मोहित सोहनी - Mohit Sohani

मोहित सोहनी - Mohit Sohani || धैर्य रखें, कठिन परिश्रम करें और विनम्र रहें ||

दूसरों की फोटो लेने में खुद की सिर्फ यही फोटो मिल पायी
15/10/2023

दूसरों की फोटो लेने में खुद की सिर्फ यही फोटो मिल पायी

12/05/2023

जिंदगी परिवर्तन चाहती है | Life Needs Change




हम हमेशा अपने आपको ढूंढते रहते हैं की हम क्या बन सकते हैं, हमारे में क्या हुनर है जो हमे अलग बनाता है, पर अपने आप को ढूं...
05/05/2023

हम हमेशा अपने आपको ढूंढते रहते हैं की हम क्या बन सकते हैं, हमारे में क्या हुनर है जो हमे अलग बनाता है, पर अपने आप को ढूंढने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने अंदर के बच्चे को जगाया जाए।

30/04/2023

घर जैसी जगह दूसरी कोई नही | Ghar Jaisi Jagah Dusri Koi Nahi

28/04/2023

सब मतलबी हो गए हैं | Sab Matlabi Ho gaye Hai


25/04/2023

आपकी किस्मत खराब हैं? | 5 तरीकें जो आपकी किस्मत बदल देंगे
Aapki Kismat Kharab Hai? 5 Tarike Jo Aapki Kismat Badal Denge

22/04/2023

Bhagwan Ram se seekhe gussa karne ke fayde















19/04/2023

AI फेल क्यों हुआ? | असली राम जी कैसे?

02/04/2023
30/03/2023

जब चंद्रमा, भगवान राम से नाराज़ हो गए, रामनवमी पर भगवान राम की अनोखी कथा

28/03/2023

आपका सच क्या है?

हर साल की तरह आज भी मै गणगौर उत्सव मनाने अपनी मौसी के गांव आया हूँ, गण-गौर, गण अर्थात भगवान शिव और गौर मतलब हमारी गौरी म...
24/03/2023

हर साल की तरह आज भी मै गणगौर उत्सव मनाने अपनी मौसी के गांव आया हूँ, गण-गौर, गण अर्थात भगवान शिव और गौर मतलब हमारी गौरी माता पार्वती। गणगौर त्यौहार मुख्यतः किसानों के द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव होता है जिसमें एक कारण तो अच्छी फसल देने के लिए भगवान को दी गयी कृतज्ञता होती है किसान द्वारा, जो की प्रतिकात्मक रूप में घर में गेहूं की ज्वारें बो के उसकी आठ दिनों तक पूजा कर के उसे आज नौवे दिन विसर्जित कर के की जाती है और दूसरा की इस त्यौहार पर महिलाएं या तो अच्छे वर की कामना के लिए या अपने पति की दीर्घायु के लिए उपवास करती है। इसे मध्यप्रदेश और राजस्थान के काफी गांवों में बड़ी ही धूम से मनाया जाता है, हमारे मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में गणगौर के काफी प्रचलित गीत यहाँ निमाड़ी में गाते हैं और नौ दिनों तक उत्सव की तरह मनाते है।

पहले गांवों में इस उत्सव में जाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ती थी क्योंकि अच्छे रोड़ नही होते थे, बिजली की समस्या, और आवाजाही के संसाधनों की भी कमी रहती थी, पर हर गांव वालों का दिल बहुत बड़ा रहता था इसलिए उस समय वो जिस तरह से भी हो शहर से आने वालों के लिए अपने घरों में ही जितनी अच्छी व्यवस्था हो सके वो लोग करते थे और उत्सव को भरपूर जीते थे।

आज समय काफी बदल गया है बहुत से गांवो में पहुँचने के मार्ग पक्के है, बिजली और पानी की व्यवस्था भी अपेक्षाकृत काफी सुधरी है और आज हम लोग बड़ी आसानी से गांव तक पहुँच जाते है। हालाँकि शिक्षा और रोजगार को लेकर आज भी गांवों में शहरों की तुलना में काफी कम विकास हुआ है। लगभग सभी गांव के लोग शहर के लोगों से जुड़ाव रखने के लिए हर प्रयास ईमानदारी से करते आये है और हमें अपनी संस्कृति, अपनी क्षेत्रीय भाषा, अपनी प्रकृति, पेड़-पौधे, फसलो, नदियों, पहाड़ों से जुड़ने के लिए यही गांव और गांव के लोग शहर वालों के लिए काम आते रहे हैं और आते भी रहेंगे।

हम शहर वासियों को भी कम से कम इतना ज़रूर सीखना चाहिए गांव वासियों से कि हमारी कमाई, हमारा विकास चाहे जितना हो जाए पर ज़रूरत से ज्यादा किसी भी संसाधनों का ना इस्तेमाल करना चाहिए और ना ही उन पर निर्भर रहना चाहिए और इसके साथ अपनी संस्कृति जो हमारे पूर्वजों से विरासत में मिली है उसे और अच्छी तरह से सहेज के रखना चाहिए और उसको उत्सव की तरह मनाना चाहिए।

हाल फिलहाल में अगर आप भी अपने किसी क्षेत्रीय उत्सव का हिस्सा बने है तो बताइये उस उत्सव के बारे में कुछ बातें!

कहते है कि जिस राजा को अपना संवत अर्थात अपना कैलेंडर चलाना होता था जिस भी राज्य या जगह पर, उसे वहाँ की जनता पर जो भी ऋण ...
22/03/2023

कहते है कि जिस राजा को अपना संवत अर्थात अपना कैलेंडर चलाना होता था जिस भी राज्य या जगह पर, उसे वहाँ की जनता पर जो भी ऋण है वो उस संवत के शुरू होने से पहले, अपनी ओर से चुकाना होता था और समस्त जनता को ऋण मुक्त करना होता था, और विक्रम संवत के प्रवर्तक, महाराज विक्रमादित्य ने आज के दिन समस्त देश के ऋण को चुकाकर विक्रम संवत की शुरुवात की थी, इसके पीछे महाराज विक्रमादित्य ने अपने राज्य के मुख्य सलाहकारों के साथ मिलकर पूर्णतया अनुसंधान के साथ और वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर इस संवत का निर्माण किया था इसीलिए यह संवत सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर माह की गणना करता है और इसके ही आधार पर हर माह के नाम भी इस संवत में रखे गए।

महाराज विक्रमादित्य ने कई शक राजाओं को हराकर देश को शक से मुक्त करवाया था, इसी के बाबत उन्हें एक अच्छे और सुदृढ़ संवत की आवश्यकता हुई जिसे पुरा देश स्वीकार करें, जिसके अनुरूप उन्होंने विक्रम संवत बनाया।

कहते है महाराज विक्रमादित्य की सभा में धंवंतरि जैसे महान वैद्य, वराहमिहिर जैसे महान ज्योतिषी और कालिदास जैसे महान साहित्यकार शोभामान थे, शायद इन्ही सब की अथक मेहनत, ज्ञान और जानकारी की वजह से और उसके सही तरीके से प्रलेखन की वजह से आज हम लगभग 2078 वर्ष से इस संवत रूपी धरोहर को मानते हैं।

इसी महीने में हिंदू नववर्ष की शुरुवात होना संकेत के रूप में भी सही सही दिखता है, जैसे इस महीने में ना आपको ज्यादा ठंड मिलेगी, ना गर्मी, ना बरसात, लगभग सारे पेड़-पौधे, फूल-पत्तियाँ आपको खिले हुए ही मिलेंगे, प्रक्रति हर तरह से हर तरफ़ पूरे भारत में आपको खिली हुई ही मिलेगी।

आशा करता हूँ आप भी इसी चैत्र महीने की तरह खिलते रहे, अपने स्वास्थ्य, अपने स्वाध्याय को अपनी कुशल, नियमित और संयमित दिनचर्या से विकसित करें और सिद्ध करें।
आप सभी को हिंदू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
चैत्र मास १, विक्रम संवत २०८०

19/03/2023

सिर पर चोटी या शिखा रखने का कारण
मोहित सोहनी - Mohit Sohani

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 🙏With Rahul Hariramani Kapil Jaiswal
13/03/2023

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 🙏
With Rahul Hariramani Kapil Jaiswal

12/03/2023

Shree Padhmaavadhi Ammavaari Temple🙏

फिलहाल मै अपने दोस्तों के साथ भगवान तिरुपति मंदिर जाने की यात्रा पर आया हूँ और इस 22 घंटे वाली यात्रा में अगर अकेला गया ...
11/03/2023

फिलहाल मै अपने दोस्तों के साथ भगवान तिरुपति मंदिर जाने की यात्रा पर आया हूँ और इस 22 घंटे वाली यात्रा में अगर अकेला गया होता तो शायद बहुत ही थका देने वाली यात्रा होती और शायद यात्रा के बाद या यात्रा मे ही बीमार भी हो गया होता, पर दोस्तों के साथ इतनी बातें हुई जिसमे हमने लगभग हमारी सारी समस्याएं, मजाक, कॉलेज के समय, अभी की ऑफिस की बातें और और भी बहुत कुछ फालतू बातें की और यकीन मानिये इन बातों से एक भी बात हमारी किसी भी समस्या का समाधान नहीं दे सकेगी और अगर इन बातों में समाधान होगा भी तो भी हम इन बातों में से अपना समाधान कतई नहीं लेंगे।
फिर भी इन सारी बातों ने हमे जो ऊर्जा और खुशी दी है वो कोई एनर्जी ड्रिंक या कोई दवाई भी ना दे पायेगी।

ऐसा मै इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आप भी अगर अपने दोस्तों के साथ ऐसी कोई यात्रा में जाने का सोच रहे हैं तो ज़रूर जल्दी से हो कर आइये। ये मत सोचिये की आपका प्लान कितना अच्छा है बस ये सोचिये कि आपका साथ कितना अच्छा हैं, आपका साथ आपको भरपूर ऊर्जा और खुशी दे रहा है या नहीं।
तो बताइयेगा ज़रूर कॉमेंट् में अपने प्लान के बारे में, यात्रा के बारे में और अपने दोस्तों के बारे में, इंतज़ार रहेगा आपके कॉमेंट् का.....

10/03/2023

I've just reached 1K followers! Thank you for continuing support. I could never have made it without each one of you. 🙏🤗🎉

08/03/2023

ऐसी कई औरतें है
जो कभी अपनी मर्जी का काम नहीं करती,
जो चुप रहकर सब कुछ सह लेती है,
जो कभी विरोध नहीं करती और
जो कभी थोड़ा छुपकर रो लेती है पर किसी से बताती नहीं,
जो रोज़ अपने पूरे घर के सोने के बाद ही सोती है और उनके उठने के पहले उठती है,

जो रोज़ बिना किसी लक्ष्य के, बिना किसी पगार के, बिना किसी शिकायत के, बिना किसी छुट्टी के, अपने घर के कार्यों को घर के किसी भी व्यक्ति से ज्यादा खूबसूरत ढंग से हमेशा समय पर ही करती है,
सिर्फ़ अपने घर को सवारने के लिए, खुश रखने के लिए और उसे बेहतर बनाने के लिए,
जो ऐसा पूरी जिंदगी करती है,

और ऐसे में इन औरतों को बदले में कुछ चाहिए भी होता है तो वो या तो कम मिलता है, या मिलता ही नहीं, या उसके लिए वो लड़ते लड़ते अपना दम भी तोड़ देती है,
और वो उसके लिए क्या है थोड़ा प्यार, थोड़ा सा दुलार और उनका सम्मान,
बस इन्ही तीन चीज़ो को पाने की उम्मीद लिए वो अपनी पूरी जिंदगी अपने उस कथित घर के लिए लगा देती है,
जो घर उसे मुफ़्त होते हुए भी ये तीनों चीजे आज तक दे नहीं पाया है,

13/08/2022

सभी भारतीयों से अनुरोध है की हम जो आजादी का अमृत महोत्सव तिरंगा फहरा कर कर रहे हैं उस तिरंगे को फहराने के समय उसकी नियमावली और मर्यादा को समझे । कुछ मूलभूत चीजें जरूर समझे जैसे कि :
• तिरंगे को किस समय पर ही फहरा सकते है
• उसकी सफाई कितनी ज़रूरी है, उसे कहीं फेंके नहीं
• वापस रखते समय उसकी घड़ी कैसे करें
• फहराते वक़्त किस तरह के नारे, गाने और संवाद नहीं करने चाहिए यह ध्यान में रखें।
आप जिस तिरंगे को फहरा रहे हैं वह तिरंगा भारत के गौरव और संप्रभुता का प्रतिक है।

05/06/2022

Happy

दूर अकेला पेड़ आजकल बहुत कुछ कहता है,
पता नहीं इतना शांत दिखते हुए भी इतना कैसे चीखता है,
है उसमे कुछ बात जरूर जो हर दम खडा़ रहता है,
है जानते हुए वो कट सकता है जल्दी फिर भी हंसता रहता है,

पता नहीं उसकी ये हंसी अब मुझे अच्छी नहीं लगती,
हरी भरी सी दिखने वाली पर ना जाने मुझे क्यों है अब चुभती,
उसका ये छाया देना भी अब ना आता मुझको रास,
क्योंकि कि मेरे बने मकानों से भी ज्यादा है उनमे कुछ खास,
मैंने उनको मिटाने के हमेशा किये है सफल प्रयास,
पर अभी तक भी ना जाने उनमे गिर कर उठने की है कुछ अलग ही बात,

कभी सोचता हूँ क्या मेरी इच्छाएं मेरी भूख से बड़ी है,
जो मुझे इस पेड़ से हमेशा के लिए दूर करने पर अड़ी है,
कभी लगता है ये संभलने की घड़ी है,
उसका अकेला दिखना मानो एक खतरे की घड़ी है,

अब उसने शुरू कर दिया है इशारे देना,
कभी बे मौसम चिल्लाना, कभी धुतकारना तो कभी शांत रहना,
उसका ऐसा करना लगता है जैसे कोई अनहोनी का पहले से कहना,
इतना होने पर भी ताज्जुब लगता है मुझे उसका हमेशा वफादार रहना,

कुछ इशारे उसके जैसे हमारी समझ से भी परे है,
पर पेड़ तो सिर्फ जैसे हमारे लिए ही खड़े है,
फिर भी हम ना जाने उनको खत्म करने पर ही क्यों अड़े है,

वैसे तो मै ख़ुद भी पुस्तकें काफी कम पढ़ता हूँ पर आजकल पुस्तकें पढ़ने का चलन दिनों दिन कम होता चला जा रहा है और ऐसे समय म...
23/04/2022

वैसे तो मै ख़ुद भी पुस्तकें काफी कम पढ़ता हूँ पर आजकल पुस्तकें पढ़ने का चलन दिनों दिन कम होता चला जा रहा है और ऐसे समय मे अच्छी पुस्तकों का पता करना और उसे खरीदकर पढ़ने के लिए लाना मेरे जैसे व्यक्ति जो पढ़ना चाहते है पर 'क्या पढ़ें' के संशय मे ही समय गवां देते है ऐसे व्यक्ति के लिए और कठिन हो जाता है पर फिर भी थोड़ी खोजबीन के बाद मुझे ये तीन पुस्तकें सही लगी और मैंने इन्हे झट से ऑनलाइन बुलवा ली। पहली पुस्तक है कबीर दोहावली जिसमे समान्य रूप से संत श्री कबीर महाराज के बारे में बताया गया है कुछ जगह अतिश्योंकति है पर उनके दोहे और उनका वर्णन अच्छा मिल जायेगा आपको।

दूसरी पुस्तक है "राग दरबारी", जिसके बारे में, मै जितना भी कहूँ कम है वैसे मैंने भी इसे अभी पूरी नही पढ़ी है मगर जितनी पढ़ी है उसमे ही ये पता चल गया की श्री लाल शुक्ल जी ने इसे अपने हिंदी साहित्य के अनुभव और व्यंग्यात्मक शैली को निचोड़ के छोटे छोटे खूबसूरत किस्सो में डाल दिया है जो आज के जमाने मे भी इतना प्रासंगिक है।

तीसरी पुस्तक "लपूझन्ना" जो हमारे बड़े ही प्यारे लेखक अशोक पांडे जी ने लिखा है और उनका लेखन मै अक्सर फेसबुक पर पढ़ता रहता हूँ और उनके कुछ साक्षात्कार पर देखकर वो मेरे और भी ज्यादा पसंदीदा हो गए है जैसे लल्लनटॉप वाला साक्षात्कार, आप भी ज़रूर इन्हे फेसबुक पर फॉलो कर सकते है अगर अच्छा हिंदी लेखन पढ़ना चाहते है तो, वैसे मैंने अभी यह पुस्तक नही पढ़ी है क्यूँकि इनको खरीदे हुए कुछ ही दिन हुए है और ऑफिस के काम के साथ पढ़ने में मै इतना मजा ले नही पाता तो खाली समय में पढ़ने बैठ जाता हूँ कभी।

ऊपर यह लिखने का तात्पर्य मेरा सिर्फ इतना है कि अगर आप भी अपने खाली समय में थोड़ा सा पढ़ेंगे तो अवश्य ही आपको एक नया अनुभव भी मिलेगा और ज्ञान भी और शायद आपकी कल्पना शक्ति भी बढे़।

नमस्कार 🙏 विश्व पुस्तक दिवस की शुभकामनाएं ।



28/02/2021

क्या कोई रखता होगा तुम्हारा खयाल मेरी तरह हर जगह,
क्या कोई रहता होगा हमेशा तैयार मेरी तरह हर जगह,
दूर तो तब ही हो गए थे, जब तुमने कहा हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं,
क्या कोई निभाता होगा वफ़ा दोस्ती में मेरी तरह हर जगह,

रास्तों मे दिखते हो तुम जगह जगह, याद आते हो तुम जगह जगह, लगता है देखते हो तुम छुपकर मुझे हर जगह, पर तुम होते नहीं हो हर ...
27/02/2021

रास्तों मे दिखते हो तुम जगह जगह,
याद आते हो तुम जगह जगह,
लगता है देखते हो तुम छुपकर मुझे हर जगह,
पर तुम होते नहीं हो हर जगह,
क्या होती है हालत हिज्र में,
एक बार आकर देखो तुम मेरी जगह,

बड़ा मुश्किल था ये रास्ता जब बेहिसाब चला मै,आसान तब हुआ जब अपने हिसाब से चला मै,शहर भी वही गांव भी वही उनकी जगहें और रास...
07/02/2021

बड़ा मुश्किल था ये रास्ता जब बेहिसाब चला मै,
आसान तब हुआ जब अपने हिसाब से चला मै,

शहर भी वही गांव भी वही उनकी जगहें और रास्ते भी वही,
बस पल भर मे बदल जाए वो लोगो से मिला मै,

नज़रों से ना दिखे पर जिंदगी में घुल जाए,
हैवान, इंसान तो कभी भगवान बनाने वाली आदतों से मिला मै,

शिकवे भुलाकर हमेशा गले से लग जाए,
दोस्त कहलाने वाले और दोस्ती निभाने वालों से भी मिला मै,

कुछ ठोकरें तो कुछ सौंबतें मिली, जब रास्तों पर चला मै,
मंज़िल का अभी भी नहीं पता, पर खुद से ज़रूर मिला मै,

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