1. विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय के लावारिस पीड़ाग्रस्त गोवंश को लाने हेतु 18 पशु एम्बुलेन्स की व्यवस्था की गई है। 2.जिस स्थान से दुर्घटनाग्रस्त गोवंश लाये जाते हैं स्वस्थ होने के पश्चात् गोवंश को पुनः उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है। 3.मालिक अपने घरेलु बीमार गोवंश लेकर आता है तो उनको एक बीमार गोवंश के बदले में एक स्वस्थ गोवंश दिया जाता है। 4. गौशालाओं से एक बीमार गोवंश लेकर आते है तो उनको भी एक बीमा
र के बदले में एक स्वस्थ गोवंश दिया जाता है। 5. निजी वाहन, वन विभाग एवं पुलिस प्रशासन के वाहन द्वारा आते हैं, ऐसे वन्य जीवों को लिया जाता है। 6.वन्य जीवों को स्वस्थ होने पर गो चिकित्सालय वन विभाग को सुपुर्द कर देता है। 7.गो चिकित्सालय में स्वस्थ गोवंश एवं दूध देने वाली गायों को नहीं रखा जाता और ना ही लिया जाता है। 8. जो स्थान एम्बुलेंस क्षैत्र की परिधि से बाहर है, ऐसे स्थान पर लावारिस गोवंश दुर्घटनाग्रस्त हो गया हो, तो वहां के संस्था से जुड़े दानपात्र सदस्य किराये का वाहन कर घायल गोवंश को गो चिकित्सालय में भिजवा दें, वाहन किराया में कुछ राशि कम रहती है उस राशि का भुगतान गो चिकित्सालय द्वारा कर दिया जायेगा। 9. रात्रि में कोई लावारिस गोवंश दुर्घटनाग्रस्त हो गया है,जो संस्था से जुड़े हुए है वह किराये का वाहन कर दुर्घटनाग्रस्त गोवंश को गो चिकित्साल में भिजवा दें, किराये में कुछ राशि कम रहती है, तो उस राशि का भुगतान कर दिया जायेगा।