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Radhe Krishna
06/01/2025

Radhe Krishna

सभी युगों में, लक्ष्मी देवी भगवान विष्णु का अनंत समर्थन बनी रहती हैं, हर अवतार में उनके साथ धर्म की रक्षा के लिए प्रकट ह...
19/12/2024

सभी युगों में, लक्ष्मी देवी भगवान विष्णु का अनंत समर्थन बनी रहती हैं, हर अवतार में उनके साथ धर्म की रक्षा के लिए प्रकट होती हैं। भगवान वराह के साथ, वह भूमि देवी के रूप में प्रकट होती हैं और ब्रह्मांडीय संतुलन बनाए रखती हैं। भगवान नरसिंह के रूप में, वह देवी चेंचु लक्ष्मी बनती हैं, उनकी शक्ति को स्थिर करती हैं। भगवान परशुराम के साथ, वह देवी धरणी के रूप में उनकी अटल संगिनी बनती हैं। भगवान राम के साथ, वह देवी सीता के रूप में भक्ति की मूर्ति बनती हैं। भगवान कृष्ण के साथ, वह देवी रुक्मिणी के रूप में उनकी दिव्य संगिनी होती हैं। भगवान कल्कि के अवतार में, वह पद्मावती (वैष्णोदेवी) के रूप में अवतरित होंगी और धर्म की स्थापना करेंगी।

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।अर्थ: भगवान श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि और परमात्मा को ...
18/12/2024

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।

अर्थ: भगवान श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि और परमात्मा को हमारा नमन, जो समस्त क्लेशों का नाश करते हैं। गोविंद को बार-बार प्रणाम।

जहाँ प्रेम है, वहीं राधा है, जहाँ सत्य है, वहीं कृष्ण हैं।
16/12/2024

जहाँ प्रेम है, वहीं राधा है, जहाँ सत्य है, वहीं कृष्ण हैं।

यमुना किनारे बँसुरी की तान,राधा का प्रेम, कृष्ण का गान।बिना कहे जो सबकुछ कह जाए,वो प्रेम जो आत्मा तक पहुँच जाए।राधा के म...
15/12/2024

यमुना किनारे बँसुरी की तान,
राधा का प्रेम, कृष्ण का गान।
बिना कहे जो सबकुछ कह जाए,
वो प्रेम जो आत्मा तक पहुँच जाए।

राधा के मन में कृष्ण बसे,
जैसे चाँदनी में चाँद हँसे।
प्रेम उनका न कोई वचन था,
बस समर्पण का पावन अर्पण था।

कान्हा की बँसुरी जब गूँज उठे,
वृंदावन की हर गली सजी उठे।
राधा का प्रेम, दिव्य आभास,
सिखाता हमें विश्वास और त्याग का पाठ।

आज भी हवाओं में वो प्रेम बसा,
राधा-कृष्ण का रिश्ता जो अमर बना।
न कोई चाहत, न कोई अधिकार,
बस आत्मा का पावन संसार।

08/12/2024

प्रेम मंदिर, वृंदावन – एक ऐसा पवित्र स्थान जहाँ प्रेम और भक्ति अपनी पूर्णता को प्राप्त करते हैं। सफेद संगमरमर से निर्मित...
03/12/2024

प्रेम मंदिर, वृंदावन – एक ऐसा पवित्र स्थान जहाँ प्रेम और भक्ति अपनी पूर्णता को प्राप्त करते हैं। सफेद संगमरमर से निर्मित, यह मंदिर राधा-कृष्ण की दिव्यता और उनकी लीलाओं का जीवंत प्रतीक है। यहाँ की हर मूर्ति, हर नक्काशी, और हर कोना भक्तों को आध्यात्मिक शांति और अनंत प्रेम का अनुभव कराता है।

मंदिर की भव्यता और अद्वितीय वास्तुकला न केवल हमारी आँखों को मोहती है, बल्कि हमारे हृदय को भी राधा-कृष्ण की भक्ति से भर देती है। यह स्थान भौतिक जीवन की चिंताओं को पीछे छोड़, हमें भगवान के प्रेम में डूबने का अवसर प्रदान करता है।

आइए, प्रेम मंदिर के इस दिव्य धाम में कदम रखें और राधा-कृष्ण की अनंत कृपा और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करें।

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01/12/2024

Hare Krishna
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Hare Ram
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Ram Ram
Hare Hare ❤️

17/11/2024

बोलो राधे राधे

जब  #श्रीकृष्ण बालक थे, तो लोग उन्हें अत्यधिक प्रेम क्यों करते थे, इसके पीछे कई कारण हैंउनकी बालसुलभ लीला: श्रीकृष्ण का ...
16/11/2024

जब #श्रीकृष्ण बालक थे, तो लोग उन्हें अत्यधिक प्रेम क्यों करते थे, इसके पीछे कई कारण हैं

उनकी बालसुलभ लीला: श्रीकृष्ण का बचपन अद्भुत और चमत्कारिक लीलाओं से भरा हुआ था। माखन चोरी, गोपियों के संग खेलना, और अपनी बाल सुलभ शरारतों से सभी का मन मोह लेना – ये सब उनके बालपन का आकर्षण था। उनकी शरारतें भी इतनी प्यारी होती थीं कि लोग गुस्सा नहीं कर पाते थे।

दिव्य व्यक्तित्व: श्रीकृष्ण का स्वरूप अत्यंत आकर्षक था। उनकी मुस्कान, बाल रूप, और सादगी ने सभी को अपनी ओर खींच लिया।

दुखों को दूर करना: जब वे बालक थे, तब भी उन्होंने कई बार अपने अद्भुत कार्यों से लोगों के कष्ट दूर किए। पूतना वध, कालिया नाग का दमन, और अन्य असुरों का नाश करके उन्होंने गोकुल और वृंदावनवासियों को सुरक्षित रखा।

प्रेम और करुणा: श्रीकृष्ण का स्वभाव अत्यंत प्रेमपूर्ण और करुणामय था। वे सभी के प्रति समान रूप से दयालु और प्रेमपूर्ण थे, चाहे वह गोप-गोपियां हों, उनके सखा-सहेली हों या उनके परिवार के सदस्य।

भविष्य का आभास: बहुत से लोगों को यह आभास था कि श्रीकृष्ण कोई साधारण बालक नहीं हैं। उनके जन्म से ही यह विश्वास था कि वे ईश्वर के अवतार हैं, जो पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए आए हैं।

इन सभी कारणों से श्रीकृष्ण के बालपन ने गोकुल और वृंदावनवासियों के हृदय में अपार प्रेम उत्पन्न किया। उनका बाल रूप भक्ति, आनंद और सौंदर्य का प्रतीक बन गया

गुरु नानक देव जी का जीवन बहुत प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद था। उनकी कई कहानियाँ हैं जो उनके महान विचारों और समाज सेवा के प्...
15/11/2024

गुरु नानक देव जी का जीवन बहुत प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद था। उनकी कई कहानियाँ हैं जो उनके महान विचारों और समाज सेवा के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती हैं। यहाँ एक प्रसिद्ध कहानी है जो उनके जीवन से जुड़ी है:

सच्चा सौदा (सच्ची कमाई की कहानी)
गुरु नानक देव जी बचपन से ही बहुत दयालु और ईमानदार थे। एक दिन उनके पिता ने उन्हें 20 रुपये देकर कहा, "बेटा, इन रुपयों से कोई अच्छा व्यापार करके आओ।" पिता चाहते थे कि गुरु नानक को व्यापार की समझ आए।

गुरु नानक ने सोचा कि एक ऐसा काम करना चाहिए जो सचमुच समाज के लिए फायदेमंद हो। रास्ते में उन्होंने कुछ साधुओं और गरीबों को भूखा देखा। गुरु नानक ने वह 20 रुपये की पूरी रकम खर्च कर उन लोगों को खाना खिला दिया और उनकी जरूरतें पूरी कीं।

जब गुरु नानक वापस लौटे, तो उनके पिता ने पूछा कि उन्होंने कौन-सा व्यापार किया। गुरु नानक ने बताया कि उन्होंने "सच्चा सौदा" किया है, यानी एक सच्चे सौदे के लिए पैसे खर्च किए हैं। उन्होंने गरीबों और भूखों की सेवा में पैसे लगाए, जो उनके अनुसार सबसे सच्चा व्यापार था।

इस घटना से उनके पिता को समझ में आया कि गुरु नानक एक साधारण जीवन जीने वाले संत हैं, जो सच्चाई, दया और ईमानदारी पर विश्वास करते हैं।

इस कहानी से शिक्षा
गुरु नानक देव जी ने इस कहानी से यह संदेश दिया कि सच्चा व्यापार और सच्ची कमाई वही है जो दूसरों की भलाई में लगे। उन्होंने समाज को यह सिखाया कि सच्चा सुख और शांति दूसरों की सेवा और परोपकार में है।

गुरु नानक देव जी की ये शिक्षाएं आज भी हमें प्रेरित करती हैं कि हम अपने जीवन में सच्चाई और ईमानदारी को बनाए रखें और जरूरतमंदों की सहायता करें।

प्रेम से बोलो राधे राधे .....                #कृष्ण
15/10/2024

प्रेम से बोलो राधे राधे .....


#कृष्ण

14/10/2024

Radhe Radhe

लोकप्रिय राधे कृष्णा कीर्तनराधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी,साँवरे की मोहिनी मूरत है प्यारी।राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी...
14/10/2024

लोकप्रिय राधे कृष्णा कीर्तन

राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी,
साँवरे की मोहिनी मूरत है प्यारी।
राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी.

Radhe Radhe
12/10/2024

Radhe Radhe

नवरात्रि का महत्वनवरात्रि हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पूज्यनीय त्योहार है, जो देवी दुर्गा की आराधना के रूप मे...
11/10/2024

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पूज्यनीय त्योहार है, जो देवी दुर्गा की आराधना के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व साल में दो बार आता है—चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) और शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर), जिसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है: "नव" (नौ) और "रात्रि" (रात), जिसका अर्थ है "नौ रातों" का पर्व।

नवरात्रि का धार्मिक महत्व
नवरात्रि देवी दुर्गा की उपासना और उनकी शक्ति, जिसे "शक्ति" कहा जाता है, के प्रतीक स्वरूप है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था और दसवें दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

नवरात्रि के नौ दिन और देवी के नौ रूप
हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है:

शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में।
ब्रह्मचारिणी: तपस्या और संयम का प्रतीक।
चंद्रघंटा: साहस और शक्ति की देवी।
कूष्माण्डा: सृजन और ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी।
स्कंदमाता: भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में।
कात्यायनी: शत्रुओं का नाश करने वाली देवी।
कालरात्रि: बुरी शक्तियों का विनाश करने वाली।
महागौरी: शुद्धता और शांति की देवी।
सिद्धिदात्री: सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नवरात्रि न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह पर्व आत्मशुद्धि, ध्यान और योग की साधना के लिए अनुकूल माना जाता है। इस दौरान व्रत रखने और संयमित जीवनशैली अपनाने का महत्व बताया गया है, जिससे शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।

इसके साथ ही, नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्यों का आयोजन किया जाता है, विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में, जिससे यह पर्व सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध हो जाता है।

नवरात्रि का सामाजिक और पारिवारिक महत्व
नवरात्रि में परिवार और समाज के लोग मिलकर उत्सव मनाते हैं, जिससे सामाजिक एकता और भाईचारे का विकास होता है। इस दौरान देवी के प्रति आस्था और समर्पण के साथ-साथ, समाज में महिलाओं के सम्मान और उनके शक्ति स्वरूप का भी महत्व बताया जाता है।

व्रत और उपवास का महत्व
नवरात्रि के दौरान उपवास रखने का विशेष महत्व होता है। इसका धार्मिक पहलू यह है कि इससे साधक अपनी इच्छाओं और इंद्रियों पर नियंत्रण पाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से, उपवास शरीर को विषमुक्त करने में सहायक होता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

नवरात्रि का पर्यावरणीय महत्व
हाल के वर्षों में, नवरात्रि को पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम भी बनाया गया है। कई स्थानों पर इको-फ्रेंडली पूजा सामग्री का उपयोग, मूर्तियों के विसर्जन में पर्यावरण सुरक्षा के उपाय और प्लास्टिक के उपयोग से बचने के प्रयास किए जा रहे हैं।

*निष्कर्ष*
नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में भी गहरा प्रभाव डालता है। यह पर्व हमें आंतरिक शक्ति, संयम और सकारात्मक ऊर्जा से भरने का अवसर देता है। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करके हम अपने जीवन में सफलता, शांति और शक्ति की प्राप्ति कर सकते हैं।

राधे राधे   #कृष्ण
10/10/2024

राधे राधे

#कृष्ण

श्री  #कृष्ण की कहानियाँजन्म और बाल्यकाल:भगवान  #कृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा में हुआ था। उनके पिता का नाम वासुदेव...
10/10/2024

श्री #कृष्ण की कहानियाँ

जन्म और बाल्यकाल:
भगवान #कृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा में हुआ था। उनके पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी था। उनके मामा कंस ने यह भविष्यवाणी सुनी थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इस डर से कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। जब कृष्ण का जन्म हुआ, तब वासुदेव ने उन्हें रातोंरात यमुना नदी पार कर गोकुल में नंद बाबा और यशोदा के घर सुरक्षित पहुंचा दिया। वहाँ कृष्ण का पालन-पोषण हुआ।

बाल लीलाएं:
कृष्ण ने अपने बाल्यकाल में कई अद्भुत लीलाएं कीं। वो मक्खन चुराने के लिए प्रसिद्ध थे और इसी कारण उन्हें 'माखन चोर' भी कहा जाता है। उनके बाल सखाओं के साथ खेलते हुए वे गाँव में शरारतें किया करते थे। एक बार जब यशोदा ने उन्हें मक्खन चुराते हुए पकड़ा, तो उन्होंने डरकर अपना मुँह खोल दिया, जिसमें यशोदा ने पूरे ब्रह्मांड को देखा।

कृष्ण ने बचपन में ही कई असुरों का वध किया था। इनमें पूतना, शकटासुर, और कालिया नाग प्रमुख थे। कालिया नाग ने यमुना नदी को विषैला बना दिया था, लेकिन कृष्ण ने उसके फन पर नृत्य कर उसे पराजित कर दिया और यमुना को शुद्ध किया।

गोवर्धन पर्वत उठाना:
एक बार गोकुल में इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जा रही थी। कृष्ण ने समझाया कि हमें इंद्र की पूजा के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यह हमें प्रत्यक्ष रूप से भोजन और जल प्रदान करता है। इससे इंद्र नाराज़ हो गए और उन्होंने भारी वर्षा शुरू कर दी। तब कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गाँववालों को वर्षा से बचाया। इसके बाद इंद्र ने अपनी गलती मानी और कृष्ण की महिमा को स्वीकार किया।

कंस वध:
जब कृष्ण बड़े हुए, तब उन्हें मथुरा बुलाया गया। वहाँ कंस ने उन्हें मारने के लिए कई दुष्टों को भेजा, लेकिन कृष्ण ने सभी को पराजित कर दिया। अंत में उन्होंने कुश्ती के मैदान में कंस का वध कर दिया और अपने माता-पिता को कारागार से मुक्त किया।

महाभारत और गीता उपदेश:
कृष्ण का जीवन महाभारत से भी जुड़ा हुआ है। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध हुआ, तो अर्जुन ने युद्ध करने से मना कर दिया। तब कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया, जिसमें उन्होंने धर्म, कर्म और जीवन के मर्म को समझाया। उन्होंने बताया कि व्यक्ति को फल की चिंता किए बिना अपना कर्तव्य करना चाहिए।

कृष्ण का संदेश:
भगवान कृष्ण का जीवन प्रेम, भक्ति, धर्म और सत्य की स्थापना के लिए प्रेरणा है। उन्होंने हमें सिखाया कि जीवन में परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, हमें हमेशा सही मार्ग पर चलना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

#कृष्ण

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