19/06/2022
मुझे पिता कठोर लगते थे हमेशा
किसी पहाड़ की तरह
फिर एक दिन मैं पहाड़ के करीब गया
और मैंने देखा
पहाड़ों ने संभाल कर रखा है
सभी के हिस्से का जंगल,पानी और हवा
मैंने देखा जब भी जरूरत पड़ी
पहाड़ों ने त्याग दी कठोरता
और बिछ गए हमारी मंज़िल के रास्तों में
जाने कितनी आवाज़ें थी पहाड़ पर
सभी आवाज़ें पहाड़ की थी
पर पहाड़ की अपनी नहीं थी कोई आवाज़
मुझे पहाड़ दूर से
जितने ऊँचे,विशाल और कठोर दिखे
पास से उतने ही नम्र,शांत
और जीवन से भरे हुए
एक पिता की तरह।
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-हेमन्त परिहार