Hamara gav Hamara Desh

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 #शुभ  #रात्रि
23/05/2024

#शुभ #रात्रि

 #शुभ  #संध्या अपने जीवन में रोग व दोष से परे स्वयं के मूल्यों को स्थापित करना ईश्वर कहलाता है। जितना बड़ा मूल्य होगा उत...
23/05/2024

#शुभ #संध्या
अपने जीवन में रोग व दोष से परे स्वयं के मूल्यों को स्थापित करना ईश्वर कहलाता है। जितना बड़ा मूल्य होगा उतना बड़ा ही ईश्वर होगा।

 #बाज़ार ख़ड़े हैं खरीदार राहों में हमें देखने के लिए।हम रोज़ निकलते हैं बाज़ार देखने के लिए।।🔥रुख़सत🔥
23/05/2024

#बाज़ार
ख़ड़े हैं खरीदार राहों में हमें देखने के लिए।
हम रोज़ निकलते हैं बाज़ार देखने के लिए।।
🔥रुख़सत🔥

🔥अफ़सोस🔥हम तुझ से किस हवस की फ़लक ज़ुस्तज़ु करें।दिल ही नहीं रहा है कि अब कुछ आरज़ू करें।।✨दर्द✨
23/05/2024

🔥अफ़सोस🔥
हम तुझ से किस हवस की फ़लक ज़ुस्तज़ु करें।
दिल ही नहीं रहा है कि अब कुछ आरज़ू करें।।
✨दर्द✨

🌞 शुभ प्रभात न हारा है इश्क़ 💞और न दुनिया थकी है,दिया ✨जल रहा है, हवा चल रही है। 🌹🌹
22/05/2024

🌞 शुभ प्रभात
न हारा है इश्क़ 💞और न दुनिया थकी है,
दिया ✨जल रहा है, हवा चल रही है।
🌹🌹

 #तमाशा और  #क़रतब में बस जरा सा ही फ़र्क होता है साहेब।अगर जिंदगी आपके साथ खेलें तो  #तमाशा और अगर आप जिंदगी के साथ खेल...
22/05/2024

#तमाशा और #क़रतब में बस जरा सा ही फ़र्क होता है साहेब।
अगर जिंदगी आपके साथ खेलें तो #तमाशा और अगर आप जिंदगी के साथ खेल पाए तो #क़रतब।

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╰ 🌼 #खेल 🌼
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।। ओम् ।।                           🍁🍁🍁🍁                            स्वस्तिवाचन :---मंत्र                        🍁🍁🍁🍁🍁  ...
22/05/2024

।। ओम् ।।
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स्वस्तिवाचन :---मंत्र
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स्वस्तिवाचन (स्वस्तयन) मन्त्र और अर्थ--
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हमारे देश की यह प्राचीन परंपरा रही है कि जब कभी भी हम कोई कार्य प्रारंभ करते है, तो उस समय मंगल की कामना करते है और सबसे पहले मंगल मूर्ति गणेश की प्रार्थना करते है। इसके लिए दो नाम हमारे सामने आते हैं... पहला श्रीगणेश और दूसरा जय गणेश।

श्रीगणेश का अर्थ होता है कि जब हम किसी कार्य को आरंभ करते है तो इसी नाम के साथ उस कार्य की शुरुआत करते है। जय गणेश का अर्थ होता है कि अब यह कार्य यहां समाप्त हो रहा है। प्राचीनकाल से ही वैदिक मंत्रों में जितनी ऋचाएं आई है,उनके चिन्तन, वाचन से अलौकिक दिव्य शक्ति की प्राप्ति होती है, मन शान्त होता है। किसी भी शुभ कार्य के प्रारम्भ में, विवाह मण्डप पर , शगुन और तिलक में भी इसकी प्रथा है, या फिर जब कभी भी हम कोई मांगलिक कार्य करते है तो स्वस्तिवाचन की परंपरा रही है। यह एक गहरा विज्ञान है, जिसे समझने की आवश्यकता है।

यदि हम केवल मंगल वचन का प्रयोग करे और मांगलिक शब्दों का प्रयोग उसके अर्थ को बगैर जाने हुए करे तो निश्चय ही यह हमारा अंधविश्वास माना जाएगा। मेरा मानना है कि जब तक धर्म को तथा उसके विज्ञान को हम समझ न लें, तब तक केवल अंधविश्वासी होकर उसकी सभी बातों को मानने का कोई औचित्य नहीं है। हमारा धर्म, हमारी संस्कृति,वैदिक ऋचाएं, वैदिक मंत्र, पुराण उपनिषद आदि इन सभी ग्रन्थों के पीछे एक बहुत बड़ा विज्ञान है। हमारे ऋषियों ने जिन वैदिक ऋचाओं और पुराणों की कल्पना की, उपनिषदों के बारे में सोचा था फिर मांगलिक कार्यो के लिए जैसी व्यवस्था की, वह हमारे विज्ञान से किसी भी तरह से अलग नहीं है। उनके द्वारा सोची और की जाने वाली हर एक पहल हमेशा से ही विज्ञान के साथ रही है ।।

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मन्त्र-१ :-------
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आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे॥

अर्थ - हमारे पास चारों ओर से ऐंसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों। प्रगति को न रोकने वाले और सदैव रक्षा में तत्पर देवता प्रतिदिन हमारी वृद्धि के लिए तत्पर रहें।

मन्त्र-२ :--------
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देवानां भद्रा सुमतिर्ऋजूयतां देवानां रातिरभि नो नि वर्तताम्। देवानां सख्यमुप सेदिमा वयं देवा न आयुः प्र तिरन्तु जीवसे ॥

अर्थ - यजमान की इच्छा रखनेवाले देवताओं की कल्याणकारिणी श्रेष्ठ बुद्धि सदा हमारे सम्मुख रहे, देवताओं का दान हमें प्राप्त हो, हम देवताओं की मित्रता प्राप्त करें, देवता हमारी आयु को जीने के निमित्त बढ़ायें।

मन्त्र-३:-----
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तान् पूर्वयानिविदाहूमहे वयंभगं मित्रमदितिं दक्षमस्रिधम्।अर्यमणंवरुणंसोममश्विना सरस्वती नः सुभगा मयस्करत्।।

अर्थ - हम वेदरुप सनातन वाणी के द्वारा अच्युतरुप भग, मित्र, अदिति, प्रजापति, अर्यमण, वरुण, चन्द्रमा और अश्विनीकुमारों का आवाहन करते हैं। ऐश्वर्यमयी सरस्वती महावाणी हमें सब प्रकार का सुख प्रदान करें।

मन्त्र-४:-------
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तन्नो वातो मयोभु वातु भेषजं तन्माता पृथिवी तत् पिता द्यौः। तद् ग्रावाणः सोमसुतो मयोभुवस्तदश्विना शृणुतं धिष्ण्या युवम् ॥

अर्थ - वायुदेवता हमें सुखकारी औषधियाँ प्राप्त करायें। माता पृथ्वी और पिता स्वर्ग भी हमें सुखकारी औषधियाँ प्रदान करें। सोम का अभिषव करने वाले सुखदाता ग्रावा उस औषधरुप अदृष्ट को प्रकट करें। हे अश्विनी-कुमारो! आप दोनों सबके आधार हैं, हमारी प्रार्थना सुनिये।

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मन्त्र-५ :-----
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तमीशानं जगतस्तस्थुषस्पतिं धियंजिन्वमवसे हूमहे वयम्। पूषा नो यथा वेदसामसद् वृधे रक्षिता पायुरदब्धः स्वस्तये॥

अर्थ - हम स्थावर-जंगम के स्वामी, बुद्धि को सन्तोष देनेवाले रुद्रदेवता का रक्षा के निमित्त आवाहन करते हैं। वैदिक ज्ञान एवं धन की रक्षा करने वाले, पुत्र आदि के पालक, अविनाशी पुष्टि-कर्ता देवता हमारी वृद्धि और कल्याण के निमित्त हों।

मन्त्र-६:------
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स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥

अर्थ - महती कीर्ति वाले ऐश्वर्यशाली इन्द्र हमारा कल्याण करें, जिसको संसार का विज्ञान और जिसका सब पदार्थों में स्मरण है, सबके पोषणकर्ता वे पूषा (सूर्य) हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें।

मन्त्र-७:---------
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पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभंयावानो विदथेषु जग्मयः।अग्निजिह्वा मनवः सूरचक्षसो विश्वे नो देवा अवसा गमन्निह ॥

अर्थ - चितकबरे वर्ण के घोड़ों वाले, अदिति माता से उत्पन्न, सबका कल्याण करने वाले, यज्ञआलाओं में जाने वाले, अग्निरुपी जिह्वा वाले, सर्वज्ञ, सूर्यरुप नेत्र वाले मरुद्गण और विश्वेदेव देवता हविरुप अन्न को ग्रहण करने के लिये हमारे इस यज्ञ में आयें।

मन्त्र-८:---------
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भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥

अर्थ - हे यजमान के रक्षक देवताओं! हम दृढ अंगों वाले शरीर से पुत्र आदि के साथ मिलकर आपकी स्तुति करते हुए कानों से कल्याण की बातें सुनें, नेत्रों से कल्याणमयी वस्तुओं को देखें, देवताओं की उपासना-योग्य आयु को प्राप्त करें।

मन्त्र-९:---------
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शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्चक्रा जरसं तनूनाम।पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः ॥
अर्थ - हे देवताओं! आप सौ वर्ष की आयु-पर्यन्त हमारे समीप रहें, जिस आयु में हमारे शरीर को जरावस्था प्राप्त हो, जिस आयु में हमारे पुत्र पिता अर्थात् पुत्रवान् बन जाएँ, हमारी उस गमनशील आयु को आपलोग बीच में खण्डित न होने दें।

मन्त्र-१०:-------
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अदितिर्द्यौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः।विश्वेदेवा अदितिः पंचजना अदितिर्जातमदितिर्जनित्वम॥

अर्थ - अखण्डित पराशक्ति स्वर्ग है, वही अन्तरिक्ष-रुप है, वही पराशक्ति माता-पिता और पुत्र भी है। समस्त देवता पराशक्ति के ही स्वरुप हैं, अन्त्यज सहित चारों वर्णों के सभी मनुष्य पराशक्तिमय हैं, जो उत्पन्न हो चुका है और जो उत्पन्न होगा, सब पराशक्ति के ही स्वरुप हैं।

मन्त्र-११:----------
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ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

अर्थ - द्युलोक शान्तिदायक हों, अन्तरिक्ष लोक शान्तिदायक हों, पृथ्वीलोक शान्तिदायक हों। जल, औषधियाँ और वनस्पतियाँ शान्तिदायक हों। सभी देवता, सृष्टि की सभी शक्तियाँ शान्तिदायक हों। ब्रह्म अर्थात महान परमेश्वर हमें शान्ति प्रदान करने वाले हों। उनका दिया हुआ ज्ञान, वेद शान्ति देने वाले हों। सम्पूर्ण चराचर जगत शान्ति पूर्ण हों अर्थात सब जगह शान्ति ही शान्ति हो। ऐसी शान्ति मुझे प्राप्त हो और वह सदा बढ़ती ही रहे। अभिप्राय यह है कि सृष्टि का कण-कण हमें शान्ति प्रदान करने वाला हो। समस्त पर्यावरण ही सुखद व शान्तिप्रद हो।

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जय सीताराम जय जय हनुमान

 #शुभ प्रभात बेहतर  #सम्बंध की मधुरता के लिए बेहतरीन  #संबोधन का होना आवश्यक है।
22/05/2024

#शुभ प्रभात
बेहतर #सम्बंध की मधुरता के लिए बेहतरीन #संबोधन का होना आवश्यक है।

स्त्रीयाँ घर संसार बसाती रहीं हैं।फिर भी अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रही है।┏╮/╱🌺╰ 🌼  #शुभ  #रात्रि 🌼╱/ ╰┛🌺
21/05/2024

स्त्रीयाँ घर संसार बसाती रहीं हैं।
फिर भी अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रही है।

┏╮/╱🌺
╰ 🌼 #शुभ #रात्रि 🌼
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16/04/2024
 #अल्फ़ाज-ए- #ईनायतही होते हैं,इंसानियत का आईना ...  #तस्व़ीर-ए- #शख़्शियतका क्या फ़ायदा...? #उम्र-ए- #ह़ालात के साथ,अक्...
16/02/2024

#अल्फ़ाज-ए- #ईनायत
ही होते हैं,
इंसानियत का आईना ...

#तस्व़ीर-ए- #शख़्शियत
का क्या फ़ायदा...?

#उम्र-ए- #ह़ालात के साथ,
अक्सर बदल जाती है ......
🌹 सिर्फ सचिन 🌹

राजा पोरस (राजा पुरू भी) पोरवा राजवंश के वशंज थे, जिनका साम्राज्य पंजाब में झेलम और चिनाब नदियों तक (ग्रीक में ह्यिदस्प्...
05/02/2024

राजा पोरस (राजा पुरू भी) पोरवा राजवंश के वशंज थे, जिनका साम्राज्य पंजाब में झेलम और चिनाब नदियों तक (ग्रीक में ह्यिदस्प्स और असिस्नस) और उपनिवेश ह्यीपसिस तक फैला हुआ था। इनका क्षेत्र हाइडस्पेश (झेलम) और एसीसेंस (चिनाब) के बीच था जो कि अब पंजाब का क्षेत्र है। पोरस ने हाइडस्पेश की लड़ाई में अलेक्जेंडर ग्रेट के साथ लड़ाई की।

पुरुवंशी महान सम्राट पोरस का साम्राज्य विशालकाय था। महाराजा पोरस सिन्ध-पंजाब सहित एक बहुत बड़े भू-भाग के स्वामी थे। पोरस का साम्राज्य जेहलम (झेलम) और चिनाब नदियों के बीच स्थित था।
पोरस अपनी बहादुरी के लिए विख्यात था। उसने उन सभी के समर्थन से अपने साम्राज्य का निर्माण किया था जिन्होंने खुखरायनों(खोखरों) पर उसके नेतृत्व को स्वीकार कर लिया था।
इतिहासकार मानते हैं‍ कि पुरु को अपनी वीरता और हस्तिसेना पर विश्वास था लेकिन उसने सिकंदर को झेलम नदी पार करने से नहीं रोका और यही उसकी भूल थी।
जब सिकंदर ने आक्रमण किया तो उसका गांधार-तक्षशिला के राजा आम्भी ने स्वागत किया और आम्भी ने सिकंदर की गुप्त रूप से सहायता की। आम्भी राजा पोरस को अपना दुश्मन समझता था।
सिकंदर ने पोरस के पास एक संदेश भिजवाया जिसमें उसने पोरस से सिकंदर के समक्ष समर्पण करने की बात लिखी थी, लेकिन पोरस ने तब सिकंदर की अधीनता स्वीकार नहीं।
भारतीयों के पास विदेशी को मार भगाने की हर नागरिक के हठ, शक्तिशाली गजसेना के अलावा कुछ अनदेखे हथियार भी थे जैसे सातफुटा भाला जिससे एक ही सैनिक कई-कई शत्रु सैनिकों और घोड़े सहित घुड़सवार सैनिकों भी मार गिरा सकता था।
इस युद्ध में पहले दिन ही सिकंदर की सेना को जमकर टक्कर मिली। सिकंदर की सेना के कई वीर सैनिक हताहत हुए। यवनी सरदारों के भयाक्रांत होने के बावजूद सिकंदर अपने हठ पर अड़ा रहा और अपनी विशिष्ट अंगरक्षक एवं अंत: प्रतिरक्षा टुकड़ी को लेकर वो बीच युद्ध क्षेत्र में घुस गया।
कोई भी भारतीय सेनापति हाथियों पर होने के कारण उन तक कोई खतरा नहीं हो सकता था, राजा की तो बात बहुत दूर है। राजा पुरु के भाई अमर ने सिकंदर के घोड़े बुकिफाइलस (संस्कृत-भवकपाली) को अपने भाले से मार डाला और सिकंदर को जमीन पर गिरा दिया। ऐसा यूनानी सेना ने अपने सारे युद्धकाल में कभी होते हुए नहीं देखा था।
सिकंदर जमीन परगिरा तो सामने राजा पुरु तलवार लिए सामने खड़ा था। सिकंदर बस पलभर का मेहमान था कि तभी राजा पुरु ठिठक गया। यह डर नहीं था, शायद यह आर्य राजा का क्षात्र धर्म था, बहरहाल तभी सिकंदर के अंगरक्षक उसे तेजी से वहां से भगा ले गए।

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222162

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