07/08/2022
आरंभ और अंत
जिसका आरंभ हुआ था , उसका अंत भी अवश्यक है।।
परिणाम चाहिए, अन्यथा मौत को सीधी दस्तक है।।
जंग तूने ही छेड़ी थी, तो दूसरे का क्या कसूर है । ।।।
तो उठा अपने सोए जमीर को ,, खुद को देख और समझ
क्योंकि किसी अन्य को दोषी ठहराना ,इस जहां को नामंजूर है।।
जिसका आरंभ हुआ था , उसका अंत भी अवश्यक है।।
परिणाम चाहिए, अन्यथा मौत को सीधी दस्तक है।।
एक समय आएगा जब तेरा दिल भी घबराएगा,,, हौंसला तेरा सारा बिखर जायेगा , फिर अनुभव तुझे यह बतलाएगा कि इस मुश्किल को कैसे हटाना है । सागर में छिपे मोती को कैसे पाना है।
जिसका आरंभ हुआ था , उसका अंत भी अवश्यक है।।
परिणाम चाहिए, अन्यथा मौत को को सीधी दस्तक है।।
बीच समंदर खड़ा हैं तू,। बच पाना भी मुश्किल है,,
जहा एक और लहरे हैं, तो दुसरी तरफ गहराई है।
मत देख ,समझ, सोच इस मंजर को।।
गहराई को और गहरा कर दे और चीर दे इन लहरों को ।।
बता दे ज़माने को समंदर की जो गहराई है ।
इससे कही ज्यादा गहरी महफिल तेरी वक्त ने सजाई है।।
जिसका आरंभ हुआ था , उसका अंत भी अवश्यक है।।
परिणाम चाहिए, अन्यथा मौत को सीधी दस्तक है
परिवर्तन होगा परिस्थिति भी बदलेगी ,अगर तू न घबराया फिर पराशर ने दिल को धीरे से है समझाया कि,,
सृष्टि का यही उसूल है चिंता करना फिजूल है ।।
जिसका आरंभ हुआ था , उसका अंत भी अवश्यक है।।
परिणाम चाहिए, अन्यथा मौत को को सीधी दस्तक है!
(अमित पराशर)