17/06/2024
पढ़िए सेंधा नमक की सच्चाई...
सेंधा नमक के साथ अंग्रेजों ने कैसे किया खिलवाड़?
भारत से कैसे गायब हो गया... आप सोच रहे होंगे कि सेंधा नमक बनता कैसे है? आइए, आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्यतः कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक और दूसरा होता है सेंधा नमक। "रॉक सॉल्ट" के रूप में जाना जाने वाला सेंधा नमक पहले से ही बना हुआ है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक', 'लाहोरी नमक' आदि नामों से जाना जाता है, जिसका मतलब है 'सिंध या सिंधु के इलाके से आया हुआ'। वहाँ नमक के बड़े-बड़े पहाड़ और सुरंगे हैं, जहां से यह नमक आता है। यह मोटे-मोटे टुकड़ों में होता है और आजकल पिसा हुआ भी मिलने लगा है। यह हृदय के लिए उत्तम, पाचन में मददगार, त्रिदोष शमन करने वाला और शीतवीर्य यानी ठंडी तासीर वाला होता है। इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः, आप समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकलें और काला नमक व सेंधा नमक का उपयोग करें, क्योंकि यह प्रकृति का बनाया हुआ है।
1930 से पहले भारत में कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था। विदेशी कंपनियाँ भारत में नमक के व्यापार में आजादी से पहले से उतरी हुई थीं और उनके कहने पर ही भारत की भोली-भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जाने लगा। हुआ यूँ कि जब ग्लोबलाइजेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियाँ जैसे अन्नपूर्णा, कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया, तब यह खेल शुरू हुआ। और खेल क्या था? खेल यह था कि विदेशी कंपनियों को नमक बेचना था और बहुत मोटा लाभ कमाना था। इसलिए पूरे भारत में नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नमक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। यह सेहत के लिए बहुत अच्छा है। ऐसी बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गईं।
जो नमक किसी जमाने में 2-3 रुपये प्रति किलो बिकता था, वह अब 8 रुपये प्रति किलो और आज तो 20 रुपये से भी ज्यादा का हो गया है। दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक को 40 साल पहले बैन कर दिया। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और डेनमार्क में यह नमक नहीं है। डेनमार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्योंकि उनकी सरकार ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक खिलाने से (1940 से 1956 तक) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए और जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया। उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होंने बैन लगाया।
जब हमारे देश में आयोडीन का खेल शुरू हुआ तो हमारे नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता। फिर किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और यह बैन हटाया गया। आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था, सब सेंधा नमक ही खाते थे।
सेंधा नमक के फायदे:
सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और गंभीर बीमारियों पर नियंत्रण रहता है क्योंकि यह अम्लीय नहीं, क्षारीय है। क्षारीय चीज जब अम्ल में मिलती है तो वह न्यूट्रल हो जाती है और रक्त अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं। यह नमक शरीर में पूरी तरह से घुलनशील है। उपवास और व्रत में भी सब सेंधा नमक ही खाते हैं, जो इसकी शुद्धता को दर्शाता है। सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण ही लकवे का अटैक आने का सबसे बड़ा जोखिम होता है। आयुर्वेद के अनुसार सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है और इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है, जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। आयुर्वेदिक औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के नुकसान:
समुद्री नमक अपने आप में खतरनाक है क्योंकि इसमें अतिरिक्त आयोडीन मिलाया जाता है, जो 'इंडस्ट्रियल आयोडीन' होता है। यह मानव द्वारा फैक्टरियों में निर्मित नमक है। समुद्री नमक का उपयोग उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बनता है क्योंकि यह अम्लीय होता है। इस नमक में आयोडीन को बनाए रखने के लिए रसायन मिलाए जाते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक हैं। आयोडीन युक्त नमक से पानी की जरूरत ज्यादा होती है और यह शरीर में घुलता नहीं है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक का सेवन छोड़ें और उसकी जगह सेंधा नमक का उपयोग करें। क्योंकि जैसा कि ऊपर बताया गया है, आयोडीन हर नमक में होता है। सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है, जो प्रकृति का बनाया हुआ है। आयोडीन हमें आलू, अरबी और हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
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