कहां पहुंचा रूस-यूक्रेन संघर्ष; भारत पर कितना असर?
रूस और यूक्रेन के साथ युद्ध से पहले भारत के सामने चीन की चुनौती थी और वह एक कठिन भू-राजनीतिक परिदृश्य से गुज़र रहा था. भारतीय सेना और विदेश नीति दोनों के लिए रूस मज़बूती का जरिया रहा है, परंतु यूक्रेन के साथ जंग ने न सिर्फ़ रूस को कमज़ोर किया और उसे चीन के करीब भी कर दिया है. यह भारत के लिए दिक्कत की बात है. हालांकि, भारत की स्थिति मज़बूत करने के रास्ते मौजूद हैं लेकिन बुनियादी तथ्य यह है कि हमें अपने आपको और सशक्त बनाना होगा. लेकिन इस जंग ने कहीं न कहीं पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डाला है, जिसके कारण हर देश को आसमान छूती महंगाई, सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था और गिरती करेंसी का सामना करना पड़ रहा है. गोलमेज़ के ताज़ा अंक में, पूर्व रॉ प्रमुख और ओआरएफ़ में एडवाइज़र विक्रम सूद से चर्चा की है, नग़मा सहर ने, पूरी बातचीत सुनें लिंक पर जाकर।
गलवान घाटी संघर्ष के 2 साल बाद: सबब और सबक़
Golmez: पीएम मोदी का यूरोप दौरा, कितना कामयाब?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यूरोप दौरे के बाद देश लौट आए हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री के इस दौरे से यूरोप के साथ सहयोग की भावना मज़बूत हुई है. साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये पहला विदेशी दौरा था. इस तीन दिवसीय दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले जर्मनी पहुँचे, फिर डेनमार्क के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद उन्होंने कोपेनहेगन में इंडिया नोर्डिक समिट में नोर्डिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ हिस्सा लिया. लौटते हुए मोदी पेरिस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मिलते हुए आए. विश्लेषक इस दौरे को विदेश नीति की नज़र से कामयाब मान रहे हैं. वहीं आलोचकों का कहना है कि इससे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि पर कोई असर नहीं होगा. जबकि विदेशी मामलों के कुछ अन्य जानकारों के अनुसार नरेंद्र मोदी ने यूरोप दौरे के दौर
Ukraine Crisis: Russia vs West | American Sanctions, Diplomacy & War | India's World S7 E-3