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24/12/2024

ड्राइविंग की 10 गलतियां
देखन में छोटी लगें, वार करें गंभीर

कार चलाना हमें कितना आसान काम लगता है। हम समझते हैं कि स्टेयरिंग संभाल लिया, गियर लगा लिया, गाड़ी चल पड़ी तो यही ड्राइविंग है। लेकिन कार चलाते वक्त हम कई बार ऐसी गलतियां करते हैं जिन्हें हम जानते तो हैं लेकिन उन पर गौर नहीं करते। अगर हम इन गलतियों पर गौर कर लें तो जानलेवा हादसों से न सिर्फ खुद को बल्कि सड़क पर चलने वाली दूसरी गाड़ियों को भी सुरक्षित रख सकते हैं। इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानकारी लेकर बता रहे हैं रिदम कुमार

1. बिना इंडिकेटर दिए मुड़ना

गलती
- ट्रैफिक में लेन बदलते वक्त इंडिकेटर का इस्तेमाल न करना।
- टाइम पर इंडिकेटर न देना।
- गलत डायरेक्शन में इंडिकेटर देना।
- इंडिकेटर बंद करना भूल जाना।
- बिना जरूरत के इंडिकेटर का लगातार इस्तेमाल करना।

नुकसान
- बिना इंडिकेटर के अचानक लेन बदली तो पीछे से आ रही गाड़ियां टकरा सकती हैं।
- साइड से आ रही गाड़ियों को आपके इरादे का पता नहीं चलेगा और टक्कर हो सकती है।
- पीछे से आ रही गाड़ी का ड्राइवर वक्त पर रिऐक्शन नहीं दे पाता जिससे हादसा हो सकता है।

क्या करना है
- जब भी लेन बदलना हो, मुड़ना या रुकना हो तो उससे 50 से 100 मीटर या 7-10 सेकंड पहले इंडिकेटर दें।
- पार्किंग से बाहर निकलते वक्त जरूर इंडिकेटर दें।
- सही दिशा का इंडिकेटर दें।
- मोड़ के बाद इंडिकेटर बंद करें।
- साइड, रियर-व्यू मिरर में देखने के बाद ही मुड़ें।

2. ब्लाइंड स्पॉट में देर तक रहना

कहां होते हैं ब्लाइंड स्पॉट
- साइड मिरर के किनारे: ये सबसे आम ब्लाइंड स्पॉट होते हैं। मिरर में जितना दिखता है, वह उसका पूरा व्यू नहीं होता। मिरर के किनारे का हिस्सा और मिरर व कार के बीच का हिस्सा ब्लाइंड स्पॉट होता है।
- पिलर: कार के दरवाजों पर मौजूद मोटे खंभों को पिलर कहते हैं। ये पिलर भी ब्लाइंड स्पॉट बनाते हैं, खासकर जब आप मोड़ ले रहे हों।

गलती
- यह सोचना कि साइड मिरर में हमें पीछे से आने वाली सभी गाड़ियां दिख रही हैं जबकि ऐसा नहीं होता। कभी-कभी जब हम ड्राइव कर रहे होते हैं तो ब्लाइंड स्पॉट की वजह से पीछे वाली गाड़ियां एक पल के लिए नहीं दिख पाती। उसी वक्त टर्न कर लेने से हादसे की आशंका का बढ़ जाना।
- ब्लाइंड स्पॉट में बने रहने पर दूसरी गाड़ी का पता नहीं चल पाता।
- आसपास की गाड़ियों को हमारी मौजूदगी का सही अंदाजा नहीं रहता।
- ब्लाइंड स्पॉट में होने के कारण दूसरी गाड़ी की स्पीड और पोजिशन का अंदाजा नहीं लगा पाना।

नुकसान
- अगर कोई गाड़ी ज्यादा देर तक यहां बनी रहती है तो हादसा हो सकता है।
- अगर ब्लाइंड स्पॉट से अचानक कोई गाड़ी आ जाए तो एकदम ब्रेक लगाना पड़ सकता है। ऐसे में पीछे से आ रही गाड़ी के लिए ब्रेक लगाना और मुश्किल हो सकता है।
- लेन बदलते वक्त अगर ब्लाइंड स्पॉट चेक नहीं करते हैं तो दूसरी लेन की गाड़ियों से टकरा जाना।

क्या करना है
- ब्लाइंड स्पॉट से बचने के लिए स्पीड मेंटेन करें।
- लेन बदलने से पहले सिर को उस दिशा में घुमाकर देखें जिस तरफ जाना हो।
- साइड मिरर ऐसे एडजस्ट करें जिससे रोड का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा दिखे।
- ब्लाइंड स्पॉट मिरर लगवा सकते हैं।
- बड़े वाहन के ब्लाइंड स्पॉट बड़े होते हैं। इनसे पर्याप्त दूरी रखें।

3. फोन या स्क्रीन का इस्तेमाल

गलती
- गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना।
- सोशल मीडिया पर दोस्तों से चैटिंग करना।
- मीडिया प्लेयर में विडियो को देखना।
- सॉन्ग या विडियो चेंज करना।
- स्पीड का अचानक बढ़ना या घटना।

नुकसान
- ध्यान भटक सकता है।
- सड़क पर चल रही दूसरी गाड़ियों और पैदल चलने वालों का ध्यान नहीं रहता।
- सड़क के सिग्नल, ट्रैफिक लाइट और दूसरे साइन बोर्ड्स पर ध्यान नहीं दे पाते।
- गलत मोड़ ले सकते हैं।
- विडियो, सॉन्ग या मूवी की आवाज की वजह से दूसरी गाड़ियों के हॉर्न की आवाज सुनी नहीं जा सकती।
- चालान या लाइसेंस सस्पेंड भी हो सकता है।

क्या करना है
- गाड़ी चलाते वक्त कभी भी विडियो न देखें।
- ड्राइविंग से पहले प्लेलिस्ट तैयार करें ताकि ड्राइविंग के दौरान बार-बार बदलना न पड़े।
- हां, अनजान रास्ता जानने के लिए मोबाइल या मीडिया प्लेयर स्क्रीन पर सावधानी रख
कर मैप देख सकते हैं।

4. मोड़ पर ओवरटेकिंग

सड़क पर हादसों की अहम वजहों में से एक है मोड़ पर ओवरटेक करना। यह ओवरटेक पहाड़ों पर ड्राइव करते समय तो बहुत ज्यादा खतरनाक हो जाता है। दरअसल, मोड़ पर ओवरटेक करते समय हमें यह पता नहीं चलता कि उस गाड़ी के आगे भी कोई गाड़ी हो सकती है। मुमकिन है वह गाड़ी रुकी हुई हो या फिर उसकी स्पीड कम हो। ऐसे में जब सामने वाली गाड़ी अपनी लेन अचानक बदलती है तो हमारे लिए ब्रेक लगाना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है। कई बार हाइवे पर ट्रक खड़े रहते हैं। वह दिखाई नहीं देते और फिर भिड़ंत हो जाती है।

गलती
- बड़ी गाड़ियां जैसे ट्रक या बसें कई बार हमारे आगे चल रही होती हैं। मोड़ पर उन्हें ओवरटेक करना बेहद खतरनाक हो सकता है।
- मान लीजिए, आगे बस चल रही हो और आपको लेफ्ट टर्न लेना है। लेफ्ट मुड़ते हुए आप बस को ओवरटेक कर रहे हैं।
- बस के पीछे रहने के बजाय आप अपनी गाड़ी को बस के साथ यानी बस के लेफ्ट में लाकर खड़ा कर देते हैं।
- चूंकि बस जैसी बड़ी गाड़ियों को मुड़ने के लिए काफी जगह की जरूरत होती है। आपके ऐसा करने से आपकी कार बस के ब्लाइंड स्पॉट में आ सकती है।
- मुड़ते वक्त साथ चल रही और सामने आ रही गाड़ियों को नजरअंदाज करना।
- ज्यादा स्पीड में गाड़ी मोड़ना।
- गाड़ी मोड़ते वक्त दूसरी लेन में चले जाना।
नुकसान
- साथ चल रही गाड़ी से टक्कर हो जाना।
- गाड़ी का बैलेंस बिगड़ना।
- सड़क पर जाम लगना।
- पीछे से आ रही गाड़ी से भी टक्कर मुमकिन।

क्या करना है
- कभी भी बड़ी गाड़ियों के साथ-साथ न मुड़ें।
- पहले बस या ट्रक को मुड़ लेने दें उसके बाद ही ओवरटेक करें।
- मोड़ पर हमेशा अपनी गाड़ी को बड़ी गाड़ियों के पीछे ही रखें।
- गाड़ी को बस या ट्रक जैसे वाहनों के साथ में लाकर न खड़ा करें।

5. थर्ड राइट लेन में धीरे चलना

गलती
- हाइवे या कई लेन वाली सड़कों पर सबसे राइट लेन में धीरे गाड़ी चलाना खतरनाक हो सकता है।
- यह लेन आमतौर पर ओवरटेकिंग या तेज स्पीड में चलने वाली गाड़ियों के लिए होती है।
- इस लेन में स्लो स्पीड से चलने वाली गाड़ी कई बार पीछे से आने वाले ड्राइवरों को परेशान कर सकती है, जिससे वे आक्रामक ढंग से ओवरटेक करने की कोशिश कर सकते हैं।
- इस लेन में स्लो स्पीड से गाड़ी चलाने से पीछे वाली गाड़ियों को रुकना पड़ता है। इससे सड़क पर ट्रैफिक के फ्लो पर असर पड़ता है।
- जरूरत पड़ने पर ओवरटेक न करना।
- ओवरटेकिंग के लिए जगह न देना।

नुकसान
- ट्रैफिक का डिस्टर्ब होना।
- स्लो चलने पर पीछे से आ रही गाड़ी से टक्कर हो सकती है।

क्या करना है
- मैक्सिमम स्पीड में नहीं चलना तो बीच वाली लेन में चलें।
- सबसे राइट लेन को सिर्फ ओवरटेकिंग के लिए छोड़ें।
- ‘Slow Vehicles Keep Left’ जैसे साइन बोर्ड का पालन करें।
- अगर राइट लेन में जाकर किसी गाड़ी को ओवरटेक किया है तो ओवरटेक करने के बाद तुरंत बीच वाली लेन में लौट आएं।

6. तुरंत ब्रेक या ओवरस्पीड

गलती
- अचानक ब्रेक लगाने से पीछे से आ रही गाड़ियों को रिऐक्शन देने का वक्त नहीं मिलता।
- गाड़ी फिसल सकती है, खासकर गीली या फिसलन वाली सड़क पर।
- ब्रेक के झटके से कार का बैलेंस बिगड़ सकता है।
- तेज स्पीड में गाड़ी मोड़ते वक्त पलटने या फिसलने का खतरा बढ़ जाता है।
- तेज रफ्तार में ड्राइवर अक्सर रेड लाइट या दूसरे ट्रैफिक सिग्नल्स को अनदेखा कर सकता है।

नुकसान
- टक्कर या पलटने की संभावना बढ़ जाती है।
- ये आदतें खुद की और दूसरे यात्रियों की जान को खतरे में डालती हैं।
- हादसे से कार और दूसरी संपत्ति को भारी नुकसान हो सकता है।
- ब्रेक पैड, टायर और सस्पेंशन सिस्टम पर एक्स्ट्रा दबाव पड़ता है।
- तेज स्पीड में ड्राइविंग से इंजन पर भी गैर-जरूरी दबाव पड़ता है।

क्या करना है
- अगर गाड़ी रोकनी है तो पहले इंडिकेटर या फ्लैशर लाइट दें ताकि पीछे की गाड़ियों को रुकने का पता चल सके।
- अचानक ब्रेक लगाने से पहले हमेशा रियर-व्यू मिरर और साइड मिरर देखें।
- स्पीड लिमिट मानें।
- इमरजेंसी में धीरे-धीरे करके ब्रेक दबाएं और गाड़ी को कंट्रोल करते हुए किनारे पर ले जाएं।

7. ड्रिंक करके ड्राइव करना

गलती
- नशे में ड्राइव कर रहा शख्स सही और गलत के बीच का फर्क नहीं समझ पाता।
- ट्रैफिक सिग्नल, स्पीड लिमिट या सड़क पर मौजूद साइन बोर्ड्स की अनदेखी।
- रिफ्लेक्स और रिऐक्शन टाइम स्लो हो जाता है।
- किसी इमरजेंसी में गाड़ी रोकने, मोड़ने या टक्कर से बचने में देरी होती है।
- लेन बदलने और दिशा पहचानने में गलती।
- सड़क पर चलते हुए पैदल यात्री, गड्ढे या दूसरी गाड़ियां दिखना मुश्किल हो सकता है।

नुकसान
- जान जाने का खतरा।
- गंभीर चोटें लग सकती हैं।
- कार को नुकसान।
- जुर्माना, जेल, ड्राइविंग लाइसेंस कैंसल हो सकता है।
- इंश्योरेंस कंपनियां नशा करके ड्राइविंग के कारण होने वाले नुकसान का क्लेम देने से मना कर सकती हैं।

क्या करना है
- शराब पीनी है तो कैब से आएं-जाएं।
- किसी भी तरह का नशा करके गाड़ी बिलकुल न चलाएं।
- अगर ग्रुप में हैं तो ऐसे शख्स को गाड़ी दें जिसने नशा नहीं किया है।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें।
- शराब पी है तो किसी दोस्त या परिवार के सदस्य से संपर्क करें और उनसे मदद मांगें।

8. हाई बीम पर गाड़ी चलाना

गलती
- शहरों, घनी आबादी वाले इलाकों या ट्रैफिक वाली सड़कों पर हाई बीम यूज नहीं करनी चाहिए।
- सामने से आती हुई गाड़ी को देखते हुए भी बीम हाई ही रखना।
- बिना बात डिपर देना।

नुकसान
- हाई बीम में रोशनी बहुत दूर तक जाती है। इससे ड्राइवर की आंख चौंधिया जाती है और ड्राइवर का ध्यान भटक सकता है।
- इससे दूसरे ड्राइवर का व्यू डिस्टर्ब हो जाता है और हादसा होने का चांस होता है।
- हाई बीम का सीधा असर आंखों पर पड़ता है, जिससे दूसरे ड्राइवरों को आंखों में थकान, इरिटेशन और तनाव महसूस हो सकता है।
- पैदल यात्री, साइकल सवार या सड़क पर चलने वाले दूसरे लोग जब हाई बीम की सीधी रोशनी में आते हैं तो उन्हें सामने से आ रही गाड़ी की दूरी और स्पीड का सही अंदाज़ा नहीं हो पाता।
- चालान भी हो सकता है।

क्या करना है
- शहरों, ट्रैफिक वाली सड़कों या सामने से आ रही गाड़ियों को देखते हुए हमेशा लो बीम कर लें।
- हाई बीम सिर्फ खुले हाइवे, या जहां लाइट न हो, वहीं यूज करें।
- कई बार पीछे से आ रही कार हाई बीम पर होती हैं। ऐसे में अपने साइड मिरर, रियर व्यू मिरर को थोड़ा-सा एडजस्ट कर लें ताकि सीधी रोशनी आपकी आंखों में न पड़े।

9. बैक, रियर व्यू मिरर न देखना

गलती
- साइड मिरर बंद रखकर ड्राइव करना।
- साइड और रियर व्यू मिरर को सही एंगल पर सेट न करना।
- लेन बदलते समय, ओवरटेक करते समय या कार पार्क करते समय मिरर को देखना भूल जाना।
- लेन बदलने या ब्रेक लगाने से पहले पीछे पर स्थिति का ध्यान न देना।
- मिरर को साफ न रखना। इससे साफ देखने में दिक्कत होना।
नुकसान
- अगर मिरर ठीक से एडजस्ट नहीं हैं या ब्लाइंड स्पॉट को चेक नहीं किया तो लेन बदलते समय या ओवरटेक करते समय टक्कर हो सकती है।
- पीछे आ रहे तेज गाड़ियों का अंदाजा नहीं लग पाता।
- लेन बदलते समय सड़क पर ट्रैफिक डिस्टर्ब हो सकता है।
- पार्किंग करते समय दीवार, खंभे या दूसरी गाड़ियों से गाड़ी टकरा सकती है।

क्या करना है
- हमेशा साइड मिरर का इस्तेमाल करें।
- साइड मिरर को ऐसे सेट करें कि सड़क का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा दिखे।
- रियर-व्यू मिरर को भी ऐसे सेट करें कि पीछे की पूरी सड़क दिख सके।
- हर बार गाड़ी स्टार्ट करने से पहले और चलाते वक्त बैक और रियर व्यू मिरर को देखना आदत में शामिल करें।

10. नींद या थकान में ड्राइव करना

गलती
- रिऐक्शन धीमा हो जाता है। अचानक ब्रेक लगाने या मोड़ने जैसी स्थितियों में सही फैसला नहीं हो पाते।
- अनजाने में कार गलत लेन में जा सकती है।
- स्पीड का सही अंदाजा नहीं रहता।
- ट्रैफिक लाइट्स, सड़क के संकेत या दूसरी गाड़ियों के इंडिकेटर्स को अनदेखा कर सकते हैं।
- कुछ सेकंड्स की झपकी के दौरान कार अनियंत्रित हो सकती है।
- नींद में ड्राइविंग करने वाली कार सड़क के किनारे के पेड़ों, दीवारों या कहीं भी टकरा सकती है।

नुकसान
- जान जाने का खतरा है।
- गंभीर शारीरिक चोटें लग सकती हैं।
- कार और दूसरी संपत्ति को नुकसान पहुंच सकता है।
- नींद में ड्राइविंग करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। किसी की जान जाती है तो सजा और जुर्माना हो सकता है।
- लंबे समय तक नींद की कमी से मानसिक और शारीरिक थकावट बढ़ती है।

क्या करना है
- अगर ड्राइविंग के दौरान आंखें भारी लग रही हों, बार-बार जम्हाई आ रही हो तो तुरंत रुकें और आराम करें।
- ड्राइविंग से पहले कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
- लंबी यात्रा के दौरान हर 2 घंटे में ब्रेक लें।
- अगर थकान महसूस हो तो गाड़ी सड़क के साइड में सेफ जगह पर रोककर 15-20 मिनट की झपकी लें।

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