डॉ रविदेव पर हमला करने वाले हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई हो
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त न्यूरो सर्जन डॉ रविदेव पर प्राण घातक हमला करने वाले हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई हो
गांधी परिवार को शर्मसार करने वाला रॉबर्ट वाड्रा का महत्वाकांक्षी कदम
आज एक नए एपिसोड में आप से रूबरू हो रहा हूं। दोस्तों अभी एक चैनल पर पर राबर्ट वाड्रा का महत्वाकांक्षा से भरपूर्ण एक इंटरव्यू देख रहा था। जो बातें वह कह रहे थे अमेठी की जनता को लेकर, मिट्टी से जुड़ाव को लेकर, उत्तर प्रदेश से लगाव को लेकर उसमें कुछ सच्चाई हो सकती है लेकिन हास्यास्पद थी और मेरा अपना
मानना है कि नेहरू गांधी परिवार को शर्मसार करने वाला राबर्ट वाड्रा का एक और
महत्वाकांक्षी कदम है।
Today I am coming face to face with you in a new episode. Friends, I was recently watching an interview of Robert Vadra full of ambition on a channel. There may be some truth in what he was saying about the people of Amethi, about his connection with the soil, about his attachment to Uttar Pradesh, but it was ridiculous and my own It is believed that Nehru is another ambitious step taken by Robert Vadra to embarrass the Gandhi family.
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विश्लेषण : सपा बसपा का गठबंधन सफल क्यों नहीं हो पाया
कांग्रेस : नेहरू से राहुल तक
कांग्रेस : नेहरू से राहुल तक
कांग्रेस पार्टी का उत्थान पतन
पार्टी की शुरुआत से लेकर वर्तमान तक
लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण की 102 सीटों का विश्लेषण
लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण की 102 सीटों का विश्लेषण
प्रथम चरण के नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मैं 2019 लोकसभा चुनाव परिणामों का विश्लेषण कर रहा हूं। 102 लोकसभा सीटों पर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई। 30 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच नाम वापसी के बाद स्पष्ट हो जाएगा किस दल से कौन प्रत्याशी चुनाव मैदान में बचा है। आज जिन 102 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई उसमें सबसे बड़ा राज्य तमिलनाडु है जहां पर 39 सीटें हैं और एक चरण में ही इसका मतदान हो रहा है इसके अलावा दूसरे स्थान पर जो है पूर्वी भारत के सिक्किम सहित 26 सीटें शामिल होती हैं।
सत्ता के आगे समर्पण कर गए वरुण गांधी
सत्ता के आगे समर्पण कर गए वरुण गांधी
वरुण गांधी बड़ी शख्सियत हैं। पिछले वीडियो में एक एनालिसिस किया था कि वरुण गांधी के पास दो ही रास्ते हैं समर्पण या संघर्ष। अभी तक जो जानकारी मिली है। पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
इसमें वरुण गाँधी का समर्पण का भाव दिखाई दिया। जो वरुण गांधी के लिए ठीक ही कहा जाएगा क्योंकि अगर संघर्ष नहीं करते हैं तो समर्पण ही सबसे उचित रास्ता था। वरुण गांधी राहुल गांधी नहीं है। संघर्ष नहीं कर सकते।
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चुनाव जीतने के लिए छोटे दलों का बड़े दलों से गठबंधन मज़बूरी
चुनाव जीतने के लिए छोटे दलों का बड़े दलों से गठबंधन मज़बूरी
उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होने हैं और प्रथम चरण की शुरुआत जैसा कि पहले भी होता रहा है आयोग ने कार्यक्रम घोषित करते थे पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होगा और सातवां मध्य भारत से होते हुए धीरे धीरे धीरे बुंदेलखंड होते हुए सातवें चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश आखरी चरण में बनारस पहुंचेगा। इस बीच जो सियासत का गठबंधन शुरू हुआ है जो उसमें यह कह सकते हैं छोटे दलों को जीत के लिए बड़े दलों से गठबंधन जरूरी है बड़े दलों के सामने सियासत की मजबूरी है।
वरुण गाँधी के पास दो ही विकल्प : समर्पण या संघर्ष
वरुण गाँधी के पास दो ही विकल्प : समर्पण या संघर्ष
ऐसी शख्सियत जिसका राजनीतिक घराना सबसे पुराना है और आजादी में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसके परिवार के तीन तीन प्रधानमंत्री हुए। वो शख्सियत हैं। वरुण गांधी वरुण गांधी का टिकट भारतीय जनता पार्टी ने काट दिया है उनकी माता को मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट दिया है। अब सवाल यह है कि वरुण गांधी के पास विकल्प क्या है ? वरुण गांधी ने सांसद बनने के बाद जो तेवर अपनाया भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ तो निश्चित रूप से यह अटल अडवाणी की पार्टी नहीं है। यह अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी है उनकी सरकार है। जिस तेवर के साथ वरुण गांधी ने सरकार के खिलाफ समस्याओं को लेकर युवाओं के मुद्दों, और तमाम मुद्दे उठाए जो सरकार के खिलाफ जाते थे तो निश्चित रूप से माना जाता था कि वरुण गांधी को टिकट मिलना बहुत मुश्किल है औ
उत्तर प्रदेश1% से 10% के बीच जीत हार के 32 सीटों का विश्लेषण
उत्तर प्रदेश1% से 10% के बीच जीत हार के 32 सीटों का विश्लेषण
उत्तर प्रदेश की ऐसी 32 सीटें जहाँ जीत हार का मार्जिन केवल 10% रहा है। आने वाले लोकसभा चुनाव में ऐसी सीटें बहुत महत्वपूर्ण होंगी क्योकि इन सीटों का परिणाम किसी भी दल के पक्ष में जा सकता है।
ज़बान से नहीं दिमाग से सियासत करते है पी० वी० नरसिंह राव | P.V. Narasimha Rao
ज़बान से नहीं दिमाग से सियासत करते है पी० वी० नरसिंह राव | P.V. Narasimha Rao
पामुलापति वेंकट नरसिम्हा राव भारत के 9वें प्रधानमंत्री थे। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में 'लाइसेंस राज' की समाप्ति और भारतीय अर्थव्यवस्था में खुलेपन की शुरुआत हुई।
लोकसभा चुनाव की विश्लेषणात्मक पुस्तक जिसमें भारतीय लोकतंत्र के पहले चुनाव 1951-52 से लेकर 2019 तक, राज्यों के लोकसभावार जातिगत, धार्मिक एवं भारत निर्वाचन आयोग के आकड़ों का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया गया है। आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव में क्या होगा ? पढने के लिए दिए लिंक पर क्लिक करें।
https://thedatastreet.in/book/aakdon-ka-loktantra/
उत्तर प्रदेश की ताकत का एहसास देश के सभी राजनीतिक दलों को है क्योकि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही गुजरता है। 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर "उत्तर प्रदेश की ताकत" की पुस्तक 1952 से लेकर 2019 तक आकड़ों के विश्लेषण पर तैयार की गयी है जो thedatastreet.in पर उपलब्ध है।
https://thedatastreet.in/book/up-ki-takat/
"आकड़ों का लोकतंत्र" पुस्तक के साथ द डाटा स्ट्रीट मासिक पत्रिका भी
जनवरी 2024 से ऑफलाइन उपलब्ध
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