06/06/2023
*एक नेता ऐसा भी* ❤️✍️ *हजरत इलियास आज़मी नहीं रहे
इलियास आजमी साहब का जन्म 22 अगस्त 1934 ईस्वी को सदरपुर बरौली फूलपुर आजमगढ़ में हुआ था,यह आजादी की लड़ाई का सक्रिय दौर था!
देश में जब 1946 में चुनाव चल रहे थे बंटवारे की बातें हो रही थी तब आप मदरसे के छात्र थे 12 वर्ष उम्र थी परंतु एक प्रतिभावान छात्र होने के नाते किताबों के साथ राजनीति पर गहरी नजर थी!.. यही 12 वर्ष की उम्र थी जब आपके अंदर राजनीतिक सोच पैदा हो गई! कुरान हाफिज होने के बाद आपने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया, देश में लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने लगे!.. बटवारा कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ इसका असल गुनाहगार कौन शायद आप से पहले कोई नहीं समझ सका!
आप रोजी कमाने के लिए मुंबई चले गए सन् 1951 में आपने मुंबई से भी आगे कोई कारोबार किया था उस वक्त आंबेडकर भी मुंबई में कार्यरत थे उनकी गतिविधियों को बहुत करीब से देखा!
आजादी के बाद देश की भलाई वाले संगठन और तमाम समाज सुधारकों व नेताओं के साथ जुड़े रहे!.. फिर लखनऊ के मशहूर डॉक्टर अब्दुल जलील फरीदी साहब के साथ आए और सन 1968 में लखनऊ की बारादरी में पेरियार, विंदेश्वरी प्रसाद मंडल, बौद्ध भिक्षु व और प्रमुख समाज सुधारक व नेताओं को बुलाकर पहला दलित, मुस्लिम और पिछड़ों का सम्मेलन कराया!.. यहीं से देश में इस तरह की राजनीति की शुरुआत हुई! काशीराम ने जब पुणे में इस सम्मेलन और इस संबंध में छपे विचारों को पढ़ा तो उनके मन में एक बदलाव आया और उन्होंने समाज के लिए कुछ करने को सोचा!
आजमी साहब फरीदी साहब का दाहिना हाथ थे, जेपी आंदोलन के समय आपने ही प्रस्ताव रखा था जब वह पास हो गया तो पूरे देश में मजलिस की चर्चा हुई और आंदोलन भी सफल हो गया! आप गरीबों, वंचितों, दलितों, मुसलमानों के अधिकारों की लड़ाई के लिए पूरे देश की यात्रा करते थे!.. सन 1979 में मौलाना मौदूदी की मौत पर आपने सैकड़ों साथियों को सिर्फ 1 दिन में व्यवस्था कराकर उनके नमाजे जनाजा में शामिल कराया था!.. आप मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे!.. पूरे देश के कोने कोने में सभाएं करते थे हैदराबाद के सलाहुद्दीन ओवैसी आप की कद्र करते थे और लगातार 40 साल तक अपने चुनाव प्रचार में आपको बुलाते रहे! आजम खान जब बच्चे ही थे तब आप रामपुर के मोहल्लों में मीटिंग करते थे खान साहब आपको उस समय सिर्फ नेता ही नहीं मानते थे गुरु भी मानते थे!
ललई सिंह, रामस्वरूप वर्मा जैसे लोग आपके साथ ही थे!.. चौधरी चरण सिंह से आपने 1980 में कहा था आंख बंद करके जिसे टिकट दे दोगे वह जीत जाएगा, चौधरी साहब बहुत प्रभावित हुए थे आपसे.. लेकिन आपने अपने लिए टिकट की बात नहीं की!
सन 1984 की घटना पर आपने पैदल यात्रा की थी और एक भाषण में कही बात( कि जब तक सरकार नहीं गिर जाती मैं घर नहीं जाऊंगा) सही साबित हुई थी!
सन 1980 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव चल रहे थे आप तो एक जन नेता थे चुनाव लड़ने का कोई मन नहीं था परंतु आपके साथियों की किसी से कुछ बहस हो गई तो आपने फूलपुर से ताल ठोक दी चुनाव में सिर्फ अच्छा प्रदर्शन ही नहीं किया बल्कि बहुत कम अंतर से हारे!.. फिर आप कुछ बनने के लिए संघर्ष नहीं कर रहे थे आपका मकसद तो कुछ करने का था सोच व्यापक थी फिर से देश में सक्रिय हो गए!.. ऐन वक्त पर फिर 1985 में चुनाव लड़े... और ऐसी पृष्ठभूमि बनाई आज लगभग उसी क्षेत्र में उनका एक साथी लगातार चुनाव जीत रहा है!.. अपने विरोधी दल को तो शुरुआत में ही अपने जिले में साफ कर दिया था तब से आज तक नहीं जीत सका!
इस बीच बनने वाली तमाम पार्टियों और संगठनों में भूमिका निभाई!.. काशीराम का जन, धन और संसाधनों से साथ देकर उन्हें मान्यवर बना दिया! बसपा पार्टी की स्थापना में हर संभव सहयोग किया, कदम कदम पर साथ दिया! क्योंकि उस वक्त आप जन नेता थे!.. काशीराम साहब की आज़मी साहब से गहरी दोस्ती थी!
उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा सीट थी शाहाबाद जिसमें हरदोई की तीन और खीरी की दो विधानसभा शामिल थी! कर्नल बशीर जैदी यहां से पहले सांसद बने थे उसके बाद यह सीट इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेई,राजीव गाँधी, चौधरी चरण सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की पसंदीदा थी और यह धारणा बन चुकी थी कि यहां से कोई मुसलमान चुनाव नहीं जीत पाएगा!.. आप हमेशा चुनौतियों को स्वीकार करते थे इसी सीट को चुना और 1991 में जनता दल से ताल ठोक दी, नई जगह थी, लोगों के दिल में आप के भाषणों की गूंज सुनाई पड़ने लगी, लोग आपके विचारों से प्रभावित हुए!.. इसी वर्ष मेरा जन्म हुआ था!.. मेरे घर पर भी आप के कार्यकर्ता रुकते थे, बहुत कम अंतर से आप चुनाव हारे लेकिन गरीब जनता और विद्वान आपसे प्यार करने लगे!
चूंकि काशीराम साहब से आपकी गहरी दोस्ती थी, उन्होंने आपसे न कह कर आपके बेटे अरशद सिद्दीकी से कहा आजमी साहब अपनी पार्टी(बसपा ) से चुनाव लड़ लें!... 1996 में आजमी साहब बसपा से चुनाव लड़े और अच्छे वोटों से जीत गए! अब लोकसभा को एक विद्वान सांसद मिल चुका था, आपने तमाम अनछुए मुद्दों को सदन में उठाकर अटल बिहारी बाजपेई, एच डी देवगौड़ा जैसे तमाम नेताओं का दिल जीत लिया, खीरी और हरदोई के लिए नवोदय और केंद्रीय विद्यालय पास कराए! इस बीच आपने कई ऐतिहासिक काम कराए, आप सही काम के लिए पार्टी से बंधे नहीं थे!
1998 में पुनः चुनाव हुए अब काशीराम साहब की बात कम चलती थी सो टिकट काट दिया गया!.. मुलायम सिंह यादव जी स्वयं आपसे मिले दो कार्यक्रमों में बड़ी इज्जत दी और लखीमपुर के एक बड़े कार्यक्रम में बिना पूछे बिना बताए शाहाबाद से आपके चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया आपने मना किया कि सपा यहां से नहीं जीत सकती मैं हार जाऊंगा, आपके बेटे ने कहा कोई बात नहीं अब्बा लड़ लो पैसा ही खर्च होगा!
1999 में भी आप किसी दूसरे दल से लड़े सपा की हकीकत आपको पहले से मालूम थी करीब जाकर और देख लिया!
2004 में मायावती जी जान गई कि आजमी साहब ने ही खीरी और हरदोई में बसपा को प्राणवायु दी है तो टिकट का अधिकार इनका है लिहाजा फिर टिकट दिया और आप चुनाव जीते!.. सपा ने आपको हराने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी बाबू खान को आप की टक्कर में लड़ा दिया लेकिन नहीं हरा पाई !... आपके सदन में पहुंचने से ही 2004 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक आयोग बना, विश्वविद्यालयों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की बात हुई, मदरसों के आधुनिकीकरण की बात हुई और शिक्षामित्र की तर्ज पर अध्यापकों की भर्ती के लिए रास्ता खुला!.. सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग बना, गांव गांव तक बिजली पहुंचाने की बात की, सस्ता गल्ला देने की आवाज उठाई.. कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर अटल बिहारी बाजपेई जी से मर्द की तरह हाथ मिलाने को कहा और बहस में उन्हें निरुत्तर कर दिया, बाजपेई जी काफी प्रभावित हुए अपने कमरे में बुलाकर प्रशंसा की!.. अनुच्छेद 341 पर सबसे पहले सदन में आवाज उठाई! आतंकवाद,महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे तमाम मुद्दों को हल करने का तरीका भी बताया!.. क्षेत्र के विकास कार्यों में तो रिकॉर्ड कायम कर दिया!.. लोहिया के बाद जनता के मुद्दों पर सबसे ज्यादा बोलने वाले सांसद का गौरव प्राप्त किया!.. सेकुलरिज्म और कम्युनलिज्म का सही अर्थ समझाया और कौन वास्तव में क्या है यह बताया!.. राष्ट्रवाद क्या है और कैसे मजबूत होता है इस पर विचार व्यक्त किए!.. फर्जी एनकाउंटर सरकार क्यों कराती है इस पर सबकी आंखें खोल दी!
2009 में फिर टिकट काटकर खीरी से लड़ाया गया मात्र 4000 वोटों से चुनाव हारने के कारण आवाज सदन में ठहर गई और सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग आज तक वही ठहरा है!
फिर अन्ना आंदोलन से जुड़े... आम आदमी पार्टी बनाने में अहम योगदान दिया संजय सिंह जैसे व्यक्ति को हर तरह की मदद दी, शायद आपके अलावा वहां कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं था, आपके मार्गदर्शन में पार्टी बनी और आगे बढ़ी परंतु जब वह अपनी नीतियों से हटकर तानाशाही की तरफ बढ़ी तो आपने पार्टी छोड़ दी!..और अब कभी चुनाव न लड़ने का इरादा कर लिया!
आपने पेरियार रामा स्वामी नायकर, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जैसे महापुरुषों पर किताबें लिखी इसके अलावा राजनीति पर मुसलमानों की सियासत जख्म और उनका इलाज, संप्रदायिकता कुलीन तंत्र की जरूरत, हरिजनों की मुरव्वत व इंसान और देवता जैसी दर्जनों किताबें और सैकड़ों लेख लिखे!.. ईरान की संसद पर हुए हमले पर आपने अपना लेख लिखा तो ईरान में उसका अनुवाद कराकर बटवाया गया आपको वहां भी लोकप्रियता मिली!
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जब आपने कहा भाजपा 300 से ज्यादा सीटें जीतेगी तो भाजपा भी चौक गई, योगी जी से कहा अरे आप मुख्यमंत्री बनोगे... तब किसी ने सोचा तक न था!.. लगभग हर चुनाव से पहले परिणाम बता देते थे, 2022 के चुनाव में कहा सपा चाहे सर के बल खड़ी हो जाए 150 का आंकड़ा नहीं पार करेगी !ऐसी ही बात 1991 में आजम खान साहब से भी कही थी!
एनआरसी और सीएए आंदोलन के बाद कुछ लोगों ने पार्टी बनाकर आजमी साहब को उसका नेता चुना आपने उसका नाम पीपुल्स जस्टिस पार्टी रखा, पूछने पर कहा यही फार्मूला है जो सही मायने में समाजवाद (यानी फरीदीवाद और अंबेडकरवाद) लाएगा!..और अभी तक मैं गैरों के झंडे तले रहा हूं अब अपने झंडे में मरूंगा!
उम्र ज्यादा होने के बाद भी हर चुनाव में सक्रिय रहते थे लोगों की मदद करते थे नियमित लेख लिखते थे!.. मैं भी नियमित आपसे मिलता रहता था! बचपन से ही अगर किसी का भाषण पसंद था तो आप थे, फिर किसी का लेख और किताब पसंद आई तो आप हैं, किसी का व्यक्तित्व पसंद आया तो आप हैं, किसी को वास्तविक गुरु और नेता माना तो आप हैं!
मेरे एक मित्र की तबीयत खराब थी मैं उसको लेकर बेचैन था तभी आप की बीमारी की खबर मिली मैं और बेचैन हो गया! दिल्ली आने को सोच ही रहा था कि आप की मौत की खबर मिली जो मेरे लिए एक सदमा जैसी थी, फिर चमत्कार हुआ आपकी सांसे चल पड़ी...आखिर 5 जून सुबह 4:00 बजे सदा के लिए यह चांद डूब गया! मैं परेशान हो गया ग़म में डूब गया, तबीयत खराब हो गई!.. बहुत उम्मीद थी आपसे, आप हमारे बारे में दूर का सोचते थे.. काफी स्नेह करते थे! आप के हजारों शागिर्द हैं आपने सबके लिए कुछ न कुछ सोचा और किया.. आप तो नेता बनाते थे!.. हम आपके विचारों को आगे बढ़ाएंगे, आप अमर हैं क्योंकि आपके विचार जिंदा रहेंगे!.. आप सही मायने में सच्चे इंसान थे, 100% मुसलमान थे और एक विचारक, लेखक, दार्शनिक, इतिहासकार, समाजशास्त्री, स्पष्टवक्ता और राजनीतिज्ञ के साथ जननेता थे! आप नेताओं के नेता थे!.. विभिन्न सरकारों में मंत्री बनने जैसे बड़े-बड़े पदों का ऑफर ठुकरा दिया, सच कहने में आलोचना और तारीफ करने में कभी पीछे नहीं हटे! टिकट, पद किसी चीज का कभी लालच नहीं किया वही किया जो सही हो, जनहित में हो! जाति धर्म का कभी कोई भेद नहीं माना!
( विस्तृत कभी किताब में लिखूंगा आपके बारे में इंशाल्लाह, हालांकि इससे पहले अपनी एक किताब में आपके बारे में लिख चुका हूं जिसे आपने सराहा भी था)
मैं अगर अल्लाह ने चाहा तो चेला (शागिर्द )का हक अदा करूंगा! सब करूंगा जो आपकी सोच थी, आपका नाम जिंदा रखूँगा!
आपका चेला कभी लालची, झूठा, नहीं हो सकता! कर्तव्यहीन, पद टिकट का लोभी, पैसे का पकड़ू, भ्रष्ट, धोखेबाज, फरेबी, वादा खिलाफ, स्वार्थी, सिर्फ अपने लिए जीने वाला और परिवारवादी व जातिवादी नहीं हो सकता!.. आप अमर हैं!
*अब जिंदगी भर उस शख्स की तलाश रहेगी मोबीन!*
*अब हमें अपने अक्स में ही दिखेगा उस्ताद हमारा!*
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आपका शागिर्द - *मोबीन गाज़ी कस्तवी*
9506197546