Fun With Om

Fun With Om Funny clips, comedy show
(4)

23/05/2024

02/02/2024

लास्ट तक जरुर देखना मज़ा आएगा 😋

गोलू: भाई मुझे हाथ देखना आता है.मोलू: अच्छा मेरा देख जरा.गोलू: तुम्हारी हस्तरेखा बताती है कि तुम्हारे घर के नीचे बहुत धन...
02/02/2024

गोलू: भाई मुझे हाथ देखना आता है.
मोलू: अच्छा मेरा देख जरा.
गोलू: तुम्हारी हस्तरेखा बताती है कि तुम्हारे घर के नीचे बहुत धन है.
मोलू: ठीक कहा गोलू मेरे घर के नीचे SBI बैंक की ब्रांच है।

*लालची मिठाई वाला*दिनपुर गांव में सोहन नाम का हलवाई रहता था। वह खूब बढ़िया और स्वादिष्ट मिठाइयां बनाने के लिए जाना जाता ...
25/01/2024

*लालची मिठाई वाला*
दिनपुर गांव में सोहन नाम का हलवाई रहता था। वह खूब बढ़िया और स्वादिष्ट मिठाइयां बनाने के लिए जाना जाता था। इसी वजह से उसकी दुकान पूरे गांव में मशहूर थी। पूरा गांव उसी की दुकान से मिठाई खरीदता था। वह और उसकी पत्नी मिलकर शुद्ध देसी घी में मिठाई बनाते थे। इससे मिठाइयां काफी अच्छी और स्वादिष्ट बनती थीं। हर रोज शाम होते-होते उसकी सारी मिठाइयां बिक जाती थीं और वह अच्छा मुनाफा भी कमा लेता था।मिठाइयों से जैसे ही आमदनी बढ़ने लगी, सोहन के मन में और पैसा कमाने का लालच आने लग गया। अपने इसी लालच के चलते उसे एक तरकीब सूझी। वह शहर गया और वहां से एक दो चुम्बक के टुकड़े ले कर आ गया। उस टुकड़े को उसने अपने तराजू के नीचे लगा दिया।इसके बाद एक नया ग्राहक आया, जिसने सोहन के पास से एक किलो जलेबी खरीदी। इस बार तराजू में चुम्बक लगाने की वजह से सोहन को अधिक मुनाफा हुआ। उसने अपनी इस तरकीब के बारे में अपनी पत्नी को भी बताया, लेकिन उसकी पत्नी को सोहन की यह चालाकी अच्छी नहीं लगी। उसने सोहन को समझाया कि उसे अपने ग्राहकों के साथ इस तरह की धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए, लेकिन सोहन ने अपनी पत्नी की बात बिल्कुल भी नहीं सुनी।वो हर रोज तराजू के नीचे चुंबक लगाकर अपने ग्राहकों को धोखा देने लगा। इससे उसका मुनाफा बढ़कर कई गुना अधिक हो गया। इससे सोहन को काफी खुशी हुई।

एक दिन सोहन की दुकान पर रवि नाम का एक नया लड़का आया। उसने सोहन से दो किलो जलेबी खरीदी। सोहन ने इसे भी चुम्बक लगे तराजू से तोलकर जलेबी दे दी।रवि ने जैसे ही जलेबी उठाई, उसे लगा कि जलेबी का वजन दो किलो से कम है। उसने अपना शक दूर करने के लिए सोहन से दोबारा से जलेबी को तोलने के लिए कहा।

रवि की बात सुनकर सोहन चिढ़ गया। उसने कहा, ‘मेरे पास इतना फालतू समय नहीं है कि मैं बार-बार तुम्हारी जलेबी ही तोलता रहूं।’ इतना कहकर उसने रवि को वहां से जाने के लिए कह दिया।सोहन मिठाई वाले की बात सुनने के बाद रवि जलेबी लेकर वहां से चला गया। वह एक दूसरी दुकान पर गया और वहां बैठे मिठाई वाले से अपनी जलेबी तोलने के लिए कहा। जब दूसरे दुकानदार ने जलेबी तोली, तो जलेबी सिर्फ डेढ़ किलो ही निकली। अब उसका शक यकीन में बदल गया था। उसे पता चल गया कि सोहन मिठाई वाले के तराजू में कुछ गड़बड़ है।अब उसने तराजू की गड़बड़ को सबके सामने लाने के लिए खुद एक तराजू खरीद लिया और उसे ले जाकर सोहन मिठाई वाले के दुकान के पास ही रख दिया।

फिर रवि अपने सभी गांव के लोगों को वहां पर इकट्ठा करने में लग गया। जैसे ही लोगों की थोड़ी भीड़ बढ़ने लगी, तो उसने गांव के लोगों को कहा कि आज मैं आप सभी लोगों को एक जादू दिखाऊंगा। यह जादू देखने के लिए बस आप लोगों को सोहन मिठाई वाले से खरीदा गया सामान एक बार इस तराजू में तोलना होगा। तब आप लोग देखेंगे कि कैसे सोहन मिठाई वाले के तराजू में तोली गई मिठाइयां इस दूसरे तराजू में अपने आप ही कम हो जाती हैं।कुछ देर बाद एक-दो लोग मिठाई लेकर रवि के पास पहुंचे, तो उसने ऐसा करके भी दिखाया। इसके बाद सोहन के दुकान से जिसने भी मिठाई खरीदी थी, सभी ने रवि के तराजू में तोलकर देखा, तो सबकी मिठाइयां 250 ग्राम से लेकर आधा किलो तक कम निकली। यह सब देखकर लोगों को काफी हैरानी हुई।अपनी दुकान के पास ही यह सब होता देख सोहन मिठाई वाला रवि से झगड़ा करने लगा। उसने लोगों को बताया कि रवि यह सब नाटक कर रहा है। अपनी बात को सही साबित करने के लिए रवि सीधे सोहन मिठाई वाले का तराजू लेकर आया और तराजू में लगा चुम्बक निकालकर सबको दिखाने लगा।यह देखकर गांव वालों को बहुत गुस्सा आया। सबने मिलकर उस लालची मिठाई वाले को खूब मारा। अब उस लालची मिठाई वाले को अपने लालच और उसके कारण की गई गलत हरकतों पर पछतावा हो रहा था। उसने अपने गांव के सभी लोगों से माफी मांगी और वादा भी किया कि भविष्य में वे ऐसी कोई भी जालसाजी नहीं करेगा।सोहन की इस धोखेबाजी से पूरा गांव नाराज था, इसलिए लोगों ने उसकी दुकान में जाना काफी कम कर दिया। इधर, सोहन के पास पछताने के अलावा कुछ और नहीं बचा, क्योंकि वो पूरे गांव वालों का भरोसा खो चुका था।

*कहानी से सीख*– कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। हमेशा ईमानदारी के साथ अपना काम करने से ही इंसान का नाम होता है। लालच के चलते भले ही कुछ समय के लिए अच्छा फायदा हो, लेकिन इससे इज्जत और आत्मसम्मान दोनों कम हो जाते हैं।

🌹पंचतंत्र की कहानी: बंदर और खरगोश🌹एक बड़े-से जंगल में एक बंदर और एक खरगोश बड़े प्यार से रहते थे। दोनों में इतनी अच्छी दो...
24/01/2024

🌹पंचतंत्र की कहानी: बंदर और खरगोश🌹
एक बड़े-से जंगल में एक बंदर और एक खरगोश बड़े प्यार से रहते थे। दोनों में इतनी अच्छी दोस्ती थी कि हमेशा एक साथ खेलते और अपना सुख-दुख बांटते थे।

एक दिन खेलते-खेलते बंदर ने कहा, “मित्र खरगोश, आज कोई नया खेल खेलते हैं।” खरगोश ने पूछा, “बताओ कौन-सा खेल खेलने का मन है तुम्हारा?”
बंदर बोला, “आज हम दोनों को आँख-मिचोली खेलनी चाहिए।” खरगोश हंसते हुए कहने लगा, “ठीक है, खेल लेते है। बड़ा मज़ा आएगा।” दोनों यह खेल शुरू करने ही वाले थे कि तभी उन्होंने देखा कि जंगल के सारे पशु-पक्षी इधर-उधर भाग रहे हैं।

बंंदर ने फ़ुर्ती दिखाते हुए पास से भाग रही लोमड़ी से पूछा, “अरे, ऐसा क्या हो गया है? क्यों सब भाग रहे हैं?” लोमड़ी ने जवाब दिया, “एक शिकारी जंगल में आया है, इसलिए हम सब अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं। तुम भी जल्दी भागो वरना वह तुम्हें पकड़ लेगा।” इतना बोलकर लोमड़ी तेज़ी से वहाँ से भाग गई।शिकारी की बात सुनते ही बंदर और खरगोश भी डर कर भागने लगे। भागते-भागते दोनों उस जंगल से काफ़ी दूर निकल आए। तभी बंदर ने कहा, “मित्र खरगोश, सुबह से हम भाग रहे हैं। अब शाम हो चुकी है। चलो, थोड़ा आराम कर लेते हैं। मैं थक गया हूँ।”

खरगोश बोला, “हाँ, थकान ही नहीं, प्यास भी बहुत लगी है। थोड़ा पानी पी लेते हैं। फिर आराम करेंगे।”बंदर ने कहा, “प्यास तो मुझे भी लगी है। चलो, पानी ढूंढते हैं।”

दोनों साथ में पानी ढूंढने के लिए निकले। कुछ ही देर में उन्हें पानी का एक मटका मिला। उसमें बहुत कम पानी था। अब खरगोश और बंदर दोनों के मन में हुआ कि अगर इस पानी को मैं पी लूंगा, तो मेरा दोस्त प्यासा ही रह जाएगा।अब खरगोश कहने लगा, तुम पानी पी लो। मुझे ज़्यादा प्यास नहीं लगी है। तुमने उछल-कूद बहुत की है, इसलिए तुम्हें ज़्यादा प्यास लगी होगी।

फिर बंदर बोला, “मित्र, मुझे प्यास नहीं लगी है। तुम पानी पी लो। मुझे पता है, तुमको बहुत प्यास लगी है।”

दोनों इसी तरह बार-बार एक दूसरे को पानी पीने के लिए कह रहे थे। पास से ही गुज़र रहा हाथी थोड़ी देर के लिए रुका और उनकी बातें सुनने लगा।कुछ देर बाद हंसते हुए हाथी ने पूछा, “तुम दोनों पानी क्यों नहीं पी रहे हो?”

खरगोश ने कहा, “देखो न हाथी भाई, मेरे दोस्त को प्यास लगी है, लेकिन वो पानी नहीं पी रहा है।”

बंदर बोला, “नहीं-नहीं भाई, खरगोश झूठ बोल रहा है। मुझे प्यास नहीं लगी है। इसको प्यास लगी है, लेकिन यह मुझे पानी पिलाने की ज़िद कर रहा है।”हाथी यह दृश्य देखकर बोलने लगा, “तुम दोनों की दोस्ती बहुत गहरी है। हर किसी के लिए यह एक मिसाल है। तुम दोनों ही इस पानी को क्यों नहीं पी लेते हो। इस पानी को आधा-आधा करके तुम दोनों पी सकते हो।”

खरगोश और बंदर दोनों को हाथी का सुझाव अच्छा लगा। उन्होंने आधा-आधा करके पानी पी लिया और फिर थकान मिटाने के लिए आराम करने लगे।

*कहानी से सीख*
सच्चे दोस्त हमेशा एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं। सच्ची दोस्ती में स्वार्थ की कोई जगह नहीं होती।

❤️दो पत्थरों की कहानी जो आपको सफलता के लिए प्रेरित करेगी❤️नदी पहाड़ों की कठिन व लम्बी यात्रा के बाद तराई में पहुंची। उसके...
24/01/2024

❤️दो पत्थरों की कहानी जो आपको सफलता के लिए प्रेरित करेगी❤️
नदी पहाड़ों की कठिन व लम्बी यात्रा के बाद तराई में पहुंची। उसके दोनों ही किनारों पर गोलाकार, अण्डाकार व बिना किसी निश्चित आकार के असंख्य पत्थरों का ढेर सा लगा हुआ था। इनमें से दो पत्थरों के बीच आपस में परिचय बढ़ने लगा। दोनों एक दूसरे से अपने मन की बातें कहने-सुनने लगे।इनमें से एक पत्थर एकदम गोल-मटोल, चिकना व अत्यंत आकर्षक था जबकि दूसरा पत्थर बिना किसी निश्चित आकार के, खुरदरा व अनाकर्षक था।

एक दिन इनमें से बेडौल, खुरदरे पत्थर ने चिकने पत्थर से पूछा, ‘‘हम दोनों ही दूर ऊंचे पर्वतों से बहकर आए हैं फिर तुम इतने गोल-मटोल, चिकने व आकर्षक क्यों हो जबकि मैं नहीं?’’

यह सुनकर चिकना पत्थर बोला, “पता है शुरुआत में मैं भी बिलकुल तुम्हारी तरह ही था लेकिन उसके बाद मैं निरंतर कई सालों तक बहता और लगातार टूटता व घिसता रहा हूं… ना जाने मैंने कितने तूफानों का सामना किया है… कितनी ही बार नदी के तेज थपेड़ों ने मुझे चट्टानों पर पटका है…तो कभी अपनी धार से मेरे शरीर को काटा है… तब कहीं जाकर मैंने ये रूप पाया है।जानते हो, मेरे पास हेमशा ये विकल्प था कि मैं इन कठनाइयों से बच जाऊं और आराम से एक किनारे पड़ा रहूँ…पर क्या ऐसे जीना भी कोई जीना है? नहीं, मेरी नज़रों में तो ये मौत से भी बदतर है!

तुम भी अपने इस रूप से निराश मत हो… तुम्हें अभी और संघर्ष करना है और निरंतर संघर्ष करते रहे तो एक दिन तुम मुझसे भी अधिक सुंदर, गोल-मटोल, चिकने व आकर्षक बन जाओगे।

मत स्वीकारो उस रूप को जो तुम्हारे अनुरूप ना हो… तुम आज वही हो जो मैं कल था…. कल तुम वही होगे जो मैं आज हूँ… या शायद उससे भी बेहतर!”, चिकने पत्थर ने अपनी बात पूरी की।दोस्तों, संघर्ष में इतनी ताकत होती है कि वो इंसान के जीवन को बदल कर रख देता है। आज आप चाहे कितनी ही विषम पारिस्थति में क्यों न हों… संघर्ष करना मत छोड़िये…. अपने प्रयास बंद मत करिए. आपको बहुत बार लगेगा कि आपके प्रयत्नों का कोई फल नहीं मिल रहा लेकिन फिर भी प्रयत्न करना मत छोडिये। और जब आप ऐसा करेंगे तो दुनिया की कोई ताकत नहीं जो आपको सफल होने से रोक पाएगी।

एक बार की बात है एक जंगल में एक शेर राज करता था। एक दिन वह दोपहर में एक शिकार खाकर एक पेड़ के नीचे सो रहा था। तभी वहां ए...
21/01/2024

एक बार की बात है एक जंगल में एक शेर राज करता था। एक दिन वह दोपहर में एक शिकार खाकर एक पेड़ के नीचे सो रहा था। तभी वहां एक चूहा आया। चूहे ने शेर को सोते हुए देखा तो उसे हंसी आई और वह शेर के ऊपर कूदने लगा। जिससे चूहे को काफी मजा आ रहा था।

चूहे की इस हरकत से शेर की नींद खुल गई और वह गुस्से से दहाड़ा। उसने अपने एक पंजे से चूहे को पकड़ लिया। चूहे को पता चल गया था कि उसके कारण शेर की नींद टूट गई है और वह बहुत गुस्से में है। तभी चूहे ने शेर से अपनी जान बचाने की भीख मांगी और कहा कि मुझे छोड़ दो। जब भी आपको मेरी जरूरत होगी, मैं आपकी हर संभव मदद करूंगा।चूहे की यह बात सुनकर शेर हंसने लगा और बोला, चूहा तुम मेरी क्या मदद करोगे। शेर ने कहा कि मैंने अभी-अभी शिकार खाया है। जिससे मेरा पेट भरा है, इसलिए मैं तुझे जीवन देता हूं। यह कहकर शेर ने चूहे को छोड़ दिया। चूहा भी शेर को धन्यवाद कहकर वहां से चला गया।

कुछ दिनों के बाद जब शेर जंगल में घूम रहा था तो कुछ शिकारी शेर का शिकार करने के लिए जंगल में आए। उन्होंने शेर को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। शिकारियों द्वारा बिछाए गए जाल में शेर फंस गया। शेर को जाल में फँसा देखकर शिकारी उसे ले जाने के लिए एक पिंजरा वाली गाड़ी लेने गाँव गए।

जाल में फंसा शेर जोर-जोर से दहाड़ने लगा। शेर की दहाड़ उसी चूहे और जंगल के अन्य जानवरों द्वारा भी सुनी गई थी। चूहे ने जंगल के अन्य जानवरों से कहा कि आओ और शेर की मदद करो। जब वह शेर के पास पहुंचा तो उसने देखा कि शेर जाल में फंसा हुआ है।

केवल चूहा ही शेर को उस जाल से छुड़ा सका। चूहा उस जाल के ऊपर चढ़ गया और अपने तीखे दांतों से जाल को तेजी से काटने लगा। कुछ ही देर में उसने जाल काट दिया। जिससे शेर जाल से मुक्त हो गया। जाल से छूटने के बाद शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया।

इस पर चूहे ने शेर से कहा कि मैंने उस दिन आपको कहा था कि जब भी आपको मदद की जरूरत होगी। मैं आपकी हर संभव मदद करूंगा। लेकिन आपने मेरी बात को मजाक में लिया। शेर को याद आया कि चूहे ने क्या कहा था और अपनी बात पर शर्मिंदा हुआ।

इसके बाद शेर ने चूहे से कहा कि आज से तुम मेरे दोस्त हो। जब भी आपको किसी मदद की जरूरत हो आप मुझे बुला सकते हैं। उसके बाद चूहे ने कहा ठीक है और वहां से जाने लगा तो शेर ने कहा कि क्या तुम आज मेरी पीठ पर कूदना पसंद नहीं करोगे।

जब चूहे ने शेर से यह बात सुनी तो वह खुशी-खुशी शेर की पीठ पर चढ़ गया और उछलने लगा। वह शेर की पीठ पर कूद ही रहा था कि शिकारी शेर को लेने के लिए पिंजरे में बंद गाड़ी लेकर जंगल में आ पहुंचे। जब वह शेर के पास पहुंचा तो उसने शेर को जाल से मुक्त पाया। जिससे वह काफी डर गया था। इसके बाद शेर ने दहाड़ मार कर शिकारियों को भगा दिया।

❤️ शिक्षा ❤️
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें किसी को कम नहीं आंकना चाहिए। कौन जाने कब और किस वक्त कौन हमारे काम आ जाए। जिस तरह शेर ने चूहे को छोटा समझकर उसका मजाक उड़ाया, लेकिन बाद में उसी छोटे चूहे ने शेर की जान बचा ली।

 # चालाक लोमड़ी की कहानी  #एक समय की बात है एक जंगल में एक लोमड़ी रहा करती थी वह अपना जीवन बहुत ही सरलता से व्यतीत कर रह...
20/01/2024

# चालाक लोमड़ी की कहानी #

एक समय की बात है एक जंगल में एक लोमड़ी रहा करती थी वह अपना जीवन बहुत ही सरलता से व्यतीत कर रही थी। वह मुसीबत पड़ने पर बहुत ही बुद्धि से काम लेती थी। एक दिन वह सुबह हर रोज की तरह खाने की तलाश में निकल पड़ी लेकिन बहुत जगह पर घूमने फिरने के बाद उसे कहीं भी खाना नहीं मिल रहा था उसने हिम्मत नहीं हारी और खाना ढूंढ़ती हुई जंगल में आगे बढ़ती चली गयी।
सुबह का खाना तो उसके नसीब में नहीं था और वह थक भी चुकी थी। अब उसने निर्णय लिया कि थोड़ी देर आराम करने के बाद वह खाना ढूंढेगी।

लोमड़ी ने आराम किया और दोपहर का खाना ढूढने के लिए भूखी प्यासी निकल पड़ी। वह जंगल में इधर उधर भटक रही थी। अभी भी खाना मिलने की उम्मीद बहुत ही कम थी ऊपर से बहुत गर्मी हो गयी थी। जिसके कारण खाना ढूढ़ना बहुत मुश्किल था। लेकिन लोमड़ी ने हार न मानी वह खाना ढूढ़ने के लिए आगे बढ़ती चली गयी। उसने खाना ढूढ़ने के लिए बहुत मेहनत की। लेकिन खाना मिल ही नहीं रहा था। आखिर उसकी खाना मिलने की उम्मीद खत्म हो गयी।अब वह थक चुकी थी, थकान और भूक के मारे उसकी हालत खराब हो रही थी। अब वह अपने लिए कुछ नहीं कर पा रही थी और छाया में पेड़ के सहारे बैठ गयी। अब वह निराश होकर भगवान की और देखने लगी कि उसको उसी पेड़ की डाल पर बैठा अपनी चोंच में रोटी लिए एक कौआ दिखा। उसको खाना मिलने की उम्मीद की किरण नजर आयी। उसके दिमाग में एक उपाय आया। उसने कौवे की प्रशंसा शुरू कर दी।अरे कौए भाई मैंने तुम्हारी प्रशंसा सुनी है। कहा जाता है कि तुम बहुत ही मधुर आवाज में गाते हो। तुम्हारी सुरीली आवाज पुरे जगंल में मशहूर है। मैं तुम्हे ढूढ़ते हुए यहाँ तक आयी हूँ क्या तुम मुझे सुरीली आवाज में गीत सुनाओगे।कोए ने सोचा कि मुझे तो इस बात का कभी पता ही नहीं था कि मेरी आवाज इतनी सुरीली है कि पुरे जंगल के प्राणी मेरी प्रसंसा करते हैं। मैं अब गाकर देखता हूँ। बस अब क्या था कोए ने गाना शुरू किया और रोटी सीधी निचे गिर गयी। अब लोमड़ी ने झट से रोटी उठाई और अपनी चालक निति से भूख मिटाई।

❤️शिक्षा❤️
इस कहानी से हमें दो शिक्षाएं मिलती है कि लोमड़ी की तरह हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और कौए की तरह झूठी प्रशंसा सुनने पर अपनी सुद्ध-बुद्ध नहीं खोना चाहिए।

Address

Lucknow
271831

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Fun With Om posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Videos

Share