10/11/2023
. एंटिक पीस था, भाव मिल गये। डॉलर की तो पूरे वर्ल्ड में फिक्स रेट है। वैसे भी दीपावली का सीजन है, घर की सफाई में कई कबाड़ निकलता है बस इस बार कबाड़ी को एंटिक मिल गया? भाव दे दिये, मगर इतने भी नहीं कि हैंडीक्राफ्ट आइटम एक्सपोर्ट होने लायक हो?
जोधपुर में सियासत गरमायी हुई है। शहर को चुनाव का रंग चढ़ा है, 9 नवम्बर को नाम वापसी का दिन था। मैदान में उतरे कई सूरमा ढेर हो गये। सबसे ज्यादा कचर-पचर सयाने और वयोवृद्ध नेता रामेश्वर दाधीच के सूरसागर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान छोड़ने पर हुई। वे अगर चुनाव लड़ जाते तो सारा मुलम्मा उतर जाता? शायद हजार पन्द्रह सौ में सिमट जाते?
सूरसागर में पहले से भाजपा का फ्रेश प्रत्याशी देवेंद्र जोशी भी चट्टान सा खड़े हैं। कहा गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जोशी ब्राह्मण के सामने दाधीच ब्राह्मण उतारना एक चाल है ताकि कांग्रेस का मुस्लिम प्रत्याशी पहली बार जिताया जा सके। सारे विश्लेषक, घर-घर राजनीति की प्याऊ खोल बैठे और चुनावी कुंए से बाहर आये मेंढकों के तीन दिन की इस टर-टर और फैंका-फैंकी के बाद सब 'सुट' हो गये। कोई जवाब नहीं बन रहा था इनसे?
कट्टर कांग्रेसी, वरिष्ठ कांग्रेसी, अशोक गहलोत के बहुत करीबी कहे जाने वाले, कमोबेश सीरत (कृतित्व) में तो नहीं अलबत्ता अशोक गहलोत की शक्ल से मेल खाते रामेश्वर दाधीच और अशोक गहलोत की मेहर से जोधपुर में पहली बार जितवाये गये मेयर रामेश्वर दाधीच ने जरा से लालच में वर्षों की सब यारी दोस्ती, रिश्ते-नाते; यहां तक की गहलोत के अटूट भरोसे का खून कर उन्हें और उनकी पार्टी को हारने के लिये भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन कर ली।
शायद ये वक़्त नहीं था, गहलोत के साथ धोखा करने का? ये साथ छोड़ने की वजह भी बड़ी तुच्छ थी उन्हें विधायक बनने की लार टपकी जा रही थी। तो अब कौन सी रामेश्वर दाधीच को बीजेपी ने बड़ी इज्जत दे दी है? पहले ही पायदान पर उन्हें उनकी औकात दिखाते हुये साफ मैसेज दे दिया कि - जनाब, बस यहीं तक! "कभी ब्राह्मण सीट हुई, तो तुम्हें लोकसभा का टिकट देंगे।" इस लॉलीपोप के साथ रामेश्वर दाधीच को प्रदेश भाजपा में उपाध्यक्ष का पद दिया। अब इन्हें कौन समझाये कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी. पी. जोशी की 29 की कार्यकारिणी में पहले से 11 उपाध्यक्ष हैं, आप 12वें सही?
इस पूरे एपिसोड में राजनीति के मंझे मंझाये क्षत्रप रामेश्वर दाधीच को तो हाई क्वॉलिटी वाली बेइज्जती की हाईट का भी अंदाजा नहीं लगा? पहले ही दिन सारा खेल जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत ने ' 'फ्रंटफुट' पर खेला।
रामेश्वर दाधीच ने सूरसागर क्षेत्र से सुबह पर्चा वापस लिया दोपहर बाद ही उन्हें चार्टड प्लेन में जयपुर ले जाया गया। वहां प्रेस कांफ्रेस हुई। कोयला व इस्पात मंत्री प्रहलाद जोशी व गजेंद्रसिंह शेखावत ने भगवा पटका दाधीच के गले में डाल उन्हें बीजेपी में लिया जबकि ठीक उसी वक़्त राजस्थान के ही उदयपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ी पब्लिक मीटिंग कर रहे थे। जोधपुर से ये चार्टर प्लेन उदयपुर भी जा सकता था मगर नहीं ले जाया गया।
गज्जू बन्ना और प्रहलाद जोशी की बजाय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी अशोक गहलोत की सी शक्ल लेकर आये कांग्रेस के इस एंटिक पीस के गले में केसरिया पटका डाल मान सम्मान से भाजपा ज्वाइन करवा सकते थे। मुश्किल से एक से डेढ़ मिनट ही लगता मगर पहले ही दिन कांग्रेस के साथ-साथ अपनी जवानी से बुढ़ापे तक अशोक गहलोत के साथ को स्वार्थ के लिये छोड़ आये, जो उनका सगा नहीं हुआ, बीजेपी का कब होगा? इस शक-सूबे में दाधीच को भाजपाइयों ने उनको उनकी जगह बता दी। आला दर्जे की बेइज्जती करवा रात को उसी प्लेन से लौट के बुद्दु घर को आये वाला किस्सा हुआ।
जयपुर की प्रेस कांफ्रेस में अपने गले में पहली बार भगवा डाले रामेश्वर दाधीच ने नरेन्द्र मोदी की तारीफों की हदें पार कर दी। जमकर कसीदे पढ़े। खुद को कट्टर हिंदूवादी साबित करते हुये पेंटकट पायजामे की मोरी उलट कर दिखा दिया कि उनके पेंटकट पायजामे के नीचे आर.एस.एस. वाला खाकी निक्कर तो वर्षों से पहना हुआ है - देख लो!
...तो रामेश्वर दाधीच कांग्रेसी से भाजपाई हो गये। कांग्रेस के इस 'टफ टाइम' में साथ छोड़ दिया और अब रट्टा लगा रहे हैं - जय जय सियाराम! इन्हें पहला टारगेट दिया है - कांग्रेस से तोड़कर और ब्राह्मण लाओ। 23 नवम्बर को जोधपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब रोड-शो करने आयें तब तक नामचीन 5 ब्राह्मण कांग्रेसी नेता व ललित सहित दो ढाई सौ और भी भाजपा में मिलाओ। बस इसी जोड़-तोड़ की राजनीति का बाजार गरमा-गर्म है! ये है सियासी काची मौत। बारियौ चालिसवो भेलौ, पैरावणी ओढ़ावणी नीं लावणी।