
16/01/2025
दस वर्ष से 69 वर्षीय शिक्षिका व उसका पति अपनी पत्नी की सेवानिवृति के बाद इंक्रीमेंट व ग्रेच्युटी की राशि के लिए विभाग के लगा रहे चक्कर। छह माह से सीएम विंडो पर दी शिकायत भी बेअसर।
मेघ राज लूथरा
पंचकूला (मेघ राज लूथरा/संजय भाटिया)हरियाणा शिक्षा विभाग में फैला भ्रष्टाचार इस कदर है कि 10 वर्ष के बाद भी 69 वर्षीय शिक्षिका वीना कुमारी का सेवा निवृत्ति हो जाने पर इंक्रीमेंट व ग्रेच्युटी की राशि नहीं दी जा रही है। इस अवधि में उसने विभाग को कई पत्र लिखें व कई चक्कर लगाए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। गत वर्ष 7 जुलाई को उसके पति सुरेश कुमार चूटानी ने सीएम विंडो पर पूर्ण विवरण सहित इसकी शिकायत की थी लेकिन 6 माह से ऊपर का समय बीत जाने पर भी कोई परिणाम नहीं निकला है। शिक्षिका के पति सुरेश कुमार ने बताया कि उसकी पत्नी वीना कुमारी गांव खेड़ी ,रायपुर रानी, जिला पंचकूला के स्कूल में जे बी टी टीचर के रूप में कार्यरत थी, जो 30 अप्रैल 2014 को सेवानिवृत हुई थी। तब से उसकी इंक्रीमेंट मासिक पेंशन में जुड़नी थी और ग्रेच्युटी की बकाया राशि दी जानी थी ।उस समय कुछ माह तक मेरी पत्नी को जब राशि नहीं मिली तो उसने कार्यालय जाना शुरू किया। उसे लगातार टाला जाता रहा। बाद में उसने खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी को कई पत्र लिखे, रिमाइंडर दिए। लेकिन तब भी विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों पर कोई असर नहीं हुआ। हद तो तब हो गई जब उसने अपना केस गत वर्ष सीएम विंडो के जरिए रखा। वहां भी सात माह होने को है कोई असर नहीं हो रहा ।उसकी फाइल को इधर से उधर घुमाया जा रहा है । वर्षों से उसे पेंशन भी कम मिल रही है ग्रेच्युटी की राशि भी बकाया मिलनी है। इसी तरह भ्रष्टाचार की इसी शिक्षिका के साथ एक और कहानी है। जब उसने 55 वर्ष पूर्ण होने पर 2017 में पेंशन संशोधन के मामले को लेकर शिक्षा विभाग में अपना केस रखा था ।।उस समय भी इसी तरह का व्यवहार किया गया था।उसके कुछ बकाया रहे थे । बार बार कहने पर जब वह नहीं दिए गए थे, उसने सीएम विंडो पर शिकायत की थी। तब जा कर उसकी बकाया राशि दी गई थी ।अब तो सी एम विंडो का भी असर अधिकारियों पर नहीं हो रहा है ।सुरेश कुमार ने बताया कि उसकी पत्नी बीमार रहती है वह चल फिर भी नहीं सकती । वह स्वयं हार्ट पेशेंट है 70 वर्ष की आयु में अपनी पत्नी की बकाया राशि लेने के लिए विभाग के पत्राचार के साथ-साथ चक्कर लगा है लेकिन विभाग है कोई सुनवाई ही नहीं कर रहा । अधिकारी सीएम विंडो पर आने वाली शिकायतों को ही संजीदगी से नहीं ले रहे ,इसी से समझा जा सकता है कि आम शिकायतों का निवारण कैसे किया जाता होगा। उसका कहना है किअब तो कोर्ट ही उसके पास आखिरी रास्ता बचा है।