Virat Verse

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ये सुन कर माँ ने हाँफते काँपते उठने की कोशिश की, मैंने तकिये की टेक लगवाई, उन्होंने झुर्रियों वाला चेहरा उठाया अपने कमज़ो...
11/03/2024

ये सुन कर माँ ने हाँफते काँपते उठने की कोशिश की, मैंने तकिये की टेक लगवाई, उन्होंने झुर्रियों वाला चेहरा उठाया अपने कमज़ोर हाथों को ऊपर उठाया मन ही मन राम जी की स्तुति की फिर बोली: तू रेहड़ी वहीं छोड़ आया कर हमारी किस्मत हमे इसी कमरे में बैठ कर मिलेगा।
मैंने कहा: माँ क्या बात करती हो, वहाँ छोड़ आऊँगा तो कोई चोर उचक्का सब कुछ ले जायेगा, आजकल कौन लिहाज़ करता है? और बिना मालिक के कौन खरीदने आएगा?
कहने लगीं: तू राम का नाम लेने के बाद बाद रेहड़ी को फलों से भरकर छोड़ कर आजा बस, ज्यादा बक बक नही कर, शाम को खाली रेहड़ी ले आया कर, अगर तेरा रुपया गया तो मुझे बोलियो।

ढाई साल हो गए है भाई! सुबह रेहड़ी लगा आता हूँ शाम को ले जाता हूँ, लोग पैसे रख जाते है फल ले जाते हैं,एक धेला भी ऊपर नीचे नही होता, बल्कि कुछ तो ज्यादा भी रख जाते है, कभी कोई माँ के लिए फूल रख जाता है, कभी कोई और चीज़! परसों एक बच्ची पुलाव बना कर रख गयी साथ मे एक पर्ची भी थी अम्मा के लिए।

एक डॉक्टर अपना कार्ड छोड़ गए पीछे लिखा था माँ की तबियत नाज़ुक हो तो मुझे काल कर लेना मैं आजाऊँगा, कोई खजूर रख जाता है, रोजाना कुछ न कुछ मेरे हक के साथ मौजूद होता है। न माँ हिलने देती है न मेरे राम कुछ कमी रहने देता है माँ कहती है तेरा फल मेरा राम अपने फरिश्तों से बिकवा देता है।

आखिर में इतना ही कहूँगा की अपने मां बाप की सेवा करो, और देखो दुनिया की कामयाबियाँ कैसे हमारे कदम चूमती है।

22/02/2024

बेटी की साईकिल

"प्यार....अपनी उम्र के साठ वर्ष पार कर चुके बुजुर्ग मोहनबाबू और उनकी पत्नी सुधाजी यूं तो एक बड़े से घर में दो ही प्राणी ...
05/02/2024

"प्यार....
अपनी उम्र के साठ वर्ष पार कर चुके बुजुर्ग मोहनबाबू और उनकी पत्नी सुधाजी यूं तो एक बड़े से घर में दो ही प्राणी थे बेटा और बेटी दोनो विदेश में बस चुके थे उनसे बस वीडियो कॉलिंग से ही सम्बंध रह गया था
यूं तो दोनों अकेले भी खुश थे क्योंकि दोनों एक दूसरे के साथ पूरी दुनिया के साथ जैसे थे मगर वो कहते है ना जहां दो बर्तन हो और खट खट ना ऐसा नामुमकिन होता है तो ऐसे ही इन दोनों में भी आएं दिन किसी ना किसी बात में बहस होती ही थी लेकिन आज एक छोटी सी बहस ने रौद्र रूप ले लिया और गुस्से में मोहनबाबू मुँह फुला कर बाहर निकल गए और जाते जाते बोलने लगे ...
जा रहा हूं मैं रह लूंगा कैसे भी...
मोहनबाबू के बाहर निकल जाने पर सुधाजी भी बडबडा उठी जाओ जाओ
मगर बीते पहले एक घंटे में मोहनबाबू के लौटकर नहीं आने पर सुधाजी थोड़ी मुस्कुरा कर सोचती ...हू...सठिया गए है कोई बात सुनते ही नही... लेकिन जब दूसरा घंटा शुरू हुआ तो की दिल की घड़कन बढ़ गई
अरे कहां रह गए इतनी धूप तेज हो गई है पार्क में कितनी देर बैठेंगे ये...
तुरंत मोबाइल निकाल कर देखना शुरू किया कितने बजे ऑनलाइन थे मगर ये क्या मोहनबाबू का फोन ऑनलाइन नहीं दिखा रहा था घडी ने जैसे ही तीसरे घंटे की और इशारा दिया तो सुधाजी की घबराहट बढ गई वह पश्चाताप करने लगी... छोटी सी तो बात थी काश...मैं ही चुप रह जाती तो बात आगे नहीं बढ़ती थोड़ा और वक्त बीतने पर उन्हें चक्कर आने लगे बहुत परेशान होने लगी उन्होंने तुरंत अपने मोबाइल को निकाल कर मोहनबाबू का नंबर मिलाया... कहां है आप जल्दी आइए मैंने भी लंच नही किया
जानता हूं... आ रहा हूं बस 2 मिनट तुम गुस्सा हो गई थी तो तुम्हारी पसंद के रेस्टोरेंट से तुम्हारी मनपसंद दाल मखनी लेने चला गया था घर पहुंच कर मोहनबाबू ने अपने हाथों से गर्मागर्म दाल रोटी से थाली सजाकर सुधाजी के बड़े प्यार से रखकर आंखें मटका कर कहां ... तुम्हारी मनपसंद दाल मखनी इतनी दूर क्यूं लेने गए थे आपका मन था तो बता देते में घर में बना लेती
तुम्हारी मनपसंद दाल मखनी तुम्हारे मनपसंद रेस्टोरेंट की तुम्हीं तो कहती हो इसे खाते ही तुम सब कुछ भूल जाती हो तो मुझे लगा मेरी सुबह की....ग़लती मेरी थी
नहीं ग़लती मेरी थी...कहकर सुधाजी मोहनबाबू के सीने से लग गई आज फिर प्यार का पलड़ा अहम पर भारी पड़ गया था...!!

03/02/2024
महत्वपापा,एक चश्मा के लिए आप इतना क्यों हड़बड़ा रहें हैं,ऐसा क्या पढ़ना है अब आपको।दो-चार दिन रुक जाइये तो फिर मैं बनवा ...
06/10/2023

महत्व

पापा,एक चश्मा के लिए आप इतना क्यों हड़बड़ा रहें हैं,ऐसा क्या पढ़ना है अब आपको।दो-चार दिन रुक जाइये तो फिर मैं बनवा देता हूँ।" चाय पीते हुए नरेश अपने पिता से बोले तो उनके पिता धीरे-से बोले ," कोई ज़रूरी तो नहीं है बस ज़रा...पर कोई बात नहीं।
कहकर रामदयाल बाबू सैर के लिये निकल गये।
टहलने के बाद वे एक बेंच पर बैठ गये जहाँ उनके हमउम्र के लोग अखबार पढ़ रहें थें।उन्होंने एक से कहा," आज दसवीं बोर्ड- परीक्षा का रिजल्ट निकला है,ज़रा एक रोल नंबर देखकर बताइये कि.." कहते हुए वे अपनी जेब से नंबर लिखी एक पर्ची निकालने लगें।उनमें से एक सज्जन पूछने, " किसका है?
उत्साहित होकर बोले, " मेरी पोती का है।आज घर में अखबार दिया नहीं और जल्दी में निकला तो चश्मा गिरकर टूट गया।
" लाईये..., मैं देख देता हूँ।" कहते हुए एक ने उनके हाथ से पर्ची ले ली।
धूप तेज हो रही थी।अपने पिता को पार्क को बैठे देख नरेश को बहुत गुस्सा आया।पिता को बुलाने के लिये वह उनके पास जाने लगा तो उसे सुनाई दिया, " आपको बधाई रामदयाल बाबू।आपकी पोती ने तो पूरे स्कूल में दूसरा स्थान प्राप्त किया है।हमें मिठाई नहीं खिलायेंगे क्या?
" हाँ-हाँ,क्यों नहीं.., वो तो आज चश्मा न टूटा होता तो आपको कष्ट नहीं देता।आपने पढ़कर सुना दिया,यही बहुत है। उन लोगों से बातें करके वे पार्क के दूसरे गेट से बाहर निकल गये।
नरेश सोचने लगा, मैं भूल गया लेकिन पापा को याद रहा कि आज अनीशा का रिजल्ट निकलने वाला है।जैसे उन्हें मेरे स्कूल का टाइमटेबल रटा हुआ था,वैसे ही पोती अनीशा का भी...।
वे हमेशा मुझसे कहते थें कि काम हमेशा समय पर होना चाहिए तभी उस काम का महत्त्व है।आज ही तो उन्हें चश्मे की अधिक आवश्यकता थी और मैंने लापरवाही कर दी।
शाम को घर आकर नरेश ने सबसे पहले अपने पिता को उनका चश्मा दिया और फिर बोला, " पापा,कल अपने सभी मित्रों को चाय पर घर बुला लीजिये।आपकी पोती ने 98 प्रतिशत अंक लाकर द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।पार्टी तो बनती है ना।
हाँ बेटा.... लेकिन फिर कभी...। बेटे पर कोई बोझ न पड़े ,
इसलिए उन्होंने टालने का प्रयास किया।नरेश ने उनके मन में चल रही दुविधा को भाँप लिया था।पिता के कंपकंपाते हाथों को पकड़कर नरेश मुस्कुराते हुए बोला ," फिर कभी क्यों पापा...,आप ही तो मुझे समझाते थें कि काम समय पर हो तभी उसका महत्त्व है।अपने मित्रों को आप कल ही पार्टी देंगे।" बेटे की बात सुनकर रामदयाल बाबू की आँखें खुशी-से छलछला उठी।

23/08/2023

🇮🇳🇮🇳Congratulations!! For grand success of CHANDRAYAAN 3, it's a proud moment for us 🇮🇳🍫🎂💓🇮🇳

Virat Verse

22/08/2023

“होशियार होना अच्छी बात है, लेकिन दूसरों को मूर्ख समझना सबसे बड़ी मूर्खता है”

अरे बुढिया तू यहाँ न आया कर , तेरा बेटा तो चोर-डाकू था . इसलिए गोरों ने उसे मार दिया“जंगल में लकड़ी बिन रही एक मैली सी ध...
16/08/2023

अरे बुढिया तू यहाँ न आया कर , तेरा बेटा तो चोर-डाकू था . इसलिए गोरों ने उसे मार दिया“
जंगल में लकड़ी बिन रही एक मैली सी धोती में लिपटी बुजुर्ग महिला से वहां खड़ें भील ने हंसते हुए कहा ...
“ नही चंदू ने आजादी के लिए कुर्बानी दी हैं “
बुजुर्ग औरत ने गर्व से कहा .उस बुजुर्ग औरत का नाम जगरानी देवी था और इन्होने पांच बेटों को जन्म दिया था , जिसमे आखरी बेटा कुछ दिन पहले ही शहीद हुआ था ...
उस बेटे को ये माँ प्यार से चंदू कहती थी और दुनियां उसे "आजाद " चंद्रशेखर आजाद तिवारी के नाम से जानती है ...!
हिंदुस्तान आजाद हो चुका था , आजाद के मित्र सदाशिव राव एक दिन आजाद के माँ-पिता जी की खोज करतें हुए उनके गाँव पहुंचे ...
आजादी तो मिल गयी थी लेकिन बहुत कुछ खत्म हो चुका था ...
चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत के कुछ वर्षों बाद उनके पिता जी की भी मृत्यु हो गयी थी ...
आज़ाद के भाई की मृत्यु भी इससे पहले ही हो चुकी थी . अत्यंत निर्धनावस्था में हुई उनके पिता की मृत्यु के पश्चात आज़ाद की निर्धन निराश्रित वृद्ध माताश्री उस वृद्धावस्था में भी किसी के आगे हाथ फ़ैलाने के बजाय जंगलों में जाकर लकड़ी और गोबर बीनकर लाती थी तथा कंडे और लकड़ी बेचकर अपना पेट पालती रहीं ...
लेकिन वृद्ध होने के कारण इतना काम नहीं कर पाती थीं कि भरपेट भोजन का प्रबंध कर सकें .
कभी ज्वार कभी बाज़रा खरीद कर उसका घोल बनाकर पीती थीं क्योंकि दाल चावल गेंहू और उसे पकाने का ईंधन खरीदने लायक धन कमाने की शारीरिक सामर्थ्य उनमे शेष ही नहीं थी ...
शर्मनाक बात तो यह कि उनकी यह स्थिति देश को आज़ादी मिलने के 2 वर्ष बाद (1949 ) तक जारी रही ...
चंद्रशेखर आज़ाद जी को दिए गए अपने एक वचन का वास्ता देकर सदाशिव जी उन्हें अपने साथ अपने घर झाँसी लेकर आये थे, क्योंकि उनकी स्वयं की स्थिति अत्यंत जर्जर होने के कारण उनका घर बहुत छोटा था अतः उन्होंने आज़ाद के ही एक अन्य मित्र भगवान दास माहौर के घर पर आज़ाद की माताश्री के रहने का प्रबंध किया था और उनके अंतिम क्षणों तक उनकी सेवा की ...
मार्च 1951 में जब आजाद की माँ जगरानी देवी का झांसी में निधन हुआ तब सदाशिव जी ने उनका सम्मान अपनी माँ के समान करते हुए उनका अंतिम संस्कार स्वयं अपने हाथों से ही किया था ...
आज़ाद की माताश्री के देहांत के पश्चात झाँसी की जनता ने उनकी स्मृति में उनके नाम से एक सार्वजनिक स्थान पर पीठ का निर्माण किया . प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने इस निर्माण को झाँसी की जनता द्वारा किया हुआ अवैध और गैरकानूनी कार्य घोषित कर दिया ...
किन्तु झाँसी के नागरिकों ने तत्कालीन सरकार के उस शासनादेश को महत्व न देते हुए चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति स्थापित करने का फैसला कर लिया ...
मूर्ति बनाने का कार्य चंद्रशेखर आजाद के ख़ास सहयोगी कुशल शिल्पकार रूद्र नारायण सिंह जी को सौपा गया ...
उन्होंने फोटो को देखकर आज़ाद की माताश्री के चेहरे की प्रतिमा तैयार कर दी ...
जब केंद्र की सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकारों को यह पता चला कि आजाद की माँ की मूर्ति तैयार की जा चुकी है और सदाशिव राव, रूपनारायण, भगवान् दास माहौर समेत कई क्रांतिकारी झांसी की जनता के सहयोग से मूर्ति को स्थापित करने जा रहे हैं तो इन दोनों सरकारों ने अमर बलिदानी शहीद पंडित चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति स्थापना को देश, समाज और झाँसी की कानून व्यवस्था के लिए खतरा घोषित कर उनकी मूर्ति स्थापना के कार्यक्रम को प्रतिबंधित कर पूरे झाँसी शहर में कर्फ्यू लगा दिया ...
चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी गई ताकि अमर बलिदानी चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति की स्थापना न की जा सके ...!
जनता और क्रन्तिकारी आजाद की माता की प्रतिमा लगाने के लिए निकल पड़े ...
अपने आदेश की झाँसी की सडकों पर बुरी तरह उड़ती धज्जियों से तिलमिलाई तत्कालीन सरकारों ने पुलिस को गोली मार देने का आदेश दे डाला ...
आज़ाद की माताश्री की प्रतिमा को अपने सिर पर रखकर पीठ की तरफ बढ़ रहे सदाशिव को जनता ने चारों तरफ से अपने घेरे में ले लिया ...
जुलूस पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया ...
सैकड़ों लोग घायल हुए, दर्जनों लोग जीवन भर के लिए अपंग हुए और कुछ लोग की मौत भी हुईं . (मौत की आधिकारिक पुष्टि कभी नही की गयी)...
इस घटना के कारण चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी ll

20/07/2023

🥀नेतागिरी 🥀
धंधे में क्या रखा है, पसीना बहाओगे ।
और नोकरी में व्यर्थ जिंदगी गवाओगे ।।

कितना करोगे खर्च - कितना बचाओगे ।
सारी उमर खपा के भी कितना कमाओगे ।।

100 - 100 के नोट चाहिए तो चमचागिरी करो ।
ख्वाहिश हजार की हो की हो तो दादागिरी करो ।।

वोटों की राजनीति है सौदा गिरी करो ।
लाखों में खेलना हो तो नेतागिरी करो ।।

विद्वता और घमंड.!कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बङा पुण्य होगा.!स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं अपना पर...
18/07/2023

विद्वता और घमंड.!

कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बङा पुण्य होगा.!

स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं अपना परिचय दो,

मैं अवश्य पानी पिला दूंगी,

कालीदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें,

स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ ?

कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें,

स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।
पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ?

(अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे)

कालिदास बोले :- मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें

स्त्री ने कहा :- नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है। उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है, दूसरे पेड़ जिनको पत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं। तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ?

(कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गए और तर्क-वितर्क से झल्लाकर बोले)
कालिदास बोले :- मैं हठी हूँ ।
स्त्री बोली :- फिर असत्य. हठी तो दो ही हैं- पहला नख और दूसरे केश, कितना भी काटो बार-बार निकल आते हैं। सत्य कहें ब्राह्मण कौन हैं आप ?

(पूरी तरह अपमानित और पराजित हो चुके थे)
कालिदास ने कहा :- फिर तो मैं मूर्ख ही हूँ ।
स्त्री ने कहा :- नहीं तुम मूर्ख कैसे हो सकते हो।
मूर्ख दो ही हैं, पहला राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर शासन करता है, और दूसरा दरबारी पंडित जो राजा को प्रसन्न करने के लिए ग़लत बात पर भी तर्क करके उसको सही सिद्ध करने की चेष्टा करता है

(कुछ बोल न सकने की स्थिति में कालिदास वृद्धा के पैर पर गिर पड़े और पानी की याचना में गिड़गिड़ाने लगे)

वृद्धा ने कहा :- उठो वत्स ! (आवाज़ सुनकर कालिदास ने ऊपर देखा तो साक्षात माता सरस्वती वहां खड़ी थी, कालिदास पुनः नतमस्तक हो गए)

शिक्षा :-
विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें, यही घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है।

दो चीजों को कभी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए,

अन्न के कण को,
"और"
आनंद के क्षण को.! ❤️

माता ने कहा :- शिक्षा से ज्ञान आता है न कि अहंकार तूने शिक्षा के बल पर प्राप्त मान और प्रतिष्ठा को ही अपनी उपलब्धि मान लिया और अहंकार कर बैठे इसलिए मुझे तुम्हारे चक्षु खोलने के लिए ये स्वांग करना पड़ा.!
कालिदास को अपनी गलती समझ में आ गई और भरपेट पानी पीकर वे आगे चल पड़े।

06/07/2023

संस्कार

































16/06/2023

हे!
भगवान






























11/06/2023

नालायक बेटा






























09/06/2023






























08/06/2023






























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