28/03/2024
सत साहेब जी,
मेरे इस पोस्ट को पढ़ने वाले सभी महानुभावों से मेरा विनम्र निवेदन है,की आप एक पल के लिए अपने कंधे के ऊपर रखे परिवारिक जिम्मेदारियों को दरकिनार करते हुए सिर्फ और सिर्फ अपने मनुष्य जीवन के उद्धार हेतु सोचकर देखें की आपका मनुष्य जीवन सफल हो रहे है,या वेयर्थ जा रहा है,अब आप काफी देर सोचने के बाद इस मोड़ पे पहुंच गए होंगे कि अच्छी खासी मेहनत मजदूरी करके बाल बच्चों को पाल रहा हूं और सबको पढ़ा लिखा कर लाइक बनाकर शादी ब्याह कर दिया हूं या कर दूंगा और समाज में इज्जत की जिंदगी जी रहा हु मेरी जिम्मेदारी पूरी हो गई या हो जायेंगे, तो मेरे भाई मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य तो कुछ और हीं है जिस कर्म को आप करके अगर ये समझ रहे हो की मेरा मनुष्य जीवन का कर्तव्य पूरा हो गया है, या हो जायेंगे तो आपकी सबसे बड़ी भूल और सबसे बड़ी नासमझी यही है,आपके हीं जैसे 84 लाख योनियों में सभी जीव संतानोत्पत्ति करते है और अपने बच्चों का परवरिश भी कर रहे है अगर आपकी सोच यहीं तक सीमित है तो,अन्नय जीव और आपमें फर्क हीं क्या रहा,इसलिए मेरे अजीज महानुभावों महापुरुष कहते है की 84 लाख योनियों में सबसे उत्तम मनुष्य जन्म है,क्योंकि मनुष्य शरीर ही मात्र एक यैसा यंत्र है जिसके माध्यम से हम अपने सुख,दुख,लाभ,हानि एक दूसरे से बेयक्त कर पाते हैं और सबसे मुख्य और मूल कार्य तो इस शरीर का ये है की आत्मा और परमात्मा के बीच का जो भेद है उसको भली भांति समझकर परमात्मा को प्राप्त कर लेना इस मनुष्य शरीर के अलावा किसी भी देह धारी प्राणियों में समर्थता नहीं है,अब सवाल यह है की पुस्तक सामने है परंतु पढ़ना नहीं आता,अर्थात परमात्मा सामने है फिर भी परमात्मा दिखाई नहीं देता जबकि वेद में सप्ष्ट लिखा है की परमात्मा नरवत सह शरीर है यानी मनुष्य के जैसा है परमात्मा को भक्ति करके देखा और प्राप्त किया जा सकता है जैसे पुस्तक पढ़ने के लिए विद्या की जरूरत है और विद्या प्राप्त करने के लिए गुरुजी की जरूरत पड़ती है ठीक इसी तरह परमात्मा प्राप्त करने के लिए तत्वदर्शी संत की जरूरत पड़ती है ये मैं नहीं कह रहा हूं वेद,गीताजी,कुरान बाइबिल गुरुग्रंथ साहेब में लिखा है और इन सारे ग्रंथों में तत्वदर्शी संत की पहचान भी लिखा है,इसलिए मेरे आदर्श बंधुओं वर्तमान समय में इस संतों की भीड़ में सिर्फ और सिर्फ संत रामपाल जी महाराज हीं वो तत्वदर्शी संत है,जिसके शरण ग्रहण करने से ही उस दयालु परमात्मा का साक्षात्कार होंगे जिस भी भाई बहन को अपने मनुष्य जीवन का मोल समझ में आ गए होंगे अथासीघ्र परमेश्वर संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर अपने मनुष्य जीवन को सफल बनावे.....
।। सत साहेब।।