11/12/2024
नए साल में आने वाली, नई किताब
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शीघ्र प्रकाश्य : बारिश बाजा बजाती है | शहंशाह आलम का कविता-संग्रह
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प्रेम ऐसा विषय है, जिस पर आदिकाल से ही लिखा जाता रहा है। इस पर कहानियाँ भी रची गईं और उपन्यास भी। रही बात कविता की, तो कविता के पटल पर प्रेम कविताओं की हमेशा से ही भरमार रही है। इन्हीं प्रेम कविताओं की भीड़ से अलग निकल कर एक सितारे की तरह काव्य-आकाश में चमकता हुआ संग्रह वेरा प्रकाशन से नए वर्ष में आ रहा है। कवि शहंशाह आलम के इस संग्रह का नाम है—बारिश बाजा बजाती है।
‘बारिश बाजा बजाती है’ संग्रह को अन्य प्रेम-कविता संग्रहों से अलग इसलिए भी रखा जा सकता है कि उसमें प्रेम का नाद इस तरह बजता है कि जीवन-तरंग से सराबोर प्रेम हमारे समक्ष जीवंत हो उठता है। शहंशाह आलम के इस काव्य संग्रह की कविताओं में प्रेम के विभिन्न रूपों का सुंदर शब्दांकन है, चाहे वह प्रेम-पश्चात का अवसाद हो या प्रेम में होते समय की काव्य-चेष्टाएँ। यहाँ प्रेम छत पर लगा सौंफ़ का पौधा भी है, तो बारिश की बूँदें भी, जो विरह में तन-मन में आग भरती हैं। यहाँ प्रेम हावड़ा का पुल भी है और कोई शहतूत का पेड़ भी। इन कविताओं का प्रेम सीमारहित प्रेम है, जो ग़ज़ा भी पहुँच जाता है और कलकत्ता भी। ये कविताएँ झील का ठहरा पानी भी हैं और समुद्र भी। स्वंय कवि के शब्दों में देखिए—
“यह बार-बार बाहर आने वाला समुद्र
मेरी याद में बसा वह अथाह जलराशि है
जो घूमता है आज़ाद घोड़े की तरह पृथ्वी पर”
अगर आप प्रेम के साज़ पर कविता को झंकृत सुनने के आकाँक्षी है, तो आप को सुनना चाहिए कि – बारिश बाजा बजाती है।