1979 में लद्दाख को कारगि
1979 में लद्दाख को कारगिल व लेह जिलों में बांटा गया। 1989 में बौद्धों और मुसलमानों के बीच दंगे हुए। 1990 के ही दशक में लद्दाख को कश्मीरी शासन से छुटकारे के लिये लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेण्ट काउंसिल का गठन हुआ और अंततः ५ अगस्त २०१९ को यह भारत का नौवाँ केन्द्र शासित प्रदेश बन गया। NOTE:'तिबतन सिविलाइजेशन के लेखक रोल्फ अल्फ्रेड स्टेन के अनुसार शांग शुंग का इलाका ऐतिहासिकि रूप से तिब्बत का भाग नहीं था। यह तिब्बतियों के लिये विदेशी भूमि था।
खदेडने के लिये व्यापक अभियान चलाया
1999 में जो कारगिल युद्ध हुआ उसे भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया। इसकी वजह पश्चिमी लद्दाख मुख्यतः कारगिल, द्रास, मश्कोह घाटी, बटालिक और चोरबाटला में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ थी। इससे श्रीनगर-लेह मार्ग की सारी गतिविधियां उनके नियन्त्रण में हो गईं। भारतीय सेना ने आर्टिलरी और वायुसेना के सहयोग से पाकिस्तानी सेना को लाइन ऑफ कण्ट्रोल के उस तरफ खदेडने के लिये व्यापक अभियान चलाया।
ज़ोजिला दर्रा .
1984 से लद्दाख के उत्तर-पूर्व सिरे पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद की एक और वजह बन गया। यह विश्व का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। यहां 1972 में हुए शिमला समझौते में पॉइण्ट 9842 से आगे सीमा निर्धारित नहीं की गई थी। यहां दोनों देशों में साल्टोरो रिज पर कब्जा करने की होड रहती है। कुछ सामरिक महत्व के स्थानों पर दोनों देशों ने नियन्त्रण कर रखा है, फिर भ
चीन ने नुब्रा घाटी और जिनजिआंग के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग को बन्द कर दिया
सत्रहवीं शताब्दी के आखिर में लद्दाख ने किसी कारण से तिब्बत की लडाई में भूटान का पक्ष लिया। नतीजा यह हुआ कि तिब्बत ने लद्दाख पर भी आक्रमण कर दिया। यह घटना 1679-1684 का तिब्बत-लद्दाख-मुगल युद्ध कही जाती है। तब कश्मीर ने इस शर्त पर लद्दाख का साथ दिया कि लेह में एक मस्जिद बनाई जाये और लद्दाखी राजा इस्लाम कुबूल कर ले। 1684 में तिंगमोसगंज की सन्धि हुई जिससे तिब्बत और लद्दाख का युद्ध समाप्त हो गया। 1834 में डोगरा राजा गुलाब सिंह के जनरल जोरावर सिंह ने लद्दाख पर आक्रमण किया और उसे जीत लिया। 1842 में एक विद्रोह हुआ जिसे कुचल दिया गया तथा लद्दाख को जम्मू कश्मीर के डोगरा राज्य में विलीन कर लिया गया। नामग्याल परिवार को स्टोक की नाममात्र की जागीर दे दी गई। 1850 के दशक में लद्दाख में यूरोपीय प्रभाव बढा और फिर बढता ही गया। भूगोलवेत्ता, खोजी और पर्यटक लद्दाख आने शुरू हो गये। 1885 में लेह मोरावियन
सन 1594 में बाल्टी राजा अ
सन 1594 में बाल्टी राजा अली शेर खां अंचन के नेतृत्व में बाल्टिस्तान ने नामग्याल वंश वाले लद्दाख को हराया। कहा जाता है कि बाल्टी सेना सफलता से पागल होकर पुरांग तक जा पहुंची थी जो मानसरोवर झील की घाटी में स्थित है। लद्दाख के राजा ने शान्ति के लिये विनती की और चूंकि अली शेर खां की इच्छा लद्दाख पर कब्जा करने की नहीं थी, इसलिये उसने शर्त रखी कि गनोख और गगरा नाला गांव स्कार्दू को सौंप दिये जायें और लद्दाखी राजा हर साल कुछ धनराशि भी भेंट करे। यह राशि लामायुरू के गोम्पा तब तक दी जाती रही जब तक कि डोगराओं ने उस पर अधिकार नहीं कर लिया।
यह भारत के सबसे विरल जनसंख्या वाले भागों में से एक है
लद्दाख़ (तिब्बती लिपि: ལ་དྭགས; "ऊँचे दर्रों की भूमि") भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो उत्तर में काराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच में स्थित है। यह भारत के सबसे विरल जनसंख्या वाले भागों में से एक है। भारत गिलगित बलतिस्तान और अक्साई चिन को भी इसका भाग मानता है, जो वर्तमान में क्रमशः पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में है। यह पूर्व में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, दक्षिण में भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में जम्मू और कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश और पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बल्तिस्तान से घिरा है। सुदूर उत्तर में क़ाराक़ोरम दर्रा पर शिंजियांग। यह काराकोरम रेंज में सियाचिन ग्लेशियर से लेकर उत्तर में दक्षिण में मुख्य महान हिमालय तक फैला हुआ है।[5][6] पूर्वी छोर, जिसमें निर्जन अक्साई चिन मैदान शामिल हैं, भारत सरकार द्वारा लद्दाख के हिस्से के
मालूम है चल बाप को मत सिखा
चल हट जा