Life Notes

Life Notes Don’t hate anyone. But distance yourself from people who do not value you.. सर्बे भवन्तु सुखिन: सर्बे सन्तु निरामया

21/04/2024

With discipline, you'll pay the bills.
Today and sabar for tomorrow.
Kartikeya Bhargava

13/04/2024

“जितना दिखाते हो उससे ज़्यादा पाओ, जितना जानते हो उससे कम बोलो।”

- विलियम शेक्सपियर

07/04/2024

हर दिन हर बात नहीं होती!
मिलता है पर मुलाकात नहीं होती.
आता है , सीधे चला जाता है.
देखता है नजर झुकाता है .
मैं भी चाहता हूं वह भी चाहता है .
लेकिन इससे क्या होता है ?
अब वो बात नहीं होती!
Life Notes

07/04/2024
05/04/2024

आप जिस तरह बोलते हैं, बातचीत करते हैं, उसी तरह लिखा भी कीजिए। भाषा बनावटी नहीं होनी चाहिए।

— महावीर प्रसाद द्विवेदी

05/04/2024

मनुष्य की सबसे बड़ी विडम्बना !
उसे झूठी तारीफ़ सुनकर बर्बाद होना तो पसंद है, पर सच्ची आलोचना सुनकर संभलना पसंद नहीं !
My Tirth India

02/04/2024

पद ,पैसा ,प्रसिद्धि मिलने से इंसान की चाल बदल जाती है …और ये तीनों इतने चंचल हैं कि जैसे आते हैं वैसे ही चले जाते हैं ..
इनके आने जाने की चाल बराबर होती है ..धीरे धीरे आते हैं तो धीरे धीरे जाते हैं ..
जल्दी आते हैं तो उससे जल्दी जाते हैं ..

01/04/2024

बहुत समय पहले दिल्ली से गोवा की उड़ान में एक सज्जन मिले।
साथ में उनकी पत्नि भी थीं।
सज्जन की उम्र करीब 80 साल रही होगी। मैंने पूछा नहीं लेकिन उनकी पत्नी भी 75 पार ही रही होंगी।
उम्र के सहज प्रभाव को छोड़ दें, तो दोनों करीब करीब फिट थे
पत्नी खिड़की की ओर बैठी थींसज्जन बीच में और
मै सबसे किनारे वाली सीट पर था।
उड़ान भरने के साथ ही पत्नी ने कुछ खाने का सामान निकाला और पति की ओर किया। पति कांपते हाथों से धीरे-धीरे खाने लगे।
फिर फ्लाइट में जब भोजन सर्व होना शुरू हुआ तो उन लोगों ने राजमा-चावल का ऑर्डर किया।
दोनों बहुत आराम से राजमा-चावल खाते रहे। मैंने पता नहीं क्यों पास्ता ऑर्डर कर दिया था। खैर, मेरे साथ अक्सर ऐसा होता है कि मैं जो ऑर्डर करता हूं, मुझे लगता है कि सामने वाले ने मुझसे बेहतर ऑर्डर किया है।
अब बारी थी कोल्ड ड्रिंक की।
पीने में मैंने कोक का ऑर्डर दिया था।
अपने कैन के ढक्कन को मैंने खोला और धीरे-धीरे पीने लगा।
उन सज्जन ने कोई जूस लिया था।
खाना खाने के बाद जब उन्होंने जूस की बोतल के ढक्कन को खोलना शुरू किया तो ढक्कन खुले ही नहीं।
सज्जन कांपते हाथों से उसे खोलने की कोशिश कर रहे थे।
मैं लगातार उनकी ओर देख रहा था। मुझे लगा कि ढक्कन खोलने में उन्हें मुश्किल आ रही है तो मैंने शिष्टाचार हेतु
कहा कि लाइए...
" मैं खोल देता हूं।"सज्जन ने मेरी ओर देखा, फिर मुस्कुराते हुए कहने लगे कि...

"बेटा ढक्कन तो मुझे ही खोलना होगा।

मैंने कुछ पूछा नहीं,
लेकिन
सवाल भरी निगाहों से उनकी ओर देखा।

यह देख, सज्जन ने आगे कहा

बेटाजी, आज तो आप खोल देंगे।

लेकिन अगली बार..?
कौन खोलेगा.?

इसलिए मुझे खुद खोलना आना चाहिए।

पत्नी भी पति की ओर देख रही थीं।

जूस की बोतल का ढक्कन उनसे अभी भी नहीं खुला था।

पर पति लगे रहे और बहुत बार कोशिश कर के उन्होंने ढक्कन खोल ही दिया।

दोनों आराम से
जूस पी रहे थे।

मुझे दिल्ली से गोवा की इस उड़ान में
*ज़िंदगी का एक सबक मिला।*
सज्जन ने मुझे बताया कि उन्होंने..
ये नियम बना रखा है,

कि अपना हर काम वो खुद करेंगे।
घर में बच्चे हैं,
भरा पूरा परिवार है।

सब साथ ही रहते हैं। पर अपनी रोज़ की ज़रूरत के लिये
वे सिर्फ पत्नी की मदद ही लेते हैं, बाकी किसी की नहीं।

वो दोनों एक दूसरे की ज़रूरतों को समझते हैं
सज्जन ने मुझसे कहा कि जितना संभव हो, अपना काम खुद करना चाहिए।

एक बार अगर काम करना छोड़ दूंगा, दूसरों पर निर्भर हुआ तो समझो बेटा कि बिस्तर पर ही पड़ जाऊंगा।

फिर मन हमेशा यही कहेगा कि ये काम इससे करा लूं,

वो काम उससे।

फिर तो चलने के लिए भी दूसरों का सहारा लेना पड़ेगा।

अभी चलने में पांव कांपते हैं, खाने में भी हाथ कांपते हैं, पर जब तक आत्मनिर्भर रह सको, रहना चाहिए।

हम गोवा जा रहे हैं,
दो दिन वहीं रहेंगे।

हम महीने में
एक दो बार ऐसे ही घूमने निकल जाते हैं।

बेटे-बहू कहते हैं कि अकेले मुश्किल होगी,

पर उन्हें कौन समझाए
कि
मुश्किल तो तब होगी
जब हम घूमना-फिरना बंद करके खुद को घर में कैद कर लेंगे।
पूरी ज़िंदगी खूब काम किया। अब सब बेटों को दे कर अपने लिए महीने के पैसे तय कर रखे हैं।

और हम दोनों उसी में आराम से घूमते हैं।

जहां जाना होता है एजेंट टिकट बुक करा देते हैं। घर पर टैक्सी आ जाती है। वापिसी में एयरपोर्ट पर भी टैक्सी ही आ जाती है।

होटल में कोई तकलीफ होनी नहीं है।

स्वास्थ्य, उम्रनुसार, एकदम ठीक है।

कभी-कभी जूस की बोतल ही नहीं खुलती।

पर थोड़ा दम लगाओ,
तो वो भी खुल ही जाती है।
--------------
मेरी तो आखेँ ही
खुल की खुली रह गई।

मैंने तय किया था
कि इस बार की
उड़ान में लैपटॉप पर एक पूरी फिल्म देख लूंगा।
पर यहां तो मैंने जीवन की फिल्म ही देख ली।

एक वो फिल्म जिसमें जीवन जीने का संदेश छिपा था।

“जब तक हो सके,
आत्मनिर्भर रहो।”
अपना काम,
जहाँ तक संभव हो,
स्वयम् ही करो।

01/04/2024

दांत टूथपेस्ट और ब्रश से साफ हो जाते हैं
तन साबुन और पानी से धुल जाता है
मैं इस खोज में लगा हुआ हूं
कि दिमाग में भरा कचरा कैसे साफ होगा?

जो कुछ पढ़ा सुना और सीखा
वह सब परत दर परत एकत्रित है
मेरी खोपड़ी में.
नखरीली अदाएं
पथरीली समझ
जहरीली सोच
मचमचाकर सब सवार हैं
मेरी खोपड़ी में.

मैं दुखी हो गया हूं
यह बोझ अब मुझे सहन नहीं होता
मैं अपनी खोपड़ी को खाली करना चाहता हूँ
लेकिन रोज कोई कुछ न कुछ कचरा और लाकर भर जाता है
खाली होने की गति धीमी है
जबकि भरने की तेज.

कोई तो उपाय होगा
या इसी तरह जीवन भर बोझ उठाए मुझे जीना होगा?

पतझड़ मौसम आया है
वृक्ष हल्के हो गए हैं
नई कोंपले फूट रही हैं
उन्हें देखकर मैं पुलकित हूँ
संभवतः मेरा समय आने वाला है
लेकिन प्रतीक्षा असहनीय हो रही है
कब आओगे मेरे पतझड़?

01/04/2024

जितना आप चुप रहेंगे उतना ज्यादा सुनेंगे और जितना ज्यादा सुनेंगे उतना ही ज्यादा सीखेंगे !!
Kartikeya Bhargava

01/04/2024

बर्तन को बाहर से कम और अंदर से ज्यादा धोना पड़ता है इसी का नाम जिंदगी है

01/04/2024

अकेले में किया गया अभ्यास ही समाज में प्रशंसा का कारण बनता है।

01/04/2024

फासले बढ़ते हैं तो गलतफहमियां भी बढ़ जाती है फिर वह भी सुनाई देने लगते हैं जो कभी कहा ही नहीं गया हो!!

31/03/2024

वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता,
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता.!!

बुरे अच्छे हों जैसे भी हों सब रिश्ते यहीं के हैं,
किसी को साथ दुनिया से कोई ले कर नहीं जाता.!!

घरों की तर्बियत क्या आ गई टीवी के हाथों में,
कोई बच्चा अब अपने बाप के ऊपर नहीं जाता..!!

खुले थे शहर में सौ दर मगर इक हद के अंदर ही,
कहाँ जाता अगर मैं लौट के फिर घर नहीं जाता..!!

मोहब्बत के ये आँसू हैं इन्हें आँखों में रहने दो,
शरीफ़ों के घरों का मसअला बाहर नहीं जाता.!!

'वसीम' उस से कहो दुनिया बहुत महदूद है मेरी,
किसी दर का जो हो जाए वो फिर दर दर नहीं जाता.!!

31/03/2024

जमीन में रेंग रेंग के पलने वाला साँप तो कभी कभी इंसान को छोड़ देता है!
लेकिन आँस्तीन में पलने वाले साँप तो अपनों को डंस लेते है!
#अरस्तु

31/03/2024

पतझड़ में ही रिश्तो की फरख होती है बारिश में तो हर पत्ता हरा ही नजर आता!!

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408, BOOMERANG BUILDING, CHANDIVALI FARM Road, BESIDE SHIV TEMPLE, CHANDIVALI POWAI ANDHERI EAST MUMBAI 400072
Mumbai
40072

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