लिखावट जुबाँ की

लिखावट जुबाँ की 9929887755 poem writing

21/05/2021
समय फिर से आएगा😘
17/05/2021

समय फिर से आएगा😘

सावन
16/08/2020

सावन

30/01/2019

वो आज भी ऐसे ही रुसवां रही
सब झूम रहे थे प्यार की मदहोशी में
वो कुर्बानी की उदासी सी रही
न जाने कब सुख गए आंसू
वो आज भी बेरंग हवा सी रही।

26/07/2018

ताल्लुक़ कौन रखता है किसी नाक़ाम इन्सान से,
पर मिले जो कामयाबी तो सारे रिश्ते बोल पड़ते है !!

16/12/2017

दिल की आजमाइश आज इतनी सी रह गई
हम बोले ही नही और वो भी चुप सी रह गई।
कहना चाहते हम किसी और के हो गए
पर ये बात भी आंखों मेंआंसू सी रह गई।
वो तब भी कुछ न कह पाई न आज
झील सी खड़ी रही नही थी कोई आवाज
समझू भी तो क्या समझू

ना इशारा था ना घुंगुरु की साज।

03/09/2017

जिंदगी एक अजीब सी पहली ,
कभी दुःख की दुश्मन कभी सहेली।
ना समझ पाया ना समझ पाउंगा,
कैसे सुलझाउ जिदगी ना समझो की रैली।।

जब उतार ही दिया है जीवन के दरिया में,
मन्नतों की भीड़, संभावनाओं के नादिया में।
समझाऊ तो समझे ना जिंदगी शब्दो को,
अब कैसे लौटू छोड़ी हुई उन डगरिया में।।

खोने को कई यादे है इस मन में,
पाने की फरियादे है इस मन में।
समझी भी तू ही समझना भी तुझे है,
बस तेरे साथ चलने की साँसे है इस मन में।।

रूठना तेरा याद आएगा,
न मनाना तुझे बड़ा सतायेगा।
पर याद रख मन की रानी,
जिस दिन हुआ तन मन विग्रह,
यही पागल बड़ा तड़पायेगा।
आंसू न सुख पाएंगे इतना रुलायेगा।।

रचनाकार =विजय मिलिंद

03/09/2017

रख कर अपना कर,माँ जीवन सफल कर दे।
गोदी में रख लू सर , माँ जीवन अमर कर दे।
तेरा ही अंश हु मैं, तुझसे ही अलग हुआ।
तेरे ही आँचल के तले, लेकर के तेरी दुआ।

26/06/2017

वो हँसकर चले गए पलटे भी नहीं
हम रुसवाइयों में हुए सम्भले भी नहीं
चाहते तो रोक लेते उन्हे
पर
वो आँखों से समझा गए हम समझे भी नहीं।।

26/06/2017

Asiqi, b asiqi 2 ho jati h..
Jb b.f ki life me duji g.f aati h..
Are pyar me one two krne walo..
Ye to dastur h jindagi ka,ek jati h to duji aati h...
Mind it..

18/06/2017

न जाने क्यों मैं रुक सा जाता हूं
रिश्तो के इस भंवर में फँस सा जाता हूं।
जाऊ तो कहाँ जाऊ समझ नहीं पाता
जितना सुलझाता हु उतना ही उलझ सा जाता हूं ।।

14/06/2017

जिंदगी एक अजीब सी पहेली ।
कभी दुःख की दुश्मन कभी सहेली।
ना राग में ना रंग में
ना प्यार में ना जंग में।
बस मोह में पड़ी हुई एक रैली ।

14/06/2017

Plz apperiaciate my bro
Art of writing .........

14/06/2017

मेरे भाव शब्दों में।✍✍�✍�🙏�
विजय मिलिंद
🙁 माँ सम्भालो ना मुझको🙁

दुःखी हूँ ना माँ सम्भालो ना मुझको
रोता हूँ ना माँ चुप करा लो ना मुझको
गोदी को तरसता हूँ रेशम में सो कर भी
गोदी में ले कर थपथपा लो ना मुझको।।

दुनिया में मिला, तो प्यार तेरा भूल गया
दुसरो के खातिर तूझको में भूल गया
भूल को सुधार लूंगा माँ●●●●●●
एक बार अपने आँचल में छुपा लो न मुझको।

भटका हूँ उस रस्ते पर जहाँ अपने भी पराये हो गए
काँटों के बिस्तर और दुःख के सराये हो गए
गिर रहा हूँ बार बार माँ ●●●●●●
उठा कर गले से लगा लो न मुझको ।

चाहता था जिन्दगी जीना अलग ढंग से
खुद की ख़ुशी, खुद की सोच एक अलग रंग से
फंस गया हूँ इन रंगो के भँवर में माँ●●●●●●
फिर से अपने रंग में रंग लो न मुझको।

तुझे दुखी कर उसको सुख से भरने लगा
दिल भरा रहा अश्को से आँखों से झरने लगा
अब रोया नहीं जाता माँ●●●●●●
वो प्यारी सी गुदगुदी कर हंसा लो ना मुझको।

दुनिया की इस भीड़ में ग़ुम जाता हूँ
इन सबके सहारे में भी गिर जाता हूँ
कब तक गिरु इस तरह माँ●●●●●
अब अँगुली पकड़ ,चला लो ना मुझको।

भूख नहीं होती फिर भी खाता हूँ
ऐसे कई अनचाहे काम करता जाता हूँ
अब भूख तेरे प्यार की सहन नहीं होती माँ●●●●●●●●●
प्यार से एक निवाला खिला दो ना मुझको।

दर्द होता है तो पी जाता हूँ
फिर भी सबको हंसाता जाता हूँ
तू तो मेरे दर्द से सिहर जाती है ना माँ●●●●
फिर इस दर्द का मरहम बना लो न खुद को।
माँ इस दर्द से बचा लो न मुझको।

चमक बहुत हो गई पैसो की
पत्नी संग किये ऐशो की
सब फीकी है माँ●●●●●●●●
इस झूठ की धूप में आँचल से बचा लो ना मुझको।
माँ सम्भालो ना मुझको।
माँ सम्भालो ना मुझको।

स्वरचित रचना आपको और माँ को समर्पित ।
आपका विजय मिलिंद । k.patan
कृपया अच्छी लगे तो शेयर जरूर करे।
सभी माँ को विजय का प्रणाम।।

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