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समस्याओं का अंबार है और नेता अधिकारी मालामाल हैं
17/05/2024

समस्याओं का अंबार है और नेता अधिकारी मालामाल हैं

आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम
22/12/2023

आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम

सामाजिक अंकेक्षण दल द्वारा किया गया मनरेगा संचालित योजनाओं का निरीक्षण......आइए समझते हैं आखिर होता क्या है इसमें.... नम...
06/12/2023

सामाजिक अंकेक्षण दल द्वारा किया गया मनरेगा संचालित योजनाओं का निरीक्षण......
आइए समझते हैं आखिर होता क्या है इसमें....
नमस्कार मित्रों
जैसा कि हम जानते हैं सरकार द्वारा विकास को लेकर कई तरह की योजनाओं को चलाया जाता है, और समय समय पर अलग अलग व्यवस्थाओं द्वारा इसका निरीक्षण और भौतिक सत्यापन किया जाता है, जिसमें कई अधिकारी कर्मचारी पर शुल्क से लेकर निलंबन तक कि नियम है। इसी क्रम में मनरेगा योजना से बनाई गई अनेक योजना जिसमें तालाब, डोभा, विरसा हरित ग्राम योजना, दीदी बड़ी, गाय शेड इत्यादि शामिल हैं जिसका निर्माण पिछले तीन से चार वर्षों में जो भी काम हुआ जिसमें मुखिया, ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक, पंचायत सचिव सहित प्रखंड स्तर पर कई अधिकारी इसके देख रेख में होते हैं। इसके बावजूद जब सामाजिक अंकेक्षण दल द्वारा 5 दिनों तक भौतिक सत्यापन किया गया जिसमें मजदूर, योजना और स्थल पर जांच की गई तो पाया जाता है कि, कुछ योजना तो जमीन तक आया ही नही बल्कि कागजात में सिमट कर रह गया, कुछ का एमबी ही नही बना, कुछ में भुगतान ही नही है इत्यादि इत्यादि। इसके बाद अंत में एक जनसुनवाई रखी जाती है और उसमें एक टीम का गठन होता है जो उस गड़बड़ी स्व जुड़े मामलों में अपनी निर्णय देती है जैसे कि कब तक सुधार होगा या कितना दंड शुल्क किसपर होगा।.. बस यहीं से पुनः प्रारम्भ होता है एक नया भ्रष्टाचार... जो जूरी टीम का चयन होता है उसमें बड़ी चालाकी से मृतप्राय लोग होते हैं जिनके मुह से कुछ निकलेगा नही, इसी बीच जो करप्सन से जुड़े लोग पीछे से अपना मन्तव्य दे देकर मामला को अपनी पक्ष में रख लेंगे। इसके बाद कुछ मामला को प्रखण्ड स्तर के लिए भेजा जाता है और वहां तक जाते जाते पुनः वही हाल बना दिया जाता है कि गलती करने वाले के ऊपर कोई बड़ा नुकसान हो ही न.....हालांकि अब बहुत हद तक जनता जाग रही है किंतु अब सरकार और सरकार के अधिकारी का रूप बदल गया है। तो मेरा मानना है कि कोई नियम और कार्यवाहियों के लिए जब इतनी ताम झाम किया जाता है तो फिर अंतिम में आखिर इतना कमजोर क्यों किया जाता है। सिर्फ आम जनता का समय जाया हो और रिजल्ट बस ढाक के तीन पात। मेरे लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। आगे भी अलग अलग मुद्दों पर लिखने के लिए और आपके लिए प्रस्तुत कर सकूं इसके लिए आपका लाइक कमेंट और शेयर चाहिए.... अगर अच्छा लगा तो

*कैरो*---थाना क्षेत्र के हनहट में विकलांग का शव कुँवा में मिला, नाबालिक पिछले तीन दिन से लापता था जिसके बाद सोमवार को घर...
27/11/2023

*कैरो*---थाना क्षेत्र के हनहट में विकलांग का शव कुँवा में मिला, नाबालिक पिछले तीन दिन से लापता था जिसके बाद सोमवार को घर के ही बगल में मिला। नाबालिक के माता पिता रोजी रोटी के लिए दूसरे राज्य में रहते हैं। थाना प्रसासन की मौजूदगी में ग्रामीणों के सहयोग से निकाला गया शव।

किसानों के बीच प्रत्यक्षण के लिए निशुल्क चना बीज का वितरण होने से किसानों के चेहरे में मुस्कान के साथ साथ धान की अधूरी ख...
24/11/2023

किसानों के बीच प्रत्यक्षण के लिए निशुल्क चना बीज का वितरण होने से किसानों के चेहरे में मुस्कान के साथ साथ धान की अधूरी खेती पर थोड़ी भरपाई का भरोषा जगा है, किन्तु दूसरी तरफ हजारों किसान के बीच महज कुछ किसानों को बीज मिलने से बीज वितरण में शामिल कार्यकर्ता को परेशानी का भी सामना करना पड़ता है, अतः सरकार को चाहिए कि अगर ऐसी वितरण में मात्रा बढ़ाया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इसका लाभ ले सके।

12/11/2023

🪔🪔🪔दीपावली की आप एवं आपके पूरे परिवार को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामना एवं ढेंरो शुभकामना, आपके जीवन में हमेशा खुशियों का दीप🪔🪔🪔 जलता रहे। हैप्पी दीवाली शुभ दीपावली🙏🏻🙏🏻🌅🪔🪔🪔

*कैरो*---प्रखंड मुख्यालय सहित विभिन्न गांवों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर पूजा अर्चना व कृतन का आयोजन किया ग...
06/09/2023

*कैरो*---प्रखंड मुख्यालय सहित विभिन्न गांवों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर पूजा अर्चना व कृतन का आयोजन किया गया। साथ ही रात में मनाया जाएगा श्री कृष्ण जन्माष्टमी।

कम समय में क्षेत्र की विषयों से हो जाइए रूबरू
06/09/2023

कम समय में क्षेत्र की विषयों से हो जाइए रूबरू

बीते कुछ दिनों से लोहरदगा जिला में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति बन गई है। विभाग चाहे कोई भी हो किन्तु न ही उस विभाग ...
27/08/2023

बीते कुछ दिनों से लोहरदगा जिला में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति बन गई है। विभाग चाहे कोई भी हो किन्तु न ही उस विभाग के पदाधिकारियों को न ही किसी भी स्तर के जनप्रतिनिधियों को इसकी परवाह है। हर विभाग में दो चार या यूं कहें कि कुछ कुछ दलाल रख लिए गए हैं और हद तो इतनी की वैसे दलाल किसी भी स्तर तक नीचे गिर सकते हैं। अगर कोई आम जनता या समाजसेवी किसी विभाग के भ्रष्टाचार या कमी का उजागर करने का प्रयाश करे तो कोई जांच या कार्यवाही न करके दलाल को मैनेज करने या डराने भेज दिया जाएगा ऐसी स्थिति बन गई है। जिन अधिकारियों को हजारों और लाखों का बेतन जो आम जनता के टैक्स का ही पैसा है दिया जाता है कि उस विभाग को सही से चला सके, किन्तु अफसोस कि अपने ही विभाग में कितना लूट सकें इसके पीछे लगे हुए हैं।ऐसे ऐसे भी अधिकारी हैं जिनसे आप सीधा न मिल सकते हैं न ही बात कर सकते हैं। ऐसे आखिर क्या उपाय बचता है सिर्फ एक न वो है जनप्रतिनिधियों के सहारा किन्तु अफसोस कि जनप्रतिनिधि भी मिट्टी के मूरत और कुछ जगहों पर शिलान्यास और उदघाटन कर ताली के शौकीन बन गए हैं। और बहुत ज्यादा हुआ तो कुछ चाटने के लिए मिल गया तो बल्ले बल्ले। ये तो आलम है।
आप गौर करिए कि कोई भी बिकास योजना से लेकर बच्चो की पढ़ाई तक मे ठीकेदारी घुश गई है और इसका नतीजा यह है कि संबंधित ठीकेदार को जरूरत से कोई लेना देना नही है बल्कि सिर्फ कितना घटिया काम करके कितना बचाया जा सकता है इसपर ध्यान केंद्रित है। हाल के दिनों में बच्चों के लिए मिलने वाली पुस्तक तक सभी बच्चों के हाथों में नही दी जा सकी है और उससे ज्यादा ध्यान या तो खिचड़ी में है या फिर भवन निर्माण से लेकर जीर्णोद्धार में राशि की बंदर बाँट करने में। ऐसा करीब हर विभाग का मामला है आखिर क्या कोई नही है जिले में जो इन सब मामलों पर अपनी विचार रखे अथवा कार्यवाही के लिए बात बढ़ा सकें। चाहे अधिकारी हों, जनप्रतिनिधि हो या राजनितिक कार्यकर्ता सभी सिर्फ मूक दर्शक बने रहेंगे। यही है मानवता, अफसोस कि दो शब्द बोलने में भी डरते हैं और कहलाते हैं इंसान, मर्द और समाजसेवी वाहः। लीजिए कुछ तस्वीर भेजता हूँ बंदरबांट का...यह आलम है लूट का विद्यालय में....

31/07/2023

किसानों की दर्द

31/07/2023

शायद इस धरती में अगर सच मायने में कोई परेशान है तो किसान, ज्यादा पानी आए तो परेशानी, न आए तो परेशानी, बाजार बंदी हो तो परेशानी, ज्यादा पैदा हुआ तो भाव कम, कम पैदा हुआ तो परेशानी, ओला पत्थर गिरे तो परेशानी, बाजार बंदी हो तो परेशानी। इससे भी बड़ी बात है कि किसानों की इस परेशानी का निराकरण न ईश्वर के हाथों में न ही सरकार और अधिकारियों के द्वारा। हं अगर अल्प मात्र भी कोई मदद कभी दिया जाने की उम्मीद रही तो उसपर राजनीतीकरण जमकर होता है कि,हमने ये कर दिया और वो कर दिया। अब इसबार हमारे यहां पूरे के पूरे गांव में कुछ भी रोपाई नही हो सका है जबकि विचड़ा अब महीनों पार होने को है लेकिन अबतक न सूखा घोषित हुआ न ही और कोई उम्मीद....

मेरी विचार
25/07/2023

मेरी विचार

हमारे देश, राज्य, जिला, प्रखंड, पंचायत, गांव व कस्बे में न जाने कितने ऐसे लोग हैं जो हर दिन सिर्फ यह सोचकर दुखी हुवे जाते हैं कि मैं अपनी निजी या सार्वजनिक समस्या को आखिर किसके पास रखूं की इसका निदान हो सके। किन्तु एक समय बीत जाता है और न ही कोई हमदर्द, नेता, अधिकारी अथवा संस्था समझ मे आता है जिसके पास इस बिंदु को रखा जाए और उसका निदान हो सके। और शायद इसी का नतीजा होता है समय समय पर अनजानी, अनचाही असमय कुछ अनहोनी।

क्या कोई उपाय नहीं है कि आम जनता, समस्या पीड़ित लोग, समुदाय, क्षेत्रवाशी के ऐसे विंदु पर पहल होने की.....अगर आप भी ऐसे सोच कभी फुरसत की क्षणों में सोच विचार कर पाते हैं तो अपना विचार और सुझाव जरूर रखियेगा.....हो सकता है मेरी सोच फालतू समय का बकवास हो फिर भी उचित मार्गदर्शन जरूर करिए

हमारे देश, राज्य, जिला, प्रखंड, पंचायत, गांव व कस्बे में न जाने कितने ऐसे लोग हैं जो हर दिन सिर्फ यह सोचकर दुखी हुवे जात...
25/07/2023

हमारे देश, राज्य, जिला, प्रखंड, पंचायत, गांव व कस्बे में न जाने कितने ऐसे लोग हैं जो हर दिन सिर्फ यह सोचकर दुखी हुवे जाते हैं कि मैं अपनी निजी या सार्वजनिक समस्या को आखिर किसके पास रखूं की इसका निदान हो सके। किन्तु एक समय बीत जाता है और न ही कोई हमदर्द, नेता, अधिकारी अथवा संस्था समझ मे आता है जिसके पास इस बिंदु को रखा जाए और उसका निदान हो सके। और शायद इसी का नतीजा होता है समय समय पर अनजानी, अनचाही असमय कुछ अनहोनी।

क्या कोई उपाय नहीं है कि आम जनता, समस्या पीड़ित लोग, समुदाय, क्षेत्रवाशी के ऐसे विंदु पर पहल होने की.....अगर आप भी ऐसे सोच कभी फुरसत की क्षणों में सोच विचार कर पाते हैं तो अपना विचार और सुझाव जरूर रखियेगा.....हो सकता है मेरी सोच फालतू समय का बकवास हो फिर भी उचित मार्गदर्शन जरूर करिए

लोहरदगा उपायुक्त के मेहनत का नतीजा पूरा जिला हुआ गौरवान्वित....
19/07/2023

लोहरदगा उपायुक्त के मेहनत का नतीजा
पूरा जिला हुआ गौरवान्वित....

20/06/2023

हमारे क्षेत्र का रथयात्रा

20/06/2023

*कैरो*---प्रखंड के एकमात्र हनहट में आयोजित रथयात्रा में उमड़ी भक्तों व दर्शकों की जनसैलाब....जिसमें शामिल हर भक्त रथयात्रा की रस्सी को एक बार पकड़ने को दिखे उत्सुक....

क्या हो रहा है बिजली पर
22/05/2023

क्या हो रहा है बिजली पर

झारखंड सरकार की हेमंत सरकार को या तो आम जनता की फिक्र नही अथवा फिर जानकारी नही, की क्षेत्र में 24 घण्टे में कुछ मिलाकर 24 घण्टे की विद्युत आपूर्ती हो रही है, और दूसरे तरफ बिजली बिल वसूली के लिए हर दिन नया नया तरीका अपनाया जाता है आखिर ऐसा क्यों, सरकार के बाद सांसद, विधायक, अधिकारी के बाद पंचायती राज में कई ज प्रतिनिधी के चुनाव में करोड़ो खर्च होती है ताकि आम जनता की परेशानी को दूर की जा सके किन्तु अफसोस कि सिर्फ अपनी तिजोरी भरने में घुश भ्र्ष्टाचार में इतने लिप्त हो गए हैं कि ऐसी जनोपयोगी बिषय को या तो बोलने की ताकत नहीं रह गई है या तलवा चाटने में ब्यस्त हैं। अगर आम जनता को परेशानी को समझना ही नहीं है तो चुनाव में आम जनता को परेशान क्यों किया जाता है। क्या झारखंड में अंधेर नगरी चौपट राजा का राज हो गया है क्या।

झारखंड सरकार की हेमंत सरकार को या तो आम जनता की फिक्र नही अथवा फिर जानकारी नही, की क्षेत्र में 24 घण्टे में कुछ मिलाकर 2...
22/05/2023

झारखंड सरकार की हेमंत सरकार को या तो आम जनता की फिक्र नही अथवा फिर जानकारी नही, की क्षेत्र में 24 घण्टे में कुछ मिलाकर 24 घण्टे की विद्युत आपूर्ती हो रही है, और दूसरे तरफ बिजली बिल वसूली के लिए हर दिन नया नया तरीका अपनाया जाता है आखिर ऐसा क्यों, सरकार के बाद सांसद, विधायक, अधिकारी के बाद पंचायती राज में कई ज प्रतिनिधी के चुनाव में करोड़ो खर्च होती है ताकि आम जनता की परेशानी को दूर की जा सके किन्तु अफसोस कि सिर्फ अपनी तिजोरी भरने में घुश भ्र्ष्टाचार में इतने लिप्त हो गए हैं कि ऐसी जनोपयोगी बिषय को या तो बोलने की ताकत नहीं रह गई है या तलवा चाटने में ब्यस्त हैं। अगर आम जनता को परेशानी को समझना ही नहीं है तो चुनाव में आम जनता को परेशान क्यों किया जाता है। क्या झारखंड में अंधेर नगरी चौपट राजा का राज हो गया है क्या।

20/05/2023

सुप्रभात जोहार
आप भी अपने विचार दे सकते हैं, स्वागत रहेगा

नमस्कार मित्रोंआज की चर्चा किसान व बैंक को लेकर। मामला ये है कि झारखंड सरकार के घोषणा के बाद किसान क्रेडिट कार्ड के वैसे...
11/05/2023

नमस्कार मित्रों
आज की चर्चा किसान व बैंक को लेकर।
मामला ये है कि झारखंड सरकार के घोषणा के बाद किसान क्रेडिट कार्ड के वैसे लाभुक जिनका केसीसी ऋण माफी योजना में नाम है तथा जिन्होंने प्रज्ञा केंद्र के माध्यम से 1 रुपया का टोकन देकर पावती भी ले रखा है ताकि 50 हजार तक होने वाली ऋण माफी हो सके। किन्तु इसके बाद उसी लाभुक के खाते कोई अन्य राशि होती है तो उसे बिना किसान को बताए केसीसी ऋण खाते में बैंकों द्वारा कन्वर्ट कर लिया जा रहा है। अब सवाल है कि सरकार की घोषणा का कोई औचित्य नहीं है? कि बैंकों की मनमर्जी बोला जाए अथवा इस किसानों के साथ छलावा। खैर जो भी झेलना तो किसानों को ही पड़ता है, क्या मतलब ऐसे घोषणा का जिसका कोई लाभ किसानों को मिलना ही नहीं है, और अगर मिलना है तो फिर बैंक द्वारा इस तरह का मनमौजी पर कुछ तो होना चाहिए।

नमस्कार मित्रोंमेरा अपना अनुभव के आधार पर मानना है कि जिस जिला में डीसी(उपायुक्त) और एसपी (पुलिस अधीक्षक) और प्रखंड में ...
05/05/2023

नमस्कार मित्रों
मेरा अपना अनुभव के आधार पर मानना है कि जिस जिला में डीसी(उपायुक्त) और एसपी (पुलिस अधीक्षक) और प्रखंड में बीडीओ व थाना प्रभारी ये दो महत्वपूर्ण पद ऐसे हैं जिनमें अगर ईमानदार और कर्तव्य पालन वाले अधिकारी आ जाएं तो एक तरह से उस जिला का कायाकल्प हो जाए, और अगर यह पद में सिर्फ लालच, भ्र्ष्टाचार से लिप्त और पैसा को महत्व देने वाले आ जाएं तो उस क्षेत्र का विनाश होने में, गुंडों को बढ़ावा मिलने में, आम जनता को त्रस्त होने में और अपराधी प्रवृति को फलने-फूलने में ज्यादा वक्त नही लगता है। जबकि हम आम जनता की ही पैसा को उनके सुख सुविधा के लिए इतना दिया जाता है कि ईमानदारी से काम करके भी उनका इज्जत, दौलत और सोहरत में कोई कमी नही आएगी किन्तु अफसोस कि लोभ लालच में सबकुछ बेचने पर उतारू हो जाते हैं। हमारे जिला सहित आपके क्षेत्र में क्या स्थिति है इसको अंदाजा करें, और इसपर क्या किया जा सकता है इसपर आज मंथन की जरूरत है...
ऐसा मेरा मानना है, आपका क्या विचार है, जो सामाजिक और अच्छे विचार वाले हैं अपने विचार रखें और जो धरती के बोझ हैं वैसे लोग चुपचाप ही मैसेज देख कर मस्त रहें....

05/05/2023

हमारे गांव में जब आदिवासी समाज में बाराती आते हैं तो कन्या पक्ष द्वारा स्वागत के बाद अखड़ा लाया जाता हैं जहाँ दोनों पक्षों द्वारा एक से बढ़कर एक कार्यक्रम दिखाया जाता है,और यह समय बहुत ही रोमांचक होता है...

03/05/2023

आज का फालतू ज्ञान
जिस घर में विवाहित बेटी का दिमाग और दबदबा चलता हो, और जिस ससुराल के बहु हर बात को मायके में बताती हो, साथ ही जिस घर में मायके वाले अपने बेटी के घर छिपकली जैसा हर विषय पर टांग अड़ाएंगे,ऐसे तीनो ही परिवार सुरु में तो बड़ा खुशहाल नजर आएंगे, किन्तु धीरे धीरे अपने पूरे परिवार से बिछड़ते जाएंगे और एक दिन घर का विनाश होना तय है। शायद कड़वी मगर पक्की बात.....
सुप्रभात, जोहार

01/05/2023

कितने लोग मानते हैं कि जो माँ बाप बच्चों का लैट्रिन धोने से लेकर अपनी ताकत के अनुसार हर कुछ किए हैं, और जब उनको सेवा का समय आया तो पत्नी मोह और पत्नी वासना में आकर उन्ही माँ बाप पर आरोप लगाकर छोड़ देने से तरक्की होती है, और और ये भी उम्मीद करते हैं कि उनके बच्चे उनका भरपूर साथ देंगे? आपका क्या विचार है.....जो ऐसे होंगे वो तो जवाब नही ही देंगे किन्तु जिन्हें इच्छा हो दे सकते हैं....

30/04/2023

नमस्कार मेरा...
इस समूह के वैसे सभी सदस्यों को जिनके अंदर थोड़ी भी खुद के अलावे सच में अपने क्षेत्रवाषियों के प्रति लगाव है और मन में जज्बा हो उन सभी को।
मैं एक निवेदन करना चाहता हूं कि आज के समय में अपने कस्बा, टोला, गांव अथवा हम जहाँ रहते हैं उस जगह आंखों के सामने समस्या तो बहुत है किंतु उसमें भी कुछ खास और मुख्य हैं, जिसमें विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था हो या आंगणबाड़ी की स्थिति, जनवितरण प्रणाली में गड़बड़ी हो अथवा पुलिस प्रसासन की स्थिति, या फिर विकास को लेकर चेकडेम का निर्माण, सड़क निर्माण, नहर निर्माण, कोई भवन निर्माण या विकास से सम्बंधित कोई भी योजना जिसे ग्रामीणों द्वारा न जाने कितनी कड़ी मेहनत करके, कई आवेदन बनाके सैकड़ो हस्ताक्षर करवाके, क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से गिड़गिड़ा के, कोई योजना स्वीकृत करवाई जाती है किन्तु सरकार का फालतू नियम के अनुसार वही योजना को किसी संवेदक के हाथों एक तरह से बेच दिया जाता है और ऐसे संवेदक के हाथों में चला जाता है, जिसे न उस गांव से मतलब है न योजना से लगाव है न ही उसकी उपयोगिता से लगाव है, बस उस योजना को किसी तरह ढाप तोप के निर्माण कर पैसा कमाने से मतलब होता है जिसमें सफेदपोश भी शामिल होते हैं। ऐसे में आखिर कितना मन लगाके और ईमानदारी से उस योजना को सफल बनाएंगे यह तो सबकोइ समझ सकते हैं। किंतु अफसोस कि हमलोग आए दिन मन मारके रह जाते हैं। इतनी बात शायद किसी को कुछ खास न लगे किन्तु इतना जरूर जान लीजिए कि इसका दूरगामी परिणाम बहुत बुरा निकलता है क्योंकि जब भी गलत पैसा किसी के पास आता है तो उसकी नेचर में गलत लोग और गलत पावर बढ़ने लगता है और कभी न कभी उसका दुष्परिणाम सबको अलग अलग तरह से भुगतना पड़ता है, बेशक हम अपने पॉकेट और अपनी परिवार को ही जीवन मान बैठे हैं किंतु अपने समाज, क्षेत्र और आसपास के माहौल का शिकार तो बनना ही पड़ता है। ऐसा में हर कोई सोचता है कि उपरोक्त जगह और विभाग में सुधार होता किन्तु कोई खुद आगे नही आना चाहता, और बात भी सही है कि एक आदमी अकेला या बिना पावर का क्या करेगा, किन्तु मेरी मान्यता और विश्वास है कि अगर कोई उस लायक आदमी जो समाज के प्रति कुछ करना चाहता है और उसके पास सामर्थ्य भी है अगर आगे बढ़ता है तो उसको सहयोगियों की कमी नहीं होगी बस ईमानदारी से बिषय की गंभीरता को समझ कर कदम बढ़ाने की क्षमता और इरादा हो, और कहीं न कहीं आने वाले दिन में ऐसे लोगों को समाज बहुत याद करेगा। तो अगर किन्ही के अंदर ऐसी जज्बा हो कि आगे बढ़ सके तो जरूर आगे आना चाहिए कृपया अगर कोई ऐसी विचार मन मे रखते हैं तो खुलकर आगे आइए ताकि एक आम नागरिक ठोस और सही समस्या को दिल खोलकर रख सके।

शायद मेरी लिखावट में कुछ त्रुटी हो किन्तु भावना को जरूर समझ सकते हैं, एक ऐसे अगुवा की जरूरत है जो ऐसे बातों को उचित पटल पे रख सकें और पहल कर सकें तो स्वागत है। भविष्य अच्छा रहेगा।
धन्यवाद
एम बाबा

22/04/2023

दो मिनट का समय निकाल कर इस विचार को पढ़कर विचार जरूर दीजिए, नजर अंदाज मत करियेगा क्योंकि कहीं न कहीं आपके लिए भी है

ध्यान से सुने भारत के अंदर जितने भी व्यवहार न्यायालय (सिविल कोर्ट), उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के न्यायाधीश गण, राज्य व केंद्र के सरकार सीएम, पीएम व मंत्रीगण और सभी समाज के अगुवा लोगों, आप को एक कदम ठोस रूप से उठाना चाहिए कि यहां रहने वाले सभी समाज के लोगों का जात्ति प्रमाण पत्र और जात्ति समाज समाप्त करना चाहिए और अगर ऐसा नही है तो फिर जब दो अलग अलग समुदाय के लड़का लड़की के बीच प्यार मुहबत का मामला आता है और पीड़ित परिजन जब कानून के पास जाते हैं तो उस समय एहि कानून क्यों बदल जाता है और थाना से लेकर न्याय के देवता कहलाने वाले जज द्वारा बोला जाता है कि लड़का-लड़की बालिक हैं इसलिए समाज कुछ नही कर सकता बल्कि दोनों में विवाह हो सकता है। जब मूलभूत शिक्षा से लेकर नौकरी तक में जात्ति देखा जाता है फिर आखिर ऐसा दोगलापन क्यों, जिस माँ बाप और समाज के बीच बचपन से लेकर जवानी तक एहि कानून जात्ति का ठप्पा लगाए रखती है फिर प्यार का नाम पर सारा नियम उड़ जाता है, क्या यही अच्छा संविधान और कानून है? क्या इसी कानून और संविधान की हम दुहाई देते हैं? जहां एक ही विषय पर अलग अलग समय में रूप बदल जाना होता है। ऐसे न जाने कितने ज्वलंत मुद्दे हैं जिसपर देश की जनता हर दिन घुटती रहती है किन्तु यहां के कानून निर्माता और सबसे ऊंचे ओहदे पे बैठे लोगों को ऐसे गंभीर विषय की कोई चिंता नहीं, न जाने हर दिन ऐसे ऐसे कानून के कारण गांव, कस्बा, नगर और देश के अंदर कितनी अनहोनी होती रहती है, पर किसी मे हिम्मत नही की ऐसे कानून को गंभीरता के साथ बदला जाए। अगर जात्ति व्यवस्था बनी ही रहने देना है तो फिर हर जगह रहने दे ताकि समाज, संस्कार और नियम बनी रहे अन्यथा पूरी तरह और हर जगह से इसे हटना चाहिए।

क्यों जो भी इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं और अगर अच्छा लगे तो कमेंट और फारवर्ड करिए, या कोई सुझाव या गलत लगे तो भी सुझाव करिए, आपका एक कमेंट और शेयर बहुत कुछ बदल सकता है।
धन्यवाद
एम बाबा

19/04/2023

सुप्रभात जोहार मित्रों.....
घूसखोर, बेईमान और करप्ट लोगों का जीवन भी आसान नही होता, इंसानियत, धर्म, खुद्दारी, शर्म यहां तक कि परिवार को भी अदृश्य रूप से बेचते हैं तब इतना ताकत आता है इनके अंदर.........

जो भी सरकारी अधिकारी पदाधिकारी पंचायत से लेकर प्रखण्ड व जिला तक के हैं, जो हर दिन सुबह उठने से लेकर देर रात सोने तक अपनी ज्यादा से ज्यादा एक्स्ट्रा पैसा कमाने मतलब घूसखोरी, बेईमानी,कमीशन, दूसरे की कमी निकालकर उससे पैसे लेने जैसे में व्यस्त दिखाई देते हैं, चाहे विभाग कोई सा हो उसमें डूबकर अपनी प्रतिष्ठा पद और इंसानियत को भी भूल जाते हैं।
किन्तु अफसोस की बात यह भी देखा जाता है कि ऐसे लोगों के बच्चे अक्सर मुहँ में सुसु करके इतना सारा बदनामी करवा देते हैं कि सब पैसा रखा रह जाता है और ऐसे लोग जबरदस्ती में ही हंसते दिखेंगे लेकिन अंदर से खोखले हो जाते हैं। हालांकि यह भी एकदम सही बात है कि जो अधिकारी जितना बड़ा करप्ट है वह आम जनता और किसी कार्यक्रम में अपने को उतना ही बड़ा सरीफ और धार्मिक बताते हुए गलत करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की बात करेगा, क्योंकि वही कार्यवाही से उसको फिर से पैसा लेने का मौका मिलता है। हालांकि बड़ा ही अजीब बात है कि ऐसे घूसखोरों के न बीबी अपने न बच्चे अपने होते हैं,पीठ पीछे इनके कोई अपने नहीं होते और इन सबको पता भी नही चलता, घूसखोर, बेईमान, दादागिरी करने वाले वैसे अधिकांस लोग इतने अंधे हो जाते हैं कि उसी पैसा का क्या क्या दुरुपयोग उनके ही परिवार द्वारा किया जाता है इसका अंदाज तक नही होता इनको, क्योंकि ऊपर वाले ने घूसखोरों को ऐसा ही चश्मा दिए हैं...... लोगों की बददुवाएं का कुछ तो रिटर्निंग मिलना चाहिए न...

पता नही कुछ पल की खुशियों के कारण दूसरे को सताते हैं लोग और समाज के वैसे लोग जिन्हें ईश्वर से ऊंची दर्जा दिया जाता है कि...
17/04/2023

पता नही कुछ पल की खुशियों के कारण दूसरे को सताते हैं लोग और समाज के वैसे लोग जिन्हें ईश्वर से ऊंची दर्जा दिया जाता है किंतु एक इंसान बनने की ज्ञान देने के बजाए हैवान बनाने के लिए उकसाते हैं समाज के अगुवा और उसका परिणाम बताने की किसी को आवस्यकता नहीं, जबकि जिसने भी इंसान बनने की कोसिस किया और इंसानियत को जान लिया तो उसका जीवन में आनंद ही आनंद है....

15/04/2023

“रामायण” क्या है??

चाहे आप जितने भी व्यस्त हों परंतू मेरा निवेदन है कि इसे जरूर पढ़े----

अगर कभी पढ़ो और समझो तो आंसुओ पे काबू रखना.......

रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा सकूँ... 😊

एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।
नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ?

मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं ।
माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया |

श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं

माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ?
क्या नींद नहीं आ रही ?

शत्रुघ्न कहाँ है ?

श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी,
गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए ।

उफ !
कौशल्या जी का ह्रदय काँप कर झटपटा गया ।

तुरंत आवाज लगाई, सेवक दौड़े आए ।
आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी,
माँ चली ।

आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ?

अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले !!

माँ सिराहने बैठ गईं,
बालों में हाथ फिराया तो शत्रुघ्न जी नेआँखें खोलीं,

माँ !

उठे, चरणों में गिरे, माँ ! आपने क्यों कष्ट किया ?
मुझे बुलवा लिया होता ।

माँ ने कहा,
शत्रुघ्न ! यहाँ क्यों ?"

शत्रुघ्न जी की रुलाई फूट पड़ी, बोले- माँ ! भैया राम जी पिताजी की आज्ञा से वन चले गए,
भैया लक्ष्मण जी उनके पीछे चले गए, भैया भरत जी भी नंदिग्राम में हैं, क्या ये महल, ये रथ, ये राजसी वस्त्र, विधाता ने मेरे ही लिए बनाए हैं ?

माता कौशल्या जी निरुत्तर रह गईं ।

देखो क्या है ये रामकथा...

यह भोग की नहीं....त्याग की कथा हैं..!!

यहाँ त्याग की ही प्रतियोगिता चल रही हैं और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं रहा... चारो भाइयों का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अद्भुत-अभिनव और अलौकिक हैं ।

"रामायण" जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती हैं ।

भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी सीता माईया ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया..!!

परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते!
माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, वन जाने की..

परन्तु जब पत्नी “उर्मिला” के कक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो सोच रहे थे कि माँ ने तो आज्ञा दे दी,
परन्तु उर्मिला को कैसे समझाऊंगा.??

क्या बोलूँगा उनसे.?

यहीं सोच विचार करके लक्ष्मण जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे तो देखा कि उर्मिला जी आरती का थाल लेके खड़ी थीं और बोलीं-

"आप मेरी चिंता छोड़ प्रभु श्रीराम की सेवा में वन को जाओ...मैं आपको नहीं रोकूँगीं। मेरे कारण आपकी सेवा में कोई बाधा न आये, इसलिये साथ जाने की जिद्द भी नहीं करूंगी।"

लक्ष्मण जी को कहने में संकोच हो रहा था.!!

परन्तु उनके कुछ कहने से पहले ही उर्मिला जी ने उन्हें संकोच से बाहर निकाल दिया..!!

वास्तव में यहीं पत्नी का धर्म है..पति संकोच में पड़े, उससे पहले ही पत्नी उसके मन की बात जानकर उसे संकोच से बाहर कर दे.!!

लक्ष्मण जी चले गये परन्तु 14 वर्ष तक उर्मिला ने एक तपस्विनी की भांति कठोर तप किया.!!

वन में “प्रभु श्री राम माता सीता” की सेवा में लक्ष्मण जी कभी सोये नहीं , परन्तु उर्मिला ने भी अपने महलों के द्वार कभी बंद नहीं किये और सारी रात जाग जागकर उस दीपक की लौ को बुझने नहीं दिया.!!

मेघनाथ से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को “शक्ति” लग जाती है और हनुमान जी उनके लिये संजीवनी का पर्वत लेके लौट रहे होते हैं, तो बीच में जब हनुमान जी अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे तो भरत जी उन्हें राक्षस समझकर बाण मारते हैं और हनुमान जी गिर जाते हैं.!!

तब हनुमान जी सारा वृत्तांत सुनाते हैं कि, सीता जी को रावण हर ले गया, लक्ष्मण जी युद्ध में मूर्छित हो गए हैं।

यह सुनते ही कौशल्या जी कहती हैं कि राम को कहना कि “लक्ष्मण” के बिना अयोध्या में पैर भी मत रखना। राम वन में ही रहे.!!

माता “सुमित्रा” कहती हैं कि राम से कहना कि कोई बात नहीं..अभी शत्रुघ्न है.!!

मैं उसे भेज दूंगी..मेरे दोनों पुत्र “राम सेवा” के लिये ही तो जन्मे हैं.!!

माताओं का प्रेम देखकर हनुमान जी की आँखों से अश्रुधारा बह रही थी। परन्तु जब उन्होंने उर्मिला जी को देखा तो सोचने लगे कि, यह क्यों एकदम शांत और प्रसन्न खड़ी हैं?

क्या इन्हें अपनी पति के प्राणों की कोई चिंता नहीं?

हनुमान जी पूछते हैं- देवी!

आपकी प्रसन्नता का कारण क्या है? आपके पति के प्राण संकट में हैं...सूर्य उदित होते ही सूर्य कुल का दीपक बुझ जायेगा।

उर्मिला जी का उत्तर सुनकर तीनों लोकों का कोई भी प्राणी उनकी वंदना किये बिना नहीं रह पाएगा.!!

उर्मिला बोलीं- "
मेरा दीपक संकट में नहीं है, वो बुझ ही नहीं सकता.!!

रही सूर्योदय की बात तो आप चाहें तो कुछ दिन अयोध्या में विश्राम कर लीजिये, क्योंकि आपके वहां पहुंचे बिना सूर्य उदित हो ही नहीं सकता.!!

आपने कहा कि, प्रभु श्रीराम मेरे पति को अपनी गोद में लेकर बैठे हैं..!

जो “योगेश्वर प्रभु श्री राम” की गोदी में लेटा हो, काल उसे छू भी नहीं सकता..!!

यह तो वो दोनों लीला कर रहे हैं..

मेरे पति जब से वन गये हैं, तबसे सोये नहीं हैं..

उन्होंने न सोने का प्रण लिया था..इसलिए वे थोड़ी देर विश्राम कर रहे हैं..और जब भगवान् की गोद मिल गयी तो थोड़ा विश्राम ज्यादा हो गया...वे उठ जायेंगे..!!

और “शक्ति” मेरे पति को लगी ही नहीं, शक्ति तो प्रभु श्री राम जी को लगी है.!!

मेरे पति की हर श्वास में राम हैं, हर धड़कन में राम, उनके रोम रोम में राम हैं, उनके खून की बूंद बूंद में राम हैं, और जब उनके शरीर और आत्मा में ही सिर्फ राम हैं, तो शक्ति राम जी को ही लगी, दर्द राम जी को ही हो रहा.!!

इसलिये हनुमान जी आप निश्चिन्त होके जाएँ..सूर्य उदित नहीं होगा।"

राम राज्य की नींव जनक जी की बेटियां ही थीं...

कभी “सीता” तो कभी “उर्मिला”..!!

भगवान् राम ने तो केवल राम राज्य का कलश स्थापित किया ..परन्तु वास्तव में राम राज्य इन सबके प्रेम, त्याग, समर्पण और बलिदान से ही आया .!!

जिस मनुष्य में प्रेम, त्याग, समर्पण की भावना हो उस मनुष्य में राम हि बसता है...
कभी समय मिले तो अपने वेद, पुराण, गीता, रामायण को पढ़ने और समझने का प्रयास कीजिएगा .,जीवन को एक अलग नज़रिए से देखने और जीने का सऊर मिलेगा .!!

"लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो,
स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराइ हो..
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो,
चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो..
हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो,
लव कुश के जैसी, संतान हमारी हो..
श्रद्धा हो श्रवण जैसी, सबरी सी भक्ति हो,
हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो... "
ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की।

बच्चों को जरूर पढायें ||✍🏻

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