JAI SHREE RAM

JAI SHREE RAM Ram Bhagat Hanuman
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09/10/2022

श्री #कृष्ण ने #गोवर्धन पर्वत उठा कर तोड़ा देवराज इंद्र का घमंड | #जय #श्री

08/10/2022

अहिल्या और गोतम ऋषि की कहानी | अहिल्या उद्धार रामायण की कथा | इंद्र देव को श्राप क्यों मिला
अहिल्या की कहानी
अहिल्या उद्धार की कथा
Shri Ram ne kiya अहिल्या ka अहिल्या उद्धार,
indra dev ko shrap kyu mila
इंद्र देव के शरीर पर आंखे kyu है

08/10/2022

भक्त प्रहलाद की संपूर्ण कथा | भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार और हिरण्यकशिपु | bhakt prahlad ki kahani

08/10/2022

शिव भक्त उपमन्यु की कथा | कैसे महादेव शिव ने नन्हे बालक क्षीरसागर प्रदान किया | Jai Shree Ram

04/10/2022

कैसा था प्रभु श्री राम का राज्य और क्या थी उनके राज्य की विशेषताएँ | जय श्री राम |

कैसा था प्रभु श्री राम का राज्य 😳 और क्या थी उनके राज्य की विशेषताएं🔥🔥👇👇
हिन्दू संस्कृति में राम द्वारा किया गया आदर्शासन रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में रामराज्य का प्रयोग सर्वोत्कृष्ट शासन या आदर्श शासन के रूपक (प्रतीक) के रामराज्य, लोकतन्त्र का परिमार्जित रूप माना जा सकता है।

04/10/2022

भक्त प्रहलाद की संपूर्ण कथा | भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार और हिरण्यकशिपु | bhakt prahlad ki kahani

03/10/2022

भक्त ध्रुव संपूर्ण कथा विष्णु पुराण | ध्रुव तारे की कहानी | ध्रुव कौन था

#ध्रुव

02/10/2022

उनाकोटी का रहस्य | उनाकोटि की मूर्तियों का राज | कैलाश जाने का रास्ता | Unakoti mandir tripura

01/10/2022

तुलसीदास जी का जीवन परिचय | तुलसीदास की कहानी और कथा

27/09/2022

नवरात्रों में सभी नौ माता रानियों के दर्शन, उन्हें चढ़ने वाला भोग व रंग की चुनरी एवं माता की कृपा
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
#शैलपुत्री, #ब्रह्मचारिणी, #चंद्रघंटा, #कुष्मांडा, #स्कंदमाता, #कात्यायनी, #कालरात्रि, #महागौरी, #सिद्धिदात्री #दुर्गा

27/09/2022

आखिर कैसे एक साधारण बाण से हुई भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु, बर्बरीक और वानर राज बाली से जुड़ा है कारण

27/09/2022

matangeshwar mandir khajuraho ek esa shivling jisme chupa hai dharti ke khtm hone ka rahseya
दोस्तों आइए जानते है उस शिवलिंग के बारे मे जिसमें छुपा है दुनिया के खतम होने का रहस्य!
दोस्तों मध्यप्रदेश के खजुराहो में स्थित मतंगेश्वर मंदिर का शिवलिंग एक ऐसा शिवलिंग है जो लगातार बड़ा होता जा रहा है इसलिए इसे जीवित शिवलिंग भी कहा जाता है, इसकी ऊंचाई लगातार बढ़ रही है और अब तक 9 फीट से अधिक हो चुकी है मंदिर के पुजारी के अनुसार प्रति वर्ष कार्तिक माह की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई एक तिल के आकर के बराबर बढ़ जाती है| शिवलिंग की लंबाई नापने के लिए पर्यटन विभाग के कर्मचारी बाकायदा इंची टेप से नापते है| जहाँ शिवलिंग पहले की तुलना में लंबा मिलता है| इसकी एक खास बात यह भी है कि यह शिवलिंग जितना धरती के ऊपर नजर आता है, यह उतना ही धरती के अंदर भी समाया हुआ है. स्‍थानीय मान्‍यता है कि जिस दिन धरती के अंदर का शिवलिंग पाताल लोक तक पहुंच जाएगा उस दिन पृथ्वी पर महाप्रलय आ जाएगी और पृथ्वी का विनाश हो जाएगा अभी इस बात को पूरा होने में लाखो बर्ष लग सकते है क्योंकि हर साल इसकी ऊँचाई केवल एक चावल के दाने जितने बढ़ रही है! गुजरते समय के साथ शिवलिंग के बड़े होने के पीछे की वजह एक पौराणिक कथा में बताई गई है. इसके अनुसार महादेव ने पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को एक चमत्कारी पन्ना मणि दी थी, जिसे युधिष्ठिर ने मतंग ऋषि को दे दिया था. बाद में यह मणि राजा हर्षवर्मन को मिल गई और उन्‍होंने इसे सुरक्षा कारणों की वजह से जमीन में गाड़ दिया, कहते हैं कि उस मणि से ही यह जीवित शिवलिंग बना है. मतंग ऋषि के नाम पर ही इसे मतंगेश्वर शिवलिंग कहते हैं!
दोस्तों अगर आप को य़ह Video पसंद आई हो तो इसे like करें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें |

24/09/2022

वो दो श्राप! जिनकी वज़ह से डूबी द्वारका | श्री कृष्ण की द्वारका नगरी समुद्र में क्यु और कैसे डूब गयी

24/09/2022

✅धुंधुकारी और गोकर्ण जी की कहानी | कैसे मिली धुंधुकारी प्रेत को श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मुक्ति

Dhundhukari ki kahani
Dhundhukari ki katha
Dhundhukari ki katha bhagwat
Dhundhukari aur Gokaran ki Katha Bhagwat

22/09/2022

पांडवों की स्वर्ग यात्रा के बाद का व्रतांत | आखिर क्यु मिला युधिष्ठिर को कुछ क्षण के लिए नर्क और दुर्योधन को स्वर्ग

✅पांडवों की स्वर्ग यात्रा
https://youtu.be/AXUvR9Le_VM

#पांडवों_की_स्वर्ग_यात्रा
#पांडवों_की_अंतिम_यात्रा
#पांडवों_की_मृत्यु_केसे_हुई

20/09/2022

✅महाभारत पांडवों की स्वर्ग यात्रा कैसे हुई ! युधिष्ठिर को ही मिला स्वर्ग! Pandavas Journey to Heaven

#पांडवों_की_स्वर्ग_यात्रा
#पांडवों_की_अंतिम_यात्रा
#पांडवों_की_मृत्यु_केसे_हुई

17/09/2022

✅कलयुग की शुरुआत कब और कैसे हुई थी? द्वापर युग का अंत कैसे हुआ था? How Kalyug started? Kalyug ka ant

#द्वापर
kalyug ki shuruaat kaise hui thi
kalyug ki shuruaat kaise hui
kalyug ki shuruaat kaise hui amogh lika prabhu
kalyug ki shuruaat kab hui thi
kalyug ki shuruaat kab se hui thi
कलयुग की शुरुआत कब हुई थी
dwapar yug ka ant kaise hua
dwapar yug ka ant kaise hua tha
dwapar yug ka ant kaise hua tha
कलयुग की कहानी
कलयुग की शुरुआत कैसे हुई
कलयुग की शुरुआत कैसे हुई थी

08/09/2022

कोन है वो 7 चिरंजीवी, जो आज भी जिंदा है, और कहाँ रहते हैं यह सभी लोग.
दोस्तों हमारे धर्म ग्रंथों मे एक श्लोक मिलता है,

अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित॥

इस श्लोक की शुरू की दो पंक्तियों का अर्थ यह है कि अश्वत्थामा, बलि, व्यास जी , हनुमान जी , विभीषण, कृपाचार्य और परशुराम जी ये सात चिरंजीवी हैं। इसके बाद अगली पंक्तियों का अर्थ यह है कि इन सात के साथ ही मार्कडेंय ऋषि के नाम का जाप करने से व्यक्ति निरोगी रहता है और लंबी आयु प्राप्त करता है।
आइए हम जानते है कि इन्हें कैसे चिरंजीवि होने का वरदान या श्राप मिला और कलियुग मे यह चिरंजीवि कहाँ है

सबसे पहले
अश्वत्थामा: द्वापर युग में पांडवों के वंशज राजा परीक्षित जो उस समय उत्तरा के गर्भ में थे, उन्हे मारने करने के लिए अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा था, लेकिन वह इसे वापिस लेने की विद्या नहीं जानता था तब श्री कृष्ण ने राजा परीक्षित की जान बचाई थी और अश्वत्थामा को इसके दंड स्वरूप समय के अंदर तक जिवित रहने और कष्ट भोगने का श्राप दिया था. कलियुग मे कई मन्दिरों मे अश्वत्थामा के आने का दावा किया जाता है, जिनमे से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के असीरगढ़ का किला और जबलपुर में नर्मदा नदी का किनारा प्रमुख है.

राजा बलि: राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं। इन्होंने श्री हरि नारायण को वामन अवतार के रूप में तीन पग भूमि मांगने पर अपना सब कुछ यहां तक कि अपना शरीर भी दान दे दिया था, जिससे से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इन्हें पाताल लोक का राज्य और चिरंजीवी होने का वरदान दिया था. और स्वयम इनके द्वारपाल बन गए थे। आज भी एसा माना जाता है कि यह पाताल लोक मे ही है
वेद व्यास जी : वेद व्यास जी को चारों वेद ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद का संपादन किया था। इनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन है। इन्होंने 18 पुराणों की रचना भी की है। वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे। यह भी सात चिरंजीवियों मे शामिल है.
हनुमान जी : त्रेता युग में जब हनुमान जी माता सीता को अशोक वाटिका मे श्रीराम का संदेश दिया था, तब माता सीता ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को चिरंजीवि होने का वरदान दिया था । श्रीमद् भगावत् पुराण में बताया गया है कि ऐसा पवित्र स्थान गंधमादन पर्वत है। जहां पर हनुमान जी रहते हैं, यहीं पर राम जी के दुलारे और कलियुग में धर्म के रक्षक दोस्तों मैं फिर कहूँगा हनुमान जी निवास करते हैं.
विभीषण: रावण के छोटे भाई विभीषण को भी चिरंजीवी माना गया है। विभीषण ने धर्म-अधर्म के युद्ध में धर्म का साथ दिया। रावण के वध के बाद श्रीराम ने विभीषण को लंका का राज्य दिया था, एसा माना जाता है कि विभीषण जी आज भी अदृष्य रूप में लंका पर राज्य कर रहे हैं
कृपाचार्य: दोस्तों कृपाचार्य महाभारत के कौरव और पांडवों के कुल गुरु थे । वे परम तपस्वी ऋषि हैं। अपने तप के बल पर इन्होने भी चिरंजीवी होने का वरदान पाया था,
परशुराम जी :दोस्तों कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने अपने ही अंश अवतार परशुराम जी को कल्प के अंत तक तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया।परशुराम का उल्लेख रामायण और महाभारत, दोनों ग्रंथों में है। और ग्रंथों मे लिखा गया है कि वे ही भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि अवतार के गुरू होंगे
ऋषि मार्कंडेय: सप्तचिरंजीवियों के साथ ही आठवें चिरंजीवी हैं मार्कंडेय ऋषि । मार्कंडेय अल्पायु थे। उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया। तब महाकाल ने काल उनकी रक्षा की और उन्हें चिरंजीवि होने का वरदान दिया,

08/09/2022

दोस्तो भगवान विष्णु के कहने पर देवताओं और असुरों ने समुन्दर मंथन करने का निश्चय किया, इसके लिए क्षीरसागर को चुना गया, मन्दराचल पर्वत का प्रयोग मथने के लिए किया गया, वासुकि नाग का प्रयोग रस्सी के रूप मे किया गया, और स्वयं भगवान विष्णु कच्छपरूप धारण करके क्षीरसागर मे चले गए मन्दराचल पर्वत को ऊपर उठा लिया, फिर शुरू हुआ समुद्र मंथन जिसमें से 14 रत्न निकले,
दोस्तों सबसे पहले
*1. हलाहल (विष)* निकला जिसकी ज्वाला के प्रभाव से सभी देव और देत्य जलने लगे। तब सभी ने मिलकर भगवान शिव से इस जहर से बचाने प्रार्थना की तब भगवान शिव ने उस हलाहल विष को पी लिया और usetअपने कंठ मे ही धारण कर लिया जिस से भगवान शिव का एक नाम नीलकंठ भी पड़ा।
फिर दूसरा
*उच्चैश्रवा(यानी घोड़ा)* जिसका रंग सफेद था । श्वेत रंग का उच्चैः श्रवा घोड़ा सबसे तेज और उड़ने वाला घोड़ा माना जाता था। सात मुख वाले इस अश्व को असुरों के राजा बलि ने अपने पास रख लिया था । बाद में यह इन्द्र के पास आ गया था
इसके बाद
*3. ऐरावत*
दोस्तों ऐरावत सफेद रंग का हाथी था, मंथन से प्राप्त रत्नों के बंटवारे के समय ऐरावत को इन्द्र को दे दिया गया था,
फिर
*4. कौस्तुभ मणि*
भगवान विष्णु ने इस मणि को धारण किया।
फिर
*5. कामधेनु गाय*
दोस्तों यह गाय दिव्य शक्तियों से युक्त थी। इसलिए लोककल्याण को ध्यान में रखते हुए यह गाय ऋषियों को दे दी गई।
फिर
*6. कल्पवृक्ष*
इस वृक्ष को कल्पतरु भी कहते हैं। इसे प्राप्त करने के बाद देवराज इंद्र ने इसे सुरकानन में स्थापित कर दिया गया था। स्कंदपुराण और विष्णु पुराण में पारिजात को ही कल्पवक्ष भी कहा गया है।
फिर
*7. देवी लक्ष्मी*

देव और दानव सभी चाहते थे कि देवी लक्ष्मी उन्हें मिल जाएं। लेकिन देवी लक्ष्मी ने भगावन विष्णु से विवाह कर लिया।
*8. अप्सरा रंभा*
समुद्र मंथन के दौरान इन्द्र ने देवताओं से रंभा को अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था।
*9. पारिजात*
समुद्र मंथन के दौरान कल्पवृक्ष के अलावा पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति भी हुई थी। पारिजात के फूल बहुत ही खूबसूरत होते हैं। हिंदू देवी-देवताओं की पूजा में इस पेड़ के फूलों का विशेष महत्व होता है। कई रोगों में भी इसके पत्तो और तनों का प्रयोग किया जाता है। धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के पुष्प प्रिय हैं।
*10. वारुणी देवी*
समुद्र मंथन के दौरान जिस मदिरा की उत्पत्ति हुई उसका नाम वारुणी रखा गया। वरुण का अर्थ जल। जल से उत्पन्न होने के कारण उसे वारुणी कहा गया।
*11. शंख*
शंख को विजय, समृद्धि, सुख, शांति, यश, कीर्ति और लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि शंख नाद का प्रतीक है। यह शंख भगवान विष्णु को समर्पित कर दिया गया। इसीलिए लक्ष्मी-विष्णु पूजा में शंख को अनिवार्य रूप से बजाया जाता है।
*12. चंद्रमा*
दोस्तों चंद्रमा के
प्रार्थना पर भगवान शिव ने इन्हें अपने सिर पर स्थान दिया।

*13. धन्वंतरि देव*

भगवान धन्वंतरी विष्णु के अंश माने जाते हैं और आर्युवेद के जनक भी । अपने अवतरण के बाद इन्होंने ही लोक कल्याण के लिए आर्युवेद बनाया और ऋषि-मुनियों और वैद्यों को इसका ज्ञान दिया।

*14. अमृत*
दोस्तों समुद्र मंथन के अंत में अमृत का कलश निकला था। धन्वंतरि देव के हाथ में ही अमृत कलश था। देवताओं और दैत्यों के बीच अमृत बंटवारे को लेकर जब झगड़ा हो गया था बाद में भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धरणकर अमृत को देवताओं में बांटा। राहु ने छल से अमृत का पान कर लिया, क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर काट दिया। इसी राक्षस के शरीर के दो हिस्से राहु और केतु कहलाते हैं। दोस्तो आपको यह जानकारी केसी लगी Like करिए Subscribe करिए और इसे अपने सभी Whatsapp Groups मे Share करिए

02/09/2022

दोस्तो भगवान विष्णु का कल्कि अवतार कहा होगा, उनका रूप कैसा होगा उनके जन्म के समय ग्रहों की स्थिति क्या होगी

सबसे पहले जानते हैं कल्कि अवतार कहां होगा
दोस्तों सनातन धर्म ग्रंथों मे कल्कि अवतार से सम्बन्धित एक श्लोक मिलता है

सम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्यमहात्मनः भवनेविष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यति।।

अर्थात सम्भल ग्राम में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा,

दोस्तों कल्कि अवतार का रूप कैसा होगा
दोस्तों जैसे श्री राम का रूप धनुष-बाण धारण किए हुए हैं, श्री कृष्ण का रूप मनमोहक बांसुरी बजाते हुए है
वैसे ही हमे 'अग्नि पुराण' के सौलहवें अध्याय और कल्कि पुराण में कल्कि अवतार के रूप का वर्ण मिलता है जो इस प्रकार हैं,

भगवान कल्कि सफ़ेद घोड़े पे बेठे हुए है उन्होने तीर-कमान धारण किया हुआ है उनके हाथ में चमचमाती हुई तलवार है

दोस्तों कल्कि अवतार के समय केसी होगी ग्रहों की स्थिति
शास्त्रों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा।उस समय चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्र और कुंभ राशि में होगा। सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में गोचर करेगा। गुरु स्वराशि धनु में और शनि अपनी उच्च राशि तुला में विराजमान होगा। और भगवान विष्णु का कल्कि अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा

02/09/2022

दोस्तो तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा मे एक दोहा आता है
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लिल्यो ताहि मधुर फल जानू
इसमे युग' का मतलब चार युगों कलयुग, द्वापरयुग , त्रेतायुग और सतयुग से है। कलयुग में 1200 दिव्य वर्ष , द्वापर में 2400 दिव्य वर्ष, त्रेता में 3600 दिव्य वर्ष और सतयुग में 4800 दिव्य वर्ष माने गए हैं, सबको मिलाकर बनते हैं 12000 वर्ष
'सहस्त्र' यानी 1000 वर्ष
और एक 'योजन' 8 मील का होता है
अब अगर ईन तीनों को गुना किया जाए तो प्रथ्वी की सुर्य से दूरी बतायी गयी है यानी कि
12000 X 1000 X 8 = 96,000,000 MI
अब समझिए
जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू' अर्थात हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था।
दोस्तों अब आप NASA द्वारा बतायी गयी दूरी देख पा रहे है जो की NASA के According Approximate ही है. जो कि तुलसीदास जी द्वारा लिखे गए हनुमान चालीसा मे बतायी गयी दूरी के निकट ही है.
दोस्तों NASA 21 वी शताब्दी मे भी सुर्य की exact दूरी पता नहीं लगा पाया है जबकि तुलसीदास जी ने 16 वी शताब्दी मे ही यह दूरी Exact बता दी थी. जिस समय विज्ञान ने तरक्की भी नहीं की थी
दोस्तों Comment मे जय श्री राम जरूर लिखिये और Video को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाये

02/09/2022

कलयुग में कहां रखे हुए है अंगराज करण के कवच और कुंडल
दोस्तों हम सब जानते है कि महाभारत युद्ध से पहले ही देवराज इंद्र ने ब्राह्मण का रूप धारण करके अंगराज कर्ण से उनका कवच एवं कुंडल दान मे मांग लिए थे
लेकिन जब देवराज इंद्र दानवीर कर्ण के कवच और कुंडल लेकर स्वर्ग लोक गए तो वह इन्हें लेकर स्वर्ग मे प्रवेश नहीं कर पाए क्युकि उन्होंने इसे छल से प्राप्त किया था.
तब देवराज राज इंद्र ने पृथ्वी लोक मे ही इन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर छुपा दिया था,
एसी मान्यता है या ऐसा कहा जाता है कि इस कवच और कुंडल को जगन्नाथ पूरी के निकट कोणार्क में छिपाया गया है।

02/09/2022

जो भी सुबह सुबह हनुमान जी का नाम लेता है उसे पूरे दिन भोजन नहीं मिलता ।
दोस्तों जब हनुमान जी माता सीता कि खोज में लंका पहुंचे थे तब काफी ढूंढने के बाद भी जब उन्हे माता सीता नहीं मिली,
तो उन्हें ढूंढते-ढूंढते रावण के छोटे भाई विभीषण का घर दिखा, वे हैरान होकर देखते हैं कि पिशाचों की नगरी में यह श्री राम भक्त कौन हैं? उसी समय विभीषण जी राम-राम कहते हुए बाहर आते है, हनुमान जी विभीषण से भेंट करते हैं और उन्हें अपना परिचय देते हैं। दोनों में संवाद आरंभ होता है और थोड़ी देर बाद बात करते करते विभीषण जी कहते है 'मैं तो ठहरा अभागा पता नहीं इस राक्षसी कुल वाले पर प्रभु कभी कृपा करेंगे भी कि नहीं।
हनुमान जी को लगता है विभीषण जी अब प्रभु को ही भेदभाव करने वाला समझ रहे हैं,
तो सुन्दरकांड मे वर्णित एक प्रसंग अनुसार हनुमान जी विभीषण को कहते हैं, "प्रात: नाम जो लेई हमारा ता दिन ताहि न मिलै अहारा"

अर्थात: हनुमान जी कहते हैं कि लोगो का कहना है कि जो सुबह सुबह हम वानरों का नाम लेते हैं उन्हे दिनभर आहार तक नहीं मिलता फिर भी प्रभु की मुझ पर विशेष कृपा है। विभीषण जी को हनुमान जी के बात से परम शांति मिलती है

31/08/2022

आखिर क्यों ईश्वर होते हुए भी श्री राम ने कहा 'मैं मानव हूं| श्री राम, सीता राम, Shri Ram, Jai Ram

Part-2
https://www.instagram.com/reel/Ch1LXWwPJTF/?igshid=YmMyMTA2M2Y=

आखिर क्यों ईश्वर होते हुए भी श्री राम ने कहा 'मैं मानव हूं'

दोस्तों हम सभी यह जानते हैं कि प्रभु श्री राम नारायण के अवतार थे लेकिन क्या आपको पता है कि उन्होंने खुद कहा था कि मैं मानव हूं।
तो चलिए आज हम जानेंगे प्रभु श्रीराम से जुड़े हुए एक अनोखे रहस्य को।

जब श्री हरि नारायण को राम अवतार लेना था तो उन्हें यह अवतार ब्रह्मा जी के द्वारा रावण को दिए गए वरदान की मर्यादा में रहकर लेना पड़ा क्योंकि रावण को ब्रह्मा जी से वर प्राप्त था कि उसे मानव के अलावा कोई नहीं मार सकता.
इस लिए आपने कभी भी नहीं सुना होगा कि श्रीराम ने अपनी बाल्यावस्था में किसी राक्षस का संघार किया हो ।
उन्होंने सभी राक्षसों का संघार धनुर्विद्या प्राप्त करने के बाद ही किया।
यहां तक कि उन्होंने सुदर्शन चक्र को भी धारण नहीं किया।
जब श्री राम समुद्र देव से रास्ता देने की प्रार्थना करने लगे तब लक्ष्मण जी को यह अछा नहीं लगा और उन्होंने कहा कि जब आप एक बाण से समुद्र को सुखा सकते हैं तो विनती क्यों कर रहे हैं इस पर श्री राम ने कहा कि लक्ष्मण मेरे एक उंगली हिला देने से मात्र से ही पूरे संसार के राक्षस खत्म हो सकते हैं लेकिन हमें ब्रह्मा जी के वरदान की लाज रखनी है।
इसलिए मानवीय रूप में ही रहना है।
जबकि अगर बात करे कृष्णा अवतार की तो
श्री कृष्ण के सामने ऐसी कोई मर्यादा नहीं थी इसलिए उन्होंने ना केवल बाल्यावस्था में ही बड़े बड़े दानवों का संघार किया बल्कि सुदर्शन चक्र को भी धारण किया।
#राम #भगवान_श्रीराम #माता_सीत

31/08/2022

आखिर क्यों ईश्वर होते हुए भी श्री राम ने कहा 'मैं मानव हूं| श्री राम, सीता राम, Shri Ram, Jai Ram
Part-I
https://www.instagram.com/reel/ChzLmpWshje/?igshid=YmMyMTA2M2Y=

आखिर क्यों ईश्वर होते हुए भी श्री राम ने कहा 'मैं मानव हूं'

दोस्तों हम सभी यह जानते हैं कि प्रभु श्री राम नारायण के अवतार थे लेकिन क्या आपको पता है कि उन्होंने खुद कहा था कि मैं मानव हूं।
तो चलिए आज हम जानेंगे प्रभु श्रीराम से जुड़े हुए एक अनोखे रहस्य को।

जब श्री हरि नारायण को राम अवतार लेना था तो उन्हें यह अवतार ब्रह्मा जी के द्वारा रावण को दिए गए वरदान की मर्यादा में रहकर लेना पड़ा क्योंकि रावण को ब्रह्मा जी से वर प्राप्त था कि उसे मानव के अलावा कोई नहीं मार सकता.
इस लिए आपने कभी भी नहीं सुना होगा कि श्रीराम ने अपनी बाल्यावस्था में किसी राक्षस का संघार किया हो ।
उन्होंने सभी राक्षसों का संघार धनुर्विद्या प्राप्त करने के बाद ही किया।
यहां तक कि उन्होंने सुदर्शन चक्र को भी धारण नहीं किया।
जब श्री राम समुद्र देव से रास्ता देने की प्रार्थना करने लगे तब लक्ष्मण जी को यह अछा नहीं लगा और उन्होंने कहा कि जब आप एक बाण से समुद्र को सुखा सकते हैं तो विनती क्यों कर रहे हैं इस पर श्री राम ने कहा कि लक्ष्मण मेरे एक उंगली हिला देने से मात्र से ही पूरे संसार के राक्षस खत्म हो सकते हैं लेकिन हमें ब्रह्मा जी के वरदान की लाज रखनी है।
इसलिए मानवीय रूप में ही रहना है।
जबकि अगर बात करे कृष्णा अवतार की तो
श्री कृष्ण के सामने ऐसी कोई मर्यादा नहीं थी इसलिए उन्होंने ना केवल बाल्यावस्था में ही बड़े बड़े दानवों का संघार किया बल्कि सुदर्शन चक्र को भी धारण किया।
#राम #भगवान_श्रीराम #माता_सीत

26/08/2022

कलयुग में श्राप क्यु नहीं लगता है| Kalyug me Shrap kyu nhi lgta hai, कल्कि अवतार, Kalki Avtar

आखिर कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता है
दोस्तों आपने सतयुग, त्रेता युग तथा द्वापर युग इन सभी युगों में ऋषियो/देवताओं को श्राप देते देखा होगा और उनका श्राप सच भी होता था।
लेकिन अगर हम बात करें कलयुग की तो कलयुग मे श्राप नहीं लगता, और ना ही कलयुग में श्राप का कोई प्रभाव पड़ता है।
लेकिन ऐसा क्यों??
दोस्तों दरअसल कलयुग के मनुष्यों में धर्म, कर्म और सत्य शून्य के बराबर है जिस कारण उनमे तपोबल एवं ब्रह्म बल की कमी है इसी कारण से कलयुग में श्राप नहीं लगता,
क्युकि कलयुग के लोग इतने स्वार्थी हैं कि अगर कलयुग में भी श्राप लगे तो पूरी धरती श्राप से ही खत्म हो जाएगी,

लेकिन यह भी सच है कि अगर कोई साधु महात्मा जिसने अपने जीवन में कभी पाप न किया हो, धर्म के मार्ग पर चला हो या फिर कभी झूठ ना बोला हो उनका दिया हुआ श्राप कलयुग मे लग सकता है

तो दोस्तो ये जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट में जरूर बताना।।

25/08/2022

जब #अकबर ने #बीरबल के सामने #हिंदू #धर्म का मजाक बनाया😳 तब बीरबल का जवाब सुनकर आपके होश उड़ जायेंगे 🤔

एक समय की बात है जब अकबर ने बीरबल से कहा बीरबल तुम्हारे भगवान हमेशा अवतार क्यों लेते हैं

पहले वह जन्म लेते हैं तकलीफ सहते हैं मतलब इतना कष्ट सहने की क्या जरूरत है

वे चाहे तो किसी दूत को तुम लोगो की सहायता के लिए भेज सकते हैं

इससे भी लगभग उनका काम बन ही जाएगा

बीरबल समझ गए कि अकबर उनके धर्म का मजाक उड़ा रहे हैं

बीरबल बोले महाराज इसका जवाब मैं आपको फिर कभी दूंगा
ठीक 2 महीने बाद
अकबर बीरबल और कुछ सैनिक नदी किनारे टहलने गए

बीरबल ने हुबहू शहजादे सलीम का पुतला बनाया और अकबर के सामने उसे नदी में फेंक दिया

अकबर को लगा शहजादे सलीम पानी में डूब रहे है इसलिए अकबर भी बिना कुछ सोचे समझे सलीम को बचाने हेतु पानी में कूद गए

तब अकबर को पता चला कि ये तो 1 पूतला है बीरबल ने उनके साथ गंदा मजाक किया है, अकबर को इस बात पर काफी गुस्सा आया ।। अकबर गुस्से में बोले ये क्या है बीरबल

तब बीरबल बोले महाराज यहां पर इतने सैनिक हैं आप चाहते तो हुक्म देकर सहजादे को बचा सकते थे लेकिन आपने देखा कि आपके बेटे को आपकी सहायता की ज़रूरत है तो आप बिना कुछ सोचे समझे नदी में कूद गए

बिल्कुल इसी तरह हमारे भगवान भी हमे मुसीबत में नहीं देख सकते और किसी दूत को भेजने के बजाए वो स्वयं हमें बचाने हेतु आ जाते हैं ।

25/08/2022

भगवान #परशुराम ने क्यों काटा अपनी ही माता का सिर 😳 जानकर आप भी चौंक जाएंगे #राम #हिन्दू 😳😳

भगवान परशुराम ने क्यों काटा अपनी ही माता का सर

दोस्तो एक बार भगवान परशुराम जी की माता रेणुका नदी में स्नान के लिए गई वहां पर उन्होंने राजा चित्ररथ को अन्य अप्सराओं के साथ स्नान करते तथा क्रीड़ा करते हुए देखा

अप्सराओं के साथ उनकी क्रीड़ा को देखकर माता रेणुका का मन भी प्रफुल्लित हो उठा तथा इस दृश्य को देखने के कारण उन्हें स्नान करने में देर हो गई

जब माता रेणुका स्नान करके वापस आश्रम लौटी तब ऋषि जमदग्नि ने अपने तपोबल कि शक्ति से सम्पूर्ण बात का पता लगा लिया तथा माता रेणुका का मन भी पढ़ लिया

उन्हे यह देखकर इतना क्रोध आया कि उन्होंने अपने सबसे बड़े पुत्र को माता का गला काट देने का आदेश दिया लेकिन उसने यह करने से मना कर दिया तब उन्होंने अपने दूसरे तथा तीसरे पुत्र को भी ऐसा करने को कहा लेकिन उन्होंने भी मना कर दिया तब उन्होंने अपने सबसे छोटे पुत्र परशुराम को ऐसा करने को कहा तब परशुराम जी ने माता रेणुका का सिर धड़ से अलग कर दिया यह देख ऋषि जमदग्नि अत्यंत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने परशुराम जी को वरदान मांगने को कहा तब उन्होंने अपनी माता को पुनर्जीवित करने का वरदान मांगकर अपनी माता को पुन: जीवित कर दिया

25/08/2022

जब एक #शिकारी ने चढ़ाया #शिवजी को #मांस 😳😳 Jb Ek ne chdaeya ji ko 🙏🙏

दोस्तो क्या हुआ जब एक शिकारी ने भगवान शिव के पवित्र शिवलिंग पर चढ़ाया मांस

कथा के अनुसार एक शिकारी जिसका नाम दीमन था वह शिकार के लिए जंगल गया वहां उसने एक मंदिर देखा जिसमे एक पवित्र शिवलिंग था जिसे देख शिकारी के मन में भगवान शिव के प्रति गहरा प्रेम उमड़ आया और उसने अपने भोलेपन में ही भगवान शिव के पवित्र शिवलिंग पर मांस चड़ा दिया और खुश होकर चला गया।।। उस मंदिर की देखभाल करने के लिए एक ब्रम्हाण आया करता था

जब ब्रम्हाण आया तो उसने देखा कि शिवलिंग पर मांस चढ़ा हुआ है, उसने यह किसी जानवर कि करतूत समझ कर उसे हटा दिया ।।।

परंतु यह कर्म निरंतर चलता रहा ।।

तब ब्रम्हाण ने सोचा कि पता लगाया जाए कि एसा कोण कर रहा है और उसी दिन वह मंदिर के पास झाड़ियों मे छुपकर बैठ गया

तब वह दिमन शिकारी मांस व पानी के साथ वहां आया लेकिन शिकारी यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि शिवलिंग कि दाहिनी आंख से रक्त निकल रहा था तब उसने चाकू निकाला और अपनी दाहिनी आंख निकाल कर शिवलिंग पर चढ़ा दी।।

तभी उसका ध्यान फिर से गया तो शिवलिंग कि बाईं आंख से भी रक्त निकल रहा है तब उसने अपनी बाईं आंख को भी शिवलिंग पर चढ़ा दिया

तभी भगवान शिवजी प्रकट हो जाते हैं और उसकी भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं और उसकी दोनों आंखों को वापस लौटा देते हैं

25/08/2022

कैसा था #प्रभु #श्री #राम का #राज्य, #राम #राज्य, , #जय श्री राम, #सीता राम, #अयोध्या

दोस्तो आपने बहुत बार हमारे नेताओं /राजनेताओं के मुख से सुना होगा कि अगर हमारी सरकार आयी तो हम राम राज्य की स्थापना करेंगे।
तो चलिए आज हम आपको बताने चलते हैं कि कैसा था हमारे प्रभु श्री राम का राज्य और क्या थी उनके राज्य की विशेषताएं।
दोस्तो राम राज्य की व्याख्या रामचरितमानस के उत्तर कांड में की गई है। जहां तुलसीदास जी लिखते हैं

बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग
चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहि भय सोक न रोग

अर्थात
जब प्रत्येक व्यक्ति अपने वर्ण एवं आश्रम के धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करता है अथवा जब प्रत्येक व्यक्ति जीवन के विभिन्न चरणों के अनुसार अपने निहित कार्य उसी प्रकार करता है जैसा कि वेदों में परिभाषित है, जब कहीं भी किसी भी प्रकार का भय ना हो, दुख ना हो तथा रोग ना हो – वही राम राज्य है।
दोस्तों अगर हम आसान भाषा मे समझे तो प्रभु श्री राम के राज्य मे सारी प्रजा सुखी थी., पिता के जिवित रहते कभी भी पुत्र की अकाल मृत्यु नहीं होती थी. चोरी डकैती नहीं होती थी. और रात को भी अपने घर ke दरवाजे खुले रख ही सोते थे.
दोस्तों Inshort हम यह कह सकते है कि उस समय धर्म के चारों अंग – सत्य, पवित्रता, करूणा एवं दान सभी मौजूद थे.
तो Dosto अगर आपको हमारी यह Video अछि लगी तो Comment में जय श्री राम जरूर लिखिए और इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ share करिये

25/08/2022

#भगवान #विष्णु का सबसे पहला #वराह #अवतार | आखिर क्यों लिया #श्री #हरि #नारायण ने वराह अवतार |

आखिर क्यु भगवान विष्णु ने लिया था वराह अवतार
दोस्तों वराह अवतार भगवान विष्णु का मानवीय शरीर के रूप में धरती पर सबसे पहला अवतार था भगवान विष्णु का इस अवतार मे भगवान का शरीर मानव का था और मुख वराह का था

इसलिए इस अवतार को वराह अवतार कहा गया
प्राचीन शास्त्रों में यह कहा गया है कि विष्णु जी ने यह अवतार दैत्य हिरण्याक्ष को मारने के लिए लिया था।

दैत्य हिरण्याक्ष एक असुर था और वह धरती पर राज करना चाहता था

इसलिए उसने धरती को ले जाकर समंदर में छुपा दिया था तब सभी देवी देवता भगवान विष्णु के पास गए और पृथ्वी माता को बचाने की गुहार लगाने लगे

क्योंकि पृथ्वी पर ही मानव जीवन संभव था जिसके बाद भगवान विष्णु वराह रूप धारण करते हैं और समंदर में जाकर पृथ्वी माता को खोज निकालते हैं

और साथ ही उस असुर का भी विनाश कर देते हैं जिसके बाद भगवान विष्णु पृथ्वी को पुनः उनकी कक्षा मे स्थापित कर देते हैं ।

दोस्तों अगर आपको यह video achi lgi toh like kijiye sur jyada se jyada logo ke sath share kijiye।

25/08/2022

आखिर क्यों 70 साल तक जीने वाला बाज 40 साल की उम्र में ही अपने पंख, नाखून और चोंच को तोड़ लेता है

आखिर क्यों 70 साल तक जीने वाला बाज 40 साल की उम्र में ही अपने पंख, नाखून और चोंच को तोड़ लेता है

तो दोस्तों 40 साल की उम्र आते-आते बाज की लंबी चोंच टेढ़ी हो जाती है और पंख इतना भारी हो जाता है कि उड़ने के लायक ही नहीं रहता और पंजों के नाखून जरूरत से ज्यादा बड़े हो जाते हैं

जो किसी काम के नहीं होते इस हालत में बाज के पास दो ही रास्ते होते हैं या तो वह भूख से तड़प तड़प के मर जाए

या फिर अपने जीवन के सबसे दर्दनाक पहलू को पार करें जीने की चाहत में बाज पत्थरों से मार मार के अपने चोंच को तोड़ देते हैं और चट्टानों पर नाखूनों को भी तोड़ लेते हैं लगभग 6 महीने के बाद नए नाख़ून आ जाते हैं लेकिन अभी भी पंख उड़ने में उसका साथ नहीं देते

और ऐसे में वह अपनी पंखों को उखाड़ देता है जो कि उसे उड़ने में साथ नहीं देता

इतना दर्द सहने के बाद यह बाज अपने नए नए नाखून और नए पंखों के साथ फिर निकलते हैं और 70 साल तक जीते हैं।

21/08/2022

श्री #राम ने खाए अपने #भगत के #झूठे बेर, माता #शबरी राम मिलन, #मातंग #ऋषि के आश्रम, शबरी कौन थी

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