29/07/2018
एक रिपोर्ट से सामने आई पुलिस मुख्यालय की "गुटबंदी"
एडीजी के अधूरे रिपोर्ट को वायरल कर "सरकार" पर निशाना
बिहार पुलिस मुख्यालय में नही है "आल इज वेल"
बिहार के पुलिस मुख्यालय में नही है "आल इज वेल" । बिहार पुलिस के एक एडीजी के कारण महकमे की ही नही सरकार की भी किरकिरी हो गई।दरअसल सोशल मीडिया पर एडीजी सीआईडी की एक रिपोर्ट के आधार पर यह खबर वायरल की गई कि एडीजी के रिपोर्ट को दरकिनार कर कजरा इनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मियों का नाम गैलेंट्री के लिए भेज दिया गया।इस टीम में पटना एसएसपी मनु महाराज भी थे। टार्गेटेड मनु महाराज थे जबकि गैलेंट्री के लिए अनुसंशा में मनु महाराज की कोई भूमिका तकनीकी तौर पर नही थी और न हो सकती है। एडीजी सीआईडी की रिपोर्ट का हवाला देकर एक साथ पुलिस महकमे में अन्य विंग मसलन स्पेशल ब्रांच ,जिला पुलिस सभी की रिपोर्ट को झुठला दिया गया। आखिर क्या है पूरा माजरा यह हम आपको समझाते है।..खबर एडीजी सीआईडी के रिपोर्ट के आधार पर लिखी गई है।रिपोर्ट सितंबर 2017 की है जबकि मुझे जो जानकारी है गृह विभाग को यह रिपोर्ट दिसंबर 2017 में भेजी गई है पुलिस मुख्यालय की तरफ से। ..गृह विभाग से गैलेंट्री की कोई भी सिफारिश भेजने के पहले डीजीपी की अध्यछता वाली बोर्ड द्वारा समीक्षा की जाती है।जैसा कि इस मामले में भी हुआ होगा।इस बोर्ड में आईजी मुख्यालय, एडीजी मुख्यालय, एडीजी सीआईडी,एडीजी स्पेशल ब्रांच ,आईजी ऑपरेशन होते है।.इस मामले में आईजी मुख्यालय के पास एक गुमनाम पत्र आया था जिसमे इस मुठभेड़ को लेकर कई सवाल किए गए थे।यह एक बेनामी पत्र था। चूंकि इस पत्र के पहले सीआईडी,स्पेशल ब्रांच और आईजी भागलपुर की रिपोर्ट आ गई थी इसलिए उपरोक्त पत्र के आलोक में फिर से जवाब मांगा गया।..एडीजी ने जो शंका जताई उसके मद्देनजर डीआईजी मुंगेर से फिर रिपोर्ट मांगी गई थी।डीआईजी मुंगेर ने फिर अपनी रिपोर्ट दी और इन घटना का समर्थन किया।जिसके बाद मुख्यालय में बोर्ड ने गृह विभाग को अनुसंशा की...गैलेंट्री एसोसिएशन से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार बिना बोर्ड में सभी सदस्यों के साइन के बिना फाइल गृह विभाग को नही जाती।यानी कि फाइल पर एडीजी सीआईडी की भी सहमति होगी।..एक और तकनीकी बात है इस घटना को गैलेंट्री के लिए भेजने की तो इस मामले में पटना के एसएसपी की कोई भूमिका है यह तकनीकी तौर पर संभव नही है।चूंकि यह मामला कजरा थाना ,जिला लखीसराय की है।एफआईआर वहां हुई थी।लखीसराय एसपी को लगा कि यह मामला गैलेंट्री के लायक है तब उन्होंने इसकी अनुसंशा की होगी।डीआईजी मुंगेर ने जांच की होगी।हाँ चूंकि पटना की टीम इसमे शामिल थी इसलिए पटना एसएसपी से टीम में शामिल पुलिस कर्मियों के नाम मांगे गए होंगे। सभी का बयान हुआ होगा।....डीआईजी के यहाँ से मामला आईजी भागलपुर के पास गया होगा आईजी ने भी जांच कर अपनी अनुसंशा पुलिस मुख्यालय को भेजी ।...मुख्यालय में आने के बाद मामले की जांच के लिए सीआईडी और स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट कराई जाती है।चूंकि जहां घटना हुई थी वहां सीआरपीएफ की तैनाती थी इसलिए सीआरपीएफ की रिपोर्ट भी मांगी गई होगी।साथ ही टीम में शामिल सभी पाकिस कर्मियों की इंटीग्रिटी जांच भी होती है।सभी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद ही फाइल स्क्रीनिंग कमिटी के पास जाती है।...कॉन्स्टेबल दिलीप चौधरी के बारे जहां तक सवाल है मुझे जो जानकारी है बाढ़ के लदमा में अनंत सिंह के घर पर हुए मुठभेड़ की घटना पर गैलेंट्री की अनुशंसा की फाइल 2015 में तत्कालीन जोनल आईजी पटना कुंदन कृष्णन के पास गई थी।तब आईजी ने दिलीप चौधरी के बारे काफी निगेटिव टिप्पणी की थी जिस कारण इस बार भी दिलीप का नाम नही भेजा गया था। ...लखीसराय के कजरा में जहां से दिल्ली से अपहृत दोनो भाइयो को बरामद किया गया था वह अत्यंत नक्सल प्रभावित इलाका है।2010 में कजरा में पुलिस दल पर नक्सलियों ने हमला किया था एक सब इंस्पेक्टर सहित कई पुलिस कर्मी मारे गए थे और पुलिस के दर्जनों हथियार लूट लिए गए गए। वहां यह ऑपरेशन रात के अंधेरे में हुआ था। और हां जब पटना में दोनो भाइयो को लाया गया था तो सारी आपबीती दोनो ने खुद सुनाई थी रोते हुए।
क्या थी वायरल खबर
(एक वेबसाइट से साभार)
दरअसल मामला दिल्ली के दो मार्बल व्यवसायियों के अपहरण से जुड़ा है.21अक्टूबर2016को दिल्ली के दो मार्बल व्यवसायी सुरेश चंद्र शर्मा और कपिलदेव शर्मा को कुछ लोगों ने झांसा देकर पटना बुलाया. पटना एयरपोर्ट पर उतरते ही दोनों व्यवसायियों का अपहरण कर लिया गया. अपहर्ताओं ने फोन पर उनके परिजनों से संपर्क साधा और करोडो रूपये की फिरौती मांगी. दोनों के परिजनों ने पटना के एयरपोर्ट थाने में22अक्टूबर2016को पटना के एयरपोर्ट थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. पटना पुलिस ने कहा कि मार्बल कारोबारियों का अपहरण माओवादियों ने किया है. पुलिस की कहानी के मुताबिक अपहर्ताओं की खोज मेंSSPमनु महाराज के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों का बड़ा जत्था लखीसराय गया. 25 अक्टूबर, 2016 की देर रात लखीसराय के कजरा थाना क्षेत्र के महुआ कोल पहाड़ी पर पुलिसकर्मियों का अपहर्ताओं से भारी मुठभेड़ हुआ. मनु महाराज ने खुदAK-47से गोलियां चलायीं और तब जाकर दोनों अपहृत कारोबारियों को मुक्त करा लिया गया. पटना केSSPकी इसी बहादुरी से प्रसन्न होकर राज्य सरकार ने मनु महाराज समेत कुल सात पुलिसकर्मियों को गैलेंट्री अवार्ड देने की अनुशंसा केंद्र सरकार से कर दी है. इसी महीने राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को अपनी अनुशंसा भेजी है.
CIDकेADGने खोल दी थी मुठभेड़ की पोल
अब वीरता का असली किस्सा सुनिये. एनकाउंटर की जिस पुलिसिया कहानी पर राज्य सरकार के गृह विभाग ने मनु महाराज समेत सात पुलिस अधिकारियों को गैलेंट्री अवार्ड यानि वीरता पदक की अनुशंसा की है, उसकी हकीकत बिहार पुलिस के हीCIDकी रिपोर्ट से ही जान लीजिये. दरअसल, इस मुठभेड़ के बाद बिहार पुलिस के आई जी (हेडक्वार्टर) नेCIDको पत्र लिखकर पूछा कि क्या इस एनकाउंटर के आधार पर मनु महाराज समेत दूसरे पुलिसकर्मियों को वीरता पदक दिया जा सकता है. जवाब मेंCIDकेADGने जो रिपोर्ट भेजी उससे पूरे एनकाउंटर की पोल ही खुल गयी.
ADGकी रिपोर्ट में चौकाने वाले तथ्य
बिहार पुलिस कीCIDकेADGने अपनी चार पन्नों की रिपोर्ट में पूरे मुठभेड़ को संदिग्ध करार दिया है. इस रिपोर्ट में एनकाउंटर की पूरी कहानी को अविश्वसनीय करार दिया है. देखिये क्या कहाADGविनय कुमार ने अपनी रिपोर्ट में
1.SSPमनु महाराज और उनके सहयोगिय़ों ने अपराधियों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलायीं लेकिन एक भी खोखा बरामद नहीं हुआ.
2.SSPने जिसAK-47से गोलियां चलायीं उनकी जांच फोरेंसिक लैब में करायी ही नहीं गई. सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि मुठभेड़ के बाद हथियार की जांच फोरेंसिक लैब में कराना है. पुलिस ने अपने ही सार्जेंट मेजर से आर्म्स की जांच करा कर सब ठीक होने का रिपोर्ट ले लिया.
3.ADGकी रिपोर्ट के मुताबिक अपहर्ता अपहरण के ठीक बाद से ही व्यवसायियों के परिजनों से संपर्क में थे. अपहृत व्यवसायियों के परिजनों से मोबाइल फोन पर लगातार फिरौती मांगी जा रही थी. पटनाSSPने मुठभेड़ कर अपहर्ताओं को छुड़ाने और अपराधियों को पकड़ने का दावा किया. लेकिन, अपहर्ताओं के पास से कोई मोबाइल बरामद नहीं हुआ.ADGके मुताबिक मोबाइल बरामद नहीं होने अविश्वसनीय है