Chandauna

Chandauna Chandauna is situated at the end of the Darbhanga district.It is situated about 4 Km east from Pupri

जनगणना 2011 की जानकारी के अनुसार चंदौना बिहार के दरभंगा जिले के जाले ब्लॉक में स्थित एक बड़ा गाँव है। यह उप-जिला मुख्यालय जले से 7 किमी और जिला मुख्यालय दरभंगा से 38 किमी दूर स्थित है। 2009 के आंकड़ों के अनुसार, सहसपुर चंदौना गाँव की ग्राम पंचायत है।

गाँव का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 182 हेक्टेयर है। चंदौना में कुल 2,827 लोगों की आबादी है। चंदौना गाँव में लगभग 651 घर हैं। दरभंगा चंदौना से निकटतम शहर है जो लगभग 38 किमी दूर है।

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14/09/2024

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Yadav Vikesh, Raj Mitesh, Suman Mukia, Anshu Kumar, Arun Kumar, Raushan Kumar, Mukesh Mahto, Arjunkumar Chaudhary, Ganesh Kumar, Arun Kumar Yadav, Raju Shobha, Santosh Mochi

28/08/2024
22/08/2024
सूना है उसने करोड़ो का महल बना लिया है शहर में मगर बच्चों को आगन दिखाने आज भी गांव लेकर आता है...
22/08/2024

सूना है उसने करोड़ो का महल बना लिया है शहर में मगर बच्चों को आगन दिखाने आज भी गांव लेकर आता है...

20/08/2024

एक आवश्यक सूचना
सहसपुर पंचायत अंतर्गत जितने मौजा जैसे:- सहसपुर, घोघराहा, खैराज , चंदौना और बररी सभी मौजा का सर्वे होना है सर्वे आसानी से सभी को हो जाए इसलिए माननीय मुखिया श्री रामयाद महतो द्वारा आज दिनांक 20/08/2024 दिन मंगलवार के दिन के 01:50 बजे एक विशेष शिविर का आयोजन किया गया है जिसमें सर्वे से जुड़ी विशेष जानकारी एवं सर्वे फॉर्म सर्वेयर द्वारा दिया जाएगा । तमाम मौजे वासियों से अपील है की इस शिविर में निश्चित रूप से भाग ले ताकि सर्वे की जानकारी एवं फॉर्म मिल सके और आपका जमीन का सर्वे आसानी से हो सके।
धन्यवाद
रामयाद महतो
मुखिया
ग्राम पंचायत राज सहसपुर

ऐसा दृश्य देखकर आपको भी गांव की याद आती है?Department of Tourism, Government of Bihar Bihar
14/08/2024

ऐसा दृश्य देखकर आपको भी गांव की याद आती है?

Department of Tourism, Government of Bihar
Bihar

हमारे पुराने जमाने का बिहार आप लोगों को कैसा लग रहा है?
08/08/2024

हमारे पुराने जमाने का बिहार आप लोगों को कैसा लग रहा है?



01/08/2024

जबतक सड़क कच्ची थी लोगों की बातें सच्ची थी, लोगों के बीच अपनापन और प्यार था।

गाँव में दिखती नही तरक्की की निशानी,पर यहाँ की सुबह होती है बड़ी ही सुहानी।
30/07/2024

गाँव में दिखती नही तरक्की की निशानी,
पर यहाँ की सुबह होती है बड़ी ही सुहानी।


जामुन स्वास्थ्य लाभदांत और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में जामुन विशेषतौर पर फायदेमंद होता है.इसके बीज को पीस...
27/07/2024

जामुन स्वास्थ्य लाभ

दांत और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में जामुन विशेषतौर पर फायदेमंद होता है.
इसके बीज को पीस लीजिए. इससे मंजन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं.

कोहरा, कद्दू परिवार का इकलौता ऐसा सब्जी है, जो साल भर में भी खराब नहीं होता है। तोड़े जाने के बाद जहां अन्य सब्जियां ज्य...
23/07/2024

कोहरा, कद्दू परिवार का इकलौता ऐसा सब्जी है, जो साल भर में भी खराब नहीं होता है। तोड़े जाने के बाद जहां अन्य सब्जियां ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकती वहीं कोहरा साल भर से भी ज्यादा समय तक बिना किसी खास इंतजाम के सुरक्षित रहता है। इसके लिए ना फ्रिज की आवश्यकता होती है ना शीत गृह की। मैंगो जूस के नाम पर बाजार में जितने भी ब्रांडेड कंपनियों के जूस आप पी रहे हैं उनमें 50 फ़ीसदी से ज्यादा इसी कोहरे का इस्तेमाल किया जाता है।

बिहार यूपी में इसका इस्तेमाल सुख होता सब्जियों के निर्माण में होता है जिसमें बड़ी अचार जेली कोहरौरी शामिल है। इसके छिलके का इस्तेमाल भी भुजिया बनाने में किया जाता है जबकि इसके बीज के भी कई सारे व्यंजन बनाए जाते हैं। पक जाने के बाद कोहरा का कलर हल्का सुनहरा हो जाता है जो अंदर से लाल होता है कई वर्षों तक रहने के बाद उसके बाहर का आवरण बेहद कठोर हो जाता है फिर उसके अंदर के कच्चे पाठ को निकाल कर इसे बर्तन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है साधु संत सन्यासी पुराने जमाने में कोहरा के बने कमंडल का इस्तेमाल करते थे।

बाजार में मिलने वाली किसी भी सब्जी की अपेक्षा सबसे कम समय में यह तैयार होता है किचन में आप इसे सब्जी दूसरे सब्जियों के सप्लीमेंट और पकौड़े के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं खीर मिठाई के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है। पूरे देश में कोहरे का व्यवसायिक रूप से उत्पादन होता है पर उत्तर भारत में यह सदाबहार सब्जी है इसके पत्ते का साग बनाया जाता है इसके फूलों के पकोड़े तैयार होते हैं। वात रोग से परेशान लोगों को कोहरा नहीं खाने की सलाह चिकित्सकों के द्वारा दी जाती है। धार्मिक कर्म से कोहरे का फल कोई चुरा कर नहीं तोड़ता। बिहार के बाजार में यह खुदरा मूल्य में 40 से 50 रुपए किलो के दर पर सालों भर मिलता है।

Rainy Days🌧️🌂🔥😍
18/07/2024

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आज की युवा पीढ़ी इस तरह की रातों को तरसती होगी, क्योंकि लगभग सभी घरों में कूलर और एसी लग गए हैं।हर शाम छत पर जाकर पानी ड...
17/07/2024

आज की युवा पीढ़ी इस तरह की रातों को तरसती होगी, क्योंकि लगभग सभी घरों में कूलर और एसी लग गए हैं।

हर शाम छत पर जाकर पानी डालकर उसे ठंडा किया जाता था। फिर एक-एक करके तकिया, बिछावन और मच्छरदानी ले जाई जाती थी। जब तक पापा बिछावन लगाते थे, हम जल्दी से खाना खाकर छत पर चढ़ जाते थे और तारों को देखते हुए अपनी बहन के साथ बातें करते थे।

धीरे-धीरे नींद आने लगती थी और रात की ठंडी हवा का आनंद मिलता था। एसी इस हवा के सामने फेल है।

आज फ्लैट और अपार्टमेंट कल्चर वाले बच्चों को यह सब सच नहीं लगेगा।

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05/07/2024

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सहसपुर, जाले, दरभंगा, बिहार, 4 जुलाई, 2024 – ग्राम पंचायत राज सहसपुर के माननीय मुखिया श्री रामयाद महतो (मुखिया, ग्राम पं...
04/07/2024

सहसपुर, जाले, दरभंगा, बिहार, 4 जुलाई, 2024 – ग्राम पंचायत राज सहसपुर के माननीय मुखिया श्री रामयाद महतो (मुखिया, ग्राम पंचायत राज सहसपुर, जाले, दरभंगा, बिहार) ने किसानों, मजदूरों एवं व्यावसायिक भाइयों की जमीन से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। जमीन के दाखिल-खारिज, रसीद, जमाबंदी से आधार कार्ड लिंक, वंशावली एवं जमाबंदी अलग-अलग कराने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है। यह शिविर 10 जुलाई, 2024 को बुधवार के दिन पंचायत भवन के प्रांगण में आयोजित होगा।

एक दिवसीय शिविर का आयोजन की घोषणा : जमीन संबंधित के साथ अन्य समस्याओं का होगा समाधान

पढ़िए सेंधा नमक की सच्चाई...सेंधा नमक के साथ अंग्रेजों ने कैसे किया खिलवाड़?भारत से कैसे गायब हो गया... आप सोच रहे होंगे...
17/06/2024

पढ़िए सेंधा नमक की सच्चाई...

सेंधा नमक के साथ अंग्रेजों ने कैसे किया खिलवाड़?
भारत से कैसे गायब हो गया... आप सोच रहे होंगे कि सेंधा नमक बनता कैसे है? आइए, आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्यतः कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक और दूसरा होता है सेंधा नमक। "रॉक सॉल्ट" के रूप में जाना जाने वाला सेंधा नमक पहले से ही बना हुआ है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक', 'लाहोरी नमक' आदि नामों से जाना जाता है, जिसका मतलब है 'सिंध या सिंधु के इलाके से आया हुआ'। वहाँ नमक के बड़े-बड़े पहाड़ और सुरंगे हैं, जहां से यह नमक आता है। यह मोटे-मोटे टुकड़ों में होता है और आजकल पिसा हुआ भी मिलने लगा है। यह हृदय के लिए उत्तम, पाचन में मददगार, त्रिदोष शमन करने वाला और शीतवीर्य यानी ठंडी तासीर वाला होता है। इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः, आप समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकलें और काला नमक व सेंधा नमक का उपयोग करें, क्योंकि यह प्रकृति का बनाया हुआ है।

1930 से पहले भारत में कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था। विदेशी कंपनियाँ भारत में नमक के व्यापार में आजादी से पहले से उतरी हुई थीं और उनके कहने पर ही भारत की भोली-भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जाने लगा। हुआ यूँ कि जब ग्लोबलाइजेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियाँ जैसे अन्नपूर्णा, कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया, तब यह खेल शुरू हुआ। और खेल क्या था? खेल यह था कि विदेशी कंपनियों को नमक बेचना था और बहुत मोटा लाभ कमाना था। इसलिए पूरे भारत में नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नमक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। यह सेहत के लिए बहुत अच्छा है। ऐसी बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गईं।

जो नमक किसी जमाने में 2-3 रुपये प्रति किलो बिकता था, वह अब 8 रुपये प्रति किलो और आज तो 20 रुपये से भी ज्यादा का हो गया है। दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक को 40 साल पहले बैन कर दिया। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और डेनमार्क में यह नमक नहीं है। डेनमार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्योंकि उनकी सरकार ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक खिलाने से (1940 से 1956 तक) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए और जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया। उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होंने बैन लगाया।

जब हमारे देश में आयोडीन का खेल शुरू हुआ तो हमारे नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता। फिर किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और यह बैन हटाया गया। आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था, सब सेंधा नमक ही खाते थे।

सेंधा नमक के फायदे:
सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और गंभीर बीमारियों पर नियंत्रण रहता है क्योंकि यह अम्लीय नहीं, क्षारीय है। क्षारीय चीज जब अम्ल में मिलती है तो वह न्यूट्रल हो जाती है और रक्त अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं। यह नमक शरीर में पूरी तरह से घुलनशील है। उपवास और व्रत में भी सब सेंधा नमक ही खाते हैं, जो इसकी शुद्धता को दर्शाता है। सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण ही लकवे का अटैक आने का सबसे बड़ा जोखिम होता है। आयुर्वेद के अनुसार सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है और इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है, जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। आयुर्वेदिक औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

समुद्री नमक के नुकसान:
समुद्री नमक अपने आप में खतरनाक है क्योंकि इसमें अतिरिक्त आयोडीन मिलाया जाता है, जो 'इंडस्ट्रियल आयोडीन' होता है। यह मानव द्वारा फैक्टरियों में निर्मित नमक है। समुद्री नमक का उपयोग उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बनता है क्योंकि यह अम्लीय होता है। इस नमक में आयोडीन को बनाए रखने के लिए रसायन मिलाए जाते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक हैं। आयोडीन युक्त नमक से पानी की जरूरत ज्यादा होती है और यह शरीर में घुलता नहीं है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक का सेवन छोड़ें और उसकी जगह सेंधा नमक का उपयोग करें। क्योंकि जैसा कि ऊपर बताया गया है, आयोडीन हर नमक में होता है। सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है, जो प्रकृति का बनाया हुआ है। आयोडीन हमें आलू, अरबी और हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
#किसान #तासीर #स्वाद

गांव का ऐसा मनोरम दृश्य मन को बहोत सुकून देता है... 🌳😊
12/06/2024

गांव का ऐसा मनोरम दृश्य मन को बहोत सुकून देता है... 🌳😊

सहसपुर पंचायत अंतरगत, घोघराहा में नया निजी अस्पताल 'दरभंगा ग्रीन हेल्थ केयर' का हुआ उद्घाटन...दरभंगा (जाले, सहसपुर): घोघ...
12/06/2024

सहसपुर पंचायत अंतरगत, घोघराहा में नया निजी अस्पताल 'दरभंगा ग्रीन हेल्थ केयर' का हुआ उद्घाटन...

दरभंगा (जाले, सहसपुर): घोघराहा में पुपरी रोड पर स्थित नया निजी अस्पताल दरभंगा ग्रीन हेल्थ केयर का विधिवत उद्घाटन हुआ। इस अस्पताल का उद्घाटन सहसपुर पंचायत के मुखिया श्री रामयाद महतो ने किया, जिन्होंने इस अवसर पर स्थानीय जनता को संबोधित करते हुए इसे क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं में एक क्रांतिकारी कदम बताया। इस नए अस्पताल में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं और विभिन्न विशेषज्ञता वाले डॉक्टरों की टीम उपलब्ध है। दरभंगा ग्रीन हेल्थ केयर में मरीजों के लिए सभी तरह की सुविधाओं का ध्यान रखा गया है, जिसमें उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं और सामान्य वार्ड शामिल हैं।

अस्पताल के व्यवस्थापक डॉ. मनीष कुमार ने कहा, हमारा उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना और इस संस्था को चैरिटेबल ट्रस्ट बनाकर गरीबों का मुफ्त इलाज करना होगा। इस हेल्थ केयर के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी मरीज को उचित इलाज के लिए दरभंगा या अन्य बड़े शहरों में जाने की आवश्यकता न हो।

स्थानीय निवासियों ने इस नए हेल्थ केयर के उद्घाटन का स्वागत किया और इसे सहसपुर पंचायत क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि दरभंगा ग्रीन हेल्थ केयर से उन्हें बेहतर और सुलभ चिकित्सा सेवाएं मिलेंगी, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा। इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट जनों ने भी अस्पताल के उद्घाटन की सराहना की और इसे क्षेत्र की चिकित्सा सुविधाओं में एक नया अध्याय बताया। दरभंगा ग्रीन हेल्थ केयर स्थानीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. बालबोध कुमार, डॉ. राधेश्याम मंडल, श्री अरुण श्रीवास्तव, श्री सत्यनारायन महतो, मो. करनैन, श्री राजन कुमार (मुखिया), श्री संतोष महतो, श्री रवि कुमार, मो. साहबुद्दीन आदि लोग मौजूद रहे।

झुको केवल उतना ही जितना सही हो. बेवजह झुकना दूसरों के अहम और वहम दोनों को बढ़ावा देता है।💢हर हर महादेव 🙏🙏
11/06/2024

झुको केवल उतना ही जितना सही हो. बेवजह झुकना दूसरों के अहम और वहम दोनों को बढ़ावा देता है।
💢हर हर महादेव 🙏🙏

आज के पोस्ट में आप के साथ एक बेहद ही शर्मीले और नाजुक पौधे छुईमुई के बारे में जानकारी साझा कर रहा हूँ। छुईमुई को शेम प्ल...
04/03/2024

आज के पोस्ट में आप के साथ एक बेहद ही शर्मीले और नाजुक पौधे छुईमुई के बारे में जानकारी साझा कर रहा हूँ। छुईमुई को शेम प्लांट, लाजवंती, संवेदनशील पौधा, टच मी नॉट प्लांट, स्लीपी प्लांट, एक्शन प्लांट जैसे कई नामो से जाना जाता हैं पुकारा जाता हैं। वहीं इसे वनस्पति जगत में माईमोसा पुदिका के नाम से जाना जाता है। यह पौधा आदिवासी अंचलों में हर्बल नुस्खों के तौर पर अनेक रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाया जाता है।

पौधे का वैज्ञानिक नाम मिमोसा पुडिका है। इसके फूलो का रंग गुलाबी और छोटे होते हैं। कुछ विशेष प्रजातियों में फूलो का रंग पीला और सफेद भी होता है। इसकी लगभग 8 से अधिक प्रजाति होती हैं, इसमें 2 से 3 पेड़ वाली प्रजाति, 2 से 3 छोटी झड़ी नुमा प्रजाति, लता नुमा प्रजाति, पानी वाली प्रजाति और छाया पड़ने मात्र से मुरझा जाने वाली प्रजाति भी शामिल है। छुईमुई की लता और पेड़ वाली प्रजाति परिपक्त होने पर आकार में 5 फीट की ऊँचाई तक लंबी हो जाती है।

■ पौधा कब लगाये◆●
घर पर छुईमुई का पौधा लगाने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु अर्थात फरवरी से अप्रैल माह के बीच का होता है, लेकिन यदि आप गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में रहते हैं, तो आप अत्यधिक ठंड का मौसम छोड़कर, साल भर में इसे किसी भी समय लगा सकते हैं।

■ पौधा कैसे तैयार करें◆●
पौधे को बीज से, कटिंग से या लेयरिंग विधि से आसानी से तैयार कियाजा सकता है। इसके बीज आप आसानी से किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से या पास की खाद बीज की दुकान से ले सकते हैं। आप तैयार पौधा भी किसी भी नर्सरी से लेकर आ सकते हैं।

■ पौधे के लिए मिट्टी◆●
छुईमुई के पौधे को मिट्टी हल्की, नम और अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी चाहिए, जिसका PH 6 से 7 तक हो। आप घर पर ही बढ़िया उर्वरक वाली मिट्टी भी तैयार कर सकते हैं, इसके लिए 40% सामान्य मिट्टी, 30% वर्मी कम्पोस्ट, 20% रेत और 10% कोकोपीट को अच्छे से मिला कर मिश्रण बनायें, फिर इस पोटिंग साइल को ग्रो बैग में भरें और नमी के लिए पानी दें।

■ सूर्य प्रकाश या रोशनी◆●
छुईमुई का पौधा आंशिक इंडोर प्लांट है। पौधे को दिन की 8 घंटे की तेज उजाले वाली रोशनी मिलना जरूरी है। अगर कुछ घंटे धूप भी मिल जाता है तो कोई परेशानी नही है, पर अंधेरे या कम उजाले में रखने से पौधा फूल बिल्कुल भी नही देगा। छुईमुई के पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए 15 से 29 डिग्री सेल्सियस का तापमान आदर्श होता है।

■ पानी◆●
पौधे को प्रतिदिन पानी देने की आवश्यकता नही होती हैं। पर हल्की नमी पौधे को पसंद है। इस लिए नमी बनाकर रखे पर जलभराव से बचें। मिट्टी को कभी भी पूरा सूखने नहीं दे। सीमित मात्रा में ही वृद्धि के अनुसार ही पानी दे।

■ खाद◆●
पौधे को बढ़ने के लिए खाद की अधिक आवश्यकता नही होती हैं। इस लिए पौधा लगाने के बाद साल में 1 या 2 बार आप इसे वर्मीकम्पोस्ट या गाय के गोबर से तैयार खाद दे सकते है। बढ़ते मौसम में आप प्रत्येक 10-15 दिन के अंतर में कोई भी तरल खाद इस पौधे को दे सकतें है।

■ मौसमी देखभाल◆●
छुईमुई का पौधा ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। ठंडे मौसम में इसे घर के अंदर ही रखें। सर्दियों में अधिक पानी देने से बचें। तेज गर्मी से भी पौधे की रक्षा करें। पौधे की पत्तियां झुलस सकती है। पौधा सुख भी सकता है। पौधे की जड़ में महीने में 1 से 2 बार फंगीसाइड का प्रयोग जरूर करें।

■ स्वास्थ लाभ◆●
1) छुईमुई की जड़ स्वाद में अम्लिय तथा कठोर, तासीर ठंडी होती है। चरक संहिता के संधानीय एवं पुरीषसंग्रहणीय महाकषाय में तथा सुश्रुत संहिता के प्रियंग्वादि व अम्बष्ठादि गणों में इसकी गणना की गई है।
2) छुईमुई के पौधे में एंटीवायरल गुण होते हैं जो पेट के इंफेक्शन को कम करने के साथ ही पेट की कई बीमारियों से राहत देते हैं।
3) छुईमुई में एनाल्जेसिक गुण होता है, जो दर्द को कम करने का काम कर सकता है। पेट दर्द में इसके पत्तों और शहद के पेस्ट को खाली पेट उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
4) छुईमुई का पौधा डायरिया की समस्या में भी राहत पहुंचा सकता है।
5) छुईमुई के पौधे में डायबिटीज कंट्रोल करने वाले भी गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करते हैं।
6) छुईमुई चेहरे पर दाने और मुंहासे से आराम देता है। पत्तियां खून को साफ करने के साथ ही पिंपल को कम करती है।
7) छुईमुई घावों को जल्द से जल्द ठीक करने के लिए बहुत ज्यादा सक्षम होता है। इसकी जड़ों का 2 ग्राम चूर्ण दिन में तीन बार गुनगुने पानी के साथ लिया जाए तो आंतरिक घाव जल्द आराम पडऩे लगते हैं।
8) छुईमुई की जड़ और पत्तों का चूर्ण दूध में मिलाकर दो बार देने से बवासीर और भगंदर रोग ठीक होता है। छुईमुई के पत्तों का एक चम्मच पाउडर दूध के साथ प्रतिदिन सुबह शाम लेने से बवासीर या पाइल्स में आराम मिलता है।
9) छुईमुई की जड़ों का काढ़ा तैयार कर सर्पदंश होने पर प्रभावित शारीरिक अंग पर लगाने से जहर का असर कम हो जाता है। सर्पदंश होने पर रोगी को इस रस का सेवन भी कराया जाता है।

■ वास्तु लाभ◆●
वास्तु शास्त्र में छुईमुई के पौधे को बहुत शुभ माना जाता है। इस पौधे को अपने घर के पूर्व दिशा या ईशान कोण में लगाना सबसे ज्यादा शुभ होता है। इन दिशा में रखने से यह पौधा सौभाग्य, समृद्धि और सुरक्षा को आकर्षित करने में मदद करता है। आप इसे नियमित जल दें और इसे मुरझाने से बचाएं। पौधे की नियमित रूप से छंटाई करें और सूखी हुई पत्तियों को हटाते रहें। ऐसा करने से आपकी कुंडली से राहु दोष दूर होता है। छुईमुई का पौधा शनि देव का प्रिय माना जाता है। यह पौधा घर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है। ध्यान रखें इस पौधे के आसपास गंदगी ना रहे।

Har har mahadev🙏🙏
09/02/2024

Har har mahadev🙏🙏

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