महान वैज्ञानिक,भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के संस्थापक, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. विक्रम साराभाई जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सहृदय नमन।
मस्जिदें तुमने बनाई मंदिरों को तोड़कर
मस्जिदें क्या बन नहीं सकती थी मंदिर छोड़कर?
डा मनमोहन सिंह के अस्थि विसर्जन मे कांग्रेस का कोई प्रमुख नेता नहीं पहुंचा...
2013 में डा मनमोहन सिंह को 'राहुल गाँधी' की हरकत पर गुस्सा आया था और वह इस्तीफा देना चाहते थे लेकिन अपमान का घूंट पीकर रह गए...
राहुल गाँधी ने सार्वजनिक सभा मे डा मनमोहन सिंह जी की सरकार द्वारा लाए गए ऑर्डिनेंस को फाड़ दिया था
इस बात से डा मनमोहन सिंह जी इतने दुखी हुए थे की वो प्रधानमंत्री पद से अपना इस्तीफा देने को तैयार हो गए थे, लेकिन सोनिया गाँधी ने यह कहकर मना कर दिया था की इतने घोटाले खुल रहे हैँ ऐसे माहौल मे राहुल गाँधी को PM नहीं बनाया जा सकता...
काँग्रेस ने कभी डा मनमोहन सिंह का सम्मान नहीं किया, कांग्रेस सरकार के दौरान हुए सारे घोटाले और भ्रस्टाचार का ठीकरा उनके नेतृत्व पर फूटने दिया ताकि गाँधी परिवार पर कोई आंच न आये और अब उनकी मृत्यु पर घटिया राजनीति कर रही है।
और इन सब बातों का खुलासा भी कांग्रेस व सोनिया गाँधी के लाडले पत्रकार राजदीप सरदेसाई कर रहे हैँ
2 पूर्व प्रधानमंत्री, 2 अंतिम यात्राएँ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार जी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मनमोहन सिंह जी की पार्थिव देह पर पुष्पांजलि अर्पित की. उनके साथ उत्तर क्षेत्र संघचालक पवन जिंदल जी भी उपस्थित रहे.
क्रिसमस पर मिशनरीज ईसाइयो की शोभायात्रा का यह दृश्य यह पंजाब का नहीं है वरन सुदूर हिमालय पर्वतों मे स्थित पौड़ी गढ़वाल का दृश्य है। जहाँ क्रिसमस पर ईसाई शोभायात्रा में आई भीड़ से समझिए कि उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में धर्मांतरण कितने बड़े स्तर पर हो रहा है?
देवभूमि उत्तराखंड का मूल स्वरूप बदल चुका है। एक ओर जहाँ मुस्लिम प्रवासी जनसंख्या असंतुलन पैदा कर रहे हैँ वहीं दूसरी तरफ मिशनरीज भोले भाले पहाड़ी हिन्दुओं का धर्मान्तरण कर रहे हैँ
अपने बच्चों को रामायण पढ़ाओ, गीता पढ़ाओ part 2
ओशो रजनीश ने टेरेसा के बारे में जो कुछ कहा है एकदम सच कहा है
बाल मन की सरलता, ऋषि चित्त की सहजता एवं लोकतंत्र की सात्विक मर्यादाओं के मूर्तरूप, पूर्व प्रधानमंत्री 'भारत रत्न' श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन।
आपका देवतुल्य जीवन, हम सभी देशवासियों के लिए एक महान प्रेरणा है।
25 दिसंबर 1705 का वह दिन भूलना नहीं है
सत्य बोलना आसान नहीं है सत्य बोलने के परिणाम सदैव सुखद नहीं होते हैं लेकिन सभी परिणामो को सहन करते हुए, सुखद परिणाम से फूल नहीं जाते हुए और दुखद परिणाम से निराश ना होते हुए, सतत जो मुझे सही लगता है वह मै बोलता हूँ यह एक व्रत है
-डा मोहन जी भागवत