Mayank shukla

Mayank shukla Public Figure

दुनिया का सबसे ठंडा शहर याकुत्स्क: जहां जिंदगी -55°C में भी नहीं रुकतीरूस के साइबेरियाई शहर याकुत्स्क को दुनिया का सबसे ...
10/01/2025

दुनिया का सबसे ठंडा शहर याकुत्स्क: जहां जिंदगी -55°C में भी नहीं रुकती

रूस के साइबेरियाई शहर याकुत्स्क को दुनिया का सबसे ठंडा शहर माना जाता है। बीते गुरुवार सुबह यहां का तापमान -55°C दर्ज किया गया। उत्तरी ध्रुव से 430 किलोमीटर दूर स्थित यह शहर नौ महीने तक बर्फ से ढका रहता है। यहां के लोग, खासकर साखा जनजाति, ठंड से लड़ने की बजाय इसके साथ जीना सीख चुके हैं। सर्दियों में यहां तापमान -60°C तक गिर जाता है, जबकि गर्मियों में यह -33°C से -35°C के बीच रहता है।

यहां की जिंदगी चार पहलुओं पर निर्भर करती है—पहनावा, खानपान, सावधानी और हौसला। लोग सात परतों वाले कपड़े पहनते हैं और ठंड से बचने के लिए खुले में 15 मिनट से ज्यादा नहीं रुकते। यहां के घर पर्माफ्रॉस्ट जमीन पर बनाए जाते हैं, जो गर्मियों में पिघलने लगती है।

पूरे दिन में सिर्फ एक घंटे के लिए धूप निकलती है। इस दौरान लोग कपड़े सुखाते और खुद को गर्म रखते हैं। गीले कपड़े बाहर लाते ही जम जाते हैं और इन पर जमी बर्फ झाड़ने पर कपड़े सूखे मिलते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि इन कपड़ों में बर्फ की खुशबू आ जाती है।

स्कूलों का संचालन मौसम पर निर्भर करता है। हवा न होने और तापमान -45°C या उससे नीचे होने पर पहली से पांचवीं कक्षा तक की छुट्टी रहती है। लेकिन हवा की गति 2 मीटर प्रति सेकंड से ज्यादा होने पर -55°C में भी स्कूल खुले रहते हैं, क्योंकि हवा ठंड के असर को कम करती है।

यहां के लोग आर्कटिक लोमड़ी की खाल से बने कपड़े पहनते हैं, जिनकी कीमत 8 से 15 लाख रुपये तक होती है। ये कपड़े -70°C तक की ठंड में भी असरदार होते हैं। सर्दियों में यहां लोग महीने में एक-दो बार ही नहाते हैं।

खनन यहां का प्रमुख उद्योग है। याकुत्स्क में 30 से ज्यादा रासायनिक तत्व और बहुमूल्य रत्न पाए जाते हैं। यह रूस का तीसरा सबसे बड़ा सोना उत्पादक क्षेत्र है। हालांकि, लोग ठंडे स्थानों के लिए चांदी के आभूषण पहनना ज्यादा पसंद करते हैं।

क्लब में नई एंट्री 🥲🥲😭
04/01/2025

क्लब में नई एंट्री 🥲🥲😭

इन्टरनेट वाली आज की इस मॉडर्न दुनियाँ मे, अब महबूब को ग्रीटिंग कार्ड भला कौन भेजता है..❤️🌻
01/01/2025

इन्टरनेट वाली आज की इस मॉडर्न दुनियाँ मे,
अब महबूब को ग्रीटिंग कार्ड भला कौन भेजता है..❤️🌻

दिनांक- 01.01.2025 नव वर्ष की प्रातः काल वेला में बाबा विश्वनाथ के मंगला आरती दर्शनI नमः पार्वती पतये हर हर महादेवIIश्री...
01/01/2025

दिनांक- 01.01.2025 नव वर्ष की प्रातः काल वेला में बाबा विश्वनाथ के मंगला आरती दर्शनI
नमः पार्वती पतये हर हर महादेव
IIश्री काशीविश्वनाथो विजयतेतराम II
#महादेव #काशीविश्वनाथ

31/12/2024

्यों_नहीं_मानते1_जनवरी_को_नया_साल
न ऋतु बदली ~ न मौसम
न कक्षा बदली ~ न सत्र
न फसल बदली ~ न खेती
न पेड़-पौधों की रंगत
न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
ना ही नक्षत्र।

1 जनवरी आने से पहले ही
सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं.
मानो कितना बड़ा पर्व है.

नया केवल एक दिन ही नहीं होता,
कुछ दिन तो नई अनुभूति
होनी ही चाहिए.
आखिर हमारा देश
त्यौहारों का देश है।

ईस्वी संवत का नया साल
1 जनवरी को और
भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत)
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को
मनाया जाता है।

आईये देखते हैं ...
दोनों का तुलनात्मक अंतर

🔴 #प्रकृति
1 जनवरी को कोई अंतर नहीं.
जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.
चैत्र मास में चारों तरफ
फूल खिल जाते हैं.
पेड़ों पर नए पत्ते आ जाते हैं.
चारों तरफ हरियाली, मानो
प्रकृति नया साल मना रही हो।

#वस्त्र
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र,
कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर.
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है,
गर्मी का आगमन होता है।

#विद्यालयों_का_नया_सत्र
दिसम्बर जनवरी ...
वही कक्षा ~ कुछ नया नहीं.
जबकि ... मार्च अप्रैल में
स्कूलों का रिजल्ट आता है.
नई कक्षा नया सत्र
यानि विद्यालयों में नया साल।

#नया_वित्तीय_वर्ष
दिसम्बर-जनवरी में
कोई खातों की क्लोजिंग नहीं होती,
जबकि 31 मार्च को
बैंको की क्लोजिंग होती है.
नए बही खाते खोले जाते हैं.
सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।

#कैलैण्डर
जनवरी में नया कैलैण्डर आता है.
चैत्र में नया पंचांग आता है.
उसी से सभी भारतीय पर्व,
विवाह और अन्य मुहुर्त
देखे जाते हैं.
इसके बिना हिन्दू समाज
जीवन की कल्पना भी
नहीं कर सकता.
इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर
यानि पंचांग।

#किसानों_का_नया_साल
दिसम्बर-जनवरी में खेतों में
वही फसल होती है.
जबकि मार्च-अप्रैल में
फसल कटती है.
नया अनाज घर में आता है, तो
किसानों का नया वर्ष और उत्साह।

#पर्व_मनाने_की_विधि
31 दिसम्बर की रात
नए साल के स्वागत के लिए लोग
जमकर मदिरा पान करते हैं ,
हंगामा करते हैं.
रात को पीकर गाड़ी चलाने से
दुर्घटना की सम्भावना,
रेप जैसी वारदात,
पुलिस प्रशासन बेहाल और
भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश।

#जबकि_भारतीय_नववर्ष
व्रत से शुरू होता है.
पहला नवरात्र होता है.
घर-घर में माता रानी की
पूजा होती है।
#शुद्ध_सात्विक_वातावरण_बनता_है

#ऐतिहासिक_महत्त्व
1 जनवरी का कोई
ऐतिहासिक महत्व नहीं है.
जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन
महाराज विक्रमादित्य द्वारा
विक्रमी संवत् की शुरुआत,
भगवान झूलेलाल का जन्म,
नवरात्र प्रारंम्भ इत्यादि का सम्बंध
इस दिन से है।

अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख और
अंग्रेज मानसिकता के अलावा
कुछ नहीं बदला.
अपना नव संवत् ही नया साल है.

जब ब्रह्माण्ड से लेकर
सूर्य चाँद की दिशा,
मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र,
पौधों की नई पत्तियाँ,
किसान की नई फसल,
विद्यार्थी की नई कक्षा,
मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि
परिवर्तन होते हैं.
जो विज्ञान आधारित हैं।

अपनी मानसिकता को बदलें.
विज्ञान आधारित
भारतीय काल गणना को पहचानें.
स्वयं सोचे कि क्यों मनायें हम
1 जनवरी को नया वर्ष ❓

केवल कैलेंडर बदलें..
अपनी संस्कृति नहीं.
आओ जागें और जगायें.
भारतीय संस्कृति अपनायें,
और आगे बढ़ें।।
अयोध्याधाम-श्रीराम-दरबार-अखंड हिन्दू-राष्ट्र
#हरहरमहादेव #

31/12/2024

*वनवास*
पुष्पा 2 का खुमारी उतर गया हो तो अवश्य देखे और सपरिवार देखें क्योंकि बागवान के बाद कोई मूवी अच्छी लगी तो वो है - अपने ही देते हैं अपना को *वनवास*।

नाना एक बार फिर अपने अभिनय का लोहा मनवा गए,( हमने अपना पिंडदान कर दिया, रोने को कोई नहीं था खुद रो दिया) सीधे हृदय को चीरते हुए निकल गया।
उत्कर्ष का अभिनय कबीले तारीफ है, राजपाल यादव और बाकियों ने अपना काम किया है।

*बच्चों को जरूर दिखाए ये यथार्थ

मसला ये नहीं है कि यशस्वी जायसवाल के बैट का किनारा लगा था या नहीं बल्कि मसला ये है कि जब स्निको में कोई हलचल नहीं हुई मत...
31/12/2024

मसला ये नहीं है कि यशस्वी जायसवाल के बैट का किनारा लगा था या नहीं बल्कि मसला ये है कि जब स्निको में कोई हलचल नहीं हुई मतलब स्निको ने साफ कर दिया कि बल्ले का किनारा नहीं लगा है तो आखिर थर्ड अंपायर ने किस रूल के तहत इनफील्ड अंपायर के डिसीजन को ओवरटर्न किया? जिस वक्त यशस्वी जायसवाल को थर्ड अंपायर ने आउट करार दिया उस वक्त मैच बहुत ही निर्णायक स्थिति में पहुंच चुका था। एक बात और गौर करने वाली है कि जो थर्ड अंपायर थे वो बांग्लादेशी थे तो क्या वो टीम इंडिया से कोई पुरानी खुन्नस तो नहीं निकालने के मूड में थे?

आईसीसी के तमाम मैचों में जब बांग्लादेश की भारतीय टीम से हार होती है तो तमाम पूर्व बांग्लादेशी क्रिकेटर और अधिकारी अंपायरिंग पर सवाल उठाते रहे हैं। कहीं उसका बदला तो ये बांग्लादेशी थर्ड अंपायर नहीं ले रहा था? एक चीज जो रिव्यू में देखने को मिली थी वो ये की गेंद जब यशस्वी के बल्ले और ग्लव्स के बेहद नजदीक से गुजरी तो थोड़ा सा डिफलेक्ट जरूर हुई थी। अब सवाल ये है कि क्या स्निको में कोई हलचल न हो और गेंद डिफलेक्ट हो तो भी बल्लेबाज को आउट दिया जा सकता है?

अगर इस तरह केवल डिफ्लेक्शन के आधार पर कैच आउट दिया जाने लगा तो फिर जब कोई पगबाधा की अपील पर रिव्यू लेगा और रिव्यू में गेंद बल्ले के नजदीक से गुजरती हुई दिखेगी लेकिन स्निको में कोई हलचल नहीं होगी लेकिन गेंद बल्ले से डिफलेक्ट होकर पैड पर लगती हुई दिखेगी तो क्या उस वक्त भी यही अंपायर केवल डिफ्लेक्शन के आधार पर ये मानेंगे कि गेंद ने बल्ले का किनारा लिया है और उसी आधार पर पगबाधा की अपील खारिज करेंगे?

एक और चीज की कभी-कभी गेंदबाज की गेंद स्टंप पर लग जाती है लेकिन वेल्स नहीं गिरती तो क्या बल्लेबाज को आउट दिया जाता है? इसी तरह भले ही गेंद ने बल्ले का किनारा लिया था लेकिन जब मैदानी अंपायरों ने नॉट आउट दिया था तो थर्ड अंपायर बिना स्निकों में हलचल हुए किस पुख्ता प्रूफ के आधार पर यशस्वी जायसवाल को काट बिहाइंड आउट दे दिए? साफ है कि बेइमानी के दम पर ये बॉक्सिंग डे टेस्ट ऑस्ट्रेलिया जीता है। थर्ड अंपायर इतनी टेक्नोलॉजिज के बावजूद पुराने विवादित अंपायर स्टीव बकनर वाला रोल निभाते हुए नजर आए हैं। इस बेईमान अंपायर पर आईसीसी को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए जिससे आगे कोई ऐसी गलती न करे।

🏺कभी भी गिलास में पानी ना पियें,जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतरभारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो ...
31/12/2024

🏺कभी भी गिलास में पानी ना पियें,

जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतर

भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है,

ये गिलास जो है विदेशी है. गिलास भारत का नही है.

गिलास यूरोप से आया. और यूरोप में पुर्तगाल से आया था.

ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना (भारत का) नहीं हैं।

अपना लोटा है. और लोटा कभी भी एकरेखीय नही होता.

वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं.
इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता.

लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है.

इस पोस्ट में हम गिलास और लोटे के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.

फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही गुण उसमें आते है.

पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं. जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं.

दही में मिला दो तो छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा. दूध में मिलाया तो दूध का गुण.

लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा.

और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का सरफेस टेंशन कम रहता है.

क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा.

और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.

अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.

🏺
गिलास और लोटे के पानी में अंतर
---+---+---+---+---+---+---+---+---+---
गिलास के पानी और लोटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है. इसी तरह कुंए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है.

आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी साधू संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं,

जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है.

सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है.

सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है.

"पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना".

अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी बड़ी आंत है और छोटी आंत है,
आप जानते हैं कि उसमें मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है.

ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.

दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी.

स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया.

अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है.
तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया,
दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया .

क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.

इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी.

और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है.

आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया.

जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई.

अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि तनाव बढेगा.

तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है.

अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा , मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.

इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए.

इसलिए लोटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है.

गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है.

क्योंकि नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है.

नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.

अगर प्रकृति में देखेंगे तो बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है.

मतलब सभी बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका सरफेस टेंशन बहुत कम होता है.

तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें. लोटे ही घर में लायें. गिलास का प्रयोग बंद कर दें.

राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनिया को लगता है कि राजस्थान में पानी नहीं है और यहाँ खून सस्ता व पानी महँगा हैं...जबकि यह...
24/12/2024

राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनिया को लगता है कि राजस्थान में पानी नहीं है और यहाँ खून सस्ता व पानी महँगा हैं...
जबकि यहाँ सबसे शुद्धता वाला पानी जमीन में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

राजस्थान के लोगों को पूरे विश्व में सबसे बड़े कंजूस कृपण समझा जाता है...
जबकि पूरे भारत के 95% बड़े उद्योगपति राजस्थान के हैं, राममंदिर के लिए सबसे ज्यादा धन राजस्थान से मिला है...
राममंदिर निर्माण में उपयोग होने वाला पत्थर भी राजस्थान का ही है..!

राजस्थान के लोगों के बारे में दुनिया समझती है ये प्याज और मिर्च के साथ रोटी खाने वाले लोग हैं...
जबकि पूरे विश्व मे सर्वोत्तम और सबसे शुद्ध भोजन परम्परा राजस्थान की हैं...
पूरे विश्व मे सबसे ज्यादा देशी घी की खपत राजस्थान में होती हैं,
यहाँ का बाजरा विश्व के सबसे पौष्टिक अनाज का खिताब लिये हुए है..!

राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनिया को लगता है कि राजस्थान के लोग छप्पर और झौपड़ियों में रहते हैं इन्हें पक्के मकानों की जानकारी कम हैं...
जबकि यहाँ के किले,इमारतें और उन पर अद्भुत नक्काशी विश्व में दूसरी जगह कहीं नही हैं...
यहाँ अजेय किले और हवेलियाँ हजारों वर्ष पुरानी हैं...
मकराना का मार्बल,जोधपुर व जैसलमेर का पत्थर अपनी अनूठी खूबसूरती के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं !
राजस्थान में चीन की दीवार जैसी ही दूसरी उससे मजबूत दीवार भी है जिसे दुनिया में पहचान नहीं मिली..!

राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनिया को लगता है कि राजस्थान में कुछ भी नहीं...
जबकि यहाँ पेट्रोलियम का अथाह भंडार मिला है... गैसों का अथाह भंडार मिला है...
यहाँ कोयले का अथाह भंडार मिला है..!

अकेले राजस्थान में यहाँ की औरतों के पास का सोना इक्ठ्ठा किया जाए तो शेष भारत की औरतों से ज्यादा सोना होगा।
सबसे ज्यादा सोने की बिक्री भी राजस्थान के जोधपुर में होती हैं !

राजस्थान के जलवायु के बारे में दुनिया समझती है यहाँ बंजर भूमि और रेतीले टीले हैं जहाँ आँधियाँ चलती रहती है...
जबकि राजस्थान में कई झीलें ,झरने और अरावली पर्वतमाला के साथ रणथम्भौर पर्वतीय शिखर हैं जो विश्व के टॉप टूरिज्म पैलेस हैं,
इसके अलावा राजस्थान में झीलों से निकला नमक शेष भारत में 80% नमक की आपूर्ति करता है जो 100%शुद्ध प्राकृतिक नमक हैं,

इसके अलावा भी बहुत सारी ऐसी बातें हैं जिन्हें दुनिया नहीं जानती और यह सब गलत शिक्षा नीति की वजह से राजस्थान का नकारात्मक चरित्र गढ़ा गया जिसे दुनियाभर में सच समझा गया..!

राजस्थान में बहन को प्यार से ' *बाईसा* ' कहा जाता है,
यहाँ चार बाईसा हुई जिन्हें हर राजस्थानी बाईसा कहकर ही सम्बोधित करते हैं...
मीरां बाई, करमा बाई, सुगना बाई, नानी बाई और मीरां ने ईश्वर को प्रेम भक्ति से ऐसा वशीभूत किया कि ईश्वर को आना पड़ा...!
करमा बाई ने निष्ठा भक्ति से ईश्वर को ऐसा अभिभूत किया कि ईश्वर को करमा के हाथ से खाना पड़ा...।
सुगना बाई ने राजस्थान की पीहर और ससुराल परम्परा का ऐसा अनूठा स्त्रीत्व भक्ति पालन किया कि ईश्वर को उनका उद्गार सुनना पड़ा
और नानी बाई ने ईश्वर की ऐसी विश्वास भक्ति की की ईश्वर को उनके घर आना पड़ा।
ये सब इसी युग में वर्तमान में हुआ जिनकी भक्ति आस्था और निष्ठा को राजस्थान के हर मंच से गाया जाता है...
नारी भक्ति का ऐसा उदाहरण शेष विश्व में और कहीं नही।

यहाँ राजस्थान की बलुई मिट्टी पूनम की रात में कुंदन की तरह चमककर स्वर्ण का आभास कराती हैं...
इन्ही पहाड़ो की वजह से इसे 'मरुधरा' कहा जाता है..!
राजस्थान का इतिहास गर्व से लबरेज और यहाँ का जीवन सबसे शुद्ध हैं..!
कण कण वंदनीय और गाँव- गाँव एक इतिहास में दर्ज कहानियों पर खड़ा है..!
✍️आनंद के चर्मोत्कर्ष पर 🙏🙏
आज आपको #मरुधरा🐪 के दर्शन करवाते हैं.. जो प्रकृति के बेहद करीब है।
इसी #राजस्थान को देखने, #पधारो_म्हारे_देश🐪

#राजस्थान खास क्यों हैं❓

1.👉भारत के 100 सबसे अमीर व्यक्तियो में से 35 राजस्थानी व्यापारी हैं।
2.दंगो में हज़ारो लोग मारे गए हैं लेकिन राजस्थान में 1 भी नहीं ..!
3.राजस्थान अकेले इतने सैनिक देश को देता है जितना केरला, आन्ध्र-प्रदेश और गुजरात मिलकर भी नहीं दे पाते.....!!
4.कर्नल सूबेदार सबसे ज्यादा राजस्थान से है...!!
5.उच्च शिक्षण संस्थानों में राजस्थानी इतने हैं कि महाराष्ट्र और गुजरात के मिलाने से भी बराबरी नहीं कर सकते.........
6.राजस्थान अकेला ऐसा राज्य है जहाँ किसान कृषि कारणों से आत्म-हत्या नहीं करतें जैसा कि मीडिया अन्य राज्यों में दिखाता है, जबकि सबसे अधिक सूखा यहाँ पड़ता है, क्यूकि राजस्थान में बुज़दिल नही दिलेर पैदा होते है...!!
7.आज भी राजस्थान में सबसे ज्यादा संयुक्त परिवार बसते है...!!
8.यहां एक रिक्शा चलाने
वालों को भी 'भाई' कह कर
बुलाते हैं...!!

अतिथि को यहां आज भी देवता के समान दर्जा देते हैं
और यहां पर अतिथियों की #खातिरदारी में कोई कसर नहीं छोड़ते
जय भारत .....
जय राजस्थान.....
म्हारो प्यारो राजस्थान
म्हारो रंगीलो राजस्थान
ताज महल अगर प्रेम की निशानी है.
तो "गढ़ चित्तोड़" एक शेर की कहानी है.
"कुछ लोग हार कर भी जीत जाते हैं !
कुछ लोग जीत के भी हार जाते हैं !!
नहीं दिखते है अकबर के निशान यहाँ कहीं पर भी, . . . . . .लेकिन. . . . . . .
"राणा के घोड़े हर चौराहे पर आज भी नज़र आते हैं।
___" जय जय राजस्थान "______

🐪🐪🐪

मक्खन मलाई: ठंड के मौसम की शाही मिठास!लखनऊ की गलियों से लेकर दिल्ली के चौकों और बनारस के घाटों तक, मक्खन मलाई हर जगह अपन...
23/12/2024

मक्खन मलाई: ठंड के मौसम की शाही मिठास!

लखनऊ की गलियों से लेकर दिल्ली के चौकों और बनारस के घाटों तक, मक्खन मलाई हर जगह अपने नाम और स्वाद से दिल जीतती है। ✨
लखनऊ: "नमश" या "नमीश"
दिल्ली: "दौलत की चाट"
बनारस: "मलइयो"

🌟 इतिहास में झलक:
यह मिठाई हिंदू राजाओं के दरबार से निकलकर मुगल बादशाहों और लखनऊ के नवाबों की शाही थाल तक पहुंची। हर जगह इसका स्वाद थोड़ा अलग है, लेकिन बनाने की विधि हर जगह समान है।

✨ कैसे बनती है मक्खन मलाई?
1️⃣ दूध को उबालकर उसमें क्रीम मिलाई जाती है।
2️⃣ इसे बर्फ के ऊपर खुले आसमान में रखा जाता है।
3️⃣ सुबह 3 बजे इसे मथानी से मथा जाता है।
4️⃣ फेना निकालकर उसमें केसर, मेवा, चीनी और मिश्री मिलाकर इसे तैयार किया जाता है।

मक्खन मलाई का स्वाद ऐसा कि पलभर में घुल जाए और ठंड की सर्द सुबह को मिठास से भर दे।

बस यही खुलना बाकी रह गया थाअब किसी के बाबू बिना थाना थाये नहीं सोएंगे♥️😅
18/12/2024

बस यही खुलना बाकी रह गया था
अब किसी के बाबू बिना थाना थाये नहीं सोएंगे♥️😅

दिल्ली से मनाली और वाराणसी (बनारस) जाने वाली Zing Bus Max बनी भारत की पहली ऐसी बस जिसमें Refreshement के साथ साथ रात का ...
17/12/2024

दिल्ली से मनाली और वाराणसी (बनारस) जाने वाली Zing Bus Max बनी भारत की पहली ऐसी बस जिसमें Refreshement के साथ साथ रात का खाना और सुबह नाश्ता मिलेगा बिल्कुल फ्री 😍
इस बस की टिकट आप Zing Bus की Official Website या Redbus और Paytm से भी बुक कर सकते है

07/12/2024


🛑पुष्पा 2, रपा रप काटेगी box office पर रुपयों की फ़सल🛑
माइंड ब्लोइंग, फाड़ू, पैसा वसूल, झकास, झन्नाट ⭐⭐⭐⭐⭐

वैसे मैं अपराधियों के महिमा मंडन वाली फिल्में देखना पसंद नहीं करता हूं। लेकिन पुष्पा 2 का ट्रेलर बढ़िया लग रहा था और अल्लू अर्जुन का स्वैग भी दिख रहा था ट्रेलर में। इसलिए आज ये मूवी देख ही ली।

देखिए ये फिल्म एंजॉय करने के लिए आपको ग्रैविटी, विज्ञान के नियम, लॉजिक वगैरह घर पर छोड़कर आने हैं।
इसके बाद आप ये फिल्म भरपूर एंजॉय करोगे।

अल्लू अर्जुन is just marvelous, amazing मुझे ये बंदा कुछ खास पसंद नहीं था। लेकिन क्या ग़ज़ब एक्टिंग की है बंदे ने। फाड़ू, फटा पोस्टर निकला हीरो टाइप की। बेस्ट एक्टर अवॉर्ड डिजर्व करता है बंदा। 👏👏

श्रेयस तलपड़े की जितनी भी तारीफ की जाए कम है, पुष्पा की डबिंग इतनी जान लगाकर की है श्रेयस ने, उनकी आवाज़ ने आत्मा डाल दी है किरदार में।

और फहाद फ़ासिल ने क्या शानदार रोल निभाया है, वाह 👌। जान डाल दी बंदे ने। इससे ये पता चलता है कि जब तक antagonist शानदार नहीं हो, protagonist पुष्पा की तरह खिलकर नहीं आएगा। और अब सच में देखा जाए तो protagonist तो शेखावत ही है, पुष्पा तो स्मगलर है, तो antagonist तो शायद पुष्पा है।
रश्मिका मंदाना भी ठीक लगी मुझे।

पूरी फिल्म में ट्विस्ट टर्न्स, इमोशंस, गीत संगीत, एक्शन, सस्पेंस, कॉमेडी सारे मसाले एकदम बराबर मात्रा में सही सही डाले हैं। ना कम ना ज़्यादा।

👉सबसे अच्छी बात मुझे ये लगी फिल्म में कि पुष्पा के चरित्र से सीख सकते हैं हम महिलाओं का सम्मान। बंदा गाली तक नहीं देता है महिलाओं के सामने।
पत्नी की एक फोटो की ख्वाहिश पूरी करने को आकाश पाताल एक कर देता है। मां का आदर सम्मान। भतीजी के लिए जान लड़ा देना। बाहर चाहे पुष्पा का राज चलता हो लेकिन घर में श्रीवल्ली ही महारानी है। जिस पर पुष्पा जान छिड़कता है। जिसके पैर दबाने से भी संकोच नहीं करता।
मर्दानगी ये नहीं है कि पत्नी पर अत्याचार किए जाएं, असली मर्द वो है जो अपनी पत्नी, मां, बहन, बेटी और सभी महिलाओं का सम्मान करे। पत्नी को आदर और प्रेम दे।
पुष्पा भावनाओं का ज्वार उमड़ने पर,फूट फूट कर रोने से कतराता नहीं है, मां की गोद में। मर्द को दर्द होता है। कठोर पुरुष के दिल में भी मोम जैसा हृदय हो सकता है।

रकीब आलम के लिखे हुए लिरिक्स मुझे अच्छे नहीं लग रहे थे गीतों के, लेकिन देखने के बाद समझ में आया कि किसिक किसिक गीत और बाकी लिरिक्स भी सारे फिल्म की कहानी और सिचुएशन के हिसाब से लिखे हुए हैं।
महिषासुर मर्दिनी वाले स्त्रोत का भी बहुत प्रभावशाली इस्तेमाल किया है।

देवी श्री प्रसाद जी का संगीत अच्छा है। हालांकि पहले पार्ट के टक्कर का नहीं है। बेस्ट सॉन्ग मुझे पुष्पा पुष्पा, पुष्पा राज लगा, जो कि मीका सिंह ने गाया है।

सुकुमार ने बहुत भव्य फिल्म बनाई है, पूरी फिल्म में आप edge पर रहते हो। अगला मूव क्या होगा सोचते रहते हो।

मुझे फिल्म एकदम बढ़िया लगी। मेरी पाई पाई वसूल हो गई।

ये ज़रूरी नहीं है कि मुझे अच्छी लगी तो सभी को ये फिल्म अच्छी लगे,
जिन्हें अच्छी नहीं लगी उनके नज़रिए का भी सम्मान है। और उनसे अनुरोध है कि वे भी दूसरों के ओपिनियन को थोड़ा टॉलरेट कर लें। और कोई पर्सनल कमेंट ना करें इस रिव्यू पर।
पुष्पा= झुकेगा नहीं साला
👍👊👏🙌
👊👊👊👊👊

एक युवक पुलिस की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गया।।🙄पुलिस अफसर ने उससे पूछा कि अगर सेब का दाम 150 रुपये किलो हैं तो 100 ग्...
05/12/2024

एक युवक पुलिस की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गया।।
🙄
पुलिस अफसर ने उससे पूछा कि
अगर सेब का दाम 150 रुपये किलो हैं तो 100 ग्राम सेब कितने के आएंगे।
😉
युवक की गणित कमज़ोर थी, मगर चतुराई भरपूर थी, बोला....,साहब अगर 100 ग्राम सेव के मुझें पैसे देने पड़े तो फ़िर पुलिस के सिपाही की नौकरी किस काम की...??
🙄
अफसर..... चलो मान लेते हैं, लेकिन अगर तुम्हारी पत्नी बाज़ार जाए तो 150 रुपए प्रति किलो के रेट से 100 ग्राम सेब उसे कितने का पड़ेगा ...
🙄
युवक बोला....अरे साहब, उसकी क्या बात करते हैं। अपनी पत्नी को मैं आपसे ज्यादा जानता हूं, 100ग्राम लेना है तो वो 100 ग्राम सेब का ही रेट पूँछेगी, पक्का...
😉
अफसर.... अच्छा चल ये भी माना मगर, अगर तेरा भाई यही लेने बाज़ार जाए तो…...
🙄
युवक.....उसकी बात मत करो साहब... वो किसी काम का नही, एक नम्बर का कामचोर है।
सारा दिन खाकर पड़ा रहता है।
😉
अफसर ने हार नहीं मानी, बोला....अगर तुम्हारा बाप सेब लेने जाए तो इस रेट के हिसाब से 100 ग्राम सेब का दाम क्या होगा..
🙄
अरे साहब, मेरे पिता के तो मुंह में दाँत ही नही बचे हैं,
मेरा बापू केला खाता हैं,
फ़िर न वो सेव खरीदेंगे औऱ न ही रेट पूछेंगे ।
😉
अफ़सर भी ढीठ था, फिर पूछ बैठा.....
अगर मजबूरी में घर पर कोई न हो औऱ तुम्हारी बहन सेव खरीदने बाजार जाए तो...
🙄
युवक....सर मैने उसकी शादी पांच साल पहले ही कर दी है,
अब वो जाने और बहनोई जाने.....
उनकी इच्छा..सेव ख़रीदे, लीची ख़रीदे, संतरा ख़रीदे, आम ख़रीदे.... मुझें उससे क्या......
और वैसे भी साहब, नौकरी मैं करूँगा या पूरा मेरा खानदान करेगा ....
😉
अफसर के सब्र का बांध अब टूटने लगा था.....
बहुत गुस्से में बोला....
🙄
भाई अगर कोई बिलकुल आम आदमी सेब लेने जाए तो 100 ग्राम सेब कितने का हुआ,
अब बताओ......
😉
युवक.....साहब आम आदमी को सेब खाने लायक सरकार औऱ हमारे सिस्टम ने छोड़ा ही कहाँ है, वो तो बेचारा नमक रोटी में परेशान है......
आम आदमी तो बस सेव का ठेला लगाता है और खास आदमी ही ख़रीद कर सेव खाता है......... 😁😁😁🙄
आप बता सकते हो बताओ

  कृपया वे दर्शक दूर रहे, जिन्होंने पुष्पा को पाँच मिनट देखकर बंद कर दिया था और ऐसे कंटेंट पसंद नहीं आते है और ओवर रेटेड...
05/12/2024



कृपया वे दर्शक दूर रहे, जिन्होंने पुष्पा को पाँच मिनट देखकर बंद कर दिया था और ऐसे कंटेंट पसंद नहीं आते है और ओवर रेटेड लगते है। सच कहूँ, उन्हें कतई अच्छी नहीं लगेगी। साथ ही टेलीग्राम पर देखने वालों को भी बढ़िया न लगनी है। खैर

लेखक-निर्देशक सुकुमार, एसएस राजमौली और प्रशांत नील की कतार में खड़े हो चले है। जिन्होंने बैक टू बैक अपने दर्शकों को मास एंटरटेनिंग सिनेमैटिक एक्सपीरियंस देकर ट्रेड को भी हैरान किया है। दरअसल, चार-पाँच साल किसी एक कंटेंट पर ध्यान केंद्रित करना बड़ा रिस्क है।

इन तीनों फ़िल्म मेकर्स में कॉमन सोच है कि इनके राइटिंग और स्क्रीन प्ले में कई ऐसे भव्य सीक्वेंस रहते है जो दर्शकों को अच्छा अनुभव देते है। दर्शक सीटियाँ और तालियाँ फेंकेंगे, इन लोगों को पूर्ण विश्वास होता है। इसी को फ़िल्म मेकिंग अनुभव कहते है, जो अपने दर्शक की डिमांड पहचान लें। पुष्पा-द रूल के स्क्रीन प्ले को दर्शकों की अपेक्षाओं के अनुरूप लिखा गया है। ये फ़िल्म मेकर्स उन दृश्यों को शामिल करने में जरा भी संकोच नहीं करते है, जो सनातनी परिवेश से आते है। बल्कि विशालकाय बनाते है। स्क्रीन प्ले बैलेंस बनाये रखता है।

म्यूजिक डायरेक्टर देवीश्री प्रसाद के बीजीएम में फ़िल्म के एक्शन सीक्वेंस और क्लाइमैक्स को देखिए, आम दर्शक की नब्ज को पकड़ते प्रतीत होंगे। तिस पर सिनेमेटोग्राफी फ़िल्म के स्केल को दर्शाती है। नो डाउट लेखक-निर्देशक सुकुमार ने तीसरी उम्मीदों को ज़िंदा रखा है।

हिंदी गीत के लिरिक्स बकवास है।
थप्पड़ मारूँगी, फ़िल्म के मूड में फिट है लेकिन हिंदी शब्द कन्वर्सिंग नहीं है।

पुष्पा का रूल अर्थात् पैन भारत में डार्लिंग प्रभास, यश गौड़ा के साथ अल्लू अर्जुन का नाम जुड़ गया है। अगर अभिनय के स्तर पर देखें न, अल्लू अर्जुन अव्वल स्थान पर खड़े है। महिषासुर मर्दिनी तांडव में अर्जुन के हाव-भाव और बॉडी लैंग्वेज अद्भुत है। इस किरदार में स्वयं को भूला दिए है, नृत्य हो या संहार बेहतरीन था। सांकेतिक सीक्वेंस भी सॉलिड रहा है।

हिंदी डबिंग में पर्दे के पीछे श्रेयस तलपड़े पुष्पा का स्टारडम लेंगे। वाकई अच्छी डबिंग की है।

अल्लू अर्जुन के शासन में फहाद फासिल यानी एसपी शेखावत ने ज़ोरदार टक्कर दी है और अपने अभिनय से सीक्वेंस में जान डाल दी है। लगता है सुकुमार ने पुष्पा को रोकने के लिए धाँसू कलाकार का चयन किया है। सॉरी और शर्त वाले सीक्वेंस को इतना इफेक्टिव बना दिया है मजा आ जाता है।

बाकी अन्य कलाकार ठीक है।

इतना तय है कि फ़िल्म का वर्ड ऑफ़ माउथ पॉजिटिव वेव में है और बॉक्स ऑफिस पर बवाल कटेगा।

मेरा मत है, साउथ ब्लॉक से तेलुगू और कन्नड़ फ़िल्म मेकर्स अपनी संस्कृति से जुड़े है और इनकी सफलता रहस्य यही है। इसलिए इन्हें कॉर्पोरेट बुकिंग का सहारा नहीं लेना पड़ता है। इनकी फ़िल्मों में सनातनी परिवेश वाले दृश्य बिग स्केल पर रखे जाते है। सलार में काली, पुष्पा में काली महिषासुर मर्दिनी, देवरा में फोक देवता, यानी अपनी जड़ों के कनेक्शन को दिखाने में पीछे नहीं रहते है।

पुष्पा सरीखे के मास कंटेंट मुझे अच्छे लगते है। जिसमें सिनेमा के सिनेमैटिक को दिखलाया जाता है।

#फ़िल्म

" #रत्ती" यह शब्द लगभग हर जगह सुनने को मिलता है। जैसे - रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं, रत्ती भर भी अक्ल ...
04/12/2024

" #रत्ती" यह शब्द लगभग हर जगह सुनने को मिलता है। जैसे - रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं, रत्ती भर भी अक्ल नहीं...!!

आपने भी इस शब्द को बोला होगा, बहुत लोगों से सुना भी होगा। आज जानते हैं 'रत्ती' की वास्तविकता, यह आम बोलचाल में आया कैसे?

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रत्ती एक प्रकार का पौधा होता है, जो प्रायः पहाड़ों पर पाया जाता है। इसके मटर जैसी फली में लाल-काले रंग के दाने (बीज) होते हैं, जिन्हें रत्ती कहा जाता है। प्राचीन काल में जब मापने का कोई सही पैमाना नहीं था तब सोना, जेवरात का वजन मापने के लिए इसी रत्ती के दाने का इस्तेमाल किया जाता था।

सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इस फली की आयु कितनी भी क्यों न हो, लेकिन इसके अंदर स्थापित बीजों का वजन एक समान ही 121.5 मिलीग्राम (एक ग्राम का लगभग 8वां भाग) होता है।

तात्पर्य यह कि वजन में जरा सा एवं एक समान होने के विशिष्ट गुण की वजह से, कुछ मापने के लिए जैसे रत्ती प्रयोग में लाते हैं। उसी तरह किसी के जरा सा गुण, स्वभाव, कर्म मापने का एक स्थापित पैमाना बन गया यह "रत्ती" शब्द।

रत्ती भर मतलब जरा सा ।

अक्सर लोग दाल या सब्जी में ऊपर से नमक डालते रहते हैं । पुराने समय में माँग हुआ करती थी - - रत्ती भर नमक देना । रत्ती भर का मतलब जरा सा होता है । अब रत्ती भर कोई नहीं बोलता । सभी जरा सा हीं बोलते हैं , लेकिन रत्ती भर पर आज भी मुहावरे प्रचलित हैं । "रत्ती भर" का वाक्यों में प्रयोग के कुछ नमूने देखिए --

1)तुम्हें तो रत्ती भर भी शर्म नहीं है ।

2)रत्ती भर किया गया सत्कर्म एक मन पुण्य के बराबर होता है.

3) इस घर में हमारी रत्ती भर भी मूल्य नहीं है ।

कुछ लोग" रत्ती भर " भी झूठ नहीं बोलते ।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस रत्ती की बात यहाँ हो रही है , वह माप की एक ईकाई है । यह माप सुनार इस्तेमाल करते हैं । पुराने जमाने जो माप तौल पढ़े हैं , उनमें रत्ती का भी नाम शामिल है । विस्तृत वर्णन इस प्रकार है -

8 खसखस = 1 चावल,
8 चावल = 1 रत्ती
8 रत्ती = 1 माशा
4 माशा =1 टंक
12 माशा = 1 तोला
5 तोला= 1 छटाँक
16 छटाँक= 1 सेर
5 सेर= 1 पंसेरी
8 पंसेरी= एक मन

हाँलाकि उपरोक्त माप अब कालातीत हो गये हैं , पर आज भी रत्ती और तोला स्वर्णकारों के पास चल रहे हैं । 1 रत्ती का मतलब 0.125 ग्राम होता है । 11.66 ग्राम 1 तोले के बराबर होता है । आजकल एक तोला 10 ग्राम होता है ।

इन सभी माप में रत्ती अधिक प्रसिद्ध हुई, क्योंकि यह प्राकृतिक रुप से पायी जाती है। रत्ती को कृष्णला, और रक्तकाकचिंची के नाम से भी जानी जाता है। रत्ती का पौधा पहाड़ों में पाया जाता है । इसे स्थानीय भाषा में गुंजा कहते है ।

रत्ती के बीज लाल होते हैं , जिसका ऊपरी सिरा काला होता है । सफेद रंग के भी बीज होते हैं , जिनके ऊपरी सिरे भी काले होते हैं । यह बीज छोटा बड़ा नहीं होता , बल्कि एक माप व एक आकार का होता है । प्रत्येक बीज का वजन एकसमान होता है । इसे आप कुदरत का करिश्मा भी कह सकते हैं ।

रत्ती के इस प्राकृतिक गुण के कारण स्वर्णकार इसे माप के रुप में पहले इस्तेमाल करते थे , शायद आजकल भी करते होंगे ।

रत्ती का उपयोग पशुओं के घावों में उत्पन्न कीड़ों मारने के लिए किया जाता है । यह खुराक के रूप में प्रयोग किया जाता है। एक खुराक में अधिकतम दो बीज हीं दिए जाते हैं । दो खुराक दिए जाने पर घाव ठीक हो जाता है ।

रत्ती के बीज जहरीले होते हैं । इसलिए ये खाए नहीं जाते । इनकी माला बनाकर माएँ अपने बच्चों को पहनाती हैं । ऐसी मान्यता है कि इसकी माला बच्चों को बुरी नज़रों से बचाती है ।

प्रीव्यू ऑफ़ पुष्पा-द रूलपुष्पा हिंदी में अबतक की बड़ी रिलीज़ ले रही है, हिंदी के लिए 4500 स्क्रीन काउंट है। तो वही 2500...
04/12/2024

प्रीव्यू ऑफ़ पुष्पा-द रूल

पुष्पा हिंदी में अबतक की बड़ी रिलीज़ ले रही है, हिंदी के लिए 4500 स्क्रीन काउंट है। तो वही 2500-3000 के साथ साउथ ब्लॉक में रिलीज़ होगी। इतना ही ओवरसीज़ में जाएगी।

फ़िल्म के एडवांस बुकिंग को देखते हुए, फ़िल्म निर्माताओं ने पुष्पा-3 पाइप लाइन में रख ली है और फ़िल्म को पुष्पा-रैंपेज टाइटल दिया है। इसमें अल्लू अर्जुन के साथ विजय देवरकोंडा स्क्रीन शेयर करेंगे।

पैन भारत एडवांस में 60 करोड़ बुक हो चुके है अभी कल का दिन बाकी है। वर्ल्ड वाइड 90 करोड़ है। पैन भारत 80 करोड़ होगा।

अब ट्रेड सोच रहा है कि पुष्पा का वर्ड ऑफ़ माउथ पॉजिटिव बैठ गया तो पुष्पा कितना तबाही मचाएगा। इतिहास में दर्ज होगा।

पुष्पा के तांडव से बॉलीवुड ज़्यादा सदमे में है। फिर से साउथ की सुनामी तैयार है।

मुनस्यारीमुनस्‍यारी एक खूबसूरत हिल स्‍टेशन है। यह उत्‍तराखण्‍ड में जिला पिथौरागढ़ का सीमांत क्षेत्र है जो एक तरफ तिब्‍बत...
07/11/2024

मुनस्यारी
मुनस्‍यारी एक खूबसूरत हिल स्‍टेशन है। यह उत्‍तराखण्‍ड में जिला पिथौरागढ़ का सीमांत क्षेत्र है जो एक तरफ तिब्‍बत सीमा और दूसरी ओर नेपाल सीमा से लगा हुआ है। मुनस्‍यारी चारो ओर से पर्वतो से घिरा हुआ है। मुनस्‍यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला का विश्‍व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) जिसे किवदंतियो के अनुसार पांडवों के स्‍वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है, बाई तरफ नन्‍दा देवी और , दाई तरफ डानाधार जो एक खूबसूरत पिकनिक स्‍पॉट भी है और पीछे की ओर खलिया टॉप है।
काठगोदाम, हल्‍द्वानी रेलवे स्‍टेशन से मुनस्‍यारी की दूरी लगभग 290 किलोमीटर है और नैनीताल से 265 किलोमीटर है। काठगोदाम से मुनस्‍यारी की यात्रा बस अथवा टैक्‍सी के माध्‍यम से की जा सकती है और रास्‍ते में कई खूबसूरत स्‍थल आते है। काठगोदाम से चलने पर भीमताल, जो कि नैनीताल से मात्र 10 किलोमीटर है, पड़ता है उसके बाद वर्ष भर ताजे फलों के लिए प्रसिद्ध भवाली है, अल्‍मोड़ा शहर और चितई मंदिर भी रास्‍ते में ही है। अल्‍मोड़ा से आगे प्रस्‍थान करने पर धौलछीना, सेराघाट, गणाई, बेरीनाग और चौकोड़ी है। बेरीनाग और चौकोड़ी अपनी खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां से आगे चलने पर थल, नाचनी, टिमटिया, क्‍वीटी, डोर, गिरगॉव, रातापानी और कालामुनि आते है। कालामुनि पार करने के बाद आता है मुनस्‍यारी, जिसकी खूबसूरती अपने आप में निराली है।
वैसे तो मुनस्‍यारी का मौसम पूरे साल भर खुशनुमा रहता है किन्‍तु अप्रैल से मई और सितम्‍बर से नवम्‍बर तक भ्रमण योग्‍य है। मुनस्‍यारी में वर्ष के चारों ऋतुओं का आनन्‍द लिया जा सकता है। बसंत ऋतु में यहां की छटा देखने लायक होती है। जुलाई और अगस्त में यहां काफी बारिश होती है जिससे कभी-कभी रास्‍ते ब्‍लॉक हो जाते है। दिसंबर से फरवरी तक बर्फ-बारी का मजा ले सकते है।
मुनस्‍यारी में ठहरने के लिए काफी होटल, लॉज और गेस्‍ट हाउस है। गर्मी के सीजन में यहां के होटल खचाखच भरे रहते है इसलिए इस मौसम में वहां जाने से पहले ठहरने के लिए कमरे की बुकिंग जरूर करा लेना चाहिए क्‍योंकि इस समय में यहां पर देसी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ बहुत अधिक बढ़ जाती है। विदेशी पर्यटक यहां खासकर ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग के लिए आते है।
मुनस्‍यारी के निवासी काफी सरल है और उनका रहन-सहन भी काफी सीधा है। लोग पहाड़ी (स्‍थानीय बोली) बोलते है और हिन्‍दी भाषा का प्रयोग भी करते है।

Address

Bandra
Mumbai

Opening Hours

Monday 9am - 5pm
Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Saturday 9am - 5pm

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Mayank shukla posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Mayank shukla:

Videos

Share