27/06/2022
लोकतंत्र में सत्ता पर काबिजी षडयंत्र , लोकतंत्र को दूषित करते हैं
- नरेन्द्र सिंह तोमर "आनंद"
चाहे मध्य प्रदेश हो या महाराष्ट्र या अन्य कोई भी राज्य , पदस्थ सत्ता और सी एम को अपदस्थ कर , अन्य किसी जोड़ तोड़ के जरिये , किसी को सी एम बनाना या सत्ता में पदस्थ कर देना , एक घिनौना और तुच्छ किस्म की षडयंत्र प्रैक्टिस है ।
आपके पास जब चंद या अधिक विधायक हों तो आप मगरूर होकर इस तुच्छ घिनौने खेल को खेलते हैं तो आपका ओछापन और नीचता व निकृष्टता का सर्टीफिकेट आप खुद बांटते फिरते हैं ।
आपमें और मुगल आक्रांताईयों तथा अंग्रेजों में कोई फर्क नहीं रह जाता ।
मुगलों ने जो किया - बलपूर्वक मद और अहंकार से मगरूर होकर लोगों को अपदस्थ किया , उनके राज्य हड़पे और अपने खास खिदमतगार चमचे सत्तानशीं किये ।
अंग्रेजों ने जो किया , फूट डालो और राज करो , इधर से तोड़ो और उधर से तोड़ो , इसमें फूट डालो , उसमें फूट डालो और इस फूट में से अपने भक्त , अपने खिदमतगार चमचे इकठ्ठे करो और कैसे भी करो राज हड़पो ।
आपकी सारी संभावनायें और समस्त प्रयास सफल हो सकते हैं , क्योंकि आप मुगल हैं , मुगलों के सिद्धांत नीति नियम और रिवाज परंपरायें अपनाने और पालन करने वाले वर्णसंकर दोगले वंशज हैं , आप समय के बली और वक्त के बलवान हैं , आपके यहां रिवाज है कि उसने बाप को कैद कर सत्ता हासिल की तो उसके बेटे ने अपने बाप को मारकर सत्ता हासिल की अंतत: न उनका अंश बचा न वंश , सत्ता तो बहुत दूर की बात है ।
हमने पहले भी लिखा था कि अकबर बनना आसान है मगर महाराणा प्रताप बनना बेहद कठिन है या असंभव है ।
आप अकबर हैं यह तो आपने साबित कर दिया , मगर अकबर को खैर मनाना चाहिये कि किसी महाराणा प्रताप या राजा रामशाह सिंह तोमर से उसका पाला नहीं पड़ जाये , वरना मान सिंह और जय सिंह (जयपुर राज परिवार - भाजपा विधायक दीया कुमारी के पुरखे ) के साथ रहते हुये भी सारी जिंदगी मलाल रहेगा कि , एक था जिसने सिर नहीं झुकाया , एक था जिसे हरियाणा से मालवा तक की सल्तनत ऑफर की मगर वह अपने तीन बेटों एक नाती के साथ हल्दीघाटी मे रक्त तलैया रक्त से भरकर , ऑफर ठुकरा कर वीरगति पाकर हर भारतवासी का सिर फख्र से ऊंचा कर चला गया ।
इस देश में मान सिंह कछवाहा और जय सिंह कछवाहा बहुत हैं , हर विधायक मान सिंह और जय सिंह बनने को बैचैन और तैयार है , वे अपनी बहिन बिटिया तो क्या , अपनी बीवी को भी नगर वधू बना कर अकबर को सौंप देंगें , मगर उनके पास महाराणा प्रताप की वह शान और खुद्दारी नहीं मिलेगी , महाराणा प्रताप के ही वंशज छत्रपति शिवाजी (भोंसले -सिसोदिया) की वह तेजस्विता और न्याय धर्म की तड़प और गर्व से और शान से ऊंचा तना हुआ सिर और सीना नहीं मिलेगा , मान सिंह और जय सिंह का ऐश्वर्य और वैभव बहुत मिलेगा कालगर्लों और पुरूष वैश्याओं की तरह , मगर वो रूतबा और रूआब उनसे करोड़ कोस दूर होगा ।
अंग्रेजों के वंशज भी वर्णसंकर होकर , इस देश मे़ बसते हैं , चाहे वह रक्त से उनके वंशज हों या न हों , मगर आचार विचार , व्यवहार से , संस्कारो़ और रणनीति तथा राजनीति से उनके वंशज सौलह आना मुकम्मल हैं ।
सबमें फूट डालो , हिंदू मुसलमान लड़ा दो , देश के भीतर ही हर शहर में हिंदुस्तान और पाकिस्तान बना दो , आदिवासीयों को भारतवासी मत रहने दो , उनकी एक अलग कौम और एक अलग जाति और एक अलग पहचान बना दो , वे किसी तरह भी अन्य सभी लोगों में मिलजुल नहीं जायें और उनका अलग से ही छेका हुआ , समाज का बहिष्कृत समुदाय , और नीच जाति ओछी जाति का तमगा उन पर चिपका रहना चाहिये , उन्हें इसका अहसास हमेशा रहना चाहिये , गरीब जिंदा रहना चाहिये जिससे उन्हें अपनी गरीबी और कमजोरी का अहसास बना रहना चाहिये , महिला को अपने पति से और पुरूषों से पृथक होने , उनके समान या बराबरी का नहीं बल्कि पृथकता का अहसास होना चाहिये , उन्हें आपस में मिल कर नहीं रहना चाहिये , उन्हें यह नहीं लगना चाहिये कि भारत में बीवी को पद हमेशा मुफ्त में मिलता है , मसलन कंडक्टर की बीवी को लोग अपने आप कंडक्टराइन , प्रोफेसर की बीवी को प्रोफेसरनी , डाक्टर की बीवी को बिना एम बी बी एस करे ही लोग डाक्टरनी कहने लगते हैं , मास्टर की बीवी मास्टराइन , चौधरी की बीवी चौधराइन , ठाकुर की बीवी ठकुराइन, पंडित की बीवी पंडिताइन , सरपंच की बीवी सरपंचाइन , राष्ट्रपति की बीवी राषट्रपताइन अपने आप बन जातीं हैं ।
महिलाओं को इस देश में जहां अपने आप पद मिलते रहे हैं तो उनके प्रमोशन भी अपने आप होते हैं ।
मगर अब दिक्कत ये है कि अगर बीवी टी आई हो तो उसके हस्बै़ड को क्या कहें , बीवी डाक्टर है तो उसके हस्बैंड को क्या कहें वगैरह वगैरह , कहां गयी समानता ओर कहां गया बराबरी का अधिकार , कुल मिला कर मतलब साफ है कि भारत मे़ यह मुमकिन नहीं जो अकबर महाराज लोग यहां कर रहे हैं या करना चाहते हैं ।
सयपंच बन जाएं चाहे मेयर , काम खसम से ही पड़ेगा जनता को ।
अंग्रेजो़ ने राजाओं में , दरबारियों मे़ , क्रांतिकारीयों मे ,जागीरदारों में फूट डालने का काम करके राज किया , मगर आज के अंग्रेज तो घरों में , समाज में , जातियों में , धर्म में , वर्गों में समुदायों में सबमें फूट डालने का काम कर चुके है , सबको सबका दुश्मन और विरोधी बना चुके है, बीवी वोट अगर एक पार्टी को दे तो पति दूसरी पार्टी को , बेटा तीसरी पार्टी को बहू चौथी पार्टी को और बेटी पांचवीं पार्टी को वोट दे , अगर किसी ने भी कह दिया कि हम सब मिलकर एक ही आदमी को वोट देंगें , तो आपस में ही सबमें मारपीट हो जायेगी और मामला पुलिस और कोर्ट तक पहुंच जायेगा । सब अकबर लोगों की सोच और संस्कार की देन है भारत को , सब घर बर्बाद कर दिये हैं इन अकबर अंग्रेज नेताओं ने । बस केवल पति पत्नी का बिस्तर बचा है , जहां रोज लड़ाई और राजीनामा बिना अदालत रोज ही होते हैं , देखते हैं ये अंग्रेज अकबर कब उस बिस्तर का भी बंटवारा और आरक्षण करते हैं ।
कुल मिला कर ये जो चल रहा है न देश मे अकबर , मुगलों और अंग्रेजों वाला खेल , बेफिक्र रहिये, आपका नाम लेवा और पानी देवा भी इस भारत देश में खोजे खोजे नहीं मिलेगा , आने वाले समय में आपकी वो हालत होने वाली है कि जो मुगलों और अ़ग्रेजों का इस देश में हुआ ,नाम निशान तक मिट जायेगा , इतिहास में आपका वह स्थान होगा जो आज मुगलों का और अंग्रेजों का है ।
- नरेन्द्र सिंह तोमर "आनंद"