14/03/2023
कलमकार, वजूददार या फिर चाटूकार, आखिर कौन होता है पत्रकार?
(Farman Abbasi)
आज के समय में सबसे आसान यदि कोई क्षेत्र है तो वह पत्रकारिता का क्षेत्र माना जाने लगा हैं।
आप जिस इंसान को कल तक आम तौर पर जानते थे, वह सिर्फ एक दिन में आपको पत्रकार बना हुआ नजर आएगा, यानि किसी अखबार का केवल 1प्रेस कार्ड तथा उसकी सूचना जारी होते ही 1 ही दिन में वो मुकम्मल पत्रकार बन जाता हैं।
न कोई पढ़ाई, न ट्रेनिंग, न डिग्री, सिर्फ कार्ड वाला पत्रकार बनकर हर जगह अपना रौब गालिब करता फिरने लगेगा।
यही वजह है कि अशिक्षित लोगो के पत्रकारिता में आने के कारण लोगो की नज़र में पत्रकारों की कोई खास इमेज नहीं रही।
इसके अलावा जो थोड़ी-बहुत बाकी छवि है वो चाटूकारों ने खत्म कर दी।
अधिकारी से लेकर एक सिपाही तक की चाटूकारिता में लगे कुछ पत्रकारों ने तो पत्रकारिता की परिभाषा ही बदल कर रख दी।
उन्हें सिर्फ गुड़ वर्क वाले पत्रकार कहे तो चलेगा।
दरअसल कुछ लोग डीएम-एसएसपी तथा बड़े अधिकारियों, नेताओ मंत्रियों के साथ फोटो खिंचाने व बैठने वालो को बड़ा पत्रकार समझते है जबकि असल पत्रकार की पहचान इन सब चीजों को देखकर नहीं की जा सकती।
पत्रकार की पहचान उसकी कलम से होती हैं। जरूरी नहीं कि किसी संस्थान में उस पर बड़ा ओहदा हो, बल्कि उसकी कलम ही उसकी पहचान होती हैं।
साफ तौर पर कहे तो कलमकार ही पत्रकार होता हैं, लेकिन आज की पत्रकारिता के इस दौर में कलमकार बहुत पीछे रहकर पत्रकारिता करने लगे है।
हमारे मुज़फ्फरनगर की बात करे तो यहां बेशुमार कलमकार पत्रकार हैं, नाम इसलिए नहीं लिख रहा हूँ क्योकि बहुत के छूट गए तो ऐतराज़ होता हैं।
फरमान अब्बासी राइटर