ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है 💝
सुबह-सुबह उठ कर कभी खाली पेट तो कभी बिना lunch लिए जो school आती है
ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है...
अपना पूरा ज्ञान जो बच्चों पर लुटा देना चाहती है, ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है.
गलत behaviour बच्चों का जो सबसे पहले notice कर उसे सही कर जाती है, ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है
Parents teacher meeting में बच्चे के लिए जो parents की भी class लगाती है, ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है
बच्चों को देख principal की डांट जो भूल जाती है, ऐसा सिर्फ एक teacher ही कर पाती है
जो छोटे से बच्चे को भी stage पर perform करा ले जाती है, ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है
Function में भी जो बच्चे की copy check करती रह जाती है, ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है.
घर के कामों को भूल जो पूरी शिद्दत से result बनाती है, ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है.
बच्चे के achievement को देख जो सबसे ज्यादा खुश हो जाती है, ऐसा तो सिर्फ एक teacher ही कर पाती है.
Happy Teachers Day
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बच्चे के साथ strong connection के follow करें 5 to 1 parenting rule 💝
हम बच्चों को अक्सर criticize तो करते हैं, लेकिन connect करना भूल जाते हैं. आपको पता है criticism बच्चों को compliments की तुलना मे 5 गुना ज्यादा impact करता है. 😊
हमारी problem क्या है कि parents के रूप में हमारा mind इस तरह wired है कि हम एक तरफ तो बच्चे में negative देखते हैं और दूसरी तरफ उसी negativity से उन्हें बाहर लाने की कोशिश भी करते हैं. ये दोनों एक साथ हो ही नहीं सकते. तो करना क्या है कि criticize कम करना है और उनमें जो positive है, उनमें जो unique है, उसे priority पर रखना है. ❤️
5 to 1 parenting rule इसी काम को आसान बनाता है. यह rule कहता है कि हर एक criticism के पहले हमें बच्चे के साथ 5 positive interaction करने हैं. यानी अगर हम दिन में उसे दो बार criticise कर रहे हैं, तो उसके साथ कम से कम 10 positive interaction जरूर करें. बच्चे के साथ correction और connection के लिए यह बेहद जरूरी है. 💝🤝😊
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18 साल बाद बच्चे आपको किस तरह याद करेंगे?💝
ज्यादातर बच्चे parents के साथ सिर्फ 18 साल तक ही हैं. मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं कि इसके बाद हमसे अलग उनका एक नया सफर शुरू होगा. तब वो आपसे यह नहीं कहेंगे कि मम्मा मेरे साथ park चलो, वो उन खिलौनों से भी नहीं खेलेंगे, जिसे लाने के लिए उन्होंने कितना जिद किया था, वो आपके पास बैठकर आपको जबरदस्ती अपने school की बातें नहीं सुनाएंगे.
लेकिन ये 18 साल आपके लिए opportunities है कि आप अपने घर को प्यार से भर दें. जितना encourage कर सकते हैं, जितना connect कर सकते हैं, जितना comfort दे सकते हैं, जितनी बातें कर सकते हैं, सुन सकते हैं उतना करें.
क्योंकि 18 साल बाद उन्हें यह बिल्कुल याद नहीं रहेगा कि आपने उन्हें क्या gift दिया था, लेकिन यह जरूर याद रहेगा कि आपने उन्हें घर में feel कैसा कराया था. अगर आप घर में वो comfort create कर पाते हैं, तो वो life में कुछ भी करें, घर की खूबसूरत यादें हमेशा उनके साथ रहेंगी, जो उन
बच्चे की feeling को इस तरह reject न करें❌️
जब बच्चे upset होते हैं, तो हम क्या करते हैं. ज्यादातर parents उन्हें अच्छा feel कराने की कोशिश करते हैं. इसलिए अक्सर उनकी उस feeling को ignore करते हुए कहते हैं कि ये कोई बड़ी बात नहीं. तुम बिल्कुल ठीक हो.💟
अब समझिए problem क्या है इन words में. बच्चा already upset है, उसके लिए यह feeling बड़ी बात है. तो जब आप उससे कहती हैं कि कोई बड़ी बात नहीं, तुम ठीक हो, तो आप उसे उसकी feeling से बाहर नहीं लाती हैं, बल्कि उस feeling के साथ उसे अकेला छोड़ देती हैं, इससे वह और ज्यादा upset हो जाता है.
तो अगली बार जब भी बच्चा upset हो, परेशान हो या खराब mood में हो तो उसके पास जाकर बैठें और यह समझने की कोशिश करें कि हुआ क्या है? इसके बाद उससे ये 3 बातें आपको कहनी हैं-💝
1. अच्छा ऐसा हुआ था. यह वाकई बहुत important है. ऐसा कर आप उसे यह बता रही होती हैं कि उसकी feeling को आप समझ रही हैं. 💝
2. मुझे तुम पर भरोसा है. यह लाइन बच्चे में confidence develop करती है. Confidence
बच्चे की growth में पापा का यह 20 ?minutes है crucial 💝👍
Study कहती है कि बच्चों के साथ पापा का समय केवल खेल और enjoyment से हीं जुड़ा नहीं है, बल्कि यह बच्चे के brain की health से भी जुड़ा है. 🤩जिन बच्चों का दिन में कम से कम 20 मिनट भी पापा का समय मिलता है, उन बच्चों का न केवल self esteem higher होती है, बल्कि उनमें behavior problems भी कम देखने को मिलती है.😎
अब father की सबसे बड़ी problem क्या है कि उन्हें समय नहीं मिलता 🤷, लेकिन पता है अगर आप पूरे दिन भर में 20 मिनट समय भी अपने बच्चे के लिए निकाल लेते हैं न तो आप बच्चे को जो बोलेंगे न वो वही करेंगे 🥰. क्या आप 1440 मिनट में बच्चे के लिए 20 मिनट नहीं निकाल सकते😇. कैसे निकालना है मैं बताती हूं🤝
1. Office से आने के बाद dinner के समय, mobile को अलग रख कर. 😊
2. Possible हो तो स्कूल छोड़ने उसे खुद जाएं और रास्ते में उससे बात करें.💁
3. Morning walk possible नहीं हो तो 15 मिनट का ही सही, लेकिन evening walk करें.🚶♂️
4. Sunday के दिन उसके साथ कोई न कोई एक activity जरूर
10 साल के बच्चे के लिए श्रीकृष्ण के 7 life lessons 💝
राधे-राधे, आज मैं आपको lord Krishna की life से inspire 7 बातें बता रही हूं जो एक 10 साल के बच्चे को जरूर जाननी चाहिए.😊
1. कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, हमें अपने हर काम की respect करनी चाहिए.
2. जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है.
3. हमें हमेशा दूसरों के साथ humble रहना चाहिए.
4. Parents, teachers और सभी बड़ों की हमें हमेशा respect करनी चाहिए.
5. जरूरत पड़ने पर हमें हमेशा दूसरों की help जरूर करनी चाहिए.
6. हमें हार से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उससे lesson लेकर आगे की तैयारी करनी चाहिए.
7. अच्छे काम करने चाहिए, इसका हमेशा अच्छा रिजल्ट मिलता है. जो अपनी duties निभाते हैं, भगवान श्री कृष्ण हमेशा उनके साथ होते हैं.😊💝🤝
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Parenting of 10 years child, life
बच्चे अपनी गलतियां छिपाते क्यों हैं? 💝
कभी ऐसा हुआ है आपके साथ कि जो बात आपको बच्चे से पता चलनी चाहिए थी, वो आपको उसके teacher से पता चली हो. खासतौर से उसकी गलतियों के बारे में. अगर हां, तो यह समझ लीजिए कि अभी आपके और बच्चे के बीच gap है.🙂
और यह gap कैसे fill होगा, जब वह आपसे हर कुछ share करे. Parenting में अगर सबसे important कुछ है तो वह है sharing. यह होगा कैसे? सिर्फ दो चीजें आपको ensure करनी है-😊
1. Trust and safety: उसे आप पर इतना trust होना चाहिए कि वह आपके साथ कुछ भी share करने में safe feel करे. वह इस बात को लेकर sure रहे कि वह अपनी गलतियां आपको बताएगा तो उसे डांट या मार नहीं पड़ने वाली. जब वह इतना sure होगा तो वो बिना डरे आपसे हर बात share भी करेगा.🤗
2. Comfortable feel कराएं: देखिए, ऐसा नहीं होगा कि बच्चा कोई बात बताना चाहे तो वह सीधे आकर आपको बता देगा. उसे sharing के लिए comfort चाहिए. आपको उसे ऐसा माहौल देना होगा, ताकि वह बिना filter के अपनी बातें share कर सके. इसका सबसे आसान
बस इतना आसान है बच्चे की जिद को handle करना💝
पिछले दिनों मैं अपनी एक relative के घर गई थी. उनकी 4 साल की बेटी, कभी chocolate को लेकर जिद कर रही थी तो कभी cold drink को लेकर. हर बार मां उसे समझाती, वह नहीं समझती तो उसे डांटती, इस पर वो बच्ची और ज्यादा जिद करने लगी.🙂
Actually होता क्या है न कि जब बच्चे का brain highly emotional state में होता है, तो इस state में brain, logical response receive करने के लिए तैयार नहीं होता. इसलिए मेरी relative जितनी बार logical होने की कोशिश कर रही थी, बच्चे के behaviour से खुद trigger हो जा रही थी और उन्हें गुस्सा आ जा रहा था.🤔
फिर मैंने उन्हें बताया कि जब बच्चा जिद करे तो उसे डांटो नहीं. उसे अपनी गोद में उठाओ, गले लगाओ और शांत करने की कोशिश करो. और तब तक सीने से लगाकर regulate करने की कोशिश करो, जब तक वह शांत न हो जाए. अगली बार उसने वैसा ही किया. इस बार क्या हुआ कि बच्ची जिद भूल कर चुपचाप मां की गोद से उतर कर बाकी बच्चों के साथ खेलने लगी.😊
अब समझिए कि
10 साल तक बच्चों में ये 5 चीजें जरूर develop कर लें 💝
अक्सर 12-16 साल तक के कुछ बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता, गलत दोस्तों के साथ रहना उन्हें पसंद आता है, ज्यादातर समय mobile पर spend करते हैं और parents को rudely जवाब देते हैं. आपको लगता है कि यह बदलाव अचानक से हुआ है, लेकिन actually इसका बेस तो पहले से ही बना हुआ था. Actually 10 साल तक हम बच्चे के behaviour को लेकर उतने alert नहीं रहते, हमें लगता है कि जब जरूरत होगी तो बदल देंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं, इसलिए 10 साल तक बच्चों में ये 5 चीजें जरूर develop कर लें.🤝👍
1. पढ़ाई का fixed routine: जैसे अगर यह decide किया है कि दोपहर में 3 से 4 उसे homework करना है और शाम 6.30 से 8.30 तक पढ़ना है, तो इसे strictly follow कराएं.💜
2. सही दोस्तों का साथः इस age में बच्चों के जो दोस्त बन जाएंगे, वही आगे continue रहेंगे, इसलिए सही दोस्त चुनने में उनकी help करें.💟
3. Fixed screen time: उसे हर दिन एक घंटे का fixed screen time दें और यह ensure करें कि वह सिर्फ उसी समय mobile देखे. वह क्या
Repost for reminder 💝
दिन के य़े 9 minutes बच्चों को सबसे ज्यादा influence करते हैं
Research कहता है कि दिन के 9 minutes ऐसे होते हैं, जो बच्चों पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं. 😇
Effective neuroscience के फादर कहे जाने वाले Dr.Panksepp के अनुसार ये 9 minutes बच्चे और parents के बीच सबसे powerful minutes होते हैं.
पहला 3 minute जब वह सो कर उठते हैं.🫠
पहला 3 minute जब वह स्कूल से घर आते हैं. 🤗
और फाइनली वह पहला 3 minute जो उनके सोने से पहले का होता है. 😌
अगर इन 9 minutes में बच्चे के साथ बिल्कुल प्यार से आप connection establish करने में सफल रहे, तो यह आप दोनों के बीच bonding को काफी strong बना सकता है. 🤗
Actually ये 9 मिनट ऐसे होते हैं, जब उन्हें सबसे ज्यादा आपके प्यार की जरूरत होती है और जब उस समय उन्हें आपका प्यार, आपका hug मिलता है, तो वो आपसे emotionally काफी connect feel करते हैं. इसलिए बच्चों की रूटीन में इन 9 मिनट्स का पूरा ख्याल रखें.
हालांकि इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं कि बस इन्हीं 9 minutes पर आप focus करें और बाकी समय अलग behave करें.
12-16 साल के बच्चे अचानक से मां के लिए इतना rude कैसे हो जाते हैं? 💝
अगर आप भी उस दौर से गुजर रही हैं, जहां आपका बच्चा आपकी बिल्कुल respect 🤔नहीं करता, आपको rudely😟 जवाब देता है, अकेला रहना चाहता है 😔और कभी-कभी यह भी कह देता है कि आपने मेरे लिए किया क्या है🥺? वैसे सवाल तो सही है, क्योंकि उसे वाकई नहीं याद है कि आपने उसके लिए किया क्या है. आपको भी इसलिए ज्यादा दुख होता है, क्योंकि उसे बचपन की वो बात याद नहीं जब उसके बुखार आने पर आप रात भर जागी थीं 🥰, कैसे उसे खरोंच आने पर उसके दर्द को आपने महसूस किया था 🥹. उसे यह भी याद नहीं कि कैसे आपने उसे चलना-बोलना सिखाया था😊.
Actually हुआ क्या कि जब 12 साल आते-आते उसने सोचना और समझना शुरू किया तो उसने तो आपका केवल lecture 🙆और restriction😡 हीं देखा, उसे लगता है कि यही मां का असली रूप है. मां ऐसी ही है. तो सबसे पहले तो आपको उसे बताना होगा, लेकिन ऐसे नहीं कि मैंने तुम्हारे लिए क्य
बिना चिल्लाए, बिना गुस्साए, ऐसे मनवाएं बच्चों को अपनी बात💝
कई बार हम किसी काम में इतना डूब जाते हैं कि हमारा पूरा focus सिर्फ उसी काम पर होता है. In-fact कुछ सोच भी रहे होते हैं तो गहराई से उसमें डूब जाते हैं और फिर जब अचानक कोई आता है और टोकता है तो हम चौंक जाते हैं. हमें उस समय गुस्सा भी आता है. लेकिन हमारे mind का pre frontal cortex develop हो चुका होता है, इसलिए हम अपने response को manage कर लेते हैं.
इसी तरह जब बच्चे किसी काम में busy रहते हैं, जैसे खेलना, mobile देखना या दोस्तों से बातें करना. तो यह एक प्रकार का flow state है. उनका conscious mind उस specific task पर focus कर रहा होता है. और फिर जब अचानक से आप उनका ध्यान तोड़ने की कोशिश करती हैं तो उनका stress response trigger हो जाता है और वो गुस्सा या irritate हो जाते हैं और अक्सर rudely जवाब देते हैं, क्योंकि उन्हें अपना ध्यान suddenly बदलना पड़ता है, जिसके लिए उनका mind तैयार नहीं होता, क्योंकि उनका mind का एक part pre frontal cortex बड़ों की
अगर बच्चा अचानक पढ़ाई से दूर जा रहा है तो 4-7-8 formula use करें 💝
अगर आपका बच्चा अचानक पढ़ाई से दूर जाने लगा हो तो हो सकता है कि वह पढ़ाई को लेकर stress या anxiety feel कर रहा हो. तो इसका छोटा-सा formula है 4-7-8 का, जिसे आप बच्चे से करवा सकती हैं.😇
4 seconds आपको अपनी सांसों को inhale करना है
फिर 7 seconds इसे hold किए रहना है
फिर 8 seconds इसे धीरे-धीरे मुंह से exhale करना है. 💝
इसे आप दिन में 2-3 बार करवा सकती हैं, यह काफी helpful रहेगा.
Note: अगर बच्चे को heart या सांसों से जुड़ी कोई परेशानी हो तो इस exercise को doctors की सलाह के बाद ही करें.💝🤝😊
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आपके चिल्लाने-मारने से बच्चा यह 3 चीजें learn कर रहा होता है
ज्यादातर parents को लगता है कि बच्चे पर चिल्लाने या उसे मारने से बच्चा discipline सिखेगा, एक हीं बार में आपकी बात मान लेगा, सही से behave करना सिखेगा. अब समझिए असल में बच्चा सीख क्या रहा है.💝
1. वह discipline नहीं सिखता, वह यह सीखता है कि चिल्लाते कैसे हैं? क्योंकि उसका ध्यान आपकी बातों पर नहीं, आपके चिल्लाने पर होता है.😊
2. आपको लगता है कि चिल्लाने से वह एक हीं बार में आपकी बात सुनना शुरू कर देगा, लेकिन वह बात सुनना नहीं, आपसे डरना शुरू कर देता है और जब बच्चा आपसे डरना शुरू कर देगा न, तो आप उसे डर के अलावा कुछ सिखा नहीं सकतीं, क्यों, क्योंकि उसके लिए priority यह हो जाती है कि इस डर से खुद को बचाया कैसे जाए.🥹
3. आपको लगता है कि चिल्लाने से वह सही से behave करना शुरू कर देगा, लेकिन उसे घर पर हीं safe feel नहीं होता और उसमें rudely बात करने, झूठ बोलने और दूसरों को blame करने क
बच्चे पर गुस्सा आता है तो इन 3 steps को तुरंत follow करें 💝
1. सबसे पहले जैसे ही आपको गुस्सा आए खुद को react करने से सिर्फ 4 second के लिए रोक लें. कुछ न बोलें.🫡
2. इसके बाद धीरे-धीरे तीन बार नाक से गहरी सांस लें और उसे मुंह से उसे बाहर निकालें.🙇
3. थोड़ी देर के लिए भूल जाएं कि आज आपके साथ क्या-क्या हुआ, सिर्फ बच्चे पर focus करें और सोचें कि उसने ऐसा क्यों किया होगा? अगर आप उसकी जगह होते तो क्या करते? 😊
हर बार गुस्सा आने पर यही follow करें. यह pattern break technique है, जो आपको anger state से बाहर लाती है. 90 प्रतिशत situation में इससे आपका गुस्सा control हो जाएगा.😇
यह खुद को calm रखने का instant तरीका है, लेकिन अगर calm रहना अपनी आदत में शामिल करना है, तो आपको अपना trigger point समझना होगा. क्या है आपका trigger point और कैसे आप खुद को आसानी से calm रख सकती हैं, जानने के लिए comment करें free e-book.💝🤝🙋
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बच्चे को इतना भी comfort😎 न दें कि वो कमजोर हो जाएं 💝
आज कल के parents over protective हो गए हैं. देखिए Protective होना गलत नहीं है, लेकिन over protectiveness parents 🤷को बहुत insecure बना रहा है, इसी वजह से parents अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा comfort😎 देने की कोशिश कर रहे हैं, जो उन्हें physically और emotionally कमजोर बना रहा है. पता है हमारी problem🤔 क्या है? हम सोचते हैं कि अगर पैसा रहेगा तो कोई problem नहीं होगी, चाहे बच्चा समझदार हो या न हो, confident हो या न हो. 😐
कुछ parents तो ये भी कहते हैं कि हम अपने बच्चों के लिए इतना जोड़ रहे हैं कि कल को हमारा बच्चा कुछ भी नहीं करेगा, तो भी बैठ के खा सकता है और यही हमारी सबसे बड़ी भूल है. अगर हम अपने बच्चों को emotionally strong😇 नहीं बना रहे हैं, Decision लेने का confidence नहीं दे रहे हैं, उन्हें life की adversity handle करना नहीं सिखा रहे हैं, तो हम उन्हें कमजोर बना रहे हैं. 🙂
हमारी priority यह होनी चाहिए कि हम उन्हें इतना strong बनाएं कि वो अपने दम पर अपनी life को बेहतर ब
13-16 साल के बच्चे की parenting में यह एक चीज है सबसे important 💝
13-16 साल के बच्चे की life में share करने के लिए बहुत कुछ होता है उनकी life में उन्हें हर दिन एक नया experience होता है, जो वो बताना चाहते हैं. लेकिन कई बार उन्हें इस बात का डर रहता है कि parents कहीं उन्हें judge न करने लगे. कहीं डांट न पड़ जाए, यह डर उन्हें अपनी बात share करने से रोकता है. अगर वो share नहीं करेंगे तो दो चीजें होंगी.😊
1. वह बातें उनके मन में रह जाएंगी और वो उसे अपने तरीके से interpret करेंगे, कई बार उनका action उसी interpretation के base पर होगा, जो गलत हो सकता है. 🙂
2. वो अपने दोस्तों के साथ share करेंगे. लेकिन दोस्त भी तो उनके हम उम्र हीं हैं, वो भी उसी तरह सोचेंगे, जैसा कि आपके बच्चे सोच रहे होंगे.🙋
तो आप parenting में कुछ करें न करें, बच्चे को ऐसा माहौल जरूर दें कि बच्चा बिना डरे आपसे अपनी हर बात share कर सके. Sharing सबसे जरूरी है, ताकि आप यह समझ सकें कि उसकी life में क्या चल रहा है और कहां और कब
9-10 साल का बच्चा अगर अचानक बदला-सा दिखने लगे 🙇😇
9 से 10 साल का बच्चों के behaviour में आपको अचानक से बदलाव देखने को मिलेगा. Actually यह समय बच्चों में hormonal changes की शुरुआत का है. कभी वो आपसे rudely बात करेंगे, तो कभी जिद लेकर बैठ जाएंगे. पढ़ाई में interest भी कम लेने लगेंगे, घर से ज्यादा दोस्तों के बीच time spend करना उन्हें अच्छा लगने लगेगा. आपकी बात नहीं सुनेंगे.🤔🥰
इस समय बच्चा जैसा behave करे, आपको उसका उल्टा behave करना है. जैसे बच्चा अगर गुस्सा करे तो आपको calm रहना है, बच्चा अगर rudely बात करे तो आपको उससे प्यार से बात करना है. कोशिश यही करनी है कि आपके behaviour से बच्चा आपसे भागने की कोशिश न करे. Gap create नहीं होना चाहिए.🫠
दूसरी बात, इस समय आपको बच्चे की हर activity पर नजर रखनी है, लेकिन हर बात पर टोकना नहीं है. जहां जरूरी लगे, वहां टोकें, समझाएं. कई बार आपको strict भी होना पड़ेगा, लेकिन strict होने के तुरंत बाद उसे प्यार करें और समझाएं कि ऐसा कर
क्या ये 8 चीजें आपके बच्चे की routine में शामिल हैं?💝
1. कम से कम 60 minutes का outdoor play. यह उनके physical development के लिए बेहद जरूरी है.🙇
2. Parents के साथ कम से कम 15 minutes खेलने का समय. बच्चों के लिए यह समय best होता है. 😊
3. School की books के अलावा कम से कम एक book 20 minutes. इससे उनकी vocabulary strong होगी.🤗
4. Family के साथ कम से कम एक समय खाना. इस दौरान mobile सामने न हो. इससे family के साथ बच्चे की bonding strong होती है. 💝
5. सोने से पहले उसे एक कहानी जरूर सुनाएं या अपने बचपन की बातें शेयर करें. हर कहानी से बच्चा learn करता है.🫠
6. हर दिन उसे घर के छोटे-छोटे कामों में involve करें. उसकी capabilities के according उसे task दें. ऐसा task जिसमें उनका 20 minutes से ज्यादा समय न जाए. 😎
7. बच्चे के लिए social learning बेहद जरूरी है. इसके लिए हर दिन घर के बाहरी किसी एक व्यक्ति से 5 मिनट उसकी बात जरूर कराएं. इससे बच्चा काफी कुछ observe करता है और learn करता है.😊
8. हर दिन उसके पास 20-25 मिनट का फ्री टाइम होना चाहिए, जब वो अपनी पसंद का कोई भी का
क्या आपका बच्चा भी बिना चिल्लाए कोई बात नहीं सुनता 💝
कई parents की शिकायत होती है कि बच्चे पर जब तक चिलालओ नहीं, वो सुनता ही नहीं. प्यार से बोलूं तो उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता.😐
तो क्या बच्चे ही ऐसे हैं, जो बिना चिल्लाए सुन नहीं सकते? 🙂
नहीं, ऐसा नहीं है. अब समझिए ऐसा क्यों है? Actually जब चिल्लाना हमारा default mode😇 बन जाता है न, तो बच्चे तब तक हमारी बात नहीं सुनते, जब तक हम चिल्लाएं नहीं. क्योंकि हमारी आदत हो जाती है चिल्लाने की, तो बच्चे को भी कोई भी बात सुनना तब तक जरूरी नहीं लगता जब तक कि आप एक certain tone या volume में कोई बात नहीं कहतीं. 😊
उसे लगता है कि मम्मा अगर इस tone में बोल रही है तो इसका मतलब है कि सुनना जरूरी है. यह tone ही उन्हें sense of urgency का एहसास कराती है और वह कोई भी बात सुनने के लिए इंतजार करता है कि मम्मा चिल्लाए तो सुनें. इसके बाद होता क्या है कि यह एक cycle बन जाता है और हमारे चिल्लाने की frequency बढ़ती ज