Prabhudayal Shiva

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जय श्री राम 🌹🙏 जय श्री महाकाल 🌹🙏 Sita was to become the wife of Rama, the central figure in the Ramayana. After 647 A.D.

Muzaffarpur district was created in 1875 for the sake of administrative convenience by splitting up the earlier district of Tirhut. The present district of Muzaffarpur came to its existence in the 18th century and named after Muzaffar Khan, an Amil (Revenue Officer) under British Dynasty. Purbi Champaran and Sitamarhi districts on North, on the South Vaishali and Saran districts, on the East Darbh

anga and Samastipur districts and on the West Saran and Gopalganj districts surround Muzaffarpur. According to the Ramayana, King Janaka, the father of Sita ruled Videha, which is a traditional name for the entire region including eastern Nepal and northern Bihar. Sitamarhi, a town in this region, ascribes to the Hindu mythological belief where Sita sprang to life out of an earthen pot at nearby Punaura dham ,while Rajarshi Janak was tilling the land from haleshwar to westwards. As per recorded history the Vajjin Republic was a confederation of eight clans of which the Licchavis were the most powerful and influential. Even the powerful kingdom of Magadha had to conclude matrimonial alliances in 519 B.C. with the neighboring estates of the Licchavis. Ajatashatru invaded Vaishali and extended his sway over Tirhut. It was at this time that Patliputra (the modern Patna) was founded at the village Patali on the banks of the sacred river Ganges and Ajatashatru built an invincible fortress to keep vigil over the Licchavis on the other side of the river. Ambarati, 40 km from Muzaffarpur is believed to be the village home of Amrapali, the famous Royal court dancer of Vaishali. Vaishali, a center of religious renaissance, Baso Kund, the birthplace of Mahavira, the 24th Tirthankara of Jainism and a contemporary of Gautama Buddha, continue to attract visitors from across the international borders. From the visit of the Chinese traveller Xuanzang’s till the rise of the Pala Empire, Muzaffarpur was under the control of Harsha Vardhan. the district passed on to the local chiefs. In the 8th century A.D. the Pala kings continued to have their hold over Tirhut until 1019 A.D. Later Chedi kings of Central India ruled till they were replaced by the Sena dynasty in 11th century. Between 1210 & 1226, Ghais-u-ddin Iwaz, the ruler of Bengal, was the first Muslim invader of Tirhut. He, however, could not succeed in conquering the kingdom but extorted tributes. It was in 1323 that Ghiyasuddin Tughlaq established his control over the district. The history of Muzaffarpur will remain incomplete without a reference to the Simraon dynasty (in the north-east part of Champaran) and its founder Nanyupa Deva who extended his power over the whole of Mithila and Nepal. During the regime of Harasimha Deva, the last king of the dynasty, Tughlaq Shah invaded Tirhut in 1323 and gained control over the territory. Tughlaq Shah handed over the management of Tirhut to one Kameshwar Thakur. Thus, the sovereign power of Tirhut passed from the Hindu chiefs to the Muslims but the Hindu chief continued to enjoy complete autonomy. By the end of the 14th century, the whole of North Bihar including Tirhut passed on to the Rajahs of Jaunpur and remained under their control for nearly a century until defeated by Sikandar Lodi of Delhi. Meanwhile, Alauddin Husain Shah, the Nawab of Bengal, had become so powerful that he exercised his control over large tracts including Tirhut. The emperor of Delhi advanced against Hussain Shah in 1499 and got control over Tirhut after defeating its Raja. The power of the Nawabs of Bengal began to wane and with the decline and fall of Mahood Shah, north Bihar including Tirhut formed a part of the mighty Mughal Empire. Though Muzaffarpur with the entire north Bihar had been annexed yet the petty powerful chieftains continued to exercise effective control over this area till the days of Daud Khan, the Nawab of Bengal. Daud Khan had his stronghold at Patna and Hajipur and after his fall a separate Subah of Bihar was constituted under the Mughal Empire and Tirhut formed a part of it. The East India Company, after the battle of Buxar in 1764, controlled over whole of Bihar. The success of the insurgents at Delhi in 1857 caused grave concern to the English inhabitants in this district and revolutionary fervor began to permeate the entire district. In 1908 the young Bengali revolutionary, Khudi Ram Bose, an 18 year-old, was hanged for throwing the bomb at the carriage of Pringle Kennedy who was actually mistaken for Kingsford, the District Judge of Muzaffarpur. After Indian independence in 1947, a memorial to this Bose was constructed at Muzaffrapur.Antarrashtriy Bajjika paishad in its XII Antarrashtriy Bajjika Sammealan on Oct.2,2004, passed unanimously a resolution to rename the city as KHUDIRAMPUR in presence of local MLA Bijendra Choudhary and MLC Devesh Chandra Thakur among others including Dr. C.P.Thakur from Patna. The visit of Mohandas Karamchand Gandhi to Muzaffarpur district in December 1920 and again in January 1927 had political effect in arousing the people and the district continued to play a prominent role in the country’s freedom struggle. The significance of Muzaffarpur in Indian civilization arises out of its position on the frontier line between two most spiritual influences and is a meeting place of Hindu and Islamic culture and thoughts. Muzaffarpur fostered political leaders and statesmen alike among whom were Rajendra Prasad, George Fernandis and Acharya Kriplani etc. The language of the region is Bajjika as per George Grierson, some people call it Vajjika.

05/12/2023

हर हर महादेव 🌹🚩🚩🙏

22/09/2022

चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर बीसीए का चुनाव परिणाम तीन दिन पहले घोषित

+ दिलीप सिंह मामले में लोकपाल के आदेश की अवहेलना
+ हलफनामा पर सर्वोच्च न्यायालय और आईजी रजिस्ट्रेशन कार्यालय के निर्देशों का हुआ उल्लंघन

- मनोज -

पटना । अध्यक्ष राकेश तिवारी की मनमानी के आगे बिहार क्रिकेट संघ का चुनाव चट मंगनी पट ब्याह की कहावत चरितार्थ कर गया है। पूर्व में बीसीए अध्यक्ष गुट की ओर से घोषित चुनाव के तहत मतगणना और परिणाम की तिथि 25 सितंबर निर्धारित गई थी। इस बीच नामांकन में एन केन प्रकारेण हेमा कुमारी और कथित डमी प्रत्याशी अमरनाथ दुबे के अध्यक्ष पद पर नामांकन को रद्द कराने के बाद फिलहाल चुनावी होड़ में छह पद के लिए महज छह प्रत्याशी ही शेष बच गए थे। ऐसे में निर्वाचि पदाधिकारी के समक्ष मतदान की स्थिति टल गई थी। बावजूद इसके परिणाम की घोषणा नियम के मुताबिक 25 सितंबर को एजीएम में किया जाना चाहिए था । लेकिन इसे बेचैनी कहें या चतुराई का आलम कि निर्वाचन अधिकारी मोहम्मद मुदस्सर की ओर से गुरुवार 22 सितंबर को ही आनन-फानन में परिणाम की घोषणा कर दी गई है । चुनाव परिणाम के मुताबिक अध्यक्ष पद पर राकेश तिवारी काबिज रहे। वही हैरानी की बात यह रही कि उपाध्यक्ष पद पर दिलीपसिंह का निर्वाचन हुआ है। जबकि बीसीए के मौजूदा लोकपाल के आदेश के अनुसार वह फिलहाल बीसीए से संबंधित किसी भी गतिविधि में सहभागी नहीं बन सकते हैं क्योंकि गुजरे 16 फरवरी को उन्होंने लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। सचिव पद पर नया चेहरा अमित कुमार हैं। संयुक्त सचिव पद पर प्रिया कुमारी भी नया चेहरा है । जबकि कोषाध्यक्ष पर पुनः आशुतोष नंदनसिंह काबिज रहे हैं। जिला प्रतिनिधि पद पर नया चेहरा ओम प्रकाश जायसवाल निर्वाचित घोषित किए गए हैं। आपको यह बता दें की 2019 में कमोवेश ऐसी ही स्थिति बीसीसीआई के चुनाव में बनी थी 16 अक्टूबर 2019 को जब सभी छह पदों पर एकल प्रत्याशी होने कारण बगैर मतदान प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित हो गई थी । इसके बावजूद निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा मतगणना के दिन 23 अक्टूबर 2019 को ही परिणाम की घोषणा की गई थी। नियम सम्मत यही होता रहा है और बीसीए की ओर से मौजूदा चुनाव का परिणाम भी कमोबेश उसी रूप में एजीएम में घोषित किया जाना चाहिए था। दूसरी ओर यह भी गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीए से संविधान संशोधन के मामले में हलफनामा मांग रखा है। वही आईजी रजिस्ट्रेशन कार्यालय की ओर से भी विभिन्न जिला संघो द्वारा संविधान संशोधन के संदर्भ में की गई शिकायत के आलोक में बीसीए से 23 सितंबर तक पक्ष रखने को कहा गया है। ऐसे में इन दोनों मामलों की अनदेखी कर आनन फानन में चुनावी परिणाम की घोषणा कहां तक वैध होगा ? इसका फैसला आने वाला वक्त बताएगा ! लेकिन यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि बिहार क्रिकेट संघ में फिलहाल मनमानी चरम पर है । जिसका परिणाम लोकपाल के आदेशों की अवहेलना तथा सर्वोच्च न्यायालय व आईजी रजिस्ट्रेशन कार्यालय के निर्देश की अनदेखी है।

* कार्यकाल पूर्ण कर लेने के मामले मेंबिहार क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के कार्य पर रोक + लोकपाल के न्यायालय ने स...
22/09/2022

* कार्यकाल पूर्ण कर लेने के मामले में
बिहार क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के कार्य पर रोक
+ लोकपाल के न्यायालय ने सुनाया फैसला बीसीए के किसी भी गतिविधि में हिस्सेदारी पर रोक लगाया
+ अपने ही हलफनामा में फंस गये बीसीए उपाध्यक्ष

- मनोज -

बिहार क्रिकेट संघ के निवर्तमान उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुसार कार्यावधि पूर्ण होने के बाद भी पद पर बने रहने के मामले में मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज कुमार द्वारा लोकपाल के न्यायालय में किए गए मुकदमे में फैसला सुनाते हुए लोकपाल ने बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के कार्य पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि क्योंकि उनका कार्यकाल लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव और बीसीए के संविधान के अनुरूप पूर्ण हो चुका है ऐसे में फिलहाल वे बिहार क्रिकेट संघ से जुड़े किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। विदित हो कि श्री सिंह ने बीसीए के उपाध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के दौरान निर्वाचित पदाधिकारी के समक्ष दिए गए हलफनामा में स्पष्ट किया था कि वह 2013 से लेकर 2016 तक कैमूर जिला क्रिकेट संघ के सचिव और 2016 से लेकर 29 सितंबर 2019 तक कैमूर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष पद पर पदासीन रहे हैं। ऐसे में उनका कार्यकाल स्वत : 16 फरवरी 2022 में पूर्ण हो जाता है । इसके बावजूद भी दिलीप सिंह या तो बिहार क्रिकेट संघ के सीओएम को धोखे में रखकर पद पर बने हुए थे या सब कुछ जान बुझ कर भी बीसीए अध्यक्ष ने मनमानी के तहत उनको पद पर बनाए रखा था । यह अंदेशा इसलिए भी बलवती होता है कि पिछले दिनों बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी ने खुद को स्वयंभू सचिव घोषित करके अवैध ढंग से बीसीए के चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी। और तो और बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह ने लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव और संविधान की अनदेखी करते हुए एक बार पुनः उपाध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी कर रखी है। जो कहीं से भी वैध प्रतीत नहीं होता है।
बहरहाल लोकपाल महोदय के आदेश के बाद बिहार क्रिकेट संघ के चुनाव पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। या तो इस तमाम प्रक्रिया को फिर से कराने की जरूरत है। अन्यथा यह चुनाव आने वाले दिनों में रद्द करना या अवैध घोषित करना बीसीए की व्यवस्था बन सकती है।

+एक साथ दो पदों पर रहते हितों के टकराव मामले में दोषी पाये गये  बीसीए अध्यक्ष +लोकपाल के न्यायालय ने सचिव पद से हटाये जा...
22/09/2022

+एक साथ दो पदों पर रहते हितों के टकराव मामले में दोषी पाये गये बीसीए अध्यक्ष

+लोकपाल के न्यायालय ने सचिव पद से हटाये जाने का दिया आदेश

- मनोज -

'सिर मुड़ाते ही ओले पड़े' कहावत फिलहाल बिहार क्रिकेट संघ पर पूर्णत: सच चरितार्थ हो रहा है । अभी बीसीए अध्यक्ष की ओर से घोषित चुनाव एवं अभिलेखन के मामले में मिले शिकायतों के विरुद्ध सहायक निबंधन महानिरीक्षक मनोज कुमार संजय की ओर से पत्र के माध्यम से 23 सितंबर तक जब जवाब देने को कहा गया था इधर बिहार क्रिकेट संघ के लोकपाल के न्यायालय में पूर्णिया जिला क्रिकेट संघ के सचिव हरिओम झा बगैरह की ओर से किये गये मुकदमा में लोकपाल महोदय ने हितों के टकराव मामले में निवर्तमान अध्यक्ष राकेश तिवारी को दोषी माना है और सचिव पद से हटाने का आदेश दिया है । उनके खिलाफ संविधान के विरुद्ध मनमाने ढंग से अध्यक्ष के साथ साथ सचिव पद पर भी कार्य करने के विरोध में लोकपाल महोदय के न्यायालय में मामला दर्ज कराया गया था । ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी द्वारा स्वयंभू सचिव बनने का फैसला संवैधानिक रूप से अवैध था । जिसे लोकपाल के न्यायालय ने भी स्वीकारा है। ऐसे में यह भी स्पष्ट है कि राकेश तिवारी के द्वारा अध्यक्ष पद पर रहते हुए सचिव पद का दुरुपयोग कर जो भी फैसले लिए गए हैं वह स्वत: अवैध माना जाएगा। ऐसे में बीसीए के चुनाव के आलोक में श्री तिवारी द्वारा सचिव की हैसियत से लिया गया फैसला भी सवालिया कटघरे में आ गया है !
बहरहाल लोकपाल महोदय द्वारा जारी आदेश से बिहार क्रिकेट संघ के कमेटी ऑफ मैनेजमेंट समेत तमाम पक्षों को अवगत करा दिया गया है। अब देखना यह है कि संवैधानिक स्तर पर लोकपाल महोदय के आदेश को निवर्तमान अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी तरजीह देते हैं या अपनी मनमानी के आगे इस आदेश की कॉपी को ठीक उसी तरह सिगरेट के धुएं की तरह उड़ा देते हैं जैसा कि उन्होंने पिछले दिनों अरवल और मधुबनी जिला क्रिकेट संघ के मामले में किया था । तब उन्होंने इन दोनों जिलों के मतदाता के रूप में वैधता को स्वीकारने से इनकार कर दिया था जबकि शिकायत के आलोक में सुनवाई करते हुए लोकपाल महोदय ने उक्त दोनों जिलों को मतदाता के रूप में वैध करार दिया था।

22/09/2022

एक साथ दो पदों पर रहते हितों के टकराव मामले में दोषी पाये गये बीसीए अध्यक्ष

लोकपाल के न्यायालय ने सचिव पद से हटाये जाने का दिया आदेश

- मनोज -

'सिर मुड़ाते ही ओले पड़े' कहावत फिलहाल बिहार क्रिकेट संघ पर पूर्णत: सच चरितार्थ हो रहा है । अभी बीसीए अध्यक्ष की ओर से घोषित चुनाव एवं अभिलेखन के मामले में मिले शिकायतों के विरुद्ध सहायक निबंधन महानिरीक्षक मनोज कुमार संजय की ओर से पत्र के माध्यम से 23 सितंबर तक जब जवाब देने को कहा गया था इधर बिहार क्रिकेट संघ के लोकपाल के न्यायालय में पूर्णिया जिला क्रिकेट संघ के सचिव हरिओम झा बगैरह की ओर से किये गये मुकदमा में लोकपाल महोदय ने हितों के टकराव मामले में निवर्तमान अध्यक्ष राकेश तिवारी को दोषी माना है और सचिव पद से हटाने का आदेश दिया है । उनके खिलाफ संविधान के विरुद्ध मनमाने ढंग से अध्यक्ष के साथ साथ सचिव पद पर भी कार्य करने के विरोध में लोकपाल महोदय के न्यायालय में मामला दर्ज कराया गया था । ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी द्वारा स्वयंभू सचिव बनने का फैसला संवैधानिक रूप से अवैध था । जिसे लोकपाल के न्यायालय ने भी स्वीकारा है। ऐसे में यह भी स्पष्ट है कि राकेश तिवारी के द्वारा अध्यक्ष पद पर रहते हुए सचिव पद का दुरुपयोग कर जो भी फैसले लिए गए हैं वह स्वत: अवैध माना जाएगा। ऐसे में बीसीए के चुनाव के आलोक में श्री तिवारी द्वारा सचिव की हैसियत से लिया गया फैसला भी सवालिया कटघरे में आ गया है !
बहरहाल लोकपाल महोदय द्वारा जारी आदेश से बिहार क्रिकेट संघ के कमेटी ऑफ मैनेजमेंट समेत तमाम पक्षों को अवगत करा दिया गया है। अब देखना यह है कि संवैधानिक स्तर पर लोकपाल महोदय के आदेश को निवर्तमान अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी तरजीह देते हैं या अपनी मनमानी के आगे इस आदेश की कॉपी को ठीक उसी तरह सिगरेट के धुएं की तरह उड़ा देते हैं जैसा कि उन्होंने पिछले दिनों अरवल और मधुबनी जिला क्रिकेट संघ के मामले में किया था । तब उन्होंने इन दोनों जिलों के मतदाता के रूप में वैधता को स्वीकारने से इनकार कर दिया था जबकि शिकायत के आलोक में सुनवाई करते हुए लोकपाल महोदय ने उक्त दोनों जिलों को मतदाता के रूप में वैध करार दिया था।

20/09/2022
बीसीए की वार्षिक आम सभा में विवाद पर जिला प्रतिनिधियों का हंगामा + अध्यक्ष पर मनमानी का आरोप , शोर-शराबा + सदन छोड़कर नि...
28/08/2022

बीसीए की वार्षिक आम सभा में विवाद पर जिला प्रतिनिधियों का हंगामा
+ अध्यक्ष पर मनमानी का आरोप , शोर-शराबा
+ सदन छोड़कर निकले अध्यक्ष आमसभा स्थगित

- मनोज -
बिहार क्रिकेट संघ की ओर से पाटलिपुत्रा के एक निजी होटल में रविवार को आयोजित वार्षिक आम सभा में उस समय अफरातफरी की स्थिति बन आयी जब बिहार के वैसे जिला क्रिकेट संघ जहां सोची समझी साजिश के तहत विवाद खड़ा किए गए हैं, के प्रतिनिधि भी वार्षिक आम सभा में पहुंचे और सदन में उपस्थित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष ,कोषाध्यक्ष और लोकपाल द्वारा हटाए गए जिला प्रतिनिधि (सदन में सीओएम के संग उपस्थित)से संबंधित जिला को लेकर सवाल खड़ा किया। अपेक्षित जवाब नहीं मिलने पर जिला प्रतिनिधियों ने शोर शराबा करते हुए इंसाफ की मांग रखी। अंततः निरुत्तर हुए बीसीए के अध्यक्ष कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों समेत सदन छोड़ने को विवश हुए। अंततः इसी अफरातफरी की स्थिति में आम सभा को स्थगित करना पड़ा। नतीजतन वैसे जिला क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि जो सदन में उपस्थित थे अध्यक्ष के फैसले पर एतराज भी जताया । जिला संघों की ओर से मिली सूचना के आधार पर स्थल पर पहुंचे बिहार क्रिकेट संघ के सचिव संजय कुमार ने आक्रोशित सदस्यों को शांत कराया और उनके जायज मांगों पर अपेक्षित पहल करने, न्याय दिलाने के साथ-साथ बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी के मनमानी और अवैध कृत्यों को बीसीसीआई तक ले जाने का आश्वासन दिया तब जाकर मामला शांत हुआ।
विदित हो कि बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी की ओर से रविवार को पटना जिले के पाटलिपुत्र मोहल्ला स्थित एक निजी होटल में वार्षिक आमसभा बुलाई गई थी । इस आमसभा में बिहार क्रिकेट संघके वैसे जिले के सदस्य भी पहुंचे थे जिनको एन केन प्रकारेण अध्यक्ष की ओर से बीसीए से अलग-थलग करके रखने का आरोप है । पहले तो इन सदस्यों की उपस्थिति की सूचना पाकर अध्यक्ष की ओर से फूट डालो राज्य करो की नीति के तहत कुछेक सदस्यों को फोन पर समझाने की कोशिश की गई। लेकिन बात नहीं बनने पर निर्धारित समय से लगभग एक घंटा बाद अध्यक्ष सीओएम के सदस्यों के साथ सदन में पहुंचे जहां उन्हें इन सदस्यों के सवालों से रूबरू होना पड़ा । सबसे पहले कटिहार जिला संघ के सचिव रितेश कुमार ने तीन सदस्यीय कमेटी और तत्कालीन लोकपाल के आदेश के बावजूद कटिहार जिला संघ में अवैध रूप से चुनाव कराने और उन्हें दरकिनार किए जाने का मामला उठाया। जिस पर अध्यक्ष ने गोल मटोल जवाब देकर बात करने की कोशिश की लेकिन श्री कुमार ने कानूनी कागजात के साथ बात पटल पर रखी तो अध्यक्ष क्षेप गए । इसी तरह दरभंगा मामलेमें सचिव प्रवीण कुमार बबलू ने जिला न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए पिछले दिनों दरभंगा जिला में चुनाव को कोर्ट के आदेश की अवमानना बताया। जवाब में अध्यक्ष ने श्री बबलू को बताया कि बीसीए के खिलाफ उनके द्वारा समानांतर संगठन (बीसीए सचिव) द्वारा आयोजित बैठक की अध्यक्षता करने के कारण दरभंगा जिला की संबद्धता समाप्त कर दी गई थी। इस कारण वहां चुनाव कराए गए हैं। मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के मामले में सचिव मनोज कुमार ने लोकपाल के न्यायालय से जिला प्रतिनिधि संजय कुमार को कूलिंग पीरियड में जाने का आदेश के बावजूद सी ओ एम में शामिल रहने पर एतराज जताया और तीन सदस्यीय कमेटी के फैसले पर सवालिया निशान लगा दिया ।साथ ही मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के द्वारा समानांतर समिति कमेटी के द्वारा वहां के पुराने क्लबों को जिला क्रिकेट लीग में खेलने से रोकने और नए क्लबों के पंजीयन की जगह पुराने क्लब को रिनीउअल का मामला उठाया । इस संबंध में अध्यक्ष की ओर से अपेक्षित जवाब नहीं मिलने पर मनोज कुमार ने शर्म करो शर्म करो का नारा लगाते हुए सदन से वाक आउट किया । बेगूसराय जिला क्रिकेट संघ के सचिव हरिशंकर राय ने संजय सिंह को लोढा कमेटी के अनुसार अयोग्य होने के बावजूद बीसीए के द्वारा विभिन्न पदों पर द्वारा मनोनीत किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई । सहरसा जिला क्रिकेट संघ में अवैध रूप से चुनाव कराए जाने पर सचिव अखिलेश कुमार सिंह ने अध्यक्ष को कटघरे में खड़ा किया । बाद में भी आक्रोशित सदस्यों ने भी अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाते रहे और क्रिकेट हित में न्यायोचित कदम उठाने की मांग रखी । जब मामला गरमाने लगा तो अध्यक्ष ने आम सभा को स्थगित करते हुए सदन से निकलना मुनासिब माना ।
उनके साथ अन्य सदस्य भी सदन से निकल गए। इसके पश्चात उन जिलों के सदस्य जहां जानबूझकर विवाद खड़ा किया जा रहा है अन्यथा समानांतर कमेटी का गठन किया गया है के सदस्यों ने होटल के बाहर नारेबाजी की और बीसीए अध्यक्ष पर मनमानी का आरोप लगाया और जमकर नारेबाजी। प्रदर्शन करने वालों में भोजपुर संघ के सूफी खान, वैशाली जिला क्रिकेट संघ के सचिव परमेंद्र कुमार सिंह , सपौल से शशिभूषण सिंह, संजय राय , बक्सर समेत 22 से अधिक जिला के प्रतिनिधि शामिल थे।

आखिर ....
20/08/2022

आखिर ....

18/08/2022

पीडीसीए के चुनाव पर
पटना हाई कोर्ट ने दिया यथास्थिति बनाए रखने का आदेश

आदेश के बाद लोकपाल और तीन सदस्यीय कमेटी के फैसले कटघरे में ?

- मनोज -

पटना जिला क्रिकेट संघ के कार्यकारिणी के चुनाव पर बिहार क्रिकेट संघ के लोकपाल के द्वारा दिए गए आदेश पर पटना उच्च न्यायालय ने रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है । पटना हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद लोकपाल और लोकपाल के आदेश के आलोक में गठित तीन सदस्यीय कमेटी के फैसले पर प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा हो गया है । मालूम हो कि बिहार क्रिकेट संघ के द्वारा बनाए गए लोकपाल राघवेन्द्र प्रसाद सिंहा ने पिछले दिनों पटना जिला क्रिकेट संघ के चुनाव को अवैध करार दिया था । उक्त आदेश के विरुद्ध निर्वाचित सचिव सुनील कुमार रोहित ने बिहार क्रिकेट संघ को पार्टी बनाते हुए हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया था । हाई कोर्ट ने सी डब्ल्यू जे सी 11252 /22 में सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया है कि पीडीसीए के चुनाव के मामले को लेकर लोकपाल के आदेश मान्य नहीं होंगे । फिलहाल पूर्ववत स्थिति बरकरार रहेगा ।
बहरहाल पटना हाई कोर्ट के इस आदेश के पश्चात यह स्पष्ट हो गया है कि जिन जिलों में तीन सदस्यीय कमेटी के द्वारा तदर्थ समिति गठित कर दी गई है वहां कोई नया फैसला आए बगैर कमेटी का गठन अथवा चुनाव कराना पटना उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना अथवा अवमानना मानी जाएगी। यहां उल्लेखनीय है कि लोकपाल के आदेश के आलोक में गठित तीन सदस्यीय कमेटी के द्वारा बिहार क्रिकेट संघ से पंजीकृत दर्जनाधिक जिलों में लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव का उल्लंघन करते हुए तदर्थ समिति का गठन किया गया था । इनमें से कई जिलों में आनन-फानन में नई कार्यकारिणी के गठन को चुनाव की घोषणा कर दी गई थी, लेकिन पटना हाई कोर्ट द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के पश्चात इन सभी जिलों में पूर्व की स्थिति को बहाल रखना बीसीए की मजबूरी होगी।

दिलीप सिंह को "चेयरमैन" बनाकर बीसीए ने फिर से लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव का मखौल  उड़ाया + शपथ पत्र के अनुसार फरवरी 2022 मे...
14/08/2022

दिलीप सिंह को "चेयरमैन" बनाकर बीसीए ने फिर से लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव का मखौल उड़ाया

+ शपथ पत्र के अनुसार फरवरी 2022 में ही हो चुका है कार्यकाल का समापन

+ पुत्र शिवम सिंह के कारण हितों के टकराव में भी शामिल हैं दिलीप

- मनोज -

लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप बिहार क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष दिलीप सिंह फरवरी 2022 से ही दायित्व मुक्त हो चुके हैं । यह जानते हुए भी उन्हें बिहार क्रिकेट संघ की ओर से चयन समिति और सपोर्ट स्टाफ के चयन को गठित कमेटी का चेयरमैन बनाए जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल बीसीए लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव को नहीं मानती है। अन्यथा इस मामले में यह भी गौरतलब है कि बीसीए के निवर्तमान उपाध्यक्ष दिलीप सिंह इस मायने में भी इस चयन समिति के चेयरमैन अथवा सदस्य बनने का अधिकार नहीं रखते हैं क्योंकि उनके पुत्र शिवम सिंह पिछले रणजी ट्रॉफी टीम में शामिल थे और बिहार क्रिकेट का प्रतिनिधित्व किया था । ऐसी स्थिति में इस वर्ष भी उनका चयन प्रतियोगिताओं में सहभागी होना लाजमी है। ऐसे में दिलीप सिंह का चेयरमैन बनाया जाना हितों के टकराव को बढ़ावा देता है। वैसे भी यह बीसीए के मनमानी का नायाब उदाहरण है क्योंकि चयन समिति और सपोर्ट स्टाफ के चयन हेतु कमेटी का गठन वार्षिक आमसभा के माध्यम से किया जाता चाहिए । बीसीए का संविधान यही कहता है । प्रारंभ में इस कमेटी के द्वारा भी यह प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है । कालांतर में मनमानी का यह आलम है कि बीसीए अध्यक्ष जब जो चाहे एक फरमान से कर डालते हैं और बिहार क्रिकेट संघ उसे स्वीकारने अथवा टुकुर टुकुर देखकर भी कुछ नहीं कर पा रहा । क्योंकि जिला संघों पर कोप भाजन बनने और मनमानी का गाज गिरने का खतरा बरकरार रहता है। पिछले दिनों भी लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव को सीधे तौर पर माखौल बनाया गया ।जब दर्जनाधिक जिलों में तदर्थ समिति का गठन किया गया लेकिन उन कमेटियों में वैसे लोगों को स्थान दिया गया है जिन्हें लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप दो पद पर रहने की इजाजत नहीं थी। बावजूद वे कमेटी में शामिल किए गए हैं।
बहरहाल बीसीए का नया फरमान मान्य होता है या अमान्य, यह तो आने वाला समय बताएगा क्योंकि बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के कार्यकाल समाप्ति को लेकर मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज कुमार की ओर से माननीय लोकपाल महोदय के न्यायालय में चुनौती दी गई है। यह मामला फिलहाल विचाराधीन है लेकिन उम्मीद है कि चुनौती के खिलाफ जल्द ही फैसला आ सकता है क्योंकि बीसीए के उपाध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के दौरान जो शपथ पत्र दिलीप सिंह ने प्रस्तुत किया था उसी के अनुरूप 16 फरवरी 2022 को उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है । क्योंकि शपथ पत्र के अनुसार दिलीप सिंह 2013 से लेकर 2016 तक कैमूर जिला क्रिकेट संघ के सचिव और 2016 से लेकर सितंबर 2019 तक कैमूर जिला के अध्यक्ष पद पर थे और 29 सितंबर 2019 के बाद से लेकर फिलहाल समाचार लिखे जाने तक बीसीए के उपाध्यक्ष पद पर पदासीन है। यहां गौरतलब है कि मौजूदा लोकपाल ने भी लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव का हवाला देते हुए पूर्व में एक मामले में आदेश दे चुके हैं कि जिन पदाधिकारियों का कार्यकाल पूर्ण हो जाता है वह क्रिकेट की गतिविधि में किसी रूप में शामिल नहीं हो सकते हैं ऐसे में दिलीप सिंह को चेयरमैन बनाना किसी भी रूप में वैध नहीं माना जा सकता।

एजीएम बुलाकर अध्यक्ष ने बीसीए संविधान लोकपाल और तीन सदस्यीय कमेटी को दिखाया अंगूठा * नहीं मानते कोर्ट का फैसला न संवैधान...
09/08/2022

एजीएम बुलाकर अध्यक्ष ने बीसीए संविधान लोकपाल और तीन सदस्यीय कमेटी को दिखाया अंगूठा

* नहीं मानते कोर्ट का फैसला न संवैधानिक निर्देश
* शायद बैठक के कोरम की जानकारी जुटाने में भी रहे विफल

- मनोज -

पहले से विवादों में घिरी बिहार क्रिकेट संघ की ओर से अध्यक्ष खेमा ने वार्षिक आमसभा बुलाने की घोषणा की है । यह वार्षिक आम सभा घोषणा के मुताबिक 28 अगस्त 2022 को पटना में आयोजित होना है। लेकिन इस घोषणा के पूर्व एजीएम बुलाने के तौर तरीके और संवैधानिक वैधता की अनदेखी आयोजन पर सवाल खड़ा करती है । साथ ही साथ माननीय लोकपाल महोदय के आदेश पर गठित तीन सदस्यीय कमेटी के गठन और फैसलों पर भी सवालिया चिन्ह खड़ा करता है । क्योंकि विवादित जिलो के विवाद हल होने अथवा निर्णायक फैसला आने के पहले यह कैसे तय हो सकेगा की वार्षिक आम सभा में कौन सी जिला कमेटी पूर्ण सदस्य के रूप में बैठने की पात्रता हासिल करती है । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बहुतेरे जिलों में पहले से ही वैधता को लेकर विवाद चल रहा है। ऐसे में माननीय लोकपाल के न्यायालय से निर्णायक फैसला आये बगैर यह तय करना मुश्किल है कि कौन सी जिला कमेटी एजीएम में बैठने का अधिकारी है। साथ ही वैसे जिले जहां पिछले दो वर्षों में कार्यकारिणी का चुनाव कराया गया है यह भी देखना लाजमी है कि इस चुनाव की वैधता कहां तक सही है? क्योंकि लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुसार जिन पदाधिकारियों का कार्यकाल खत्म हो जाता है वह किसी भी तरह से संगठन के क्रियाकलापों में हिस्सेदार नहीं हो सकते ।
जहां तक एजीएम का सवाल है संविधान के अनुसार 21 दिन पहले सभी पूर्णकालिक सदस्य और एसोसिएट सदस्य को नोटिस देने के साथ-साथ ऑडिट रिपोर्ट भी मेल और हार्ड कॉपी भेजना अनिवार्य होता है जोकि इस मामले में अब तक अपूर्ण बताया जा रहा है । साथ ही एजीएम की घोषणा किस बैठक में लिए गए फैसले के अनुरूप किया गया है यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है क्योंकि बीसीए की ओर से बुलाई गई पिछली बैठक में माननीय लोकपाल के आदेश, लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव और संविधान में दर्शाए गए दिशा निर्देश के आलोक में कोरम अपूर्ण था क्योंकि कमेटी के उपाध्यक्ष दिलीप सिंह अपने ही शपथ पत्र के अनुसार 16 . 2.2022 को कार्य अवधि पूर्ण कर चुके थे । इस लिहाजन वह बैठक में बैठने के अधिकारी नहीं थे । जिला प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह को कार्यकाल खत्म होने के कारण माननीय लोकपाल का न्यायालय पूर्व में ही कूलिंग पीरियड में जाने का आदेश सुना चुका था जबकि खिलाड़ी प्रतिनिधि अमिकर दयाल का कार्यकाल 2020 में ही पूर्ण हो चुका है। ऐसे में बैठक में उनका बैठना अनुचित ही होगा । वही महिला खिलाड़ी प्रतिनिधि कविता राय पूर्व में ही तकनीकी कारणों से इस्तीफा दे चुकी है। जबकि सर्वविदित है कि अध्यक्ष खेमा की ओर से सचिव और संयुक्त सचिव को माननीय लोकपाल के आदेश के अनुसार अवैध ठहराया जा चुका है। ऐसे में कार्यकारिणी की बैठक अपने कोरम में मान्य नहीं हो सकती नौ में से छह सदस्य संविधान के अनुसार अमान्य (डिसक्वालिफाइड ) हो चुके थे । ऐसे में बैठक में लिए गए फैसले और पूर्व के बैठक की संपुष्टि अपने आप में अवैध कहलाएगी। इन परिस्थितियों में वार्षिक आमसभा की घोषणा अवैध और असंवैधानिक है सही मायने में कहे तो यह अध्यक्ष राकेश तिवारी के मनमानी का नायाब उदाहरण है जहां एकल सोंच, एकल फैसले ही बीसीए का प्रमाणिक चेहरा दिखता है ।

बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप और खिलाड़ी प्रतिनिधि अमिकर के कार्यकाल  की वैधता को चुनौतीमुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज ...
07/08/2022

बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप और खिलाड़ी प्रतिनिधि अमिकर के कार्यकाल की वैधता को चुनौती

मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज ने लोकपाल के न्यायालय में दरबाजा खटखटाया

- मनोज -

माननीय लोकपाल के द्वारा बिहार क्रिकेट संघ के जिला प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह को अपदस्थ किये जाने के बाद बनी विकट हालात से अभी कमेटी उबर भी नहीं सकी थी कि कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष कार्यकाल भी विवादों के घेरे में आ गया है । इस मामले में मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के पूर्व संयुक्त सचिव व वर्तमान सचिव मनोज कुमार ने लोकपाल के न्यायालय में मुकदमा दायर कर बीसीए के मौजूदा उपाध्यक्ष दिलीप सिंह और खिलाड़ी प्रतिनिधि अमिकरदयाल के अवैध रूप से कमेटी में बने रहने को चुनौती दी है। श्री कुमार ने अधिवक्ता सुमित कुमार के माध्यम से लोकपाल महोदय को बताया है कि बीसीए के मौजूदा उपाध्यक्ष दिलीप सिंह ने अपने निर्वाचन के दौरान निर्वाचित पदाधिकारी को सुपुर्द किए गये प्रपत्र में शपथ पत्र के माध्यम से बताया था कि वे 2008 से 2013 तक कैमूर जिला संघ के सचिव और 18 फरवरी 2016 से लेकर सितंबर 2019 तक जिला संघ के अध्यक्ष पद पर आसीन थे । यहां उल्लेखनीय है कि 29 सितंबर 2019 को संपन्न हुए बिहार क्रिकेट संघ के चुनाव में दिलीप सिंह उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए तब से लेकर अब तक पद आसीन हैं जबकि माननीय लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप उन्हें यह पद 18 फरवरी 2022 को छोड़ देना था । क्योंकि लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप दिलीप सिंह ने अपना लगातार छह साल पद पर आसीन बने रहने की वैधता पूर्ण कर ली थी । प्रस्ताव के अनुरूप उन्हें या तो कूलिंग पीरियड में जाना चाहिए था अन्यथा नौ साल पद पर रहने के कारण उन्हें बीसीए के किसी भी चुनाव से अलग हो जाने की विवसता माननी चाहिए थी। बावजूद इसके पद पर बने रहकर दिलीप सिंह या तो कार्यकारिणी को धोखा दे रहे हैं या नियम की अवहेलना कर एन केन प्रकारेण कमेटी में बने हुए हैं ।
दूसरी ओर खिलाड़ी प्रतिनिधि अमिकर दयाल की कार्य अवधि भी सवालिया घेरे में है क्योंकि बिहार क्रिकेट संघ के पूर्व कार्यकारिणी जो कि गोपाल बोहरा की अध्यक्षता में गठित थी उसमें अमिकर दयाल 2017 में खिलाड़ी प्रतिनिधि मनोनीत किए गए थे । तब के बाद से वह आज तक इस पद पर आसीन है और अनैतिक तरीके से बीसीए के विभिन्न क्रियाकलापों में सहभागी बन रहे हैं। जबकि उनका कार्यकाल संविधान के रूल संख्या 17 (6) के अनुसार 2020 में ही खत्म हो जाना चाहिए था।
बरहाल इस मामले में माननीय लोकपाल के न्यायालय में स्पष्ट हो सकेगा की बीसीए में बतौर पदाधिकारी योगदान दे रहे इन दोनों पदाधिकारियों का कार्यकाल समाप्त है या लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के विपरीत दोनों पदाधिकारी कमेटी में बने रहेंगे। न्यायालय ने मामले को विचार के लिए स्वीकृत कर लिया है तो यह भरोसा भी बनता है की फैसला दूध का दूध पानी का पानी होगा।

30/07/2022

जय शनि देव जी 🚩🚩🌺🌺
ॐ सूर्यपुत्राय नमः 🚩🚩🌺🌺
ॐ श शनिचराय नमः 🚩🚩🌺🌺
सच्चे मन से नाम जपो जी🚩🙏🏻 /

20/07/2022

आदि अनंत शिव 🚩🚩

नहीं रहे बोचहां के लाल रमई राम पटना के मेदांता हॉस्पिटल में ली अंतिम सांस                  - मनोज -बिहार सरकार के पूर्व ...
14/07/2022

नहीं रहे बोचहां के लाल रमई राम
पटना के मेदांता हॉस्पिटल में ली अंतिम सांस

- मनोज -

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अंबेडकर सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और समाजवादी नेता रमई राम का निधन हो गया है। गुरुवार को लंबी बीमारी से जूझ रहे हैं रमई राम ने पटना के मेदांता हॉस्पिटल में अंतिम सांसे ली । उनके निधन की खबर मुजफ्फरपुर समेत राजनीतिक जगत में आग की तरफ फैली और राजनैतिक महकमा शोक में डूब गया है। रमई राम ने तकरीबन चार दशक तक बोचहां विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान वह नौ बार निर्वाचित होकर विधान सभा पहुंचे । इस दौरान उन्होंने बिहार सरकार में विभिन्न विभागों में बतौर कैबिनेट मंत्री योगदान दिया। खास तौर पर भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में भूमिहीन परिवारों को बासगीत परचा दिया जाना यादगार रहा । हालांकि क्षेत्रवासियों के पुरजोर मांगों के बावजूद भीखनपुर को प्रखंड न बना पाना उनकी नाकामयाबी मानी गई और इसका विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा । अपने राजनीतिक जीवन में बोचहां विधानसभा क्षेत्र में रमई राम को कमल पासवान, बेबी कुमारी और मुसाफिर पासवान के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी। एक समय वे राजद में लालू प्रसाद के समान हैसियत के नेता माने गए। हालांकि राजनीतिक महत्वाकांक्षा के आगे राजद में उनके कद को कम करने की कवायद शुरू हुई ।हाजीपुर लोकसभा चुनाव़ के लिए पार्टी से सिंबल नहीं मिलने पर उन्होंने राजद का दामन छोड़ा । कांग्रेस में मिले। हालांकि गोपालगंज संसदीय क्षेत्र से हार मिली। बाद में वे जनता दल यू में शामिल हो गए । मंत्री भी बनाये गये ।हालांकि आगे चलकर मत विभेद हो जाने से रमई राम पुन: बागी बने और खुद की पार्टी बनाई लेकिन अपेक्षित कामयाबी नहीं मिलने के कारण राजद में शामिल हो गए। लेकिन इस दौर में उन्हें पहले की तरह कामयाबी नहीं मिली और अपनी पुत्री को राजनीति में स्थापित करने की मोह में दल बदलते रहे। इस कारण से उनकी पूछ कमती गई और सही मायने में राजनीतिक जगत में रमई राम हाशिए पर चले गए।

एमडीसीए के सचिव मनोज कुमार के परिवाद को लोकपाल ने दी वैधता अप्रैल 2020 में छह साल पूर्ण कर चुके जिला खेल प्रतिनिधि संजय ...
10/07/2022

एमडीसीए के सचिव मनोज कुमार के परिवाद को लोकपाल ने दी वैधता

अप्रैल 2020 में छह साल पूर्ण कर चुके जिला खेल प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह को कूलिंग पीरियड में जाने का दिया आदेश

बीसीए को निर्देश दिया कार्यकारिणी से अलग रखें

- मनोज -

पटना ।बिहार क्रिकेट संघ के लोकपाल राघवेंद्र प्रसाद सिंह ने अंततः लंबी सुनवाई के पश्चात मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज कुमार द्वारा जिला खेल प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह के कार्यकाल को लेकर दी गई चुनौती पर फैसला पारित करते हुए तत्काल प्रभाव से जिला खेल प्रतिनिधि बिहार को कमेटी ऑफ मैनेजमेंट से बाहर रखने का आदेश पारित करते हुए बीसीए को निर्देशित किया है कि वह श्री सिंह को लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप कूलिंग पीरियड में जाने का निर्देश जारी करे । विदित हो कि बिहार क्रिकेट संघ के जिला खेल प्रतिनिधि एवं क्रिकेट गतिविधियों के प्रबंधक संजय कुमार सिंह पिछले दो वर्षों से लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव का उल्लंघन करते हुए अपने पद पर योगदान दे रहे थे । जबकि उन्हें अप्रैल 2020 में ही पद से मुक्त हो जाना चाहिए था । इस बीच उनके द्वारा बीसीए के क्रिकेट संचालन में अवैध रूप से अहम भूमिका अदा की गई और कमेटी ऑफ मैनेजमेंट से सच्चाई छुपाई गई जो कि कानूनन अपराध माना जाएगा। सही मायने में बीसीए को उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ।साथ ही इस अवधि में उनके द्वारा निजी सचिव के मद में जो वेतन राशि लिया गया है, बीसीए को चाहिए कि स्पष्टीकरण जारी करते हुए जिला खेल प्रतिनिधि से वह राशि हासिल करें। लिखनी है कि उल्लेखनीय है कि जमुई जिला क्रिकेट सचिव और बीसीए के लिए निर्वाचित जिला खेल प्रतिनिधि के रूप में अप्रैल 2020 में है संजय कुमार सिंह का कार्यकाल पूर्ण हो चुका था क्योंकि लोढ़ा कमेटी के अनुसार कोई भी निर्वाचित पदाधिकारी लगातार छह साल से अधिक पद पर योगदान नहीं दे सकता है ।ऐसे में मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज कुमार ने लोकपाल के न्यायालय में परिवाद दायर कर अवैध रूप से सुचारू उनके कार्यकाल को चुनौती देते हुए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट से अलग करने की गुहार लगाई थी ।जिला खेल प्रतिनिधि की ओर से यहां भी लोकपाल महोदय को गुमराह करने की पुरजोर कोशिश की गई। लेकिन देर से ही सही लोकपाल की न्यायालय ने एम डी सी ए के सचिव मनोज कुमार की चुनौती सत्य पाते हुए रविवार को आदेश पारित कर दिया । इसे न्याय की जीत बताते हुए वादी ने कहा कि जिला खेल प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित संजय कुमार ने कभी भी जिला इकाई की पीड़ा अथवा विवाद निपटाने की कोशिश नहीं की । न तो खिलाड़ियों के लिए हक की आवाज बुलंद की । बल्कि अपने परिवार और धनबल के सहारे क्रिकेट में योगदान देने वाले पैरवी पुत्रों को आगे बढ़ाने का काम किया। इस लिहाजन यह फैसला बिहार क्रिकेट संघ के खिलाड़ियों के हित में है इसे न्याय की जीत कहा जा सकता है।

विक्की हत्याकांड और फ्लिपकार्ट लूट कांड का मुख्य आरोपी अनिकेत समेत चार गिरफ्तार वाहन जांच के दौरान गांजा और हथियार के सा...
07/06/2022

विक्की हत्याकांड और फ्लिपकार्ट लूट कांड का मुख्य आरोपी अनिकेत समेत चार गिरफ्तार

वाहन जांच के दौरान गांजा और हथियार के साथ दबोचे गये

- मनोज -

मुजफ्फरपुर । अहियापुर थाना क्षेत्र में भिखनपुर ओवर ब्रिज के निकट वाहन जांच के दौरान पुलिस ने चार संदिग्धों को दबोचा था। छानबीन के क्रम में उनके पास से डेढ़ किलो से अधिक गांजा की बरामदगी की गई थी जबकि संदिग्धों के पास से दो देशी पिस्टल एवं 315 बोर की चार जीवित गोली भी बरामद की गई थी । पकड़े गए संदिग्धों की पहचान कुख्यात अनिकेत कुमार पिता अवधेश राय शेखपुर ढाब मुजफ्फरपुर ,छोटू कुमार पिता गौडी सिंह उर्फ प्यारे सिंह बासुदेव विशनपुर, महिंदवारा ,सीतामढ़ी, प्रभात कुमार पिता विनोद प्रसाद,शिवराहाँ चतुर्भुज, मुजफ्फरपुर और रामसनेही चौधरी पिता स्वर्गीय बैजनाथ चौधरी, मोहम्मदपुर ,जिला मुजफ्फरपुर के रूप में की गयी। यह जानकारी देते हुए पुलिस कप्तान जयंत कांत ने बताया कि पुलिस गिरफ्त में आया अनिकेत कुमार के खिलाफ थाना में सानू उर्फ विक्की हत्याकांड में नामजद है। जबकि फिलिप कार्ड में 14 लाख की लूट में भी उसकी संलिप्तता बताई जा रही है। वह वांछित था । उसके खिलाफ अन्य राज्यों में भी लूट के मामले विचाराधीन है। रामस्नेही चौधरी शराब मामले में जेल जा चुका है। जबकि छोटू कुमार भी आर्म्स एक्ट में जेल की हवा खा चुका है। उन्होंने बताया कि पुलिस को मिली इस सफलता में अहियापुर थाना अध्यक्ष के साथ नगर थानाध्यक्ष और क्यू आर टी पुलिस बल की कोशिशें शामिल है

कांटी थाना क्षेत्र के रेपूरा हाई स्कूल के समीप अपराधियों ने  एक युवक की किया हत्या।मृतक की पहचान शशि रंजन मिश्रा उर्फ सि...
08/05/2022

कांटी थाना क्षेत्र के रेपूरा हाई स्कूल के समीप अपराधियों ने एक युवक की किया हत्या।

मृतक की पहचान शशि रंजन मिश्रा उर्फ सिंकू पाठक के रूप में हुई है।
मौके पर जुटी लोगों की अपार भीड़।
घटनास्थल पर ग्रामीणों ने गोली के खोखा भी देखा।
बताया जाता है कि मृतक युवक का रेपूरा गांव में ही ममहर है और उसका घर मोतिहारी पूर्वी चंपारण के रहने वाला है।

14/04/2022

हम आदि से अंत तक भारतीय है।

14/04/2022

जीवों के प्रति दया रखो, घृणा विनाश की ओर ले जाती है।

14/04/2022

लपटों को चीरकर जिंदगी बचाने वाले जांबाजों को सलाम

13/04/2022

शहीदों को शत शत नमन

मछली मारने से रोकने पर पैक्स अध्यक्ष और उसके भाई की हत्या, एक भाई समेत कई घायल पोखर बंदोबस्ती विवाद को पहले से चल रहा था...
03/03/2022

मछली मारने से रोकने पर पैक्स अध्यक्ष और उसके भाई की हत्या, एक भाई समेत कई घायल

पोखर बंदोबस्ती विवाद को पहले से चल रहा था तनाव , आरोपी मनीष सिंह गिरफ्तार

- मनोज -

साहेबगंज प्रखंड के गउरा पंचायत अंतर्गत बैरिया गांव में गुरुवार को मछली मारने के विवाद पर गोलीबारी में पैक्स अध्यक्ष राजेश सहनी उर्फ भोला सहनी तथा उसके सहोदर भाई मुकेश साहनी की मौत हो गई जबकि एक अन्य भाई राम नरेश सहनी समेत पांच छह लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों में रामनरेश सहनी को बेहतर इलाज के लिए एसकेएमसीएच रेफर किया गया है । अन्य घायलों की फिलहाल पहचान नहीं है । बताया जाता है कि वह यत्र तत्र इलाज करा रहे हैं । आरोपित मनीष सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

घटना के संबंध में बताया जाता है कि स्थानीय मनीष सिंह गुरुवार को लगभग 12 बजे अपने 12 - 15 समर्थकों के साथ बैरिया गांव स्थित पोखर में मछली मारने गए थे । जहां राजेश सहनी , मुकेश सहनी आदि ने विरोध जताते हुए मछली मारने से रोका था। बताया जाता है कि इसी मामले पर विवाद ठन गई और मनीष सिंह ने समर्थकों संग मछली मारने से रोकने वाले पैक्स अध्यक्ष एवं उनके सहयोगियों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी । फायरिंग में राजेश सहनी , मुकेश सहनी, रामनरेश साहनी गंभीर रूप से घायल हुए जिन्हें आनन फानन में सीएससी साहेबगंज ले जाया गया ।जहां चिकित्सकों ने पैक्स अध्यक्ष राजेश सहनी और मुकेश सहनी को मृत घोषित कर दिया । जबकि रामनरेश साहनी को बेहतर उपचार के लिए मुजफ्फरपुर रेफर कर दिया। मृतक के भतीजे का आरोप है कि मनीष सिंह ने पोखर विवाद में इस हत्याकांड को अंजाम दिया है। बताया जाता है कि पोखर बंदोबस्ती को लेकर दोनों पक्षों में पहले से विवाद चल रहा है । इस मामले में दोनों पक्षों से काउंटर प्राथमिकी दर्ज है और मामला विचाराधीन है। मनीष सिंह पोखर पर अपनी दावेदारी रखते हैं और आरोप था कि पैक्स अध्यक्ष अनर्गल अडंगा लगाकर रंगदारी चाहते थे। फिलहाल पैक्स अध्यक्ष एवं उनके भाई की लाश अस्पताल में ही मौजूद है। इस कांड को लेकर हालात तनावपूर्ण है। मृतक पक्ष के लोग आक्रोशित है। फिलहाल बड़ी संख्या में पुलिस बल स्थल पर मौजूद है और किसी भी अप्रिय हादसे को नियंत्रित करने की कवायद में जुटी है।

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