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यह वो जगह है, जहाँ जो भी आता है, खुश होकर जाता है। सलमान ख़ान के फार्महाउस के बारे में कहा जाता है कि जो भी वहां जाता है...
07/12/2024

यह वो जगह है, जहाँ जो भी आता है, खुश होकर जाता है।
सलमान ख़ान के फार्महाउस के बारे में कहा जाता है कि जो भी वहां जाता है, उसकी किस्मत बदल जाती है। हाल ही में फेमस मॉडल करिश्मा हजारिका को सलमान के इस खास फार्महाउस पर देखा गया, जहाँ दोनों के बीच नजदीकियों की खबरें सुर्खियों में हैं।
बताया जा रहा है कि सलमान अपनी आने वाली फिल्म में करिश्मा हजारिका को मुख्य भूमिका में लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। इस बात को लेकर सलमान ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अब बॉलीवुड की किसी भी स्थापित अभिनेत्री के साथ काम नहीं करेंगे। उनका उद्देश्य अब सिर्फ नए चेहरों और मॉडल्स को अपनी फिल्मों में मौका देना है।
सलमान का यह फैसला न केवल फिल्म इंडस्ट्री में एक नई लहर लाने वाला है, बल्कि नए और उभरते हुए टैलेंट्स के लिए एक सुनहरा मौका भी हो सकता है। इस कदम से इंडस्ट्री में नई प्रतिभाओं के लिए दरवाजे खुलेंगे और फिल्मों में नए चेहरों की झलक देखने को मिलेगी। सलमान का यह निर्णय न सिर्फ एक नया ट्रेंड सेट करेगा, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। वैसे सलमान खान को लॉरेंस बिश्नोई की कथित धमकी के बाद अब सुरक्षा को लेकर चिंता भी हो रही है!

06/12/2024

मंत्री Kirodi lal meena ने अपनी ही सरकार को रगड़ डाला

गोले में कितना लिखा है?
05/12/2024

गोले में कितना लिखा है?

महाराष्ट्र देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहाँ दो नेता पहले सीएम बने और उसके बाद एकदूजे के डिप्टी सीएम बने हैं। देवेंद्र फड़...
05/12/2024

महाराष्ट्र देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहाँ दो नेता पहले सीएम बने और उसके बाद एकदूजे के डिप्टी सीएम बने हैं।

देवेंद्र फड़नवीस पहले दो बार सीएम बने। उसके बाद सीएम रहते एकनाथ शिंदे के डिप्टी सीएम बने। अब देवेंद्र सीएम बने हैं और शिंदे उनके डिप्टी सीएम बने हैं।

#मोदी_है_तो_मुमकिन_है

04/12/2024

सचिन पायलट ने भी अटैक किया है

04/12/2024

VP जगदीप धनकड़ ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को रगड़ दिया!

किसान आंदोलन ने कृषकों को ही बर्बाद किया है?कथित तौर पर देश के किसानों ने 2020 में दिल्ली में कूच किया था। तब सिंघु बॉर्...
03/12/2024

किसान आंदोलन ने कृषकों को ही बर्बाद किया है?
कथित तौर पर देश के किसानों ने 2020 में दिल्ली में कूच किया था। तब सिंघु बॉर्डर और टीकर बॉर्डर पर उनको रोक दिया गया। लगातार 13 महीनों तक बातचीत और धरने के बाद सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का निर्णय लिया। सरकार की सहजता का उन कथित किसानों को बहुत लाभ मिला, जो केवल और केवल किसानों के नाम पर सरकार को ब्लैकमेल करने का काम करते हैं। यह पहली सरकार है जो किसानों का भला भी सोचती है और किसानों के नाम पर कथित किसानों से गालियां भी सुनती है। यह पहली सरकार है जो किसानों का सम्मान भी करती है और कथित किसानों से अपमान भी सहती है।
जब एक बार एक गुट का एक कदम आगे बढ़ने का अवसर मिल जाता है तो उसके हौसले बुलंद हो जाते हैं। यह बात सही है कि हर सरकार ऐसी नहीं होती है, लेकिन जिनको केवल ब्लैकमेल करने की आदत होती है, वो उसी रास्ते को अपनाते हैं। बाकी आपको पता ही है कि डीप स्टेट और चीन समर्थित शक्तियां कैसे काम कर रही हैं। इस सरकार ने साबित कर दिया है कि लोकतंत्र का महत्व क्या होता है? सरकार तमाम ताकतें मिलने के बाद भी लोकतंत्र को ही महत्व देती है। ऐसी सरकार देश को बहुत मुश्किल से मिली है, लेकिन यही कमाल की सरकार है तो कथित किसान नेताओं की आरामगाह बन गई है। सरकार को इनकी पहचान कर थोड़ी सख्ती अपनानी होगी, इसी में देश के किसानों का हित है। किसान केवल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान या पश्चिमी यूपी में नहीं हैं, किसान पूरे देश में हैं, इसलिए इन राज्यों के मुट्ठी भर लोगों से ब्लैकमेल होने की जरूरत नहीं है।

दुनिया में इस समय इनसे ज़्यादा शक्तिशाली कोई नहीं हैं! ये वो लोग हैं जो दुनिया की किसी भी शक्ति को अपने कदमों में झुका स...
02/12/2024

दुनिया में इस समय इनसे ज़्यादा शक्तिशाली कोई नहीं हैं! ये वो लोग हैं जो दुनिया की किसी भी शक्ति को अपने कदमों में झुका सकते हैं!

29/11/2024

परणीति बिश्नोई का योग देखा क्या?

28/11/2024

भजनलाल शर्मा पहली परीक्षा में 70 फीसदी अंकों से पास

27/11/2024

हर मस्जिद के नीचे मंदिर है

समंदर महाराष्ट्र में लौटकर आ रहा है!महाराष्ट्र में 23 नवंबर को जब नतीजे आए उसके बाद से लगातार ये सवाल उठ रहे थे की आखिर ...
27/11/2024

समंदर महाराष्ट्र में लौटकर आ रहा है!
महाराष्ट्र में 23 नवंबर को जब नतीजे आए उसके बाद से लगातार ये सवाल उठ रहे थे की आखिर कौन होगा अगला मुख्यमंत्री ... आज उस सवाल का जवाब मिल गया जब महाराष्ट्र के केयरटेकर सीएम एकनाथ शिंदे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी का सीएम उन्हें मंजूर है ... अब इसके बाद ये तय हो गया है कि देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया है ...

दरअसल परिणाम के बाद से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि जो मेंडेट महायुति को मिला है उसके बाद शिंदे का सीएम बने रह पाना मुश्किल है क्योंकि बीजेपी ने 132 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया ... जबकि एकनाथ शिंदे की पार्टी ने 57 सीटें अपने नाम की वहीं अजित पवार की पार्टी ने 41 सीटें जीतीं

इस परिणाम के बाद से ही ये लग रहा था कि अब देवेंद्र फडणवीस का सीएम बनना तय है लेकिन रास्ते में सबसे बड़ी समस्या ये थी कि क्या शिंदे बीजेपी के इस फैसले को स्वीकार करेंगे ... क्योंकि महायुति के बाकी सहयोगी अजित पवार और रामदास अठावले ने फडणवीस का समर्थन कर दिया ... इसके बाद एक दबाव एकनाथ शिंदे पर भी था कि वो क्या करेंगे ..

आज इन तमाम कयासों के बीच एकनाथ शिंदे मीडिया के सामने आए और उन्होंने सबकुछ पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर छोड़ दिया और कहा कि मुझे बीजेपी का मुख्यमंत्री मंजूर है ... उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह मेरे साथ चट्टान की तरह साथ खड़े रहे

तो 2019 का वो फडणवीस का बयान का आपको याद होगा, जब उन्होंने कहा था कि मैं समंदर हूं लौटकर आऊंगा ... तो लीजिए वो समंदर लौट कर आ गया.

जनजाति बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा में 114.76 मिलियन टन स्वर्ण खनन का रास्ता साफ हो गया है। खनन का ठेका लेने वाली फर्म ने सरक...
26/11/2024

जनजाति बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा में 114.76 मिलियन टन स्वर्ण खनन का रास्ता साफ हो गया है। खनन का ठेका लेने वाली फर्म ने सरकार को 100 करोड़ रुपए जमा करा दिए हैं। साथ ही एलओआइ (मंशा पत्र) के लिए आवेदन कर दिया है। कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और झारखंड के बाद राजस्थान चौथा प्रदेश होगा जो स्वर्ण खनन करने जा रहा है। रतलाम की एक फर्म ने 65.30 प्रतिशत बोली लगाकर यह कार्य लिया है। फर्म ने उद्योग विभाग के साथ 8 हजार करोड़ का एमओयू किया है। एलओआइ के लिए आवेदन से पहले जरूरी 100 करोड़ जमा करा दिए। उदयपुर स्थित खनिज निदेशालय से सरकार को एलओआइ के लिए फाइल भेज दी है।

फर्म का दावा है कि जैसे ही एलओआइ हासिल होगा 6 माह में काम शुरू कर दिया जाएगा। खनन करने से पहले कई एनओसी लेनी होगी। साथ ही जमीनों का अधिग्रहण और अन्य काम होने हैं। गौरतलब है 6 मार्च 2024 को सरकार ने खनन के लिए नीलामी की थी। इसके लिए 5 फर्म ने हिस्सा लिया।

घाटोल क्षेत्र के भूकिया व काकरिया में 943 हेक्टेयर में खनन होगा। स्वर्ण भंडार की जानकारी सामने आने के बाद खनन कंपनी तय करने में करीब 33 साल का समय लग गया, वहीं सोना निकलने में करीब 4 से 5 साल और लगेंगे। साथ ही बांसवाड़ा स्वर्ण खनन करने वाले देश के 4 चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएगा। बांसवाड़ा में सोना रेत के छोटे-छोटे कण रूप में मिला है।
वर्ष 1990-91 में यहां का सर्वे किया था। इसमें स्वर्ण के संकेत मिले थे। इस पर 69.658 वर्ग किमी के तीन ब्लॉक एक्सप्लोरेशन के लिए आरक्षित कर भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया गया। एक्सप्लोरेशन के दौरान 15 ब्लॉकों में 171 बोर होल्स में 46037.17 मीटर ड्रिलिंग की गई थी। विश्लेषण से पता चला कि 14 ब्लॉकों में 1.945 ग्राम प्रति टन के लगभग 114.76 मिलियन टन सोने के भंडार मौजूद है।

भुकिया-जगपुरा के 14 वर्ग किमी में स्वर्ण भंडार है। यहां अन्वेषण में 114.76 मिलियन टन स्वर्ण अयस्क में स्वर्ण धातु की मात्रा 222.39 टन आंकी गई है। 1 लाख 74 हजार टन से अधिक तांबा और 9700 टन से अधिक निकल और 13500 टन से अधिक कोबाल्ट भी निकलेगा।
बांसवाड़ा में स्वर्ण खनन को लेकर सभी प्रकार की कार्यवाही मुख्यालय से ही की जाएगी। फर्म ने 100 करोड़ रुपए जमा कर दिया है। अब फर्म को एलओआइ जारी होनी है। इसके बाद ही फर्म आगे का कार्य शुरू कर पाएगी।

26/11/2024

महाराणा प्रताप के वंशज आज भी राजतिलक की शानदार परंपरा निभाते हैं, जबकि ओरंगजेब के वंशज झुग्गियों में रहते हैं।
यह है इतिहास की असली तस्वीर।

सम्भल में जो हुआ वह दंगा नहीं है, इसे दंगा कहना बन्द कीजिए, यह तो आपके विरुद्ध युद्ध है।सरकार को यह चेतावनी है कि हम नही...
26/11/2024

सम्भल में जो हुआ वह दंगा नहीं है, इसे दंगा कहना बन्द कीजिए, यह तो आपके विरुद्ध युद्ध है।
सरकार को यह चेतावनी है कि हम नहीं सुधरेंगे।
गजवा-ए-हिन्द की वह कुत्सित मानसिकता है जो जब तब इस रूप में प्रकट हो ही जाती है।
जैसे तमाम सुविधाओं, रोजगार, भोजन, दवाइयां और छूट के बावजूद गाजा वाले हमास ने अवसर आने पर यहूदियों की दुर्गति की वैसे ही ये भरे पड़े हैं।
जब जहाँ जो मौका मिलेगा, उस घृणा का प्रकटीकरण करते रहेंगे।
समझना अभागे हिन्दू को है कि वह सरकारों के भरोसे न रहकर कैसे सर्वाइव कर सकता है और कब तक कर सकता है?
सम्भल उपद्रव के पक्ष में इनके तर्क सुनिए, वही झूठ, वही शरारत, वही धूर्तता, जो इनके बड़े आका के समय होती थी, बदस्तूर जारी है। कहीं कोई अपराधबोध नहीं। कहीं कोई हया-शर्म नहीं। हिंदुस्तान को बाप की जागीर और हिन्दुओं को दास समझकर किये जाने वाले बर्ताव से भरे पड़े हैं।
दुःख तो इस बात का है कि स्वयं को हिन्दू कहलाने वाले परिवारवादी, वंशवादी, जातिवादी नेता जो बाप, दादी, नाना के जमाने से ही इनके सामने झुककर रीढ़विहीन बने है, हिन्दू अब भी उन्हें जीवित रखे हुए है।
और अब आज पुलिस सरकार और इंटेलीजेंस पर यही लोग दोषारोपण कर रहे हैं , जिम्मेदार अच्छे मुस्लिमों और उनको भड़काने वाले सपा के संसद मौलाना को नहीं , जिम्मेदार पुलिस को बना रहे हैं।
कश्मीर में पुलिस और सेना के हांथ पैर जब तक बंधे थे, पथराव सेना पर होता रहा जवान मरते रहे।
सुप्रीम कोर्ट दंगाइयों के लिए बेख़ौफ़ दंगा करने का माहौल बनाने में मदद कर रहा है।
लेकिन फिर भी जब तक भीड़ के जिम्मेदारों का घर नहीं तोड़ा जाएगा, तब तक आप मुस्लिमों के दंगाई मानसिकता को नहीं नियंत्रित कर सकते हैं।
पूरा देश बहुत धीमे-धीमे कश्मीर बन रहा है। मोदी जी सुप्रीम कोर्ट की मूर्खता का इलाज नहीं खोज पाए तो गैर मुस्लिमों का नरसंहार पूरे देश में होना तय है।
बंटेंगे तो कटेंगे से सत्ता तो मिल जाएगी, लेकिन मुस्लिमों के जिहादी दिमाग का कीड़ा कभी शांत नहीं होगा !!!
सोचिए इससे पहले देर हो जाए।
#नरेंद्र_मोदी

महाराष्ट्र के  #अंडर_करंट को इस बार बड़े-बड़े दिग्गज भी देख पाने से चूक गए.... महाराष्ट्र में एक  #सहानुभूति_की_लहर थी, ...
26/11/2024

महाराष्ट्र के #अंडर_करंट को इस बार बड़े-बड़े दिग्गज भी देख पाने से चूक गए.... महाराष्ट्र में एक #सहानुभूति_की_लहर थी, जिसे ना तो शरद पंवार देख पाए और ना ही वह सहानुभूति की लहर ऊद्धव ठाकरे या अन्य किसी कांग्रेसी को नजर आई। सहानुभूति की वह लहर #नरेंद्र_मोदी के लिए थी। महाराष्ट्र की जनता को नरेंद्र मोदी का वह चेहरा बार बार उद्वेलित कर रहा था जो उसने 4 जून 2024 को देखा था। 4 जून को भाजपा को जीत तो मिल गई थी, परंतु नरेंद्र मोदी का कलेजा भीतर से रो रहा था।

31 अक्टूबर 1984 को जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी तब टेलीविजन पर अपने प्रधानमंत्री का मृत शरीर देखकर हर हिंदुस्तानी की आत्मा रो पड़ी थी... उस रुदन में न कोई हिंदू था न कोई मुसलमान था, न कोई सिख था न कोई इसाई था... हर हिंदुस्तानी रो रहा था.… हर किसी के दिमाग में एक ही सवाल था कि आखिर #हमारे_प्रधानमंत्री का कसूर क्या था, उसे किस बात की सजा दी गई... तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत शरीर देखकर जो सहानुभूति की लहर हिंदुस्तान में उस समय उठी थी, उसे याद करिए.... 40 साल बाद.. 4 जून 2024 को टेलीविजन पर एक #बुझा_हुआ_चेहरा नजर आया था भारत की जनता को, जो ऊपर से बार-बार खुश दिखने की कोशिश कर रहा था, परंतु भीतर से उस चेहरे की रुलाई बार-बार बाहर फूट पड़ रही थी, जिसे लाख छुपाने पर भी नरेंद्र मोदी छिपा नहीं पा रहे थे। भीतर से रोते हुए उस चेहरे को देखकर भारत की जनता का #कलेजा_कांप_गया था... क्योंकि उस निर्दोष चेहरे के भीतर से आ रहे रुदन को टेलीविजन देख रहा हर हिंदुस्तानी सुन पा रहा था, महसूस कर पा रहा था। उस बिलखते हुए चेहरे से एक बहुत बड़ा सवाल उभर रहा था कि "आखिर मेरा #कसूर_क्या_था..? 18-18 घंटे रात-दिन लगातार जागकर हम आपके लिए जो मेहनत करते रहे, 22 वर्षों से लगातार आपके लिए बिना रुके बिना थमे, बिना कोई छुट्टी मनाए हमने आपके लिए जो काम किया, उसमें कमी कहां रह गई, वह तो बताओ... मेरी गलती कहां रह गई वह तो मुझे बताओ... किस गलती की सजा मुझे दी गई है ?"

कभी-कभी शब्द साथ नहीं देते हैं... कितना भी आप उन्हें साधने की कोशिश करें, परंतु मुंह से शब्द कुछ और निकल रहे होते हैं लेकिन बॉडी लैंग्वेज कुछ और कह रही होती है... और वह बॉडी लैंग्वेज भारत की जनता भलीभांति सुन पा रही थी.. मोदी जी बोल कुछ और रहे थे लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज कुछ और कह रही थी, जिसे देखते हुए भारत की जनता भलीभांति समझ रही थी कि हमारे प्रधानमंत्री को उस बात की सजा दी गई है जो गलती उसने की ही नहीं है,, और यहीं से सहानुभूति की वह लहर उठी जिसने महाराष्ट्र में वैसा ही कुछ कर दिखाया जैसा इसी भारत की जनता ने 1984 में 415 सीट राजीव गांधी को देकर किया था,, ूतो_न_भविष्यति जैसी स्थिति भारत की जनता ने उस बार जो दिखाई थी, वही इस बार दिखा दिया महाराष्ट्र की जनता ने... देख सको तो देख लो,, मोदी के लिए सहानुभूति की जो लहर चार जून को उठी थी वह ईवीएम तक खींच कर ले गई... और तब तक नहीं शांत हुई जब तक #कमल के निशान पर उंगली दब नहीं गई...

विश्वास जानिए स्वर्गीय तुकाराम जी यदि  #कसाब को जिंदा नहीं पकड़े होते तो यह बॉलीवुड वाले 26 11 घटना पर फिल्म बनाते औरउसम...
26/11/2024

विश्वास जानिए स्वर्गीय तुकाराम जी यदि #कसाब को जिंदा नहीं पकड़े होते तो यह बॉलीवुड वाले 26 11 घटना पर फिल्म बनाते और
उसमें आतंकवादी कसाब नहीं " #समीर_चौधरी" होता। जिसपर बाकायदा किताब छप गई थी, दिग्विजय सिंह की"26/11 RSS साजिश"
किताब का भी विमोचन कर चुका था और इसी किताबी स्क्रिप्ट पर फिल्म बनाई जाती।
वह तो जिंदा पकड़े जाने पर इन कांग्रेसी और पाकिस्तानियों की साजिश का खुलासा हो गया
और बॉलीवुड वाले मन-मसोस के रह गए।
कांग्रेस के इन नेताओं से नफरत इसलिए भी करिए... ये हिंदुओं को न सिर्फ नफरत करते हैं, बल्कि इस्लामी आतंकियों की मदद से खत्म भी करना चाहते हैं.... पीछे का छोड़िए, याद करिए बंगलादेश के हिंदुओं पर अब तक एक लाइन नहीं बोली।

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