Shreemata Darshan

Shreemata Darshan महाराज श्री के चरणों मे नमन

30/12/2022
26/12/2022

 #श्रीमाता_दर्शन धर्म प्रचार, उचित मार्गदर्शन, सही व प्रमाणित जानकारी, आप भी जुड़े, औरों को जोड़ें (जगद्गुरू शंकराचार्य जी...
24/12/2022

#श्रीमाता_दर्शन
धर्म प्रचार, उचित मार्गदर्शन, सही व प्रमाणित जानकारी, आप भी जुड़े, औरों को जोड़ें
(जगद्गुरू शंकराचार्य जी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो l )

संपादक जी
25/09/2022

संपादक जी

24/09/2022

दण्डवत प्रणाम आभार...

पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के 99वे...
30/08/2022

पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के 99वें जन्मोत्सव परश्री चरणों में कोटि-कोटि नमन.

NAMAN...
30/06/2022

NAMAN...

श्रीमाता दर्शन के प्रकाशक श्री सुजीत सिंह ठाकुर जी को जन्मोत्सव की शुभकामनाएं
24/06/2022

श्रीमाता दर्शन के प्रकाशक श्री सुजीत सिंह ठाकुर जी को जन्मोत्सव की शुभकामनाएं

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15/05/2022

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Arvind Mishra
07/03/2022

Arvind Mishra

Swami Sadanand saraswati ji maharaj,Dwarka
06/03/2022

Swami Sadanand saraswati ji maharaj,Dwarka

Swami Sadanand saraswati ji maharaj,Dwarka🙏🙏🙏
06/03/2022

Swami Sadanand saraswati ji maharaj,Dwarka
🙏🙏🙏

25/02/2022
[ पीताम्बरा पीठ दतिया [म.प्र.] का परिचय ] पीताम्बरा पीठ दतिया ज़िला मध्य प्रदेश में स्थित है। यह देश के लोकप्रिय शक्तिपी...
25/02/2022

[ पीताम्बरा पीठ दतिया [म.प्र.] का परिचय ]
पीताम्बरा पीठ दतिया ज़िला मध्य प्रदेश में स्थित है। यह देश के लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्मशान हुआ करता था, लेकिन आज एक विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। ऐसी मान्यता है कि मुकदमे आदि के सिलसिले में माँ पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है। पीताम्बरा पीठ के प्रांगण में ही 'माँ धूमावती देवी' का मन्दिर है, जो भारत में भगवती धूमावती का एक मात्र मन्दिर है।

[ पीठ की स्थापना ]
मध्य प्रदेश के दतिया शहर में प्रवेश करते ही पीताम्बरा पीठ है। यहाँ पहले कभी श्मशान हुआ करता था, आज विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। पीताम्बरा पीठ की स्थापना एक सिद्ध संत जिन्हें लोग स्वामीजी महाराज कहकर पुकारते थे उन्होंने 1935 में की थी। श्री स्वामी महाराज ने बचपन से ही संन्यास ग्रहण कर लिया था। वे यहाँ एक स्वतंत्र अखण्ड ब्रह्मचारी संत के रूप में निवास करते थे। स्वामीजी प्रकांड विद्वान व प्रसिद्ध लेखक थे। उन्होंने संस्कृत, हिन्दी में कई किताबें भी लिखी थीं। गोलोकवासी स्वामीजी महाराज ने इस स्थान पर 'बगलामुखी देवी' और धूमावती माई की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। यहाँ बना वनखंडेश्वर मन्दिर महाभारत कालीन मन्दिरों में अपना विशेष स्थान रखता है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। इसके अलावा इस मन्दिर परिसर में अन्य बहुत से मन्दिर भी बने हुए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुओं का यहाँ आना-जाना लगा रहता है|

[ माँ की प्रतिमा ]
पीताम्बरा देवी की मूर्ति के हाथों में मुदगर, पाश, वज्र एवं शत्रुजिव्हा है। यह शत्रुओं की जीभ को कीलित कर देती हैं। मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्त होती है। शत्रु पूरी तरह पराजित हो जाते हैं। यहाँ के पंडित तो यहाँ तक कहते हैं कि, जो राज्य आतंकवाद व नक्सलवाद से प्रभावित हैं, वह माँ पीताम्बरा की साधना व अनुष्ठान कराएँ, तो उन्हें इस समस्या से निजात मिल सकती है।

[ धूमावती मन्दिर ]
पीताम्बरा पीठ के प्रांगण में ही माँ भगवती धूमावती देवी का देश का एक मात्र मन्दिर है। ऐसा कहा जाता है कि मन्दिर परिसर में माँ धूमावती की स्थापना न करने के लिए अनेक विद्वानों ने स्वामीजी महाराज को मना किया था। तब स्वामी जी ने कहा कि- "माँ का भयंकर रूप तो दुष्टों के लिए है, भक्तों के प्रति ये अति दयालु हैं।" समूचे विश्व में धूमावती माता का यह एक मात्र मन्दिर है। जब माँ पीताम्बरा पीठ में माँ धूमावती की स्थापना हुई थी, उसी दिन स्वामी महाराज ने अपने ब्रह्मलीन होने की तैयारी शुरू कर दी थी। ठीक एक वर्ष बाद माँ धूमावती जयन्ती के दिन स्वामी महाराज ब्रह्मलीन हो गए। माँ धूमावती की आरती सुबह-शाम होती है, लेकिन भक्तों के लिए धूमावती का मन्दिर शनिवार को सुबह-शाम 2 घंटे के लिए खुलता है। माँ धूमावती को नमकीन पकवान, जैसे- मंगोडे, कचौड़ी व समोसे आदि का भोग लगाया जाता है।

[ ऐतिहासिक सत्य ]
माँ पीताम्बरा बगलामुखी का स्वरूप रक्षात्मक है। पीताम्बरा पीठ मन्दिर के साथ एक ऐतिहासिक सत्य भी जुड़ा हुआ है। सन् 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। भारत के मित्र देशों रूस तथा मिस्र ने भी सहयोग देने से मना कर दिया था। तभी किसी योगी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से स्वामी महाराज से मिलने को कहा। उस समय नेहरू दतिया आए और स्वामीजी से मिले। स्वामी महाराज ने राष्ट्रहित में एक यज्ञ करने की बात कही। यज्ञ में सिद्ध पंडितों, तांत्रिकों व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यज्ञ का यजमान बनाकर यज्ञ प्रारंभ किया गया। यज्ञ के नौंवे दिन जब यज्ञ का समापन होने वाला था तथा पूर्णाहुति डाली जा रही थी, उसी समय 'संयुक्त राष्ट्र संघ' का नेहरू जी को संदेश मिला कि चीन ने आक्रमण रोक दिया है। मन्दिर प्रांगण में वह यज्ञशाला आज भी बनी हुई है।
श्री बगलामुखी महिमा राज के अनुसार श्री बगलामुखी का एक प्रसिद्ध नाम श्री पीताम्बरा भी है। यह त्रिपुर सुंदरी शक्ति श्री विष्णु की आराधना से ही माता बगला के रूप में प्रकट हुईं। यह वैष्णवी शक्ति हैं। यह मृत्युंजय शिव की शक्ति कहलाती हैं। यह सिद्ध विद्या श्रीकुल की ब्रह्म विद्या हैं। दश महाविद्या में आद्या महाकाली ही प्रथम उपास्य हैं। इनकी कृपा हो तो साधना में शीघ्र लाभ प्राप्त होता है। इनकी साधना वाम या दक्षिण मार्ग से की जाती है, परंतु बगला शक्ति विशेषकर दक्षिण मार्ग से ही उपास्य हैं। श्री बगला पराशक्ति की साधना अति गोपनीयता के साथ की जाती है। इनकी उपासना ऋषि-मुनि के अतिरिक्त देवता भी करते हैं। जनमानस के हेतु इनकी साधना सुलभ बनाने के लिए साक्षात् शिव को 'श्री स्वामी' के रूप में मानव शरीर धारण कर दतिया, मध्य प्रदेश में श्री पीताम्बरा पीठ की स्थापना करनी पड़ी। श्री स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक 'श्री बगलामुखी रहस्य' अति सुंदर और साधकों के लिए कृपा स्वरूप है। श्री बगलामुखी के साधक को गंभीर एवं निडर होने के साथ-साथ शुद्ध एवं सरल चित्त का होना चाहिए। श्री बगला स्तंभन की देवी भी हैं त्रिशक्ति रूप के कारण स्तंभन के साथ-साथ भोग एवं मोक्षदायिनी भी हैं।

बगलामुखी की साधना बिना गुरु के भूल कर भी नहीं करनी चाहिए, अन्यथा थोड़ी सी भी चूक से साधक के समक्ष गंभीर संकट उपस्थित हो जाता है। मणिद्वीपवासिनी काली भुवनेश्वरी माता ही बगलामुखी हैं। इनकी अंग पूजा में शिव, मृत्युंजय, श्री गणेश, बटुक भैरव और विडालिका यक्षिणी का पूजन किया जाता है। कई जन्मों के पुण्य प्रताप से ही इनकी उपासना सिद्ध होती है। विद्वानों का मत है कि विश्व की अन्य सारी शक्तियां संयुक्त होकर भी माता बगला की बराबरी नहीं कर सकती हैं। इनके मंत्र का जप सिद्ध गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए। इनके मंत्र के जप से अनेक प्रकार की चमत्कारिक अनुभूतियां होने लगती हैं। अलग-अलग कामनाओं की सिद्धि हेतु जप के लिए हरिद्रा, पीले हकीक या कमलगट्टे की माला का प्रयोग करना चाहिए। देवी को चंपा, गुलाब, कनेर और कमल के फूल विशेष प्रिय हैं।

इनकी साधना किसी शिव मंदिर या माता मंदिर में अथवा किसी पर्वत पर या पवित्र जलाशय के पास गुरु के सान्निध्य में विशेष सिद्धिप्रद होती है। वैसे घर में भी किसी एकांत स्थान पर दैनिक उपासना की जा सकती है। श्री बगला के एकाक्षरी, त्र्याक्षरी, चतुराक्षरी, पंचाक्षरी, अष्टाक्षरी, नवाक्षरी, एकादशाक्षरी और षट्त्रिंशदाक्षरी मंत्र विशेष सिद्धिदायक हैं। सभी मंत्रों का विनियोग, न्यास और ध्यान अलग-अलग हैं। इनके अतिरिक्त 80, 100, 126 अक्षरों मंत्रों के साथ 514 अक्षरों के बगला माला मंत्र की भी विशेष महिमा है। 666 अक्षर का ब्रह्मास्त्र माला मंत्र भी है। इसके अलावा और भी अनेकानेक मंत्र हैं, जिनका उल्लेख सांख्यायन तंत्र में मिलता है। मनोकामना की सिद्धि के लिए बगला स्तोत्र, कवच और बगलास्त्र का गोपनीय पाठ भी किया जाता है। साथ ही बगला गायत्री और कीलक भी है। घृत, शक्कर, मधु और नमक से हवन करने पर आकर्षण होता है। शहद, शक्कर मिश्रित दूर्वा, गुरुच और धान के लावा से हवन करने पर रोगों से मुक्ति मिलती है। कार्य विशेष के लिए विशेष माला, विशेष मंत्र और विशेष हवन का विशेष प्रयोग होता है।

साभार-

एक निवेदन...आप भी पत्रिका के सदस्य बनें और कम से कम एक बुद्धिजीवी को भी सदस्य बनायें। ‘श्रीमाता दर्शन’ पत्रिका में जो ले...
24/02/2022

एक निवेदन...
आप भी पत्रिका के सदस्य बनें और कम से कम एक बुद्धिजीवी को भी सदस्य बनायें। ‘श्रीमाता दर्शन’ पत्रिका में जो लेख मिल रहे हैं, वे न तो कभी कहीं पढ़ने मिले हैं और कदाचित न आगे भी किसी पुस्तक या पत्रिका में मिल सकेंगे।

महाविद्याओं के विषय में सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी सावधानियां परम् पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज, ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी, दण्डी स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज, स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज के संरक्षण में सही व उचित मार्गदर्शन, ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द जी जैसे ज्ञानी व्यक्तित्व की सम्पादकीय एवं लेखन कार्य में सहभागिता। अब से पहले कदाचित ही ऐसा हुआ हो की किसी एक प्रकाशन पर इतनी विभूतियों का हस्तक्षेप एकसाथ देखने को मिला हो।

हम आशा करते हैं कि आप भी पत्रिका से जुड़ेंगे और सनातन के विज्ञान और महत्व को और भी अधिक समझ सकेंगे। आपके पत्रिका से जुड़ने पर एक ओर आपको ज्ञान तो प्राप्त होगा ही साथ ही आप अप्रत्यक्ष रूप से सनातन प्रचार में योद्धा के रूप में शामिल भी होंगे। किसी भी प्रकाशन को लम्बे समय तक चलाने के लिए पाठकों का होना अतिमहत्वपूर्ण होता है, मात्र 249/- की वार्षिक सदस्यता से आप इस पत्रिका से जुड़ सकते हैं। यह पत्रिका त्रैमासिक पत्रिका है, जो कि वर्ष में 4 अंक प्रकाशित होंगे। यह पत्रिका आपको आपके पते पर पहुंचाकर दी जाएगी, इसमें कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं रहेगा।

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शंकराचार्य आश्रम रायपुर के प्रभारी ब्रह्मचारी इंदुभुवनन्द जी के सान्निध्य में
23/02/2022

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21/02/2022

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17/02/2022
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16/02/2022

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मध्यप्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं ऊर्जा मंत्री श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति जी को श्रीमती सीमा श्री पचौरी जी द्वार...
14/02/2022

मध्यप्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं ऊर्जा मंत्री श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति जी को श्रीमती सीमा श्री पचौरी जी द्वारा पत्रिका भेंट की गई।

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