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03/02/2025

संघ का राजनीति से क्या सम्बन्ध है?

प्रयागराज महाकुम्भ में बसंत पंचमी का अमृत स्नान
03/02/2025

प्रयागराज महाकुम्भ में बसंत पंचमी का अमृत स्नान

‘एक राष्ट्र, एक नाम – भारत’ विषय़ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजनमहाकुम्भ नगर, प्रयागराज। “न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद...
02/02/2025

‘एक राष्ट्र, एक नाम – भारत’ विषय़ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। “न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते”, जिसका अर्थ है “इस दुनिया में ज्ञान के समान कुछ भी पवित्र नहीं है।” श्रीमद्भगवद् गीता के श्लोक से प्रेरित होकर, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास 10 जनवरी, 2025 से 10 फरवरी, 2025 तक महाकुम्भ में ‘ज्ञान महाकुम्भ’ का आयोजन कर रहा है।

ज्ञान महाकुम्भ के तहत आज 01 फरवरी, 2025 (शनिवार) को अपने राष्ट्र को ‘भारत’ के बजाय ‘इंडिया’ कहने की प्रासंगिकता के संबंध में एक महत्वपूर्ण बौद्धिक चर्चा आयोजित की गई। देश भर के प्रतिष्ठित विद्वानों और विचारकों ने ‘इंडिया’ शब्द का पुरजोर विरोध किया।

उद्घाटन भाषण में, डॉ. मोतीलाल गुप्ता ने कहा कि ‘इंडिया’ केवल एक नाम है, जबकि ‘भारत’ एक भावना है, हमारे पूर्वजों की विरासत है और पूरे ब्रह्मांड का प्रतिबिंब है।

मुख्य अतिथि, एम गुरु जी ने “भारत माता की जय” के नारे के साथ सभा को ऊर्जावान किया। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “यह भारत है, हम भारतीय हैं, और हमें केवल भारत की परवाह है। हमारा ‘इंडिया’ शब्द से कोई संबंध नहीं है और हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”

आनंद स्वरूप सरस्वती जी महाराज ने न केवल ‘भारत’ के लिए अपना अटूट समर्थन व्यक्त किया, बल्कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली के प्रति अपना असंतोष भी व्यक्त किया। उन्होंने टिप्पणी की, “भारत में विदेशी-प्रभावित स्कूली शिक्षा पर अरबों खर्च करना पूरी तरह से अनुचित है। हमें अपने देश में गुरुकुल परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहिए।”

जनता की आवाज़ फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सुंदरलाल बोथरा ने ‘इंडिया’ नाम के सभी औचित्य को खारिज कर दिया। उन्होंने तर्क दिया, “अगर हम हीरालाल को ‘डायमंड’ नहीं कह सकते, तो हमें भारत को ‘इंडिया’ क्यों कहना चाहिए? अनुवादों की अपनी सीमाएँ होनी चाहिए।”

साध्वी समदर्शी गिरी जी ने मैकाले की शिक्षा प्रणाली की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “जब तक हम मैकाले की शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से जड़ से नहीं उखाड़ फेंकते, तब तक ‘इंडिया’ शब्द बना रहेगा। हमें अपनी भाषा और अपने राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए और इसके गौरवशाली भविष्य में शाश्वत रूप से योगदान देना चाहिए।”

आईआईआईटी के निदेशक मुकुल सुतावने जी ने बताया कि “एक क्रांतिकारी कदम के तहत, हमारे संस्थान ने अब अपने आधिकारिक लेटरहेड में ‘इंडिया’ के साथ ‘भारत’ का प्रमुखता से उपयोग करना शुरू कर दिया है।”

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा, “विदेशी प्रभाव हमारे राष्ट्र में गहराई से जड़ जमा चुका है। इसलिए, हमें धीरे-धीरे ‘भारत’ को अपने दैनिक उपयोग में अपनाना होगा। यदि आप एक बार ‘इंडिया’ कहते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप इसके साथ ‘भारत’ कहें। आइए हम हर संभव प्रयास से अपने भारत को मजबूत करें।”

प्रख्यात उद्योगपति घेवरचंद वोरा जी ने कहा, “हमारा व्यवसाय 40 देशों में फैला हुआ है, और हम हमेशा अपने संचालन में ‘भारत’ का अधिकतम उपयोग करने का प्रयास करते हैं। कुछ राष्ट्र इस पर आपत्ति जताते हैं, लेकिन हमें विश्वास है कि जल्द ही, पूरी दुनिया भारत को भारत के रूप में पहचानेगी।”

“बसंत पंचमी एवं इतिहास”वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर...
02/02/2025

“बसंत पंचमी एवं इतिहास”

वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है।

यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी (माघ शुक्ल 5) का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकारों का तो कहना ही क्या? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।

इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दण्डकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे जूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया।
दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।

वसंत पंचमी का इतिहास

वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद ग़ोरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद ग़ोरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं।
इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। मोहम्मद ग़ोरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर ग़ोरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।

चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥

पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह मोहम्मद ग़ोरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। (1192 ई) यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।

सिखों के लिए में बसंत पंचमी के दिन का बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी का विवाह हुआ था।

वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा सम्बन्ध है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गये, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई।

हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा?बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाये, अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा। हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया। परिणामत: उसे तलवार के घाट उतारने का फरमान जारी हो गया। कहते हैं उसके भोले मुख को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गयी।

हकीकत ने तलवार उसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों विमुख हो रहे हो? इस पर जल्लाद ने दिल मजबूत कर तलवार चला दी, पर उस वीर का शीश धरती पर नहीं गिरा। वह आकाशमार्ग से सीधा स्वर्ग चला गया। यह घटना वसंत पंचमी (23.2.1734) को ही हुई थी।

पाकिस्तान यद्यपि मुस्लिम देश है, पर हकीकत के आकाशगामी शीश की याद में वहां वसन्त पंचमी पर पतंगें उड़ाई जाती है। हकीकत लाहौर का निवासी था। अतः पतंगबाजी का सर्वाधिक जोर लाहौर में रहता है।

वसंत पंचमी हमें गुरू रामसिंह कूका की भी याद दिलाती है। उनका जन्म 1816 ई. में वसंत पंचमी पर लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था। कुछ समय वे महाराजा रणजीत सिंह की सेना में रहे, फिर घर आकर खेतीबाड़ी में लग गये, पर आध्यात्मिक प्रवृत्ति होने के कारण इनके प्रवचन सुनने लोग आने लगे। धीरे-धीरे इनके शिष्यों का एक अलग पंथ ही बन गया, जो कूका पंथ कहलाया।

गुरू रामसिंह, गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उद्धार, अन्तरजातीय विवाह, सामूहिक विवाह आदि पर बहुत जोर देते थे। उन्होंने भी सर्वप्रथम अंग्रेजी शासन का बहिष्कार कर अपनी स्वतंत्र डाक और प्रशासन व्यवस्था चलायी थी।
प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर भैणी गांव में मेला लगता था। 1872 में मेले में आते समय उनके एक शिष्य को मुसलमानों ने घेर लिया। उन्होंने उसे पीटा और गोवध कर उसके मुंह में गोमांस ठूंस दिया। यह सुनकर गुरू रामसिंह के शिष्य भड़क गये। उन्होंने उस गांव पर हमला बोल दिया, पर दूसरी ओर से अंग्रेज सेना आ गयी। अतः युद्ध का पासा पलट गया।

इस संघर्ष में अनेक कूका वीर शहीद हुए और 68 पकड़ लिये गये।
इनमें से 50 को सत्रह जनवरी 1872 को मलेरकोटला में तोप के सामने खड़ाकर उड़ा दिया गया। शेष 18 को अगले दिन फांसी दी गयी। दो दिन बाद गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया। 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सहकर 1885 ई. में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।

महो अर्णः सरस्वती प्र चेतयति केतुना ।धियो विश्वा वि राजति - ऋग्वेद ॥१.३.१२॥हे देवी सरस्वती, आप अपने विशाल सागर से हमें ज...
02/02/2025

महो अर्णः सरस्वती प्र चेतयति केतुना ।
धियो विश्वा वि राजति

- ऋग्वेद ॥१.३.१२॥

हे देवी सरस्वती, आप अपने विशाल सागर से हमें ज्ञान प्रदान कर रही हैं। कृपया इस ब्रह्मांड को अपनी अपार बुद्धि से सुशोभित करें।

वसन्तपञ्चमी-उत्सवस्य शुभाशया: ।

सरसंघचालक का दायित्व संभालने के तुरंत बाद दिये उद्बोधन मे श्री गुरूजी ने कहा -" हमे चाहिए कि हम निष्ठा और निश्चयपूर्वक स...
02/02/2025

सरसंघचालक का दायित्व संभालने के तुरंत बाद दिये उद्बोधन मे श्री गुरूजी ने कहा -" हमे चाहिए कि हम निष्ठा और निश्चयपूर्वक संघ कार्य को बढाये ।हमारा यह संघ छुईमुई का पौधा नहीं है ।दुनिया-भर मे विभिन्न मतों का तथा वादो का आक्रोश भले ही होता रहे , उसमें हमारा कार्य लुप्त नहीं होगा ।न वह संकटो की आग मे झुलसेगा और न किसी के दबाने से दबेगा ।यह तो एक अभेद्य दुर्ग है ।इस पर आक्रमण करने वाला स्वयं ही अपना सिर फोड़ लेगा ।हम डाक्टर जी के बताये हुए मार्ग पर चलते रहें ।इससे हमें दो लाभ होंगे ।हमारा व्यक्तिगत जीवन सफल होगा और राष्ट्र का कल्याण होगा ।हमारे इस कार्य के द्वारा ही हिन्दू राष्ट्र को वैभवपूर्ण मंगलमय दिन प्राप्त होंगे ।परंतु यह तब हो पायेगा , जब हम अपने हृदयो मे प्रज्वलित -ध्येय ज्योति को अखंड रूप से जलाये रखेंगे ।इतना ही नही , उसे हमें अधिकाधिक प्रखर करना होगा ।न हम किसी प्रकार के विकार के वश हो और न मोह के शिकार हों ।हम अपने चरण नित्य ही आगे बढ़ाते रहें ।मुझे विश्वास है कि हमारे सब स्वयंसेवको के तथा मित्रों के सहकार्य के भरोसे मै इस कार्य को भलीभाँति कर पाऊंगा ।"
इस आशय का श्री गुरू जी का वह भाषण सुनते समय श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये । उनके मन का दुःख भाग गया ।उनके हृदयो मे अमृत के सोते फूट पड़े ।शंका -कुशंकाए नष्ट हो गयी ।अंधकार समाप्त हो गया ।
कार्यक्रम की समाप्ति के उपरांत , स्वयंसेवक तथा गणमान्य नागरिक घर लौट रहे थे ।उस समय अनेको के मुख से इस प्रकार के उद्गार निकल रहे थे "डाक्टर जी को मनुष्यों की परख थी ।उन्होंने कितना बढ़िया नररत्न चुना " !
"भाषण कितना प्रभावी था ।हर शब्द से आत्मविश्वास झलकता था , फिर भी कैसी नम्रता थी " ।
" मुझे तो ऐसा लग रहा था कि डाक्टर जी ही फिर से युवा रूप लेकर उपस्थित हुए है " !
" शब्दो का चयन कितना मार्मिक था " !
" दृष्टान्त समर्पक थे और आशय स्पष्ट करने वाले थे ।
" ये नामधारी गुरू जी नहीं है ।ये तो राष्ट्रगुरू एवं जगद्गुरु बनने की योग्यता रखते है , फिर भी कहते है , मै तो केवल एक गडरिया बालक हूँ "।
"कौन है ये ? कहाँ के है ? जीवन परिचय क्या है ? डाक्टर जी को आखिर इतने प्रिय कैसे हुए ? जितने लोग उतने आग्रह ।
इन समस्त आग्रहो के उत्तर श्री गुरू जी के के असाधारण जीवनवृत के अग्रभाग मे समाहित है ।

02/02/2025
02/02/2025

कैसे हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नामकरण?

01/02/2025

प्रयागराज महाकुंभ मे ट्रैफिक व्‍यवस्‍था में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं RSS के स्‍वयंसेवक।

01/02/2025

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज भगवा वस्त्रो में प्रयागराज महाकुम्भ मे स्नान किया।

01/02/2025

जिस मुख्यमंत्री ने लाठियाँ बरसाई उससे इस्तीफा नहीं माँगा और जो फूल बरसा रहा है उससे इस्तीफा मांग रहे हैँ?
हम कुरुसभा में महात्मा भीष्म जी की तरह बैठकर मूकदर्शक नहीं बन सकते...
हम भगवान आदि गुरू शंकराचार्य जी के उस पदवी को दंडवत प्रणाम करते हैं, लेकिन हम सब कुछ देख कर धर्म भिरु नहीं बन सकते..!
महाकुंभ में हुए भगदड़ को लेकर शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के द्वारा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के त्यागपत्र मांगने पर सिद्धपीठ अयोध्या के महंत मिथिलेशनंदिनीशरण जी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है

01/02/2025

Budget 2025 Live: FM Nirmala Sitharaman presents Union Budget 2025-26

महाकुंभ में 16000 RSS स्वयंसेवक महाकुम्भ की व्यवस्था बनाने मे पुलिस की मदद को तैयार प्रयागराज महाकुंभ 2025 में श्रद्धालु...
30/01/2025

महाकुंभ में 16000 RSS स्वयंसेवक महाकुम्भ की व्यवस्था बनाने मे पुलिस की मदद को तैयार

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए स्वयसेवकों ने मोर्चा संभाल लिया है l

ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 16000 स्वयंसेवक मेला क्षेत्र के विभिन्न चौराहों और रास्तों पर तैनात रहकर मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को रास्ता बताएंगे और ट्रैफिक को नियंत्रित करने में पुलिस की मदद भी करेंगे.

महाकुंभ अपडेट : भगदड़ की घटना का कारण बदइंतज़ामी से कहीं ज्यादा श्रद्धालुओं का संगम नोज पर जाकर घंटों रुककर मौनी की सुबह क...
29/01/2025

महाकुंभ अपडेट : भगदड़ की घटना का कारण बदइंतज़ामी से कहीं ज्यादा श्रद्धालुओं का संगम नोज पर जाकर घंटों रुककर मौनी की सुबह का इंतज़ार, अखाड़ों को देखने के लिए रुकना, वहीं कंबल ओढ़कर बैठना और सोना था

प्रशासन के अनाउंसमेंट को नकार दिया भीड़ ने, जिसमें मेला अधिकारी कह रहे थे कि मौनी अमावस्या का नहान 7.40 pm से प्रारंभ हो चुका है| आप जल्द नहाएं और प्रस्थान करें. इस पर पब्लिक की प्रतिक्रिया शून्य थी

तत्पश्चात ट्रैफिक पुलिस ने सारे पीपा पुल बंद कर दिए जिससे और भीड़ न आ जाए । इससे भी जनता नाराज़ हुई और पुलिस से गली गलोच के वीडियो सोशल मीडिया पर आए। पर्यटन के लिहाज से आए बड़ी संख्या में लोग किसी भी असुविधा को लेकर नाराज हो रहे हैं, अखाड़ों के दर्शन की जिद इसका उदाहरण है
बैरक पर खड़ी भीड़ और उस पर चढ़ते लोगों की वजह से वो टूटा । साथ ही यही पब्लिक उल्टी दिशा से आ रहे लोगों वाले रास्ते पर भागने लगे इससे भगदड़ की संघनता और बढ़ी
ग़ज़ब की फुर्ती से इसे प्रशासन ने संभाला। 70 के करीब एम्बुलेंस दौड़ पड़ी और सभी घायल मेला अस्पताल और कुछ मेडिकल कॉलेज शिफ्ट किए गए
एम्बुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर बना वो भी चंद मिनटों में। प्रशासन और अस्पताल का कोऑर्डिनेशन कमाल था जिससे हादसे को संभाला गया और अन्य श्रद्धालुओं को नहाकर लौटने के लिए प्रेरित किया गया
इन सबके बावजूद 70% पब्लिक नहाने के बाद लौटने और हिलने को तैयार नहीं थी । वे अब और आराम से थे क्योंकि पूरा एरिया सील।कर दिया गया था। वे सब अखाड़ों, आचार्यों और नागाबाबा के अखाड़ों का स्नान देखना चाहते थे
हार कर अखाड़ों से कहलवाया गया कि वे अपना स्नान स्थगित कर रहे हैं । इस उद्घोष के 3 - 4 घंटों के बाद पूरा संगम नोज सामान्य हो चला था और पीपे के पुल और अन्य सड़कों को पुनः खोल दिया गया। अब स्थिति पूर्णतः कंट्रोल में है। गंगा मैया का शुक्र है बहुत बड़े हादसे की आस में बैठी पिशाची आत्माएं निराश हुई हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए 10 करोड़ श्रद्धालुओं का स्नान सफलतापूर्वक हो सकेगा ऐसी आशा है
जनता को समझना होगा आज का पर्व साधारण माघ का दिन नहीं है और जिस भी घाट के वे नजदीक हैं स्नान करें और पुण्य कमाएं। संगम नोज पर मात्र 1 से 5 % लोग ही पहुंच कर डुपकी लगा पाएंगे

संगम के तीरे करीब 100 घाट बने हैं कहीं पर भी स्नान करने से वही पुण्य मिलेगा जो संगम पर
अब स्थिति सामान्य है और लोग नहाकर संगम से लौट रहे हैं। ऐसा देखा यह घोषणा हुई कि सभी अखाड़े पूर्ववत अमृत स्नान करेंगे
सभी मित्रों से अनुरोध है सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भयावह स्थितियों की रिपोर्टिंग और अफवाहों पर भरोसा न करें
अंत में, अनुरोध है प्रशासन के सुझाव और आदेश को मानिए और मेला क्षेत्र को सुव्यवस्थित बनाए रखने में सहयोग कीजिए

महाकुंभ अपडेट : भगदड़ के बाद 5 बड़े बदलाव, पूरा मेला क्षेत्र नो-व्हीकल जोन घोषितप्रयागराज महाकुंभ में संगम तट पर हुई भगद...
29/01/2025

महाकुंभ अपडेट : भगदड़ के बाद 5 बड़े बदलाव, पूरा मेला क्षेत्र नो-व्हीकल जोन घोषित

प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट पर हुई भगदड़ और दुखद मौतों के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए पांच बड़े बदलाव लागू किए हैं। अब पूरे मेला क्षेत्र को *नो-व्हीकल जोन* घोषित कर दिया गया है, जिससे किसी भी प्रकार के वाहन को अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी।

प्रमुख बदलाव:

1. मेला क्षेत्र पूरी तरह नो-व्हीकल जोन – सभी प्रकार के वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध।
2. VVIP पास हुए रद्द – किसी भी विशेष पास के जरिए वाहन को प्रवेश नहीं मिलेगा।
3. रास्ते किए गए वन-वे – श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन के लिए एक तरफा मार्ग व्यवस्था लागू।
4. वाहनों की एंट्री पर रोक – प्रयागराज से सटे जिलों से आने वाले वाहनों को जिले की सीमा पर रोका जा रहा है।
5. 4 फरवरी तक सख्त प्रतिबंध – शहर में चार पहिया वाहनों की एंट्री पर पूरी तरह से रोक रहेगी।
प्रशासन का कहना है कि इन बदलावों का उद्देश्य कुंभ क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करना और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और किसी भी तरह की अव्यवस्था से बचने में सहयोग करें।

महाकुम्भ अपडेट : तीर्थराज प्रयागराज में सम्पन्न हो रहे महाकुंभ में बीती रात एक हादसा हो गया जिसकी जानकारी आप सभी  को समा...
29/01/2025

महाकुम्भ अपडेट : तीर्थराज प्रयागराज में सम्पन्न हो रहे महाकुंभ में बीती रात एक हादसा हो गया जिसकी जानकारी आप सभी को समाचार एजेंसियों से मिली होगी. घटना पर तत्काल नियंत्रण कर लिया गया . दोपहर 2 बजे से अमृतस्नान भी प्रारम्भ हो गया है . स्थिति पूरी तरह से सामान्य है प्रयागराज भीड़ लगभग 1.1 करोड है. इतने ही मार्ग में लोग रुके है . जो कल तक मेले में पहुँचेंगे. प्रयाग से 100 क़िमी के रास्ते श्रद्धालुओं से पटे पड़े है . इसके साथ वर्तमान मे अयोध्या व काशी में भी 10 लाख से ऊपर की भीड़ है परन्तु श्रीराम जी की कृपा से सब जगह सामान्य स्तिथि है.
कुछ समाचारों से अफ़वाह की खबरें मिलेगी .कृपया आपके अपने तंत्र विश्व संवाद केन्द्र से सही जानकारी मिलती रहेगी।

महाकुम्भ हादसे की न्यायिक जांच के आदेश, अधिसूचना जारीपूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में जाँच समिति ...
29/01/2025

महाकुम्भ हादसे की न्यायिक जांच के आदेश, अधिसूचना जारी

पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में जाँच समिति गठित

महाकुंभ में आज हुई दुर्घटना बेहद दुखद व पीड़ादायक है। उसमें हताहत हुई दिव्यात्माओं के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना के स...
29/01/2025

महाकुंभ में आज हुई दुर्घटना बेहद दुखद व पीड़ादायक है। उसमें हताहत हुई दिव्यात्माओं के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना के साथ हम सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। साथ ही व्यवस्थाओं में यदि कोई न्यूनता रही हो तो उसे भी ठीक करने की स्थानीय शासन प्रशासन से अपेक्षा भी करते हैं।
हम यह भी प्रार्थना करते हैं कि यह समय किसी प्रकार के राजनैतिक दोषारोपण का नहीं अपितु, घायलों के उचित इलाज, मृतकों के परिजनों को संभाले रखने तथा स्थितियों को नियंत्रित रखने का है।
विश्व हिंदू परिषद भी इस संबंध में अपने कर्तव्यों का पूर्ण रूप से पालन करेगी।

-श्री आलोक कुमार, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष,
विश्व हिंदू परिषद

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