30/09/2024
अब दुर्गापूजा आने ही वाली है.
जिसमें हम में से अधिकांश घरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है.
हमारे उसी दुर्गा सप्तशती में माँ काली का वर्णन आता है.
और, मूर्तियों में माँ काली को सामान्यतः गले में मुंड माला, एक हाथ में खप्पर तथा दूसरे हाथ के खड्ग लिए एक राक्षस का वध करते हुए दर्शाया जाता है.
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि... वो राक्षस असल में कौन था जिसका वध वे कर रही हैं...?
असल में वो राक्षस "रक्तबीज" था.
सच कहूँ तो इस रक्तबीज का चरित्र मुझे हमेशा से बेहद रहस्यमय लगता रहा है.
क्योंकि, रक्तबीज को ये वरदान था कि यदि उसपर हमला किया गया तो उसके रक्त की जितनी भी बूंद धरती पर गिरेगी... उतना ही रक्तबीज और पैदा हो जाएगा.
देखा जाए तो ये ऐसा वरदान था जो उसके वध को असंभव बनाता था.
लेकिन, आश्चर्य की बात ये थी कि... अपनी ऐसी अमरता का वरदान हासिल करने के बाद भी वो कहीं का राजा नहीं था..
बल्कि, वो राक्षस राज शुम्भ-निशुम्भ का एक प्यादा मात्र था.
ये रहस्य मुझे काफी दिनों तक समझ नहीं आया कि...जब रक्तबीज इतने यूनिक वरदान से लैस था तो फिर भी वो कहीं का राजा क्यों नहीं था ?
क्योंकि, उसके अलावा हिरणकश्यपु, रावण आदि तो इससे कमतर वरदान के बाद भी अपने-अपने समय के राजा ही थे.
खैर, रक्तबीज के ऐसे वरदान के कारण उसे मारना लगभग असंभव था...
क्योंकि, देवताओं द्वारा उस पर प्रहार किए जाते ही उसके गिरे रक्त से कई रक्तबीज पैदा हो जाया करते थे..!
अंततः, देवताओं ने माँ दुर्गा से उसके वध की प्रार्थना की और फिर माँ दुर्गा ने काली का रूप लेकर उस रक्तबीज का संहार किया.
और, ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि... माँ काली ने रक्तबीज का संहार करते समय एक हाथ में खप्पर रखा तथा उसके भूमि पर गिरते रक्त के हर बून्द को उसी खप्पर में लेकर पी गई.
सच कहूँ बचपन में मुझे रक्तबीज का उसके रक्त के गिरते हर बून्द से नया रक्तबीज बन जाने की कहानी रोमांचित तो करती थी...
लेकिन, ये सच्चाई से दूर किसी साइंस फ्रिक्शन मूवी की तरह लगती थी.
इसके अलावा एक बात मुझे ये भी कभी समझ नहीं आया था कि आखिर ब्रह्मा-विष्णु-महेश तक उसका वध क्यों नहीं कर पा रहे थे ?
क्योंकि, देवो के देव महादेव तो स्वयं ही महाकाल कहे जाते हैं.
तो, फिर वे भी उस रक्तबीज के संहार में फेल कैसे हो जा रहे थे ?
इन सारे सवालों के जबाब मुझे दशकों बाद इराक के विध्वंस के बाद 2012 के आसपास मिल पाया.
2010-12 के आसपास जब इराक और सीरिया में ISIS के जे हादी ईस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए कत्लेआम मचा रहे थे..
तो, यजीदी लड़कियों ने उनसे लड़ने के लिए अपनी एक सेना बनाई थी.
और, मैं यह देखकर हैरान था कि उन यजीदी लड़कियों की सेना को देखते ही ISIS के जेहा दियों में भगदड़ मच जाती थी...
और, कोई भी जे हादी उन लड़कियों से लड़ना नहीं चाहता था.
इस तरह उन लड़कियों ने ISIS जेहा दियों में एक तरह की दहशत पैदा कर दी थी.
इसका कारण मालूम करने पर पता चला कि... आसमानी किताब के अनुसार अगर कोई जे हादी जलकर या फिर किसी स्त्री के हाथों मारा जाता है तो फिर वो जन्नत अथवा हूर पाने के लिए पात्रता खो देता है.
ये महजबी राज जानते ही मुझे समझ आ गया कि माँ काली, माँ दुर्गा का क्या महत्व रहा होगा.
और, साथ ही मुझे रक्तबीज के उस वरदान का रहस्य एवं उसके राजा न होकर महज प्यादा रहने का कारण भी समझ आ गया.
क्योंकि, इस समय भी हम सब ये देखते हैं कि जैसे ही किसी जे हादी को मार दिया जाता है तो फिर उसके इनकॉउंटर अथवा गिरफ्तारी को मधरसे एवं मुसरिम मुहल्लों में इसे दीन के लिए दी गई कुर्बानी अथवा शहीदी के तौर पर प्रचारित किया जाता है.
जिससे, उसी के समान या फिर उससे भी ज्यादा खतरनाक नए 20-50 जे हादी और तैयार हो जाते हैं.
आखिर, यही तो था ""रक्तबीज का वरदान"" कि उसके शरीर का जितना बून्द रक्त जमीन पर गिरेगा उसके उतने की क्लोन पैदा होते जाएँगे..
जिस तरह आज इन जे हादियों के हो रहे हैं.
और चूँकि... ये जे हादी कोई नेता या राष्ट्र प्रमुख न होकर छोटे-मोटे गरीब लोग होते हैं...
इसीलिए, हमारे धर्मग्रंथों में भी इस रक्तबीज को कहीं का राजा नहीं बल्कि सिर्फ एक प्यादा ही बताया गया है.
साथ ही, यही वो कारण था जिस कारण कोई भी देवता ... यहाँ तक कि, सर्वशक्तिशाली ब्रह्मा, विष्णु, महेश तक उसका वध नहीं कर पा रहे थे..
और, माँ काली को उसके वध के लिए मैदान में आना पड़े.
यहाँ, रक्तबीज के खून को खप्पर में लेकर पी जाने से तात्पर्य ये है कि.... आसमानी किताब के अनुसार एक महिला के हाथों मारे जाने के कारण उसको न जन्नत मिलना था और न हूर.
जिस कारण, उसके मरने के बाद भी नए जे हादी पैदा होना बंद हो गए या फिर उनमें हड़कंप मच गया क्योंकि किसी महिला के हाथों मर कर कोई भी जे हादी अपना जन्नत और हूर कैंसिल नहीं करवाना चाहता था.
कारण कि... जेहादी बनने का मुख्य उद्देश्य ही तो जन्नत और हूर था.
इस पूरी कहानी का तत्पर्य ये है कि... आज हम जो देश और दुनिया में जो होता देख रहे हैं वो सब कुछ नया नहीं है..
बल्कि, हमारे पूर्वज ये सब पहले भी झेल चुके हैं और उन्होंने इससे निपटने के बाद इसकी पूरी कथा हमारे लिए रेफरेंस के लिए छोड़ रखी है..
ताकि, दुबारा यदि इसी तरह की कोई समस्या आये तो हम भी उनके अनुभव से लाभ उठाते हुए उनसे आसानी से निपट सकें.
लेकिन, हमारी मुसीबत यही है कि... हम अपने धर्मग्रंथों को समझने अथवा सीखने के लिए नहीं पढ़ते हैं.
बल्कि, सुबह नहा धो कर पूण्य कमाने के उद्देश्य से पढ़ते हैं इसीलिए, उससे कुछ सीख नहीं पाते हैं..
और, विपरीत परिस्थिति देखते ही घबड़ा जाते हैं।
जबकि, हमारी हर समस्या का समाधान हमारे धर्मग्रंथों में ही लिखित है..!
जय माँ काली...🔱
जय महाकाल...🔱🚩
#साभार सनातनी साधना सनातनी 🙏