BuddhNayak Channel

BuddhNayak Channel BUDDHNAYAK का उद्देश्य है कि लोग बौद्ध, आदिवासी बहुजन महापुरुषों के इतिहास व विचारो,खबरो को जाने।
(1)

15/01/2025
15/01/2025

तमिलनाडु के स्कूल में दलित बच्चों से टॉयलेट साफ करवाया:पेरेंट्स बोले- कैंपस की सफाई और पानी भरवाने का काम भी करवाते हैं; प्रिंसिपल बर्खास्त

14/01/2025

अलीगढ- उत्पीड़न से परेशान दलित परिवार मकान बेचने को मजबूर, दरवाजों पर लगाए पोस्टर

"जब तक तोड़ेंगे नहीं तब त‍क छोड़ेंगे नहीं"माउंटेन मैन दशरथ मांझी जी के जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन 🙏🙏🌹🌹🌹 #बुद्धनायकचैन...
14/01/2025

"जब तक तोड़ेंगे नहीं तब त‍क छोड़ेंगे नहीं"
माउंटेन मैन दशरथ मांझी जी के जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन 🙏🙏🌹🌹🌹
#बुद्धनायकचैनल

आजादी क्या है एक स्वतंत्र समाजिक व्यवस्था के लिए यह अनिवार्य क्यों है☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️ *आजादी के दो वर्ग हैं एक है नागरिक आ...
14/01/2025

आजादी क्या है एक स्वतंत्र समाजिक व्यवस्था के लिए यह अनिवार्य क्यों है
☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️

*आजादी के दो वर्ग हैं एक है नागरिक आजादी दूसरी है राजनीतिक आजादी नागरिक आजादी का संदर्भ है आंदोलन की स्वतंत्रता जिसका दूसरा नाम यह है कि किसी को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तार न होने की आजादी 2- भाषण की आजादी वास्तव में सोचने की आजादी वाचन पठान की आजादी लेखन और वाद विवाद की आजादी तीसरी काम करने की आजादी भी शामिल है*
उपरोक्त में प्रथम कोटि की आजादी वास्तव में मौलिक है केवल मौलिक ही नहीं बल्कि अनिवार्य भी है इसके मूल्य के विषय में किसी संदेह की गुंजाइश नहीं है दूसरे कोटि की आजादी जिससे मत व्यक्त करने की स्वतंत्रता कहा जाता है कई कारण से महत्वपूर्ण है यह बौद्धिक नैतिक राजनीतिक एवं सामाजिक प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है परंतु शर्त यह है इसका अस्तित्व नहीं होता है यथा स्थिति अपरिवर्तनशील हो जाती है और सारी मौलिकता चाहे अति आवश्यक हो या हतोत्सव हो जाती है काम करने की
*आजादी से तात्पर्य है कि व्यक्ति जो कार्य करना चाहता है करे यह पर्याप्त नहीं है कि काम करने की आजादी केवल औपचारिक हो यह अवश्य ही वास्तविक हो अतः समझिए कि का की आजादी का मतलब है कार्य करने की प्रभावी शक्ति ऐसी आजादी कोई आजादी नहीं जिसमें निर्दिष्ट लाभ प्राप्त करने के कोई साधन ही ना हो काम करने की आजादी का अस्तित्व वही होता है जहां शोषण का उन्मूलन हो जहां एक बार का दबाव दूसरे वर्ग पर ना रहे जहां बेरोजगारी वह निर्धनता ना हो किसी व्यक्ति को अपनी रोजी-रोटी घर-बार अपने कार्य के परिणाम जिसका गवाने का भय ना हो*
और राजनीतिक स्वतंत्रता व्यक्ति के इस अधिकार में निहित है वह कानून बनाने ब सरकार बनने बिगड़ने में भागीदारी है सरकारी मनुष्य के लिए कुछ अनुपलब्ध अधिकारों को दिलाने के लिए बनाई जाती है जैसे जीवन आज़ादी सुख के साधन आदि अतः सरकार को अपनी शक्तियां उन्हीं लोगों से प्राप्त करना होता है जिनके अधिकारों की रक्षा के लिए दायित्व के लिए वह प्रभावी है इसका अर्थ यह है जब यह कहा जाता है कि सरकार का अस्तित्व शक्ति और अधिकार जनता की राय से ही प्राप्त करना चाहिए राजनीतिक आजादी वास्तव में मानवीय व्यक्तित्व एवं समानता के सिद्धांत में से कसौटी है इसका अर्थ यह है कि सभी प्रकार के राजनीतिक अधिकार जनता से प्राप्त किए जाते हैं जिससे जनता व्यक्तिगत वह आम जन जीवन को उनके उद्देश्यों के लिए नियंत्रित एवं निर्देशित करने की योग्य हो जो उन्होंने स्वयं निश्चित किए हैं और किसी अन्य नहीं यह दोनों सिद्धांतों का स्वतंत्रता सामाजिक व्यवस्था के लिए घनिष्ठ संबंध है इन्हे अलग नहीं किया जा सकता एक बार यहां सिद्धांत को मानता है मिली है कि दूसरा सिद्धांत स्वत आ जाता है एक बार जैसे ही मानव व्यक्तित्व की पवित्रता को मान्यता मिलती की स्वतंत्रता समानता और भाईचारा को व्यक्तित्व के विकास के लिए उचित वातावरण को आवश्यकता को मान्यता मिलनी चाहिए
*संदर्भ* -बौद्ध धर्म और साम्यवाद पृष्ठ 60,61
*संकलन* - रमेश सी बौद्ध
*केंद्रीय प्रतिनिधि बौद्ध समाज भारत*
मोबाइल -7994602662

Address

Mumbai

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when BuddhNayak Channel posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to BuddhNayak Channel:

Videos

Share