रूबी सत्येन्द्र कुमार 'कुशीनगरी' ग़ज़लें

  • Home
  • India
  • Kasia
  • रूबी सत्येन्द्र कुमार 'कुशीनगरी' ग़ज़लें

रूबी  सत्येन्द्र कुमार 'कुशीनगरी' ग़ज़लें ⚘⚘⚘⚘⚘⚘
ज़रा सी आहटों से डर रही है आज जो लड़की।
कभी बे-खौफ सी रहकर वो पीहर में पली होगी।।

एक नयी तरही ग़ज़ल                  क्या इसके सिवा कीमती मैं मांगती रब से,उसने ही नवाज़ा मुझे अम्मा के लक़ब से धोका कभी आ...
29/12/2024

एक नयी तरही ग़ज़ल


क्या इसके सिवा कीमती मैं मांगती रब से,
उसने ही नवाज़ा मुझे अम्मा के लक़ब से

धोका कभी आंसू तो कभी रंजो मुसीबत
अल्लाह बचाये हमें दुनिया की तलब से।

जिसने कभी देखा नहीं कुदरत का करिश्मा,
होता है परेशान वो कुदरत के ग़ज़ब से

जो चाहिए वो आप सितम कीजिए मुझ पर
निकलेगा न इक लफ्ज़ कभी मेरे भी लब से

बर्बाद हुआ अम्नो शुकूं शह्र का मेरे
कुछ लोग सियासत यहां करने लगे जब से

इस शहर में मशहूर हैं बे-अदबियां जिसकी
वो हमसे मिला आके निहायत ही अदब से।

इस्लाह से ही आती है किरदार में खुशबू,
"कमज़र्फ़ हैं जो जलते हैं इस्लाह-ए-अदब से"

दौलत नहीं, शोहरत नहीं, हिम्मत नहीं 'रुबी '
इस जिंदगी में नूर है उल्फ़त के सबब से।

हयात फाउंडेशन गोपालगंज बिहार द्वारा  आयोजित मुशायरे की कुछ तस्वीरें ,💕💕💕
27/12/2024

हयात फाउंडेशन गोपालगंज बिहार द्वारा आयोजित मुशायरे की कुछ तस्वीरें
,💕💕💕

05/12/2024

बंदिशें लाख लगा लें ये ज़माने वाले

नमस्कार दोस्तों 🙏 🙏 🙏 🙏 आज दो शेर आपकी खिदमत में ,❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️उंगलियाँ मुझपे  जो सरकार उठा देते हो। और बेहतर मेरा किरद...
02/12/2024

नमस्कार दोस्तों 🙏 🙏 🙏 🙏
आज दो शेर आपकी खिदमत में
,❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️
उंगलियाँ मुझपे जो सरकार उठा देते हो।
और बेहतर मेरा किरदार बना देते हो।

रास्तों पर मेरे कांटों को बिछाने वालो,
तुम मेरे पैरों की रफ्तार बढ़ा देते रहो

नमस्कार दोस्तों 🙏 कुछ अशआर आपके खिदमत में 💐💐🥳
20/11/2024

नमस्कार दोस्तों 🙏
कुछ अशआर आपके खिदमत में
💐💐🥳

आज एक मुक्तक आप सभी के नज्र करती हूं।💐💐💐नही चाहती पूजी जाऊँ,लिए आरती थाल में।ना ही चाहूँ गजरा महके, हर दिन मेरे बाल में।...
12/11/2024

आज एक मुक्तक आप सभी के नज्र करती हूं।
💐💐💐
नही चाहती पूजी जाऊँ,लिए आरती थाल में।
ना ही चाहूँ गजरा महके, हर दिन मेरे बाल में।
मेरी चाहत है बस इतनी, उसको इतना अधिकार मिलें
पीहर जैसे चहक सकूं मैं भी अपने ससुराल में

कवि सम्मेलन पलिया कला खीरी की तस्वीर आज प्राप्त हुईं।शानदार प्रोग्राम रहा 🥳🎉
19/10/2024

कवि सम्मेलन पलिया कला खीरी की तस्वीर आज प्राप्त हुईं।
शानदार प्रोग्राम रहा 🥳🎉


कवि सम्मेलन पलिया कला खीरी में मेरी उपस्थिति 💐🎉🎉🥰🙏   #कुशीनगर  #गोपालगंज
16/10/2024

कवि सम्मेलन पलिया कला खीरी में मेरी उपस्थिति 💐🎉🎉🥰🙏
#कुशीनगर #गोपालगंज

कल हमारे शहर के विमर्श साहित्यिक संस्थान की ५५वी गोष्ठी आयोजित की गयी जिसको विभिन्न अखबारों ने स्थान दिया है।आभार 🙏🙏🙏🙏
07/10/2024

कल हमारे शहर के विमर्श साहित्यिक संस्थान की ५५वी गोष्ठी आयोजित की गयी जिसको विभिन्न अखबारों ने स्थान दिया है।
आभार 🙏🙏🙏🙏

01/10/2024

नमस्कार, पुस्तक विमोचन कार्यक्रम
💐🙏🙏🙏

नमस्कार दोस्तों आपकी मुहब्बतों के नाम एक शेर 🙏🎉🎉🎉मेरे लब पर जो मुस्कुराहट है दर्द का ये बयान है यारों
21/09/2024

नमस्कार दोस्तों
आपकी मुहब्बतों के नाम एक शेर
🙏🎉🎉🎉
मेरे लब पर जो मुस्कुराहट है
दर्द का ये बयान है यारों

आप सभी को नमस्कार एक  ग़ज़ल पेशे खिदमत है ,,🎉🙏🙏💗💗💗ग़ज़ल बंदिशें लाख लगा लें ये ज़माने वाले,प्यार की ख़ुशबू लुटाएगें लुटा...
09/09/2024

आप सभी को नमस्कार एक ग़ज़ल पेशे खिदमत है
,,🎉🙏🙏💗💗💗
ग़ज़ल

बंदिशें लाख लगा लें ये ज़माने वाले,
प्यार की ख़ुशबू लुटाएगें लुटाने वाले।।

प्यार के दरिया में डूबा है उसे रब रखे
कुछ नही पाएंगे साहिल पे नहाने वाले

अपने बच्चों की तरह पालते हैं वो इनको,
पेड़ काटेंगे नहीं पेड़ लगाने वाले।

आग लगते ही हवाओं ने ऐसा रुख बदला
उम्र भर रोये मेरे घर को जलाने वाले

क़ब्र पे आते‌ हैं, रोते हैं, दुआ पढ़ते हैं,
इससे ज़्यादा करें क्या रब्त निभाने वाले

साथ रहने के भी आदाब निभाया हमनें
देर तक साथ चले छोड़ के जाने वाले

सब्र की आग में जल जाएगा सब कुछ "रूबी"
भूल जाते हैं गरीबों को सताने वाले।

'रूबी कुशीनगरी'
#फॉलोअर #वायरल

08/09/2024

💐🙏🙏🙏🙏
नमस्कार दोस्तों
टूटे हुए दिल से निकले कुछ अशआर पेशे खिद्मत है।
,,💐🙏🙏

❣️बीच दरिया में वो कश्ती डुबा गये साहब,
❣️कितनों को दिन में ही तारे दिखा गये साहब

❣️जिनसे उम्मीद थी मरहम लगाने की मुझको
❣️ दिल पे मेरे वही नश्तर लगा गये साहब

एक मुकम्मल ग़ज़ल पेशे खिदमत है 💐🙏🙏🙏🙏मेरी आदत ,मेरी मुहब्बत होतुम तो मेरी अधूरी चाहत हो।।हो तो पहले नही मगर साहबतुम "मेरी...
02/09/2024

एक मुकम्मल ग़ज़ल पेशे खिदमत है
💐🙏🙏🙏🙏

मेरी आदत ,मेरी मुहब्बत हो
तुम तो मेरी अधूरी चाहत हो।।

हो तो पहले नही मगर साहब
तुम "मेरी आखिरी मुहब्बत हो '

छूँ सकूँ मैं तुम्हें न नज़रो से
मुझमें ऐसी भी क्यूँ शराफ़त हो।।

शौक थी मैं तुम्हारें फ़ुर्सत की
और अब तुम मेरी ज़रूरत हो।।

तुम से मिलकर जो मैंने देखा था
काश ! अब ख़ाब वो हकीक़त हो।।

बर्फ कब से जमी है पलकों पर
जब ये पिघले तो दिल को राहत हो

ख़ूबसूरत तुझे लगे 'रूबी'
तेरी नज़रों की ग़र यूँ रहमत हो

Rubi Styendra Kumar

My presentation will start after 28 minutes ☺️💟🙏💐💐
24/08/2024

My presentation will start after 28 minutes ☺️💟🙏💐💐

1.खेल जगत

2.काव्य पाठ

अभी देखिए
दूरदर्शन केंद्र गोरखपुर से विशेष कार्यक्रम का प्रसारण सिर्फ #डीडी_यूपी पर और लाइव-स्ट्रीमिंग यूट्यूब पर : https://youtu.be/oBctJ7rs0WM

Address

Kasia

Telephone

+919918792995

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when रूबी सत्येन्द्र कुमार 'कुशीनगरी' ग़ज़लें posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share