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आज तुम्हारा खामोश रहना कल तुम्हारी औलादों का जीना हराम कर देगा.. जिंदा हो तो चिट्टे के खिलाफ आवाज उठाओ..👍👍ये मत सोचो कि ...
18/02/2025

आज तुम्हारा खामोश रहना कल तुम्हारी औलादों का जीना हराम कर देगा.. जिंदा हो तो चिट्टे के खिलाफ आवाज उठाओ..👍👍

ये मत सोचो कि मैं या मेरा परिवार ठीक है और मुझे क्या लेना देना उससे वो कर रहा है मरेगा वहीं तुम ये सोचो कि उसने तुम्हारे बच्चों तक जीने नहीं देना है।

आज तुम्हारा खामोश रहना कल तुम्हारी औलादों का जीना हराम कर देगा.. जिंदा हो तो चिट्टे के खि लूपलाफ आवाज उठाओ..👍👍

जो हालत आज चल रहे है कल वो हर गली मोहल्ले में होंगे अभी भी समय है जाग जाओ और चुप्पी तोड़ दो क्योंकि आज तुम्हारा खामोश रहना कल तुम्हारी औलादों का जीना हराम कर देगा.. जिंदा हो तो चिट्टे के खिलाफ आवाज उठाओ..👍👍

इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करो ताकि हर नागरिक खास तौर पर हर हिमाचली जागरूक हो जाए। अभी नहीं तो फिर कभी नहीं। अपनी नहीं तो कम से कम अपने बच्चों के बारे में सोचो नहीं तो पीढ़ियां खत्म हो जाएंगी।🙏🏾🙏🏾










👩. बीवी का दिमाग 🧠बीवी गांव वाली हो या पढ़ी-लिखी, सभी औरतों का दिमाग ऊपर वाला एक ही फैक्टरी में  बनाता है !!!!🏭😝😝आप उस द...
18/02/2025

👩. बीवी का दिमाग 🧠

बीवी गांव वाली हो या पढ़ी-लिखी, सभी औरतों का दिमाग ऊपर वाला एक ही फैक्टरी में बनाता है !!!!🏭
😝
😝
आप उस दिमाग को जानना चाहते हैं ना..

➡चावल में पानी ज्यादा हुआ तो...
💁 - "चावल नया था,"

➡रोटियाँ कड़क हो गई तो...
💁- "कमबख्त ने अच्छा आटा पीस कर ही नहीं दिया,"

➡चाय ज्यादा मीठी हो गयी...
💁 - "शक्कर ही मोटी थी"

चाय पतली हो गयी तो ...
💁 "दूध में पानी ज्यादा था,"

➡शादी या किसी Function में जाते समय...
💁 -"कौन सी साड़ी पहनूं..?"
"मेरे पास अच्छी साड़ी ही नहीं है !"

➡घर पर जल्दी आ गए तो...
💁 -"आज जल्दी कैसे आ गए ?"

➡लेट हो गए तो....
💁 - "इतने वक़्त तक कहाँ थे ?"

➡कोई चीज सस्ती मिल जाए तो...
💁 - "तुमको सभी फंसा देते हैं" ...

➡महंगी लाई तो...
💁 -"तुमको किसने कहा था लाने को ?"

➡खाने की तारीफ़ कर दो तो...
💁 मैं तो रोज ऐसा ही खाना बनाती हूँ."

➡खाने को गलत कहा तो...
💁 तुमको तो मेरी कदर ही नहीं"....

➡कोई काम करो तो...
💁 एक काम कभी ढंग से करते नहीं..".

➡और न किया तो...
💁 - "तुम्हारे भरोसे रहे तो कोई काम नहीं होने वाला."..

नुस्खा यह है कि...👇
1 )खुद का ध्यान रखें,
2) शांत रहने का प्रयास करें.
3) डरना नहीं,
4) ईश्वर आपके साथ है...

सभी विवाहित पुरुषों को प्रेषित😜

नोट: आपने लाइक किया और आपकी बीवी ने पोस्ट देखा तो इसके जिम्मेदार आप खुद।😀🧘

18/02/2025

Facebook pe follower kaise increase kare। फेसबुक पर फॉलोवर बढ़ाने का तरीका।

18/02/2025

ज्ञान न.12
शादी सुदा मित्रों,वो छोटी बर्तन लेने बोलेगी,or तुम हमेशा बड़े मुँह वाले बर्तन खरीदना 😊
आसानी से अंदर तक साफ हो जाता है🤗🥰😂

18/02/2025

फेसबुक पे आते हो तो थोड़ा हंस बोल लिया करो !😁😁😁😂 चुपचाप तो आप घरवाली के सामने रहते ही हो 🙈🤣🤣🙈😁

18/02/2025

हाथों ने पैरों से पूछा सब तुम्हें ही प्रणाम करते हैं, मुझे क्यों नहीं? पैरों ने बोला उसके लिए ज़मीन पर रहना पड़ता है, हवा में नहीं।

यही जीवन का सत्य है शुभ प्रभात दोस्तो।🌞🤗🥰

श्री राधे राधे जी 🙏🏾🌞🤗

जिंदगी की सारी मुश्किलों से लड़ने के लिए मुझे बस तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान और हमारा जीवन भर का साथ चाहिए.आज जीवन के 10 ...
17/02/2025

जिंदगी की सारी मुश्किलों से लड़ने के लिए मुझे बस तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान और हमारा जीवन भर का साथ चाहिए.
आज जीवन के 10 वर्ष हम दोनों के एक साथ पूर्ण हुए।


17/02/2025

आज मैं सोने लगा हूं और आप क्या कर रहे हो

खेल इसका ही है सारा कोई बटर लगाकर खाता है कोई सूखी ही चबा जाता है..और कोई तो हर रोज इससे मिल भी नही पता है।रोटी पर घी और...
17/02/2025

खेल इसका ही है सारा कोई बटर लगाकर खाता है कोई सूखी ही चबा जाता है..और कोई तो हर रोज इससे मिल भी नही पता है।

रोटी पर घी और नाम के साथ जी लगाने से, स्वाद और इज्जत दोनों बढ़ जाते है !!



नेहा ने होटल की बालकनी में कुरसी पर बैठकर चाय का पहला घूंट भरा ही था कि उसकी आंखें अचानक ठहर गईं। बगल वाले कमरे की बालकन...
17/02/2025

नेहा ने होटल की बालकनी में कुरसी पर बैठकर चाय का पहला घूंट भरा ही था कि उसकी आंखें अचानक ठहर गईं। बगल वाले कमरे की बालकनी में खड़ा व्यक्ति पीछे से अनुराग जैसा लग रहा था—वही 5 फुट 8 इंच लंबा छरहरा बदन।

नेहा सोचने लगी, 'अनुराग यहां कैसे हो सकता है?' विचारों के इस झंझावात को झटक कर उसने शांत झील की ओर देखा। लेकिन तभी वो व्यक्ति पलटा और नेहा को देख कर ठिठक गया।

"अरे अनुराग, तुम यहां कैसे?" नेहा के मुंह से अचानक ही बोल फूट पड़े। अनुराग भी भौचक था। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि 30 साल बाद नेहा अचानक ऐसे मिल जाएगी।

दोनों अपलक एक-दूसरे को देखते रहे। नैनीताल की ठंडी हवाओं के बीच एक अनकही खुशी दोनों के दिलों में उमड़ रही थी।

"नेहा, इतने सालों बाद भी तुम वैसी ही सुंदर लग रही हो," अनुराग ने मुस्कुराते हुए कहा।

"अनुराग, मेरे पति आकाश भी यही कहते हैं।" नेहा हंस पड़ी, "तुम भी वैसे ही स्मार्ट और डायनैमिक लग रहे हो। लगता है कोई बड़े अफसर बन गए हो।"

"ठीक पहचाना," अनुराग ने बताया, "मैं लखनऊ में डी.आई.जी. के पद पर हूं। हल्द्वानी किसी काम से आया था, सोचा नैनीताल घूम लूं। पर तुम यहां कैसे?"

"मैं बरेली के एक कॉलेज में प्रोफेसर हूं। यहां परीक्षा लेने आई हूं। वैसे अकेले ही आई थी, लेकिन अब तुम मिले हो तो शायद रुकने का प्लान बदलना पड़ेगा।"

अनुराग हल्का सा मुस्कराया, "नेहा, जिंदगी के प्लान तो वक्त के साथ वैसे भी बदल जाते हैं..."

"अनुराग, तुमने कभी सोचा कि पापा ने अचानक मेरी पढ़ाई छुड़वा कर बरेली क्यों भेज दिया था?"

"नेहा, यही सवाल मुझे सालों से परेशान कर रहा था।" अनुराग गंभीर हो गया।

"पापा नहीं चाहते थे कि पढ़ाई के दौरान मैं प्रेम में पड़ूं।" नेहा ने सच बताया, "उन्होंने मुझे एम.एससी., पीएचडी करवाई और फिर शादी कर दी।"

"अब तुम्हारे कितने बच्चे हैं?" अनुराग ने पूछा।

"दो बेटे हैं। बड़ा बेटा इंग्लैंड में डॉक्टर है और दूसरा अमेरिका में इंजीनियर।"

"मेरे भी दो बेटे हैं। एक आईएएस और दूसरा एम्स में डॉक्टर। अब घर में सिर्फ मैं और अंशिका रहते हैं।"

अनुराग कुछ देर नेहा को अपलक देखता रहा।

"ऐसे क्या देख रहे हो अनुराग?" नेहा मुस्कुराई।

"नेहा, हमारा प्रेम कभी खत्म नहीं हुआ। बस, यह देह के आकर्षण से मुक्त हो गया।"

"सच, अनुराग। प्रेम लोभ और मोह से परे होता है।"

बातों का सिलसिला चल पड़ा। अनुराग ने चाय मंगवाई। नेहा ने अपने साथ लाई मठरियां निकालीं।

फिर अनुराग बोला, "अब फ्लैट पर चलें?"

नेहा तैयार हो गई। चलते-चलते दोनों पुरानी यादों में खो गए।

"**नेहा, याद है? तुम झील में गिर गई थीं और







एक दिन सुबह सुबह पत्नी ने मुझ से कहा, ‘‘आप ने अपने को शीशे में  देखा है. गुप्ताजी को देखो, आप से 5 साल बड़े हैं पर कितने...
17/02/2025

एक दिन सुबह सुबह पत्नी ने मुझ से कहा, ‘‘आप ने अपने को शीशे में देखा है. गुप्ताजी को देखो, आप से 5 साल बड़े हैं पर कितने हैंडसम लगते हैं और लगता है जैसे आप से 5 साल छोटे हैं. जरा शरीर पर ध्यान दो

कचौरी खाते हो तो ऐसा लगता है कि बड़ी कचौरी छोटी कचौरी को खा रही है. पेट की गोलाई देख कर तो गेंद भी शरमा जाए.’’ मैं आश्चर्यचकित रह गया. यह क्या, मैं तो अपने को शाहरुख खान का अवतार समझता था. मैं ने शीशे में ध्यान से खुद को देखा, तो वाकई वे सही कह रही थीं. यह मुझे क्या हो गया है. ऐसा तो मैं कभी नहीं था. अब क्या किया जाए? सभी मिल कर बैठे तो बातें शुरू हुईं. बेटे ने कहा, ‘‘पापा, आप को बहुत तपस्या करनी पड़ेगी.’ फिर क्या था. बेटी भी आ गई, ‘‘हां पापा, मैं आप के लिए डाइटिंग चार्ट बना दूं. बस, आप तो वही करते जाओ जोजो मैं कहूं, फिर आप एकदम स्मार्ट लगने लगेंगे.’’ मैं क्या करता. स्मार्ट बनने की इच्छा के चलते मैं ने उन की सारी बातें मंजूर कर लीं पर फिर मुझे लगा कि डाइटिंग तो कल से शुरू करनी है तो आज क्यों न अंतिम बार आलू के परांठे खा लिए जाएं. मैं ने कहा कि थोड़ी सी टमाटर की चटनी भी बना लेते हैं. पत्नी ने इस प्रस्ताव को वैसे ही स्वीकार कर लिया जैसे कि फांसी पर चढ़ने वाले की अंतिम इच्छा को स्वीकार करते हैं. मैं ने भरपेट परांठे खाए. उठने ही वाला था कि बेटी पीछे पड़ गई, ‘‘पापा, एक तो और ले लो.’’ पत्नी ने भी दया भरी दृष्टि मेरी ओर दौड़ाई, ‘‘कोई बात नहीं, ले लो. फिर पता नहीं कब खाने को मिलें.’’आमतौर पर खाने के मामले में इतना अपमान हो तो मैं कदापि नहीं खा सकता था पर मैं परांठों के प्रति इमोशनल था कि बेचारे न जाने फिर कब खाने को मिलें.रात को सो गया. सुबह अलार्म बजा. मैं ने पत्नी को आवाज दी तो वे बोलीं, ‘‘घूमने मुझे नहीं, आप को जाना है.’’
मैं मरे मन से उठा. रात को प्रोग्राम बनाते समय सुबह 5 बजे उठना जितना आसान लग रहा था अब उतना ही मुश्किल लग रहा था. उठा ही नहीं जा रहा था.
जैसेतैसे उठ कर बाहर आ गया. ठंडीठंडी हवा चल रही थी. हालांकि आंखें मुश्किल से खुल रही थीं पर धीरेधीरे सब अच्छा लगने लगा. लगा कि वाकई न घूम कर कितनी बड़ी गलती कर रहा था. लौट कर मैं ने घर के सभी सदस्यों को लंबा- चौड़ा लैक्चर दे डाला. और तो और अगले कुछ दिनों तक मुझे जो भी मिला उसे मैं ने सुबह उठ कर घूमने के फायदे गिनाए. सभी लोग मेरी प्रशंसा करने लगे.
पर सब से खास परीक्षा की घड़ी मेरे सामने तब आई जब लंच में मेरे सामने थाली आई. मेरी थाली की शोभा दलिया बढ़ा रहा था जबकि बेटे की थाली में मसालेदार आलू के परांठे शोभा बढ़ा रहे थे. चूंकि वह सामने ही खाना खा रहा था इसलिए उस की महक रहरह कर मेरे मन को विचलित कर रही थी.मरता क्या न करता, चुपचाप मैं जैसेतैसे दलिए को अंदर निगलता रहा और वे सभी निर्विकार भाव से मेरे सामने आलू के परांठों का भक्षण कर रहे थे, पर आज उन्हें मेरी हालत पर तनिक भी दया नहीं आ रही थी.खाने के बाद जब मैं उठा तो मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं ने कुछ खाया है. क्या करूं, भविष्य में अपने शारीरिक सौंदर्य की कल्पना कर के मैं जैसेतैसे मन को बहलाता रहा.डाइटिंग करना भी एक बला है, यह मैं ने अब जाना था. शाम को जब चाय के साथ मैं ने नमकीन का डब्बा अपनी ओर खिसकाया तो पत्नी ने उसे वापस खींच लिया.‘‘नहीं, पापा, यह आप के लिए नहीं है,’’ यह कहते हुए बेटे ने उसे अपने कब्जे में ले लिया और खोल कर बड़े मजे से खाने लगा. मैं क्या करता, खून का घूंट पी कर रह गया.शाम को फिर वही हाल. थाली में खाना कम और सलाद ज्यादा भरा हुआ था. जैसेतैसे घासपत्तियों को गले के नीचे उतारा और सोने चल दिया. पर पत्नी ने टोक दिया, ‘‘अरे, कहां जा रहे हो. अभी तो तुम्हें सिटी गार्डन तक घूमने जाना है.’’
मुझे लगा, मानो किसी ने पहाड़ से धक्का दे दिया हो. सिटी गार्डन मेरे घर से 2 किलोमीटर दूर है. यानी कि कुल मिला कर आनाजाना 4 किलोमीटर. जैसेतैसे बाहर निकला तो ठंडी हवा बदन में चुभने लगी. आंखों में आंसू भले नहीं उतरे, मन तो दहाड़ें मार कर रो रहा था. मैं जब बाहर निकल रहा था तो बच्चे रजाई में बैठे टीवी देख रहे थे. बाहर सड़क पर भी दूरदूर तक कोई नहीं था पर क्या करता, स्मार्ट जो बनना था, सो कुछ न कुछ तो करना ही था.फिर यही दिनचर्या चलने लगी. एक ओर खूब जम कर मेहनत और दूसरी ओर खाने को सिर्फ घासफूस. अपनी हालत देख कर मन बहुत रोता था. लोग बिस्तर में दुबके रहते और मैं घूमने निकलता था. लोग अच्छेअच्छे पकवान खाते और मैं वही बेकार सा खाना.
तभी एक दिन मैं ने सुबह 9 बजे अपने एक मित्र को फोन किया. मुझे यह जान कर आश्चर्य हुआ कि वह अभी तक सो कर ही नहीं उठा था जबकि उस ने मुझे घूमने के मामले में बहुत ज्ञान दिया था. करीब 10 बजे मैं ने दोबारा फोन किया. तो भी जनाब बिस्तर में ही थे. मैं ने व्यंग्य से पूछा, ‘‘क्यों भई, तुम तो घूमने के बारे में इतना सारा ज्ञान दे रहे थे. सुबह 10 बजे तक सोना, यह सब क्या है.’’मित्र हंसने लगा, ‘‘अरे भई, आज संडे है. सप्ताह में एक दिन छुट्टी, इस दिन सिर्फ आराम का काम है.’’
मुझे लगा, यही सही रास्ता है. मैं ने फौरन एक दिन के साप्ताहिक अवकाश की घोषणा कर दी और फौरन दूसरे ही दिन उसे ले भी लिया. देर से सो कर उठना कितना अच्छा लगता है और वह भी इतने संघर्ष के बाद. उस दिन मैं बहुत खुश रहा. पर बकरे की मां कब तक खैर मनाती, दूसरे दिन तो घूमने जाना ही था.
तभी बीच में एक दिन एक रिश्तेदार की शादी आ गई. खाना भी वहीं था. पहले यह तय हुआ था कि मेरे लिए कुछ हल्काफुल्का खाना बना लिया जाएगा पर जब जाने का समय आया तो पत्नी ने फैसला सुनाया कि वहीं पर कुछ हल्का- फुल्का खाना खा लेंगे. बस, मिठाइयों पर थोड़ा अंकुश रखें तो कोई परेशानी थोड़े ही है.उन के इस निर्णय से मन को बहुत राहत पहुंची और मैं ने वहां केवल मिठाई चखी भर, पर चखने ही चखने में इतनी खा गया कि सामान्य रूप से कभी नहीं खाता था. उस रात को मुझे बहुत अच्छी नींद आई थी क्योंकि मैं ने बहुत दिनों बाद अच्छा खाना खाया था लेकिन नींद भी कहां अपनी किस्मत में थी. सुबह- सुबह कम्बख्त अलार्म ने मुझे फिर घूमने के लिए जगा दिया. जैसेतैसे उठा और घूमने चल दिया.मेरी बड़ी मुसीबत हो गई थी. जो चीजें मुझे अच्छी नहीं लगती थीं वही करनी पड़ रही थीं. जैसेतैसे निबट कर आफिस पहुंचा. पर यहां भी किसी काम में मन नहीं लग रहा था. सोचा, कैंटीन जा कर एक चाय पी लूं. आजकल घर पर ज्यादा चाय पीने को नहीं मिलती थी. चूंकि अभी लंच का समय नहीं था इसलिए कैंटीन में ज्यादा भीड़ नहीं थी पर मैं ने वहां शर्मा को देखा. वह मेरे सैक्शन में काम करता था और वहां बैठ कर आलूबड़े खा रहा था. मुझे देख कर खिसिया गया. बोला, ‘‘अरे, वह क्या है कि आजकल मैं डाइटिंग पर चल रहा हूं. अब कभीकभी अच्छा खाने को मन तो करता ही है. अब इस जबान का क्या करूं. इसे तो चटपटा खाने की आदत पड़ी है पर यह सब कभीकभी ही खाता हूं. सिर्फ मुंह का स्वाद चेंज करने के लिए…मेरा तो बहुत कंट्रोल है,’’ कह कर शर्मा चला गया पर मुझे नई दिशा दे गया. मेरी तो बाछें खिल गईं. मैं ने फौरन आलूबड़े और समोसे मंगाए और बड़े मजे से खाए.उस दिन के बाद मैं प्राय: वहां जा कर अपना जायका चेंज करने लगा. हां, एक बात और, डाइटिंग का एक और पीडि़त शर्मा, जोकि अपने कंट्रोल की प्रशंसा कर रहा था, वह वहां अकसर बैठाबैठा कुछ न कुछ खाता रहता था. शुरूशुरू में वह मुझ से शरमाया भी पर फिर बाद में हम लोग मिलजुल कर खाने लगे.बस, यह सिलसिला ऐसे ही चलने लगा. इधर तो पत्नी मुझ से मेहनत करवा रही थी और दूसरी ओर आफिस जाते ही कैंटीन मुझे पुकारने लगती थी. मैं और मेरी कमजोरी एकदूसरे पर कुरबान हुए जा रहे थे. पत्नी ध्यान से मुझे ऊपर से नीचे तक देखती और सोच में पड़ जाती.
फिर 2 महीने बाद वह दिन भी आया जहां से मेरा जीवन ही बदल गया. हुआ यों कि हम सब लोग परिवार सहित फिल्म देखने गए. वहां पत्नी की निगाह वजन तौलने वाली मशीन पर पड़ी. 2-2 मशीनें लगी हुई थीं. फौरन मुझे वजन तौलने वाली मशीन पर ले जाया गया. मैं भी मन ही मन प्रसन्न था. इतनी मेहनत जो कर रहा था. सुबहसुबह उठना, घूमनाफिरना, दलिया, अंकुरित नाश्ता और न जाने क्याक्या.
मैं शायद इतने गुमान से शादी में घोड़ी पर भी नहीं चढ़ा होऊंगा. सभी लोग मुझे घेर कर खड़े हो गए. मशीन शुरू हो गई. 2 महीने पहले मेरा वजन 80 किलो था. तभी मशीन से टिकट निकला. सभी लोग लपके. टिकट मेरी पत्नी ने उठाया. उस का चेहरा फीका पड़ गया.‘‘क्या बात है भई, क्या ज्यादा कमजोर हो गया? कोई बात नहीं, सब ठीक हो जाएगा,’’ मैं ने पत्नी को सांत्वना दी.पर यह क्या, पत्नी तो आगबबूला हो गई, ‘‘खाक दुबले हो गए. पूरे 5 किलो वजन बढ़ गया है. जाने क्या करते हैं.’’
मैं हक्काबक्का रह गया. यह क्या? इतनी मेहनत? मुझे कुछ समझ में नहीं आया. कहां कमी रह गई, बच्चों के तो मजे आ गए. उस दिन की फिल्म में जो कामेडी की कमी थी, वह उन्होंने मुझ पर टिप्पणी कर के पूरी की. दोनों बच्चे बहुत हंसे.मैं ने भी बहुत सोचा और सोचने के बाद मुझे समझ में आया कि आजकल मैं कैंटीन ज्यादा ही जाने लगा था. शायद इतने समोसे, आलूबडे़, कचौरियां कभी नहीं खाईं. पर अब क्या हो सकता था. पिक्चर से घर लौटने के बाद रात को खाने का वक्त भी आया. मैं ने आवाज लगाई, ‘‘हां भई, जल्दी से मेरा दलिया ले आओ.’’पत्नी ने खाने की थाली ला कर रख दी. उस में आलू के परांठे रखे हुए थे. ‘‘बहुत हो गया. हो गई बहुत डाइटिंग. जैसा सब खाएंगे वैसा ही खा लो. और थोड़े दिन डाइटिंग कर ली तो 100 किलो पार कर जाओगे.’’
मैं भला क्या कहता. अब जैसी पत्नीजी की इच्छा. चुपचाप आलू के परांठे खाने लगा. अब कोई नहीं चाहता कि मैं डाइटिंग करूं तो मेरा कौन सा मन करता है. मैं ने तो लाख कोशिश की पर दुबला हो ही नहीं पाया तो मैं भी क्या करूं. इसलिए मैं ने उन की इच्छाओं का सम्मान करते डाइटिंग को त्याग दिया.






सुबह की पसंद, शाम की तलब है। जनाब ये चाय है, इसकी तो बात ही अलग है।।सांवले रंग को कम नहीं समझना,लोग दूध से ज्यादा चाय को...
17/02/2025

सुबह की पसंद, शाम की तलब है।
जनाब ये चाय है, इसकी तो बात ही अलग है।।

सांवले रंग को कम नहीं समझना,
लोग दूध से ज्यादा चाय को पसंद करते हैं।😍

मजबूत रिश्ते और कडक चाय, धीमी धीमी आंच पर बनते है...

GD morning dosto🙏

जब एक महिला से लगातार कोमलता और प्यार से बात की जाती है, तो वह अपने आप में एक नया रूप धारण करती है—एक ऐसा रूप जो प्रचुरत...
17/02/2025

जब एक महिला से लगातार कोमलता और प्यार से बात की जाती है, तो वह अपने आप में एक नया रूप धारण करती है—एक ऐसा रूप जो प्रचुरता, आत्मविश्वास और शांति से भरा होता है। उससे प्यार से बोलने का सरल कार्य उसके तंत्रिका तंत्र को पुनः व्यवस्थित कर सकता है, उसके आंतरिक स्व को पोषित कर सकता है, और उसकी स्त्री ऊर्जा को जागृत कर सकता है। हालांकि, यह परिवर्तन रातों-रात नहीं होता। इसमें प्रतिबद्धता, धैर्य और उसके अस्तित्व की जटिल परतों की गहरी समझ की आवश्यकता होती है।

एक पुरुष के लिए इस स्तर की कोमलता को लगातार प्रदर्शित करना कोई आसान काम नहीं है। इसमें न केवल उसे समझने बल्कि अपने आंतरिक संसार का सामना करने में भी अत्यधिक प्रयास की आवश्यकता होती है। पुरुषों के रूप में, हम बचपन से ही आघात, डर, चिंताएं और असुरक्षाएं लेकर चलते हैं। ये अनसुलझे घाव रिश्तों में आसानी से उभर आते हैं, जो छोटी-छोटी बातों से ट्रिगर हो सकते हैं। यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि ये ट्रिगर्स महिला की गलती नहीं हैं; बल्कि, ये विकास और उपचार के अवसर हैं।

जब एक पुरुष संघर्ष के क्षणों में भी कोमलता से बोलने और गहराई से प्यार करने का चुनाव करता है, तो वह एक महिला के उपचार के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाता है। वह उसका आश्रय बन जाता है—एक ऐसा स्थान जहां उसकी आत्मा विश्राम कर सकती है। यह, बदले में, पीढ़ियों के घावों को ठीक करना शुरू कर देता है, न केवल उसके लिए बल्कि उनके भविष्य के बच्चों के लिए भी। इस प्यार की लहर वर्तमान क्षण से कहीं आगे तक फैलती है।

एक महिला जो भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षित महसूस करती है, वह अपनी स्त्री ऊर्जा को खिलने देती है। वह अपनी अंतर्ज्ञान पर भरोसा करने लगती है, उसकी रचनात्मकता सहजता से प्रवाहित होती है, और वह अपनी पूर्ण क्षमता में कदम रखती है। उसका हृदय, जो कभी अनकहे आघातों से बोझिल था, हल्का हो जाता है, और उसकी खुशी संक्रामक हो जाती है। वह केवल अस्तित्व में नहीं रहती—वह पनपती है। और जब वह पनपती है, तो रिश्ता भी पनपता है।

हालांकि, इस तरह के उपचारात्मक साझेदारी के लिए एक पुरुष को गहराई से आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता होती है। उसे अपने अतीत की जांच करने, अपने दर्द की जड़ों को उजागर करने और अपने ट्रिगर्स की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह स्वीकार करना आसान नहीं है कि वर्तमान प्रतिक्रियाएं अतीत के अनसुलझे घावों से आकार लेती हैं। फिर भी, जागरूकता परिवर्तन की दिशा में पहला कदम है।

जब एक पुरुष अपनी उपचार यात्रा पर निकलता है, तो वह न केवल खुद को बदलता है बल्कि उस महिला में भी एक गहरा बदलाव लाता है जिससे वह प्यार करता है। उसकी उपस्थिति अधिक स्थिर हो जाती है, उसके शब्द अधिक सोचे-समझे होते हैं, और उसके कार्य प्यार के साथ अधिक संरेखित होते हैं। वह इस बदलाव को महसूस करती है, जो उसे अपनी दीवारों को गिराने का साहस देता है। साथ मिलकर, वे एक ऐसा रिश्ता बनाते हैं जो विश्वास, समझ और गहरी भावनात्मक अंतरंगता में निहित होता है।

एक महिला के उपचार का समर्थन करने का मतलब यह भी है कि बिना न्याय किए सुनना सीखना। उसे हमेशा समाधान की आवश्यकता नहीं होती; कभी-कभी, उसे केवल सुने जाने की आवश्यकता होती है। कमजोरी के क्षणों में, जब वह अपने डर और असुरक्षाओं को साझा करती है, एक पुरुष की शांत और प्यार भरी प्रतिक्रिया उन घावों को ठीक कर सकती है जो वह सालों से ढो रही है।

निरंतरता महत्वपूर्ण है। अच्छे दिनों में कोमलता दिखाना और कठिन दिनों में इसे वापस लेना पर्याप्त नहीं है। सच्ची प्रतिबद्धता का मतलब है कि कठिन क्षणों में भी प्यार के साथ उपस्थित रहना। यह अटूट उपस्थिति एक महिला को सुरक्षित महसूस करने में मदद करती है, और सुरक्षा उसे पूरी तरह से विश्राम और पुनर्जीवित करने की अनुमति देती है।

तो, प्रिय पुरुष, जब एक महिला प्यार और सम्मान महसूस करती है, तो वह स्वाभाविक रूप से प्रचुरता के लिए एक चुंबक बन जाती है। उसकी ऊर्जा बदल जाती है, उसका आत्मविश्वास बढ़ता है, और सकारात्मक अनुभवों को आकर्षित करने की उसकी क्षमता गुणित हो जाती है। यह केवल उसके लिए ही लाभदायक नहीं है—यह पुरुष को भी ऊपर उठाता है, एक ऐसी साझेदारी बनाता है जहां दोनों व्यक्ति विकसित और फलते-फूलते हैं।

जब एक पुरुष एक महिला के विकास का समर्थन करने के लिए अपने घावों को ठीक करने की जिम्मेदारी लेता है, तो वह केवल उसे ही नहीं ठीक कर रहा होता है—वह खुद को, उनके रिश्ते को, और भविष्य की पीढ़ियों को ठीक कर रहा होता है। यह यात्रा आसान नहीं है, लेकिन यह एक पुरुष के लिए सबसे पुरस्कृत रास्तों में से एक है। सच्चा प्यार पूर्णता के बारे में नहीं है; यह विकास, उपचार और एक साथ परिवर्तन के रास्ते पर चलने के बारे में है।
साभार 🙏






शादीशुदा स्त्रियों से प्यार नहीं टाइम पास करते है लोग, यह बात स्त्रियों को जितना जल्दी समझ आ जाए उतना ही बेहतर है, एक स्...
16/02/2025

शादीशुदा स्त्रियों से प्यार नहीं
टाइम पास करते है लोग,
यह बात स्त्रियों को जितना जल्दी
समझ आ जाए उतना ही बेहतर है,

एक स्त्री को जब घर में
प्यार और सम्मान नहीं मिलता है
तो वह दूसरों में ढूँढती है
जो स्त्री की सबसे बड़ी भूल है
और शादीशुदा स्त्रियों की जिंदगी का
यह बहुत बड़ा सच है..!!



एक विवाहित स्त्री जो आपको आकर्षक और सुंदर लगती है 😊याद रखिए, उसकी सुंदरता भले ही जन्मजात हो, लेकिन उस सौंदर्य को बरकरार ...
16/02/2025

एक विवाहित स्त्री जो आपको आकर्षक और सुंदर लगती है 😊
याद रखिए, उसकी सुंदरता भले ही जन्मजात हो, लेकिन उस सौंदर्य को बरकरार रखने में उसके पति के प्रेम और समर्पण का बड़ा योगदान होता है।
वो पुरुष, जो खुद कई बार शेव करना या हेयरकट करवाना भूल जाता है, लेकिन त्योहारों पर अपनी पत्नी के लिए नई साड़ी, चूड़ियां, या श्रृंगार का ध्यान रखना नहीं भूलता।
वो अपनी जरूरतों को एडजस्ट कर लेता है, पर हमेशा ये चाहता है कि जब उसकी पत्नी घर-परिवार के साथ खड़ी हो, तो लोग उसकी किस्मत की तारीफ करें।

कभी गौर से देखिए उन स्त्रियों का चेहरा जिनके विवाह सफल नहीं हुए या जिनके पति जल्दी उन्हें छोड़कर चले गए। आप समझ जाएंगे कि एक स्त्री के जीवन में पुरुष का क्या महत्व होता है। 😊

शारीरिक रूप से एक स्त्री भले ही कई पुरुषों की प्रेमिका हो सकती है, लेकिन उसे अपने जीवन की रानी बनाकर सम्मान देना, सर का ताज बनाना और गृहलक्ष्मी का दर्जा देना हर पुरुष के बस की बात नहीं है।
वो परिवार की धुरी हो सकती है, लेकिन उसे भी अपनी पहचान, स्वच्छंदता और सम्मान चाहिए।

याद रखिए, जब आप किसी विवाहित महिला के बारे में कहते हैं कि उसकी उम्र देखकर ये नहीं लगता कि वह शादीशुदा है या बच्चों की मां है, तो इसमें सबसे बड़ा योगदान उस पुरुष का होता है, जो किसी की राजकुमारी को अपने घर की रानी बनाकर रखता है।

पिता के बाद पति ही वो शख्स होता है, जो अपनी पत्नी के लिए हमेशा अमीर होता है। ❤️
सुप्रभात दोस्तों 🌹








last year का डाटा, लाखों लड़कियों में बाझपन और लाखों में  कैंसर पाया गया...Valentine के बाद मुश्किल से 10 दिन के अंदर गाय...
15/02/2025

last year का डाटा, लाखों लड़कियों में बाझपन और लाखों में कैंसर पाया गया...
Valentine के बाद मुश्किल से 10 दिन के अंदर गायनेकोलोजिस्टो के पास लड़कियों की भीड़ लग जाती है...
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टीवी पे ऐड आता है सिर्फ एक कैप्सूल से 72 घंटो के अंदर अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा...
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बिना दिमाग की लडकिया , ऐसी गोलियां जिसका न कम्पोजीशन पता होता है न कांसेप्ट…
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बस निगल जाती हैं…
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इन फेक गोलियों में आर्सेनिक भरा होता है यह 72 घंटो के अंदर सिर्फ बनने वाले भ्रूण को खत्म नही करता बल्कि पूरा का पूरा fertility system ही करप्ट कर देता है…
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शुरू में तो गोलिया खाकर सती सावित्री बन जाती हैं लेकिन शादी के बाद पता चलता है ये अब माँ नही बन सकती…

तो सबको पता चल जाता है इनका भूतकाल कैसा रहा है, पर कोई बोलता नही जिन्दगी खुद अभिशाप बन जाती है…

सरकार हर साल मातृत्व सुरक्षा, जननी सुरक्षा, बेटी बचाओ जैसी योजनाओ के नाम पर करोड़ो ₹ फुक देती है।

आज हालत ये हैं 13-14 साल की बच्चिया बैग में i-pill लेकर घूम रही है ये मरेंगी नही तो क्या होगा…

और ऐसी जहरीली चीजे valentine पर medical mafia भारतीय बाजारों में जानबुझकर उतारता है...

क्युकी सबको पता है, भारत में बुद्धिजीवी वर्ग का कोई मान नही होता ...पहले ये लड़कियों को जहर खिलाकर बीमारी देते हैं...फिर उसकी दवाई बेचकर अरबो रूपये कमाते हैं...जिसमे नेता भी कमाई करते हैं...क्युकी ऐसे जहर को बेचने का परमिट और उनकी चेकिंग न करवाने का काम नेता ही कर सकते हैं...

बेटी आपकी, तो उसकी जिम्मेदारी भी आपकी... इस valentine उसके पीछे संत - महापुरुष का ही नही बल्कि आप खुद सजग रहोगे , देखने पर विरोध करोगे।
समय है वेलेंटाइन जैसे कुकर्म को बढ़ावा देने वाले घटिया मानसिकता की जगह जगह अपने माता पिता का पूजन कर देश की युवा पीढी को सुदृढ़ बनाने का.....🙏👍🏻

या फिर अगर चाहते हो आपकी बेटे- बेटी जमके अय्याशी करे, और बाद में कैंसर , बाझपन, STD की वजह से मर जाए और आपका बोझ हल्का हो... तो एक ही बार में सल्फास दे दो...

और दवाईया बेचकर विदेशी कम्पनिया हर साल हमारे देश का अरबो रुपया लुट लेती हैं...
सॉरी किसे को बुरा लगे तो 🙏🙏








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