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गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली(त वर्ग)https://www.deshdisavar.com/?p=17781.तंग = ऊंट, घोड़े आदि का चारजामा बांधने का प...
14/07/2022

गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली(त वर्ग)
https://www.deshdisavar.com/?p=1778

1.तंग = ऊंट, घोड़े आदि का चारजामा बांधने का पट्टा।
2.तंगड़/तांगड़ = ऊंट के ऊपर बांधने वाले रस्से जिनकी सहायता से हल जोता जाता है।
3.तंगळी= नो सींगों वाली जेई/ एक कृषि उपकरण।
4.तंबोटी = तना हुआ छोटा तंबू।
5.तकाबी = पुराने जमाने में किसान से लिया जाने वाला टैक्स।
6.तगरो= खंडित घड़े का नीचे का आधा भाग।
7.तगारी= गारा -मिट्टी डालने का लोहे का बट्ठल।
8.तड़ी = वृक्ष की पतली लकड़ी।
9.तड़ीत/इडर = ऊंट के वक्ष स्थल पर पांवनुमा कठोर स्थान।
10.तणी = मंडप में बांधी जाने वाली मूंज की रस्सी/ एक दीवार से दूसरी दीवार के बीच में तानी जाने वाली रस्सी।
11.तबरक = बारूद आदि रखने की पेटी।
12.तरड़ो = पशुओं का दस्त रूप गोबर।
13.तळसीर = भूमि के अंदर स्फुटित होने वाली जलधारा।
14.तलींगण = चूल्हे आदि पर चढ़ने वाले बर्तन के बाहरी पैंदे पर किया जाने वाला मिट्टी का लेप।
15.ताकू/लाकळो = लोहे का लंबा सुईया जो चरखे के आगे लगा रहता है जिस पर सूतक काता जाता है।
16.तागड़ी= कमर में बांधने की सूत की मेखला।
17.ताट = आक की छाल की रस्सी जो लकड़ी के बांध कर घुमाने पर आवाज करती है।
18.तारी = चावलों में आलू आदि डालकर बनाई जाने वाली खिचड़ी।
19.तिबारी = तीन द्वार या खिड़कियों का खुला बरामदा अथवा कक्ष।
20.तिरणी =पेट मैं अधिक वायु या पानी पीने से होने वाला फुलाव।
21.तींवण/तीमण = बनी हुई साग- सब्जी।
22.तीण/ढाणो = कुए का पानी खाली करने का स्थान।
23.तुंजाळ = मच्छर, मक्खी आदि के बचाव के लिए घोड़े की पीठ पर डाला जाने वाला जाल।
24.तुताड़ियो = भेड़ बकरी के छोटे बच्चे को रखने का स्थान।
25.तुस = अन्न के दानों के ऊपर का छिलका/भूसी। 26.तूंतड़/तूंतड़ा = बाजरी के दानों का भूसा।
27.तेखळो/पैंखड़ो = घोड़े या गधे के दोनों पैर आगे के व एक पिछला पर बांधने की क्रिया/ ऊंट के पांव को बांधने की लोहे की सांकळ।
28.तेड़ो = खरीफ की फसल में मूंग, मोठ, बाजरी मिलाकर बोई हुयी फसल/खाद्यान्न।
29.तेहथी = बकरी के बालों का बना आंगन में बिछाने का मोटा वस्त्र।
30.तैहरू = हाथी के पीठ पर चारजामें के नीचे रखा जाने वाला वस्त्र।
31.तोबर = घोड़े को दाना खिलाने का थैला।
32.तोळो = बारहमासे का एक तौल।

33.थळियो = मरू प्रदेश या रेगिस्तान का निवासी।
34.थीमड़ो = बछड़े के मुंह पर बांधने की सूलें लगी चमड़े की पट्टी।
35.थोबो = गाय के स्तनों में बछड़े द्वारा मुंह से लिया जाने वाला झटका।
36.थोह्र = जड़ से उत्पन्न एक वनस्पति जिसके तना न होकर डंठल होते हैं और डंठलों के कांटे न होकर छोटी- छोटी पत्तियां लगती है/ नागफनी।

37.दंताळी = दांतेदार, कंगूरेदार काठ या लोहे का फावड़ा।
38.दंतुसळ = हाथी या सूअर का बाहर निकला लंबा दांत।
39.दंतेरू = बच्चों के मुंह, ललाट आदि पर होने वाला एक फोड़ा।
40.दबणो = टूटे हुए घड़े के ऊपरी भाग पर मिट्टी आदि से की लुगदी से बनाया हुआ हारे आदि को ढकने का बड़ा सा गोल पात्र।
41.दबाबो = शत्रुओं के किले में तोड़फोड़ या गुप्त चरी करने के लिए आदमी डालकर उतारने का संदूक।
42.दमड़ी = पैसे के आठवां भाग का सिक्का।
43.दरबो/दड़बो = कबूतर या मुर्गी पालने का संदूक।
44.दांती/दरांती = दांतेदार कृषि उपकरण जो, गेहूं, जौ,ज्वार,बाजरा आदि पौधों को काटने के काम आता है।
45.दांण/दांवणो = ऊंट के अगले पैरों का बंधन।
46.दांमणो/न्याणो = दुहते समय गाय के पीछे के पैर बांधने की छोटी रस्सी।
47.दाई = प्रसव कराने वाली स्त्री।
48.दिसावर = दूर का देश। 49.दुंबो = सामंतो द्वारा सरकार को दिया जाने वाला कर अथवा लूट के माल का बादशाह को दिया जाने वाला भाग।
50.दुबकी = घोड़े या गधे के अगले पांव का बंधन।
51.देसूंटो = देश निकाला।

52.धड़ी = पांच सेर का एक तौल।
53.धड़ो = किसी बर्तन में कोई वस्तु लेने के लिए उस चीज से पहले उस वस्तु को तौलना।
54.धबसो/ = दोनों हाथों की हथेलियों में समाने लायक पदार्थ।
55.धमोळी = राखी के दिन का भोजन अथवा इस दिन संबंधियों को भेजी जाने वाली मिठाई।
धरण = नाभि के नीचे की नस जो स्वांस के साथ उछलती रहती है।
56.धरोड़ = धरोहर/ अमानत/ थाति/गिरवी रखी वस्तु।
57.धाड़ो = धन-माल को ब्लात लूटना/ डाका।
58.धांसारो = झड़बेरी के सूखे कांटे जो एक बार मेंबैलगाड़ी में भरे जाएं।
59.धारो = स्त्रियों के वस्त्रों पर शोभा के लिए लगने वाली कोर, गोट/ क्यारियों में पानी देने वाला नाला।
60.धोबो = दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर बनाया जाने वाली पात्रनुमा आकृति।

61.नारू/न्हारवा = दूषित पेयजल से जांघ व पांवों में होने वाला एक रोग, जिसमें एक लंबा सफेद कीड़ा निकलता है।
62.निचारो/राखूंडो = भोजन आदि के बर्तन साफ करने मांजने का वह स्थान जिसमें राख पड़ी रहती है।
63.निकाळो = एक प्रकार का मियादी बुखार/ आंतरिक ज्वर।
64.निहाई/न्याह्ई = कुंभार के बर्तन पकाने की भट्टी।
65.नेअटो = जलाशय से अनावश्यक पानी निकालने की मोरी
66.नेफो/गुंजण = लहंगे में नाड़ा डालने का स्थान।
67.नेचो = हुक्के की निगाली।
68.नेस = ऊंट के आगे के तीखे दांत, जिससे उसकी उम्र का पता चलता है।
69.नेहड़ी = मथनी के साथ जुड़ने वाली खड़ी लकड़ी।
70.नौळी = रुपए डालकर कमर में बांधने की चमड़े आदि की थैली। अपने सुझाव/प्रतिक्रिया कॉमेंट बॉक्स में लिखें।

डॉ. भरत ओळा
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गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली
(प वर्ग)अगले अंक में

गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली(ट वर्ग)https://www.deshdisavar.com/?p=17731.टकसाळ= राज्य द्वारा प्रचलित मुद्रा, सिक्कों...
12/07/2022

गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली(ट वर्ग)
https://www.deshdisavar.com/?p=1773

1.टकसाळ= राज्य द्वारा प्रचलित मुद्रा, सिक्कों का निर्माण करने वाला कारखाना।
2.टको = दो पैसों का प्राचीन सिक्का।
3.टग = किसी चीज के सहारे के लिए लगाया जाने वाला लकड़ी आदि का स्तंभ।
4.टपोरियो = छोंक लगाया हुआ हरी मिर्च का टुकड़ा।
5.टांको = भूमि में गड्ढा बनाकर या ऊपर दीवार उठा कर बनाया हुआ जलकुंड।
6.टांड = किसी दीवार के सहारे सामान रखने के लिए लगाया जाने वाला लंबा पत्थर।
7.टांडो= बंजारे के बैलों का समूह।
8.टापर = सर्दी में पशुओं को ओढ़ाया जाने वाला मोटा वस्त्र।
9.टीपणो = पतड़ो,पंचांग।
10.टीपरियो/मिरियो/पळियो = घी,तेल, दूध आदि लेने का उपकरण जिसमें बड़ा डंडा लगा होता है।
11.टूणो = टोटके का एक प्रकार।
12.टैणियो = धातु का चौड़े मुंह वाला बड़ा धामा/एक बर्तन।
13.टोकणी/टोकणो = पीतल या धातु का बना घड़ेनुमा बर्तन।
14.टोवण = ऊंट के नाक में लगे नकतोरण से बंधा सूत का फंदा।

15.ठवणी = पढ़ने हेतु पुस्तक रखने का काठ का उपकरण।
16.ठांगर = सुगमता से दूध न देने वाली गाय।
17.ठांण = मवेशियों को चारा खिलाने का काठ या मिट्टी का बना बड़ा सा पत्र अथवा स्थान।
18.ठांमड़ी = कुए पर लगे हुए भूण (चक्र) की गति को नियंत्रित करने की रस्सी।
19.ठाटो/ठाठियो = कागजों की लुगदी से बना धामेनुमा पात्र।
20.ठूंग = शराब के साथ खाया जाने वाला चुर्बन।
21.ठूंगार = भांग के नशे को शांत करने के लिए खाया जाने वाला खाद्य पदार्थ/ शराब के साथ खाया जाने
वाला चुर्बन।
22.ठूंगो = कागज से बना सामान डालने का लिफाफा।

23.डांजी = रेगिस्तान की खुली भूमि जहां पेड़ पौधे आदि कुछ न हो।
24.डांफर = शीत काल में चलने वाली तेज बर्फीली हवा। 25.डांम= तपी हुई सलाई से किसी प्राणी के शरीर पर लगाया जाने वाला दाग।
26.डागळो = मकान की छत के ऊपर का आंगन।
27.डाफी= अति शीघ्रता से पानी पीने के कारण पेट में बना वायु का गोला।
28.डींगरो = लकड़ी के एक सिरे में छेद कर उसमें रस्सी बांधकर उत्पाती पशु के गले में लटकाया जाने वाला
मोटी लकड़ी का घोटा।
29.डोई = खिचड़ी आदि डालने की काठ की कुरछी।
डूंखळो = खलिहान में पड़ा वह भूस्सा जिसमें 30.थोड़ा-थोड़ा अनाज बचा हो।
31.डोको = जवार, बाजरी के पौधे का डंठल।
32.डोगो= मधुर स्वर वाला एक तार वाद्य विशेष।

33.ढींचाळ/ढांचियो = ऊँट से पानी ढोने का काठ का उपकरण।
34.ढीकली = पत्थर फेंकने का तोपनुमा प्राचीन यंत्र।
35.ढाणो = कुए से बाहर आते चड़स को पकड़ने का स्थान।
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गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली(च वर्ग)https://www.deshdisavar.com/?p=17671.चंदवो = देवी- देवता या राजा- महाराजाओं के स...
06/07/2022

गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली(च वर्ग)
https://www.deshdisavar.com/?p=1767

1.चंदवो = देवी- देवता या राजा- महाराजाओं के सिंहासन के ऊपर तना रहने वाला छोटा मंडप।
2.चड़स = कुवे से पानी निकालने का चमड़े या लोहे का बड़ा पात्र।
3.चणक = शरीर के किसी भाग में पड़ने वाली मोच,एंठन।
4.चमजूं = शरीर के बालों की जड़ों में उत्पन्न होने वाला एक छोटा कीड़ा।
5.चमू = हाथी, रथ,अश्वरोही तथा पैदल सिपाहियों युक्त बड़ी सेना।
6.चरकचूंड़ी = एकल लट्ठ पर चूं-चूं करके गोल घूमने वाला एकल लट्ठ का झूला।
7.चरभर = एक देसी खेल जो कंकड़ों से खेला जाता है, जिसकी चालें शतरंज की भांति चली जाती हैं।
8.चरी = मवेशियों के चरने के लिए छोड़ी गई जमीन।
9.चांगल्यो = मिट्टी के बर्तनों में तैयार की हुई वैधानिक शराब।
10.चांचड़ = परिपक्व अवस्था में बाजरी के ऊपर बाल या भूसा।
11.चांदोड़ी = मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह द्वितीय के समय प्रचलित एक सिक्का।
12.चापड़/छांणस = अनाज पीसकर छानने से निकलने वाला भूसा।
13.चीड = ऊंट का मूत्र।
14.चींचड़ = पशुओं के शरीर में चिपक कर रक्त पीने वाला कीड़ा।
15.चींण/गूंजण = लहंगे के ऊपर की पट्टी जिसमें नाड़ा डाला जाता है।
16.चीस= पेडू में होने वाला तीखा दर्द।
17.चुरठ = एक प्रकार की चिल्म जिसमें तंबाकू भरकर बीड़ी की तरह पीया जाता है।
18.चुंठियो = अंगूठे और तर्जनी की नोक से चमड़ी पकड़ कर काटने वाली चिकोटी।
19.चूंटियो = मक्खन।
20.चूंडो = ग्रामीण स्त्रियों का सिर पर धारण विशेष केश श्रृंगार।
21.चूळ = अन्य लकड़ी में फंसाने के लिए निकाला हुआ लकड़ी का साल, जिस पर दरवाजे के किवाड़ आदि रखे जाते हैं।
22.चोपड़ो = मांगलिक अवसरों पर तिलक के लिए रोली और चावल डालने का लकड़ी या चांदी का बना विशेष आकृति बर्तन।
23.चौखट = चार मोटी लकड़ियों का ढांचा जिसमें कपाट के पल्ले अटकाए जाते हैं।
24.चौतीणो = चार मोट या चार रहट एक साथ चलने लायक बड़ा कुआं।
25.चौसंगी = चार सींगों वाला जेई नुमा कृषि उपकरण।

26.छंवरिया/छींवर = कड़बी/ ज्वार के पुआलों आदि का जचाया हुआ ढेर।
27.छकीयार = मध्यान्ह के समय में खेत में भोजन लाने वाला।
28.छटांक = सेर का सोहलवां भाग/टोल विशेष।
29.छठूंद = खेती के छठे हिस्से का लगान जो राजाओं द्वारा किसानों से लिया जाता था।
30.छ्णारी= चूल्हे के पास उपले रखने का स्थान।
31.छदांम = पैसे का चौथा भाग/ पुराना तोल।
32.छ्दांमी = एक रुपए पर छदांम की दर से लिया जाने वाला एक रियासती कर।
33.छळो= घोड़े,गधे का पेशाब/ दाह संस्कार की अग्नि।
34.छाक = खेतों में भेजा जाने वाला दोपहर का भोजन/ बरात को दिया जाने वाला विशेष भोजन/ शराब का प्याला।
35.छागळ = यात्रा के दौरान साथ रखने का चमड़े या तिरपाल का बना जल पात्र।
36.छाज/छालो/छाजलो = अनाज फटकने का पात्र।
37.छाटी/बोरो = बकरी/ऊंट के बालों का बना मोटा थैला जिसमें सामान भरकर ऊंट पर लादा जाता है।
38.छान = कच्चे छाजन वाला कक्ष।
39.छावो = नाहर का बच्चा।
40.छिगांस = गाय का मूत्र।
41.छिम = आंखों के काले कौवे पर दिखने वाला सफेद दाग।
42.छींकी/छींको = गाय, भैंस, बकरी या शीतकाल में मद चढ़े ऊंट के मुंह पर बांधी जाने वाली जाली।
43.छूंग = मवेशियों का समूह।
44.छेड़ू = मक्खन को गर्म करने के बाद लस्सी युक्त बचा हुआ खाद्य।
45.छोत = छूत से पैदा होने वाला विकार/दोष।

46.जुंहारी = विदाई के वक्त मांगलिक टीका निकालकर दामाद को दिए जाने वाले पैसे।
47.जजायळ = ऊंट पर लादकर चलाई जाने वाली बड़ी बंदूक।
48.जरी = वस्त्रों में लगने वाले सोने चांदी आदि के चमकीले तार।
49.जरीब = भूमि नापने की जंजीर।
50.जळेब = राजा की सवारी निकलते समय रास्ते के इर्द-गिर्द लगाया जाने वाला मोटा रस्सा।
51.जळेरी = चंद्रमा के चारों ओर बनने वाला वृत।
52.जांगड़ा = वीर रस पूर्ण एक राग।
53 जादरियो = गेहूं या चने के कच्चे दानों का हलवा।
54.जीबरखो = बड़े दुर्गों की रक्षार्थ चारों ओर बने छोटे-छोटे दुर्गों में से एक।
55.जामण = दूध जमाने के लिए उस में डाली जाने वाली छाछ या खटाई।
56.जाळिया/पिल्लू = जाल वृक्ष के फल।
57.जीसा = पिता, पिता के बड़े भाई के लिए उच्चारण किया जाने वाला सम्मान सूचक शब्द।
58.जुओ = हल,कोल्हू आदि का वह भाग जिसमें बैल जोते जाते हैं/ एक द्युत खेल।
59.जूं = मैल व पसीने से बालों में उत्पन्न होने वाला एक कीड़ा जो कपड़ों में भी फैल जाता है।
60.जेई = मोटी लकड़ी के एक सिरे पर लकड़ी के दो सींग बनाकर बनाया हुआ कृषि उपकरण।
61.जेट = चने आदि की कटी फसल की खेत में जगह जगह बनाई गई गड्डियां।
62.जेर = गर्भस्थ शिशु पर रहने वाली झिल्ली।
63.जेरबंद = घोड़े के पिछले पांव में बांधा जाने वाला कपड़े या चमड़े का तस्मा।

46.जुंहारी = विदाई के वक्त मांगलिक टीका निकालकर दामाद को दिए जाने वाले पैसे।
47.जजायळ = ऊंट पर लादकर चलाई जाने वाली बड़ी बंदूक।
48.जरी = वस्त्रों में लगने वाले सोने चांदी आदि के चमकीले तार।
49.जरीब = भूमि नापने की जंजीर।
50.जळेब = राजा की सवारी निकलते समय रास्ते के इर्द-गिर्द लगाया जाने वाला मोटा रस्सा।
51.जळेरी = चंद्रमा के चारों ओर बनने वाला वृत।
52.जांगड़ा = वीर रस पूर्ण एक राग।
53 जादरियो = गेहूं या चने के कच्चे दानों का हलवा।
54.जीबरखो = बड़े दुर्गों की रक्षार्थ चारों ओर बने छोटे-छोटे दुर्गों में से एक।
55.जामण = दूध जमाने के लिए उस में डाली जाने वाली छाछ या खटाई।
56.जाळिया/पिल्लू = जाल वृक्ष के फल।
57.जीसा = पिता, पिता के बड़े भाई के लिए उच्चारण किया जाने वाला सम्मान सूचक शब्द।
58.जुओ = हल,कोल्हू आदि का वह भाग जिसमें बैल जोते जाते हैं/ एक द्युत खेल।
59.जूं = मैल व पसीने से बालों में उत्पन्न होने वाला एक कीड़ा जो कपड़ों में भी फैल जाता है।
60.जेई = मोटी लकड़ी के एक सिरे पर लकड़ी के दो सींग बनाकर बनाया हुआ कृषि उपकरण।
61.जेट = चने आदि की कटी फसल की खेत में जगह जगह बनाई गई गड्डियां।
62.जेर = गर्भस्थ शिशु पर रहने वाली झिल्ली।
63.जेरबंद = घोड़े के पिछले पांव में बांधा जाने वाला कपड़े या चमड़े का तस्मा।

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गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली(क वर्ग)https://www.deshdisavar.com/?p=17601.कंकेड़ो = कांटेदार रेगिस्तानी वृक्ष।2.कंटाळि...
03/06/2022

गृहस्थी,खेती,पशु व निजू शब्दावली(क वर्ग)
https://www.deshdisavar.com/?p=1760

1.कंकेड़ो = कांटेदार रेगिस्तानी वृक्ष।
2.कंटाळियो = ऊंट का चार जामा विशेष जो बोझा लादने के समय उपयोग में लिया जाता है।
3.कंटाळी = एक प्रकार की वनस्पति।
4.कंतेर = खलिहान में पड़ा रहने वाला भूसा।
5.कंथड़ी = चिथड़ों को जोड़कर बनाया हुआ पहनने का वस्त्र।
6.कूंद = गोल लकड़ी के बने चक्र पर लंबा पड़ा रहने वाला लट्ठा, जिसके एक सिरे पर बैल जोतते हैं।
7.कऊ = सर्दी में तपने के लिए जलाया जाने वाला पुवाल।
8.कड़च = पहाड़ों की तलहटी के पास की जमीन।
9.कड़पो = खेत में काम करने वाले मजदूरों को दिया जाने वाला गेहूं का पूआल।
10.कड़ब/कड़बी = ज्वार या बाजरे का पौधा जिस पर से अनाज की बाल काट दी गई हो, जो पशुओं के चारे के रूप में काम में लिया जाता है।
11.कड़ी = छत पर लगाया जाने वाला मोटा-लम्बा काठ। एक गहना
12.कड़ै/माकड़ै = मस्ती में आए हुए ऊँट का पेशाब करते समय पूंछ झटकना।
13.कटकियो = गांव-गांव फिर कर फुटकर व्यापार करने वाला बिसाती।
14.कटखड़ी = कुवे से पानी निकालने का काठ का पात्र।
15.कटड़ियो/काटड़ो/पाडो = भैंस का बच्चा।
16.कटहड़ो = हाथी के पीठ पर रखा जाने वाला काठ का चार जामा।
17.कढावणी = मिट्टी की हांडी जिसमें उबलने के लिए दूध चढ़ाया जाता है।
18.कणवारियो = राज के समय खेती की पैदावार की वसूली करने वाला एक कर्मचारी।
19.कणसारो = गोबर व बांस की खपचियों का बना अनाज भरने का कोठा।
20.कठाई/कोडी =होठों व दांतों पर जमने वाला मैल।
21.कणियो = पतंग की खड़ी खपची में बांधकर त्रिकोण बनाने वाला डोरा।
22.कतारियो = ऊंटों के काफिले से सामान ढोने वाला व्यक्ति।
23.कथीर = बर्तनों पर कलई करने का एक सफेद नर्म धातु।
24.कन्यावळ = कन्या के विवाह के दिन घर के बड़े -बुजुर्ग द्वारा रखा जाने वाला व्रत।
25.कपणियो = दीपक की लौ से काजल बनाने का मिट्टी का बना उपकरण।
26.कमरी = ऊंट का एक प्रकार का वात रोग/
थर्राते हुए बैठने वाला ऊंट।
27.कमाद = गन्ने की फसल।
28.करबो = छाछ या दही में उबले हुए चावल डालकर बनाया जाने वाला पदार्थ।
29.कराळी/करावो/गोड़ी = भूमि को समतल बनाने का उपकरण।
30.कलाहक = युद्ध के समय बजाया जाने वाला बाजा।
31.कळण = बड़े -पकोड़े बनाने हेतु मूंग- मोठ आदि को भिगोकर बनाई हुई चटनी।
32.कळपो = फसल युक्त जोती हुई भूमि में से बैल जोत कर घास काटने का उपकरण।
33.कळी = एक विशेष प्रकार का हुक्का/ चूने से बनाई हुई सफेदी।
34.कसार = थोड़े से घी में भुने आटे में गुड़ या चीनी मिलाकर बनाया हुआ खाद्य पदार्थ।
35.कांकड़ = गांव की सीमा
36.कांकरी =कठोर मिट्टी का छोटा कंकड़।
37.कांकरो =कठोर मिट्टी का बड़ा कंकड़।
38.कांगरो = औढ़ने के अग्रभाग पर लगाई जाने वाली बड़ी पट्टी
39.कांगसी/कांगसियो = केश संवारने की कंघी,कंघा।
40.कांचळी = सांप की केंचुली/ औरतों के पहनने का एक वस्त्र।
41.कांदो =प्याज।
42.कांप = तालाब आदि का पानी सूखने के बाद जमने वाली गीली पपड़ी।
43.कांस = एक ऊंचा लंबा खराब घास जो खत्म होने में ही नहीं आता।
44.कामड़ी =छोटी लाठी।
45.कामड़ो = पतली लम्बी लाठी।
46.काठकोरड़ो = अपराधियों को दंड देने का काठ का यंत्र।
47.कातर = कपड़े की कतरन
48.कातरो = खरीफ की फसल के समय उत्पन्न होने वाला कीड़ा जो फसल को खा खाकर हानि पहुंचाता है।
49.काहल = युद्ध में बजने वाला ढोल।
50.किसारी= घरों और खेतों में पाया जाने वाला एक जीव जो रात को चीं-चीं की आवाज करके बोलता है/ झींगुर।
51.कुंडाळो = सूर्य के इर्द गिर्द बना वृत ,जो वर्षा या वायु का सूचक माना जाता है।
52.केंगार = मोर के बोलने की आवाज।
53.कुड़/कुड़को = हरिण पकड़ने का लोहे का यंत्र।
54.कुड़णो = पकी फसल का अत्यधिक सूख जाना।
55.कुठार = मुश्किल से दूध देने वाली गाय, भैंस।
56.कुतर = ज्वार बाजरी के पुवालों के कटे हुए टुकड़े, जो पशुओं को खाने हेतु दिए जाते हैं।
57.कुरकरी = लाव के छोर पर लगाई जाने वाली वह कील जो लाव को बैलों के जुए से जोड़ती है।
58.कुश/स्यारो/हळबेणी/फाळी = लोहे का लंबा नुकीला कीला जो हल के अग्रभाग में लगता है।
59.कूंचळा = दाढ़ एवं दांतो के बीच के नुकीले दांत।
60.कैजम्म = युद्ध के समय घोड़े को धारण कराया जाने वाला कवच या पाखर।
61.कोठो = घर के अंदर का कमरा/वेश्यालय।
62.कोरमो = चने का मोटा पीसा हुआ चूरा जो पशुओं को खिलाने में काम में लिया जाता है।
63.कोस = प्राय: दो मील की दूरी का नाप।
64.कौड़ी = सबसे कम मूल्य का एक प्राचीन सिक्का।

65.खरखरियो = बिना मजदूरी लिए केवल भोजन के लिए जागीरदार के खेतों में काम करने वाला व्यक्ति।
66.खरळ = औषधियां कूटने की पत्थर आदि की नावनुमा कुंडी।
67.खळो = खलियान,खलिहान में पड़ा हुआ अनाज।
68.खाखरो = चना या मोठ की बेहद पतली रोटी।
69.खारियो = पशुओं के को घास डालने का टोकरा।
70.खाळो = खेतों में सिंचाई करने के लिए बनाया गया कच्चा- पक्का नाला।
71.खीस = गाय या भैंस का प्रथम बार का उबलकर फटा हुआ दूध।
72.खुरचण = भोजन का वह अंश जो बर्तन के चिपका रह जाता है और जिसे खुर्च कर उतारा जाता है।
73.खुर्रो = पशुओं की पीठ से मैल उतारने का उपकरण।
74.खेलरी = काकड़िए को काटकर छुपाया हुआ कड़ा।
75.खेस/खेसलो = सूत का बना चद्दर की तरह का ओढ़ने का वस्त्र।
76..खोखा = खेजड़ी वृक्ष का पका फल।
77.खोटण = बाजरी आदि की बालियों को कूटकर अनाज निकालने का मोटा डंडा।
78.खोबा= हाथ से की गई मोटी सिलाई।
79.खोरो =बालों में जमनेवाली रूंसी।
80.खोळीड़ो/बीजोळियो = बीज की थैली जो बिजाई के वक्त किसान की कमर में बंधी रहती है।
81.खुडी = कच्ची दीवारों का छान डाला हुआ छपरा।
82.खूंसड़ो = फटा पुराना जूता।
83.खोड़ = सुनसान रोही।

84.गंजी = कपड़े की सिली हुई बनियान
85.गंडासी = झाड़ी आदि काटने का लोहे का फरसानुमा उपकरण।
86.गरगज = किले की बुर्ज जहां तोपें रहती हैं।
87.गरड़ू/गरेड़ो = खेजड़ी की टहनियों की ग्रंथि।
88.गळतंग = पिलाण कसने के लिए ऊँट के गले में बाधा जाने वाला तंग।
89.गल्लो = दुकानदार की पैसा रखने की पेटी।
90.गळांवंडो = पशुओं के गले में बंधी हुई रस्सी।
91.गवाड़ी = मकानों के सामने या बीच का खुला हुआ भाग।
92.गांगळी/आंधळी = सावण या आषाढ़ मास में चलने वाली दक्षिण पश्चिम की हवा।
93.गाडूलो = तीन पहियों का बच्चों का खिलौना जिसके सहारे बच्चा चलना सीखता है।
94.गाडो = ऊंट के पीछे जोड़ी जाने वाली दूपहिया गाड़ी।
95.गामेठ = मोहल्ले में एकत्र होकर बहने वाला वर्षा का पानी।
96.गारड़ू = सांप का जहर उतारने वाला/ जिस पर जहर का असर न हो।
97.गुज्जी = छाछ में दूध मिला पेय जिसके साथ भोजन किया जाता है।
98.गुल्ली = चार-पांच इंच की काठ की किल्ली जिसे डंडे से खेला जाता है।
99.गूगरी/घूघरी = गेहूं या बाजरे के उबले दाने जिसमें गुड़ शक्कर आदि मिलाकर मांगलिक अवसरों पर बांटा जाता है।
100.गूणियो = पीतल का छोटी टोकणीनुमा बर्तन जो दूध और घी के लिए काम में लिया जाता है।
101.गूणो = मूंग, मोठ,चने आदि के सुख के डंठल।
102.गेगरी/घेघरी/साट = चने के पौधे पर लगने वाला कच्चा फल जिसमें दाने पड़ते हैं।
103.गोदल = रहट में लगा मोटा लट्ठ जिसके एक सिरे पर बैठकर बैल हांके जाते हैं।
104.गोफण/गोफियो = चमड़े या गूंथे हुए सूत की दो छोटी रस्सियों के बीच बनी सांप के फन जैसी पट्टी, जिस पर छोटा पत्थर रखकर घुमा कर फेंका जाता है। यह फसल की रखवाली के काम आता है।
105.गोयड़ = पशुओं का खून चूसने वाला चींचड़ से बड़ा परजीवी।
106.गोरबंद = ऊँट के गले का का आभूषण विशेष/ एक लोकगीत।
107.गोळालाठी = दोनों हाथों को पांव से बांधकर बीच में लकड़ी फंसा कर दिया जाने वाला कठोर दंड।

108.घांणी = तेल निकालने का कोल्हू।
109.घटोलियो/घटुलियो = छोटी चक्की।
110.घाघड़ा = खट्टे बेर।
111.घाम= तेज चिलचिलाती धूप।
112.घासियो = फटी बोरी का टुकड़ा, ऊँट के पलाण के नीचे लगाई जाने वाली गद्दी।
113..घिलोड़ी/तावणियो = घी रखने का छोटा पात्र।
114.धींसोड़ी/फट्टो = खेत को समतल करने का फट्टा जो ऊंट या बैल पीछे जोड़कर चलाया जाता है।
115.घेसळो =आगे से मोटा पीछे से पतला मुगदर नुमा लट्ठ।
116..घोबा = आंख और सिर के बीच होने वाला दर्द। च वर्ग की शब्दावली अगले अंक में-
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डॉ. भरत ओला
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राजस्थानी रीति रिवाजों की शब्दावली (स वर्ग)https://www.deshdisavar.com/?p=17571.संथारो = जैन संप्रदाय के अनुसार मृत्यु क...
30/05/2022

राजस्थानी रीति रिवाजों की शब्दावली (स वर्ग)
https://www.deshdisavar.com/?p=1757

1.संथारो = जैन संप्रदाय के अनुसार मृत्यु को नजदीक देख माया और ममता के साथ साथ खाना पीना छोड़ कर मृत्यु का वरण।
2.सकरांत = मकर सक्रांति का पर्व।
2.सगाई = कन्या के पिता द्वारा नारियल आदि भेचकर संबंध पक्का करने की रस्म/ मंगनी।
3.सगो-सगी = बेटा या बेटी के ससुराल वाले/ समधी।
5.सतवाड़ो = प्रसव के सातवें दिन प्रसूता का समान या संस्कार।
6.सधवार = गर्भवती स्त्री को गर्भ के सातवें मास में दिया जाने वाला उपहार।
7.सनेसरियो = शनि देव को पूजा करके उसके नाम पर दान लेने वाला व्यक्ति।
8.समेळो = बरात आगमन के तुरंत बाद कन्या पक्ष की ओर से नारियल आदि की दक्षिणा से दूल्हे के आदर सत्कार की एक रस्म।
9.साई = खरीद की जाने वाली जमीन, वस्तु आदि की कीमत का वह अंश जो सौदा तय हो जाने पर अग्रिम दिया जाता है/ पेशगी।
10.सात्यो = ससुराल से पीहर या पीहर से ससुराल आते जाते समय बहन बेटी द्वारा घर की दहलीज पर अंकित की जाने वाली कुमकुम की सात बिंदुओं का समूह।
11.सावड़ = मातृभूमि कृषि की अधिष्ठात्री एक देवी/ फसल काटते समय सांड,बहन-बेटी आदि के लिए छोड़ा जाने वाला फसल का भाग/ फसल बोते समय किसानों द्वारा अन्न की देवी स्यावड़ की स्तुति।
12.सावो = विवाह का शुभ मुहूर्त/ पाणिग्रहण संस्कार की तिथि व समय निश्चित कर कन्या पक्ष की ओर से वर पक्ष को भेजे जाने वाला निमंत्रण।
13.सासूबाड़ो = दहेज के समय कन्या पक्ष की ओर से वर की माता को दी जाने वाली पोशाक।
14.सिंझारो/सुंधारो = श्रावण कृष्णा तृतीया के पर्व से पूर्व कन्या या वधू के लिए भेजा जाने वाला सामान।
15..सिरपाव = सिर से पांव तक पहनने के वस्त्र आदि जो राजा बादशाह द्वारा सम्मान में दिए जाते थे।
16..सिरै रो कुरब = जोधपुर महाराज द्वारा अपने सामंतों को दिया जाने वाला सम्मान।
17.सीख = बहन बेटी या दामाद को विदाई के समय दिया जाने वाला द्रव्यादि/एक लोकगीत।
18.सीरणी = किसी गुरु या इष्ट को मानकर चढ़ाया जाने वाला प्रसाद।
19.सीळीसातम/बासीड़ा = चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी जिस दिन शीतला देवी की पूजा होती है।
20.सुदाय = यज्ञोपवीत संस्कार के लिए प्रस्तुत ब्रह्मचारी को दी जाने वाली भिक्षा।
21.सुहागथाळ = भोजन का थाल जिसमें कुछ सुहागिन स्त्रियां नवागंतुक वधू के साथ भोजन करती हैँ।
22.सुहागबीड़ो = दूल्हे के स्वागत के समय वधू पक्ष की स्त्रियों द्वारा दी जाने वाली पान की गिलोरी।
23.सूंखड़ी = खलिहान से ब्राह्मण, साधू आदि को दिया जाने वाला अनाज।
24.सूंज = विवाह के समय तथा प्रथम प्रसव के बाद विदाई के समय लड़की को दिया जाने वाला वस्त्र आभूषण आदि।
25.सूतक = प्रसूता अवधि/ मृत्यु के कारण होने वाला है अशोच।
26.सूतकाळो = किसी की मृत्यु के नौवें दिन परिवार एवं संबंधियों द्वारा किया जाने वाला सामूहिक स्नान।
27.सेवरो = विवाह के समय सिर पर बांधा जाने वाला सेहरा/ विवाह की एक रस्म जो विवाह मंडप में कन्या के भाई या मामा द्वारा वर के सामने की जाती है।
28.सोट = गोडवाड़ में बच्चे के जन्म के बाद प्रथम होली पर बांटा जाने वाला एक प्रकार का खाजा।
29.सोभाड = वह स्त्री या कन्या जो किसी विवाहित कन्या के प्रथम बार ससुराल जाते समय साथ भेजा जाता है।
30.सोगाळो = मेवाड़ में मृतक के पीछे की जाने वाली एक रस्म।
31.हंतकार = पितरों के उद्देश्य से ब्राह्मण आदि को दी जाने वाली रोटी।
32.हथळेवो = विवाह में वधू का हाथ वर के हाथ में पकड़ने की एक रस्म/ पाणिग्रहण संस्कार।
33.हलांणो = प्रथम प्रसव के बाद कन्या को दिया जाने वाला सामान व विदाई।
34.हांती = विवाह एवं पर्व आदि विशिष्ट अवसरों पर बने भोजन विशेष का अंश जो संबंधियों व मिलने वालों के घर बांटा जाता है।
35.हीड़ = दीपावली की संध्या को बच्चों द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव।
36.हूंडी = सेठ साहूकार या व्यापारियों द्वारा लिखा जाने वाला भुगतान पत्र
-अपने सुझाव/प्रतिक्रिया कॉमेंट बॉक्स में लिखें। - घर-गृहस्थी,खान-पान,पहनावा शब्दावली अगले अंक में

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राजस्थानी रीति रिवाजों की शब्दावली (य वर्ग)https://www.deshdisavar.com/?p=17551.रखपूनम = श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया ...
30/05/2022

राजस्थानी रीति रिवाजों की शब्दावली (य वर्ग)
https://www.deshdisavar.com/?p=1755

1.रखपूनम = श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाने वाला त्यौहार।
2.रातीजगो = मांगलिक अवसरों पर रात में देवी देवताओं के गीत गाते हुए रात्रि जागरण।
3.रोळी = हल्दी और चूने के योग से बना पदार्थ जो मांगलिक अवसरों में काम आता है/ गेहूं की फसल का एक रोग।
4.लंगूरी = चोरी हुए पशु को ढूंढ कर लाने पर दिया जाने वाला पुरस्कार।
5.लाजू-काजू = बरात की सूचना कन्या पक्ष को देने वाले को दिया जाने वाला पुरस्कार।
6.लार = किसान के खलिहान में उसके हिस्से से ली जाने वाली एक लाग।
7.लारवाळ = विधवा स्त्री की संतान जो पुनर्विवाह के समय उसके साथ रहे।
8.लोड़ी तीज = सावन सुदी तीज को औरतों द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार।
9.व़री/बरी = विवाह के समय वर पक्ष की ओर से वधू के लिए भेजी जाने वाली पोशाक।
10.वयांणो = विवाह के प्रातः कालीन मांगलिक गीत गाने वाली स्त्रियों को दी जाने वाली मिठाई।
11.वरसोह = विवाह के समय दूल्हा दुल्हन के चेहरे पर आने वाली कांति।
12.व़रोठी/बरोठी = वर पक्ष द्वारा किया जाने वाला प्रति भोज।
13.वाट बागो = विवाह मंडप में अग्नि परिक्रमा के पश्चात कन्या को पहनाई जाने वाली पोशाक।
14.वारणी-फेरणी = सगाई के वक्त लड़के के संबंधियों और द्वारा दिया जाने वाला धन/ नाचने वाली स्त्री पर पैसे वारने की क्रिया।
15.वारो = तीज के पर्व पर लड़की के पिता द्वारा उसके ससुराल भेजी जाने वाली मिठाई।
16.वासीवड़ = मृतक के बारहवें दिन स्त्रियों द्वारा प्रातः काल किया जाने वाला रुदन।
17.विड़द विनायक = मांगलिक कार्य आरंभ के समय प्रथम पूजे जाने या स्थापित किए जाने वाले गणेश।
18.वींदड़ी = विवाह आदि मांगलिक कार्यों का निमंत्रण पत्र।
19.वींदोळी = दूल्हे दुल्हन की जूती।
20.वैकूंठी = मंदिरनुमा पालकी में गाजे-बाजे के साथ मृतक की शव यात्रा।
……शेष अगले अंक में।
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राजस्थानी रीति-रिवाजों की शब्दावली (प वर्ग)https://www.deshdisavar.com/?p=17441.पंचकंवळ = कुत्ते आदि के लिए निकाले जाने ...
25/05/2022

राजस्थानी रीति-रिवाजों की शब्दावली (प वर्ग)
https://www.deshdisavar.com/?p=1744

1.पंचकंवळ = कुत्ते आदि के लिए निकाले जाने वाला ग्रास।
2.पंचकेस = यज्ञोपवीत संस्कार में बटुक के सिर में रखी जाने वाली पांच शिखाएं।
3.पंचपीर = पांच लोक देवता यथा पाबू, हड़बू, रामदेव, मांगळिया मेहा और गोगादेव।
4.पंचवाणी = कबीर, दादू, हरिदास, रामदास, दयालदास की वाणियां।
5.पंटतरड़ = पाट बैठते समय और औढ़ाई जाने वाली चादर।
6.पंथवारी = तीर्थ यात्रियों की याद में बोए जाने वाले गेहूं जौ आदि।
7.पगधोई = शादी के अवसर पर वर के पिता के पांव धोने की एक प्रथा।
8.पगपडण = वधू द्वारा बड़ी बूढ़ियों के चरण स्पर्श की एक प्रथा।
9.पगल्यो = किसी देवता या पीर के सोने चांदी या पत्थर आदि पर खुदे पद चिन्ह।
10.पगपांवडा = किसी का स्वागत करने के लिए रास्ते में बिछाया जाने वाला वस्त्र।
11.पड़/फड़ = कपड़े पर चित्रित किसी लोक नायक का जीवन चरित्र।
12.पड़जान = गांव या नगर के बाहर कन्या पक्ष की ओर से की जाने वाली बारात की अगवानी।
13.पड़दायत = पर्दे में रहने वाली स्त्री/ राजा या सामंतों की उप पत्नी/ रखैल।
14.पटरंगणा = विवाह उपरांत वर वधू को खेलाया जाने वाला एक खेल।
15.पटियार = विवाह योग्य कन्या को पाट पर बैठने की प्रथा।
16.पट्टाबींटी = पाणिग्रहण से पूर्व वर की ओर से वधू को पहनाई जाने वाली मुद्रिका।
17.पड़गौरव = विवाह उपरांत वधू पक्ष की ओर से श्रीमाली ब्राह्मणों को दिया जाने वाला भोज।
18.पधरावणी = किसी महंत को घर बुला कर दी जाने वाली भेंट।
19.परछन = तोरण पर आए दूल्हे का स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला स्वागत।
20.परूसो = आमंत्रित व्यक्ति के न आ सकने की दशा में उनके घर भेजा जाने वाला भोजन या थाल।
21.पला = मृतक के पीछे रुदन के साथ गाया जाने वाला बिरह गीत।
22.पसायत = सेवा या नौकरी के बदले दी जाने वाली भूमि या जागीर।
23.पहरावणी = विवाह के बाद विदाई के समय कन्या के पिता की ओर से दिया जाने वाला वस्त्र आदि/वृद्ध
मृतक के पीछे उसकी संतान को उसके ससुराल पक्ष द्वारा दी जाने वाली वस्त्र आदि भेंट।
24.पांचको = प्रसव के पांचवें दिन किया जाने वाला संस्कार।
25.पाणिग्रहण = वर द्वारा कन्या का हाथ थाम कर ग्रहण करने की क्रिया।
26.पांभड़ी = दुल्हन को विवाह मंडप में औढ़ाने का वस्त्र।
27.पागड़ाछांक = बरात प्रस्थान के समय मेहमानों से की जाने वाली शराब की मनुहार।
28.पारणो = व्रत के दूसरे दिन किया जाने वाला भोजन/ तत संबंधी कृत्य।
28.पिट्ठी = शरीर की त्वचा को कोमल व सुंदर बनाने का एक उबटन विशेष /विवाह के समय ऐसा उबटने की
रस्म।
29.पुंसवन = गर्भाधान के तीसरे माह में किया जाने वाला एक संस्कार।
30.पुष्णट्ठा = जैनियों के मतानुसार मृत्यु भोज का भोजन लेने से होने वाला दोष।
31.पुरणाई = मांगलिक अवसरों पर गोबर आदि से आंगन लेपने की क्रिया।
32.पैसारो = विवाह उपरांत दूल्हा दुल्हन के गृह प्रवेश की रस्म विशेष।
33.पोहल = गुरु नानक की वाणी सुनने के बाद पिलाया जाने वाला शरबत।
34.फाग = होली के अवसर पर रंग आदि से खेलने का खेल।
35.फातड़ो = किन्नरों के साथ रहने व लाग वसूल करने वाला व्यक्ति।
36.फूहली = बहन की राखी प्राप्त होने पर भाई द्वारा बहन को भेजी जाने वाली पोशाक।
37.फूलेरी = विवाहित कन्या के प्रथम राजोदर्शन शुद्धि पर उसकी माता द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव।
38.फैंटो = कमर पर लपेट कर बांधने के वस्त्र का छोर/ दूल्हे की कमर पर बांधने का वस्त्र।
39.फेरा = विवाह के समय होने वाली भंवरी या अग्नि परिक्रमा।
40.बंदोळी = विवाह के पहले दिन की संध्या को होने वाला उत्सव।
41.बंदोरो/बंदोळो = विवाह के पूर्व वाले दिनों में ईस्ट मित्रों या सगे संबंधियों द्वारा दूल्हे या दुल्हन को दिया जाने वाला भोज एवं शोभायात्रा।
42.बड़ो = गरासिया जाति का मृतक के पीछे किया जाने वाला भोज।
43.बडहार = विवाह के समय का विशेष भोज।
44.बडोवेस/बरी = विवाह के समय वधू के लिए बनाई गई विशिष्ट पोशाक।
45.बराड़ = गांव के हर घर से लिया जाने वाला चंदा।
46.बरोटी = विवाह के बाद वधू के स्वागत में किया जाने वाला भोज/ बहु बंदळी
47.बळांणो = राजकीय खर्च या राजा की इच्छा तक किसी को सवारी के लिए दिया जाने वाला घोड़ा।
48.बांद /बान= दूल्हे दुल्हन को इष्ट मित्रों, सगे संबंधियों द्वारा भेंट किया जाने वाला द्रव्य।
49.बाईबराड़ = राजकुमारी के विवाह पर प्रजा से लिया जाने वाला कर।
50.बार = मृतक के पीछे किया जाने वाला रुदन।
51.बार रुकाई = बारात प्रस्थान के वक्त बहन द्वारा भाई का रास्ता रोकने की एक रस्म और उसको दिया जाने
वाला धन।
52.बारह हजारी= शहजादे को दिया जाने वाला एक मनसब।
53.बाळूंजो = प्रथम प्रसव के समय पिता के घर से मिलने वाला धन।
54.बिड़द = विवाह आदि मांगलिक कार्य/ इस अवसर पर बनाया जाने वाला मिष्ठान/ गणेश जी को चढ़ाया जाने वाला भाग।
55.बिड़लो = संबंध या सगाई के लिए आने वाला श्रीफल आदि।
56.बिनोटा = दूल्हे या दुल्हन की जूती।
57.बिहांणा= विवाह के दिनों में प्रातः काल गाए जाने वाले मांगलिक गीत।
58.बेमजो = गाने के समय कन्या को दिया जाने वाला द्रव्य वस्त्र आदि।
59.बैठ्यो ब्याह = वर पक्ष व कन्या पक्ष का एक ही स्थान, गांव या नगर में रहकर या आकर किया जाने वाला विवाह।
60.बैरणो = दूल्हे का अपने इष्ट मित्रों व संबंधियों के यहां भोजन करना।
61.बोलवां = किसी देवता के चढ़ावे, पूजा, फेरी आदि की घोषणा।
62.भड़भोलयो/भड़कुलियो = होली के साथ जलाने के लिए बनाई गई गोबर की गोल टिकिया।
63.भात = वर वधु के ननिहाल वालों की तरफ से दिया जाने वाला वस्त्र, आभूषण, द्रव्य आदि/ इस अवसर
पर गाए जाने वाला लोकगीत।
64.भातवी = वर कन्या के ननिहाल पक्ष के लोग।
65.भूरसी = यज्ञ, विवाह आदि की समाप्ति पर ब्राह्मणों को दी जाने वाली दक्षिणा।
65.भौंडेरू = विवाह आदि मांगलिक अवसरों पर कुछ उपहार लेने वाली जाति समूह।
66.मंगळियो = मृतक के द्वादशे की क्रिया में काम लेने का मिट्टी का पात्र।
67.मांडो = विवाह के लिए बनाया हुआ मंडप।
68.मांडेती = विवाह में कन्या पक्ष के लोग।
69.माटो = विवाह के बाद कन्या के साथ भेजा जाने वाला बड़ी-पापड़ आदि सामान।
70.माथा धोवण = प्रसव के कुछ दिन बाद जच्चा को कराया जाने वाला स्नान।
71.मारखाई = मध्य युग में चोरी के माल का पता लगाने वाले को दिया जाने वाला धन।
72.मायरो = विवाह में वर वधू के नाना या मामा की ओर से दिया जाने वाला सामान, वस्त्र, धन आदि।
73.मारोट = विवाह के समय दूल्हे या दुल्हन के मुख पर की जाने वाली सुनहरी चित्रकारी।
74.मासवारी = महीने के बाद होने वाला प्रसूता का स्नान।
78.मासीसो = मृतक के पीछे प्रति माह किया जाने वाला भोज।
79.रेहाण = मांगलिक अवसरों पर सगे- संबंधियों, परिजनों एवं इष्ट मित्रों को अमल आदि पिलाए जाने की
एक प्रथा।
80.मिलणी = विवाह के समय कन्या पक्ष की ओर से संबंधियों को बांटी जाने वाली राशि।
81.मूंगदड़ो/मूंधणो = विवाह आदि मांगलिक अवसरों पर लाया जाने वाला इंधन की लकड़ियों का गट्ठर/कैर आदि
82.मुंह दिखाई = वधु को मुंह दिखाने की रस्म पर दिया जाने वाला धन।
83.मुहपल्लो = मृतक के पीछे रोते समय मुंह ढकने की रस्म।
84.मुकलावो = शादी के बाद व्यस्क होने पर ससुराल जाने हेतु कन्या की विदाई की एक रस्म।
85.मुंकाण = मृतक के पीछे उनके संबंधियों के पास संवेदना प्रकट करने जाने की रस्म।
86.मुजरो = किसी राजा या रईस को किया जाने वाला अभिवादन।
87.मुसल्लो = नमाज पढ़ते समय बिछाने की चद्दर।
88.मोड़ = दूल्हे दुल्हन के सिर पर बांधने का सेहरा।
89.मौसर = मृतक के पीछे किया जाने वाला मृत्यु भोज।
……शेष अगले अंक में।
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