The Hind manch

The Hind manch आओ सीखें और सिखाए भारत को फिर से उन्नत राष्ट्र बनायें।

हमारा मुख्य लक्ष्य भारत को समृद्ध, शक्तिशाली और ज्ञानवान बनाना है, जिससे आने वाली पीढ़ी को अपने देश, उनके पूर्वजों, महापुरुषों और उनकी संस्कृति पर गर्व हो , उन्हें वैदिक धर्म की जानकारी प्रदान करना, उन्हें सही रास्ते पर ले जाना और भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है।
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03/10/2024
पितृ विसर्जन अमावस्या 2 अक्टूबर 2024....…....नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ व आदि गंगा गोमती में स्नान कर श्रद्धालु अपने पितरों...
02/10/2024

पितृ विसर्जन अमावस्या 2 अक्टूबर 2024....…....
नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ व आदि गंगा गोमती में स्नान कर श्रद्धालु अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान व तर्पण करते हैं। आज का दिन अपने पितरों के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त करने के लिए होता है। आश्विन मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है।

आज मुझे भी सनातन धर्म में मनाया जा रहा पितृपक्ष में पितरों के श्राद्ध तर्पण के लिए नैमिषारण्य आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

नैमिष तीर्थ भूमि का इस दिन विशेष महत्व है, इसे नाभि गया के नाम से भी जाना जाता है। यहां पितरों की तृप्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध व तर्पण करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

जिन परिवारों को अपने पितरों की तिथि याद नहीं रहती है या पितरों की तिथि ज्ञात होने पर भी यदि समय पर किसी कारण से श्राद्ध न हो पाए, तो उनका श्राद्ध भी इसी अमावस्या को कर देने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। जिनकी अकाल मृत्यु हो गई हो उनका भी श्राद्ध इसी अमावस्या के दिन किया जा सकता है।

जय सनातन 🙏🙏

29/09/2024

एक ही धंधा बाकी था, वह भी शुरू हो गया है - ₹50 में एक चोंच लगवाएं और पुरखों को खाना डिलीवर्ड करवाएं। जीते जी बाप-दादा को खाना नहीं परोसने वाले लोग अब कौवे को खाना खिलाने के लिए पैसे दे रहे हैं। धर्म का पालन न्यायसंगत है, लेकिन पाखंड का पालन मूर्खता है।

पितृपक्ष मनाने का प्राकृतिक कारण..…....

बारिश में पूरी पृथ्वी जल मग्न हो जाने के कारण, पक्षियों द्वारा संरक्षित किया गया अनाज भी खत्म होने की स्थिति में आ जाता। तब श्राद्ध पक्ष में 15 दिन पितरों को माध्यम मानकर गांवों में प्रतिदिन थोड़ा भोजन बनाकर छप्पर या छत पर रखा जाता हैं ताकि पक्षी भोजन की मार से ना मारे और कुछ दिन बाद धान ज्वार बाजरा पकने लगता है तो फिर पक्षी वहां से अपना भोजन प्राप्त करने लगते हैं

05/09/2024

हिंदुत्व को बदनाम करने वाले बहरूपियों का एक दुकान में अच्छे से चाय पानी होते हुए।

05/09/2024

Kathmandu Tourist Places | काठमांडू यात्रा |

मैनेजमेंट मंत्र:10 बातें जो कृष्ण के जीवन को बनाती है महानतम, जीवन प्रबंधन के लिए सबसे श्रेष्ठ सूत्र:–जन्म से लेकर देहत्...
26/08/2024

मैनेजमेंट मंत्र:10 बातें जो कृष्ण के जीवन को बनाती है महानतम, जीवन प्रबंधन के लिए सबसे श्रेष्ठ सूत्र:–

जन्म से लेकर देहत्याग तक भगवान कृष्ण के जीवन की लगभग हर घटना में कोई सूत्र है
युद्ध भूमि पर दिया गया गीता का उपदेश संसार का श्रेष्ठतम ज्ञान माना जाता है
मैंनेजमेंट मास्टर कहें या जगतगुरु, गिरधारी कहें या रणछोड़। भगवान कृष्ण के जितने नाम हैं, उतनी कहानियां। जीवन जीने के तरीके को अगर किसी ने परिभाषित किया है तो वो कृष्ण हैं। कर्म से होकर परमात्मा तक जाने वाले मार्ग को उन्हीं ने बताया है। संसार से वैराग्य को सिरे से नकारा। कर्म का कोई विकल्प नहीं, ये सिद्ध किया। कृष्ण कहते हैं, मैं हर हाल में आता हूं, जब पाप और अत्याचार का अंधकार होता है तब भी, जब प्रेम और भक्ति का उजाला होता है तब भी। दोनों ही परिस्थिति में मेरा आना निश्चित है।

वैसे तो कृष्ण का संपूर्ण जीवन ही एक प्रबंधन की किताब है, जिसे सैंकड़ों-हजारों बार कहा, सुना जा चुका है। कुरुक्षेत्र में दो सेनाओं के बीच खड़े होकर भारी तनाव के समय कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वो दुनिया का श्रेष्ठतम ज्ञान है। गीता का जन्म युद्ध के मैदान में दो सेनाओं के बीच हुआ। जीवन की श्रेष्ठतम बातें भारी तनाव और दबाव में ही होती हैं। अगर आप दिमाग को शांत और मन को स्थिर रखने की कोशिश करें तो सबसे बुरी परिस्थितियों में भी आप अपने लिए कुछ बहुत बेहतरीन निकाल पाएंगे। ये कृष्ण सिखाते हैं। गीता पढ़ने से पहले अगर इसी बात को समझ लिया जाए तो गीता पढ़ना सफल हुआ।

कृष्ण का जीवन ऐसी ही बातों से भरा पड़ा है, जरूरत है नजरिए की। उनका जीवन आपके लिए मॉयथोलॉजी का एक हिस्सा मात्र भी हो सकता है, और आपका पूरा जीवन बदलकर रख देने वाला ज्ञान भी। आवश्यकता हमारी है, हम उनके जीवन से लेना क्या चाहते हैं। कृष्ण मात्र कथाओं में पढ़ा या सुना जाने वाला पात्र नहीं है, वो चरित्र और व्यवहार में उतारे जाने वाले देवता हैं। कृष्ण से सीखें, कैसे जीवन को श्रेष्ठ बनाया जाए। दस बातें हैं, जो अगर व्यवहार में उतार लीं तो सफलता निश्चित मिलेगी।

1. शुरू से अंत तक, जीवन संघर्ष ही है
कारागृह में जन्मे कृष्ण। पैदा होते ही रात में यमुना पार कर गोकुल ले जाया गया। तीसरे दिन पुतना मारने आ गई। यहां से शुरू हुआ संघर्ष देह त्यागने से पहले द्वारिका डुबोने तक रहा। कृष्ण का जीवन कहता है, आप कोई भी हों, संसार में आए हैं तो संघर्ष हमेशा रहेगा। मानव जीवन में आकर परमात्मा भी सांसारिक चुनौतियों से बच नहीं सकता। कृष्ण ने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की। हर परिस्थिति को जिया और जीता। कृष्ण कहते हैं परिस्थितियों से भागो मत, उसके सामने डटकर खड़े हो जाओ। क्योंकि, कर्म करना ही मानव जीवन का पहला कर्तव्य है। हम कर्मों से ही परेशानियों से जीत सकते हैं।

2. स्वस्थ्य शरीर से ही विजय है
कृष्ण का बचपन माखन-मिश्री खाते हुए गुजरा। आज भी भोग लगाते हैं हम। लेकिन ये संकेत कुछ और है। आहार अच्छा हो, शुद्ध हो, बल देने वाला हो। बचपन में शरीर को अच्छा आहार मिलेगा तो ही इंसान युवा होकर वीर बनेगा। शरीर को स्वस्थ्य रखना है तो बचपन से ध्यान देने की जरूरत है। ये पैरेटिंग के दौर से गुजर रहे युवाओं के लिए बड़ा मैसेज है, अपने बच्चों को ऐसा खाना दें, जो उनको बल दे। सिर्फ स्वाद के लिए ही ना खिलाएं। तभी वे बड़े होकर स्वयं को और समाज को सही दिशा में ले जा पाएंगे।

3. पढ़ाई किताबी ना हो, रचनात्मक हो
कृष्ण ने अपनी शिक्षा मध्य प्रदेश के उज्जैन में सांदीपनि ऋषि के आश्रम में रह कर पूरी की थी। कहा जाता है 64 दिन में उन्होंने 64 कलाओं का ज्ञान हासिल कर लिया था। वैदिक ज्ञान के अलावा उन्होंने कलाएं सीखीं। शिक्षा ऐसी ही होनी चाहिए जो हमारे व्यक्तित्व का रचनात्मक विकास करे। संगीत, नृत्य, युद्ध सहित 64 कलाओं कृष्ण के व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। बच्चों में कोरा ज्ञान ना भरें। उनकी रचनात्मकता को नए आयाम मिलें, ऐसी शिक्षा व्यवस्था हो।

4. रिश्तों से ही जीवन है, बिना रिश्तों के कुछ नहीं
कृष्ण ने जीवनभर कभी उन लोगों का साथ नहीं छोड़ा, जिनको मन से अपना माना। अर्जुन से वे युवावस्था में मिले, ऐसा महाभारत कहती है, लेकिन अर्जुन से उनका रिश्ता हमेशा मन का रहा। सुदामा हो या उद्धव। कृष्ण ने जिसे अपना मान लिया, उसका साथ जीवन भर दिया। रिश्तों के लिए कृष्ण ने कई लड़ाइयां लड़ीं। और रिश्तों से ही कई लड़ाइयां जीती। उनका सीधा संदेश है सांसारिक इंसान की सबसे बड़ी धरोहर रिश्ते ही हैं। अगर किसी के पास रिश्तों का थाती नहीं है, तो वो इंसान संसार के लिए गैर जरूरी है। इसलिए, अपने रिश्तों को दिल से जीएं, दिमाग से नहीं।

5. नारी का सम्मान समाज के लिए जरूरी
राक्षस नरकासुर का आतंक था। करीब 16,100 महिलाओं को उसने अपने महल में कैद किया था। महिलाओं से बलात्कार में उसे सुख मिलता था। कृष्ण ने उसे मारा। सभी महिलाओं को मुक्त कराया। लेकिन सामाजिक कुरुतियां तब भी थीं। उन महिलाओं को अपनाने वाला कोई नहीं था। खुद उनके घरवालों ने उन्हें दुषित मानकर त्याग दिया। ऐसे में कृष्ण आगे आए। सभी 16,100 महिलाओं को अपनी पत्नी का दर्जा दिया। समाज में उन्हें सम्मान के साथ रहने के लिए स्थान दिलाया। कृष्ण ने हमेशा नारी को शक्ति बताया, उसके सम्मान के लिए तत्पर रहे। पूरी महाभारत नारी के सम्मान के लिए ही लड़ी गई। सो, आप कृष्ण भक्त हैं तो अपने आसपास की महिलाओं का पूरा सम्मान करें। कृष्ण की कृपा पाने का ये सरलतम मार्ग है।

6. आपके मतभेद अगली पीढी के लिए बाधा ना बनें
कम ही लोग जानते हैं कि जिस दुर्योधन के खिलाफ कृष्ण ने आजीवन पांडवों का साथ दिया। उसकी मौत का कारण भी कृष्ण की कूटनीति बनी, वो ही दुर्योधन रिश्ते में कृष्ण का समधी भी था। कृष्ण के पुत्र सांब ने दुर्योधन की बेटी लक्ष्मणा का अपहरण करके उससे विवाह किया था। क्योंकि लक्ष्मणा, सांब से विवाह करना चाहती थी लेकिन दुर्योधन खिलाफ था। सांब को कौरवों ने बंदी भी बनाया था। तब कृष्ण ने दुर्योधन को समझाया था कि हमारे मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन हमारे विचार हमारे बच्चों के भविष्य में बाधा नहीं बनने चाहिए। दो परिवारों के आपसी झगड़े में बच्चों के प्रेम की बलि ना चढ़ाई जाए। कृष्ण ने लक्ष्मणा को पूरे सम्मान के साथ अपने यहां रखा। दुर्योधन से उनका मतभेद हमेशा रहा लेकिन उन्होंने उसका प्रभाव कभी लक्ष्मणा और सांब की गृहस्थी पर नहीं पड़ने दिया।

7. शांति का मार्ग ही विकास का रास्ता है
कृष्ण ने महाभारत युद्ध के पहले शांति से समझौता करने के लिए पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता की। हालांकि दोनों ही पक्ष युद्ध लड़ने के लिए आतुर थे लेकिन कृष्ण ने हमेशा चाहा कि कैसे भी युद्ध टल जाए। झगड़ों से कभी समस्याओं का समाधान नहीं होता है। शांति के मार्ग पर चलकर ही हम समाज का रचनात्मक विकास कर सकते हैं। कृष्ण ने समाज की शांति से मन की शांति तक, दुनिया को ये समझाया कि कोई भी परेशानी तब तक मिट नहीं सकती, जब तक वहां शांति ना हो। फिर चाहे वो समाज हो, या हमारा खुद का मन। शांति से ही सुख मिल सकता है, साधनों से नहीं।

8. हमेशा दूरगामी परिणाम सोचें
महाभारत में जुए की घटना के बाद पांडवों को वनवास हो गया। कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि ये समय भविष्य के लिए तैयारी करने का है। महादेव शिव, देवराज इंद्र और दुर्गा की तपस्या करने को कहा। कृष्ण जानते थे कि दुर्योधन को कितना भी समझाया जाए, वो पांडवों को कभी उनका राज्य नहीं लौटाएगा। तब शक्ति और सामर्थ्य की जरूरत होगी। कर्ण के कुंडल कवच पांडवों की जीत में आड़े आएंगे ये भी वे जानते थे। उन्होंने हर चीज पर बहुत दूरगामी सोच रखी। कोई भी फैसला तात्कालिक आवेश में नहीं लिया। हर चीज के लिए आने वाली पीढ़ियों तक का सोचा। यही सोच समाज का निर्माण करती है।

9. हर परिस्थिति में मन शांत और दिमाग स्थिर रहे
पांडवों के राजसूय यज्ञ में शिशुपाल कृष्ण को अपशब्द कहता रहा। छोटा भाई था लेकिन मर्यादाएं तोड़ दीं। पूरी सभा चकित थी, कुछ क्रोधित भी थे लेकिन कृष्ण शांत थे, मुस्कुरा रहे थे। शांति दूत बनकर गए तो दुर्योधन ने अपमान किया। कृष्ण शांत रहे। अगर हमारा दिमाग स्थिर है, मन शांत है तभी हम कोई सही निर्णय ले पाएंगे। आवेश में हमेशा हादसे होते हैं, ये कृष्ण सिखाते हैं। विपरित परिस्थितियों में भी कभी विचलित नहीं होने का गुण कृष्ण से बेहतर कोई नहीं जानता।

10. लीडर बनें, श्रेय लेने की होड़ से बचें

कृष्ण ने दुनियाभर के राजाओं को जीता था। जहां ऐसे राजाओं का राज था, जो भ्रष्ट थे, जैसे जरासंघ। लेकिन कभी किसी राजा का सिंहासन नहीं छीना। कृष्ण के पूरे जीवन में कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने किसी राजा को मारकर उसका शासन खुद लिया हो। जरासंघ को मारकर उसके बेटे को राजा बनाया, जो चरित्र का अच्छा था। सभी जगह ऐसे लोगों को बैठाया, जो धर्म को जानते थे। कभी किंग नहीं बने, हमेशा किंगमेकर की भूमिका में रहे। महाभारत युद्ध में भी खुद हथियार नहीं उठाया। पूरा युद्ध कूटनीति से लड़ा, पांडवों को सलाह देते रहे लेकिन जीतने का श्रेय भीम और अर्जुन को दिया।

21/07/2024

बाबा नीम करोली आश्रम हनुमान सेतु लखनऊ में शनिवार को सुंदरकांड पाठ के बाद मधुर स्वर में कृष्ण भजन ।

14/07/2024

शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने अनंत अंबानी और राधिका को जीवन के नए सफर के लिए आशीर्वाद प्रदान किया, इस विशेष अवसर पर मुकेश अंबानी ने शंकराचार्यों और संतों का अभिनंदन किया।

12/07/2024

सावधान और सतर्क रहें. रोहिंग्या मुस्लिम, साधू चोला पहन रेगिस्तानी हिंदू घरों में भीख मांग रहे हैं। पालमपुर में जिम के शौकीनों ने साधुओं के भेष में रोहिंग्याओं को पकड़ा।

08/07/2024

यह नसीर अहमद, हिंदू वेशभूषा धारण कर धर्म के नाम पर पैसा लेकर हिंदुओं को बदनाम करने की साजिश के तहत उस पैसे से केवल हिंदू का नाश करना या गाय का मांस खाने में उपयोग करता है।
सभी सनातन धर्म के अनुयायियों से अनुरोध है कि ध्यान से समझ कर दान करो क्योंकि कुपात्र को दान देना पाप होता है। यह व्यक्ति का धन्यवाद जिसने नसीर अहमद के तमाम पैतराबाजी करने पर भी उसकी सच्चाई उगलवा ली।

29/06/2024

#जयसनातन #धर्म

16/06/2024

विष्णु शंकर जैन और उनके पिता हरि शंकर जैन.... वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील पिता-पुत्र को मुसलमानों से जान से मारने की धमकी मिल रही है....! मुस्लिम अगर किसी इस्लामी मुद्दे का प्रतिनिधित्व करते हैं तो दुनिया भर का मुस्लिम समुदाय उनके साथ खड़ा होता। हालांकि विष्णु जैन और हरि जैन हिंदू मुद्दे का प्रतिनिधित्व करने वाले हिंदू हैं। अभी तक कोई भी हिंदू या हिंदू संगठन उनके समर्थन में खड़ा नहीं हुआ। The Hind manch विष्णु शंकर जैन एवं उनके पिता हरिशंकर जैन के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा है।

05/06/2024

सिंगिंग बाउल: इतिहास, निर्माण और फायदे

सिंगिंग बाउल का इतिहास सदियों पुराना है। इनकी उत्पत्ति तिब्बत में हुई मानी जाती है, जहाँ इनका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और ध्यान में सदियों से किया जाता रहा है।

#सिंगिंग_बाउल धातुओं के मिश्रण से बनाए जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से तांबा, टिन, सीसा, लोहा और सोना शामिल होते हैं। इन धातुओं का अनुपात बाउल की ध्वनि और गुणवत्ता को निर्धारित करता है।

सिंगिंग बाउल विभिन्न आकारों और प्रकारों में उपलब्ध होते हैं, जिनमें हस्तनिर्मित और मशीन निर्मित बाउल शामिल हैं।

बजाने की विधि:–

सिंगिंग बाउल को विभिन्न तरीकों से बजाया जा सकता है।

2. लकड़ी के हथौड़े से बाउल के किनारे पर हल्का सा प्रहार करके।
2. बाउल को घुमाकर उसकी परतों पर रगड़ कर।
3. पानी से भरे बाउल को हल्के से कंपा कर।

ध्वनि:–

सिंगिंग बाउल से निकलने वाली ध्वनि मधुर, गहरी और शांत होती है।

फायदे:–

सिंगिंग बाउल के कई स्वास्थ्य और मानसिक लाभ माने जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. #तनाव और चिंता में कमी
2. बेहतर नींद
3. दर्द में कमी
4. रक्तचाप में कमी
5. एकाग्रता और ध्यान में वृद्धि
6. मानसिक शांति और संतुलन

उपयोग:–

सिंगिंग बाउल का उपयोग #ध्यान, #योग, ध्वनि #चिकित्सा, और कला सहित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।

30/05/2024

सनातन धर्म के लोग नदियां पहाड़ #पीपल, #नीम, #बरगद आदि अनेक पेड़ पौधों की पूजा करते हैं। तो अन्य मत पंथ के लोग इसे हिंदुओं द्वारा फैलाया जा रहा #अंधविश्वास कहते हैं।
आज बढ़ते #तापमान में पेड़ की अहमियत लोगो को समझ आ रही है, ऐसे में मैं सोचता हूं कि यदि सनातन धर्म ऐसे अंधविश्वास करता है तो यह अंधविश्वास सदैव बना रहना चाहिए।
पेड़ पौधे नदी की पूजा करना प्रकृति संरक्षण का ही एक दूसरा रूप है। जिसे सनातन धर्म के ऋषि मुनियों ने हजारों साल पहले पहचान लिया था और उसे संरक्षित करने का तरीका भी खोज लिया था, और किसी न किसी कहानी और व्रत कथा से जोड़कर इनको पूजने का प्राविधान बनाया था।
गर्व है मुझे अपने भारत के ऋषि मुनियों पर और अपनी सनातन संस्कृति पर।
#जयसनातन
🌳 🌳

लंबे समय के बाद HIND MANCH का ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड हो गया।
09/05/2024

लंबे समय के बाद HIND MANCH का ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड हो गया।

रसोई में भोजन बनाना         छोड़ने का दुष्परिणाम जानिए।       अमेरिका में क्या हुआ, जब   घर में भोजन बनाना बंद हो गया ? ...
15/04/2024

रसोई में भोजन बनाना
छोड़ने का दुष्परिणाम जानिए।

अमेरिका में क्या हुआ, जब
घर में भोजन बनाना बंद हो गया ?

1980 दशक के
अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने
अमेरिकी लोगों को चेतावनी दी, कि
यदि वे परिवार में आर्डर देकर
बाहर से भोजन मंगवायेंगे, तो
परिवार व्यवस्था धीरे-धीरे
समाप्त हो जाएगी.

साथ ही दूसरी चेतावनी दी, कि
यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण
घर के बुजुर्गों के स्थान पर
बाहर से व्यवस्था की तो यह भी
परिवार व्यवस्था के लिए घातक होगा.
लेकिन बहुत कम लोगों ने
उनकी सलाह मानी.
घर में भोजन बनाना
लगभग बंद हो गया है, और
बाहर से मंगवाने की आदत
(यह अब नॉर्मल है),
अमेरिकी परिवारों के
विलुप्त होने का कारण बनी है,
जैसा कि ....
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी.

प्यार से भोजन बनाना, मतलब
परिवार के सदस्यों के साथ
प्यार से जुड़ना.

● पाक कला ●
अकेले भोजन बनाना नहीं है,
बल्कि ... केंद्र बिंदु है,
पारिवारिक संस्कृति का.

अगर कोई किचन नहीं है,
तो बस एक बेडरूम है,
यह परिवार नहीं है,
यह एक हॉस्टल है.

उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जानें
जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और
सोचा कि अकेले बेडरूम ही काफी है.

★ 1971 में, लगभग 72%
अमेरिकी परिवारों में
केवल पति और पत्नी थे,
जो अपने बच्चों के साथ रह रहे थे.
2020 तक, यह आँकडा
22% पर आ गया है.

★ पहले साथ रहने वाले परिवार
अब नर्सिंग होम (वृद्धाश्रम) में
रहने लगे हैं.

★ अमेरिका में, 15% महिलाएं
एकल महिला परिवार के रुप में
रहती हैं.

★ 12% पुरुष भी
एकल परिवार के रूप में रहते हैं.

★ अमेरिका में 19% घर या तो
अकेले रहने वाले पिता या
माता के स्वामित्व में हैं.

★ अमेरिका में आज पैदा होने वाले
सभी बच्चों में से 38%
◆ अविवाहित महिलाओं से
पैदा होते हैं.
उनमें से आधी लड़कियाँ हैं,
जो स्कूलों में जा रही हैं.

★ संयुक्त राज्य अमेरिका में
लगभग 52% पहली शादियाँ
तलाक में परिवर्तित होती हैं.
67% दूसरी शादियाँ भी
समस्याग्रस्त हैं.

अगर किचन नहीं है और सिर्फ
बेडरूम है तो वह पूरा घर नहीं है.
संयुक्त राज्य अमेरिका
विवाह की संस्था के टूटने का
एक उदाहरण है.

हमारे आधुनिकतावादी भी
अमेरिका की तरह दुकानों से या
ऑनलाईन भोजन ख़रीद रहे हैं
और खुश हो रहे हैं कि
भोजन बनाने की समस्या से
हम मुक्त हो गए हैं.
इस कारण भारत में परिवार
धीरे-धीरे
अमेरिकी परिवारों की तरह
नष्ट हो रहे हैं.

जब परिवार नष्ट होते हैं , तो
मानसिक और शारीरिक
दोनों ही स्वास्थ्य बिगड़ते हैं.
बाहर का खाना खाने से
अनावश्यक खर्च के अलावा
शरीर मोटा और संक्रमण के प्रति
संवेदनशील हो सकता है.

इसलिए ... घर पर भोजन बनाना,
परिवार के सुखी रहने का
एकमात्र कारण नहीं है.
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी
देश की अर्थव्यवस्था के लिए
आवश्यक है.

इसलिए ....
हमारे घर के बड़े-बूढ़े लोग,
हमें बाहर के भोजन से
बचने की सलाह देते थे.
लेकिन आज
हम अपने परिवार के साथ
रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं.

स्विगी और ज़ोमैटो के माध्यम से
अजनबियों द्वारा पकाए गए
भोजन को ऑनलाइन
ऑर्डर करना और खाना,
उच्च शिक्षित, मध्यवर्गीय
लोगों के बीच
फैशन बनता जा रहा है.

दीर्घकालिक आपदा होगी -->
ये आदत.
अगर वो ऑनलाइन कंपनियाँ
जो मनोवैज्ञानिक रूप से
तय करती हैं , कि हमें
क्या खाना चाहिए.

हमारे पूर्वज किसी भी यात्रा पर
जाने से पहले घर से भोजन
बनाकर ही ले जाते थे.

इसलिए ... भोजन घर में ही बनायें,
मिल-जुलकर खायें और
खुशी से रहें.

पौष्टिक भोजन के अलावा,
इसमें प्रेम और स्नेह निहित है।

NLM : भारत के लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने का मिशन, जानिए इस योजना के बारे में.......नेशनल डिजिटल साक्षरता मिशन (NLM) एक...
13/02/2024

NLM : भारत के लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने का मिशन, जानिए इस योजना के बारे में.......

नेशनल डिजिटल साक्षरता मिशन (NLM) एक सरकारी योजना है जो भारत में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों का सही उपयोग सिखाना है।

आज की दुनिया में डिजिटल ज्ञान का होना बहुत महत्वपूर्ण है। नेशनल डिजिटल साक्षरता मिशन (NLM) हमें डिजिटल तकनीकों का सही उपयोग सीखने में मदद करता है जिससे हम अपने जीवन को आसान और बेहतर बना सकते हैं।इसके तहत 14 से 60 साल तक के लोगो को डिजिटल साक्षर बनाने के लिए इंटरनेट के साथ ही कंप्यूटर और स्मार्टफोन का उपयोग करने की ट्रेनिंग दी जाती है.
पढ़ें पूरी खबर, इस लिंक को करें क्लिक ➡ https://hindmanch.org.in/nlm-mission-to-make-the-digitally-literate/

05/02/2024

सूत्र/इंदौर
श्मशान घाट में रोहिंग्या
अवैध रूप से रह रहे थे

बजरंग दल कार्यकर्तायो ने , बंगाल से आए
150 रोहिंग्याओं के इस जत्थे का भंडाफोड़ किया
उनके पास से 14 पिस्तौल और 11 तलवार मिली
आधार कार्ड भी फर्जी निकले।

05/02/2024

अहमदाबाद में राणी का हजीरा को मुस्लिम समुदाय के कब्जे से मुक्त कराया गया 🚩🙏🏻
कितना भव्य है ये मन्दिर

केदारनाथ व्यास जी 2020 में दिवंगत हो गए। इनके परिवार ने ज्ञानवापी में सतत पूजा की है। अंग्रेजों के काल में भी केस लड़े औ...
02/02/2024

केदारनाथ व्यास जी 2020 में दिवंगत हो गए। इनके परिवार ने ज्ञानवापी में सतत पूजा की है। अंग्रेजों के काल में भी केस लड़े और जीते। 1580 से इनके परिजन आज तक इस अधिकार के लिए प्रतिबद्ध रहे। मुलायम सिंह ने जब पूजा बंद करवाई थी, तब इन्होंने ही केस किया था। आज उनकी आत्मा को आंशिक तृप्ति मिली होगी।

इनका नाम है केदार नाथ व्यास। अगर आज हिंदुओं को ज्ञानवापी मंदिर में पूजा करने का अवसर मिलता है तो यह केवल उनके और उनके परिवार के कारण है।

ज्ञानवापी मंदिर में 4 तहखाना हैं, कल कोर्ट ने एक तहखाना में हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी, उस तहखाना को व्यास जी का तहखाना कहा जाता है।

उनका परिवार 1580 से वास्तविक काशी विश्वनाथ की पूजा करता आ रहा है। उन्होंने 1880 में मामला दायर किया और 1937 में जीत हासिल की।

1947 में मुस्लिमों ने उस स्थान पर कब्ज़ा करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुस्लिमों से युद्ध किया और उन्हें कब्ज़ा नहीं करने दिया।

वे 1993 तक वहां पूजा करते रहे। 1993 में मुलायम सिंह यादव ने वहां पूजा बंद करा दी। यह मामला उनके परिवार के सदस्यों द्वारा दायर किया गया था और पूजा की अनुमति मांगी गई थी।

2020 में श्री केदारनाथ जी व्यास हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गये। 1947 में भारत को आजादी मिल गई लेकिन हिंदू को नहीं। लड़ाई अभी भी जारी है।

बहुत सारी अनकही कहानियाँ हैं..
बहुत सारे गुमनाम हीरो हैं...

ऐश्वर्य गणपति जी मंदिर अवंचा, नागरकुरनूल तेलंगाना में स्थित है।मूर्ति की ऊंचाई लगभग 30 फीट की है जो इसे सबसे ऊंची प्रतिम...
30/01/2024

ऐश्वर्य गणपति जी मंदिर अवंचा, नागरकुरनूल तेलंगाना में स्थित है।
मूर्ति की ऊंचाई लगभग 30 फीट की है जो इसे सबसे ऊंची प्रतिमा बताते हैं।
भारत में अखंड गणेश जी की मूर्ति।इसे एक बड़े ग्रेनाइट शिलाखंड पर तराशा गया है।

बदलता भारत 🌺💐💐💐किसे बुलाया किसे नहीं.. कौन आया कौन नहीं...इन सब बातों से अलग हटकर जब 22 जनवरी को श्री रामलला विराजमान हो...
29/01/2024

बदलता भारत 🌺💐💐💐
किसे बुलाया किसे नहीं.. कौन आया कौन नहीं...इन सब बातों से अलग हटकर जब 22 जनवरी को श्री रामलला विराजमान हो रहे थे तो छत्तीसगढ़ के रामनामी सम्प्रदाय के मुखिया भी वहाँ उपस्थित थे इस बात का मन में बहुत आनंद है...कभी इनके पूर्वजों को कहीं मंदिर में जाने से रोक दिया गया था..इसका परिणाम यह हुआ कि इन्होंने अपने शरीर पर राम नाम गुदवा लिया... वस्त्र भी रामनामी धारण करते है...

पूर्व में हुई गलती का प्रायश्चित करते हुए रामनामी संप्रदाय को प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आदरपूर्वक आमंत्रित किया गया इसके लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का धन्यवाद..न सिर्फ ये लोग रामोत्सव में सम्मिलित हुए वरन इनके सम्प्रदाय की नई पीढ़ी के 50 लोगों ने अपने देह को राममय बनाया है !!

श्री राममंदिर और राम लला की प्राणप्रतिष्ठा ने सकल हिन्दू समाज के एकत्रीकरण और धार्मिक आध्यात्मिक पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त कर दिया है !! 😊🌼🙏🚩

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