05/11/2024
बिछड़े सभी, बिछड़े सभी बारी बारी:
पिछले तीन दिनों से ऑफिस और घर के छत पर शाम को देर तक टहलता रहा, अंशुमन सिन्हा के पोस्ट को बार-बार देखता रहा। इस
उम्मीद में की सही खबर जल्द आएगी और अभी- अभी देश भर में की जा रही प्रार्थनाओं-दुआओं के बीच शारदा जी के निधन की सूचना
मिली। बार- बार उनका वो पल जेहन में अभी आ- जा रहा जब कार में हाँथ पकड़े मेरा बोल रहीं थीं-जितना वेक्टेरिया अभी पूरे शरीर में घूम
रहा उसमे कुछ हो तो नहीं न जायेगा? बीमार- बीमार मन हो रहा, गला बैठ गया है, उलटी आ रही है जल्दी अस्नान करना है। मेरा पूरा
मैडल- सम्मान सब पानी में तैर कर इधर-उधर चला गया बस किसी तरह हम बच गए पवन। वो हाँथ पकड़ी रहीं और मैं उनका हाँथ-पीठ
पोछता रहा। अंततः एक घर गए और अस्नान वास्नान करके शारदा जी और अंशुमन के पिता जी साथ चाय पर बैठे। तब पूरा पटना कमर
और गले तक जमा पानी में एक तरह से तैर ही रहा था और शारदा जी को गले भर पानी से किसी तरह निकाली गई थीं और उसके बाद
हम,शैलेन्द्र सिंह की टीम ने उन्हें एक अलग घर तक पहुँचाया था।
बचपन से शारदा जी को माँ की लगाई रेडिओ से सुनते-सुनते कभी सोचा भी नहीं था की मुलाकात भी कभी होगी। लेकिन एक कार्यक्रम
में अच्चानक पहुंचा। उषा किरण खान जी का मैथिली की सीता शायद ऐसा ही कुछ नाम था , पर उनको सुनने। पूरे हॉल की कुर्सियां भरी
हुई थीं तो मैं मंच के निचे साइड में खड़ा हो गया। अब देख रहा था की मंच पर परिचर्चा में बाकि लोग वयस्त थे लेकिन उषा किरण जी
शारदा जी को मेरी और ऊँगली से दिखाकर मुस्कुरा रही थीं और दोनों फिर हंसने लगीं। कार्यक्रम ख़तम होने को था उषा जी ने हमें रुकने
का इशारा किया। फिर शारदा जी पहले उतरीं और उषा जी। उषा जी ने कहा -हाँ यही है पवन। शारदा जी ने कहा देखिये आप आज मिल
रहे उषा जी के घर के हैं इतना दिन से कार्टून देखते रहे हम प्रसंसक हैं अभी उषा जी ने परिचय दिया। हमने कहा -और ये देखिये की आपकी प्रशंसक तो सबसे पहले मेरी माँ होंगी जब उसे पता लगेगा की आपके सामने खड़ा हूँ । फिर चाहे अंशुमन की शादी हो या अन्य मोके शारदा जी उसी ेसनेह से मिलती रहीं लेकिन जब भी मिलीं हँसते खिलखिलाते ही। अब न मेरी माँ है न उषा किरण खान जी और न अब शारदा जी लेकिन हमेशा-हमेशा साल का ये छठ आता रहेगा और शारदा जी अपनी कोकिल आवाज़ के साथ हर घर में मौजूद रहेंगी।
बिनम्र श्रद्धांजलि शारदा जी।