुलाया और उसके साथ अपनी पुत्री का विवाह कर दिया | राजा ने उनके रहने के लिए एक साधारण घर भी दिया |

एक दिन विक्रम सो रहा था और Shani Dev शनि देव उसके स्वप्न में आये , उसने शनि देव को प्रणाम किया और गलती की माफी माँगी | शनि देव ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा “अब तुम्हारे साढ़े साती खत्म होते है ” | और विक्रम के दोनों हाथ वापस आ गये | विक्रम ने अपनी पत्नी को नही जगाया और सुबह उसकी पत्नी उसके दोनों हाथ देखकर बहुत खुश हुयी | राजा को भी इस खबर का पता चल गया तो वो भी विक्रम को देखने आया और उसने बताया कि वो Shani Dev शनि देव का कोप झेल रहा था और उन्ही की दयालुता से उसके दोनों हाथ वापस आ गये | तब उसने राजा को अपना पूरा परिचय दिया | विक्रम का परिचय सुनकर राजा उसके चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगा |

जब दुकानदार को इस बात का पता चला तो वो भी दौड़ता हुआ विक्रम के चरणों में गिर गये | विक्रम ने उस दुकानदार से कहा “घर जाओ , तुम्हे तुम्हारा हार वापस वही मिल जाएगा ” | दुकानदार घर गया और हार उसी जगह पर टंगा हुआ मिला |विक्रम ने राजा को वापस अपने प्रदेश लौटने को कहा | राजा ने उसे उपहारस्वरुप कई घोड़े ,हाथी और दसिया देकर विदा किया | विक्रमादित्य की जनता अपने राजा के वापस लौटने पर बहुत प्रसन्न हुयी | विक्रम ने अब नवग्रह की पूजा की और Shani Dev शनि देव को सबसे उच्च स्थान दिया

जय माँ लष्मी !या देवी सर्वभूतेषु लक्षमी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।            💐💐💐💐💐मां लक्ष्म...
21/12/2024

जय माँ लष्मी !
या देवी सर्वभूतेषु लक्षमी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
💐💐💐💐💐
मां लक्ष्मी आपको व आपके परिवार को धन्य धान्य से परिपूर्ण रखे और खुशियां प्रदान करे।

सबसे पहले भगवान विष्णु ने किस पर किया था सुदर्शन चक्र का प्रहार............................भगवान विष्णु का एक नाम चक्रधर...
19/12/2024

सबसे पहले भगवान विष्णु ने किस पर किया था सुदर्शन चक्र का प्रहार............................
भगवान विष्णु का एक नाम चक्रधर है। इनका यह नाम इसलिए है क्योंकि इनकी उंगली में सुदर्शन नामक चक्र घूमता रहता है। इस चक्र के विषय में कहा जाता है कि यह अमोघ है और जिस पर भी इसका प्रहार होता है उसका अंत करके ही लौटता है।
विज्ञापन

भगवान विष्णु ने जब श्री कृष्ण रुप में अवतार लिया था तब भी उनके पास यह चक्र था। इसी चक्र से इन्होंने जरासंध को पराजित किया था, शिशुपाल का वध भी इसी चक्र से किया गया था।

श्री कृष्ण अवतार में यह चक्र भगवान श्री कृष्ण को परशुराम जी से प्राप्त हुआ था क्योंकि रामावतार में परशुराम जी को भगवान राम ने चक्र सौंप दिया था और कृष्णावातार में वापस करने के लिए कहा था। लेकिन भगवान विष्णु के पास यह चक्र कैसा इसकी बड़ी ही रोचक कथा है।
इस तरह भगवान विष्णु को मिला सुदर्शन चक्र

वामन पुराण में बताया गया है श्रीदामा नामक एक असुर था। इसने सभी देवताओं को पराजित कर दिया। इसके बाद भगवान विष्णु के श्रीवत्स को छीनने की योजना बनाई।

इससे भगवान विष्णु क्रोधित हो गए और श्रीदामा को दंडित करने के लिए भगवान शिव की तपस्या में करने लगे। भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने भगवान विष्णु को एक चक्र प्रदान किया जिसका नाम सुदर्शन चक्र था। भगवान शिव ने कहा कि यह अमोघ है, इसका प्रहार कभी खाली नहीं जाता।

भगवान विष्णु ने कहा कि प्रभु यह अमोघ है इसे परखने के लिए मैं सबसे पहले इसका प्रहार आप पर ही करना चाहता हूं।
जब विष्णु ने किया शिव पर सुदर्शन चक्र से प्रहार

भगवान शिव ने कहा अगर आप यह चाहते हैं तो प्रहार करके देख लीजिए। सुदर्शन चक्र के प्रहार से भगवान शिव के तीन खंड हो गए। इसके बाद भगवान विष्णु को अपने किए पर प्रयश्चित होने लगा और शिव की आराधना करने लगे।

भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि सुदर्शन चक्र के प्रहार से मेरा प्राकृत विकार ही कटा है। मैं और मेरा स्वभाव क्षत नहीं हुआ है यह तो अच्छेद्य और अदाह्य है।

भगवान शिव विष्णु से कहा कि आप निराश न होइये। मेरे शरीर के जो तीन खंड हुए हैं अब वह हिरण्याक्ष, सुवर्णाक्ष और विरूपाक्ष महादेव के नाम से जाना जाएगा। भगवान शिव अब इन तीन रुपों में भी पूजे जाते हैं।

इसके बाद भगवान विष्णु ने श्रीदामा से युद्घ किया और सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। इसके बाद से सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु के साथ सदैव रहने लगा।

‼️ !! श्री हरि : !!
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!! हे नाथ ! हे मेरे नाथ !! मैं आपको भूलूं नहीं !!!
*!! श्री हरि शरणम् !!* ‼️

🙏🌹🌺♥️ जय श्री गणेश जी ♥️🌺🌹🙏🙏🌹🌺♥️ 🌷शुभ बुधवार🌷♥️🌺🌹🙏🙏🌹🌺♥️🌷🌺🌹♥️🌷🌺♥️🌺🌹🙏
18/12/2024

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