07/03/2023
आखिर में सिर्फ इतना ही कहूँगा आप चाहे शबे बारात में कितना भी रोये गिड़गिड़ाये चाहे पुरी रात इबादत करें अगर आपने आगे से नियत नहीं कि तो गुनहो से बचने का खयाल खराब और इबादत का भी कोई फायदा न हासिल होगा इसलिए के हदीसे पाक है अल्लाह के रसुल ﷺ ने फरमाया عَنْ سَهْلِ بْنِ سَعْدِ السَّاعِدِي قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ ال: نْ سَهْلِ بْنِ ﷺ )
نِيَةُ الْمُؤْمِنِ خَيْرٌ مِنْ عَمَلِهِ، وَعَمَلُ الْمُنَافِقِ خَيْرٌ مِنْ نِيَتِهِ، وَكُلُّ يَعْمَلُ عَلَى نِيَتِهِ ، فَإِذَا عَمِلَ الْمُؤْمِنُ عَمَلًا ثَارَ فِي قَلْبِهِ نُورُ
الطبراني في المعجم الكبير ، 185/6 ، الرقم: 5942
हज़रत सहल बिन साद सईदी से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: मोमिन की नीयत उसके अमल से बेहतर है, और मुनाफिक़ का अमल उसकी नीयत से बेहतर है, और हर कोई अपनी नीयत पर चलता है। तो जब मोमिन कोई (नेकी) कर्म करता है तो उस नेकी की बरकत से उसके दिल में रोशनी फूट पड़ती है।
अब आप सोचेंगे कि हमारे अन्दर क्या बुरा है ये भी मेरे करीम नबी ने बता दिया के मुसलमान के बुरा होने के लिए कया काफी है
بِحَسْبِ امْرِيَّ مِنَ الشَّرِّ أَنْ يَحْقِرَ أَخَاهُ الْمُسْلِمَ
रसूलुल्लाह ने फ़रमाया :
किसी आदमी के दुष्ट (बुरा) होने के लिए इतना ही काफी है कि वह अपने मुस्लिम भाई को तुच्छ (कमतर) जाने।
( مسلم شريف ، الحديث : 2564)
नियत बहुत सारे तरिको से कि जा सकती है मगर फिर भी कुछ तरीका मुख्तसर ये है के अब तक में ने जितने गुनाह किये मेरे करीम रब में उन पर शमिन्दा हूँ मेरे रहीम रब मुझे बख़्श दे और अब मैं दिल से पक्की नियत करता हूँ के में जिस बुरे रास्ते पर हूँ उसे छोड़ कर अच्छा रास्ता इख़्तियार करूँगा और कभी आगे से नमाज़ न छोड़ने किसी की बुराई चुगली गिब्त दिल न दुखाने और किसी को अपने आप से कमतर न जानने का ऐद करता हूँ अगर आपके दिल में ये अच्छी नियत और जिस बुरे रास्ते पर हैं उसे छोड़ने का इरादा नहीं तो आप इस तस्वीर में बने आदमी की तरह हैं जो अपनी गलतीयां तो मिटाता है मगर उस रास्ते को न छोड़ने के सबब वो फिर हो जाती हैं
ज़िन्दगी भर हम यही गलती करते रहे
धुल चेहरे पर थी आईना साफ करते रहे
न थी हाल की जब हमें अपनी खबर
रहे देखते लोगों के ऐबों हुनर
जब पड़ी अपने गुनाहों पर नज़र
तो जहाँ में कोई बुरा न रहा